hotaks444
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सुनील ने रशीदा की गाँड को दोनों तरफ़ से पकड़ कर फैला दिया। जैसे ही रशीदा की गाँड का छेद नफ़ीसा की हवस ज़दा आँखों के सामने आया तो नफ़ीसा ने झुक कर अपनी ज़ुबान रशीदा की गाँड के छेद पर लगा दी। “ऊँऊँहहहह याल्लाहऽऽऽ... आहहहह ओहहह नफ़ीऽऽसाऽऽऽ मेरीईईई जान क्या कर रही है.... ओहहहह सक मीईईई ओहहह येस्स्स्स.!” सुनील के लौड़े पर ऊपर-नीचे कूदती हुई रशीदा अपनी गाँड के छेद पर नफ़ीसा की ज़ुबान महसूस करती हुई मचल कर जोर से सिसक उठी। नीचे लेटा सुनील रशीदा की मस्ती भरी सिसकारियाँ सुन कर और ज्यादा जोश में आ गया और अपनी कमर को तेजी से ऊपर की ओर उछालने लगा। सुनील का लंड रेल-इंजन के पिस्टन की तरह रशीदा की चूत के अंदर बाहर होने लगा। “ओहहहह सुनीईईल आहहहह ऐसे ही... और तेज़ तेज़ ऊऊऊँऊँहहह ऊऊऊहहहह ओहहहह सुनील मेरी जान...!” रशीदा अब एक दम मस्त हो चुकी थी। उसने झुक कर सुनील के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। उधर नफ़ीसा पीछे से रशीदा की गाँड में अपनी ज़ुबान घुसेड़-घुसेड़ कर चूसती हुई रशीदा की मस्ती में इज़ाफ़ा कर रही थी। लेस्बियन चुदाई के वक़्त दोनों औरतें अक्सर एक दूसरी की गाँड ज़ुबान से चाटने के साथ-साथ गाँड में अंदर तक उंगलियाँ घुसेड़-घुसेड़ कर गंदगी से सनी हुई उंगलियाँ खूब मज़े से चाट जाती थीं और एक-दूसरे के पाद सूँघने में भी उन्हें बेहद मज़ा आता था।
रशीदा के मुँह से “ऊँहहह ऊँहहह” जैसी सिसकारियों के आवाज़ें आने लगी और फिर उसका जिस्म एक दम ऐंठने लगा। जिस्म का सारा लहू उसे अपनी चूत की तरफ़ दौड़ता हुआ महसूस हुआ और अगले ही पल रशीदा की चूत से गाढ़े लेसदार पानी की धार बह निकाली। रशीदा बुरी तरह काँपते हुए झड़ने लगी और फिर सुनील के ऊपर निढाल होकर गिर पढ़ी। रूम में एक दम से सन्नाटा सा छा गया। थोड़ी देर बाद साँसें बहाल होने पर रशीदा सुनील के ऊपर से उतर कर बेड पे लेट गयी सुनील ने नफ़ीसा के कहने पर रशीदा की गाँड के नीचे एक तकिया लगा कर उसकी गाँड ऊपर उठा दी। नफ़ीसा ने पहले ही उसकी गाँड के छेद को अपनी जीभ और उंगलियों से चोद कर नरम कर दिया था। सुनील ने जैसे ही अपने लंड का सुपाड़ा रशीदा की गाँड के छेद पर रख कर दबाया तो सुनील के लंड का सुपाड़ा रशीदा की गाँड के छेद को फैलाता हुआ अंदर की ओर फिसल गया। सुनील के लंड का सुपाड़ा जैसे ही रशीदा की गाँड के छेद में घुसा तो रशीदा की आँखें फैल गयी और साँसें जैसे अटक गयी हों। “सुनील... फ़िक्र करने के जरूरत नहीं है... शाबाश मेरे शेर... फाड़ दे इस राँड की गाँड भी...!” नफ़ीसा ने नीचे झुक कर सुनील के टट्टों को सहलाते हुए कहा। रशीदा पत्थरायी हुई आँखों से सुनील को देख रही थी और अगले ही पल सुनील ने एक ज़ोरदार झटका मारा। “हाआआआयल्लाआआआआह.. फाआआड़ दी ना मेरी गाँड ओहहहहह... ऊँऊँहहह.!”
“अभी तो शुरुआत है मेरी जान... आगे-आगे देख कितना मज़ा आता है... देख तेरी गाँड के आज कैसे चिथड़े उड़ते हैं..!” नफ़ीसा ने कहा और फिर सुनील से बोली, “सुनील कोई रहम मत करना इस राँड पे... खूब गाँड मरवायी हुई है इसने... कुछ नहीं होगा इसे!” ये सुनते ही सुनील ने एक बार और करारा झटका मार कर अपना पूरा का पूरा लंड रशीदा की गाँड के छेद में चाँप दिया। रशीदा के चेहरे पर दर्द के आसार देख कर नफ़ीसा का दिल उसके लिये पिघल गया। उसने झुक कर पहले रशीदा की चूत की फ़ाँकों को फैलाया और उसकी चूत के मोटे अंगूर जैसे दाने को बाहर निकला कर अपने मुँह में भर लिया। जैसे ही रशीदा के चूत का दाना नफ़ीसा के मुँह में गया तो रशीदा एक बार फिर से सिसक उठी, “आआहहहह चूस साआलीईईई... मेरीईईई चूत ओहहह नफ़ीसाआआआ... चाट ले मेरे चूत ओहहहह देख तेरे सहेली की चूत ने आज कितना रस बहाया है..!”
नफ़ीसा ने भी रशीदा की बात सुनते हुए उसकी चूत के छेद पर अपना मुँह लगा दिया और उसकी चूत की फ़ाँकों और छेद को चाटते हुए उसकी चूत से निकल रहे गाढ़े लेसदार पानी को चाटने लगी। उसने रशीदा की चूत चाटते हुए सुनील की जाँघ पे चपत लगा कर धक्के लगाने का इशारा किया और सुनील ने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाल कर अंदर पेलना शुरू कर दिया। सुनील का लंड पुरी तरह फंसता हुआ रशीदा की गाँड के छेद के अंदर-बाहर हो रहा था। रशीदा की चूत चाटते हुए नफ़ीसा की नाक सुनील के लंड की जड़ में टकरा रही थी। कुछ ही पलों में रशीदा भी अपने रंग में आ गयी। सुनील का लंड जब उसकी गाँड के छेद में अंदर-बाहर होता तो उसके जिस्म में मस्ती की लहरें दौड़ जातीं। “ओहहहह सुनीईऽऽऽईल येस्स्स फक मॉय ऐस ओहहहहहह फाड़ दे मेरी गाँड... ओहह आहहहह ऊँहहहह आहहहहह.!”
सुनील ने भी ऐसे कस-कस के शॉट्स लगाये कि रशीदा की गाँड में सुरसुरी दौड़ने लगी। अब सुनील अपना पूरा लंड बाहर निकाल-निकाल कर रशीदा की गाँड में पेल रहा था और रशीदा की चूत का पानी और नफ़ीसा का थूक बह कर सुनील के लंड गीला कर रहा था। एक बार फिर से वही पुर्रर्र-पुर्रर्र की आवाज़ें रशीदा की सिसकारियों के साथ मिलकर पूरे कमरे में गूँजने लगी। रशीदा और नफ़िसा दोनों की चूत की धुनकी बज उठी... खासतौर पर रशीदा की चूत बुरी तरह कुलबुलाने लगी और वो “आहहहह ओहहहह सुनीईईऽऽल... आहहहहह ऊँहहह आआईईई” करते हुए झड़ने लगी। सुनील ने भी अपनी रफ़्तार को चरम तक पहुँचा दिया जिससे बेड भी चरमराने लगा। “ओहहहह सुनीईईईईल इसकी गाँड के अंदर नहीं झड़ना... हमें तेरे लंड के पानी का ज़ायक़ा चखना है...!” नफ़ीसा बोली तो सुनील ने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाल लिया। नफ़ीसा ने जल्दी से घुटनों के बल बैठते हुए सुनील के लंड को अपने हाथ में ली लिया और उसके लंड के सुपाड़ा पर अपनी जीभ फेरते हुए उसपे अपनी सहेली की गाँड की गंदगी चाटने लगी। रशीदा भी रंडी की तरह सुनील के टट्टों को अपने मुँह मैं भर कर चूसने लगी और अपनी ही गाँड का ज़ायक़ा लेने लगी। कुछ ही पलों में सुनील के लंड की नसें फूलने लगी और फिर जैसे ही दोनों रंडियों को अंदाज़ा हुआ कि सुनील के लंड से अब मनी इखराज़ होने वाली है... दोनों ने अपने मुँह खोल लिये और फिर सुनील के लंड से वीर्य की लंबी-लंबी पिचकारियाँ निकलने लगी जो सीधा जाकर दोनों के मुँह और मम्मों पर गिरने लगी। सुनील के लंड इतना पानी निकला कि दोनों के चेहरे और मम्मे पूरी तरह से सन गये। फिर सुनील झड़ने के बाद बेड पर लेट गया और दोनों औरतें एक दूसरे का चेहरे और मम्मे चाटते हुए सुनील की मनी का ज़ायका लेने लगीं। तीनों सुबह तीन बजे तक चुदाई का खेल खेलते रहे और सुबह तीन बजे सोये।
फिर सुबह नफ़ीसा ने सुनील और रशीदा को आठ बजे उठाया। सुनील ने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ़ चला गया। जैसे ही उसने घर पहुँच कर डोर-बेल बजायी तो रुखसाना ने दरवाजा खोला और सुनील दुआ-सलाम के बाद ऊपर चला गया। ऊपर जाने के बाद सुनील फ्रेश हुआ और नाश्ता करके फिर से स्टेशन पर पहुँच गया। जब सुनील वहाँ पहुँचा तो नफ़ीसा और रशीदा भी आ चुकी थी। तीनों ने एक दूसरे के तरफ़ देखा और मुस्कुरा पड़े।
रशीदा के मुँह से “ऊँहहह ऊँहहह” जैसी सिसकारियों के आवाज़ें आने लगी और फिर उसका जिस्म एक दम ऐंठने लगा। जिस्म का सारा लहू उसे अपनी चूत की तरफ़ दौड़ता हुआ महसूस हुआ और अगले ही पल रशीदा की चूत से गाढ़े लेसदार पानी की धार बह निकाली। रशीदा बुरी तरह काँपते हुए झड़ने लगी और फिर सुनील के ऊपर निढाल होकर गिर पढ़ी। रूम में एक दम से सन्नाटा सा छा गया। थोड़ी देर बाद साँसें बहाल होने पर रशीदा सुनील के ऊपर से उतर कर बेड पे लेट गयी सुनील ने नफ़ीसा के कहने पर रशीदा की गाँड के नीचे एक तकिया लगा कर उसकी गाँड ऊपर उठा दी। नफ़ीसा ने पहले ही उसकी गाँड के छेद को अपनी जीभ और उंगलियों से चोद कर नरम कर दिया था। सुनील ने जैसे ही अपने लंड का सुपाड़ा रशीदा की गाँड के छेद पर रख कर दबाया तो सुनील के लंड का सुपाड़ा रशीदा की गाँड के छेद को फैलाता हुआ अंदर की ओर फिसल गया। सुनील के लंड का सुपाड़ा जैसे ही रशीदा की गाँड के छेद में घुसा तो रशीदा की आँखें फैल गयी और साँसें जैसे अटक गयी हों। “सुनील... फ़िक्र करने के जरूरत नहीं है... शाबाश मेरे शेर... फाड़ दे इस राँड की गाँड भी...!” नफ़ीसा ने नीचे झुक कर सुनील के टट्टों को सहलाते हुए कहा। रशीदा पत्थरायी हुई आँखों से सुनील को देख रही थी और अगले ही पल सुनील ने एक ज़ोरदार झटका मारा। “हाआआआयल्लाआआआआह.. फाआआड़ दी ना मेरी गाँड ओहहहहह... ऊँऊँहहह.!”
“अभी तो शुरुआत है मेरी जान... आगे-आगे देख कितना मज़ा आता है... देख तेरी गाँड के आज कैसे चिथड़े उड़ते हैं..!” नफ़ीसा ने कहा और फिर सुनील से बोली, “सुनील कोई रहम मत करना इस राँड पे... खूब गाँड मरवायी हुई है इसने... कुछ नहीं होगा इसे!” ये सुनते ही सुनील ने एक बार और करारा झटका मार कर अपना पूरा का पूरा लंड रशीदा की गाँड के छेद में चाँप दिया। रशीदा के चेहरे पर दर्द के आसार देख कर नफ़ीसा का दिल उसके लिये पिघल गया। उसने झुक कर पहले रशीदा की चूत की फ़ाँकों को फैलाया और उसकी चूत के मोटे अंगूर जैसे दाने को बाहर निकला कर अपने मुँह में भर लिया। जैसे ही रशीदा के चूत का दाना नफ़ीसा के मुँह में गया तो रशीदा एक बार फिर से सिसक उठी, “आआहहहह चूस साआलीईईई... मेरीईईई चूत ओहहह नफ़ीसाआआआ... चाट ले मेरे चूत ओहहहह देख तेरे सहेली की चूत ने आज कितना रस बहाया है..!”
नफ़ीसा ने भी रशीदा की बात सुनते हुए उसकी चूत के छेद पर अपना मुँह लगा दिया और उसकी चूत की फ़ाँकों और छेद को चाटते हुए उसकी चूत से निकल रहे गाढ़े लेसदार पानी को चाटने लगी। उसने रशीदा की चूत चाटते हुए सुनील की जाँघ पे चपत लगा कर धक्के लगाने का इशारा किया और सुनील ने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाल कर अंदर पेलना शुरू कर दिया। सुनील का लंड पुरी तरह फंसता हुआ रशीदा की गाँड के छेद के अंदर-बाहर हो रहा था। रशीदा की चूत चाटते हुए नफ़ीसा की नाक सुनील के लंड की जड़ में टकरा रही थी। कुछ ही पलों में रशीदा भी अपने रंग में आ गयी। सुनील का लंड जब उसकी गाँड के छेद में अंदर-बाहर होता तो उसके जिस्म में मस्ती की लहरें दौड़ जातीं। “ओहहहह सुनीईऽऽऽईल येस्स्स फक मॉय ऐस ओहहहहहह फाड़ दे मेरी गाँड... ओहह आहहहह ऊँहहहह आहहहहह.!”
सुनील ने भी ऐसे कस-कस के शॉट्स लगाये कि रशीदा की गाँड में सुरसुरी दौड़ने लगी। अब सुनील अपना पूरा लंड बाहर निकाल-निकाल कर रशीदा की गाँड में पेल रहा था और रशीदा की चूत का पानी और नफ़ीसा का थूक बह कर सुनील के लंड गीला कर रहा था। एक बार फिर से वही पुर्रर्र-पुर्रर्र की आवाज़ें रशीदा की सिसकारियों के साथ मिलकर पूरे कमरे में गूँजने लगी। रशीदा और नफ़िसा दोनों की चूत की धुनकी बज उठी... खासतौर पर रशीदा की चूत बुरी तरह कुलबुलाने लगी और वो “आहहहह ओहहहह सुनीईईऽऽल... आहहहहह ऊँहहह आआईईई” करते हुए झड़ने लगी। सुनील ने भी अपनी रफ़्तार को चरम तक पहुँचा दिया जिससे बेड भी चरमराने लगा। “ओहहहह सुनीईईईईल इसकी गाँड के अंदर नहीं झड़ना... हमें तेरे लंड के पानी का ज़ायक़ा चखना है...!” नफ़ीसा बोली तो सुनील ने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाल लिया। नफ़ीसा ने जल्दी से घुटनों के बल बैठते हुए सुनील के लंड को अपने हाथ में ली लिया और उसके लंड के सुपाड़ा पर अपनी जीभ फेरते हुए उसपे अपनी सहेली की गाँड की गंदगी चाटने लगी। रशीदा भी रंडी की तरह सुनील के टट्टों को अपने मुँह मैं भर कर चूसने लगी और अपनी ही गाँड का ज़ायक़ा लेने लगी। कुछ ही पलों में सुनील के लंड की नसें फूलने लगी और फिर जैसे ही दोनों रंडियों को अंदाज़ा हुआ कि सुनील के लंड से अब मनी इखराज़ होने वाली है... दोनों ने अपने मुँह खोल लिये और फिर सुनील के लंड से वीर्य की लंबी-लंबी पिचकारियाँ निकलने लगी जो सीधा जाकर दोनों के मुँह और मम्मों पर गिरने लगी। सुनील के लंड इतना पानी निकला कि दोनों के चेहरे और मम्मे पूरी तरह से सन गये। फिर सुनील झड़ने के बाद बेड पर लेट गया और दोनों औरतें एक दूसरे का चेहरे और मम्मे चाटते हुए सुनील की मनी का ज़ायका लेने लगीं। तीनों सुबह तीन बजे तक चुदाई का खेल खेलते रहे और सुबह तीन बजे सोये।
फिर सुबह नफ़ीसा ने सुनील और रशीदा को आठ बजे उठाया। सुनील ने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ़ चला गया। जैसे ही उसने घर पहुँच कर डोर-बेल बजायी तो रुखसाना ने दरवाजा खोला और सुनील दुआ-सलाम के बाद ऊपर चला गया। ऊपर जाने के बाद सुनील फ्रेश हुआ और नाश्ता करके फिर से स्टेशन पर पहुँच गया। जब सुनील वहाँ पहुँचा तो नफ़ीसा और रशीदा भी आ चुकी थी। तीनों ने एक दूसरे के तरफ़ देखा और मुस्कुरा पड़े।