Antarvasna कामूकता की इंतेहा - SexBaba
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Antarvasna कामूकता की इंतेहा

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Aug 28, 2015
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लेखिका:-रुपिंदर कौर

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रूपिंदर कौर है और मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरा कद 5’2″ इंच है और रंग गोरा है। शादी से पहले मैं बहुत जिम जाती थी क्योंकि मेरे मम्मे तो बहुत बढ़ गये थे लेकिन मेरा पिछवाड़ा थोड़ा कम बाहर निकला था। इसलिए मैंने वहां पिछवाड़े को बढ़ाने और ठीक शेप में लाने के लिए बहुत मेहनत की और लगातार करती चली गई। खैर अब मेरा फ़िगर 36-32-38 है। हां मैं अब मैं थोड़े भरे बदन की हूँ लेकिन मेरी कमर अब भी पतली है। जब चलती हूँ सब आगे पीछे से स्कैन करते है।

मैं पंजाब के एक बड़े शहर से हूँ और मेरी बी ए तक की पढ़ाई भी वहीं की है। मेरे पिता जी की मौत बहुत पहले हो चुकी है। जिसकी वजह से घर में मेरी मां और मेरा छोटा भाई ही रहते थे। पिता जी की मौत जल्दी होने के कारण मेरी मां के दो एक अफेयर हैं लेकिन उन्होंने अपनी हद पार नहीं की और उनसे ही सन्तुष्ट है।

पर मुझे सेक्स की ललक किशोरावस्था में लग गई थी जब मुझे हमारे नौकर ने भगा भगा के चोदा था। उसके बाद में 15-20 अलग अलग लड़कों से सैकड़ों बार चुदी पर संतुष्ट नहीं हुई।
इसका कारण यह है कि जब भी किसी औरत को अलग अलग लौड़े लेने की आदत पड़ जाए तो फिर वो नहीं रुकती।

लौड़े तो मैंने बहुत लिए लेकिन मैंने अपने आपको नई उम्र के लड़कों तक ही सीमित रखा क्योंकि मुझे अपनी चूत ज़्यादा नहीं खुलवानी थी और कुछ अपने पति के लिए भी बचा कर रखना था।

खैर शुरू में तो मेरी माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा लेकिन जब मैं ज़्यादा ही खुल गयी थी तो उन्होंने मेरी शादी कर दी। उन्होंने मुझे फिर प्यार से समझाया कि अब बहुत हो चुका है और अपने पति की ही बन के रहना।
शादी धूमधाम से हुई और मेरा मेरा पति भी लंबा और गठीले बदन का था। पहले 2 साल उसने मेरी बहुत टिका टिका के मारी। अफीम खाने का शौकीन था और आधा आधा घंटा चढ़ा रहता था, जिसके कारण मुझे किसी नए लौड़े की ज़रूरत महसूस नहीं हुई।

उसका लंड तो ठीक साइज़ का था पर एक ही लौड़े से चुदते चुदते अब मैं बोर हो चुकी थी। लेकिन अब मुझे फिर अपने पुराने किस्से याद आने लगे, अब मुझे एक नया लण्ड चाहिए था। घर में काफी पाबंदी थी तो मैंने फेसबुक पर ही एक नया मर्द ढूंढ लिया। उसका पूरा नाम तो नहीं बताऊँगी, लेकिन उसका सरनेम ढिल्लों था.
काफी बड़े घर का था और चूतों का शौकीन था, उससे मिलने के लिए ही मैंने एक महीने के अंदर अंदर चंडीगढ़ में सेक्टर 14 में पंजाब यूनिवर्सिटी में एम ए डिस्टेंट में एडमिशन ले ली।

छुप छुप कर ढिल्लों से फोन पर बातें करती रहती और उसको अपने पुराने किस्से भी सुनाये। मेरी बातों से उसे पता चल चुका था कि इसकी सर्विस बहुत ज़ोरदार होनी चाहिए। मैंने भी जल्दी नहीं कि क्योंकि मैं उसे इतना तड़पाना चाहती थी कि जब भी मिले तो मेरे जिस्म और चूत की चूलें हिला के रख दे … क्योंकि अब मुझे मेरे पति से भी तगड़ा मर्द चाहिये था।
इसी कारण इस बार मैंने बदमाश और हैवी लड़के को चुना था।

पेपर आये तो मैंने यूनिवर्सिटी में एक सहेली बना ली, प्रीति नाम था उसका … और अपने पति से कहा- रात को मैं उसके साथ ही रहा करूँगी।
मेरा पति कमीना था इसलिए वो हर पेपर से एक दिन पहले मुझे उस लड़की के यहाँ छोड़ देता था और अगले दिन घर ले जाता था। तो मेरे पास एक रात ही बचती थी। इसलिए ढिल्लों को मैंने यह बात बता दी कि तेरे पास एक ही रात है फिलहाल।
“कोई बात नहीं!” कहकर वो मान गया और जनवरी की एक रात मुक्करर हो गयी।

ढिल्लों मुझसे बोलता था कि पटाका बन के आना जब भी आना। लेकिन मैं ज़्यादा सज संवर कर नहीं आई क्योंकि मेरे पति को शक हो सकता था।

पैसे की कोई कमी नहीं थी मेरे पास … गई तो वहाँ बिना सजे संवरे ही … लेकिन जाते ही मार्किट से एक बेहद तंग, लाल कुर्ती पजामी खरीद ली जिसे पहनने और फिर उतारने में भी मुझे 20 मिनटो की मशक्कत करनी पड़ी। पहली बार थी ढिल्लों के साथ इसलिए मैंने ये किया ताकि वो मुझसे नाराज़ न हो।
मार्किट से मैंने तेज़ लाल रंग की लिपस्टिक भी ले ली और बेहद छोटी हरे रंग की ब्रा और पैंटी भी। हरा रंग इसलिए के अब मैं चूत को एक बार फिर ग्रीन सिग्नल दे चुकी थी।

12 बजे मेरा अफीमची पति मुझे होस्टल छोड़ गया और दो बजे तक मैं मार्किट से फारिग होकर प्रीति के रूम में आ गयी थी। आते आते मैने एक बेहतरीन रेजर और वीट ले ली क्योंकि ढिल्लों को सारा जिस्म वैक्सिंग वाला और चूत बिल्कुल क्लीन शेवड चाहिए थी। वैक्सिंग तो मैंने दो दिन पहले ही करा ली थी। वैसे तो मेरे पति को भी रोज़ शेवड ही मिलती है पर ढिल्लों के लिए में मक्खन चूत बनाना चाहती थी। इसलिए मैं आते ही बाथरूम घुस गई और तीन बार अपनी चूत और गांड को क्रीम लगा के शेव किया और चौथी पांचवी बार वीट लगा कर चूत ऐसी बना ली कि कोई मक्खी भी बैठ जाये तो फिसल जाए।
 
45 मिनट के बाद बाहर आई और ढिल्लों को फोन लगा कर बताया कि अब रास्ता हर तरफ से साफ है।
मैं पहले ढिल्लों को बता चुकी थी कि मेरा पति अफीम खा कर चढ़ता है, तेरी तरफ से मुझे दुगना समय चाहिए तो उसने मुझसे कहा कि वो भी पक्का अफीमची है।
फोन पर उसने मुझे बताया कि उसे किसी काम के कारण 1 घंटा लगेगा।

खैर मैंने फोन काटा और तैयार होने लगी … मतलब पटाका बनने लगी। हरी ब्रा और पैंटी पहन ली, तेज़ लाल बेहद तंग कुर्ती पजामी पहन के तेज़ लाल लिपस्टिक भर भर के लगा ली। सारे गहने उतार के बैग में डाल लिए क्योंकि उसे मेरे जिस्म पर कुछ नहीं चाहिए था। बाल स्ट्रेट करके खुले छोड़ दिये।
अपनी सहेली को मैंने सब बताकर और कुछ पैसे देकर उसकी किसी सहेली के पास भेज दिए थे।

एक घंटा बीत गया तो फोन किया मगर उसने कहा कि एक घंटा और लगेगा। क्या करती, रूम में देखा तो नेल पॉलिश, मेहंदी और मेहंदी डिज़ाइनर और इन सब चीजों को रिमूव करने वाली चीजें भी पड़ी थी।
मन में आया कि रिमूव तो हो ही जाएंगी तो फिर ढिल्लों को तो हिला दूं।

सोचते ही कपड़ों से कबड्डी खेल और फिर हल्फ नंगी होकर मेहंदी लगाने लगी। आप सोच रहे होगे कि मेहंदी लगाने के लिए हल्फ नंगी होने की क्या ज़रूरत है। वो इसलिए दोस्तो … कि मैंने अपने पैरों से लेकर ऊपर पूरी जांघों तक मेहंदी लगानी थी।
डिज़ाइन बनाने की तो ज़रूरत नहीं थी क्योंकि ठप्पे लगाने वाला मेहंदी डिज़ाइनर पड़ा था। तो लगाने लगी ठप्पे और पैरों से लेकर चूत के पास तक डिज़ाइन बना लिए और फिर अपने नेल्स पर वही तेज़ लाल रंग की नेलपॉलिश भी लगा ली।

मेरी जांघों पर मेहँदी
तो अब तो मैं तूफान बन चुकी थी।
अब फिर उसे फोन लगाया तो उसने लोकेशन भेजने के लिए कहा। मैंने तुरन्त लोकेशन भेज दी और अगले ही कुछ मिनटों में वो मेरे दरवाजे पर था।
दरवाज़ा खोला और उसे देखा, वो लंबा नहीं जनाब बहुत बहुत लंबा था। बड़ी बड़ी लाल आंखें और होंठ। वज़नदार और मजबूत। हाथों पैरों का खुला। लेकिन रंग उसका सांवला काला था। इतना मजबूत मर्द देख कर मुँह खुला का खुला ही रह गया। मर्द नहीं सांड था। हाँ फेसबुक पर मैंने उसकी तस्वीरें देखी थीं, पर उनमें वो मुझे इतना वज़नी नहीं लगा था, शायद वो उसकी पुरानी तस्वीरें थीं।

हाल तो उसका भी मुझे देख कर बिगड़ गया था, लेकिन उसने मेरे जैसी कइयों को चोदा था। दरवाज़ा खोला और उसे देख कर में चाहते हुए भी कुछ ना बोल पायी और ना ही जो उसने कहा मैं सुन ना पायी।
पहली बात जो उसकी सुनी वो यह थी कि ‘चल पीछे जाकर चल के मेरे पास आ … देखूँ तो सही क्या चीज़ है तू!’

हक्की बक्की मैं पीछे मुड़ी और और फिर कमरे के उस कोने से चल के उसके पास आई। आते वक्त उसने मेरी कई तस्वीरें खीँच लीं। मैं उसे बांहों में लेना चाहती थी लेकिन ये क्या … उसने मुझे एक बच्चे की तरह अपने कंधों पर उठाया और आराम से चलते चलते बेड पे पटक दिया।

मेरा भार 72 किलो है जनाब और उसने मुझे ऐसे उठाया जैसे मैं 30 किलो की हूँ।

उठा कर चलते हुए उसने कहा- तेरी सर्विसिंग तो ज़बरदस्त तरीके से करनी पड़ेगी, बहुत चूसा गया आम है तू, पर तेरा रस कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता गया है। तेरे जैसी औरतें बहुत कम मिलती हैं। तुझे सेक्स का नशा नहीं है, भूख है। वो तो तेरा पति ही इतना मजबूत है कि 2 साल उसने किसी की ज़रूरत नहीं पड़ने दी। वर्ना तू एक लंड पर टिकने वाली जिंस नहीं है।

उसकी 101% सच्ची बातें सुन कर मेरे होश उड़ गए और मुंह अभी भी खुला का खुला था।
यह कह के वो मेरे ऊपर आ गया और उसने अपना लंबा बड़ा हाथ पजामी और पैंटी के अंदर ले जाने की कोशिश की, लेकिन पजामी इतनी तंग थी कि बहुत ज़ोर लगाने के बाद भी हाथ नहीं घुसा और नाड़े के कारण मुझे दर्द होने लगा।

ढिल्लों ने कहा- ओहो, इतनी टाइट पजामी, तूने तो दिल जीत लिया, लेकिन अब साली उतारनी भी तो है।
यह कहकर उसने मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश की लेकिन उसकी गाँठ पिचक गयी थी; 1-2 मिनट की कसरत करने के बाद भी जब नाड़ा न खुला तो उसने दोनों हाथों से ऊपर से नाड़ा पकड़ के दांत भींच के ज़ोर लगाया और नाड़ा टक करके टूट गया।

मैं जब भी थोड़ा होश में आती तो उसकी ताकत कुछ ऐसा कर देती कि मेरे होश फिर उड़ जाते। अभी तक मैं एक लफ्ज़ भी नहीं बोल पायी थी और हैरानी के खंडहर में अकेली घूम रही थी। जनाब वो नाड़ा इतना मोटा और मजबूत था कि बुलेट मोटरसाइकिल को भी उससे खींच जा सकता था।

पजामियों के नाड़े ऐसे टूटने लगें तो बाजार में रोज़ आधी औरतें नंगी हो जाया करें। लेकिन वो था क्या, थोड़े से दांत भींचे और तड़ाक।
मैं हैरान-परेशान ये सब देख रही थी कि वो अपना लंबा मोटा हाथ नीचे ले गया और चूत और गांड पर पूरा हाथ फेरा। बिल्कुल मक्खन जैसी चूत और गांड देख कर उसने कहा- ओह, वाह … मज़ा आ गया छम्मक-छल्लो! मुझे तुझसे यही उम्मीद थी, ऐसा लगता है जैसे तेरे बाल आते ही ना हों।
यह कहकर उसने अपने मोटे होंठ, मेरे लबों पे रख दिये और चूसने लगा।

किस तो मुझे पहले भी आशिक़ों ने किए थे लेकिन यह कुछ और था … ज़बरदस्त। मेरी मुँह में मुंह डाल कर वो किस नहीं कर रहा था बल्कि मुझे घूंटें भर के पी रहा था। नीचे से उसने अपनी एक उंगली जब मेरी भीगी चूत में डाली तो मैं हिल गयी। उसकी उंगली की मोटाई का सही अंदाज़ा मुझे अब लगा था। अभी तक उसने अपनी बीच वाली लंबी उंगली का तीसरा भाग ही अंदर डाला था।
मुझे एकदम बहुत तेज़ दर्द हुआ लेकिन अगले ही पल मैं कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगी और उससे चिपट गयी। यह देखकर उसने अपनी उंगली का अगला हिस्सा चूत में घुसा दिया। होंठ अभी होंठों में थे और वो उसी तरह मुझे पी रहा था।
इन 5-7 मिनटों में ही काम के समुन्दर की जिन गहराइयों में वो मुझे ले गया था, मैं वहाँ तक पहले कभी नहीं गयी थी। बहुत लड़कों ने हाथों से मेरी चूत मसली थी और दो-दो उंगलियां भी घुसाई थी, पर ऐसी उंगली कभी मेरी चूत में नहीं गयी थी।

मैंने बड़ी मुश्किल से आंखें खोल कर ध्यान से उसके हाथों को देखा, उसकी हरेक उंगली मेरे पति के लौड़े जितनी मोटी थी। जब उसने उंगली का बाकी तीसरा हिस्सा भी अंदर सरका दिया तो उसके रूखेपन ने मेरी जान ही निकल दी। मज़ा एक बार फिर तेज़ दर्द की एक लहर में बदल गया।

फिर अचानक उसने सारी उंगली, जो मेरे रस से तर-बतर थी, बाहर निकाल ली और गांड के द्वार को अच्छी तरह मेरे ही रस से गीला कर दिया।

मैं बड़ी मुश्किल से अपना मुंह उसके मुंह से हटा के यह कहने ही लगी थी कि ‘यहां नहीं …’ उसने अपनी आधी उंगली मेरी गांड में डाल दी।

कहानी जारी रहेगी.
 
मैंने बड़ी मुश्किल से आंखें खोल कर ध्यान से उसके हाथों को देखा, उसकी हरेक उंगली मेरे पति के लौड़े जितनी मोटी थी। जब उसने उंगली का बाकी तीसरा हिस्सा भी अंदर सरका दिया तो उसके रूखेपन ने मेरी जान ही निकल दी। मज़ा एक बार फिर तेज़ दर्द की एक लहर में बदल गया।
फिर अचानक उसने सारी उंगली, जो मेरे रस से तर-बतर थी, बाहर निकाल ली और गांड के द्वार को अच्छी तरह मेरे ही रस से गीला कर दिया।
मैं बड़ी मुश्किल से अपना मुंह उसके मुंह से हटा के यह कहने ही लगी थी कि ‘यहां नहीं …’ उसने अपनी आधी उंगली मेरी गांड में डाल दी।ओह, दर्द के तेज चिंगारी मेरी गांड से निकल कर जिस्म में फैल गयी। उसने एक पल भी मेरे मुँह को अलग नहीं होने दिया और फिर मेरे होठों पर कब्ज़ा कर लिया। यह करके उसने गांड में उंगली डाले ही अपना मोटा अँगूठा मेरी लपलपाती चूत में डाल दिया। अँगूठा तो उंगली से मोटा ही होता है, इसलिए मेरे मुंह से एक तेज़ ‘ऊंह…’ निकली क्योंकि उसने अपने होठों के शिकंजे से मेरे लबों को भींचा हुआ था।
अब इसी तरह मैं उसकी मज़बूत बांहों में लेटी रही क्योंकि मुझे अब अहसास हो गया था कि प्रतिरोध एकदम व्यर्थ है। मैंने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और उसमें गुम होने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना हो।
अब वो अपना अँगूठा और एक आधी उंगली मेरी गांड और चूत में आगे पीछे कर रहा था। एक बार फिर दर्द एक असीम आनंद में बदल गया था।कुछ पलों बाद मैं बड़ी तेज़ी से झड़ने की कगार पर पहुंची ही थी कि उसने अचानक अपना अँगूठा और उंगली एकदम बाहर निकाल ली।“फड़ाच” की आवाज़ आयी जो मैंने अपने जिस्म से निकलते हुए कभी नहीं सुनी थी। उंगलियां बाहर निकालते ही उसने होंठों को भी आज़ाद कर दिया और उठ के खड़ा हो गया और अपने बैग में कुछ तलाशने लगा।
मेरी सांसों की आवाज़ मेरे कानों के पर्दो पर “धक-धक, धक-धक” पीट रही थी। मेरा मुँह अभी भी खुला का खुला ही था और मेरे होश मेरा साथ छोड़ कर उस कमरे से बाहर चले गए थे।हैरान-परेशान मुझमें इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि मैं एक लफ्ज़ भी मुँह से निकाल सकूं। उसकी एक उंगली, अंगूठे और होंठों ने ही मुझे जन्नत के दरवाज़े तक पहुंचा दिया था। मेरा सीना आधे फुट की ऊंचाई तक जाकर वापस आ रहा था।मेरी टूटे नाड़े वाली लाल पजामी और चमकते हरे रंग की पैंटी नीचे चूत तक सरकी हुई थी और मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि उन्हें ऊपर करक उस हैवान ढिल्लों का हाल-चाल पूछ लूं।
इन 15 मिनटों में उसके फन ने बता दिया था कि वो काम का एक मंझा हुआ और ज़बरदस्त चोटी का खिलाड़ी है।लेकिन वो अब अपने बैग में क्या तलाश रहा था?
3-4 मिनट बाद अपनी पूरी ताकत इकट्ठी करके मैं उससे सिर्फ इतना कह पायी- ये क्या था?उसने एक ज़ोर का मर्दाना ठहाका लगाया और कहा- अभी तो तुझे चैक ही किया है।मैंने अपनी सांसें समेटते हुए पूछा- क्या चैक किया है और क्या पता चला?उसने जवाब दिया- तेरी चूत बहुत गहरी है, तेरे जैसी नाटे कद और भारे बदन वाली औरत की चूत बहुत गहरी होती है। तेरी प्यास किसी से अभी तक इसीलिए नहीं बुझी क्योंकि तेरी चूत की पूरी गहराई में किसी का लौड़ा गया ही नहीं है, तुझे सिर्फ अपने दाने से ही संतुष्टि मिल जाती है, तेरे पति का लंड ठीक ठीक ही है ना? और कभी उससे बड़ा लंड भी नहीं लिया ना?
मैं उसकी बातें सुन कर दंग रह गयी और उससे पूछा- तुम्हें कैसे पता?उसने कहा- मैडम, मैंने चूतों पर पी एच डी की हुई है। मेरी 20 एकड़ जमीन इसी काम में गयी है लेकिन कोई बात नहीं अभी भी 250 एकड़ बाकी है। हां, एक बात तो है, बहुत औरतें अपने नीचे से निकाली हैं लेकिन तेरे जितना जोश बहुत कम औरतों में देखा है। इसके साथ तेरा बदन भी पूरा गदराया हुआ है, तेरे मम्मों की गोलाई और साइज बहुत किस्मत वाली औरतों को मिलते हैं। साले ये इतने बड़े कैसे हो गए, कमर तो तेरी 30 की ही होगी, कोई दवाई खाई है? और तेरी गांड, भैन-चोद इतनी बड़ी कैसे है?, चूत जैसे बहुत बड़ी खायी में है.
मैंने जवाब दिया- मम्मे तो नैचुरली ऐसे हैं और गांड जिम जा-जा के बनाई थी।यह सुन कर उसने अफ़ीम की दो बड़ी गोलियां बनाई और एक मुझे दे दी- खा लो, आज रात सोना नहीं है तुम्हें।मैंने कहा- न भाई, इसमें तो नशा होगा, अगर कुछ हो गया तो?उसने कहा- अगर मज़े लेने आयी है तो खा ले, इस रात को एक हसीन सपना बना दूंगा, आगे तेरी मर्ज़ी, वैसे तू आज बहुत खतरनाक तरीके से बजने वाली है।
मैं वो गोली खाने या न खाने के बारे में सोच ही रही थी कि उसने दो बड़े डी एस एल आर कैमर पूरे साज़ो सामान के साथ अपने बड़े बैग से निकाले और उनको फिट करने लगा।मैंने फिर पूछा- ये क्या है?“कैमरे हैं, तेरी यादगार रात तुझे कार्ड में डाल के दे जाऊंगा, फिकर मत करो अपने पास कुछ नहीं रखूंगा, और वैसे भी इसमें मैं हम दोनों के चेहरे नहीं आने दूंगा, अगर आ भी गए तो एडिट करके फेस छुपा दूंगा।”
मुझे उसकी बातों परन जाने क्यों यकीन सा आ गया और मैं वो अफीम का गोला पानी के साथ गटक गयी।
दो जगहों पर कैमरे फिट करके जब वो भी पानी के साथ अफीम का गोला खाने लगा तो वो कुछ सोच के रुका और लिफाफे में से और अफीम निकाल के एक बड़ा गोला बना लिया और पानी के साथ गटक गया।
और फिर देसी दारू की बोतल निकाल ली, दो बड़े पैग बनाये और एक मुझे थमा दिया। मैंने सूँघ कर देखा तो इलाइची की खुशबू आ रही थी तो मैंने एक घूंट भरी; बहुत कड़वी थी; धुन्नी तक धमाल करती हुई महसूस हुई।अचानक मेरे दिमाग में पता नहीं क्या आया कि एकदम गिलास खाली कर दिया और उसकी आंखों में आँखें डाल लीं।
थोड़ा हैरान होकर उसने भी अपना पैग खींचा और एक उससे भी बड़े दो पैग बना दिया; फिर पानी डालके मुझे थमा दिया।मैंने एक बार बिना सोचे समझे नाक बंद करके एक वार में ही ग्लास खाली कर दिया और उससे कहा- ढिल्लों, आज जो करना है कर ले, आज अपने आठों द्वार खोल दूँगी, कोई कमी नहीं रहनी चाहिए, डाल और, देखती हूं तुझे भी आज!
वो हंस पड़ा- रहने दे … अभी इतनी काफी है, नहीं तो बेहोश हो जाएगी। चल अपने सभी कपड़े उतार, देख तो लूं जी भर के!
मैं अपने कपड़े उतारने लगी लेकिन वो तो ठीक ठाक होते हुए भी नहीं उतरते थे, अब तो मैं बिल्कुल टल्ली थी। खैर कुछ देर मेहनत की, लेकिन व्यर्थ।वो उठा और दो-तीन बार चिर-चिर हुई और बोला- अब उतर जाएंगे।
उसने मेरे कपड़े फाड़ दिए थे, मैंने हँसते हुए आराम से अपने जिस्म से अलग कर दिये। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसके कुछ कहने से पहले ही मैंने दोनों चीज़ें उतार के दूर फेंक दी। वो पैग लगाता रहा और मुझे देखता रहा।
अचानक मेरे टल्ली दिमाग में पता नहीं क्या आया कि मैंने जाकर उसकी पैन्ट को ढीला किया और उसकी अंडरवियर नीचे कर दी।“ओह…” आगे का नज़ारा देख कर मैं पीछे हट गई, वो लंड नहीं था, महालंड था, मेरी कोहनी जितना बड़ा और कलाई से भी ज़्यादा मोटा, ऐन तना हुआ … सुपारा संतरे जितना मोटा था और उसकी लम्बाई ख़त्म ही नहीं होती थी।मैं टल्ली होते हुए भी भौंचक्की रह गयी, मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी थी। मुझे लगा के शायद पहली बार मैंने इतनी बड़ी ग़लती की है।

इसके आगे अगले भाग में
 
मुझे लगा के शायद पहली बार मैंने इतनी बड़ी ग़लती की है।
मैं उसको देखते देखते नंगी बेड पर बैठने ही वाली थी कि उसने अपने हाथ मेरी गांड के नीचे रख दिया और कहा- क्या हुआ? इतना बड़ा देखा नहीं था पहले कभी?मैंने उसको देखते हुए ही जवाब दिया- देखना तो क्या सोचा भी नहीं था, मैं नहीं ले पाऊँगी इसे।उसने हँसते हुए कहा- तेरे जैसी चूतों के लिए ही बना है ये, एक बार ले लिया तो सारी दुनिया छोड़ने के लिए तैयार हो जाओगी। तुझे इसी की ज़रूरत है। बाकी आगे तेरी मर्ज़ी अगर नहीं देना चाहती तो मैं चला जाता हूँ, धक्के से नहीं लेता मैं किसी की।
यह कहकर उसने अपना लण्ड अंडरवियर के अंदर करना चाहा, मगर मैंने उसे रोक लिया और कहा- ज़रा देख तो लेने दो!और मैं उसके पास चली गयी। लंबाई नापने लगी तो पता चला के मेरी कलाई से लेकर कोहनी जितना लंबा था। डरते डरते हाथ लगाया और पकड़ा; एकदम गर्म; जब अपने हाथ में ठीक से पकड़ा तो पता चला कि हाथ में होने के बावजूद भी मेरी चार टेढ़ी उंगलियों जितना मोटा है। मैं पंजाब की टल्ली और भारी मुटियार उसे देखती रही और हौले हौले हिलाने लगी।
अचानक मन हुआ की मुँह में लूँ और मुंह आगे बढ़ाया ही था कि उसने दारू का एक और ग्लास भरके मुझे थमा दिया- पी लो, फिर घबराहट नहीं होगी।मैंने तीसरा पैग भी आंख मींच के पी लिया और मुंह करारा करने के लिए पूरा मुँह खोल के उसका लंड डाल लिया. मुँह में मोटाई की वजह से जा नहीं रहा था तो उसने अचानक मेरी गर्दन पकड़ के एक झटका मार दिया, मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुंह फट गया।
लेकिन मैं भी बहुत पक्की थी, लंड बाहर नहीं निकाला और मुट्ठियाँ बंद कर लीं और पूरा जोर लगा के मुंह आगे पीछे करने लगी, जितना ही सकता था। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन लंड चार इंच से ज़्यादा मुँह में न ले पायी।
अचानक वो खड़ा ही गया और एक झटके से अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं भी खड़ी होने लगी तो दारू के नशे की वजह से एकदम चक्कर सा आके गिरने ही लगी थी कि उसने मुझे अपनी बांहों में भर के ऊपर उठा लिया और फिर बेड पे लिटा दिया और कैमरे के सामने ले आया, लिटाते ही अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया और गांड में अपनी बीच वाली उंगली डाल दी।
चूत पे मुँह होने के कारण मुझे मज़ा आया लेकिन उंगली गांड में होने के कारण चीख निकल गयी। ऊपर से नीचे तक अपनी लंबी जीभ फेर रहा था ढिल्लों; जब चूत से गुजरती तो अंदर चली जाती।मेरी जान निकली जा रही थी; “डाल दे ढिल्लों, देखी जाएगी” मुँह से सिर्फ इतना निकला।
ढिल्लों सुनते ही टांगों के बीच से उठा और जल्दी से दो बड़े तकिये उठा के मेरी कमर के नीचे रख दिये और मेरे ऊपर चढ़ के मेरे होठों के घूंट भरने लगा। मैंने जल्दी नीचे से उसके लंड को तलाश किया और अपनी चूत पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी।यह मेरी आदत है, कोई भी लंड लिया हो पर मैं 1-2 मिनट ये ज़रूर करती हूं। शायद आप को भी ये आदत हो।
ढिल्लों को मेरी यह अदा पसंद आई और वो और ज़ोरों से मेरे घूंट भरने लगा।
लंड चूत पीकर फिराते फिराते मुझे इतना आनंद मिल रहा था कि मैं उस महालंड को अपनी चूत के अन्दर करने की कोशिश करने लगी।यह देख कर उसने कहा- लेना है?“हां, अभी।”“दर्द बर्दाश्त कर लोगी, देख लो, इसके बाद तुम्हें सिर्फ मैं ही तृप्त कर सकता हूँ, अपने पति से तो गयी समझो तुम, अब भी मौका है?”“हां, डाल दो प्लीज, मैं यहाँ आयी ही टिका टिका के मरवाने के लिए थी, ये बहुत बड़ा है, पहले पता होता तो न आती, लेकिन अब जब आ ही गयी हूं तो मरवाकर ही जाऊँगी, तू चक्क दे फट्टे ढिल्लों, देखी जाएगी।”
“ठीक है, तैयार हो जा, बहुत हिम्मत करनी पड़ेगी, हार न मान लेना, नहीं यो बहुत दर्द होगा।”यह कहते ही उसने मेरी बिलबिलाती चूत पर अपना महालंड रख और बड़े सलीके और तेज़ी से एक झटका मारा, लंड का टोपा अंदर घुस गया था, चूत अपनी पूरी हदों तक फैल गयी। मैंने चादर को मुट्ठियों से भींच लिया था, आज तक किसी ने मेरी ये हालत नहीं की थी।
लेकिन मेरा नाम भी सरदारनी रूपिंदर कौर है, अगर कोई और औरत होती तो भाग खड़ी होती, पर मैंने मैदान नहीं छोड़ा। पूरा ज़ोर लगा के पंजाबी में बोली- आजा ढिल्लों, लग्ग जाऊ पता, कीहदे नाल वाह पिया है। (आ जा ढिल्लों, लग जायेगा पता किसके साथ पाला पड़ा है।)वैसे मैं ज़्यादा शेखी मार रही थी ( शायद शराब और अफीम के कारण) क्योंकि मुझे पता था कि अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है। अब जो करना था ढिल्लों शेर को ही करना था।
इस बार उसने कैमरे की तरफ पीछे मुड़ के देखा और मेरी गांड और तकिये थोड़े ठीक करके उसने मेरी टाँगें मोड़ लीं, अब चूत छत की तरफ पूरी तरह उठ चुकी थी और उसका सुपारा मेरी चूत में अटका हुआ था।मैंने चैलेंज तो कर दिया था, पर मैं हैरान-परेशान थी कि अब क्या होगा।
अचानक वो बोला- लो आ गयी तुम्हारी तबाही!यह कहते ही उसने एक तेज़ घस्सा मारा और उसका 12 इंची लंड 8 इंच तक अंदर धस गया; मेरे होश फाख्ता हो गए; बहुत जोर के साथ “ईं…” निकली और ऊपर छत में धंस गई। उसने इसी पोज़ में दूर बेड के किनारे हाथ पहुंचाया और लिफाफे में से अफीम की एक बड़ी गोली निकाल कर मेरे हवाले कर दी, मैंने ऐसे ही उसे मुँह में ले लिया, बहुत कड़वी थी, लेकिन दर्द में मुझे इस चीज़ का अहसास नहीं हुआ, और मेरे मुंह से निकला- निकाल, ढिल्लों।

इसके आगे अगले भाग में!

 

मेरी जवानी की हवस की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी कामवासना की आग ने मुझे कोई तगड़ा जानदार लंड खोजने पर मजबूर कर दिया. मुझे मनचाहा लंड मिल भी गया.
अब आगे:

ढिल्लों को मेरी यह अदा पसंद आई और वो और ज़ोरों से मेरे घूंट भरने लगा।
लंड चूत पीकर फिराते फिराते मुझे इतना आनंद मिल रहा था कि मैं उस महालंड को अपनी चूत के अन्दर करने की कोशिश करने लगी।यह देख कर उसने कहा- लेना है?“हां, अभी।”“दर्द बर्दाश्त कर लोगी, देख लो, इसके बाद तुम्हें सिर्फ मैं ही तृप्त कर सकता हूँ, अपने पति से तो गयी समझो तुम, अब भी मौका है?”“हां, डाल दो प्लीज, मैं यहाँ आयी ही टिका टिका के मरवाने के लिए थी, ये बहुत बड़ा है, पहले पता होता तो न आती, लेकिन अब जब आ ही गयी हूं तो मरवाकर ही जाऊँगी, तू चक्क दे फट्टे ढिल्लों, देखी जाएगी।”
“ठीक है, तैयार हो जा, बहुत हिम्मत करनी पड़ेगी, हार न मान लेना, नहीं यो बहुत दर्द होगा।”यह कहते ही उसने मेरी बिलबिलाती चूत पर अपना महालंड रख और बड़े सलीके और तेज़ी से एक झटका मारा, लंड का टोपा अंदर घुस गया था, चूत अपनी पूरी हदों तक फैल गयी। मैंने चादर को मुट्ठियों से भींच लिया था, आज तक किसी ने मेरी ये हालत नहीं की थी।
लेकिन मेरा नाम भी सरदारनी रूपिंदर कौर है, अगर कोई और औरत होती तो भाग खड़ी होती, पर मैंने मैदान नहीं छोड़ा। पूरा ज़ोर लगा के पंजाबी में बोली- आजा ढिल्लों, लग्ग जाऊ पता, कीहदे नाल वाह पिया है। (आ जा ढिल्लों, लग जायेगा पता किसके साथ पाला पड़ा है।)वैसे मैं ज़्यादा शेखी मार रही थी ( शायद शराब और अफीम के कारण) क्योंकि मुझे पता था कि अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है। अब जो करना था ढिल्लों शेर को ही करना था।
इस बार उसने कैमरे की तरफ पीछे मुड़ के देखा और मेरी गांड और तकिये थोड़े ठीक करके उसने मेरी टाँगें मोड़ लीं, अब चूत छत की तरफ पूरी तरह उठ चुकी थी और उसका सुपारा मेरी चूत में अटका हुआ था।मैंने चैलेंज तो कर दिया था, पर मैं हैरान-परेशान थी कि अब क्या होगा।
अचानक वो बोला- लो आ गयी तुम्हारी तबाही!यह कहते ही उसने एक तेज़ घस्सा मारा और उसका 12 इंची लंड 8 इंच तक अंदर धस गया; मेरे होश फाख्ता हो गए; बहुत जोर के साथ “ईं…” निकली और ऊपर छत में धंस गई। उसने इसी पोज़ में दूर बेड के किनारे हाथ पहुंचाया और लिफाफे में से अफीम की एक बड़ी गोली निकाल कर मेरे हवाले कर दी, मैंने ऐसे ही उसे मुँह में ले लिया, बहुत कड़वी थी, लेकिन दर्द में मुझे इस चीज़ का अहसास नहीं हुआ, और मेरे मुंह से निकला- निकाल, ढिल्लों।
 
“इससे पहले तेरी चूत में बस 6 इंच तक ही गया था, इसके आगे तू कुंवारी है, इसलिए तुझे दर्द हो रहा है, वैसे तुझे आज तेरी सीमा बताऊंगा कि तू कितना अंदर तक ले सकती है। अगर पूरा ले गयी तो मान जाऊंगा तुझे!”मेरी आँखों में आंसू थे, सीने में दर्द, लेकिन मैंने हार नहीं मानी- ढिल्लों … मर जाएगी, जट्टी हार नहीं मानेगी, डाल दे और, लेकिन धीरे-धीरे, फिर भी इतना लंबा और मोटा कभी लिया नहीं।“कोई बात नहीं मेरी रूपिंदर, अब लेगी भी अंदर तक और फिर चल के फुद्दी देने भी आया करोगी, मेरा वादा है, जितनी मर्ज़ी पाबंदी लग जाये तुझ पर, तू नहीं रह पाएगी।” कह के उसने नीचे अपना फोन लेजा के एक फोटो खींची और मुझे दिखाई।
मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरी ही चूत है। मेरी फुद्दी उस के लण्ड पर इस तरह किसी हुई थी, जैसे कोई रबड़ चढ़ी हुई हो।“कैसे लगी?” उसने पूछा।“हां, ढिल्लों, आज तो सब तरफ से गयी मैं।” मेरी आंखों में आँसू आ गए और मैं बस इतना ही कह पायी थी कि उसने एक ऐसा घस्सा मारा, जिससे मेरे वजूद की जड़ें हिल गयीं, मुँह ऐसे खुल गया जैसे उबासी ले रही होऊँ।
लंड 10 इंच तक घुस गया था।
और फिर वो मेरा मुँह पीने लगा, जैसे प्यास लगी हो। लौड़ा इतनी दूर तक भी जा सकता है वो उस दिन पता चला था। और यह घस्सा मार के वो 5-7 मिनट रुका रहा और मेरे होंठ पीता रहा, ऊपर से नीचे तक हाथ फेरता रहा। कौन सा हिस्सा था मेरे जिस्म का जिस पर उसने हाथ न फेरा हो।
जब मुझे कुछ होश आया तो मैं बोली- हां ढिल्लों, बाकी है अभी भी तो डाल दे, जट्टी हार नहीं मानेगी!कह के मैंने चूत को अपनी पूरी ताकत इकट्ठी करके उसके खंभे के गिर्द घुमाया। वो यह देख कर हैरान रह गया और इस बार उसन मेरी टाँगें और चौड़ी कर लीं और मुझे और मोड़ कर पूरा लंड भर निकाल के एक ऐसा झटका मारा कि चूत से खून की धार बह निकली।
मैं चीखने लगी तो उसने होंठों पर मुँह धर दिया।और फिर क्या किया … डीज़ल इंजन के पिस्टन के तरह घस्से मारने लगा। तेज़ आवाज़ कमरे में गूंज रही थी- फड़च, फड़च, फड़च, फड़च, फड़च…मैं 10-12 मिनट तो बेहोश सी रही।
और जब होश में आई तो महसूस हुआ कि रूपिंदर तू सैकड़ों बार चुद के बर्बाद न हुई थी, लेकिन आज असली मर्द से पाला पड़ा है तेरा, इससे पीछे मुड़ना अब मुश्किल था, मुश्किल नहीं, नामुमकिन था, ढिल्लों से चुद के कोई औरत वापस नहीं जा सकती थी। अब तो तेरी बर्बादी पक्की है।
यह सोचते हुए कब मेरी टांगें और ऊपर उठ गई पता ही नहीं चला। मैं उससे लिपट गयी और उसकी पीठ में नाखून गड़ा दिए और उसके कान के पास मुँह लेजाकर बोलती चली गयी- हां, ढिल्लों, हाँ … हां ढिल्लों, हां हां, ढिल्लो हाँ, हां ढिल्लों हां, हां ढिल्लों हां, हां ढिल्लों हाँ, हां ढिल्लों हां हां हां … हां हां हां!
चुदते वक़्त मैंने अपने आशिकों और पति से बहुत कुछ कहा था और जान बूझ के कई तरह की आवाज़ें भी निकाली थीं, लेकिन आज पता चला था कि मेरी तसल्ली होते हुए मेरे मुंह से बस हाँ ही निकलती है, हां हां हां।मैंने और कोई आवाज़ निकालने की कोशिश की, कुछ कहने की कोशिश की, मगर मुँह से सिर्फ हां, हां, ढिल्लों, हां, हां, हां, ढिल्लों, हां हां हां ही निकल रहा था।
हर एक औरत अपने चरम पर पहुँच के एक ही आवाज़ निकालती है, वो चाहे कुछ भी हो। मेरी आवाज आज मुझे पता चली थी कि, बस ‘हां हां हां’ ही है।
मैंने अब अपने आठों द्वार ढिल्लों के लिए खोल दिये; टाँगें बिल्कुल उसकी पीठ पर, नाखून उसकी पीठ में, और मुंह उसके मुंह में। मैं पूरा खुल के चुद रही थी, लंड बच्चेदानी तक और फिर चूत के मुहाने तक और फिर बच्चेदानी तक।सब कुछ रिकॉर्ड हो रहा था … सब कुछ! मेरी चुत का हाल, उसका लंड, सब कुछ, मेरी गांड भी खुल के बंद ही रही थी; वो भी रिकॉर्ड हो रहा था।
50 मिनट तक मैं लगातार उसके नीचे पिसती रही और मेरी चूत 6 बार झड़ चुकी थी। आखिर उसने भी जोर का नारा बुलंद किया और मेरी चूत को भर दिया, मुझे उसका गर्म वीर्य अपने अंदर महसूस हुआ।वो हांफ रहा था और मैं भी।

कहानी जारी रहेगी
 
मेरी सांसें बहुत तेज़ … बहुत तेज़ … रेल के इंजिन की तरह चल रही थी। वो खड़ा हुआ पैग बना कर कमरे में टहलने लगा। उसका पौने फुट का महालण्ड मेरे कामरस से जड़ तक गीला था और पूरी तरह चमक रहा था।
तभी मैंने अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखा तो मेरी जान मुठ्ठी में आ गयी। उसने मेरी चूत को पूरी तरह चौड़ा कर दिया था, पूरी तरह। मेरी चूत चूत न रह के एक गड्ढा लग रही थी।मैंने मन में ही कहा ‘रूपिंदर अब तो तू गयी, चूत अब बिल्कुल चौड़ी हो गयी है और अब तो तेरे पति का लंड भी तुझे शांत नहीं कर सकेगा।’
मैं बेड पर पर पड़ी यही कुछ सोच रही थी कि ढिल्लों बोला- क्यों … मैंने कहा था न हाथ लगा लगा के देखोगी। अभी तो पूरी रात बाकी है मैडम। तेरी अच्छी तरह तसल्ली करा के भेजूंगा। ऐसी सर्विस करूँगा कि अपने जेल जैसे घर की दीवारें फांदने के लिए भी मजबूर हो जाएगी। तू अपने पति के काम से तो गयी। अब तुझे पौने फुट के लण्ड ही शांत कर पाएंगे। पर फिकर न कर, तेरे लिए बहुत प्रबंध किए हैं। ऐसे ऐसे मर्दों से चुदवाऊंगा कि अपनी जवानी के किस्से तुझे मरते दम तक याद रहेंगे।
मेरे मुंह से कोई शब्द न निकला और मैं वैसे ही पड़ी मुस्कुरा दी। उस घनघोर चुदाई के बाद मेरी टांगें इस तरह काँपी थीं कि अब मुझमें उठने की हिम्मत नहीं थी। तीन तकिये वैसे ही मेरी गांड के नीचे थे और चूत का मुंह भी वैसे मुंह पंखे की तरफ था। टाँगें भी अभी तक पूरी तरह सीधी नहीं कि थी मैंने।मैंने सोचा था कि खूब चुदने से पहले वो मेरे साथ ढेर सारी बातें करेगा और मैं उससे … लेकिन उसने मुझे आते ही बच्चों की उठाकर बेड पर पटक दिया था बग़ैर कुछ ज़्यादा बोले हब्शियों की तरह चोद दिया था।वैसे ज़्यादा बातें करने वाले मर्द मुझे कुछ खास पसंद भी नहीं थे। ये पहला मर्द था जिसने आते ही मुद्दे की बात, यानि कि मेरी घनघोर चुदाई कर डाली थी।
तभी ढिल्लों बोला- चल अब उठ कर टाँगें सीधी कर ले, आ मेरे पास!वो तैयार होने वाले शीशे के पास खड़ा था, मैं मुश्किल से खड़ी हुई और हल्फनंगी उसके आगे जाकर शीशे की तरफ मुंह करके खड़ी हो गयी।
ओह! एक ही चुदाई में मेरी क्या हालत हो गयी थी … बाल बिल्कुल तार तार हो कर बिखर गए थे … चेहरा बेहद लाल हो गया था, आंखों का काजल बह के ऊपर नीचे फैल गया था। मेरी आँखें अफीम और शराब की वजह से पूरी तरह मदहोश थीं और चढ़ी हुई थी। लिपस्टिक गालों पर गर्दन तक पहुंच गई थी।
तभी मैंने उसके सामने अपने कद को देखा, वो मुझसे लगभग 2 फ़ीट ऊंचा था, बलिष्ठ शरीर और कद काठी।तभी अचानक उसने एक पल के अंदर अंदर ही ऐसी हरकत की कि मैं अंदर तक हिल गयी। उसने थोड़ा सा झुक पीछे से मेरी गांड के ऊपर से होते हुए 2 मोटी उंगलियां अचानक मेरी फुद्दी में डाल दी और उनसे ही मुझे उठा लिया और एक पल के अंदर ही मेरे जिस्म का सारा वज़न मेरी चूत पर था।मैं हिल गयी थी और मैंने चीखने के कोशिश की मगर मेरी आवाज हलक में ही दब गयी।
तभी उसने मुझे उठा कर पास पड़े मेज़ पर रख दिया और ज़ोर से हंसा और कहने लगा- ओह सॉरी सॉरी, मज़ाक कर रहा था। अब तुम नहा कर आओ, देखो ज़्यादा टाइम मत लगाना, हमारे पास कल 12 बजे तक का ही टाइम है ना?तभी में बोली- नहीं जानू, सुबह 8 बजे तक का, फिर 9 बजे मेरा पेपर है।“पेपर गया तेरी गांड में, कितने बजे आएगा तेरा पति?”“1 बजे तक आ जायेगा जानू, क्योंकि पेपर का समय 12 बजे तक का है।”“ठीक है, 12 बजे तक चोदूँगा तुझे, कोई पेपर नहीं देने जाओगी तुम, समझी, चुदने आयी है तो अच्छी तरह चुद के जा।”
मैंने उसे समझाया- जानू, अगला पेपर 4 दिन बाद है, और फिर पांच पेपर इसी तरह 3-4 दिन के अंतर पर ही हैं। देख तुम्हारे पास ही रहूंगी हर रात, पेपर तो दे लेने दो। पति को क्या दिखाऊँगी?”बात उसको जम गई लेकिन फिर भी वो बोला- देख, इस शर्त पर पेपर में जाने दूंगा अगर अगली बार से हर पेपर से एक दिन पहले आएगी, यानि मुझे दो रातें देनी पड़ेगी हर पेपर से पहले, चाहे कुछ भी बोल अपने पति को!“ठीक है जानू, कुछ भी करूँगी, पर तेरे साथ 2 रातें ही रहा करूँगी, अब ठीक है?”“हां, ठीक है, चल जा नहा के जा, और इसी तरह नंगी ही आना बाहर, ये पेग लगा ले एक!” यह कह कर उसने देसी का एक मोटा पेग भर के मुझे दिया.
मैं तो पहले से काफी टल्ली थी, पर मैंने सोचा कि वो नाराज़ न हो जाये, इसलिए नाक दबा के पी गयी और बाथरूम में घुस गई।मेरी सहेली ने बाथरूम में एक बड़ा शीशा लगा रखा था। मैंने अंदर जाते ही उसे नीचे उतार कर फर्श पे रखा और अपनी फटी चूत का मुआयना किया। क्या देखती हूं कि मेरी चूत का मुंह जो पहले लगभग बन्द ही रहता था, अब थोड़ा खुल गया है जैसे बहुत हैरानी में हो। उसके हलब्बी लंड के एक हमले ने ही चूत को ढीला कर दिया था।
 
पर मुझे पता नहीं क्यों ये अच्छा लगा और मैं मन ही मन मुस्कुरा दी और शावर चला कर जिस्म मसल मसल कर नहाने लगी। नहाते नहाते ही उस आखरी पेग ने मुझे बिल्कुल टाईट कर दिया। अपना जिस्म भी मुझसे ठीक तरह पौंछा नहीं गया। बाथरुम से बाहर निकलते ही मैं गिरती पड़ती बेड पे गिर गयी।
ढिल्लों अभी भी वहां खड़ा पेग के साथ सिगरेट पी रहा था। मैं पूरे सरूर में थी, मैंने उसे आवाज़ दी- आओ न जानू!वो बोला- आ गया … रुक … क्यों हो गयी टल्ली? जिस्म तो पौंछ लेती ठीक तरह, रुक … मैं करता हूँ।यह कहकर उसने नीचे पड़ा तौलिया उठाया और फिर बेड पे आकर मुझे थोड़ा बैठाया और फिर धीरे धीरे सारा जिस्म पौंछा।
तभी अचानक उसने टॉवल दूर फेंक दिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका लण्ड अब पूरी तरह खड़ा था, मेरी टाँगें अपने आप उसकी पीठ पर आ गयी और मैंने उसे जकड़ लिया।उसे मेरी यह अदा बहुत पसंद आई और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे घूंट भरने लगा।
इस बार मैं और ज़्यादा नशे में थी जिसके कारण मुझे दीन दुनिया की खबर भूल के पूरा जोश चढ़ गया था। इस बार मैंने सोचा हुआ था कि पूरे मन से चुदूँगी। उसका लण्ड बार बार मेरी फुद्दी को टच कर रहा था, जिसके कारण अब ये पूरी तरह पनिया गयी थी।5 मिनट इसी तरह किस करते करते मैं पूरी तरह गर्म हो गयी और अपने आप मेरे मुंह से निकला- अब डाल भी दे ढिल्लों!उसने उलटा सवाल किया- कितना?मैंने कहा- पूरा, जड़ तक, बना दे जट्टी को हीर, कोई कसर न रहे।
यह सुनते ही उसने अपना लण्ड गांड के नीचे से मसलते हुए ऊपर फुद्दी तक 4-5 बार फेरा, मेरे मुंह से निकला- आह, आह, हां, हां, ढिल्लों डाल दे।तभी उसने अपना सुपारा मेरी चूत के मुहाने पर रखा और और तेज़ झटका मारा, मेरी एक तेज़ चीख कमरे की दीवारों से टकराई, एक बार फिर उसने पूरा निकाल के फिर जड़ तक पेला, मेरी फिर एक तेज़ चीख निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
इस बार मैं पूरे जोश में थी, मैंने हार नहीं मानी और दांत और अपने हाथों से चादर को भींच कर अगली होने वाली ज़बरदस्त कुश्ती के लिए तैयार हो गयी. और जब उसने तीसरी बार पूरा लण्ड निकाल कर जड़ तक पेला तो मैंने पूरा जोर लगाकर अपनी गांड ऊपर उठायी, हालांकि चीख मेरी इस बार भी निकली थी। लण्ड धुन्नी तक पहुंच गया था और बच्चेदानी के कहीं आस पास ही था।तभी पूरा अंदर डालकर वो रुका और बोला- ये हुई न बात, तेरे से इसी की उम्मीद थी। अब आएगा असली मज़ा, बहुत कम बार तेरे जैसी बराबर की औरत मिलती है।मैंने भी जवाब दिया- आ जा ढिल्लों, गूंथ दे आटे की तरह जट्टी को, तेरे जैसा मर्द पहली बार मिला है, तेरे लिये तो मेरी जान भी हाज़िर है। उधेड़ दे मुझे कपडे की गेंद की तरह।
यह सुनते ही वो बहुत जोश में आ गया और मुझसे बोला- करता हूँ तेरी पहलवानी चुदाई।यह कहकर उसने मेरी टांगें मोड़ कर अपनी मज़बूत बांहों में ले लीं और मेरी तह लगा दी। अब हाल ये था मेरी फुद्दी चट्टान की तरह बहुत ऊंची उठ गयी। अब खेल मेरे बस में 1 प्रतिशत भी नहीं था और मैं 1 इंच भी नहीं हिल सकती थी।
अब उस फौलादी इंसान ने लगातार पूरा बाहर निकाल कर 4-5 झटके दिए। मेरी चूत उसके लंड पर बेरहमी से कसी गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत का अंदरूनी हिस्सा उसके लंड के साथ ही अंदर बाहर हो रहा था।
तभी ज़ोर ज़ोर से चीख़ते हुए मैं सर से पैरों तक कांप गयी और इतने ज़ोर से झड़ी कि मेरी सुधबुध ही गुम हो गयी.

कहानी जारी रहेगी.
 
अब वो उठा और उसने अपना लंड मुझे दिखाया बल्ब की रोशनी में … वो मेरे कामरस से पूरा गीला था और चमक रहा था। मुझे यह देखकर बहुत तसल्ली हुई कि मैंने आखिर यह किला भी अपने पूरे होशो हवास में फतेह कर लिया था जो हर औरत के बस की बात नहीं।
एक तो मैं दारू से बिल्कुल टल्ली थी, दूसरा मैं पौने फुट के एक लंड से बुरी तरह चुदी थी और कई बार कांप कांप कर झड़ी थी, मुझमें उठने की बिल्कुल हिम्मत नही थी और वैसे ही अल्फ नंगी बेड पर पड़ी थी, वो निप्पल अभी भी मेरी गांड में थी।
मैंने टाइम देखा तो शाम के 7 बजे थे।तभी मुझसे वो बोला- टाइम क्या देखती है, अभी तो सुबह के 7 बजे तक चुदना है तुझे; बाकी अभी तो मैंने तुझे एक ही पोज़ में चोदा है, बहुत सारे पोज़ बाकी हैं। डर मत, पूरी तसल्ली कर के भेजूंगा। बाकी तेरी चूत बहुत गहरी है, बहुत कम औरतों की चूत इतनी गहरी होती है, तेरा कद छोटा है, मगर चूत उतनी ही गहरी है, इसीलिए मेरा झेल गयी तू… आम तौर पे औरतें मेरा पूरा अंदर नहीं ले पातीं। पिछली बार जब मैंने एक औरत को चोदा था तो चीख चीख कर कमरे से ही भाग गई थी। मगर तू मोर्चे पे डटी रही। वैसे तेरी तसल्ली करानी बहुत मुश्किल है, लेकिन मेरा नाम भी ढिल्लों नहीं अगर तू बार बार मेरे पास न आई।
मैं भी अपनी तारीफ सुनकर जोश में आ गयी और ये कह गयी- मेरा नाम भी रूप नहीं, अगर तेरी तसल्ली न कराई तो, उछल उछल कर दिया करूँगी तुझे, इस बार मोर्चा मैं ही सँभालूंगी।यह सुनकर वो बहुत खुश हुआ और बोला- अब आयेगा डबल मज़ा!
यह कहकर उसने एक फोन किया और पता नहीं क्या मंगवाया और बोला कि जल्दी भेज देना!और फिर मुझसे बोला- जल्दी नहा ले, कहीं घूम कर आते हैं, और हां कपड़े मत पहनना, मैंने मंगवा लिए हैं, वही पहनना।मैं बोली- बाहर ठंड लगेगी, रात को ठंड बहुत हो जाती है।उसने कहा- भैनचोद, ठंड दी माँ की आंख, ऐसे नही लगने दूंगा ठंड, चल ये पेग लगा ले देसी का!“मैं तो पहले ही काफी पी चुकी हूँ।”“और पी ले, इसका नशा ज़्यादा है पर ये बहुत जल्दी उतर जाती है, वर्ना अगर तेज़ ले आता तो अब तक 5-6 पेग पीने के बाद बेहोश पड़ी होती। चल पी ले, ठंड नहीं लगेगी बाहर, पास ही रात में एक मेला लगा है, देखके आते हैं दोनों, जा नहा ले, कपड़े आते ही होंगे।”
दरअसल अगर इतनी ठंड में मैं कमरे में पिछले 3 घंटों से नंगी थी! वह तो रूम हीटर, देसी और फुद्दी की गर्मी थी।
मैं बाथरूम में गयी और गर्म गर्म पानी से नहाई।तभी डोरबेल बजी, कोई आदमी आया और ढिल्लों को कुछ कपड़े देकर चला गया। मैं नहा कर बाहर आई तो ढिल्लों ने मुझसे कहा- ये कपड़े पहन ले।मैंने खोल कर देखा तो वो एक हरे रंग छोटी सी निकर और एक सफेद रंग की टी शर्ट थी। निकर का साइज तो काफी छोटा लग रहा था।मैं पैंटी पहनने लगी तो उसने मना कर दिया और कहा- सिर्फ इसे ही पहन!
मैंने उसे पहनने की कोशिश की तो वह मेरे घुटनों के ऊपर आकर फंस गयी। तभी मैंने उसे कहा- यार, बहुत छोटी है मेरे लिए!तो वो मेरे पास आया और बोला- नहीं; ठीक है!और निकर को पकड़ कर ऊपर खींच दिया और मुझे पहना दी।
यह बेहद छोटी निकर थी, पहले तो मुझे लगा कि वो फट जाएगी लेकिन वो एक शानदार खुलने वाले कपड़े की बनी थी और फटी नहीं। निकर बहुत लो-कट थी। एलास्टिक धुन्नी(नाभि) के बहुत नीचे थी और वो निकर नीचे से मेरी फुद्दी पर कस गई थी। वो मेरी मेरी मेहंदी लगी जांघों को ढकने की बजाये और पेश कर रही थी। मेरे बड़े बड़े चूतड़ उसमें और खुल कर सामने आ गए थे।
जांघ की मेहंदीतभी मैंने टीशर्ट भी पहनी और लो … ये भी धुन्नी के बहुत ऊपर आकर खत्म हो गयी। मेरा चिकने और गोरे पेट का ज़्यादातर हिस्सा खुला ही था। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे एक जोड़ी बेहद ऊंची एड़ी के सैंडल दिए।
मैं उन्हें पहन कर शीशे के सामने गयी तो हैरान रह गयी। उस निकर में तो मेरा पिछवाड़ा पहाड़ लग रहा था, नंगी थी तो इतना नहीं लगता था। एक बार मेरे पति ने मनाली ले जाकर मुझे एक टाइट जीन पहना दी थी। मेरा पिछवाड़ा देख देख कर जनता हमारे पीछे पीछे ही घूमती रही, उसी दिन उसने मुझे बोल दिया था कि आगे से जीन या निकर नहीं पहननी।और यह निकर इतनी छोटी और टाइट थी कि मेरे निचले जिस्म का रोम रोम नुमाया हो गया था। ऊपर से वो टी शर्ट बहुत शार्ट थी, धुन्नी के आधा फुट ऊपर ही रह गयी। नीचे बेहद ऊंची एड़ी के सैंडल।
चूत का आकारतभी वो मुझसे बोला- थोड़ा चल के तो दिखा मेरी झम्मक-छल्लो!मैंने कमरे में ही बाल ठीक करते करते दो-तीन चक्कर लगाए। मैंने कभी इतनी ऊंची एड़ी के सैंडल नही पहने थे। चलने में बहुत दिक्कत आ रही थी।तो मैंने उससे कहा- ये सैंडल नहीं पहनने, एड़ी बहुत ऊंची है औए नशा भी है, गिर जाऊँगी।“कोई बात नहीं जानेमन, गिर गई तो उठा लूंगा, लेकिन यही पहनने हैं बस!”
मैंने पूरी तरह तैयार होकर उससे पूछा- हम जा कहाँ रहे हैं?तो उसने बताया कि शहर की बगल में ही एक मेला लगा है, वहां घूम कर आते हैं और मैंने कुछ दोस्त भी बुलाये हैं, ज़रा उन्हें थोड़ा जला तो दूं तुझे दिखा कर … तेरा जलवा दिखा कर!
मैंने कुछ सोच कर कहा- हां, हां, मिल तो मैं लूंगी लेकिन मुझे चुदना नहीं है और किसी से … और अगर ऐसा हुआ तो फिर मुझे भूल जाना हमेशा के लिए। तुम जैसे चाहो कर सकते हो, और किसी से नहीं ओके?उसने कहा- चुदवाने नहीं ले जा रहा हूँ, टेंशन मत ले, दिखाने ले जा रहा हूँ तेरा मक्खन जिस्म … चल आजा जल्दी।
मैंने कहा- मुझे ठंड लगेगी, ऊपर से कुछ पहन लूं?अब वो चिढ़ गया- नखरे मत कर, बाहर गाड़ी खड़ी है, चुपचाप चल के बैठ जा, समझी!
मैं मुँह सा बनाती, उन ऊंची एड़ी के सैंडलों पर धीरे धीरे उसके साथ चलने लगी। ऐसा लग रहा था कि मेरे चूतड़ निकर फाड़ के कभी भी बाहर आ सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
चूतड़ मटकाती उसकी फारचूनर गाड़ी में आगे उसके साथ बैठ गयी और वो गाड़ी चलाने लगा।

कहानी जारी रहेगी.

 
मेरी जवानी की वासना की कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि मेरा मनपसंद लंड मेरी चूत में था और…
वो बहुत जोश में आ गया और मुझसे बोला- करता हूँ तेरी पहलवानी चुदाई।यह कहकर उसने मेरी टांगें मोड़ कर अपनी मज़बूत बांहों में ले लीं और मेरी तह लगा दी। अब हाल ये था मेरी फुद्दी चट्टान की तरह बहुत ऊंची उठ गयी। अब खेल मेरे बस में 1 प्रतिशत भी नहीं था और मैं 1 इंच भी नहीं हिल सकती थी।
अब उस फौलादी इंसान ने लगातार पूरा बाहर निकाल कर 4-5 झटके दिए। मेरी चूत उसके लंड पर बेरहमी से कसी गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत का अंदरूनी हिस्सा उसके लंड के साथ ही अंदर बाहर हो रहा था।
तभी ज़ोर ज़ोर से चीख़ते हुए मैं सर से पैरों तक कांप गयी और इतने ज़ोर से झड़ी कि मेरी सुधबुध ही गुम हो गयी.अब आगे:
बूम … बूम … बूम!और मेरे मुंह से आवाज़ निकली- ऊंह, ऊंह, ऊंह, गूँ गूँ गूँ!उसके फ़ौलादी लंड के 10-12 घस्सों ने ही मुझे चरम तक पहुंचा दिया था और मेरी अकड़ी चूत के चारों खाने चित कर दिए थे। मेरी हवस को शांत कर दिया था.
ओह, क्या ताकतवर मर्द था … इससे पहले मेरी चूत की आग किसी मर्द ने इस तरह 10-12 झटकों में नहीं बुझाई थी।क्योंकि अब मैं तृप्त हो चुकी थी तो मैंने उससे कहा- ढिल्लों, बस करो, मेरा हो गया है.ये शब्द मैंने अपने ऊपर चढ़े हुए पहले मर्द को कहे थे, नहीं तो चाहे मुझे कोई घंटे तक भी पेले, मैं हार नहीं मानती थी।
लेकिन क्या वो रुकने वाला था?नहीं!और वो बोला- रुक जा जानेमन, अभी तो ट्रेलर ही दिखाया है, पूरी फिल्म अभी चलनी बाकी है.ये कहकर वो धीरे और लंबे झटके लगाने लगा। शायद अब वो धीरे इस लिए हो गया था क्योंकि वो मुझे बेहोश नहीं करना चाहता था।
मैं खुले मुँह से उसकी तरफ़ देखती रही और 5 मिनट तक इसी तरह चुदती रही। इसके बाद मेरी फुद्दी फिर गर्म यानि तैयार ही गयी। मज़ा आने लगा तो उसके हर झटके के साथ मैं कोशिश करती कि लंड और अंदर तक जाए।वो मेरी इस हरकत तो समझ गया और फिर पहलवानी चुदाई करने लगा।
तो जनाब … अब आ रहा था असली मर्द के नीचे लेटने का मज़ा। मेरी आंखें बंद हो गयीं, टाँगें अपने आप और ऊपर उठ गयीं, हाथ अपने आप उसकी पीठ पर चले गए। स्वर्ग था बस … जी करता था कि सारी उम्र इसी तरह चुदती रहूं, कमरे में ज़ोर ज़ोर से टक, टक, टक की आवाज़ें दीवारों से टकरा रही थी, जो मेरे बड़े पिछवाड़े और उसकी जांघों से पैदा हो रही थी। बेड चूं चूं कर रहा था। मेरी चूत बुरी तरह से उसके लंड पर कसी गयी थी जैसे उसे अब छोड़ना ही न चाहती हो।
तभी अनायास ही मेरे मुंह से निकला- मुझे देखना है ढिल्लों!वो बोला- क्या देखना है तुझे?“इतना बड़ा लंड कैसे जा रहा है, देखना है बस मुझे … कुछ करो प्लीज़!”मुझे चोदते चोदते हुए ही वो बोला- देखना क्या है इसमें, तेरी चूत की मां बहन एक हो रही है.यह कहकर उसने पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर पूरे ज़ोर से अंदर धकेल दिया- कोई नहीं … तेरी सारी इच्छाएं पूरी करूँगा, मगर इस बार तो तुझे जी भर के चोदूंगा, अगली बार तेरी पहाड़ों पर ले जा के मारूँगा।
यह सुनकर मैं चुप रही और हो रही ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा लेने लगी। मैं उसके बलिष्ठ शरीर के नीचे बुरी तरह दबी हुई थी। ऊपर से कोई देखे तो सिर्फ मेरी टाँगें ही दिखतीं। अब मैंने पूरे जोश में आकर अपने आठों द्वार खोल दिये थे और उसे बुरी तरह किस करने लगी।
मेरे पूर्ण समर्पण के कारण अचानक मेरी गांड से 2-3 पाद निकले, जिसकी आवाज़ उसने सुन ली और कहा- लगता है इसे भी ज़रूरत है अब! रुक, इसका प्रबंध भी करके आया हूँ।यह कहकर उसने एक झटके से अपना लंड बाहर निकाला और नीचे उतर अपने बैग में से एक चीज़ निकाली।मैं खुले मुँह से देखती रह गयी।
अचानक लंड बाहर निकालने की वजह से मुझे अपनी फुद्दी बिल्कुल खाली खाली महसूस हुई, पंखे की हवा बहुत अंदर तक महसूस हो रही थी मेरी खुली फुद्दी में। वो चीज़ एक बड़ी निप्पल जैसी थी, जो टोपे से बिल्कुल पतली थी और फिर बीच में 2-3 इंच मोटी और जड़ से बिल्कुल पतली थी। उसके बाद एक छल्ला था। उसने उस पे थूका और आकर मेरी गांड में एक झटके से अंदर डाल दी। मैं थोड़ा चिहुंकी मगर वो ज़्यादा बड़ी नहीं थी। उसकी शेप की वजह से गांड में जाकर फिट हो गयी और मेरी गांड बिल्कुल बंद हो गयी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी गांड में कोई छोटा सा लंड घुसा हो।
इसके बाद जनाब … चढ़ गया वो फिर ऊपर, टाँगें और चूत फिर छत की तरफ। उसकी इस हरकत से पागल हो गयी और हिल हिल के चुदने लगी। हीटर लगे कमरे की गर्मी बहुत बढ़ गई थी, दोनों पसीने से भीग गए थे।20-25 मिनट तक उसने मुझे वो ठोका कि मुझे जन्नत मिल गयी। मैं इस दौरान 4 बार कांप कांप कर झड़ी थी। आखिर उसने अपना ढेर सारा माल अंदर ही निकाला, जिसकी गर्मी मुझे अपनी फुद्दी के ठीक अंदर महसूस हुई। मुझे ये बहुत अच्छा लगा। क्या चुदाई हो रही थी आज मेरी!
 
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