Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना

desiaks

Administrator
Joined
Aug 28, 2015
Messages
24,893
पापी परिवार की पापी वासना

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा एक और मस्त कहानी लेकर आया हूँ जो आपका भरपूर मनोरंजन करेगी

कवल वयस्कों के लिये

यह कहानी 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिये वर्जित है। इस कहानी के सारे पात्र और घटनायें काल्पनिक हैं जिनका यथार्थ से कोई सम्बंध नहीं है। इस कहानी में सैक्स के अनेक दृश्यों का अत्यधिक स्पष्ट ब्यौरा है। यदि आप संबन्धिकों के बीच सैक्स को घृणित मानते हैं तो कृपया इसे न पढ़ें।


दोस्तो कहानी जल्द ही शुरू होगी
 
पात्र परिचय

1st- फैमिली

दीपक शर्मा ( पापा )

टीना शर्मा ( मम्मी )

जय शर्मा ( बेटा )

सोनिया शर्मा ( बेटी )

राजेश ( सोनिया का दोस्त )

आशीष ( सोनिया का दोस्त )

कमलाबाई ( काम वाली )

2nd- फैमिली

कुणाल ( पापा )

रजनी शर्मा ( मम्मी )

राज शर्मा ( बेटा )

डॉली शर्मा ( बेटी )

और भी किरदार है जो समय पर आते रहेंगे

दोस्तो कहानी जल्द ही शुरू होगी
 
कहानी की एक छोटी सी झलक

सोनिया के नारंगी जैसे गोल पुख्ता और रसीले मम्मे राज के चेहरे के सामने ऊपर-नीचे झुलते हुए उसे ललचा रहे थे। बहन की चूत में अपने लन्ड की दनादन रफ़्तार को कम किये बगैर, राज आगे को झुका और सोनिया के एक सख्त, गुलाबी निप्पल को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा। सोनिया मस्ती से चीख पड़ी। अब उसके जवाँ जिस्म को दो मुँह चाट - चाट कर मचला रहे थे। ऐसी मस्ती उसके बर्दाश्त के बाहर थी!

“दोनों भाई-बहन कितने हरामी हैं! ओहह ओहह! उंह हा! राज मैं झड़ रही हूं! उंह आँह! डॉली चोचले को भी चूस! आँह आँम्ह आँह !” |

डॉली ने जब उसके धड़कते हुए चोंचले को अपने मुँह के अंदर लेकर एक छोटे से कड़क लन्ड की तरह चूसना चालु किया और अपने गाल पर सोनिया की जाँघों की माँसपेशियों को सिकुड़ते और कसते हुए महसूस करने लगी।

साथ ही राज ने भी अपने हाथ को सोनिया के निप्पल से ऊपर सरका कर पहले उसकी भींची हुई गर्दन पर सहलाया, फिर उसके खुले मुँह की ओर बढ़ाने लगा। सोनिया ने अपने मुँह को राज के मुँह पर झुकाया, दोनों के मुँह एक दूसरे से चिपके और दोनों जुबाने चूसने, टटोलने और आपस में रगड़ने लगीं।

सोनिया अपनी चूत को अपनी जाँघों के बीच चूसते मुंह और मचलती जीभ पर दबाती हुई राज के कुचलते चुंबन में जोर से कराहती हुई झड़ने लगी। सोनिया की चूत ने डॉली के मुँह को गरम, मलाईदार रिसाव से लबालब कर दिया, जिसे डॉली ने भी बड़ी खुशी से चाट लिया और उसकी चूत से आखिरी बूंद को भी निगल गयी।

जैसे सोनिया के जिस्म के धधकते शोले ठंडे पड़ने लगे, उसने अपनी टपकती चूत को डॉली के रिसाव से लथे हुए मुँह से उठाया और वहीं बिस्तर पर चकनाचूर हो कर पड़ गयी।

“लौन्डिया, कैसी रही चुदाई ?”, राज ने पूछा।

सोनिया ने मदहोश हो कर ऊपर देख और गौर किया कि राज उसकी आनन- फानन फैली हुई चूत पर और उसकी लाल - लाल गहराईयों में से चुहुते हुए गाढ़ेरिसाव पर नजरे गाड़े था।

ओह, बढ़िया थी! चुदाई में मजा आ गया !”, लौन्डिया को चुदाई के बाद वाकई बड़ा इतमिनान मिला था।

मेरा लन्ड तो रॉकेट की तरह सर्र - सर्र झड़ रहा था!”, राज ने सोनिया के बचकाने उतावलेपन पर मुस्कुराते हुए कहा।
 


सोनिया के नारंगी जैसे गोल पुख्ता और रसीले मम्मे राज के चेहरे के सामने ऊपर-नीचे झुलते हुए उसे ललचा रहे थे। बहन की चूत में अपने लन्ड की दनादन रफ़्तार को कम किये बगैर, राज आगे को झुका और सोनिया के एक सख्त, गुलाबी निप्पल को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा। सोनिया मस्ती से चीख पड़ी। अब उसके जवाँ जिस्म को दो मुँह चाट - चाट कर मचला रहे थे। ऐसी मस्ती उसके बर्दाश्त के बाहर थी!

“दोनों भाई-बहन कितने हरामी हैं! ओहह ओहह! उंह हा! राज मैं झड़ रही हूं! उंह आँह! डॉली चोचले को भी चूस! आँह आँम्ह आँह !” |

डॉली ने जब उसके धड़कते हुए चोंचले को अपने मुँह के अंदर लेकर एक छोटे से कड़क लन्ड की तरह चूसना चालु किया और अपने गाल पर सोनिया की जाँघों की माँसपेशियों को सिकुड़ते और कसते हुए महसूस करने लगी।

साथ ही राज ने भी अपने हाथ को सोनिया के निप्पल से ऊपर सरका कर पहले उसकी भींची हुई गर्दन पर सहलाया, फिर उसके खुले मुँह की ओर बढ़ाने लगा। सोनिया ने अपने मुँह को राज के मुँह पर झुकाया, दोनों के मुँह एक दूसरे से चिपके और दोनों जुबाने चूसने, टटोलने और आपस में रगड़ने लगीं।
[/quote]



जॉनी भाई आपने शायद ध्यान नही दिया यहाँ राज अपनी बहन डॉली को चोद रहा है और सोनिया के मम्मे चूस रहा है और डॉली सोनिया की चूत चूस रही है
 
1 दाम्पत्य




जैसे-जैसे मिसेज़ टीना शर्मा अपने मुलायम होंठों से अपने पति के मुंह में कराह रही थी, उनके पति उनकी कमसिन कमर से उनकी पैन्टी को नीचे सरकाये जाते थे। दोपहर से ही आफिस में मिसेज शर्मा के बदन में कामोत्तेजना अंगड़ाइयाँ ले रही थी। आफिस के जवां-मर्दो के तने हुये लन्डों पर नजर जाती और चूत में एक सनसनी सी पैदा कर दी थी।

मिसेज शर्मा की उम्र कुछ चौंतीस साल होगी - पर जवानी की कामोत्तेजना में कुछ कमी नहीं आयी थी। जवानी में कईं आशिक थे उनके – पर एक मिस्टर शर्मा ही, जो उनके अब पति थे, उनके सुलगते अन्गारों से खेल सके थे। दोनों सैक्स के बड़े मजे लेते थे और इस कला में निपुण थे। दोनो का शिव और शक्ति सा तालमेल था।

“बच्चे सो तो रहें हैं ना ?” मिसेज शर्मा अपनी लम्बी उंगलियां पति के तनते हुए लन्ड पर फेरती हुई बोलीं।

मिस्टर शर्मा एक हाथ से उसके स्तनों को पुचकारते हुए बोले “बेफ़िक्र रहो जानेमन । जय का कल मैच है, वो तो कबका सो गया।”

टीना जी ने जवाब में उनके तने हुए लन्ड को प्यार से ऊपर-नीचे खींच कर उसकी फूलती लाल सुपारी को अंगूठे से दबाया, “और सोनिया ?”

“सोनिया को छोड़ो, वो तो हमेशा लाईट ऑन कर के सोती है। इस वक्त तो मुझे सिर्फ़ तेरी गर्मा-गर्म चूत से मतलब है।” | टीना जी ने जाँघों को फैलाते हुए अपनी चूत का द्वार अपने पति के दूसरे हाथ के लिए खोल दिया। मिस्टर शर्मा के हाथों का स्पर्श टीना की टपकती चूत पर पड़ा तो उसके मुंह से एक उन्मत्त कराह निकल पड़ी।

“म्माअह! मजा आ रहा है !” कहते हुए टीना जी ने अपनी फड़कती हुई चूत को पति की उंगलियों पर मसलना शुरू कर दिया।
 
ओह दीपक। और न तड़पा, बस चोद डाल मुझे! मेरी चूत गीली हुई जाती है।” यकीनन । जैसे ही मिस्टर शर्मा ने पत्नी की चूत में टोह ली, मादक गरम द्रवों ने उसकी उंगलियों को भिगो दिया। शोख चूत फुदक कर उंगलियों को गुदगुदाने लगीं।

“क़सम से जानेमन! बिलकुल सुलग रही है तेरी चूत !” मिस्टर शर्मा तने हुए लन्ड को पत्नी की फड़कती मांद में घुसाते हुए बोले।

“कस के चोदो मुझे। चोदो अपने मोटे लन्ड से!” । टीना जी ने पीठ के बल लेटते हुए अपनी टांगों को और फैलाया और उन्मत्त होकर पति के तगड़े पुरुषांग को धधकती योनि में डाला। पत्नी की प्रबल उत्तेजना ने बारूद में चिंगारी का काम किया। मिस्टर शर्मा अपने भारी- भरकम लन्ड को पत्नी की प्यासी मुलायम चूत में लगे ढकेलने। पति के मजबूत धक्कों को झेलने के लिएय टीना जी ने अपनी सुडौल टांगें और ऊंची उठा दीं। मिस्टर शर्मा की गाँड पर अपनी ऐड़ियां टेक कर वे उनकी टक्कर से टक्कर मिला रही थीं। जैसे मिस्टर शर्मा अपने लौड़े को टीना जी की चूत के भीतर सरकाते, वो चूत की मांसपेशियों को लौड़े पर जकड़ता हुआ महसूस कर रहे थे। उन्होंने वज्र सा लन्ड टीना जी की दहकती मान्द में इतना गहरा घोंप डाल था, कि टट्टे टीना जी की गुलाबी गाँड से टकरा रहे थे।

“आऽह! माँ क़सम, बड़ी गर्मा रही हो !” मिस्टर शर्मा अपने लन्ड पर जकड़ती मंसलता के अनुभव से सिसक उठे।

“चोद! साले चोद डाल मुझे !” टीना जी चूत के चोचले को पति के माँसल लन्ड से रगड़ती हुई कराह पड़ीं। |

मिस्टर दीपक दोनो बाजुओं के बल अपने मजबूत बदन को झुलाते हुए कभी लन्ड को पत्नी की चूसती चूत से बहर निकालते और फिर वापस मादक जकड़न मे ठूस देते। पत्नी की सुलगती कामग्नि में उनका पौरुष लगतार कोयला झोंक रहा था।

“ऊऽह! साली चोद दूंगा! मार कस के चूत !” टीना जी की आतुर चूतड़ में अपने चर्बीदार लन्ड को ठोंसते हुए मिस्टर शर्मा हुंकारे।

मिस्टर शर्मा के हर वहशी ठेले का टीना जी बिस्तर से उचक-उचक कर जवाब देतीं और जब लन्ड भीतर घुसता तो कराह उठतीं।

“ऊन्घऽ! ओहहहह! चोद दे! बस ऐसे ही! और कस के! ओहहह” टीना जी आगोश में चीखीं। शर्मा दम्पत्ति अपनी प्रबल कामक्रीड़ा में पूरी तरह लीन था। देह की सुलगती प्यास की तृप्ति में दोनो अब सारी दुनिया से अनजान हो चुके थे।
 
2 -अचरज में बेटी

मिस्टर शर्मा का अनुमान बिल्कुल गलत था कि बच्चे सो रहे हैं। सोनिया तो दरअसल जाग रही थी। अट्ठारह साल की सोनिया परिवार में नन्ही गुड़िया सी थी। भुरे बाल, कमसिन बदन, और मम्मे तो ऐसे परिपक्व कि स्त्रियों को भी ईर्ष्या हो जाए। सोनिया किताब से कफ़ी बोर हो चली थी और बोरियत मिटाने के लिए मटके से पानी पीने को उठी।

देर रात कहीं बाहर वाले जाग न जाएं, इसलिए बैठक में दबे पाँव पहुँची। पहुँचते ही कुछ फुसफुसाने की आवाजें उसके कान में पड़ीं। आवाज उस्के मम्मी - डैडी के बेडरूम से आ रही थी - जैसे कोई दर्द में कराह रहा हो। चिंता के मारे किशोरी सोनिया आवाज़ों की तरफ़ चली। पास आने पर उसे प्रतीत हुआ कि कोई दबे स्वर में बोलता हुआ कराह रहा था। सोनिया के चंचल मन में कौतुहूल जाग चुका थ। वो दरवाजे के पास कान लगा कर सुनने लगी।

“दीपक बाप क़सम ऊउहहह। चोद दे मुझे ! कस के! ऊउगह !” आवाज उसकी माँ की थी और जाहिर हो चुक था कि मामला क्या है। सोनिया साँस रोक कर सुनती रही।

अचानक उसके पिता की मर्दानी आवाज कमरे से सुनाई मे आई। “दे मार अपनी चूत ! ला उसे गाढ़े गरम लन्ड के तेल से लबालब कर दूं।” ।

सोनिया क दिल धकधक कर रहा था मगर पिता के वाहियात बोलों से उसकी चूत मारे उत्तेजन के नम हो चली थी। इन शब्दों के माने वो बखूबी जानती थी पर उनमें भरी प्रबल कमोत्तेजना सीधे उसकी चूत पर असर दिखा रही थी। अपने ही मम्मी-डैडी के बीच इस अश्लील वार्तालाप से उसकी नब्ज़ धौंकनी की तरह चल रही थी। अब वो अपनी आँखों से देखे बगैर नई रह सकती थी।

चाभी के छेद से उसने जो नजारा देख , उससे वो दन्ग रह गयी। उसका हलक सूख गया और दिल उछल कर गले में आ गया। मुँह फाड़े वो अपने माँ-बाप के बीच संभोग का पाश्विक दृश्य देख रही थी - एक्दम निर्विघ्न नजारा। दोनो नंगे पड़े थे - माँ पीठ के बल बिस्तर के ठीक बीच में टांगें ऊपर को पूरी चौड़ी कर तलुओं से बाप की कमर को जकड़े हुई थी। बाप अपने हथौड़े से लन्ड को माँ की टांगों के बीच गाड़े हुए था। अपने बाप के तने हुए लन्ड को माँ की फैली हुई चूत की मुलायम पंखुड़ीयों पर अंदर बाहर मसलते देख कर उसके जैसे होश उड़ गए। माँ की चूत के द्रवों से लथपथ वो फड़कता लन्ड रेल इंजन के पिस्टन की तरह अपनी ही लय में अंदर-बाहर चल रहा था। |
 
वैसे तो सोनिया अपने बाप के लन्ड को देख चुकी थी पर इस समय वो फूल-तन कर विशालकाय आकार ले चुका था जिसे देख कर उसकी चूत मे सिरहन सी पैदा हो जाती थी। साँप सी लचीली थिरकन थी उस लन्ड में जो उसे सम्मोहित करे लेती थी। वो उसकी माँ की चूत से बाहर उभरता, फूली लाल सुपारी की एक झलक दिखती, और तुरन्त वापस माँ की उछलती चूत मे समा जाता। सोनिया हैरान थी कि इतना विशाल को कैसे माँ की चूत मे घुस पा रहा था। इस नजारे ने सोनिया के मन में उथलपुथल मचा दी थी - रोमांचित भी थी। | सोनिया सैक्स - जीवन में सक्रिय तो नहीं थी पर ऐसी अनाड़ी भी नहीं। पिछली गर्मियों की छुट्टियों में राजेश, जो कि उसके ही स्कूल में था, से उसकी मुलाकात हुई थी। राजेश अट्ठारह साल का छरहरा जवान था और सोनिया का उससे काँटा भिड़ गया था।

3 बेटी सेर



राजेश ने जब उसे चूमा था, सोनिया मोम की तरह पिघल गई थी। कुछ ही देर में उसने अपनी पैंटी खोल कर अपनी कुंवारी चूत राजेश के लन्ड के सामने खोल दी थी। शुरू में दर्द हुआ, पर जल्द ही मजा भी आने लगा था। राजेश ने लंड बाहर निकाल कर उसके गोरे, नर्म पेट पर अपना सफ़ेद, चिपचिपा लन्ड का तेल उडेल दिया था। उस वक़्त तो उसे राजेश का लंड बड़ा लगा था, पर अब बाप के दमदार लन्ड के सामने कुछ भी नहीं लगता था।

सोनिया के मस्त जवाँ बदन में अब वही भावनएं मचल रहीं थीं जिन्हें वो सामान्य अवस्था में कभी उजागर नहीं होने देती थी। अंदर झांकने पर उसने देखा उसकी माँ जाँघों की छरहरी मांसपेश्हीयों को भींच कर अपनी भूखी चूत उछाल-उछाल कर पति के खौलते हुए लंड के झटके झेल रही थी। | सोनिया का मुँह खुला रह गया जब उसने अपने बाप के लसलसाते लंड को माँ की मलाईदार खाई में सटा- सट गोते लगाते और माँ को कराहते देखा। अब उसकी माँ आनंद से अपने प्रेमी को पुचकार रही थी - ऐसी बेशर्मी से गंदी बतें कर रही थी, जिसे सुनने को सोनिया व्याकुल थी।

“ऊन्हुह! ऊन्हह! चोद मुझे ! हरामी कस के चोद! बाप रे, क्या लन्ड है तेरा!” इस हैरान कर देने वाले नजारे को देख कर सोनिया के जवान बदन में कामुकता की लहरें उमड़ रहीं थीं। उसके पाँव जैसे जमीन से गड़ गये हों। मम्मी-डैडी की उत्तेजक चुदाई को देख सुन कर खुद-ब-खुद उसक एक हाथ अपनी गोल मखमली चूचियों को रगड़ने लगा। दूसरा हाथ अपनी पैंटी के अंदर सरक गया और अपनी किशोर चूत को सहलाने लगा। बारह साल की उम्र से वो हस्तमैथुन कर रही थी और जो चूत एक बार भड़की, उसे आनंद देना भली तरह जानती थी।

पहले उसने चूत के होंठों को एक उगली से सहलाया, जब उंगली गिली हो गयी तो उससे अपने मादा - द्रवों को चूत की पंखुड़ीयों पर मल कर उसे चिपचिपा कर दिया। उसकी जवान चूत में रोमांच की बिजली दौड़ पड़ी जब चूत के चोचले को दो उंगलीयों के बीच दबाया। सैक्स के बस एक ही अनुभव ने उसे सैक्स के गुप्त आनंद का ज्ञान करा दिया था। अब उसे चाहिये था तो बस एक मर्द जो उसकी चूत में एक लन्ड को भर दे।

“म्म्मूहहह! अन्न्घ! अम्म्म्म!” अपनी रिसती चूत में लन्ड के बदले एक और उंगली डाल कर सोनिया कराह पड़ि।
 
ऊहहह ! राजेश ! डैडी! कोई तो आओ !” उसकी उत्तेजित आंखें डैडी के थीरकते लन्ड पर चिपकी थीं। मम्मी-डैडी की सैक्स-क्रीड़ा की लय पर ही सोनिया अपनी कमर को ऐंठती हुई हस्तमैथुन कर रही थी। ठीक वैसे ही जैसे पहली बार जब राजेश ने अपने लन्ड से उसकी कुआँरी चूत को चोदा था। चरम आनंद के उमड़ते सैलाब में वो कल्पना करने लगी कि उसके डैडी ही विशालकाय लन्ड से उसकी जवान चूत को चोद रहे हैं। अपनी कल्पना में उसकी मम्मी नहीं बल्कि वही अपने डैडी के ठेलते बदन के नीचे उछल-मचल रही थी। पाप भरी इस कल्पना ने उसे उबाल दिया।

“ऊह्ह! डैडी चोद दो मुझे ! चोदो चोऽदो ना मुझे !” सिसकते हुए वो उंगलीयों पर ही बहने लगी। आने से उसका पूरा बदन ऐंठने लगा और मस्ती की लहरें जैसे थमने लगीं, अपने हाथों को उसने पतली जाँघों पर टेक दिया। पर डैडी-मम्मी की चुदाई देख कर जो आग उसमें भड़की थी, वो अभी शांत कहाँ हुई थी ...


4 कौन बनेगा चोदपति

सोनिया ने फिर छेद से झांका तो अपने डैडी के चमचमाते लन्ड को मम्मी की खुली चूत पर पहले जैसे कार्यरत पाया। सोनिया ने फिर अपने फड़कते चोचले को रगड़ना चालू कर दिया।

उसने कली जैसे उत्तेजित चोचले को इतना रगड़ा कि दूसरी बार चरमानंद पर पहुंच गयी। दोनो उंगलीयों से अपनी टपकती चूत को मसलती हुई मस्ती से ऐंठने लगी।

चरमानंद जब थमा तो कुछ ऐसी शरम आयी कि चुपचाप अपने कमरे की ओर वपास चल पड़ी। अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी और सोने की कोशिस तो की पर उसक सर कामुक खयालों से भन्ना रहा था। डर भी लग रहा था कि अपने ही बाप से चुदने की कल्पना क्यों उसे उत्तेजित कर रही थी!

मालूम नहीं कहीं वो मानसिक रूप से बीमार तो नहीं थी ? बस एक ही बात मालूम थी - कि आज उसके बदन में सैक्स के एक जानवर ने जन्म लिया था और वो इस जानवर से और खेलना चाहती थी।

अपने बाप के लन्ड की और राजेश के लन्ड की कल्पना कर उसने निश्चय किया कि जैसा मजा उसने हस्तमैथुन से पाया था, उसे फिर पायेगी। परन्तु इस बार ऐसे लन्ड से सो उस्की चूत्त को गर्मा-गरम उबलते लन्ड के तेल से लबालब भर कर उसे मजे से बेहोश कर दे। | सोनिया की जवानी के तेवर देख कर उसकी माँ ने उसे माला -डी” दे रखी थी - कहीं गुलछरें उड़ते पाँव भारी न हो जायें। बस अब क्या चिंता थी ? कोई लड़का मिलना चाहिए। पर कौन ? स्कूल के सब लड़के तो बिलकुल अनाड़ी थे। एक बार किसी लड़की को चोद लें तो सेखी इतनी बघारते कि पूरे मोहल्ले को खबर हो जाए। और राजेश ? वो तो मिनटों में झड़ जाता थ। हाँ पर उसके डैडी की तो बात ही कुछ और थी! पर उसे बाप का लन्ड नसीब कहाँ हो सकता। कोई और विकल्प ढूंढना पड़ेगा - कोई जो शहर भर ढिंढोरा न पीटता फिरे।
 
सोनिया को अपने 1 साल बड़े भाई जय का खयाल आया। दीवान पर लेटे टीवी देखते समय हरामी उसकी पैंटी में तांक-झांक करता रहता था। बाथरूम से निकलती तो बद्माश पीछे एक चपत भी जड़ देता। और जब कभी घर के प्राईवेट स्विमिंग पूल में अपनी काले रंग की तंग बिकीनी पहनती तो टुकुर-टुकुर देखता। वैसे तो बड़ा बनता थ, पर सोनिया को पता था कि अभी साले का लन्ड किसी चूत के परवान नहीं चढ़ा था। वैसे था बदन उसका हट्ट-कट्टा। क्रिकेट जो खेलता था। कितनी ही बर सोनिया उसे जिम की टाइट पसीने भरी टी-शर्ट मे देख कर उसके तगड़े बदन को निहारती थी। और जाँघों के बीच जो तना क्या हुआ बम्बू था - बिलकुल डैडी जैसा! “हरामी का डैडी जितना बड़ ही होगा ?” इस बेशरम खयाल ने खुद उसे चौंका डाला था। भाई के तने हुए लन्ड की कल्पना से बेकाबू होती वासना ने उसके तन को कंपकंपा दिया।

याद आया उसे वो दिन जब वो बाथरूम में दाखिल हुई और वहाँ जय को एकदम नंगा पया! शायद उसने जानबूझ कर दरवाजा बन्द नहीं किया था ताकि मम्मी या सोनिया घुस आयें। लन्ड तना तो नहीं था पर उसके आकार को देख सोनिया जान गयी थी की जो तन गया तो भारी-भरकम हथौड़े से कम नहीं होगा। सोनिया ने तुरण्त ही माफ़ी मंगी और बाथरूम से बाहर निकली तो जय के होंठों पर एक कुटिल मुस्कान देखी।

फिर उसकी यादें में आया आशीष - उसकी सकेली का यार था। लंबा मुस्टंडा जवान थ और सुनने में आया था कि लड़कीयों को चोदने में बड़ा माहिर भी! पर सहेली के यार से चुदवाना ठीक नहीं।
 
Back
Top