desiaks
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तुम आखिर हमसे चाहते क्या हो?” मोना चौधरी कह उठी।
“मैं तो आप सबको दोस्ती चाहता हूं। सबको अपना बनाना चाहता हूं।” वो मीठा-मधुर स्वर सबने सुना।
“हममें से किसी का मन पूर्वजन्म का सफर करने का नहीं था, परंतु हालात ऐसे बनते चले गए कि हमें यहाँ तक आ जाना पड़ा।”
मिन्नो। सब बातें यहीं हो जाएंगी तो मिलने पर हम कुछ भी बात नहीं कर पाएंगे। क्यों न ये सब बातें हम मिलने पर करें।”
मोना चौधरी होंठ भींचकर रह गई।
“तुम कैसे हो देवा?” जथूरा के सेवक की आवाज आई।
जगमोहन और सोहनलाल कहां हैं?”
“वो दोनों कालचक्र में फंसे हुए हैं। दोनों सुरक्षित हैं और जल्दी ही वे कालचक्र से बाहर, जथूरा की जमीन पर आ पहुंचेंगे। सारा कालचक्र सिमटता जा रहा है। सिर्फ वो हिस्सा ही वैसे-का-वैसा है, जहां जग्गू और गुलचंद मौजूद हैं।”
“तुम लोगों के इरादे स्पष्ट नहीं हैं।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।
“कैसे इरादे?"
तुम हमें पूर्वजन्म के सफर से रोकना चाहते थे या सफर कराना चाहते थे?”
तुम्हारा क्या विचार है देवा कि हम क्या चाहते हैं?”
“इस बारे में मेरा विचार स्पष्ट नहीं है।” देवराज चौहान ने कहा।
“अपने दिमाग पर ज्यादा जोर मत दो। उस वक्त का इंतजार करो, जब हमारी मुलाकात होगी और उस वक्त में ज्यादा समय नहीं है। अब तुम लोग आराम से सफर करो। मुझे कुछ जरूरी काम करने हैं।”
इसके साथ ही आवाज आनी बंद हो गई।
यों सबों तो बोत टेड़ो बंदो लगों हो।” कांच की पनडुब्बी की रफ्तार तेज हो चुकी थी।
“मैं तो आप सबको दोस्ती चाहता हूं। सबको अपना बनाना चाहता हूं।” वो मीठा-मधुर स्वर सबने सुना।
“हममें से किसी का मन पूर्वजन्म का सफर करने का नहीं था, परंतु हालात ऐसे बनते चले गए कि हमें यहाँ तक आ जाना पड़ा।”
मिन्नो। सब बातें यहीं हो जाएंगी तो मिलने पर हम कुछ भी बात नहीं कर पाएंगे। क्यों न ये सब बातें हम मिलने पर करें।”
मोना चौधरी होंठ भींचकर रह गई।
“तुम कैसे हो देवा?” जथूरा के सेवक की आवाज आई।
जगमोहन और सोहनलाल कहां हैं?”
“वो दोनों कालचक्र में फंसे हुए हैं। दोनों सुरक्षित हैं और जल्दी ही वे कालचक्र से बाहर, जथूरा की जमीन पर आ पहुंचेंगे। सारा कालचक्र सिमटता जा रहा है। सिर्फ वो हिस्सा ही वैसे-का-वैसा है, जहां जग्गू और गुलचंद मौजूद हैं।”
“तुम लोगों के इरादे स्पष्ट नहीं हैं।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।
“कैसे इरादे?"
तुम हमें पूर्वजन्म के सफर से रोकना चाहते थे या सफर कराना चाहते थे?”
तुम्हारा क्या विचार है देवा कि हम क्या चाहते हैं?”
“इस बारे में मेरा विचार स्पष्ट नहीं है।” देवराज चौहान ने कहा।
“अपने दिमाग पर ज्यादा जोर मत दो। उस वक्त का इंतजार करो, जब हमारी मुलाकात होगी और उस वक्त में ज्यादा समय नहीं है। अब तुम लोग आराम से सफर करो। मुझे कुछ जरूरी काम करने हैं।”
इसके साथ ही आवाज आनी बंद हो गई।
यों सबों तो बोत टेड़ो बंदो लगों हो।” कांच की पनडुब्बी की रफ्तार तेज हो चुकी थी।