hotaks444
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‘बहुत याराना लगता है …….’
‘बसंती इन कुत्तों की सामने मत नाचना ..’
‘गब्बर मैं तेरा खून पी जाऊंगा ‘
“वाह मेरे धर्मेंद्र ,भाभी मस्त फ़िल्म है ना सोले…धर्मेंद्र देखो ना क्या दिखता है ”
कनक tv स्क्रीन को देखकर तालिया बजा रही थी,रोशनी को उसकी ये हरकते बिल्कुल भी पसंद नही आ रही थी ,लेकिन क्या करे वो भी बार बार फ़िल्म की ओर आकर्षित हो जाती थी ,लेकिन फिर नजर बचा कर विक्रांत ठाकुर(प्राण ठाकुर का छोटा भाई ) की ओर देखती और डर जाती जो सोफे में बैठे हुए कनक की हरकतों का मजा ले रहा था .विक्रांत लगातार कनक को ही घूरे जा रहा था जैसे रोशनी का कोई अस्तित्व ही नही हो ,वो दोनो किसी रानियों की तरह सजाई गई थी और एक बड़े से कमरे में बड़े से सोफे पर बैठी थी ,जंहा सामने एक साफ पर्दा लगा हुआ था जिसमे .अभी सोले चल रही थी ,ये विक्रांत का ही कमरा था ,विक्रांत ने जब कनक को पहली बार देखा तब ही उसका कनक पर दिल आ गया था,विक्रांत प्राण से थोड़ा अलग था,जंहा प्राण को फूलों को निचोड़ने में मजा आता था वही विक्रांत को फूलों की धीमी सुगंध में ,वो भी कनक का धीरे धीरे मजा लेना चाहता था,रोशनी को प्राण ने पसंद किया था लेकिन विक्रांत के कहने पर ही प्राण उससे अभी तक दूर था ,क्योकि वो भी विक्रांत की तरह पहले उसे अपने बस में करना चाहता था लेकिन प्राण को कहा आती थी प्यार की भाषा लेकिन वो अपने भाई की जिद और रोशनी के मादक यौवन के कारण रुक गया था,वो इस फूल की निचोड़ना नही चाहता था बल्कि इसका इत्र बना कर हमेशा के लिए अपने पास रखने की चाह में था …
विक्रांत ने ही कनक को लुभाने के लिए उसे हर सुविधा दिलाई जिसके बारे में वो सपने में नही सोच सकती थी और इसका असर भी उसके ऊपर हो रहा था,कनक को सभी चीजों से मोह हो गया था ,जैसे वो अपने भाई और उसकी कुर्बानी को भूल ही गई थी …
“हमारे छोटे ठाकुर भी धर्मेंद्र से कम है क्या ..”
विक्रांत के पैरो के पास बैठा मुंसी जो उसका पैर दबा रहा था बोल पड़ा ,और अचानक ही कनक का ध्यान उसे घूर रहे विक्रांत की ओर गया ,मानो कनक को कई वाल्ट का झटका लगा हो ,सच में नवजवान और गठीले बदन के मालिक विक्रांत को देखकर वो शर्म से ढेर हो गई और उठकर जाने को हुई ,विक्रांत आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया …
विक्रांत उसके गालो को हल्के हाथो से सहलाने गया,कनक के जिस्म में एक करेंट दौड़ गया …
“अरे रानी तुम्हारे लिए ही तो ये सारे जतन किये है और तुम ...तुम हो की हमसे दूर जा रही हो”
कनक का गाला सुख चुका था वो लाज के मारे सर गड़ाए जा रही थी ,आज पहली बार किसी मर्द ने उसे इस तरह से छुवा था,अभी अभी तो वो जवान हुई थी ,विक्रांत के शरीर से गुलाब की हल्की हल्की लेकिन मोहक खुश्बू आ रही थी ,जो की गांव के मर्दों के शरीर से नही आया करती ,मेहनतकस लोगो के शरीर से पसीने की खुश्बू आती है जो की कनक को बदबू लगती थी ,
विक्रांत उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके कनक के जिस्म को हल्के हाथो से मसल रहा था,कनक उसके आगोश में मचल रही थी ,थोड़ी ना नुकुर करती लेकिन फिर भी मानो वो पिघल रही हो ,रोशनी बस दोनो को देखे जा रही थी फिर अपना ध्यान tv में लगा देती लेकिन जो उसके सामने चल रहा था वो ज्यादा आकर्षण पैदा करने वाला था,विक्रांत ने मुंसी को वँहा से भगा दिया लेकिन रोशनी को वही बैठे रहने का हुक्म दिया,रोशनी के मन में भी ना चाहते हुए भी एक अजीब सा भाव उमड़ कर आ रहा था ,कनक की तो आंखे ही बंद हो गई थी ,
कोई अगर देखता तो कहता की दो प्रेमी एक दूसरे के आलिंगन में है ,ना की किसी दुश्मन की बहन से बदले वाली बात है,कनक और रोशनी दोनो ही भुल गए थे की वो अपने दुश्मन के घर उसकी बांहो का मजा ले रही है …
विक्रांत बड़े ही धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था कनक का थोड़ा मोड़ा विरोध भी कम हो चुका था,रोशनी ना चाहते हुए भी बार बार तिरछी आंखे से उन्हें देख ही लेती ,कनक के चहरे का भाव बता रहा था की वो कितने आनंद में है और यही रोशनी की पीड़ा थी,अगर विक्रांत कनक का बलात्कार करता तो शायद वो कभी इतनी उत्तेजित नही होती लेकिन विक्रांत ने जो किया था वो उसे और भी ज्यादा तोड़ रहा था,शरीर से भी और मन से भी वो कालिया को जान से ज्यादा चाहती थी लेकिन आज जीवन में पहली बार उसके मन में कालिया के अलावा किसी दूसरे की मूरत घर कर रही थी,वो विक्रांत के गठीले जिस्म से मोहित हो रही थी ,वो अपने को रोकती कभी कभी खुद को धिक्कारती लेकिन फिर भी कनक की हल्की सिसकियां जो अभी बिना कुछ किये भी फुट पड़ती थी ,रोशनी के मन में इस सुख के भोग की लालच को जगा रहा था ..
रोशनी इतने मानसिक उधेड़बुन से गुजर रही थी की उसकी आंखे भर गई थी वो वँहा से उठकर जाने को हुई लेकिन विक्रांत ने उसका दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया,वो खड़ी हुई थी और विक्रांत उसे अपने से सटा लिया,
रोशनी की जैसे सांसे ही रुक गई ,आंखों में अब भी पानी था लेकिन आंखे बंद हो चुकी थी ,विक्रांत ने अपने ऊपर के कपड़े को निकाल फेका था,उसका गठीला जवान बदन और उसके बदन की खुश्बू दोनो ने रोशनी को उत्तेजित कर रहे थे,रोशनी की पीठ विक्रांत के बालो से भरी छाती में जा सटी,
“आह ह ह “
रोशनी के मुह से निकल गया,विक्रांत पुराना खिलाड़ी था ,रोशनी की आह से उसके होठो में एक अजीब सी मुस्कान खिल गई ,इन दोनो बालाओं का बलात्कार करके भी वो ये सुख नही पा सकता था जो अब उसे उनके साथ खेलकर मिल रहा था,कालिया से असली बदला लिया जा रहा था लेकिन अलग रूप से ………
विक्रांत ने रोशनी को अपने पास बिठा लिया,अब रोशनी और कनक दोनो उसके दोनो ओर बैठे थे,वो जानता था की कनक तो उसके गिरफ्त में पहले से है लेकिन रोशनी को और तोडना होगा ,वो अपना ध्यान अब रोशनी पर लगाने लगा,उसके साड़ी के पल्लू को गिरा दिया और अपने जीभ को उसके गर्दन पर लगा दिया..
“आह न न न ही ही”
रोशनी की आंखे बंद थी और वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई,उसके फुले हुए स्तन का ऊपरी भाग उसके कसे ब्लाउज से बाहर झकने लगा था ,विक्रांत ने ललचाई निगाह से उसकी गोरी चमकदार चमड़ी को देखा,रोशनी और कनक दोनो ही गांव की रसदार और भरी हुई लडकिया थी,विक्रांत ने अपनी जीभ से रोशनी के खुले हुए स्तन को चाट लिया ,
“नही ...ओह नही आह “वो मछली जैसे छटपटाई और जल्दी से उठकर बाहर की ओर भागने लगी,उसकी इस हरकत से विक्रांत जोरो से हंसा लेकिन उस रोकने की कोशिस नही की ……..
रोशनी के जाते ही कनक विक्रांत के छाती को खुद ही चूमने लगी,विक्रांत हँसता हुआ सोफे में इत्मीनान से लेट गया
“तेरी भाभी पर अभी प्यार का भूत चढ़ा है फिक्र मत कर एक दिन वो भी तेरी तरह अपने जिस्म को मेरे सामने रख देगी ,और तुम दोनो को हम दोनो भाई अपनी कुतिया बना कर रखेंगे ...हा हा हा “
विक्रांत की बात से कनक थोड़ी रुकी लेकिन विक्रांत ने उसके सर को पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया,
“चाट मेरी रानी “कनक फिर से उसके सीने के बालो पर अपने जीभ फेरने लगी जैसे विक्रांत की बात का उसपर कोई प्रभाव ही नही पड़ा हो ……….
‘बसंती इन कुत्तों की सामने मत नाचना ..’
‘गब्बर मैं तेरा खून पी जाऊंगा ‘
“वाह मेरे धर्मेंद्र ,भाभी मस्त फ़िल्म है ना सोले…धर्मेंद्र देखो ना क्या दिखता है ”
कनक tv स्क्रीन को देखकर तालिया बजा रही थी,रोशनी को उसकी ये हरकते बिल्कुल भी पसंद नही आ रही थी ,लेकिन क्या करे वो भी बार बार फ़िल्म की ओर आकर्षित हो जाती थी ,लेकिन फिर नजर बचा कर विक्रांत ठाकुर(प्राण ठाकुर का छोटा भाई ) की ओर देखती और डर जाती जो सोफे में बैठे हुए कनक की हरकतों का मजा ले रहा था .विक्रांत लगातार कनक को ही घूरे जा रहा था जैसे रोशनी का कोई अस्तित्व ही नही हो ,वो दोनो किसी रानियों की तरह सजाई गई थी और एक बड़े से कमरे में बड़े से सोफे पर बैठी थी ,जंहा सामने एक साफ पर्दा लगा हुआ था जिसमे .अभी सोले चल रही थी ,ये विक्रांत का ही कमरा था ,विक्रांत ने जब कनक को पहली बार देखा तब ही उसका कनक पर दिल आ गया था,विक्रांत प्राण से थोड़ा अलग था,जंहा प्राण को फूलों को निचोड़ने में मजा आता था वही विक्रांत को फूलों की धीमी सुगंध में ,वो भी कनक का धीरे धीरे मजा लेना चाहता था,रोशनी को प्राण ने पसंद किया था लेकिन विक्रांत के कहने पर ही प्राण उससे अभी तक दूर था ,क्योकि वो भी विक्रांत की तरह पहले उसे अपने बस में करना चाहता था लेकिन प्राण को कहा आती थी प्यार की भाषा लेकिन वो अपने भाई की जिद और रोशनी के मादक यौवन के कारण रुक गया था,वो इस फूल की निचोड़ना नही चाहता था बल्कि इसका इत्र बना कर हमेशा के लिए अपने पास रखने की चाह में था …
विक्रांत ने ही कनक को लुभाने के लिए उसे हर सुविधा दिलाई जिसके बारे में वो सपने में नही सोच सकती थी और इसका असर भी उसके ऊपर हो रहा था,कनक को सभी चीजों से मोह हो गया था ,जैसे वो अपने भाई और उसकी कुर्बानी को भूल ही गई थी …
“हमारे छोटे ठाकुर भी धर्मेंद्र से कम है क्या ..”
विक्रांत के पैरो के पास बैठा मुंसी जो उसका पैर दबा रहा था बोल पड़ा ,और अचानक ही कनक का ध्यान उसे घूर रहे विक्रांत की ओर गया ,मानो कनक को कई वाल्ट का झटका लगा हो ,सच में नवजवान और गठीले बदन के मालिक विक्रांत को देखकर वो शर्म से ढेर हो गई और उठकर जाने को हुई ,विक्रांत आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया …
विक्रांत उसके गालो को हल्के हाथो से सहलाने गया,कनक के जिस्म में एक करेंट दौड़ गया …
“अरे रानी तुम्हारे लिए ही तो ये सारे जतन किये है और तुम ...तुम हो की हमसे दूर जा रही हो”
कनक का गाला सुख चुका था वो लाज के मारे सर गड़ाए जा रही थी ,आज पहली बार किसी मर्द ने उसे इस तरह से छुवा था,अभी अभी तो वो जवान हुई थी ,विक्रांत के शरीर से गुलाब की हल्की हल्की लेकिन मोहक खुश्बू आ रही थी ,जो की गांव के मर्दों के शरीर से नही आया करती ,मेहनतकस लोगो के शरीर से पसीने की खुश्बू आती है जो की कनक को बदबू लगती थी ,
विक्रांत उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके कनक के जिस्म को हल्के हाथो से मसल रहा था,कनक उसके आगोश में मचल रही थी ,थोड़ी ना नुकुर करती लेकिन फिर भी मानो वो पिघल रही हो ,रोशनी बस दोनो को देखे जा रही थी फिर अपना ध्यान tv में लगा देती लेकिन जो उसके सामने चल रहा था वो ज्यादा आकर्षण पैदा करने वाला था,विक्रांत ने मुंसी को वँहा से भगा दिया लेकिन रोशनी को वही बैठे रहने का हुक्म दिया,रोशनी के मन में भी ना चाहते हुए भी एक अजीब सा भाव उमड़ कर आ रहा था ,कनक की तो आंखे ही बंद हो गई थी ,
कोई अगर देखता तो कहता की दो प्रेमी एक दूसरे के आलिंगन में है ,ना की किसी दुश्मन की बहन से बदले वाली बात है,कनक और रोशनी दोनो ही भुल गए थे की वो अपने दुश्मन के घर उसकी बांहो का मजा ले रही है …
विक्रांत बड़े ही धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था कनक का थोड़ा मोड़ा विरोध भी कम हो चुका था,रोशनी ना चाहते हुए भी बार बार तिरछी आंखे से उन्हें देख ही लेती ,कनक के चहरे का भाव बता रहा था की वो कितने आनंद में है और यही रोशनी की पीड़ा थी,अगर विक्रांत कनक का बलात्कार करता तो शायद वो कभी इतनी उत्तेजित नही होती लेकिन विक्रांत ने जो किया था वो उसे और भी ज्यादा तोड़ रहा था,शरीर से भी और मन से भी वो कालिया को जान से ज्यादा चाहती थी लेकिन आज जीवन में पहली बार उसके मन में कालिया के अलावा किसी दूसरे की मूरत घर कर रही थी,वो विक्रांत के गठीले जिस्म से मोहित हो रही थी ,वो अपने को रोकती कभी कभी खुद को धिक्कारती लेकिन फिर भी कनक की हल्की सिसकियां जो अभी बिना कुछ किये भी फुट पड़ती थी ,रोशनी के मन में इस सुख के भोग की लालच को जगा रहा था ..
रोशनी इतने मानसिक उधेड़बुन से गुजर रही थी की उसकी आंखे भर गई थी वो वँहा से उठकर जाने को हुई लेकिन विक्रांत ने उसका दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया,वो खड़ी हुई थी और विक्रांत उसे अपने से सटा लिया,
रोशनी की जैसे सांसे ही रुक गई ,आंखों में अब भी पानी था लेकिन आंखे बंद हो चुकी थी ,विक्रांत ने अपने ऊपर के कपड़े को निकाल फेका था,उसका गठीला जवान बदन और उसके बदन की खुश्बू दोनो ने रोशनी को उत्तेजित कर रहे थे,रोशनी की पीठ विक्रांत के बालो से भरी छाती में जा सटी,
“आह ह ह “
रोशनी के मुह से निकल गया,विक्रांत पुराना खिलाड़ी था ,रोशनी की आह से उसके होठो में एक अजीब सी मुस्कान खिल गई ,इन दोनो बालाओं का बलात्कार करके भी वो ये सुख नही पा सकता था जो अब उसे उनके साथ खेलकर मिल रहा था,कालिया से असली बदला लिया जा रहा था लेकिन अलग रूप से ………
विक्रांत ने रोशनी को अपने पास बिठा लिया,अब रोशनी और कनक दोनो उसके दोनो ओर बैठे थे,वो जानता था की कनक तो उसके गिरफ्त में पहले से है लेकिन रोशनी को और तोडना होगा ,वो अपना ध्यान अब रोशनी पर लगाने लगा,उसके साड़ी के पल्लू को गिरा दिया और अपने जीभ को उसके गर्दन पर लगा दिया..
“आह न न न ही ही”
रोशनी की आंखे बंद थी और वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई,उसके फुले हुए स्तन का ऊपरी भाग उसके कसे ब्लाउज से बाहर झकने लगा था ,विक्रांत ने ललचाई निगाह से उसकी गोरी चमकदार चमड़ी को देखा,रोशनी और कनक दोनो ही गांव की रसदार और भरी हुई लडकिया थी,विक्रांत ने अपनी जीभ से रोशनी के खुले हुए स्तन को चाट लिया ,
“नही ...ओह नही आह “वो मछली जैसे छटपटाई और जल्दी से उठकर बाहर की ओर भागने लगी,उसकी इस हरकत से विक्रांत जोरो से हंसा लेकिन उस रोकने की कोशिस नही की ……..
रोशनी के जाते ही कनक विक्रांत के छाती को खुद ही चूमने लगी,विक्रांत हँसता हुआ सोफे में इत्मीनान से लेट गया
“तेरी भाभी पर अभी प्यार का भूत चढ़ा है फिक्र मत कर एक दिन वो भी तेरी तरह अपने जिस्म को मेरे सामने रख देगी ,और तुम दोनो को हम दोनो भाई अपनी कुतिया बना कर रखेंगे ...हा हा हा “
विक्रांत की बात से कनक थोड़ी रुकी लेकिन विक्रांत ने उसके सर को पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया,
“चाट मेरी रानी “कनक फिर से उसके सीने के बालो पर अपने जीभ फेरने लगी जैसे विक्रांत की बात का उसपर कोई प्रभाव ही नही पड़ा हो ……….