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- Dec 5, 2013
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'ठहरो, मैं तुम्हें छोड़ आऊं।'
'इतना कष्ट करने की क्या आवश्यकता है?'
"ऐसे ही चलो। सैर ही सही, घर में अकेला बैठे-बैठे भी क्या करूगा।' राज माला को छोड़ने के लिए चल दिया। जब वे दोनों सड़क पर जा पहुंचे तो राज बोला, 'माला एक बात पूंछू?'
'अवश्य।'
'जय में ऐसी क्या विशेषता है जो मुझमें नहीं?'
'कोई विशेष बात तो दिखाई नहीं देती।'
"फिर डॉली मुझे छोड़कर उसे क्यों पसंद करती है?'
'राज, तुममें और उसमें एक अंतर है।'
'क्या?'
'वह तुमसे अधिक अमीर है, पढ़ा हुआ है और....।'
'परंतु यह सब तो दिखावे की वस्तुएं हैं, इनका प्रेम से क्या संबंध, प्रेम तो हृदय से होता है।'
'परंतु डॉली की दृष्टि में इन वस्तुओं का मूल्य अधिक है।'
'मुझसे अमीर सही, परंतु मैं भी तो कोई भिखारी नहीं।'
'चाहे भिखारी नहीं हो, लेकिन तुम डॉली के पिता के नौकर तो हो।'
'यह बात तो है, परंतु प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी का नौकर है ही।'
'खैर बहस से क्या लाभ। मैं तो डॉली का दृष्टिकोण तुम्हें बता रही थी।'
'तुम यह सब किस प्रकार कह सकती हो?'
'यह सब बातें डॉली ने ही मुझसे कही थीं।'
'क्या कहा था?'
"कि मुझे अपने जीवन का भविष्य भी देखना है। जय के साथ रहकर मैं जितने आदर और आराम का जीवन बिता सकती हूं, क्या वह राज के साथ रहकर संभव है? इसमें कोई संदेह नहीं कि वह एक अच्छा लड़का है परंतु फिर हमारा नौकर ही है।'
'मेरी अवहेलना केवल इसलिए की जा रही है कि मैं उसे जीवन का सुख और आराम नहीं दे सकता। पर माला, मैं तुम्हें किस प्रकार विश्वास दिलाऊं कि मैं सब प्रकार का सुख और आराम अपनी....।' कहते-कहते राज रुक गया।
'रुक क्यों गए?'
'माला, मैं चलता हूं। बातों-बातों में इतनी दूर पहुंच गया।'
'अच्छा फिर मिलेंगे, मैं तो फिर भी यही कहूंगी कि उसका ध्यान छोड़ दो। जिस राह जाना नहीं उसकी नाप-तोल करने से क्या लाभ?' यह कहकर माला आगे चली गई और राज घर की ओर लौटा।
'इतना कष्ट करने की क्या आवश्यकता है?'
"ऐसे ही चलो। सैर ही सही, घर में अकेला बैठे-बैठे भी क्या करूगा।' राज माला को छोड़ने के लिए चल दिया। जब वे दोनों सड़क पर जा पहुंचे तो राज बोला, 'माला एक बात पूंछू?'
'अवश्य।'
'जय में ऐसी क्या विशेषता है जो मुझमें नहीं?'
'कोई विशेष बात तो दिखाई नहीं देती।'
"फिर डॉली मुझे छोड़कर उसे क्यों पसंद करती है?'
'राज, तुममें और उसमें एक अंतर है।'
'क्या?'
'वह तुमसे अधिक अमीर है, पढ़ा हुआ है और....।'
'परंतु यह सब तो दिखावे की वस्तुएं हैं, इनका प्रेम से क्या संबंध, प्रेम तो हृदय से होता है।'
'परंतु डॉली की दृष्टि में इन वस्तुओं का मूल्य अधिक है।'
'मुझसे अमीर सही, परंतु मैं भी तो कोई भिखारी नहीं।'
'चाहे भिखारी नहीं हो, लेकिन तुम डॉली के पिता के नौकर तो हो।'
'यह बात तो है, परंतु प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी का नौकर है ही।'
'खैर बहस से क्या लाभ। मैं तो डॉली का दृष्टिकोण तुम्हें बता रही थी।'
'तुम यह सब किस प्रकार कह सकती हो?'
'यह सब बातें डॉली ने ही मुझसे कही थीं।'
'क्या कहा था?'
"कि मुझे अपने जीवन का भविष्य भी देखना है। जय के साथ रहकर मैं जितने आदर और आराम का जीवन बिता सकती हूं, क्या वह राज के साथ रहकर संभव है? इसमें कोई संदेह नहीं कि वह एक अच्छा लड़का है परंतु फिर हमारा नौकर ही है।'
'मेरी अवहेलना केवल इसलिए की जा रही है कि मैं उसे जीवन का सुख और आराम नहीं दे सकता। पर माला, मैं तुम्हें किस प्रकार विश्वास दिलाऊं कि मैं सब प्रकार का सुख और आराम अपनी....।' कहते-कहते राज रुक गया।
'रुक क्यों गए?'
'माला, मैं चलता हूं। बातों-बातों में इतनी दूर पहुंच गया।'
'अच्छा फिर मिलेंगे, मैं तो फिर भी यही कहूंगी कि उसका ध्यान छोड़ दो। जिस राह जाना नहीं उसकी नाप-तोल करने से क्या लाभ?' यह कहकर माला आगे चली गई और राज घर की ओर लौटा।