- Joined
- Dec 5, 2013
- Messages
- 11,318
लाल हवेली
सांचे में ढली काया से वस्त्रों का आवरण जिस तेजी से अलग हुआ, उसने राज दी लायन के दिमाग के तारों को झंकृत कर डाला।
ट्रेन तेज रफ्तार से मुम्बई की ओर दौड़ी चली जा रही थी।
रात का एक बज चुका था।
जिस फर्स्ट क्लास के कूपे में वह था वो कूपा पूरी तरह खाली था।
वह दिलफरेब हसीना दो घन्टे पहले रतलाम से चढ़ी थी। उसकी आंखेंदेखते ही राज समझ गया था कि वह नशे में है और जब शराब की दुर्गन्ध नहीं आयी तब उसे ये समझते देर न लगी कि वह ड्रग एडिक्ट है। और...!
दो घंटे की कोशिश के बाद अन्तत : उसने कूपे का दरवाजा अंदर से बंद करके अपने समूचे वस्त्र उतार डाले। उसने राज की गोद में मचलते हुए अपनी गोरी गुदाज बांहों का हार उसकी गर्दन में पहना दिया।
"इतनी देर तुमने बेकार की बातों में लगा दी हनी..अब प्यार करने में देर न करो। मैं जन्म-जन्म कीप्यासी हूं। मेरी प्यास बुझा दो।" युवती ने उसके अधरों से अपने कपोल रगड़ते हुए उसके दोनों हाथ अपने वक्षों पर पहुचाने के बाद कामुक स्वर में कहा।
राज हालांकि पीछे हट रहा था।
वह यात्रा के दौरान किसी झंझट में पड़ना नहींचाहता था।
लेकिन!
युवती का हाहाकारी रूप देख...उसके संगमरमरी जिस्म का स्पर्श पाकर वह अपने आप पर काबू न रख सका। उसकी मजबूत बांहेंयुवती के जिस्म को अपने बंधन में कस लेने को विवश हो गईं और उसने युवती के अधरों से अधर जोड़ते हुए उसके अंगों के उभारों को सहलाना शुरू कर दिया।
।
युवती के मुख से कामुक सीत्कार उभरने लगे। उसने उत्तेजित होते हुए राज के शरीर से वस्त्रों को अलग करना शुरू कर दिया।
शीघ्र वह निर्वसन हो गया।
युवती के संगमरमरी बदन पर काले रंग की बिकनी शेष थी। राज की उंगलियों ने उसकी शीशे जैसी चिकनी पीठ पर फिसलते हुए चोली का हुक खोल डाला। उसके बाद एक-एक कर चड्डी और चोली हवा में उछल गईं।
वहीं बर्थ पर युवती फैल गई।
नग्न जिस्म जब आलिंगनबद्ध हुए तो उस चिकने स्पर्श ने कामुक उत्तेजना में अकस्मात् ही वृद्धि कर दी। राज के कठोर स्पर्श को अनुभव कर युवती आन्दोलित हो उठी।
उसके मुख से रह-रहकर कामुक सीत्कार उभरने लगे। वह लता के समान राज से लिपट गई। राज उसके चेहरे से लेकर नाभि तक चुम्बनों का मार्ग बनाए हुए था। आनन्दातिरेक उस युवती ने एक बार तो राज का चेहरा अपने उन्नत वक्षों में भींच लिया। उस कोमल स्पर्श ने उत्तेजना में और अधिक वृद्धिकर दी। सांसों का शोर बढ़ने लगा।
अधरों से अधर जुड़ गए। गर्म सांसें घुलने लगींरात के अंधेरे में ट्रेन तेज रफ्तार के साथ पटरियों पर दौड़ी चली जा रही थी।
युवती राज को बदन तोड़ ढंग से सहयोग कर रही थी।
उसके बाद थककर चूर होकर वे दोनों एक-दूसरे की बांहों में गुंथे-गुंथे ही सो गए।
फिर युवती ने किसी प्रकार धीरे-धीरे अपने-आपको जब राज की बांहों निकाला तब एक घंटा गुजर चुका था। उसने वासना की उस जंग में राज को इस कदर थका डाला था कि वह बेहोशी जैसी हालत में पहुंच चुका था।
सांचे में ढली काया से वस्त्रों का आवरण जिस तेजी से अलग हुआ, उसने राज दी लायन के दिमाग के तारों को झंकृत कर डाला।
ट्रेन तेज रफ्तार से मुम्बई की ओर दौड़ी चली जा रही थी।
रात का एक बज चुका था।
जिस फर्स्ट क्लास के कूपे में वह था वो कूपा पूरी तरह खाली था।
वह दिलफरेब हसीना दो घन्टे पहले रतलाम से चढ़ी थी। उसकी आंखेंदेखते ही राज समझ गया था कि वह नशे में है और जब शराब की दुर्गन्ध नहीं आयी तब उसे ये समझते देर न लगी कि वह ड्रग एडिक्ट है। और...!
दो घंटे की कोशिश के बाद अन्तत : उसने कूपे का दरवाजा अंदर से बंद करके अपने समूचे वस्त्र उतार डाले। उसने राज की गोद में मचलते हुए अपनी गोरी गुदाज बांहों का हार उसकी गर्दन में पहना दिया।
"इतनी देर तुमने बेकार की बातों में लगा दी हनी..अब प्यार करने में देर न करो। मैं जन्म-जन्म कीप्यासी हूं। मेरी प्यास बुझा दो।" युवती ने उसके अधरों से अपने कपोल रगड़ते हुए उसके दोनों हाथ अपने वक्षों पर पहुचाने के बाद कामुक स्वर में कहा।
राज हालांकि पीछे हट रहा था।
वह यात्रा के दौरान किसी झंझट में पड़ना नहींचाहता था।
लेकिन!
युवती का हाहाकारी रूप देख...उसके संगमरमरी जिस्म का स्पर्श पाकर वह अपने आप पर काबू न रख सका। उसकी मजबूत बांहेंयुवती के जिस्म को अपने बंधन में कस लेने को विवश हो गईं और उसने युवती के अधरों से अधर जोड़ते हुए उसके अंगों के उभारों को सहलाना शुरू कर दिया।
।
युवती के मुख से कामुक सीत्कार उभरने लगे। उसने उत्तेजित होते हुए राज के शरीर से वस्त्रों को अलग करना शुरू कर दिया।
शीघ्र वह निर्वसन हो गया।
युवती के संगमरमरी बदन पर काले रंग की बिकनी शेष थी। राज की उंगलियों ने उसकी शीशे जैसी चिकनी पीठ पर फिसलते हुए चोली का हुक खोल डाला। उसके बाद एक-एक कर चड्डी और चोली हवा में उछल गईं।
वहीं बर्थ पर युवती फैल गई।
नग्न जिस्म जब आलिंगनबद्ध हुए तो उस चिकने स्पर्श ने कामुक उत्तेजना में अकस्मात् ही वृद्धि कर दी। राज के कठोर स्पर्श को अनुभव कर युवती आन्दोलित हो उठी।
उसके मुख से रह-रहकर कामुक सीत्कार उभरने लगे। वह लता के समान राज से लिपट गई। राज उसके चेहरे से लेकर नाभि तक चुम्बनों का मार्ग बनाए हुए था। आनन्दातिरेक उस युवती ने एक बार तो राज का चेहरा अपने उन्नत वक्षों में भींच लिया। उस कोमल स्पर्श ने उत्तेजना में और अधिक वृद्धिकर दी। सांसों का शोर बढ़ने लगा।
अधरों से अधर जुड़ गए। गर्म सांसें घुलने लगींरात के अंधेरे में ट्रेन तेज रफ्तार के साथ पटरियों पर दौड़ी चली जा रही थी।
युवती राज को बदन तोड़ ढंग से सहयोग कर रही थी।
उसके बाद थककर चूर होकर वे दोनों एक-दूसरे की बांहों में गुंथे-गुंथे ही सो गए।
फिर युवती ने किसी प्रकार धीरे-धीरे अपने-आपको जब राज की बांहों निकाला तब एक घंटा गुजर चुका था। उसने वासना की उस जंग में राज को इस कदर थका डाला था कि वह बेहोशी जैसी हालत में पहुंच चुका था।