Sex Hindi Kahani गहरी चाल - SexBaba
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Sex Hindi Kahani गहरी चाल

hotaks444

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गहरी चाल पार्ट -1

हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तों अब आप कहानी का लुफ्त उठाइये लेकिन मुझे बताना मत भूलियेगा की कहानी आपको कैसी लग रही है "तमाम सबूतो & गवाहॉ के बयानात को मद्देनज़र रखते हुए ये अदालत इस नतीजे पे पहुँची है कि मुलज़िम मिस्टर.डी.के.जायसवाल बेकसूर हैं & असली मुजरिम है शाम लाल जो कि मरहूम राम लाल का भाई है,इसीलिए ये अदालत शाम लाल को मुजरिम करार देते हुए उसे 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है.",पंचमहल हाइ कोर्ट के जज के इस फ़ैसले के साथ मशहूर आड्वोकेट कामिनी शरण ने 1 और केस जीत लिया था. "मेडम,मैं आपका कैसे शुक्रिया अदा करू,मेरी समझ मे नही आता!आप तो मेरे लिए साक्षात भगवान हैं,कामिनी जी.",अदालत के बाहर जायसवाल हाथ जोड़े कामिनी के सामने खड़ा था.पंचमहल का ही नही बल्कि राज्य का 1 इतना रईस बिज़्नेसमॅन उसके सामने हाथ जोड़े खड़ा था पर कामिनी के चेहरे पे गुरूर की 1 झलक भी नही थी. "ये क्या कर रहे हैं जायसवाल जी!मैने तो केवल अपना फ़र्ज़ निभाया है.फिर आप बेगुनाह थे,वो शाम लाल आपको फँसा रहा था & गुनेहगर को हमेशा सज़ा मिलती है.चलिए,घर जाइए & अपने परिवार को ये खुशख़बरी सुनाए.",कामिनी उस से विदा ले अपने ऑफीस चेंबर जाने के लाइ अपनी कार की ओर बढ़ गयी जिसका दरवाज़ा खोले उसका ड्राइवर खड़ा था. ------------------------------

------------------------------------------------- देर शाम घर लौटती कामिनी के चेहरे पे वो जीत की खुशी नही थी,जोकि पहले हुआ करती थी पहले की तो बात ही और थी,पहले तो केस जीतने के बाद सबसे पहले वो विकास को ये खबर सुनाती थी.जब भी विकास या वो कोई केस जीतते तो उस रोज़ शाम को पहले किसी अच्छे से रेस्टोरेंट मे जाके बढ़िया खाना खाते & फिर घर लौटके 1 दूसरेके साथ पूरी रात जी भर के चुदाई कर जीत का जश्न मानते. उसे याद आ गयी लॉ कॉलेज के फाइनल एअर की वो पहली क्लास जब विकास सबसे आख़िर मे क्लास मे भागता हुआ दाखिल हुआ & उसकी बगल की खाली सीट पे बैठ गया.दोनो पिच्छले 2 सालो से 1 ही बॅच मे थे पर दोनो के दोस्तो का ग्रूप अलग होने के कारण,दोनो के बीच कोई खास बातचीत नही थी.उस दिन पहली बार दोनो ने ढंग से 1 दूसरे से बात की थी & वही उनकी दोस्ती का पहला दिन था. और ये दोस्ती कब प्यार मे बदल गयी,दोनो को पता भी ना चला.लॉ की डिग्री हासिल करते हीदोनो ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पास असिस्टेंट के लिए अप्लाइ किया & उन्होने दोनो की ही अर्ज़ियाँ मंज़ूर कर ली.संतोष चंद्रा केवल पंचमहल के ही नही बल्कि हिन्दुस्तान के 1 माने हुए वकील थे जिन्हे सभी काफ़ी इज़्ज़त की नज़र से देखते थे. पहले दिन चंद्रा साहब ने दोनो के 1 ही केस की ब्रीफ तैय्यार करने को कहा मगर अलग-2.दोनो ने काफ़ी मेहनत से सोच-स्मझ के अपनी-2 ब्रीफ तैय्यार की & फिर उन्हे दिखाई.ब्रीफ पढ़ते ही चंद्रा साहब ने 5 मिनिट के भीतर ही दोनो की ब्रीफ्स मे 4-5 ऐसे पायंट्स निकाल दिए जिनका इस्तेमाल सामने ऑपोसिशन का वकील कर सकता था,"बेटा,अगर केस जीतना है तो हमेशा अपनी ऑप्पोसिंग पार्टी की तरह सोचो.वो या तो तुमसे बचना चाहती है या फिर तुम्हे गुमराह करना उसका मक़सद होता है.अगर उसकी तरह सोचोगे तो तुम्हे उसकी दलीलो का तोड़ अपनेआप समझ मे आ जाएगा.आगे से जब भी मैं तुम्हे ब्रीफ बनाने को कहु इस बात का ख़याल रखना & हां,हुमेशा अपनी-2 ब्रीफ्स 1 दूसरे को दिखा लेना.इस से तुम दोनो 1 दूसरे की ग़लतियाँ पकड़ लोगे." ऐसी और ना जाने कितनी नसीहते चंद्रा साहब ने उन्हे दी थी.कभी-2 तो कामिनी को लगता की दोनो हमेशा उनके असिस्टेंट ही बने रहते तो कितना अच्छा होता,शायद ज़िंदगी अभी भी पहले की तरह खुशनुमा होती! कितनी खट्टी-मीठी यादें जुड़ी थी चंद्रा सर के ऑफीस के साथ!दोनो ने वकालात के लगभग सारे गुर वही तो सीखे थे & वही वो जगह थी जहा कामिनी 1 मासूम कली से फूल बनी थी. काले,घने,लंबे बालो से घिरा कामिनी का खूबसूरत चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे काली रात को रोशन करता पूनम का चाँद.गोरी-चित्ति कामिनी का चेहरा बड़ा मासूमियत भरा था,पर उसके चेहरे मे जो चीज़ सबसे पहले मर्दो का ध्यान अपनी ओर खींचती थी,वो थी उसके होंठ.अनार के दानो के रंग के,संतरे की फांको जैसे उसके रसीले होंठ ऐसे लगते थे मानो चूमने का बुलावा दे रहे हो. पर इस खूबसूरत लड़की से नज़रे मिलने की हिम्मत हर किसी मे नही थी.5'8" कद की कामिनी आज के ज़माने की लड़की थी जोकि,मर्दो के कंधे से कंधा मिला कर चलने मे नही,उनसे दो कदम आगे चलने मे विश्वास रखती थी.उसकी हौसले,हिम्मत & आत्म-विश्वास से भरी निगाहो से निगाह मिलने की कूवत हर मर्द मे नही थी. विकास अकेला मर्द था जिसकी नज़रे ना केवल कामिनी की नज़रो से मिली बल्कि उसके दिल मे भी उतर गयी.कार मे बैठे-2 कामिनी को होलिका दहन का वो दिन याद आ गया & उसके उदासी भरे चेहरे पे हल्की सी मुस्कान खिल गयी.लगा मानो पूनम के चाँद पे जो उदासी की बदली छा गयी थी,उसे 1 खुशनुमा हवा के झोंके ने उड़ा दिया था. होली के ठीक अगले दिन 1 केस की तारीख थी & चंद्रा साहब ने दोनो को केस की सारी तैय्यारि होलिका दहन वाले दिन ही पूरी कर लेने को कहा था क्यूकी फिर होली के दिन तो दफ़्तर आना नामुमकिन था,इसीलिए दोनो ऑफीस मे बैठे काम कर रहे थे.घड़ी ने 10 बजाए तो कामिनी ने हाथ सर के उपर उठाकर नागड़ाई ली,उसका काम तो पूरा हो गया था,विकास अभी भी लगा हुआ था.दफ़्तर मे उन दोनो के अलावा और कोई नही था. सामने पानी का ग्लास देख कामिनी को शरारत सूझी,उसने उसमे से पानी अपने हाथ मे लिया & विकास के मुँह पे दे मारा.विकास ने गुस्से & खीज से उसकी तरफ देखा. "होली है!".कामिनी हंस पड़ी.विकास भी मुस्कुरा दिया & ग्लास उठा कर बाकी बचा पानी कामिनी पे फेंका पर वो बड़ी सफाई से उसका वार बचा गयी. "अभी बताता हू कामिनी की बच्ची!",विकास उसे पकड़ने को उठा तो कामिनी भाग के डेस्क की दूसरी ओर हो गयी.विकास भी भाग कर उसकी तरफ आया & हाथ बढ़ा कर उसके कंधे को पकड़ा पर कामिनी उसकी पकड़ से निकल खिलखिलती हुई ऑफीस कॅबिन से अटॅच्ड बाथरूम मे घुस गयी.उसके पीछे-2 विकास भी घुसा तो कामिनी ने वॉशबेसिन का नाल चला कर उसे अपनी उंगलियो से दबा पानी की 1 तेज़ धार उसके उपर छ्चोड़ दी.
 
विकास की कमीज़ पूरी गीली हो गयी तो वो बाथरूम से बाहर भागा & पानी का 1 भरा जग लेकर वापस आया & कामिनी के हाथो को पकड़ कर पूरा का पूरा जग उसके उपर खाली कर दिया.कामिनी ने झुक कर बचने की नाकाम कोशिश की & उसने जो सफेद सलवार-कमीज़ पहनी थी उसकी कमीज़ भी पूरी गीली हो उसके गोरे बदन से चिपक गयी.कामिनी सीधी खड़ी हुई तो उसने देखा की विकास अपनी भीगी हुई शर्ट उतार रहा है. विकास 6 फिट का गथिले बदन का जवान लड़का था & जब उसने अपनी शर्ट निकाल ली तो उसके बालो भरे गीले सीने को नंगा देख कामिनी को शर्म आ गयी.उसने अपनी नज़रे नीची कर ली & झुक कर अपने गीले कुर्ते के कोने को पकड़ कर उसे निचोड़ने लगी.निचोड़ते हुए उसने हौले से अपनी नज़रे उपर की तो देखा की केवल पॅंट मे खड़ा विकास उसे घूर रहा है.झुके होने के कारण उसकी छातियो का बड़ा सा हिस्सा,जिसपे पानी की बूंदे मोतियो सी चमक रही थी, कुर्ते के गले मे से झलक रहा था. कामिनी फ़ौरन सीधी खड़ी हो गयी तो विकास की नज़रे उसके सीने से नीचे उसके गीले कुर्ते से नुमाया हो रहे उसके गोल,सपाट पेट पे आ जमी.शर्म से कामिनी के गुलाबी गाल और लाल हो गये & घूम कर उसने विकास की ओर अपनी पीठ कर ली.विकास ने आगे बढ़ उसके कंधो को थाम उसे अपनी ओर घुमाया & उसे अपने सीने से लगा लिया.उसकी अचानक की गयी इस हरकत से कामिनी लड़खड़ा गयी & उसने सहारे के लिए अपने प्रेमी को थाम लिया.विकास की नगी पीठ पे हाथ रखते ही कामिनी के बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी. यू तो वो कई बार विकास के गले लगी थी & शर्ट सेझाँकते उसके सीने को छुआ था,चूमा था पर ये पहली बार था की वो उसके नंगे उपरी बदन को छु रही थी-छु क्या रही थी,उस से चिपकी हुई थी.विकास ने नीचे झुक कर उसके रसीले होंठो को अपने होंठो की गिरफ़्त मे ले लिया & दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.थोड़ी देर मे विकास उसके होंठो को खोल अपनी जीभ से उसकी ज़ुबान को छुआ तो जवाब मे कामिनी ने गर्मजोशी से अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ा दी. "ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़प्प्प्प्प...",कामिनी जैसे नींद से जागी,विकास ने उसके कुर्ते के ज़िप को खोल दिया था & हाथ अंदर घुसा उसकी पीठ पे फेर रहा था. "नही!",किस तोड़ वो कसमसने लगी. "क्यू?" "प्लीज़,विकास नही करो." "अच्छा बाबा!",विकास ने वापस उसका ज़िप लगा दिया,"अब खुश?",कामिनी मुस्कुराइ & दोनो फिर 1 दूसरे को चूमने लगे.इस बार विकास ने हाथ नीचे से उसके कुर्ते मे डाला & उसकी कमर को सहलाने लगा. "उम्म्म..",कामिनी फिर कसमसाई. "अब क्या हुआ?यहा कोई पहली बार थोड़े ही छु रहा हू!",ठीक ही कहा था विकास ने,यहा पे तो वो रोज़ ही हाथ फेरता था & जब कभी कामिनी सारी पहनती तब तो उसकी शामत ही आ जाती.विकास के हाथ तो उसके पेट या कमर को छ्चोड़ने का नाम ही नही लेते थे! विकास उसके होंठो को छ्चोड़ नीचे कामिनी की लंबी गर्दन पे आ गया था & चूम रहा था.कामिनी मस्त हो उसके बालो मे उंगलिया फिरा रही थी कि तभी विकास उसकी गर्दन से चूमते हुए उपर आया & उसके कान के पीछे चूमने लगा.ये जगह कामिनी की कमज़ोर नस थी,विकास के वाहा अपने होंठ लगते ही कामिनी की आँखे बंद हो गयी & होठ खुल गये & वो जैसे बेहोश सी हो गयी.उसकी उंगलिया & शिद्दत से उसके आशिक़ के बालो मे घूमने लगी.विकास ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए फिर से उसका ज़िप खोल दिया & हाथ घुसा उसकी पीठ सहलाने लगा.अब उसके हाथ कामिनी की कमर & पीठ को पूरी तरह से से मसल रहे थे. जोश मे डूबी कामिनी की टांगे जवाब देने लगी & वो गिरने ही वाली थी कि विकास ने उसे थाम लिया & अपनी बाहे उसकी मस्त गंद के नीचे लपेट उसे उठा लिया.कामिनी झुक कर उसके चेहरे को चूमने लगी,विकास उसे उठा कर ऑफीस मे ले आया & वाहा रखे बड़े से सोफे पे उसे बिठा दिया & फिर उसकी बगल मे बैठ कर उसे बाँहो मे भर चूमने लगा. उसके चेहरे से नीचे वो उसकी गर्दन पे आया & फिर उसके ज़िप खुले कुर्ते को नीचे कर उसके गर्दन & छातियो के बीच के हिस्से को चूमने लगा.आज से पहले दोनो ने इस तरह प्यार नही किया था.अब तक तो बस गले लग के चूमना & कपड़ो के उपर से ही सहलाना होता रहा था.कामिनी ने अभी तक 1 बार भी विवके को अपनी छातियो या किसी और नाज़ुक अंग को छुने नही दिया था. कमरे का माहौल धीरे-2 और गरम हो रहा था.कामिनी बेचैनी से अपनी जंघे रगड़ने लगी थी.विकास उसके कुर्ते को नीचे कर उसके कंधो को बारी-2 से चूम रहा था.कुर्ते को बाहो से नीचे कर वो उसकी उपरी बाँह को चूमने लगा.उसके हाथ नीचे से कुर्ते के अंदर घुस उसकी पतली कमर को मसल रहे थे.अचानक विकास ने कामिनी को सोफे पे लिटा दिया & उसके कुर्ते को उपर कर उसके पेट को चूमने लगा. "ऑश...विकास.....प्ल...ईज़...नही का.....रो..आहह...!",विकास ने उसकी बाते अनसुनी करते हुए उसके पेट को चूमते हुए अपनी जीभ उसकी गहरी,गोल नाभि मे उतार दी थी & पागलो की तरह फिरने लगा था.कामिनी उसके सर को थाम बेबसी से आहे भरती हुई छटपटा रही थी.विकास काफ़ी देर तक उसकी नाभि से खेलता रहा & फिर थोडा और नीचे आकर उसकी नाभि & सलवार के बीच के हिस्से को चूमने लगा.कामिनी का बुरा हाल था,उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी & उसके दिल मे घबराहट,मज़े & मस्ती के मिले-जुले एहसास उमड़ रहे थे. "नही..!",विकास ने जैसे ही अपने हाथ मे ले उसकी सलवार की डोर खींचनी चाही.वो सोडे पे उठ बैठी & उसका हाथ पकड़ लिया.विकास ने उसके हाथ मे अपने हाथ की उंगलिया फँसा दी & उसके हाथो को अपने होंठो तक ला चूमने लगा,कामिनी की आँखे फिर मस्ती से बंद हो गयी.विकास उसके हाथो को चूम उसकी कलाई से होता हुआ उसकी बाँह को चूमने लगा,और उपर जाने पर उसके होठ कुर्ते की बाँह से आ लगे तो उसने उसे खींच कर कामिनी की बाँह से अलग कर दिया.कामिनी बस कमज़ोर सी आवाज़ मे नही-2 करती रही & उसने दूसरी बाँह को भी उतार दिया.अब कुर्ता उसकी कमर के गिर्द पड़ा हुआ था & सफेद ब्रा मे क़ैद,भारी सांसो से उपर-नीचे होते हुई,उसकी बड़ी-2 छातिया विकास की नज़रो के सामने थी. विकास ने बैठी हुई कामिनी को अपनी बाहो मे भर लिया & उसके चरे को चूमने लगा,"आइ लव यू,कामिनी..आइ लव यू,डार्लिंग!",वो उसकी पीठ सहलाते हुए उसके कानो के पीछे चूम रहा था. "आइ लव..वी यू..टू,विकी...!....ह्म्‍म्म्म...!",कामिनी और ज़्यादा मस्त हो रही थी.विकास पागलो की तरह उसकी पीठ पे हाथ फेर रहा था & ऐसा करने से उसका हाथ कामिनी के ब्रा स्ट्रॅप मे फँस गया & जब उसने निकालने की कोशिश की तो पट से उसके ब्रा के हुक्स खुल गये.विकास ने सर उसके चेहरे से उठा उसकी ओर देखा.
 
[size=large]कामिनी की आँखे नशे से भरी हुई थी & उसकी साँसे धौंकनी की तरह चल रही थी.सीने पे ब्रा बस लटका हुआ सा था. विकास ने उसकी आँखो मे देखते हुए उसके कंधो से ब्रा को सरका दिया.इस बार कामिनी ने उसे नही रोका.वो जानती थी इस बार वो बिल्कुल नही मानेगा.ब्रा सरक कर नीचे उसकी गोद मे आ गिरा.उसकी आँखो मे झँकते हुए विकास ने ब्रा को नीचे ज़मीन पे फेंक दिया & अपनी नज़रे नीची कर अपनी प्रेमिका की मस्त चूचियो का पहली बार दीदार किया.कामिनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी. "तुम कितनी सुंदर हो,कामिनी...मैने तो सपने मे भी नही सोचा था कि तुम इतनी खूबसूरत होगी.",विकास की नज़रो के सामने कामिनी की भारी-2,कसी चूचिया उपर-नीचे हो रही थी.उन पर सजे हल्के गुलाबी रंग के निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके थे.विकास ने बहुत हल्के अपना हाथ उनपे रख उन्हे छुआ मानो वो शफ्फाक़ गोलाइयाँ उसके हाथ लगाने से मैली हो जाएँगी.कामिनी के पूरे बदन मे सिहरन सी दौड़ गयी. वो हल्के-उन्हे सहलाने लगा & धीरे-2 उसके हाथ उसकी चूचियो पे कसते गये.कामिनी ने उसके हाथ पकड़ लिए पर विकास को अब उन मस्त गेंदो से खेलने मे बहुत मज़ा आ रहा था. "ऊओवव...!".विकास ने अपने दोनो हाथो मे भर कर दोनो चूचियो को ज़ोर से दबा दिया.काफ़ी देर तक वो उन्हे दबत,मसलता रहा.फिर उसने उसके निपल्स का रुख़ किया & उन्हे अपनी उंगलियो मे ले मसल्ने लगा.दफ़्तर मे कामिनी की आहें गूंजने लगी.विकास झुका & उसकी चूची पे अपने होठ रख दिए.कामिनी का सर पीछे झुक गया & उसने विकास का सर पकड़ लिया.विकास चूचियो को मुँह मे भर चूसने लगा तो कामिनी का बदन झटके खाने लगा.उसकी गीली चूत अब और बर्दाश्त नही कर पा रही थी & झाड़ गयी थी. कामिनी निढाल हो सोफे पे गिर गयी तो साथ-2 विकास भी नीचे झुक गया & उसके उपर लेट कर उसकी छातियो से खेलने लगा.कभी वो उन्हे दबाता तो कभी बस हल्के-2 सहलाता,कभी अपने होंठो मे भर कर इतनी ज़ोर से चूस्ता की उनपेनिशान पड़ जाते तो कभी बस अपनी जीभ से उसके निपल्स को चाटता रहता.विकास का आधा बदन सोफे पे & आधा कामिनी के उपर था & कामिनी को अपनी जाँघ के बगल मे उसका खड़ा लंड चुभता महसूस हो रहा था. विकास उसकी चूचियो को चूमता हुआ 1 हाथ नीचे ले गया & उसकी सलवार की डोर को खींच दिया,फिर उसकी चूचियो को छ्चोड़ उसके पेट को चूमते हुए नीचे आया & उसकी सलवार खोलने लगा,"नही...मत करो ना!" विकास फिर से उपर हुआ & उसे चूमने लगा मगर उसका हाथ नीचे ही रहा & ढीली हो चुकी सलवार मे घुस पॅंटी के उपर से ही कामिनी की चूत को सहलाने लगा.कामिनी अपनी जंघे बींचती हुई छटपटाने लगी & खींच कर उसका हाथ हटाने लगी पर वो नही माना & वैसे ही हाथ फेरता रहा.फिर 1 झटके से उठा & उसके सलवार को नीचे कर उसकी पॅंटी के उपर उसने किस्सस की बौच्हार कर दी.कामिनी ज़ोर-2 से आहें भरते हुई तड़पने लगी.इसी बीच उसने उसकी सलवार को उसके बदन से अलग कर दिया. कामिनी की पॅंटी गीली होकर उसकी चूत से चिपकी हुई थी.विकास बैठा हुआ उसके बदन को घुरे जा रहा था.शर्मा कर कामिनी ने करवट के सोफे की बॅक मे अपना मुँह च्छूपा लिया & विकास की तरफ अपनी पीठ कर दी.कामिनी की मस्त 36 इंच की गंद अब उसके सामने थी.दोनो के बादने की रगड़ाहट से उसकी पॅंटी उसकी गंद की दरार मे फाँसी हुई थी & गंद की दोनो कसी फांके विकास के सामने थी. उसने अपने हाथो से उन्हे मसला तो कामिनी चिहुनक उठी.उसकी 28 इंच की कमर के नीचे उसकी चौड़ी,भारी,पुष्ट मस्त गंद ने विकास को पागला दिया था.उसने झट से उसकी पॅंटी को उसके बदन से अलग किया & झुक के करवट ली हुई कामिनी की गंद चूमने लगा.उसकी इस हरकत से कामिनी चौंक पड़ी & सीधी हो गयी & अपने प्रेमी को अपनी अन्छुइ,बिना बालो की,चिकनी,गुलाबी चूत का दीदार करा दिया.विकास की साँसे तेज़ हो गयी.शर्म के मारे कामिनी का बुरा हाल था,ज़िंदगी मे पहली बार वो किसी मर्द के सामने पूरी नगी हुई थी.विकास ने झुक कर कामिनी की जाँघो को फैलाया & अपना चेहरा उसकी चूत मे दफ़्न कर दिया. कामिनी तो पागल ही हो गयी.विकास उसकी चूत को अपनी उंगलियो से फैला चाट रहा था.जब वो उसके दाने को अपनी उंगली या जीभ से छेड़ता तो कामिनी के जिस्म मे बिजली दौड़ जाती.कोई 5-7 मिनिट तक उसकी जीभ कामिनी की चूत को चाटती रही.फिर वो उठ खड़ा हुआ,अब वो और नही रोक सकता था अपनेआप को.उसने अपनी पॅंट & अंडरवेर को तुरंत उतार फेंका.कामिनी ने अड़खुली आँखो से पहली बार 1 मर्द के खड़े लंड को देखा. विकास का काली झांतो से गिरा 6 इंच का लंड प्रेकुं से गीला था & उसके नीचे 2 बड़े से अंडे लटक रहे थे जोकि इस वक़्त बिल्कुल टाइट थे.वो अपने हाथ मे लंड को थाम हिला रहा था.उसने अपनी महबोबा की जाँघो को फैलाया & उनके बीच अपने घुटनो पे बैठ गया.दोनो ही कुंवारे थे & दोनो के लिए ही ये चुदाई का पहला मौका था.विकास ने चूत पे लंड रख के ढका दिया तो वो फिसल गया.उसने 2-3 बार और कोशिश की पर नतीजा वही रहा.कामिनी को डर भी लग रहा था & साथ ही इंतेज़ार भी था की उसका प्रेमी उसके कुंवारेपन को भेद कर उसकी जवानी को खिला दे. विकास को लग रहा था कि वो कामिनी के चूत के बाहर ही छूट जाएगा.फिर उसने पैंतरा बदला & 1 हाथ से उसकी चूत की फांके फैलाए & दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ उसकी चूत के मुँह पे रख कर अंदर ठेला.इस बार उसे कामयाबी हुई & लंड का सूपड़ा अंदर घुस गया.उसने लंड से हाथ हटाया & बेचैनी से 2-3धक्के लगाए तो लंड और अंदर चला गया. "आउच..!".कामिनी को चुभन सी महसूस हुई & विकास को लगा जैसे कुच्छ उसके लंड को अंदर जाने से रोक रहा था.वो अपने घुटनो को सीधा कर अपनी कोहनियो पे अपने बदन का वजन रख,कामिनी के उपर झुक गया & 1 बहुत ज़ोर का धक्का दिया. "ओई...मेन्न्न्न...!..",कामिनी की चीख निकल गयी,उसके कुंवारेपन की झिल्ली को विकास के लंड ने फाड़ दिया था.कामिनी के चेहरे पे दर्द की लकीरे खींच गयी तो विकास उसके उपर लेट गया & उसे चूमने लगा.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी कमर को हिलने से रोका.वो उसके कानो मे प्यार भरे बोल बोलते हुए उसे हौले-2 चूम कर सायंत करने लगा.थोड़ी देर बाद कामिनी का दर्द कम हुआ तो उसने विकास की पीठ पे हाथ फेरना शुरू कर दिया.विकास ने उसके होठ छ्चोड़ नीचे मुँह ले जाकर उसकी चूचियो को मुँह मे भर लिया & ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगा.कामिनी को भी अब मज़ा आ रहा था,अपने प्रेमी के सर को उसने अपनी चूचियो पे भींच दिया & अपने घुटने मोड़ कर नीचे से कमर हिलाकर उसके धक्को से लय मिला कर चुदाई कराने लगी. विकासके लंड की रगड़ उसे जन्नत की सर करा रही थी.उसकी चूत मे जैसे 1 तनाव सा बन रहा था & उसने अपनी टांगे मोड़ कर अपने प्रेमी की कमर को लपेट लिया था.उसके नाख़ून उसकी पीठ मे धँस गये & उसके बदन मे जैसे मज़े का ज्वालामुखी फुट गया.आहे भरते हुए अपने होठ उसके होंठो से चिपका कर सोफे से उठा वो उस से चिपक सी गयी-वो ज़िंदगी मे पहली बार 1 लंड से झाड़ रही थी. विकास के सब्र का बाँध भी अब टूट गया & उसका बदन झटके खाने लगा & मुँह से आहे निकलता हुआ उसने अपने अंदो मे उबाल रहे लावे को अपनी प्रेमिका की चूत मे खाली कर दिया. क्रमशः.............[/size]
 
[size=large][size=large]गहरी चाल पार्ट -2
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[size=large][size=large]उस रात कामिनी अपने पेयिंग गेस्ट अयमोडेशन पे नही गयी,बल्कि विकास के साथ उसके फ्लॅट पे गयी जिसे वो 3 और दोस्तो के साथ शेर करता था.वो तीनो होली के मौके पे अपने-2 घर गये हुए थे,सो फ्लॅट पूरा खाली था.वैसी होली कामिनी ने कभी खेली थी & आगे ना फिर कभी खेली.बाहर लोग 1 दूसरे को अबीर-गुलाल से रंग रहे थे & फ्लॅट के अंदर दोनो प्रेमी 1 दूसरे के रंग मे रंग रहे थे. इसके कुच्छ 3 महीने बाद दोनो ने शादी कर ली & उसके कुच्छ ही दीनो के बाद 1 रोज़ शाम को काम ख़त्म होने के बाद चंद्रा साहब ने दोनो के अपने कॅबिन मे बुलाया & ये सलाह दी कि अब दोनो अपनी-2 प्रॅक्टीस शुरू कर दे. "मगर सर,इतनी जल्दी?" "हां,बेटा.मैं समझ रहा हू,तुम दोनो को लग रहा है कि तुम अभी तैय्यार नही हो पर मेरी बात मानो,तुम दोनो अब अपनी प्रॅक्टीस के लिए रेडी हो.बस जैसे यहा 1 टीम की तरह काम करते थे,वैसे ही आगे भी करना.बेस्ट ऑफ लक!" दोनो ने चंद्रा साहब की बात मान ली.शुरू मे तो काफ़ी परेशानी हुई,पर धीरे-2 दोनो को केसस मिलने लगे.पहले की ही तरह दोनो अपने-2 केसस को 1 दूसरे से डिसकस करते थे.इसका नतीजा ये हुआ कि दोनो का केस जीतने का रेकॉर्ड बाकी वकिलो से कही ज़्यादा अच्छा हो गया & 2 साल होते-2 दोनो के पास केसस की भरमार हो गयी. अब दोनो अपने पेशे मे इतने माहिर हो चुके थे कि पहले की तरह 1 दूसरे से अपने-2 केसस के बारे मे सलाह-मशविरे की ज़रूरत भी उन्हे नही पड़ती थी.कामयाबी के साथ-2 दौलत & ऐशो-आराम ने भी उनकी ज़िंदगी मे कदम रखा पर उनके पास 1 चीज़ की कमी हो गयी-वो थी वक़्त.वही वकालत के पेशे मे भी दोनो थोड़ा अलग राहो पे चल रहे थे,जहा कामिनी को प्राइवेट केसस ज़्यादा मिलते थे वही विकास को सरकारी केसस यानी कि वो काई मुक़ादंमो मे सरकारी वकील की हैसियत से खड़ा होता था. आज से कोई 4 महीने पहले की बात है,कामिनी ने फिर 1 जीत हासिल की थी & आज उसका दिल किया ये खुशी पहले की तरह अपने हमसफर की बाहो मे उसके साथ चुदाई करके मनाने का.उसने विकास को खबर देने के लिए अपना मोबाइल उठाया,पर फिर सोचा की क्यू ना दफ़्तर जाकर उसे सर्प्राइज़ दे तो वो कोर्ट से सीधा अपने ऑफीस के लिए रवाना हो गयी.दोनो ने 1 ही इमारत को 2 हिस्सो मे बाँट कर अपने-2 ऑफीस बनाए थे. उस इमारत मे घुस वो तेज़ कदमो से विकास के कॅबिन की ओर बढ़ने लगी.शाम के 8 बज रहे थे & इस वक़्त ऑफीस बिल्कुल खाली था.तभी उसके कानो मे विकास के कॅबिन से कुच्छ अजीब सी आवाज़े आती सुनाई दी तो वो ठिठक गयी.फिर दबे पाँव वो दरवाज़े तक पहुँची & बहुत धीरे से उसे खोला.दरवाज़ा खोलते ही सामने का नज़ारा देख कर उसके होश उड़ गये & वो जैसे बुत बन गयी. उसकी तरफ पीठ किए खड़ा विकास अपनी असिस्टेंट सीमी को चोद रहा था.सीमी डेस्क को पकड़ कर खड़ी थी,उसकी स्कर्ट को कमर तक उठाए उसका पति पीछे से उसकी चूत मे अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था.विकास की पॅंट उसके टख़नो के पास मूडी पड़ी थी & वो सीमी को पकड़ कर बड़े तेज़ धक्के लगा रहा था.सीमी भी आहे भर रही थी.तभी सीमी थोड़ा सीधी हुई & 1 हाथ पीछे ले जाकर उसने विकास के गले मे डाल दिया & उसके होठ से अपने होठ सटा दिए.विकास ने भी 1 हाथ उसकी कमर से उठाया & उसकी चूचियो पे रख दिया. थोड़ी देर के बाद कामिनी जैसे नींद से जागी & उसकी आँखो मे आँसू छल्छला आए.वो मूडी & वाहा से सीधा अपने घर आ गयी.वो चाहती तो दोनो को बीच मे रोक सकती थी पर ऐसा करना उसकी गैरत के खिलाफ होता.उस रात विकास घर लौटा तो उसने उसे बता दिया कि शाम को उसने क्या देखा था. "ओह्ह,तो तुम्हे पता चल ही गया.मैं तुम्हे बताना चाहता था पर...खैर,चलो." "मुझे तलाक़ चाहिए,विकास." "ओके.",विकास कुच्छ पल उसे देखता रहा & फिर कमरे से बाहर चला गया. 1 वकील के ऑफीस मे ही कामिनी का प्यार पुख़्ता हुआ था & आज 1 वकील के ऑफीस मे ही उस प्यार के टुकड़े-2 हो गये थे.तलाक़ के वक़्त विकास ने उसे उनका बंगला & ऑफीस रखने को कहा था पर उन जगहो से जुड़ी यादें उसे चैन से जीने नही देती.उसने मना कर दिया & अपने दूसरे बंगल शिफ्ट हो गयी & अपना 1 अलग ऑफीस भी ले लिया. ड्राइवर ने ब्रेक लगाया तो कामिनी यादो से बाहर आई,कार 1 ट्रॅफिक सिग्नल पे खड़ी थी.उसने शीशे से बाहर देखा तो सड़क के बगल की पार्किंग मे 1 जानी-पहचानी सी कार रुकती दिखी...ये तो विकास की कार थी.कार का दरवाज़ा खुला & विकास सीमी के साथ बाहर आया.दोनो सामने वाले रेस्टोरेंट मे जा रहे थे.विकास का हाथ सीमी की कमर से चिपका हुआ था.तभी उसने सड़क पे खड़े लोगो की नज़र बचा कर टाइट पॅंट मे कसी सीमी की गंद पे चिकोटी काट ली.सीमी ने बनावटी गुस्से से उसे 1 मुक्का मारा & फिर दोनो 1 दूसरे की बाँह थामे रेस्टोरेंट के अंदर चले गये.कामिनी ने उड़ती-2 खबर सुनी थी की आजकल दोनो बिना शादी किए 1 साथ रह रहे हैं,पर डाइवोर्स के बाद आज पहली बार उसने दोनो को देखा था. कामिनी का मिज़ाज थोडा और खराब हो गया.बत्ती हरी हुई तो कार आगे बढ़ गयी.तभी उसका मोबाइल बजा,"हेलो." "नमस्कार,मेडम.मैं जायसवाल बोल रहा हू." "नमस्कार,जायसवाल साहब.कहिए क्या बात है?" "मेडम,कल शाम 8 बजे मेजेसटिक होटेल मे मैं 1 पार्टी दे रहा हू & आपको वाहा ज़रूर आना है." "जायसवाल साहब,बुरा मत मानीएगा पर मैं..-" "मेडम,आप नही आएँगी तो पार्टी कॅन्सल कर दी जाएगी.ये पार्टी मैं अपने केस जीतने की नही बल्कि आपके सम्मान मे दे रहा हू.आपको कल आना ही पड़ेगा!",जायसवाल ने उसकी बात बीच मे ही काट दी. "आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं.मैं किसी सम्मान की हक़दार नही हू." "बिल्कुल हैं.आप ना होती तो माइन तो इस बुढ़ापे मे बेगुनाह होते हुए भी जैल की सलाखो के पीच्चे होता.प्लीज़ मेडम,मैं हाथ जोड़ कर आपसे गुज़ारिश करता हू..-" "प्लीज़,जायसवाल साहब अबके आपने मुझे सचमुच शर्मिंदा कर दिया.आप मेरे पिता की उम्र के हैं,इसीलिए ऐसी बाते ना करे.मैं कल ज़रूर आऊँगी." "शुक्रिया,मेडम.बहुत-2 शुक्रिया!",उसका पार्टी मे जाने का बिल्कुल भी मन नही था पर जायसवाल साहब ने ऐसी बात कह दी थी कल अब उसे बेमान से ही जाना ही पड़ेगा. कार उसके क्लाइव रोड के बंगल मे दाखिल हो चुकी थी. ------------------------------[/size][/size]
 
कामिनी नहा कर बाथरूम से निकली,उसने अपने जिस्म पे लपेटा तौलिया उतारा & अपने कपबोर्ड से कपड़े निकालने के लिए उसे खोला कि अचानक कपबोर्ड पे लगे आदम कद शीशे मे अपने अक्स को देख ठिठक गयी.उसने कपबोर्ड का दरवाज़ा बंद किया & शीशे मे अपने नंगे बदन को निहारने लगी. क्या कमी थी उसमे?आख़िर क्यू विकास ने उसे छ्चोड़ दिया...वो भी...वो भी..उस सीमी के लिए जोकि खूबसूरती के मामले मे कामिनी के पैर की छ्होटी उंगली के नाख़ून के बराबर भी नही थी!उसने अपनी 38डी साइज़ की छातियो को दबाया,बिना ब्रा के भी कैसी तनी हुई खड़ी थी,अभी तक ज़रा भी नही झूली थी उसकी चूचियाँ...& उसका सपाट पेट....28 इंच की कमर के नीचे 36 इंच की भरी मगर पुष्ट गंद तो लोगो को दीवाना कर देती थी.1 भरा शरीर होने के बावजूद कही से भी माँस की कोई परत झूलती नही दिखाई दे रही थी-ऐसी कसी,गदराई जवानी को छ्चोड़ विकास उस सुखी सी सीमी के पास कैसे चला गया? उसने आज तक ये सवाल विकास से नही पुचछा था.वो 1 बहुत स्वाभिमानी लड़की थी-वो उसके सामने रो कर गिड़गिदकर उसके सामने कमज़ोर नही पड़ना चाहती थी.कमर को मोड़ उसने शीशे मे अपनी गंद को निहारा & जैसे उसे जवाब मिल गया...विकास सीमी की गंद के पीछे पागल हो गया था.सीमी छ्होटे कद की पतली-दुबली लड़की थी मगर उसकी गंद बहुत मस्त थी...उस दिन ऑफीस मे विकास उसे पीछे से चोद रहा था,आज भी उसकी गंद पे उसके हाथ पागलो की तरह मचल रहे थे.... हुन्ह..!तो बस 1 गंद के लिए उसने अपनी बीवी से बेवफ़ाई की!वो नंगी ही अपने बिस्तर पे लेट गयी..क्या यही गहराई थी उनके प्यार मे?उसने विकास के अलावा कभी किसी और के बारे मे नही सोचा...उसे अपने तन,मन से पूरी तरह टूट कर चाहा & विकास..लेकिन क्या सिला मिला इस अच्छाई का,इस वफ़ा का उसे?जिसने ग़लती की थी वो तो आज भी मज़े से गुलच्छर्रे उड़ा रहा था & वो यहा विधवाओं जैसा जीवन बिता रही थी. पर अब ऐसा नही होगा.वो भी अपनी ज़िंदगी का पूरा मज़ा उठाएगी.अब वो ऐसे उदास नही रहेगी.1 विकास चला गया तो क्या हुआ?कल कोई और आएगा जोकि फिर से उसका अकेलापन दूर करेगा...& ऐसा क्यू नही होगा-वो खूबसूरत थी,जवान थी....पर इस बार वो प्यार & रिश्तो के पचदे मे नही पड़ेगी,केवल अपने जिस्म की ज़रूरतो को पूरा करेगी.....अगर कोई मर्द स्वार्थी हो केवल अपने मज़े के बारे मे सोच सकता है तो 1 औरत क्यू नही?...आज 4 महीनो मे पहली बार उसे 1 मर्द के बदन की ज़रूरत महसूस हुई थी,लेकिन ऐसा भी नही था कि वो जिस किसी के भी साथ सो जाने को तैय्यार हो गयी थी,उसने तय कर लिया था की वो केवल उस मर्द के साथ हमबिस्तर होगी जो उसकी कद्र करेगा & जिसमे उसे अपने बिस्तर तक ले जाने का हौसला होगा,हिम्मत होगी. पहले तो उसे कल की पार्टी मे जाने का दिल नही था पर अब उसने सोच लिया कि कल वो ज़रूर जाएगी & पार्टी को पूरी तरह से एंजाय करेगी.वो पहले वाली,आत्मा-विश्वास से भारी,ज़िंदाडिल कामिनी लौट आई थी & इस बार उसके दिल मे ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाने की उमंग और भी ज़्यादा थी. नीले रंग की सारी & स्लीव्ले ब्लाउस मे खुले बालो वाली कामिनी शायद पार्टी मे सबसे खूबसूरत लग रही थी.पार्टी बड़ी शानदार थी,ऐसा लगता था जैसे जायसवाल ने पूरे पंचमहल को बुला रखा था. "..ये मिस्टर.शर्मा हैं,मेडम & शर्मा जी,कामिनी जी को तो आप जानते ही हैं.ये नही होती तो मैं तो लूट ही गया था,साहब!",जब केस जीतने के बाद जायसवाल ने पहली बार ये बात कही थी तो कामिनी को अच्छा लगा था,कल फोन पे पार्टी का इन्विटेशन देते वक़्त उसने ये बात कुच्छ ऐसे दोहराई थी कि कामिनी को शर्मिंदगी महसूस हुई पर आज शायद ये पचसवाँ मेहमान था जिस से वो ये बात कह रहा था & अब कामिनी को कोफ़्त होने लगी थी.वो बहाने से दोनो के पास से हटी & 1 गुज़रते हुए वेटर की ट्रे से मोकक्थाइल का ग्लास उठा कर 1 कोने मे खड़ी हो पीने लगी. "आपका मुँह दर्द कर रहा होगा ना?",कामिनी ने चौंक कर गर्दन घुमाई तो पाया कि लगभग उसी की उम्र का एक 6 फ्ट का लंबा,गोरा,क्लीन-शेवन,हॅंडसम शख्स खड़ा है & उसके चेहरे पे 1 शरारत भरी पर भली मुस्कान सजी है. "जी?!" "मैं काफ़ी देर से देख रहा हू,मिस्टर.जायसवाल आपको हर गेस्ट से 1 ही बात कह के इंट्रोड्यूस करवा रहे हैं & आपको ज़बरदस्ती मुस्कुराना पड़ रहा है.अब ऐसे मे मुँह तो दुखेगा ही ना!",उसने आख़िरी लाइन कुच्छ इस अंदाज़ मे कही की कामिनी को हँसी आ गयी,"आपकी तारीफ?" "करण मेहरा",उसने अपना हाथ कामिनी की तरफ बढ़ाया,"..& मेरा भी हाल कुच्छ-2 आप ही के जैसा है." "वो कैसे?",कामिनी ने उस से हाथ मिलाया. "मैं प्लेक्ट्रॉनिक्ष कंपनी के सेल्स & मार्केटिंग डिविषन का रीजनल मॅनेजर हू & जायसवाल साहब 8हमारे बड़े डीलर्स मे से 1 हैं.अब उनको नाराज़ करना तो अपने पैरो पे खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा होता तो मुझे इस पार्टी मे आना पड़ा.आपकी तरह मैं भी यहा आए काफ़ी लोगो को नही जानता हू.आपको ज़बरदस्ती मुस्कुराना पड़ रहा है & मुझे अकेले बोर होना पड़ रहा है!",दोनो हंस पड़े. "मैं कामिनी शरण हू." "अब आपके बारे मे कौन नही जानता-आप नही होती तो जायसवाल साहब तो लुट गये होते!",दोनो 1 बार फिर खिलखिला उठे.तभी कारण ने हँसी रोक कर संजीदा शक्ल बना ली,"लीजिए,आपका शुक्रगुज़ार फिर से आपको ढूंढता चला आ रहा है.",कामिनी ने परेशानी से आँखे उपर की & फिर मुस्कुराते हुए घूमी. "मेडम,आइए आपको अपंहे सबसे खास मेहमान से मिलवाऊं." "एक्सक्यूस मी.",कामिनी ने करण से कहा & जायसवाल के साथ चली गयी. "इनसे मिलिए,मेडम मिस्टर.शत्रुजीत सिंग & उनकी पत्नी.",सामने 6'3" का 1 कसरती बदन वाला सांवला सा हॅंडसम शख्स खड़ा था...तो ये था शत्रुजीत सिंग,अमरजीत सिंग का बेटा.अमरजीत सिंग पंचमहल के एंपी थे & त्रिवेणी ग्रूप के मालिक & अभी 3 महीने पहले ही उनका देहांत हुआ था.त्रिवेणी ग्रूप कन्स्ट्रक्षन,आइरन ओर एक्सपोर्ट,ऑटो पार्ट्स,सेमेंट मॅन्यूफॅक्चरिंग के बिज़्नेस से जुड़ा 1 काफ़ी बड़ा नाम था.शत्रुजीत सिंग की तस्वीरे कामिनी को हुमेशा अख़बारो के पेज 3 मे छप्ने वाली हाइ प्रोफाइल पार्टीस की तस्वीरो मे नज़र आती रहती थी.उसकी इमेज 1 प्लेबाय की थी. "..ये नही होती तो मैं तो लुट ही गया था!",जायसवाल फिर से वही बात कह रहा था. "आपने ऐसा कैसे सोच लिया था,जायसवाल साहब?ये संतोष चंद्रा साहब की शागिर्द हैं.जब इन्होने आपका मुक़दमा लड़ने की हामी भरी थी,आपको तो तभी निश्चिंत हो जाना चाहिए था कि अब आप केस ज़रूर जीतेंगे.",उसने कामिनी की तरफ हाथ बढ़ाया. "आपको कैसे पता कि मैं चंद्रा सर की असिस्टेंट थी?",कामिनी ने हाथ मिलाया,शत्रुजीत की बड़ी सी हथेली मे उसका नाज़ुक सा कोमल हाथ जैसे खो सा गया.शत्रुजित ने उसके हाथ को हल्के से दबाया तो कामिनी के बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी.वो बेबाक निगाहो से उसकी आँखो मे झाँक रहा था.रीमा को उसका हाथ दबाना 1 प्लेबाय की हरकत लगी पर उसकी आँखो मे कही भी छिछोरपन नही था. "चंद्रा साहब हुमारे ग्रूप के लीगल आड्वाइज़र थे & हमारे सारे केसस वही हॅंडल करते थे.अब उनकी तबीयत कुच्छ ठीक नही रहती सो उन्होने काम करना कम कर दिया है & अब वो हमारे केस नही देखते.",कामिनी को थोड़ी शर्म आई की वो अभी तक अपने गुरु का हाल पुच्छने 1 बार भी नही गयी थी.उसने उसकी पत्नी की तरफ हाथ बढ़ाया,"हेलो!आइ'एम कामिनी शरण." "हाई!आइ'एम नंदिता.",उस खूबसूरत महिला ने उस का बढ़ा हाथ थाम लिया.दोनो मिया-बीवी की उम्र 35 के करीब होगी पर दोनो 29-30 बरस से ज़्यादा के नही लगते थे. "चलिए,खाना खाते हैं.",जायसवाल सबको खाने की टेबल की तरफ ले गया. ---------------------------
 
[size=large]रात बिस्तर पे कामिनी नंगी पड़ी हुई थी.आज वो पार्टी मे कयि लोगो से मिली पर 2 ही लोग ऐसे थे जिन्होने उसके उपर कोई असर किया था.पहला था करण जिसका अच्छे बर्ताव & खुशदील मिज़ाज उसे बहुत पसंद आया था,उसने 1 बार भी उसके साथ फ्लर्ट करने की कोशिश नही की थी. और दूसरा शख्स था शत्रुजीत सिंग.वो 1 अय्याश के रूप मे मशहूर था..तो क्या उसकी पत्नी को उस बात से कोई परेशानी नही होती थी?वो तो अपने पति की बेवफ़ाई ज़रा भी बर्दाश्त नही कर पाई थी,फिर नंदिता कैसे उसके साथ रह लेती थी?शत्रुजीत के हाथो की छुअन याद आते ही उसके नंगे बदन मे झुरजुरी दौड़ गयी & उसका हाथ उसकी चूत से सॅट गया.कैसी बेबाक नज़रे थी शत्रुजीत की,लगता था जैसे उसके अंदर तक झाँक रही हो. दोनो ही मर्द हॅंडसम थे पर स्वाभाव कितना अलग था दोनो का!कामिनी का दूसरा हाथ उसके सीने को दबाने लगा.दोनो मर्दो की याद से उसके बदन मे कसक सी उठने लगी थी.कामिनी अपनी उंगली से अपने चूत के दाने को रगड़ती हुई उस कसक को शांत करने की कोशिश करने लगी.वो जानती थी कि थोड़ी देर मे वो झाड़ जाएगी & फिर उसे नींद आ जाएगी पर उसके दिल को वो सुकून नही मिल पाएगा जिसकी उसे तलाश थी.वो सुकून तो केवल 1 मर्द की बाहो मे ही उसे मिल सकता था. पर जब तक कोई मर्द उसकी ज़िंदगी मे नही आता,उसे खुद ही अपनी प्यास बुझानी होगी.उसने करवट ली & अपने हाथ को अपनी जाँघो मे भींच अपने हाथ की रफ़्तार तेज़ कर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगी. क्रमशः...................[/size]
 
[size=large][size=large]गहरी चाल पार्ट--3
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पंचमहल स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के जॉगिंग ट्रॅक पे सवेरे 7 बजे कानो मे इपॉड लगाए कामिनी भागी जा रही थी.उसने काले रंग की टी-शर्ट & ट्रॅक पॅंट पहनी थी,जोकि उसके बदन से चिपकी हुई थी.इस लिबास मे उसके बदन की गोलाइयाँ कुच्छ ज़्यादा उभर रही थी & सवेरे की सैर कर रहे बूढ़े & बाकी जॉगर्स को ललचा रही थी. उनकी निगाहो से बेपरवाह कामिनी जॉगिंग कर रही थी कि तभी उसके बगल मे जॉगिंग करते 1 शख्स ने उसके कंधे पे हाथ रखा,"हेलो!" कामिनी ने भागते हुए गर्दन घुमाई & उसके रसीले होंठो पे मुस्कान खिल उठी,उसने कान से इपॉड के प्लग्स निकाले,"हेलो!मिस्टर.मेहरा.",पा


[size=large][size=large]र्टी की रात को 1 हफ़्ता बीत चुका था & कामिनी को ये मलाल था कि उसने करण से उस दिन ज़्यादा बातचीत क्यू नही की-हो सकता था ऐसा करने से अगली मुलाकात का कोई रास्ता खुल जाता.इसीलिए करण को देख उसे बहुत खुशी हुई. "प्लीज़,ये मिस्टर.मेहरा मत कहिए केवल करण कहिए,कामिनी जी.लगता है जैसे जॉगिंग नही,ऑफीस मे बैठा कोई मीटिंग कर रहा हू!" "ओके.तो आप भी मुझे कामिनी जी नही,केवल कामिनी कह के पुकारेंगे.",कामिनी हंस पड़ी. "ओके.डन!",उसने अपना हाथ कामिनी की ओर बढ़ाया & कामिनी ने अपना हाथ आगे कर उस से हाथ मिला लिया. "कामिनी,आपको पहले यहा नही देखा?" "मैं कभी-कभार ही आती थी,पर अभी 3 दिन पहले तय किया की रोज़ आऊँगी,कुच्छ वर्ज़िश तो होनी चाहिए ना!वरना तो दिन भर कुर्सी पे बैठे रहो." "बिल्कुल सही सोचा है आपने.अगर बिज़्नेस टूर पे ना राहु,तो मैं तो यहा रोज़ आता हू." "यानी की अब आप से रोज़ मुलाकात होगी ?" "बिल्कुल." ------------------------------------------------------------------------------- आज किसी केस की सुनवाई नही थी,इसीलिए कामिनी अपने ऑफीस जाने के लिए तैय्यार हो रही थी.काली पॅंट पे नीले रंग की धारियो वाली फॉर्मल शर्ट डाल कर वो आईने मे देखती हुई उसके बटन लगा रही थी.उसकी निगाह तो शीशे पे थी पर दिमाग़ मे सवेरे कारण से हुई मुलाकात घूम रही थी. कारण टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे जॉगिंग करने आया था & उस से बाते करते वक़्त कामिनी चोर निगाहो से उसकी पुष्ट जंघे & बालो भारी टाँगो को देख रही थी.1 बार जब कारण उस से थोडा आगे हो गया तो उसकी नज़र उसकी कसी गंद पे पड़ी तो उसके दिमाग़ मे अचानक 1 तस्वीर उभरी की वो उसकी चूत मे अपना लंड घुसाए उसके उपर पड़ा है & वो उसकी गंद को अपने हाथो से मसल्ते हुए अपने नाख़ून उसमे गढ़ा रही है. शर्ट का आख़िरी बटन लगाते ही उसका मोबाइल बजा & वो अपने सपने से बाहर आई & उसकी निगाह शीशे मे अपने अक्स से जा मिली & शर्म की लाली उसके चेहरे पे फैल गयी-कैसी,कैसी बाते सोच रही थी वो! अपनेआप पे मुस्कुराते हुए उसने मोबाइल उठा कर देखा,उसकी सेक्रेटरी रश्मि फोन कर रही थी,"हेलो,रश्मि.कहो क्या बात है?" "गुड मॉर्निंग,मॅ'म.अभी मिस्टर.षत्रुजीत सिंग की सेक्रेटरी का फोन आया था,वो अपने बॉस के लिए इम्मीडियेट अपायंटमेंट माँग रही थी.मैने तो कह दिया कि अभी तो 2-3 दीनो तक मुश्किल है पर वो मान ही नही रही.वैसे अगर चाहे,मॅ'म तो आज दोपहर 12 बजे का टाइम मैं उन्हे दे सकती हू.अब बताएँ क्या करना है?" "ह्म्म..ज़रा सोचने दो..",आख़िर ये शत्रुजीत सिंग को उस से क्या काम आन पड़ा?..& वो भी इतनी अर्जेन्सी किस बात की है..?,"..रश्मि.." "जी,मॅ'म." "उन्हे आज 12 बजे का टाइम दे दो." "ओके,मॅ'म." "..& मुकुल आ गया?" "जी,अपनी टेबल पे कुच्छ काम रहा है." "ठीक है.उस से कहना विद्या खन्ना वाले केस की डीटेल्स रेडी रखे.मैं बस आधे घंटे मे पहुँचती हू." "ओके,मॅ'म.मैं अभी कह देती हू." -------------------------------------------------------------------------------[/size][/size]
 
उधर घड़ी ने 12 बजाए & इधर रश्मि ने कामिनी को इंटरकम पे शत्रुजीत सिंग के आने की खबर दी.आदमी वक़्त का पाबंद था & ये बात कामिनी को बहुत अच्छी लगी.वक़्त की कद्र ना करने वालो से उसे बहुत चिढ़ होती थी. दरवाज़ा खुला & शत्रुजीत सिंग 2 और लोगो के साथ उसके कॅबिन मे दाखिल हुआ,"हेलो,मिस.शरण." "हेलो,मिस्टर.सिंग & यू कॅन कॉल मी कामिनी.प्लीज़ बैठिए.",उसने खड़े होकर उसके साथ आए बाकी 2 लोगो का भी सर हिला के अभि वादन किया & अपने डेस्क के दूसरी तरफ रखी कुर्सियो की तरफ इशारा किया. "थॅंक यू.",शत्रुजीत & उसके साथ आए दो लोगो मे से बुज़ुर्ग सा दिखने वाला शख्स तो बैठ गया पर वो तीसरा आदमी खड़ा ही रहा."ये हैं मिस्टर.जयंत पुराणिक,हमारे ग्रूप को यही चलाते हैं.मैं तो बस नाम का मलिक हू,ग्रूप की असली कमान तो अंकल जे के हाथो मे है." "हेलो,सर.",कामिनी ने पुराणिक की ओर देखा,वो 1 50-55 बरस का शख्स था जिसके बॉल पूरे के पूरे सफेद हो चुके थे.चेहरे पे 1 बहुत सौम्य मुस्कान थी.ग्रे सूट & नीली शर्ट मे बैठे पुराणिक को देख कामिनी को ऐसा लगा जैसे कि वो 1 यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के सामने बैठी है.उसे वो 1 निहायत ही शरीफ & समझदार इंसान लगा. "हेलो,मिस.शरण.",जवाब मे पुराणिक मुस्कुराए. "..और ये है पाशा,अब्दुल पाशा,मेरा छ्होटा भाई..",कामिनी चौंकी पर उसने अपने चेहरे पे कोई भी ऐसा भाव आने नही दिया...दोनो अलग-2 मज़हब के थे और भाई!पर खैर उसे क्या करना था इस बात से.. "हेलो,मिस्टर.पाशा.",उसने उस इंसान की तरफ देखा.25-26 साल का बहुत गोरा,खूबसूरत जवान,उसके बॉल गर्दन तक लंबे थे & चेहरे पे हल्की दाढ़ी थी.कद तो शायद शत्रुजीत से भे 2-3 इंच ज़्यादा ही था & बदन भी उसी के जैसा कसरती.उसने सफेद शर्ट & डीप ब्लू जीन्स पहन रखी थी.शर्ट की बाज़ुएँ कोहनियो तक मूडी थी & उसकी मज़बूत बाहे सॉफ दिख रही थी. कामिनी 1 बेहद निडर लड़की थी पर पाशा को देख उसे थोडा डर महसूस हुआ.कारण था पाशा की हरी आँखें-झील के रंग की आँखे.पर किसी बर्फ़ीली झील की तरह बिल्कुल ठंडी थी वो आँखे,लगता था जैसे खून जमा देंगी. "हेलो.",पाशा ने जवाब दिया. "कहिए क्या काम आ पड़ा मुझसे?" "कामिनी जी,मैं आपके पास 1 रिक्वेस्ट करने आया हू." "हां,हां.कहिए.",उसका चपरासी कोल्ड ड्रिंक के ग्लास लाकर टेबल पे रख रहा था.उसने उस खड़े हुए शख्स को भी 1 ग्लास दिया पर उसने सर हिलाकर मना कर दिया. "मैं चाहता हू कि आप हमारे ग्रूप की लीगल आड्वाइज़र बन जाएँ." "पर चंद्रा सर तो ऑलरेडी आपके आड्वाइज़र हैं?" "आपको शायद याद नही,कामिनी.मैने उस दिन पार्टी मे आपसे कहा था कि उनकी तबीयत अब ठीक नही रहती तो वो अब हमारे केसस नही देख पाते.आपका नाम भी उन्होने ही हमे सुझाया है." "अगर सर ने कहा है तब तो मैं मना नही कर सकती पर फिर भी मुझे 2 दिन की मोहलत दीजिए थोड़ा सोचने के लिए." "ज़रूर.टेक युवर टाइम...तो हम चले?आप फ़ैसला लेके मुझे खबर कर दीजिएगा." "ओके,मिस्टर.सिंग & आइ मस्ट से आइ'एम होनोरेड बाइ युवर ऑफर." "थॅंक यू,कामिनी.",शत्रुजीत ने अपना हाथ आगे किया तो कामिनी ने उसे थाम लिया.1 बार फिर उस बड़े से हाथ मे उसका कोमल हाथ खो गया & उसके बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी. "खुश रहो,बेटी.आओ बैठो",कामिनी ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पाँव च्छुए.षत्रुजीत के जाने के बाद ही उसने फ़ैसला कर लिया था कि आज वो चंद्रा साहब से मिलने उनके घर ज़रूर जाएगी. "आंटी कहा हैं,सर?",कामिनी सोफे पे बैठ गयी. "मैं यहा हूँ,आज याद आई हमारी !",चंद्रा साहब की पत्नी ड्रॉयिंग हॉल मे दाखिल हुई तो कामिनी ने उठ कर उनके भी पाँव च्छुए. "जीती रहो.",उसका हाथ पकड़ उन्होने बड़े सोफे पे उसे अपने साथ बिठा लिया. "सॉरी,आंटी.सोच तो बहुत दीनो से रही थी पर हुमेशा कुच्छ ना कुच्छ काम बीच मे आ जाता था.मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था कि मैं अभी तक सर का हाल पुच्छने नही आ सकी." "मेरा हाल क्या पूच्छना,बेटी.बुढ़ापे मे ये सब तो लगा ही रहता है.और अपनी आंटी की बातो पे ज़्यादा ध्यान मत दो,मैं समझता हूँ तुम्हारी परेशानी." "हां भाई.अपनी आंटी की बात पे नही केवल अपने सर की बात पे ध्यान देना!"चंद्रा साहब & कामिनी हँसने लगे. "कामिनी,आज का खाना तुम यही खओगि.",नौकर शरबत & कुच्छ नाश्ता रखा गया था.म्र्स.चंद्रा ने कामिनी लो शरबत का ग्लास बढ़ाया. "नही,आंटी.आप बेकार मे परेशान होंगी." "चुप चाप से बैठी रह!इतने दिन बाद आई है & बस 5 मिनिट मे भागना चाहती है.ज़्यादा नखरे करेगी तो फिर सवेरे के नाश्ते के बाद ही जाने दूँगी.",1 बार फिर ड्रॉयिंग हॉल मे हँसी का शोर गूँज उठा. "तो शत्रुजीत ने तुम्हे ऑफर दे ही दिया?",चंद्रा साहब दोनो औरतो के साथ खाने की मेज़ पे बैठे थे & नौकर सबको खाना परोस रहा था. "..उसने ठीक कहा कामिनी,मैने ही उसे तुम्हारा नाम सुझाया था." "सर,मैने इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी आज तक नही उठाई है.1 पूरे बिज़्नेस हाउस को क़ानूनी मशविरे देना..मुझे नही लगता मैं ये कर पाऊँगी.",रीमा ने 1 नीवाला मुँह मे डाला. "हर बड़े काम के पहले ऐसा ही लगता है,बेटी.पर ये इस बात का इशारा होता है कि हम उस काम को करते वक़्त पूरी तरह से मुस्तैद रहेंगे कि कही हमसे कोई ग़लती ना हो जाए.कुच्छ लोग इस घबराहट के मारे काम को हाथ नही लगाते पर वो चंद लोग जो इस घबराहट के बावजूद काम करने का बीड़ा उठाते हैं,वो ज़रूर कामयाब होते हैं." "सर,मैं आपकी बात मान कर शत्रुजीत सिंग को हाँ तो कर दू,लेकिन मैं उसके बारे मे बिल्कुल नही जानती कि आख़िर वो किस तरह का इंसान है & उसके काम करने का ढंग कैसा है." "मुझे तो वो 1 नंबर का अय्याश लगता है,इतने शरीफ बाप का ऐसा बिगड़ा बेटा!",म्र्स.चंद्रा कामिनी के प्लेट मे थोड़ी सब्ज़ी डालते हुए बोली. "वो उसकी ज़ाति ज़िंदगी है,उस से उसके वकील का क्या लेना-देना,भाई!",चंद्रा साहब ने पानी का घूँट भरा,"..कामिनी,मैं अमरजीत सिंग को काफ़ी करीब से जानता था,वो 1 बहुत शरीफ & सच्चे इंसान थे.देखो,इतना बड़ा बिज़्नेस चलाने मे 1 इंसान को नियमो को तोड़ना नही मरोड़ना पड़ता है,वो भी करते थे मगर फिर भी मैं यही कहूँगा की वो 1 ईमानदार & सच्चे इंसान थे." "मैं आपका मतलब नही समझी." "बेटी,अगर नियमो को तोड़ेंगे तो आज नही तो कल सज़ा भी भुगतनी पड़ेगी,है ना?" कामिनी ने हां मे सर हिलाया. "
 
[size=large].तो 1 अच्छा बिज़्नेसमॅन वो है जोकि नियमो को तोड़े नही बस उन्हे मोड अपने फ़ायदे के लिए.इस बात को इस तरह से समझो-अगर रास्ते मे ट्रॅफिक जाम है तो तुम क्या करोगी उस रास्ते को छ्चोड़ किसी & रास्ते को पाक्ड़ोगी & जाम से बच कर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ोगी." अब कामिनी की समझ मे उसके गुरु की बात आ गयी. "..तो अमरजीत सिंग 1 बहुत अच्छे बिज़्नेसमॅन थे पर उन्होने आज तक ना कभी झूठ बोला ना कभी किसी को धोखा दिया.हम वकील क्या चाहते हैं?यही ना की हुमारा मुवक्किल हमे पूरी सच्चाई बताए ताकि हम उसकी पूरी तरह से मदद कर सके तो कामिनी,अमरजीत सिंग ऐसे ही मुवक्किल थे." "..अब उनके बेटे के बारे मे मैं भी सुनता रहता हू कि वो अय्याश है,मगर जब से उसने त्रिवेणी ग्रूप जाय्न किया है,तब से मैने उसे भी करीब से देखा है & ये जाना है कि उसने अपने बाप के सारे गुण विरासत मे पाए हैं.उन्ही की तरह उसकी भी सबसे बड़ी ख़ासियत है उसकी सच्चाई." "बेटी,वो अपनी ज़ाति ज़िंदगी मे क्या करता है,उस से तुम्हे क्या लेना है?तुम्हे उसके बिज़्नेस से जुड़े क़ानूनी केसस मे उसकी मदद करनी है.अगर तुम उसका ऑफर कबूल करती हो,मैं यकीन से कहता हू जैसे उसके पिता मेरे लिए 1 आदर्श मुवक्किल थे वो भी तुम्हारे लिए वोही साबित होगा." "..& हां,1 बात और.अमरजीत सिंग संसद मे पंचमहल के एंपी थे.मैने कुच्छ उड़ती हुई ख़बरे सुनी है कि उनकी पार्टी चाहती है कि उनकी जगह उनके बेटे शत्रुजीत को एंपी का चुनाव लड़ने का टिकेट दिया जाय...& जहा तक मैं समझता हू,शत्रुजीत भी ऐसा चाहता है,आख़िर ये उसके बिज़्नेस के लिए भी फयदेमंद होगा.अगर ऐसा होता है,तब तुम्हारा काम थोड़ा पेचीदा हो सकता है." "वो कैसे,सर?",खाना ख़त्म हो चुका था & अब म्र्स.चंद्रा उसे खीर परोस रही थी. "बिज़्नेस मे शत्रुजीत को उसके बिज़्नेस रिवल्स से परेशानियो का सामना करना पड़ सकता है.पर ये आसान बात है,वो जानता है की उसके रिवल्स कौन हैं तो तुम्हारे लिए भी उनके खड़े किए हुए क़ानूनी रुकावतो को दूर करना आसान होगा." "..लेकिन बेटा अगर शत्रुजीत चुनाव लड़ने को तैय्यार हो जाता है,तो केवल विरोधी पार्टी वाले उसके लिए रुकावते नही खड़ी करेंगे बल्कि ऐसा भी हो सकता है कि कुच्छ उसकी अपनी पार्टी के लोग भी उसकी परेशानियो का सबब बने.आख़िर पॉलिटिक्स मे तो ये आम बात है-पता नही कौन आपसे कब नाराज़ हो जाए & फिर आपकी जड़े काटने की कोशिश करने लगे." चंद्रा साहब ने बिल्कुल सही कहा था.1 ऐसा शख्स था जोकि शत्रुजीत सिंग से बहुत नाराज़ था. क्रमशः....................[/size]
 
[size=large][size=large]गहरी चाल पार्ट--4
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[size=large][size=large]वो इंसान इस वक़्त देल्ही के 1 फार्महाउस के स्विम्मिंग पूल की दीवार से लग कर कमर तक पानी मे बैठा था.वो सिर्फ़ अंडरवेर मे था & इस कारण ये सॉफ ज़ाहिर हो रहा था की 55 बरस की उम्र होने के बावजूद उसका 6 फ्ट लंबा सांवला बदन अभी भी गथीला था.उसके चेहरे पे 1 काली मून्छ थी & सर पे काले-सफेद खिचड़ी बॉल,जिन्हे उसने दाई तरफ से माँग कर 1 खास अंदाज़ मे सेट करवाया था. उसकी दाई बाँह के घेरे मे,2 पीस सफेद बिकिनी पहने एक 20 साल की खूबसूरत लड़की बैठी थी जिसे वो अपने से चिपका कर चूम रहा था.चूमते हुए उसने अपनी जीभ उसके मुँह के अंदर डालने की कोशिश की तो उस लड़की ने किस तोड़ दी & अपना चेहरा घुमा लिया.उसके चेहरे पे घबराहट,झिझक & शर्म की परच्छाइयाँ सॉफ झलक रही थी. उस इंसान के चेहरे पे 1 वासना से भरी च्छिच्चोरी मुस्कान खेलने लगी.उसने लड़की के चेहरे को वापस अपनी ओर घुमाया & फिर से उसके गुलाबी होंठो को चूमने लगा. "एक्सक्यूस मी,सर.आपका फोन",उसने लड़की के होंठो को छ्चोड़ कर गर्दन घुमाई,1 दूसरी लड़की हाथ मे कॉर्डलेस फोन लिए खड़ी थी.ये लड़की पहली वाली की हमउम्र थी & उसी की तरह खूबसूरत भी,उसने भी 2 पीस बिकिनी ही पहनी थी.फ़र्क ये था की इसकी बिकिनी का रंग क़ाला था & चेहरे पे घबराहट के बजाय शरारत भरी मुस्कान खेल रही थी. वो इंसान पूल से बाहर आया & हाथ बढ़ा कर पहली लड़की की पूल से बाहर निकलने मे मदद की.कुच्छ घबराहट & कुच्छ गीले पैरों की वजह से वो लड़की लड़खड़ा गयी तो उस इंसान ने उसे अपनी बाहों मे थाम अपने सीने से चिपका लिया.उसने लड़की को इतनी ज़ोर से पकड़ा हुआ था की लड़की की बड़ी-2 चूचिया उसके बालो भरे चौड़े सीने से बिल्कुल दब गयी & उसके बिकिनी के ब्रा के गले से झँकता क्लीवेज कुच्छ ज़्यादा ही उभर आया.उसने उसकी गंद दबाते हुए उसे फिर से चूम लिया,ऐसा लग रहा था मानो 1 मेमना किसी भेड़िए के पंजो मे फँसा हो. "जाओ,ज़रा अंदर से ड्रिंक ले आओ",उसकी भारी,रोबदार आवाज़ गूँजी & उसने लड़की के जवान,नशीले जिस्म को आज़ाद कर दिया & उसकी गंद पे 1 हल्की चपत लगाई.लड़की अंदर चली गयी तो उसने उसकी मटकती गंद को घूरते हुए दूसरी लड़की के हाथ से फोन लिया & अपनी बाई बाँह उसकी गर्दन मे डाल दी & दोनो साथ-2 चलने लगे,"जगबीर ठुकराल स्पीकिंग." "क्या?!ऐसा कैसे हो सकता है मिश्रा जी?!आप उस कल के छ्होकरे को केवल इस वजह से चुनाव का टिकेट दे रहे हैं क्यूकी उसके बाप की मौत के कारण उसे लोगो के सिंपती वोट्स मिलेंगे & मेरे इतने बरसो के तजुर्बे का कोई मोल नही है?",उसके माथे पे शिकन पड़ गयी थी.पूल से थोड़ा हट कर 1 दीवार से लगा कर 2 बड़े,मोटे गद्दो बिच्छा कर 1 बिस्तर बनाया गया था.दोनो चलते हुए उसी बिस्तर तक आ गये थे. "..ठीक है,मिश्रा जी.जो आप लोगो की मर्ज़ी.",उसने लड़की को आँखो से इशारा किया तो लड़की ने बिस्तर पे पड़े ट्वेल को उठा लिया & अपने घुटनो पे बैठ कर उसके कमर से नीचे के गीले बदन को पोंच्छने लगी,"..मैं तो पार्टी का पुराना वफ़ादार हू,साहब..इतने सालो तक आप लोगो ने जो भी फ़ैसला लिया है,मैने उसे माना है,आज भी मानूँगा...नही,नही,घबराईए नही मैं पार्टी नही छ्चोड़ूँगा...",लड़की ने उसकी टाँगे पोंच्छने के बाद उसका गीला अंडरवेर निकाल दिया & काले,सफेद झांतो से घिरे उसके लंड & अंदो को सुखाने लगी,ठुकराल का 1 हाथ उसके सर पे आ गया & उसके बालो से खेलने लगा,"...हां,ठीक है.नमस्कार.",उसने फोन बंद कर लड़की को थमाया तो उसने उसे बिस्तर के बगल मे रखी तिपाई पे रख दिया. ठुकराल बिस्तर पे टांगे पसार कर बैठ गया तो वो लड़की भी उसके पहलू मे आ गयी,"हुज़ूर का मूड खराब लगता है?",उसने अपने जवान जिस्म को ठुकराल के बदन से चिपका लिया & अपनी दाई टांग उसकी टांगो पे चढ़ा अपने पैर से सहलाने लगी. ठुकराल ने अपनी दाई बाँह उसके कंधे पे लपेट दी,"जानेमन!मूड ठीक करने के लिए ही तो तुम्हे & तुम्हारी सहेली को बुलाया है.क्या नाम है तुम्हारा?" "सोना.",उस लड़की ने अपने नखुनो से ठुकराल के निपल्स को खरोंचा. "वाह!जैसा नाम वैसा ही चमकता जिस्म!",ठुकराल उसे चूमने लगा,उसका दूसरा हाथ सोना की कमर को मसल्ने लगा.सोना ने अपनी जीभ उसके मुँह मे डाल दी & ठुकराल की जीभ से खेलने लगी.ठुकराल का हाथ उसके कंधे से उतार उसकी पीठ पे फिसलता हुआ उसकी बिकिनी के ब्रा को खोलने की कोशिश कर रहा था पर इसमे उसे कामयाबी नही मिल रही थी. सोना ने हंसते हुए अपने होंठो को उसके होंठो से अलग किया & हाथ पीछे ले जा के ब्रा के हुक्स खोल दिए & बड़ी अदा से धीरे-2 उसे अपने सीने से ढालका दिया.ब्रा जैसे ही चूचियो से नीचे हुआ उसने अपनी दोनो बाहे सीने पे रख अपनी चूचियाँ ढँक ली.ठुकराल ने मुस्कुराते हुए उसके दोनो जिस्मो के बीच गिरे ब्रा को उठा कर फेंक दिया & झुक कर अपने होंठ सोना की बाँहो के उपर से झँकते हुए छातियो के हिस्से पे रख ज़ोर से चूसने लगा. "ऊऊहह......",सोना की आह निकल गयी & उसने अपनी बाहें सीने पे से हटा ठुकराल के सर को पकड़ कर अपने सीने पे भींच दिया.ठुकराल किसी भूखे कुत्ते- जिसे की अचानक बोटी मिल गयी हो-की तरह उसकी चूचियो पे टूट पड़ा.जैसे-2 उसकी ज़ुबान की हरकते तेज़ होती गयी,वैसे-2 सोना की आहें भी तेज़ होती गयी.[/size][/size]
 
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