सोबरा गरुड़ के द्वारा, जथूरा की जमीन का मालिक बनना चाहता है। तभी तो सोबरा के कहने पर, गरुड़ तवेरा के करीब जाने की चेष्टा में है। उससे ब्याह करना चाहता है तो सबसे पहले हम ये बात तवेरा को बताकर कहेंगे कि वो भी गरुड़ के साथ प्यार का नाटक करे और जो खबरें देने को कहूं, वो उसे दे।”
ये ठीक कहा।”
सोबरा कभी नहीं चाहेगा कि जथूरा कैद से आजाद हो। इसलिए उसे गरुड़ से हमारे खिलाफ काम करवाना पड़े तो वो जरूर करवाएगा। परंतु गरुड़ द्वारा उसे गलत खबरें मिल रही होंगी तो सोबरा अवश्य मात खा जाएगा।”\\
पोतेबाबा ने कठोर स्वर में कहा-“अब सोबरा वो ही सोचेगा, जो हम चाहेंगे। हमारी चालें सोबरा की सोचों को बदल देंगी।”
रातुला ने सिर हिलाया।।
परंतु मैं अपनी एक चाल गरुड़ को बता चुका हूं। वो गलत हुआ।”
कैसी चाल?”
मोमो जिन्न के बारे में । जो सोबरा की जमीन की तरफ जा रहा है। उसमें मोमो जिन्न का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। सोबरा उसे कैद कर लेगा या मार देगा। जबकि मोमो जिन्न बेहद काबिल जिन्न है। उसे बचाना होगा।”
| कैसे?”
“वो मैं ठीक कर लूंगा।” पोतेबाबा ने सिर हिलाया—“तुम उस कमरे में किसी को छिपा दो कि जब गरुड़ सोबरा से उस यंत्र के द्वारा बात करे तो उसकी बातें सुनकर, उसके गद्दार होने का यकीन हमारा पूरी तरह विश्वास में बदल सके।”
ये इंतजाम मैं अभी करता हूं।”
शेष बातें फिर करेंगे।”
रातुला वहां से चला गया। | पोतेबाबा भी बाहर निकला और तेजी से एक तरफ बढ़ गया। उसके चेहरे पर सख्ती के भाव थे। माथे पर बल नजर आ रहे थे। सात-आठ मिनट चलने के बाद पोतेबाबा ने उस कमरे में प्रवेश किया, जहां बीस से ज्यादा कम्प्यूटर और स्क्रीनें चमक रही थीं। लाल वर्दी पहने जथूरा के सेवक हर तरफ व्यस्त नजर आ रहे थे।
पोतेबाबा कुर्सी पर बैठे एक सेवक के पास पहुंचा। काम में व्यस्त सेवक उस पर नजर मारते ही कह उठा। “जथूरा महान है।”
उस जैसा कोई दूसरा नहीं।” पोतेबाबा ने कहा-“फौरन इस काम को करो। मोमो जिन्न का सॉफ्टवेयर चालू करो और उसमें मौजूद इंसानी इच्छाओं को हटा दो।” ।
“ओह! मोमो जिन्न् में इंसानी इच्छाएं डाल दी गई थीं।” वो सेवक बोला।
“तब ऐसा करना जरूरी था। अब उन इच्छाओं को हटा देना जरूरी है।” पोतेबाबा ने कहा।
“मैं अभी इस काम पर लग जाता हूं।” सेवक बोला।।
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मोमो जिन्न, लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा तेजी से आगे बढ़े जा रहे थे। जंगल खत्म होने को था। सामने खुश्क पहाड़ नजर आने लगे थे, जो कि धूप में तपते से लग रहे थे।
“इसी तरह चलता रहा तो मैं मर जाऊंगा।” लक्ष्मण दास ने कहा और वहीं नीचे बैठ गया।
मोमो जिन्न और सपन चड्ढा ठिठके। पलटे।
थोड़ा सा और चल ले।” मोमो जिन्न प्यार से कह उठा।
“मेरी ये उम्र भाग-दौड़ की नहीं है। लक्ष्मण दास हाथ हिलाकर बोला।
“बात समझ यार ।” मोमो जिन्न ने खुशामद भरे स्वर में कहा—“सोबरा की जमीन पर पहुंचकर हम सुरक्षित हो जाएंगे। जथूरा के सेवकों ने हमारी स्थिति भांप ली तो, वो हमें सोबरा की जमीन पर नहीं पहुंचने देंगे। उन्हें पता चल गया कि मुझमें इंसानी इच्छाएं आ गई हैं तो वो मुझे मार देंगे।”
लक्ष्मण दास कुछ नहीं बोला।
“तू मेरा यार नहीं है।” मोमो जिन्न ने कहा।
थकान से मेरी टांगें कांप रही हैं।” लक्ष्मण दास मरे स्वर में बोला–“गर्मी से जान निकली जा रही है।”
“मेरी खातिर, अपनी खातिर, सोबरा से कहकर मैं तुमकों वापस तुम्हारी दुनिया में भिजवा दूंगा। यहां से उठो। आधे से ज्यादा रास्ता पार हो गया है। शाम तक हम सोबरा की जमीन पर होंगे।”
“मैं भी थक गया हूं।” सपन चड्ढा ने कहा और जमीन पर जा बैठा।
“तुम दोनों मुझे मुसीबत में डाल दोगे।” मोमो जिन्न मुंह बनाकर कह उठा–“मैं नहीं बनूंगा।” ।
“हमें अपने साथ लाना ही नहीं चाहिए था।” सपन चड्ढा ने कहा।
तुम दोनों को साथ न लाता तो, फिर मेरा काम ही क्या था। वापस जाता तो वो मेरा परीक्षण करके, मेरे शरीर में आ चुकी इच्छाओं के बारे में जानते और मुझे मार देते। तुम दोनों के कारण ही तो...।”
अब हमें आराम करने दो।”
मैं तो नींद लूंगा।” लक्ष्मण दास सच में बहुत थका हुआ था।
मेरे लिए तो मुसीबत खड़ी हो गई।” मोमो जिन्न ने आसपास नजरें घुमाईं–“ये दोनों बेवकूफ हैं, हालातों को समझते नहीं हैं कि जथूरा के सेवक हमारे लिए खतरा खड़ा कर देंगे।” |
“देवराज चौहान, मोना चौधरी, बाकी लोग अब कहां होंगे?” सपन चड्ढा ने पूछा।
“मुझे क्या पता?”
“तुम जिन्न हो। पता कर सकते...।” ।
मैं अपनी ताकतों का इस्तेमाल करूंगा तो उन्हें सिग्नल मिल जाएगा कि मैं किस दिशा में हूं। मुझे खामोश रहना होगा।”
“तुम कैसे अजीब जिन्न हो, जो जथूरा के सेवकों से डरते हो ।”
“जथूरा का सेवक हूं मैं, मुझ पर अधिकार कर रखा है उसने । वो मेरा मालिक है। मुझे उससे डरना पड़ता है।”
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं।
ये बेकार का जिन्न है।”
कैसा भी जिन्न है, हमें तो इसने फंसा दिया।”
ऐसा मत सोचो। ऐसा मत कहो। मैं तुम दोनों का यार हूं। तुम्हारा भला कर रहा...”
हमारा भला कर रहा है या अपना ।” सपन चड्ढा ने तीखे स्वर में कहा।
“तुम दोनों मेरा विश्वास कभी नहीं करते। जबकि मैं तुम्हारे साथ कितने प्यार से पेश आता हूं। लामा जिन्न होता मेरी जगह तो अब तक तुम दोनों की हालत बिगाड़ चुका होता। मेरी शराफत का फायदा उठा...।”
“तू और शरीफ।” सपन चड्ढा ने बड़े तीखे स्वर में कहा-“तू तो...।”
सपन चड्ढा के शब्द अधूरे ही रह गए। उसने मोमो जिन्न के चेहरे के भाव बदलते देखे। लक्ष्मण दास की निगाह भी उस पर टिक गई। \
तभी मोमो जिन्न ने गहरी सांस ली और दोनों को देखा। अगले ही पल उसकी गर्दन इस तरह टेढ़ी हो गई जैसे किसी की बात सुन रहा हो। आंखें बंद हो गई थीं इस दौरान उसकी।
जथूरा के सेवकों की तरफ से इस हरामी को नया ऑर्डर मिल रहा होगा।” सपन चड्ढा बोला।
“मुझे तो भूख लग रही है।”
मुझे भी, लेकिन यहां खाने को क्या मिलेगा?”
मोमो जिन्न उसी मुद्रा में समझने वाले ढंग में सिर हिला रहा था। फिर मोमो जिन्न सामान्य अवस्था में आ गया और उन्हें देखा।
अब क्या कहा जथूरा के सेवकों ने?”
तुम कौन होते हो पूछने वाले।” मोमो जिन्न तेज स्वर में बोला।
“क्या मतलब?” ।
“अपनी औकात में रहो।”
“तुम...तुम हमें औकात में रहने को कह रहे हो।” सपन चड्ढा के माथे पर बल पडे।।
होश में रहो, जिन्न के ज्यादा मुंह नहीं लगते।”
तुम पागल तो नहीं हो गए।”
तुम घटिया जाति के मनुष्य, सर्वश्रेष्ठ जिन्न को पागल कहते हो।” मोमो जिन्न ने कठोर स्वर में कहा “मैं तुम दोनों को अभी मिट्टी में मिला दूंगा। मेरे सामने जुबान मत चलाओ।” |
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं। चेहरे पर हैरानी थी।
इसे क्या हो गया है?” पागल हो गया लगता है।”
मोमो जिन्न के होंठों से हुंकार निकली।
जिन्न को पागल कहते हो। जबकि जिन्न कभी भी पागल नहीं होता।”
“तेरे को हो क्या गया है?”
“मैं...मुझमें ।” मोमो जिन्न एकाएक नजरें चुराता कह उठा–“से इंसानी इच्छाएं निकल गई हैं।”
“तो तुम फिर से असली जिन्न बन गए।” लक्ष्मण दास हड़बड़ाया।
*असली-नकली क्या होता है।” मोमो जिन्न ने कठोर स्वर् में कहा।।
यार तुम तो हमारे यार हो ।”
“यार ।” मोमो जिन्न के होंठों से हुंकार निकली—“लगता है तुम लोग शिष्टता भूल गए ।”
“शिष्टता?” लक्ष्मण दास, सपन चड्ढा ने एक-दूसरे को देखा।
ये अब वो नहीं रहा।” बुरे फंसे ।”
अब हमारा क्या होगा?”
क्यों मोमो जिन्न। अब हमारा क्या होगा?” लक्ष्मण दास ने मोमो जिन्न से पूछा।
“तुम दोनों मेरे गुलाम हो।”
वों दोस्ती वाली बात ख़त्म हो गई?”
“जिन्न किसी का दोस्त नहीं होता। जिन्न या तो मालिक होता है या गुलाम होता है।”
हमारा क्या होगा?”
इस बारे में जथूरा के सेवक हुक्म देंगे।”
हममें जो पहले बात हुई थी, वो सारी खत्म?”
तब की बात दूसरी थी। तब मेरे में किसी ने इंसानी इच्छाएं डाल दी थीं ।”