hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
गहरी चाल पार्ट -1
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तों अब आप कहानी का लुफ्त उठाइये लेकिन मुझे बताना मत भूलियेगा की कहानी आपको कैसी लग रही है "तमाम सबूतो & गवाहॉ के बयानात को मद्देनज़र रखते हुए ये अदालत इस नतीजे पे पहुँची है कि मुलज़िम मिस्टर.डी.के.जायसवाल बेकसूर हैं & असली मुजरिम है शाम लाल जो कि मरहूम राम लाल का भाई है,इसीलिए ये अदालत शाम लाल को मुजरिम करार देते हुए उसे 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है.",पंचमहल हाइ कोर्ट के जज के इस फ़ैसले के साथ मशहूर आड्वोकेट कामिनी शरण ने 1 और केस जीत लिया था. "मेडम,मैं आपका कैसे शुक्रिया अदा करू,मेरी समझ मे नही आता!आप तो मेरे लिए साक्षात भगवान हैं,कामिनी जी.",अदालत के बाहर जायसवाल हाथ जोड़े कामिनी के सामने खड़ा था.पंचमहल का ही नही बल्कि राज्य का 1 इतना रईस बिज़्नेसमॅन उसके सामने हाथ जोड़े खड़ा था पर कामिनी के चेहरे पे गुरूर की 1 झलक भी नही थी. "ये क्या कर रहे हैं जायसवाल जी!मैने तो केवल अपना फ़र्ज़ निभाया है.फिर आप बेगुनाह थे,वो शाम लाल आपको फँसा रहा था & गुनेहगर को हमेशा सज़ा मिलती है.चलिए,घर जाइए & अपने परिवार को ये खुशख़बरी सुनाए.",कामिनी उस से विदा ले अपने ऑफीस चेंबर जाने के लाइ अपनी कार की ओर बढ़ गयी जिसका दरवाज़ा खोले उसका ड्राइवर खड़ा था. ------------------------------
------------------------------------------------- देर शाम घर लौटती कामिनी के चेहरे पे वो जीत की खुशी नही थी,जोकि पहले हुआ करती थी पहले की तो बात ही और थी,पहले तो केस जीतने के बाद सबसे पहले वो विकास को ये खबर सुनाती थी.जब भी विकास या वो कोई केस जीतते तो उस रोज़ शाम को पहले किसी अच्छे से रेस्टोरेंट मे जाके बढ़िया खाना खाते & फिर घर लौटके 1 दूसरेके साथ पूरी रात जी भर के चुदाई कर जीत का जश्न मानते. उसे याद आ गयी लॉ कॉलेज के फाइनल एअर की वो पहली क्लास जब विकास सबसे आख़िर मे क्लास मे भागता हुआ दाखिल हुआ & उसकी बगल की खाली सीट पे बैठ गया.दोनो पिच्छले 2 सालो से 1 ही बॅच मे थे पर दोनो के दोस्तो का ग्रूप अलग होने के कारण,दोनो के बीच कोई खास बातचीत नही थी.उस दिन पहली बार दोनो ने ढंग से 1 दूसरे से बात की थी & वही उनकी दोस्ती का पहला दिन था. और ये दोस्ती कब प्यार मे बदल गयी,दोनो को पता भी ना चला.लॉ की डिग्री हासिल करते हीदोनो ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पास असिस्टेंट के लिए अप्लाइ किया & उन्होने दोनो की ही अर्ज़ियाँ मंज़ूर कर ली.संतोष चंद्रा केवल पंचमहल के ही नही बल्कि हिन्दुस्तान के 1 माने हुए वकील थे जिन्हे सभी काफ़ी इज़्ज़त की नज़र से देखते थे. पहले दिन चंद्रा साहब ने दोनो के 1 ही केस की ब्रीफ तैय्यार करने को कहा मगर अलग-2.दोनो ने काफ़ी मेहनत से सोच-स्मझ के अपनी-2 ब्रीफ तैय्यार की & फिर उन्हे दिखाई.ब्रीफ पढ़ते ही चंद्रा साहब ने 5 मिनिट के भीतर ही दोनो की ब्रीफ्स मे 4-5 ऐसे पायंट्स निकाल दिए जिनका इस्तेमाल सामने ऑपोसिशन का वकील कर सकता था,"बेटा,अगर केस जीतना है तो हमेशा अपनी ऑप्पोसिंग पार्टी की तरह सोचो.वो या तो तुमसे बचना चाहती है या फिर तुम्हे गुमराह करना उसका मक़सद होता है.अगर उसकी तरह सोचोगे तो तुम्हे उसकी दलीलो का तोड़ अपनेआप समझ मे आ जाएगा.आगे से जब भी मैं तुम्हे ब्रीफ बनाने को कहु इस बात का ख़याल रखना & हां,हुमेशा अपनी-2 ब्रीफ्स 1 दूसरे को दिखा लेना.इस से तुम दोनो 1 दूसरे की ग़लतियाँ पकड़ लोगे." ऐसी और ना जाने कितनी नसीहते चंद्रा साहब ने उन्हे दी थी.कभी-2 तो कामिनी को लगता की दोनो हमेशा उनके असिस्टेंट ही बने रहते तो कितना अच्छा होता,शायद ज़िंदगी अभी भी पहले की तरह खुशनुमा होती! कितनी खट्टी-मीठी यादें जुड़ी थी चंद्रा सर के ऑफीस के साथ!दोनो ने वकालात के लगभग सारे गुर वही तो सीखे थे & वही वो जगह थी जहा कामिनी 1 मासूम कली से फूल बनी थी. काले,घने,लंबे बालो से घिरा कामिनी का खूबसूरत चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे काली रात को रोशन करता पूनम का चाँद.गोरी-चित्ति कामिनी का चेहरा बड़ा मासूमियत भरा था,पर उसके चेहरे मे जो चीज़ सबसे पहले मर्दो का ध्यान अपनी ओर खींचती थी,वो थी उसके होंठ.अनार के दानो के रंग के,संतरे की फांको जैसे उसके रसीले होंठ ऐसे लगते थे मानो चूमने का बुलावा दे रहे हो. पर इस खूबसूरत लड़की से नज़रे मिलने की हिम्मत हर किसी मे नही थी.5'8" कद की कामिनी आज के ज़माने की लड़की थी जोकि,मर्दो के कंधे से कंधा मिला कर चलने मे नही,उनसे दो कदम आगे चलने मे विश्वास रखती थी.उसकी हौसले,हिम्मत & आत्म-विश्वास से भरी निगाहो से निगाह मिलने की कूवत हर मर्द मे नही थी. विकास अकेला मर्द था जिसकी नज़रे ना केवल कामिनी की नज़रो से मिली बल्कि उसके दिल मे भी उतर गयी.कार मे बैठे-2 कामिनी को होलिका दहन का वो दिन याद आ गया & उसके उदासी भरे चेहरे पे हल्की सी मुस्कान खिल गयी.लगा मानो पूनम के चाँद पे जो उदासी की बदली छा गयी थी,उसे 1 खुशनुमा हवा के झोंके ने उड़ा दिया था. होली के ठीक अगले दिन 1 केस की तारीख थी & चंद्रा साहब ने दोनो को केस की सारी तैय्यारि होलिका दहन वाले दिन ही पूरी कर लेने को कहा था क्यूकी फिर होली के दिन तो दफ़्तर आना नामुमकिन था,इसीलिए दोनो ऑफीस मे बैठे काम कर रहे थे.घड़ी ने 10 बजाए तो कामिनी ने हाथ सर के उपर उठाकर नागड़ाई ली,उसका काम तो पूरा हो गया था,विकास अभी भी लगा हुआ था.दफ़्तर मे उन दोनो के अलावा और कोई नही था. सामने पानी का ग्लास देख कामिनी को शरारत सूझी,उसने उसमे से पानी अपने हाथ मे लिया & विकास के मुँह पे दे मारा.विकास ने गुस्से & खीज से उसकी तरफ देखा. "होली है!".कामिनी हंस पड़ी.विकास भी मुस्कुरा दिया & ग्लास उठा कर बाकी बचा पानी कामिनी पे फेंका पर वो बड़ी सफाई से उसका वार बचा गयी. "अभी बताता हू कामिनी की बच्ची!",विकास उसे पकड़ने को उठा तो कामिनी भाग के डेस्क की दूसरी ओर हो गयी.विकास भी भाग कर उसकी तरफ आया & हाथ बढ़ा कर उसके कंधे को पकड़ा पर कामिनी उसकी पकड़ से निकल खिलखिलती हुई ऑफीस कॅबिन से अटॅच्ड बाथरूम मे घुस गयी.उसके पीछे-2 विकास भी घुसा तो कामिनी ने वॉशबेसिन का नाल चला कर उसे अपनी उंगलियो से दबा पानी की 1 तेज़ धार उसके उपर छ्चोड़ दी.
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तों अब आप कहानी का लुफ्त उठाइये लेकिन मुझे बताना मत भूलियेगा की कहानी आपको कैसी लग रही है "तमाम सबूतो & गवाहॉ के बयानात को मद्देनज़र रखते हुए ये अदालत इस नतीजे पे पहुँची है कि मुलज़िम मिस्टर.डी.के.जायसवाल बेकसूर हैं & असली मुजरिम है शाम लाल जो कि मरहूम राम लाल का भाई है,इसीलिए ये अदालत शाम लाल को मुजरिम करार देते हुए उसे 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है.",पंचमहल हाइ कोर्ट के जज के इस फ़ैसले के साथ मशहूर आड्वोकेट कामिनी शरण ने 1 और केस जीत लिया था. "मेडम,मैं आपका कैसे शुक्रिया अदा करू,मेरी समझ मे नही आता!आप तो मेरे लिए साक्षात भगवान हैं,कामिनी जी.",अदालत के बाहर जायसवाल हाथ जोड़े कामिनी के सामने खड़ा था.पंचमहल का ही नही बल्कि राज्य का 1 इतना रईस बिज़्नेसमॅन उसके सामने हाथ जोड़े खड़ा था पर कामिनी के चेहरे पे गुरूर की 1 झलक भी नही थी. "ये क्या कर रहे हैं जायसवाल जी!मैने तो केवल अपना फ़र्ज़ निभाया है.फिर आप बेगुनाह थे,वो शाम लाल आपको फँसा रहा था & गुनेहगर को हमेशा सज़ा मिलती है.चलिए,घर जाइए & अपने परिवार को ये खुशख़बरी सुनाए.",कामिनी उस से विदा ले अपने ऑफीस चेंबर जाने के लाइ अपनी कार की ओर बढ़ गयी जिसका दरवाज़ा खोले उसका ड्राइवर खड़ा था. ------------------------------
------------------------------------------------- देर शाम घर लौटती कामिनी के चेहरे पे वो जीत की खुशी नही थी,जोकि पहले हुआ करती थी पहले की तो बात ही और थी,पहले तो केस जीतने के बाद सबसे पहले वो विकास को ये खबर सुनाती थी.जब भी विकास या वो कोई केस जीतते तो उस रोज़ शाम को पहले किसी अच्छे से रेस्टोरेंट मे जाके बढ़िया खाना खाते & फिर घर लौटके 1 दूसरेके साथ पूरी रात जी भर के चुदाई कर जीत का जश्न मानते. उसे याद आ गयी लॉ कॉलेज के फाइनल एअर की वो पहली क्लास जब विकास सबसे आख़िर मे क्लास मे भागता हुआ दाखिल हुआ & उसकी बगल की खाली सीट पे बैठ गया.दोनो पिच्छले 2 सालो से 1 ही बॅच मे थे पर दोनो के दोस्तो का ग्रूप अलग होने के कारण,दोनो के बीच कोई खास बातचीत नही थी.उस दिन पहली बार दोनो ने ढंग से 1 दूसरे से बात की थी & वही उनकी दोस्ती का पहला दिन था. और ये दोस्ती कब प्यार मे बदल गयी,दोनो को पता भी ना चला.लॉ की डिग्री हासिल करते हीदोनो ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पास असिस्टेंट के लिए अप्लाइ किया & उन्होने दोनो की ही अर्ज़ियाँ मंज़ूर कर ली.संतोष चंद्रा केवल पंचमहल के ही नही बल्कि हिन्दुस्तान के 1 माने हुए वकील थे जिन्हे सभी काफ़ी इज़्ज़त की नज़र से देखते थे. पहले दिन चंद्रा साहब ने दोनो के 1 ही केस की ब्रीफ तैय्यार करने को कहा मगर अलग-2.दोनो ने काफ़ी मेहनत से सोच-स्मझ के अपनी-2 ब्रीफ तैय्यार की & फिर उन्हे दिखाई.ब्रीफ पढ़ते ही चंद्रा साहब ने 5 मिनिट के भीतर ही दोनो की ब्रीफ्स मे 4-5 ऐसे पायंट्स निकाल दिए जिनका इस्तेमाल सामने ऑपोसिशन का वकील कर सकता था,"बेटा,अगर केस जीतना है तो हमेशा अपनी ऑप्पोसिंग पार्टी की तरह सोचो.वो या तो तुमसे बचना चाहती है या फिर तुम्हे गुमराह करना उसका मक़सद होता है.अगर उसकी तरह सोचोगे तो तुम्हे उसकी दलीलो का तोड़ अपनेआप समझ मे आ जाएगा.आगे से जब भी मैं तुम्हे ब्रीफ बनाने को कहु इस बात का ख़याल रखना & हां,हुमेशा अपनी-2 ब्रीफ्स 1 दूसरे को दिखा लेना.इस से तुम दोनो 1 दूसरे की ग़लतियाँ पकड़ लोगे." ऐसी और ना जाने कितनी नसीहते चंद्रा साहब ने उन्हे दी थी.कभी-2 तो कामिनी को लगता की दोनो हमेशा उनके असिस्टेंट ही बने रहते तो कितना अच्छा होता,शायद ज़िंदगी अभी भी पहले की तरह खुशनुमा होती! कितनी खट्टी-मीठी यादें जुड़ी थी चंद्रा सर के ऑफीस के साथ!दोनो ने वकालात के लगभग सारे गुर वही तो सीखे थे & वही वो जगह थी जहा कामिनी 1 मासूम कली से फूल बनी थी. काले,घने,लंबे बालो से घिरा कामिनी का खूबसूरत चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे काली रात को रोशन करता पूनम का चाँद.गोरी-चित्ति कामिनी का चेहरा बड़ा मासूमियत भरा था,पर उसके चेहरे मे जो चीज़ सबसे पहले मर्दो का ध्यान अपनी ओर खींचती थी,वो थी उसके होंठ.अनार के दानो के रंग के,संतरे की फांको जैसे उसके रसीले होंठ ऐसे लगते थे मानो चूमने का बुलावा दे रहे हो. पर इस खूबसूरत लड़की से नज़रे मिलने की हिम्मत हर किसी मे नही थी.5'8" कद की कामिनी आज के ज़माने की लड़की थी जोकि,मर्दो के कंधे से कंधा मिला कर चलने मे नही,उनसे दो कदम आगे चलने मे विश्वास रखती थी.उसकी हौसले,हिम्मत & आत्म-विश्वास से भरी निगाहो से निगाह मिलने की कूवत हर मर्द मे नही थी. विकास अकेला मर्द था जिसकी नज़रे ना केवल कामिनी की नज़रो से मिली बल्कि उसके दिल मे भी उतर गयी.कार मे बैठे-2 कामिनी को होलिका दहन का वो दिन याद आ गया & उसके उदासी भरे चेहरे पे हल्की सी मुस्कान खिल गयी.लगा मानो पूनम के चाँद पे जो उदासी की बदली छा गयी थी,उसे 1 खुशनुमा हवा के झोंके ने उड़ा दिया था. होली के ठीक अगले दिन 1 केस की तारीख थी & चंद्रा साहब ने दोनो को केस की सारी तैय्यारि होलिका दहन वाले दिन ही पूरी कर लेने को कहा था क्यूकी फिर होली के दिन तो दफ़्तर आना नामुमकिन था,इसीलिए दोनो ऑफीस मे बैठे काम कर रहे थे.घड़ी ने 10 बजाए तो कामिनी ने हाथ सर के उपर उठाकर नागड़ाई ली,उसका काम तो पूरा हो गया था,विकास अभी भी लगा हुआ था.दफ़्तर मे उन दोनो के अलावा और कोई नही था. सामने पानी का ग्लास देख कामिनी को शरारत सूझी,उसने उसमे से पानी अपने हाथ मे लिया & विकास के मुँह पे दे मारा.विकास ने गुस्से & खीज से उसकी तरफ देखा. "होली है!".कामिनी हंस पड़ी.विकास भी मुस्कुरा दिया & ग्लास उठा कर बाकी बचा पानी कामिनी पे फेंका पर वो बड़ी सफाई से उसका वार बचा गयी. "अभी बताता हू कामिनी की बच्ची!",विकास उसे पकड़ने को उठा तो कामिनी भाग के डेस्क की दूसरी ओर हो गयी.विकास भी भाग कर उसकी तरफ आया & हाथ बढ़ा कर उसके कंधे को पकड़ा पर कामिनी उसकी पकड़ से निकल खिलखिलती हुई ऑफीस कॅबिन से अटॅच्ड बाथरूम मे घुस गयी.उसके पीछे-2 विकास भी घुसा तो कामिनी ने वॉशबेसिन का नाल चला कर उसे अपनी उंगलियो से दबा पानी की 1 तेज़ धार उसके उपर छ्चोड़ दी.