hotaks444
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हवेली से निकलने का प्लान बन चुका था ,अब बस आखिरी फैसले का इंतजार था,
इधर ठाकुर प्राण ने भी कुछ खास ना पता चलते देख अटैक करने का प्लान करना शुरू कर दिया ,इसी बीच कालिया और पूनम के बीच बात बढ़ने लगी …..
कालिया पूनम के बांहो में था,कालिया मैं जानती हु की तुम लोग यहां से निकलने वाले हो लेकिन क्या जाते जाते मुझे कोई तोहफा नही दोगे…
कालिया ने पूनम को प्यार से निहारा ..
“तुम कौन कहता है की मैं तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा “
“नही कालिया मैं इस हवेली को तभी छोडूंगी जब मैं प्राण की मौत देख लू “
पूनम की बात से कालिया स्तब्ध रह गया,उसने प्यार से उसके बालो को सहलाया ..
“तुहारी वो ख्वाहिश भी पूरी करूंगा लेकिन अभी बताओ क्या चाहिए तुम्हे तोहफे में ..”
पूनम हल्के से मुस्कराई ..
“तुम्हारा बच्चा “
पूनम बोल कर शर्मा गई लेकिन कालिया किसी सोच में पड़ गया..
“प्राण तुम्हे मार डालेगा ..”
“नही वो नही मरेगा...उसकी इतनी हिम्मत नही की तुम्हारे और मेरे बच्चे को हाथ लगा दे “
कालिया ने पूनम को जोरो से जकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया,दोनो ही मस्त हो चुके थे एक दूसरे के जिस्म की प्यास दोनो में बढ़ने लगी थी,पूनम कालिया का हाथ पकड़कर उसे एक दूसरे कमरे में ले गई,ये आलीशान कमरा था जंहा बड़े से प्रेम में प्राण और पुमन की फ़ोटो लगी थी …
“तो ये तुम्हारा कमरा है ,”
पूनम ने हा में सर हिलाया
वो बड़ा सा गोलाकार बिस्तर जिस्म कम से कम 4 लोग सो जाए ,कालिया ने पूनम का हाथ पकड़कर उसे उस बिस्तर में पटक दिया,दोनो के होठ मील और जिस्म भी मिलते गए ……..
***********
कनक और रोशनी अपनी तैयारी में बैठे थे ,विक्रांत भी उनका साथ देने को तैयार था,लेकिन वो हवेली छोड़कर नही जाना चाहता था ,वो अपने भइया से आशीर्वाद लेकर ही कनक को अपनाना चाहता था,उसे पता था की प्राण उससे कितना प्यार करता है,कनक घबराई जुरूर लेकिन अपने प्यार पर उसे पूरा भरोषा था,
“अगर मरेंगे तो साथ ही मरेंगे “विक्रांत ने उससे कहा
********
इधर
प्राण से अब बर्दास्त नही हो रहा था,परमिंदर के मना करने के बाद भी वो नही रुका ,बड़े बड़े स्पीकर में अब पूनम की सिसकियां गूंज रही थी ,और दूसरी ओर उसका भाई उसके दुश्मन की बहन से शादी करने की बात सोच रहा था ,
प्राण ने पिस्तोल उठाई और अपने कमरे की ओर चल दिया…
*************
पूरे हवेली में घेरा बंदी शुरू हो गई थी,ठाकुर के सभी लोग सचेत थे ,ये सब समय से पहले हो रहा था,कालिया की जल्दबाजी का ही नतीजा था ,कालिया के लोगो ने जब देखा की हवेली को घेरा जा रहा है,तुरंत ही डॉ और त्तिवारी से संपर्क किया ,जल्दबाजी में ही गिरोह के सभी लोग वँहा पहुच गए और अपने सरदार को वँहा से निकालने का प्लान बनाने लगे ,गिरोह का नेतृत्व चिराग कर रहा था…
********
हवेली के बाहर जितनी गहमा गहमी मची थी वैसी ही गहमा गहमी हवेली के अंदर प्राण सिंग के बिस्तर में भी मची हुई थी ,कालिया और पूनम एक दूसरे के नंगे जिस्म में दोहरे हुए जा रहे थे,कालिया ने जोर लगाया और अपना गर्म लावा पूनम के गर्भी में डाल दिया …..
पूनम को लगा कि जैसे उसे जन्नत मिल गई हो …….
कालिया तैयार हुआ और रोशनी और कनक के पास पहुच गया,पूनम भी तैयार होकर कमरे से बाहर निकली थी की…
प्राण उसके सामने खड़ा था उसकेआंखों में जैसे अंगारे थे …..
पूनम को देखते ही उसने गोलियां चला दी …….
गोलियों की आवाज पूरे माहौल में गूंज गई थी ……
पूनम लुढ़ककर नीचे गिरते गई …..
चारो ओर खून फैला था,और एक गजब की शांति पूरे वातावरण में छा गई …..
********
हवेली में बस ठाकुर के सिपाहियों के जूते की आवाज गुंजने लगी ,कालिया उसकी बहन और पत्नी घिर चुके थे,विक्रांत उसे बचता हुआ सामने चल रहा था ,वो उन्हें गेट तक ले गया जंहा से कालिया ने बाहर निकलने का रास्ता बनाया हुआ था,बचाव में कलिया के लोग भी फायरिंग करने लगे थे और कुछ अंदर भी आ चुके थे ,
परमिंदर सामने ही खड़ा हुआ था,विक्रांत को देखकर उसकी आंखे चौड़ी हो गई ..
“सामने से हट जाओ छोटे ठाकुर वरना आज मेरे हाथो से नही बच पाओगे ..”
“मैं मर जाऊंगा पर्मिदंर लेकिन इन्हें तुम नही रोक सकते “
विक्रांत के पीछे खड़े कालिया ने अपने पिस्तौल में अपनी हाथ मजबूत की ,चारो तरफ शोर शराबा था लेकिन ठाकुर का किला कालिया के लोगो के लिए अभेद्य ही रहा ,कालिया के लोग गोलियां खा रहे थे शिकस्त नजदीक दिखाई पड़ रही थी ,जैसे तैसे विक्रांत के सहारे वो गेट तक पहुच गए जिसे दीवाल तोड़कर बनाया गया था ,बाहर कालिया के लोग थे और अंदर ठाकुर के गोलियां ही दोनो ओर के लोगो की रक्षा कर रही थी ,विक्रांत के कारण ठाकुर का कोई आदमी उनपर गोली नही चला रहा था यंहा तक की परमिंदर भी रुक गया था ,
प्राण जब बाहर आया और सामने का नजारा देखकर बौखला गया उसका ही भी उसके दुश्मन की ढाल बना हुआ है ,उसने आव देखा ना ताव और गोलिया चला दी जो सीधे सामने खड़े हुए विक्रांत के सीने में जा धंसी …
“विक्रांत …”
कनक की चीख निकली लेकिन कालिया उसे खिंचता हुआ हवेली के पार जा चुका था,दोनो ओर से गोलियों की बरसात सी हो गई ,प्राण अपने दिल के अजीज भाई को इस हालत में देखकर खुद को रोक नही पाया और गोलिया बरसते हुए गेट के बाहर तक आ गया जिसे पर्मिदंर ही खिंच कर अंदर लाया ………
कालिया और ठाकुर दोनो के कई लोगो को गोलिया लगी थी और कुछ ही देर में माहौल में शमशान की तरह की शांति छा गई थी ………..
इधर ठाकुर प्राण ने भी कुछ खास ना पता चलते देख अटैक करने का प्लान करना शुरू कर दिया ,इसी बीच कालिया और पूनम के बीच बात बढ़ने लगी …..
कालिया पूनम के बांहो में था,कालिया मैं जानती हु की तुम लोग यहां से निकलने वाले हो लेकिन क्या जाते जाते मुझे कोई तोहफा नही दोगे…
कालिया ने पूनम को प्यार से निहारा ..
“तुम कौन कहता है की मैं तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा “
“नही कालिया मैं इस हवेली को तभी छोडूंगी जब मैं प्राण की मौत देख लू “
पूनम की बात से कालिया स्तब्ध रह गया,उसने प्यार से उसके बालो को सहलाया ..
“तुहारी वो ख्वाहिश भी पूरी करूंगा लेकिन अभी बताओ क्या चाहिए तुम्हे तोहफे में ..”
पूनम हल्के से मुस्कराई ..
“तुम्हारा बच्चा “
पूनम बोल कर शर्मा गई लेकिन कालिया किसी सोच में पड़ गया..
“प्राण तुम्हे मार डालेगा ..”
“नही वो नही मरेगा...उसकी इतनी हिम्मत नही की तुम्हारे और मेरे बच्चे को हाथ लगा दे “
कालिया ने पूनम को जोरो से जकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया,दोनो ही मस्त हो चुके थे एक दूसरे के जिस्म की प्यास दोनो में बढ़ने लगी थी,पूनम कालिया का हाथ पकड़कर उसे एक दूसरे कमरे में ले गई,ये आलीशान कमरा था जंहा बड़े से प्रेम में प्राण और पुमन की फ़ोटो लगी थी …
“तो ये तुम्हारा कमरा है ,”
पूनम ने हा में सर हिलाया
वो बड़ा सा गोलाकार बिस्तर जिस्म कम से कम 4 लोग सो जाए ,कालिया ने पूनम का हाथ पकड़कर उसे उस बिस्तर में पटक दिया,दोनो के होठ मील और जिस्म भी मिलते गए ……..
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कनक और रोशनी अपनी तैयारी में बैठे थे ,विक्रांत भी उनका साथ देने को तैयार था,लेकिन वो हवेली छोड़कर नही जाना चाहता था ,वो अपने भइया से आशीर्वाद लेकर ही कनक को अपनाना चाहता था,उसे पता था की प्राण उससे कितना प्यार करता है,कनक घबराई जुरूर लेकिन अपने प्यार पर उसे पूरा भरोषा था,
“अगर मरेंगे तो साथ ही मरेंगे “विक्रांत ने उससे कहा
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इधर
प्राण से अब बर्दास्त नही हो रहा था,परमिंदर के मना करने के बाद भी वो नही रुका ,बड़े बड़े स्पीकर में अब पूनम की सिसकियां गूंज रही थी ,और दूसरी ओर उसका भाई उसके दुश्मन की बहन से शादी करने की बात सोच रहा था ,
प्राण ने पिस्तोल उठाई और अपने कमरे की ओर चल दिया…
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पूरे हवेली में घेरा बंदी शुरू हो गई थी,ठाकुर के सभी लोग सचेत थे ,ये सब समय से पहले हो रहा था,कालिया की जल्दबाजी का ही नतीजा था ,कालिया के लोगो ने जब देखा की हवेली को घेरा जा रहा है,तुरंत ही डॉ और त्तिवारी से संपर्क किया ,जल्दबाजी में ही गिरोह के सभी लोग वँहा पहुच गए और अपने सरदार को वँहा से निकालने का प्लान बनाने लगे ,गिरोह का नेतृत्व चिराग कर रहा था…
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हवेली के बाहर जितनी गहमा गहमी मची थी वैसी ही गहमा गहमी हवेली के अंदर प्राण सिंग के बिस्तर में भी मची हुई थी ,कालिया और पूनम एक दूसरे के नंगे जिस्म में दोहरे हुए जा रहे थे,कालिया ने जोर लगाया और अपना गर्म लावा पूनम के गर्भी में डाल दिया …..
पूनम को लगा कि जैसे उसे जन्नत मिल गई हो …….
कालिया तैयार हुआ और रोशनी और कनक के पास पहुच गया,पूनम भी तैयार होकर कमरे से बाहर निकली थी की…
प्राण उसके सामने खड़ा था उसकेआंखों में जैसे अंगारे थे …..
पूनम को देखते ही उसने गोलियां चला दी …….
गोलियों की आवाज पूरे माहौल में गूंज गई थी ……
पूनम लुढ़ककर नीचे गिरते गई …..
चारो ओर खून फैला था,और एक गजब की शांति पूरे वातावरण में छा गई …..
********
हवेली में बस ठाकुर के सिपाहियों के जूते की आवाज गुंजने लगी ,कालिया उसकी बहन और पत्नी घिर चुके थे,विक्रांत उसे बचता हुआ सामने चल रहा था ,वो उन्हें गेट तक ले गया जंहा से कालिया ने बाहर निकलने का रास्ता बनाया हुआ था,बचाव में कलिया के लोग भी फायरिंग करने लगे थे और कुछ अंदर भी आ चुके थे ,
परमिंदर सामने ही खड़ा हुआ था,विक्रांत को देखकर उसकी आंखे चौड़ी हो गई ..
“सामने से हट जाओ छोटे ठाकुर वरना आज मेरे हाथो से नही बच पाओगे ..”
“मैं मर जाऊंगा पर्मिदंर लेकिन इन्हें तुम नही रोक सकते “
विक्रांत के पीछे खड़े कालिया ने अपने पिस्तौल में अपनी हाथ मजबूत की ,चारो तरफ शोर शराबा था लेकिन ठाकुर का किला कालिया के लोगो के लिए अभेद्य ही रहा ,कालिया के लोग गोलियां खा रहे थे शिकस्त नजदीक दिखाई पड़ रही थी ,जैसे तैसे विक्रांत के सहारे वो गेट तक पहुच गए जिसे दीवाल तोड़कर बनाया गया था ,बाहर कालिया के लोग थे और अंदर ठाकुर के गोलियां ही दोनो ओर के लोगो की रक्षा कर रही थी ,विक्रांत के कारण ठाकुर का कोई आदमी उनपर गोली नही चला रहा था यंहा तक की परमिंदर भी रुक गया था ,
प्राण जब बाहर आया और सामने का नजारा देखकर बौखला गया उसका ही भी उसके दुश्मन की ढाल बना हुआ है ,उसने आव देखा ना ताव और गोलिया चला दी जो सीधे सामने खड़े हुए विक्रांत के सीने में जा धंसी …
“विक्रांत …”
कनक की चीख निकली लेकिन कालिया उसे खिंचता हुआ हवेली के पार जा चुका था,दोनो ओर से गोलियों की बरसात सी हो गई ,प्राण अपने दिल के अजीज भाई को इस हालत में देखकर खुद को रोक नही पाया और गोलिया बरसते हुए गेट के बाहर तक आ गया जिसे पर्मिदंर ही खिंच कर अंदर लाया ………
कालिया और ठाकुर दोनो के कई लोगो को गोलिया लगी थी और कुछ ही देर में माहौल में शमशान की तरह की शांति छा गई थी ………..