desiaks
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एक चुम्मी दे दे।” मखानी दांत फाड़कर कह उठा।
“यही तो तेरे में बुराई है, जरा-सी हंसकर बात की नहीं कि चुम्मी मांगने लगता है।”
मखानी ने झपट्टा मारा और कमला रानी की चुम्मी ले ली।
ये ठीक किया ।” कमला रानी बोली “तेरे को पहले भी समझाया है कि औरत से मांगते कुछ नहीं, आगे बढ़कर चुपचाप ले लेते हैं।”
“वाह री औरत।” मखानी ने गहरी सांस ली–“एक नम्बर की हरामी जात है।”
ये तेरे को अब पता चला।”
“पता तो पहले से ही था, पर सही तस्वीर तो तेरी देखी है। तूने तो औरतों की जात पर डंडा घुमा दिया।”
सब थोड़े न, मेरे जैसी दिलदार होती हैं।” तू तो...।" । तभी पीछे कुछ आहटें उभरीं। दोनों ने चलते-चलते गर्दन घुमाकर देखा पीछे। “ओह, देवा को क्या हुआ?” कमला रानी के होंठों से निकला।
एकाएक देवराज चौहान के मस्तिष्क में पीड़ा की तीव्र लहर उठी। देवराज चौहान के होंठों से हल्की-सी कराह निकली। दोनों हाथों से उसने सिर थाम लिया। आंखें बंद होती चली गईं। वो जोरों से लड़खड़ाया और घुटने मुड़ते चले गए। ये सब कुछ मात्र दो पलों में हो गया था। वो नीचे गिरने लगा तो पीछे आते पारसनाथ ने उसकी बिगड़ी हालत को पहचाना और उसके गिरने से पहले ही उसे थामकर संभाल लिया, फिर धीरे से नीचे बैठा दिया।
सब ठिठके।।
“क्या हो गया आपको?” नगीना के होंठों से चीख निकली और आगे बढ़कर उसने देवराज चौहान को संभाला।
देवराज चौहान के दोनों हाथ अभी भी सिर पर थे। आंखें बंद थीं। होंठ भिंचे हुए थे। उसे किसी का कोई स्वर सुनाई नहीं दे रहा था। उसके मस्तिष्क में तूफान उठा हुआ था।
बंद आंखों के पीछे आंधी उठती महसूस हो रही थी। आग की लपटों का भंडार था वो, जो कि हवा के रुख के साथ बहने की चेष्टा कर रहा था। वहां पहाड़ियां थीं। कठोर चट्टानों की पहाड़ियां मधे यम-सी ऊंची चोटी पर दो गुफाएं नजर आ रही थीं। इतनी बड़ी गुफाएं कि एक साथ दस आदमी भीतर प्रवेश कर सकें। दोनों गुफाओं के बीच दस फुट का फासला था। तभी उसे वो दोनों गुफाएं हिलती-सी महसूस हुईं। थोड़ा-सा हिल, फिर वो थम गईं। साथ ही हल्की सी कराह स्पष्ट तौर पर उसके कानों में पड़ी।
| देवराज चौहान की निगाह उन गुफाओं पर टिकी रही।
“यही तो तेरे में बुराई है, जरा-सी हंसकर बात की नहीं कि चुम्मी मांगने लगता है।”
मखानी ने झपट्टा मारा और कमला रानी की चुम्मी ले ली।
ये ठीक किया ।” कमला रानी बोली “तेरे को पहले भी समझाया है कि औरत से मांगते कुछ नहीं, आगे बढ़कर चुपचाप ले लेते हैं।”
“वाह री औरत।” मखानी ने गहरी सांस ली–“एक नम्बर की हरामी जात है।”
ये तेरे को अब पता चला।”
“पता तो पहले से ही था, पर सही तस्वीर तो तेरी देखी है। तूने तो औरतों की जात पर डंडा घुमा दिया।”
सब थोड़े न, मेरे जैसी दिलदार होती हैं।” तू तो...।" । तभी पीछे कुछ आहटें उभरीं। दोनों ने चलते-चलते गर्दन घुमाकर देखा पीछे। “ओह, देवा को क्या हुआ?” कमला रानी के होंठों से निकला।
एकाएक देवराज चौहान के मस्तिष्क में पीड़ा की तीव्र लहर उठी। देवराज चौहान के होंठों से हल्की-सी कराह निकली। दोनों हाथों से उसने सिर थाम लिया। आंखें बंद होती चली गईं। वो जोरों से लड़खड़ाया और घुटने मुड़ते चले गए। ये सब कुछ मात्र दो पलों में हो गया था। वो नीचे गिरने लगा तो पीछे आते पारसनाथ ने उसकी बिगड़ी हालत को पहचाना और उसके गिरने से पहले ही उसे थामकर संभाल लिया, फिर धीरे से नीचे बैठा दिया।
सब ठिठके।।
“क्या हो गया आपको?” नगीना के होंठों से चीख निकली और आगे बढ़कर उसने देवराज चौहान को संभाला।
देवराज चौहान के दोनों हाथ अभी भी सिर पर थे। आंखें बंद थीं। होंठ भिंचे हुए थे। उसे किसी का कोई स्वर सुनाई नहीं दे रहा था। उसके मस्तिष्क में तूफान उठा हुआ था।
बंद आंखों के पीछे आंधी उठती महसूस हो रही थी। आग की लपटों का भंडार था वो, जो कि हवा के रुख के साथ बहने की चेष्टा कर रहा था। वहां पहाड़ियां थीं। कठोर चट्टानों की पहाड़ियां मधे यम-सी ऊंची चोटी पर दो गुफाएं नजर आ रही थीं। इतनी बड़ी गुफाएं कि एक साथ दस आदमी भीतर प्रवेश कर सकें। दोनों गुफाओं के बीच दस फुट का फासला था। तभी उसे वो दोनों गुफाएं हिलती-सी महसूस हुईं। थोड़ा-सा हिल, फिर वो थम गईं। साथ ही हल्की सी कराह स्पष्ट तौर पर उसके कानों में पड़ी।
| देवराज चौहान की निगाह उन गुफाओं पर टिकी रही।