Antarvasna कामूकता की इंतेहा - Page 2 - SexBaba
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Antarvasna कामूकता की इंतेहा

वो बोला- नखरे मत कर, बाहर गाड़ी खड़ी है, चुपचाप चल के बैठ जा, समझी!
मैं मुँह सा बनाती, उन ऊंची एड़ी के सैंडलों पर धीरे धीरे उसके साथ चलने लगी। ऐसा लग रहा था कि मेरे चूतड़ निकर फाड़ के कभी भी बाहर आ सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
चूतड़ मटकाती उसकी फारचूनर गाड़ी में आगे उसके साथ बैठ गयी और वो गाड़ी चलाने लगा।उसकी बड़ी गाड़ी के शीशे काले थे, जिनमें से बाहर से अंदर कोई नहीं देख सकता था। बहुत बड़े घर का लौंडा था। जेड ब्लैक शीशों वाली गाड़ी को भी रास्ते में खड़े किसी पुलिस वाले ने हाथ न दिया।
कुछ देर के बाद उसने ठेके पर गाड़ी रोकी और बीयर की पेटी उठा लाया; 2 बोतलें खोल लीं, एक मुझे दे दी और एक खुद पीने लगा।मैंने उसकी एक घूंट भरी तो मुझे उसका टेस्ट बिल्कुल अच्छा न लगा और उससे कहा- मैं नहीं पिऊंगी।तभी उसने चिल्ला के कहा- साली बोतल फुद्दी में डालूंगा और गाँड में से निकालूंगा, चुपचाप पी ले।
उसकी रोबीली और भारी भरकम आवाज़ से मैं सहम गई और चुपचाप धीरे धीरे कड़वे घूंट भरने लगी। मुझे दारू से नशा नहीं हुआ था मगर जब मैंने बीयर की आधी बोतल ही पी तो, मेरा सर चकराने लगा। शायद दारू के ऊपर से बीयर ज़्यादा नशा कर देती है।मैंने गाड़ी का शीशा खोला और आधी बोतल बीयर की बाहर सड़क पर फेंक दी। उसको इस बात पर बहुत गुस्सा आया और बोला- भेनचोद, नखरे करने लग गई है, रात को इतनी टिका के मारूँगा न कि नीचे से निकल निकल के भागेगी, याद रखना मेरी बात को!
मैं डर गई; 2 बार उससे चुद चुकी थी, मुझे पता था कि अगर ये बुरी पे उतर आया तो करेगा बहुत बुरी … और उसकी जकड़ से छूटा भी नहीं जा सकता था। दो बार उसने मारी तो मेरी बहुत टिका कर थी, लेकिन उसने मुझे इस तरह चौड़ा किया था कि उसका हलब्बी लंड सीधा मेरी फुद्दी में धुन्नी तक जाए और उसका टोपा भी अंदरूनी दीवारों में न लगें।
कुछ नए खिलाड़ियों ने मुझे कई बार दर्द भी दिया था क्योंकि उन्हें चोदना नहीं आता था और वो अपने लंड को टेढ़ी दिशा में धकेल कर घस्से मार देते थे, जिसके कारण मुझे दर्द हुआ था। लेकिन ऐसा सिर्फ 7-8 इंच से बड़े लौड़ों से होता है, इससे छोटे लौड़े आम तौर पर इस तरह की तकलीफ नहीं देते। मुझे यह बात बखूबी पता थी कि अगर वो मुझे दर्द देने पर आ गया तो ऐसी हरकत कर सकता है, जिससे चूत तो न फटेगी लेकिन अंदर सूज़न ज़रूर हो सकती है और जिस दौरान चुदने में वहुत तकलीफ होती है।
तो इसी डर के कारण उसको मनाने के लिए मैंने कान पकड़ कर सॉरी कहा और उससे हाथ से बोतल छीन कर पीने लगी और गाड़ी की गीतों वाली लीड उठा कर अपने फोन पर चमकीले का गाना लगा दिया। ये गाने बेहद रोमांटिक हैं और मेरे पंजाबी लड़के लड़कियां दोस्त उसे अच्छी तरह जानते हैं।
ये गाने सुन कर वो बहुत खुश हुआ और गुस्सा भूल गया। इस दौरान मैं उसकी आधी बीयर की बोतल पी गयी और और पूरी तरह टुन्न हो गयी। तभी उसने गाड़ी मेले के करीब लाकर पार्क कर दी।
कार के अंदर तो फिर हीटर चल रहा था और मुझे ठंड महसूस नहीं हुई लेकिन जब मैं कार से नीचे उतरी तो मुझे यूं महसूस हुआ जैसे बेहद ठंडी फ्रिज का दरवाजा खोल कर होता है। मैं नीचे उतर कर खड़ी हो गई और वो आया और मुझे एक बांह में लेकर धीरे धीरे चलते हुए मेला दिखाने लगा, यानि कि मेले में मेरे भरे और अधनंगे जिस्म की जबरदस्त नुमाइश करने लगा। शायद उसने मुझे इस तरह बाँह में इसलिए लिया था मैं कहीं नशे में टल्ली सैंडल्स के ऊपर से फिसल कर अपना पैर न तुड़वा लूं।
उस रात के मेले में औरतें बहुत कम थीं और ज़्यादातर मर्द ही थे। जिधर से वो मुझे लेकर गुज़रता, मेले के तमाम मर्दों और औरतों की निगाहें मुझ पर जम जातीं और खिंचती ही चली आती। एक तरह की भीड़ उमड़ कर हमारे पीछे पीछे चोरी चोरी घूमने लगी।
तभी वो एक जगह रुका और मुझसे बोला- तुम सामने उस ऊंची चूड़ियों वाली दुकान पे जाओ, मैं अपने दोस्तों को लेकर वहीं आता हूँ, और हां … धीरे-धीरे चलना, गिर मत जाना।यह कह कर वो भीड़ में गायब हो गया।
वो दुकान वहां से कोई 60-70 कदम दूर थी और काफी ऊंची थी जिसके कारण भरी भीड़ में भी दूर से दिखाई दे रही थी। मैं उसकी हरकतों से हक्की बक्की बेहद ठंड महसूस करती हुई अपनी बांहों को हाथों से मसलती हुई उस दुकान की तरफ बढ़ी।
रूपिन्दर कौर मेले मेंमेरे चलने से पहले रास्ते के बीच में ज़्यादा भीड़ नहीं थी लेकिन जैसे ही मैंने 8-10 कदम भरे, भीड़ इतनी ज्यादा हो गयी कि चलना मुश्किल हो गया। मुझे अकेली देख कर भीड़ मुझ पर टूट पड़ी थी।

 
8-10 कदम और तो किसी ने मुझे टच करने की बजाए कोई खास हरकत नहीं की और आराम से इधर उधर चलते रहे। लेकिन जैसे जैसे मैं चलती गई, मैं उनमें घुटती गई। अब चलना बहुत मुश्किल हो गया था, मेरे आगे पीछे दाएं बाएं मर्द ही मर्द जमा हो गए।
मुझे पता था कि यह ढिल्लों की शरारत है, फिर भी मैं जैसे तैसे दुकान जी तरफ अपने शराबी कदम बढ़ाती रही। दुकान अभी 30 कदमों की दूरी पर दिखाई दे रही जब पीछे से कुछ हाथ आये और मेरी तरबूजी चूतड़ों की मुट्ठियाँ भरने लगे।
कुछ पलों बाद आगे से भी लड़ते झगड़ते हाथ आये और मेरी फुद्दी में उंगलियां डालने लगे। कुछ हाथ और आये और टीशर्ट के नीचे घुस कर मेरे मम्मे मसलने लगे। अचानक हुए इन हमलों से मैं बहुत घबरा गई और मुझे लगने लगा कि ये भीड़ तो मेरे कपड़े फाड़ कर मेरा काम कर देगी।
यह तो शुक्र था कि निकर बहुत ज़्यादा टाइट थी और बहुतों की घमासान कोशिशों के बाद भी किसी का हाथ अंदर नहीं सरक पाया। उन लोगों की इन हरकतों से मैं चंद मिनटों में ही गर्म हो गयी और मुझे वो हाथ चुभने बंद हो कर अच्छे लगने लगे। लेकिन नंगी और बेइज़्ज़ती से डर कर मैंने खुद को संभाला और अपनी फुद्दी और चूतड़ों से हाथ हटाते करते दुकान की तरफ बढ़ने लगी।
अभी दुकान बस 15 कदमों की दूरी पर थी कि पीछे से एक बड़ा हाथ बढ़ा और उसने मेरे ठीक नीचे अच्छी तरह सेट हो के एक मर्दाना झटके से मुझे उठा लिए और आगे बढ़ने लगा। मैं बहुत सहम गई कि अब तो मेरा काम तमाम होना और बेइज्जती पक्की है.पर जब मैंने पीछे मुड़ के देखा तो मेरी जान में जान आ गयी क्योंकि वो कोई और नहीं ढिल्लों ही था।मेरे मुंह से अपने आप निकला- ओह, ढिल्लों, मेरी जान, बचा लिया।
तभी ढिल्लों ने अपना रिवॉल्वर निकाल कर भीड़ को सिर्फ इतना कहा- चलो ओए, तितर बितर हो जाओ।और भीड़ गिरती पड़ती बिखर गई और उसने मुझे नीचे उतार दिया।
इसके बाद वो मुझे उस दुकान पर के गया और पीछे आते अपने दोस्तों को हाथ उठा कर आवाज़ लगाई। वो तीनों जब हमारे पास आये तो मुझे देखते हो रह गए। सभी ने मुझसे अपने हाथ मिलाये और मेरा हालचाल पूछा।उन तीनों में से दो तो लगभग ढिल्लों जितने ही लंबे थे और तीसरा उनसे छोटे कद का था, लेकिन उसका कद भी 6 फ़ीट के आसपास ही होगा।
तभी उनमें से एक जिसका नाम जग्गी था, ने मुझे देख ढिल्लों को कहा- इस बम्ब पटोले को कहाँ से ढूंढा? ऊपर से नीचे तक तराशी हुई है।ढिल्लों ने उससे कहा- चुप कर साले, भाबी है तेरी … हां, मैंने इसे नहीं, इसने मुझे ढूंढा है, सोंह रब्ब दी, बड़ी लाटरी लग गयी इस बार तो।
तभी उसमें से छोटे कद वाले जिसका नाम गिल था (जनाब ये सब बदले हुए नाम हैं), ने मुझे अपना कोट उतार कर पहना दिया और बोला- ढिल्लों कमीने, नंगी को ही ले आता इससे तो, भैनचोद कुछ पहना तो देता, देख कैसे ठंड लग रही है इनको। और काम भी ये तेरा ही है साले हब्शी।
यह सुन कर ढिल्लों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और कहा- तुम लोगों की नई भाभी को मेले को दिखाना था, दुनिया को जला रहा था, साले आज आधे घर जाकर मुठ्ठ मारेंगे।
वे ऐसे बेतकलुफ्फ होकर बातें करने लगे जैसे मैं कोई लड़का हूँ, मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई।यह देख कर वो चुप हो गए और हम सब हल्की फुल्की बातें करते मेले में टहलने लगे। ढिल्लों के दोस्त किसी न किसी बहाने मुझे टच करते ही रहे और ढिल्लों से डबल मीनिंग बातें करते रहे।तभी हम लोग एक चूड़ियों की दुकान पर रुके और ढिल्लों ने मुझे ना-नुकर करती हुई को भी एक लाल चूड़ा पहना दिया, ये उसने क्यों किया इसका जवाब उसने नहीं दिया और सिर्फ इतना बोला कि अच्छा लग रहा है।

 
1 घंटा घूमने के बाद हम वापिस गाड़ी की तरफ चले और ढिल्लों ने अपनी कार का दरवाज़ा खोल कर मुझे अंदर बिठा दिया और मैंने गिल को उसका कोट वापस लौटा दिया।इसके बाद तो वो चारों 20-25 मिनट बीयर पीते हुए पता नहीं क्या बातें करते रहे।
इसके बाद ढिल्लों अकेला आया और कार चलाने लगा।“तेरे रूम में ही चलना है कि कहीं और लेके चलूं?”“जहां तेरी मर्ज़ी मुंडया, पर सवेरे 7 बजे तक रूम में ओके?”उसने ‘ठीक है!’ कहा और गाड़ी चलाने लगा.
और 25-30 मिनट के बाद हम एक बड़े फ्लैट में थे; देखकर ही पता चलता था कि किसी शौकीन आदमी का फ्लैट है। दीवारों पर काफी हथियार टंगे हुए थे और फर्नीचर बेहद बेहद महँगा था।तभी उसने मुझे फिर उठाया और एक कमरे में ले गया और दूर से ही एक बड़े बेड पर पटक दिया।
दोस्तो रूम देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं, बहुत ही महँगा फर्नीचर और बेड पूरा बड़ा और गिरते ही मैं गद्दों से दो बार उछली। मुझे अब पता था कि इन मखमली गद्दों पर चुदने का बहुत मज़ा आएगा।वैसे तो मैं भी बहुत बड़े घर की हूँ, लेकिन ऐसे इम्पोर्टेड गद्दे मैंने आजतक नहीं देखे थे। गद्दे में मैं पूरी धंस कर लेट गयी और ढिल्लों ने फिर सही कोण बना का कर ट्राइपॉड और कैमरे फिट कर लिए।
ढिल्लों ने मुझे यकीन दिलाया था कि इसमें सिर्फ हमारा लंड और फुद्दी का खेल ही आएगा और चेहरे नहीं आएंगे।
और फिर मुझ से कड़क के बोला- चल नीचे उतर के बाथरूम जा और अपनी फुद्दी अच्छी तरह से धोकर आ।मैंने निकर को वहीं कमरे में उतारने की बहुत कोशिश की मगर सब बेकार … और थक कर उससे कहा- ये निकर तो उतार दो जानू … बहुत टाइट है, उतर ही नहीं रही।
“भेनचोद तेरा पिछवाड़ा कितना बड़ा है साला, फंस गयी है और मैंने इतनी टाइट नहीं मंगवाई थी, तेरे साइज़ ही बड़ा निकला उम्मीद से भी।” यह कहकर उसने मुझे बेड पर फिर लिटाया और सांप की कुंज की तरह निकर उतार फेंकी.और निकर उतारते ही तीन उंगलियां फुद्दी में पिरो दी और बहुत जोर जोर से पूरी निकाल के 3-4 बार अंदर बाहर कीं जैसे फुद्दी में से कुछ निकालना चाहता हो और अचानक मुझे छोड़ दिया। मैं उसके इस वार से हिल गयी, ये तो शुक्र था कि चूत पूरी तरह पनियायी हुई थी, वरना सारी फुद्दी छिल जाती।
मैं चुपचाप नीचे उतर गई और साथ अटैच बाथरूम में गर्म पानी से अपनी फुद्दी और बुंड अच्छी तरह से अंदर बाहर से धोयी।
जब बाहर निकली तो हब्शी ने आते ही बेड पर मेरी एक पटखनी लगाई और पूरी जीभ फुद्दी के अंदर धकेल दी और अपनी सबसे लंबी उंगली थूक लगा के बुंड में पिरो दी।मैं पागल हो गयी और मेरी कमर अपने आप हिलने लगी। मेरी इस हरकत से उसको और जोश आ गया और वो और ज़ोर से मेरी फुद्दी पीने लगा। वो इस तरह मेरी चाट जैसे उसे पूरी भूख और प्यास लगी हो!
चटवायी तो मैंने बहुत है मगर इस तरह साली किसी ने डीक लगा कर नहीं पी थी।
5-7 मिनट लगे और उछल उछल के झड़ी लेकिन उसने मेरा वीर्य नहीं पिया और झड़ते वक़्त एकदम मुंह निकाल के हाथ का चप्पा (चार उंगलियाँ) चढ़ा दिया था। जब मैं झड़ी तो कमान की तरह टेढ़ी हो गयी थी।
इस 6-7 मिनट के छोटे से खेल के कारण ही मेरा मुंह सूखने लगा और मैं बुरी तरह हांफने लगी- हूं, हूँ, हूँ …यह आवाज़ 3-4 मिनट तक मेरे मुंह से निकलती रही। सेक्स में इतना मंझा हुआ खिलाड़ी मैंने आज तक नहीं देखा था।
तभी वो मेरी तरफ हंसते हुए बोला- बड़े जोर नाल झड़दी एं, झोटीए (बड़े जोर के साथ झड़ती हो… भैंस जैसी), काम बहुत है तेरे अंदर, मुंह तो देख अपना, जैसे शेरनी के मुंह को खून लगा हो।

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कहानी जारी रहेगी.

 
चटवायी तो मैंने बहुत है मगर इस तरह साली किसी ने डीक लगा कर नहीं पी थी।
5-7 मिनट लगे और उछल उछल के झड़ी लेकिन उसने मेरा वीर्य नहीं पिया और झड़ते वक़्त एकदम मुंह निकाल के हाथ का चप्पा (चार उंगलियाँ) चढ़ा दिया था। जब मैं झड़ी तो कमान की तरह टेढ़ी हो गयी थी।
इस 6-7 मिनट के छोटे से खेल के कारण ही मेरा मुंह सूखने लगा और मैं बुरी तरह हांफने लगी- हूं, हूँ, हूँ …यह आवाज़ 3-4 मिनट तक मेरे मुंह से निकलती रही। सेक्स में इतना मंझा हुआ खिलाड़ी मैंने आज तक नहीं देखा था।
तभी वो मेरी तरफ हंसते हुए बोला- बड़े जोर नाल झड़दी एं, झोटीए (बड़े जोर के साथ झड़ती हो… भैंस जैसी), काम बहुत है तेरे अंदर, मुंह तो देख अपना, जैसे शेरनी के मुंह को खून लगा हो।अब आगे:
फिर उसने अपनी जेब से रुमाल निकाला और मेरी फुद्दी और गांड को अच्छी तरह से पौंछ दिया।
इतने ज़ोर से झड़ने के बाद अब मुझमें हिम्मत नहीं थी कि फौरन चुदाई के लिए तैयार हो जाऊं। मैंने ढिल्लों से विनती की- प्लीज़ जानू, 10-15 मिनट रुक जाओ, सारी ताकत तो फुद्दी से तेरे चप्पे और मुंह ने निकाल ली। बड़ी बुरी तरह से उंगलियां डालता और मुंह से चूसता है यार तू, सारा नशा उतर गया, कुछ पिला दे पहले, अब बाहर तो नहीं ले के जायेगा?वो बोला- अब नहीं जाना, जितनी पीनी है पी ले, जल्दी तैयार हो जा, मेरे पास सबर नहीं है इतना!
इस बार उसने ड्रावर में से विस्की की बोतल निकाली और एक पटियाला पेग भर के मुझे दे दिया, विस्की बहुत कड़वी थी, मैंने फिर नाक बंद किया और बड़े बड़े घूंट भर के एक सांस में पी गयी। मुँह एकदम कड़वा हो गया तो मैंने उससे कुछ खाने के लिए मांगा, तो उसने कहा- अभी कुछ नहीं है।
मुँह का कड़वापन मेरी जान ले रहा था, तभी मेरे दिमाग में पता नहीं क्या कि मैंने एक झटके से ढिल्लों की पैंट खोली और नीचे उतारी और उसका लंड मुँह में भर के चूसने लगी। मैं उससे अपनी चूत इतने बुरे तरीके से चाटने का बदला देना चाहती थी और मेरा मुँह भी बहुत कड़वा था।
लंड जनाब का खड़ा ही था; मैंने पहले तो उसके टोपे को अच्छी तरह से चाटा, फिर भर लिया मुँह में उसका काला लौड़ा, मैंने कभी इतनी जोर से किसी का नहीं चूसा था. मैंने आंखें बंद कर लीं और टोपे तक मुँह ले आती और फिर पूरे ज़ोर से मुंह खोल कर जितना मुँह के अंदर लिया जाता, ले जाती।मुँह के झटके मैंने मुठ्ठियां भींच कर मैंने तूफानी रफ्तार में शुरू कर दिया।
मैं चाहती थी कि वो झड़ जाए ताकि मुझे थोड़ा वक्त मिल सके खुद को तैयार करने में। लेकिन वो झड़ा नहीं, 10 मिनट में मेरे जबड़े दर्द करने लगे. फिर भी मैंने हार न मानते हुए टोपे से लेकर उसका लौड़े पर इस तरह इस तरह मुँह का झटका मारा कि लौड़ा मेरे हलक तक चला गया। मुठ्ठियां एक और बार भींची और फिर एक बार पूरा निकाला और हलक तक ले गयी.
तीसरी बार की हिम्मत नहीं थी, लेकिन फिर भी जट्टी थी, उसकी जांघों को कस के पकड़ा और तीसरी बार फिर पूरा निकाल के हलक में ठूंस लिया।लेकिन फिर भी वो न झड़ा तो मैंने उसे हलक में फंसाये ही अपना मुंह हिलाना जारी रखा।
मेरे जबड़े अब बहुत तेज़ दर्द करने लगे, जिसकी वजह से मैंने हलक से लौड़ा निकाल लिया। लेकिन उसका काम नहीं हुआ। मैं बहुत तेज़ तेज़ खाँसने लगी। वो मेरे पास आया और मुझे पानी का गिलास दिया और मेरे मम्मे और फुद्दी धीरे धीरे मसलने लगा लेकिन इस बार मैं गर्म न हो सकी।
पिछले 4 घण्टों में मैं 3 बार तृप्त हो चुकी थी जिसकी वजह से मेरे काम की आग अब ठण्डी पड़ गई थी, यानि कि मेरा बाजा पहले से ही अच्छी तरह से बजाया जा चुका था।उसने दो-चार मिनट और कोशिश की लेकिन मैं पूरी तरह गर्म न हो सकी। दारू का नशा अब मेरे सिर चढ़ के बोल रहा था और अब मैं सीधी खड़ी नहीं हो सकती थी।कुछ और कोशिश करते ढिल्लों बोला- बस जट्टीये, इतनी ही ताकत थी तेरे अंदर, बड़ी जल्दी हार मान गयी तू तो?
मैंने जवाब दिया- ढिल्लों जान थोड़ा वक्त तो दे, सारा सिस्टम ही हिला दिया है मेरा, मेरी ऐसी तसल्ली पहले कभी न हुई थी। रौंद रौंद कर तो तूने कुश्ती खेली है मेरे साथ, हूँ तो फिर भी औरत ही, कोई और होती तो भाग जाती, लेकिन जट्टी अभी भी मैदान में है, बस थोड़ा वक्त दे प्लीज़, इतना तो कुश्ती के असल खिलाड़ियों को भी मिलता है, जबकि ये कुश्ती नहीं, उससे भी मुश्किल खेल खेल रही हूं आज मैं।
ढिल्लों मुस्कराया और बोला- बड़ी धड़ल्लेदार औरत हो, कोई बात नहीं तू आराम से ऊपर चढ़ जा बेड पर और आराम कर ले, अगला राउंड अब और ज़बरदस्त होगा, देखती जाना, और हां, तब मुझे पूरा जोर चाहिए और अगर 35-40 मिनट से पहले हार मानी तो देख लेना।”

 
मैं बेड के किनारे से उठी और उस मखमली बेड की बेक पर सिरहाना लगा कर बैठ गई और अपने ऊपर चादर चढ़ा ली। तभी मैंने एक बार फिर चोरी चोरी अपनी फुद्दी का मुआयना किया। हाथ लगा कर देखा तो उंगली सीधी फुद्दी के अंदरूनी हिस्से से जाकर टच हुई जैसे उसका बाहरी भाग तो खत्म ही हो गया हो। उसने इन 2-3 वारों से ही मेरी फुद्दी को चौड़ा कर दिया था।
मेरे मुंह से एक सिसकारी सी निकली और सोचा कि अगर ढिल्लों से चुदती रही तो ये फुद्दी को कुछ और ही बना डालेगा।
घड़ी में देखा तो 8:30 बज चुके थे, तभी मैंने अपना फोन उठा कर अपने पति को लगाया। उसने कहा- कहाँ हो रानी क्या कर रही हो?”मैंने कहा- जानू रूम में हूं और बड़े ज़ोरों से पढ़ाई (चुदाई) चल रही है।उसने कहा- तुझे एक बार फिर पढ़ाई का शौक कैसे चढ़ गया, देख मेरे लंड की हालत बहुत बुरी हो रही है, आज की रात तो मुश्किल से ही गुज़रेगी, चल कोई बात नहीं, तुझे पढ़ना है तो पढ़ ले। कुछ पेपरों की ही बात तो है।
मैंने जवाब दिया- पढ़ाई (चुदाई) का शौक तो मुझे शुरू से ही था, लेकिन ये 2 साल मैं तुम्हें ही देना चाहती थी, अब सोचा कि एम ए तो कर ही लूँ और उसके बाद एक जॉब तलाश कर करूं, घर में बोर हो जाती हूँ सारा दिन!तभी उसने कहा- चलो कोई बात नहीं, पढ़ ले तू, मैं थोड़ी देर में फिर करता हूं, पेग लगा रहा हूं, बहुत ठंड हो गई है, बाय।
ढिल्लों बातें सुन कर मुस्कुराता रहा और अब उसने कहा- साली, बड़ी चालू औरत है, देख उसको कैसे फुद्दू बनाया है।इसके बाद ढिल्लों मेरे पास आ गया और मुझे बांहों में भर के कुछ हल्की फुल्की बातें करता रहा और मेरे भरे हुए जिस्म पर हाथ फेरता रहा। हालांकि कोई होता और तो मैं इतनी जल्दी तैयार न हो पाती, लेकिन ढिल्लों के फ़ौलादी हाथों की हरकतों से फुद्दी एक बार फिर गीली कर दी और मेरी आवाज कामुक हो गई।
मेरी आवाज से वो समझ गया कि जट्टी एक बार फिर कुश्ती के लिए तैयार है और उसने पक्का करने के लिए अपना एक हाथ नीचे सरका कर फुद्दी में एक उंगली पिरो दी और 2 दिन बार गोल गोल घुमाई।मैं गर्म तो हो गई थी लेकिन मेरी फुद्दी इस बार ज़्यादा नहीं पनिया पायी थी क्योंकि मेरे जिस्म का सारा रस तो वो पहले ही निचोड़ चुका था। इस बार चिकनाहट काम होने की वजह से मुझेपता था कि मेरी फुद्दी अब छिलने वाली है।
यह सोच कर मैंने उससे कहा- जानू मिन्नत है कि कुछ लगा लेना अपने हथियार पर, मुझे तो तुमने नीम्बू की तरह निचोड़ दिया है, पहली बार जट्टी को किसी ने ये कहने पे मजबूर कियाहै।उसने कहा- वैसे मूड तो यही था कि उधेड़ के रख दूं, लेकिन तेरे जैसी घोड़ी मस्ती में चुदती ही अच्छी लगती है।
तभी वो उठकर दूसरे कमरे में गया और एक अंडा उठा लाया और उसको एक गिलास में डाल कर बार बार हिलाया। जब वो पूरी तरह से घुल गया तो उसने मेरे ऊपर से चादर हटा के दूर फेंक दी और गिलास लेकर खुद मेरी टांगों में बीच में गया और दो उंगलियां अंडे से भिगो कर अंदर डाल दीं। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे उसकी उंगलियां भी छोटे लंड जैसे लगीं। उसने बार उंगलियां और अंडे से भीगो कर अंदर बाहर कीं और मेरी मक्खन शेव फुद्दी को ज़बरदस्त तरीके से ग्रीस कर दिया।
उंगलियों की वजह से मैं एक बार फिर घोड़ी के तरह चुदने के लिए तैयार हो गई।
तभी उसने अपना सेक्स टॉय जो बच्चों की निप्पल जैसा था और जो गांड में जाकर एकदम फिट हो जाता था, उठाया और अंडे में डुबो कर मेरी गांड में ठूंस दिया।
तो दोस्तो, अब फिर एक बार मेरी ठुकाई की तैयारी पूरी हो चुकी थी, मेरे चोदू यार ने मेरी टाँगें एक बार फिर अपने डौलों पर धर लीं और मेरी तह लगा दी मगर उसने खुद लौड़ा अंदर नहीं डाला और मुझसे बोला- डाल जट्टीये अपने आप अंदर!मुझे यह बात बहुत पसंद है कि लौड़ा पकड़ कर मैं खुद अंदर डालूँ … पर ढिल्लों को यह बात पता नहीं कैसे पता थी।
खैर मेरे मन की यह छोटी सी मुराद पूरी हुई। मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसके वज़नदार लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो तीन बार ऊपर नीचे किया। ये मैंने इसलिए किया क्योंकि उस बड़े और मोटे गर्म लौड़े को अपने छोटे से हाथ में लेकर एक न बयान की जा सकने वाली तसल्ली मिलती थी।
इसके बाद मैंने उसे पकड़ कर अपनी फुद्दी पर ऊपर से नीचे तक 8-10 बार रगड़ा और फिर मुहाने पर रख कर नीचे से धक्का मारने की कोशिश की।मगर मैं असफल रही।ढिल्लों हंस पड़ा और फिर अचानक उसने अपनी कमर ऊपर उठाई और अपना खूँटा मेरी फुद्दी में जड़ तक पेल दिया। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे बिल्कुल दर्द न हुआ और मेरे मुंह से अपने आप उसके कान में निकला- हाय ओऐ जट्टा, धुन्नी तक ला दित्ता। (हाय रे जाट … नाभि तक पहुंचा दिया.)
जाट और जाटनी की पेलम पेल कहानी जारी रहेगी.

 
तो दोस्तो, अब फिर एक बार मेरी ठुकाई की तैयारी पूरी हो चुकी थी, मेरे चोदू यार ने मेरी टाँगें उसने एक बार फिर अपने डौलों पर धर लीं और मेरी तह लगा दी मगर उसने खुद लौड़ा अंदर नहीं डाला और मुझसे बोला- डाल जट्टीये अपने आप अंदर!मुझे यह बात बहुत पसंद है कि लौड़ा पकड़ कर मैं खुद अंदर डालूँ … पर ढिल्लों को यह बात पता नहीं कैसे पता थी।
खैर मेरे मन की यह छोटी सी मुराद पूरी हुई। मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसके वज़नदार लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो तीन बार ऊपर नीचे किया। ये मैंने इसलिए किया क्योंकि उस बड़े और मोटे गर्म लौड़े को अपने छोटे से हाथ में लेकर एक न बयान की जा सकने वाली तसल्ली मिलती थी।
इसके बाद मैंने उसे पकड़ कर अपनी फुद्दी पर ऊपर से नीचे तक 8-10 बार रगड़ा और फिर मुहाने पर रख कर नीचे से धक्का मारने की कोशिश की।मगर मैं असफल रही।ढिल्लों हंस पड़ा और फिर अचानक उसने अपनी कमर ऊपर उठाई और अपना खूँटा मेरी फुद्दी में जड़ तक पेल दिया। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे बिल्कुल दर्द न हुआ और मेरे मुंह से अपने आप उसके कान में निकला- हाय ओऐ जट्टा, धुन्नी तक ला दित्ता। (हाय रे जाट … नाभि तक पहुंचा दिया.)जब बिना किसी दर्द के ढिल्लों का पूरा लौड़ा अंदर चला गया तो मुझे ऐसी तसल्ली हुई जो बयान के बाहर है। तभी उसने फिर कमर ऊपर उठाई और पूरा लंड निकाल के फिर जड़ तक पेला और ऐसा 8-10 बार किया।ये गद्दे बहुत नर्म थे और जब ऊपर से धक्का मारता तो मैं नीचे उनमें समा जाती और जब वो अपनी कमर ऊपर उठाता तो मेरी कमर भी उसके साथ ही लगभग एक-सवा फुट ऊपर चली जाती और जब वो पूरी तरह ऊपर उठती तो ढिल्लों ऊपर से एक और बड़ा झटका मार देता और जब इस तरह होता तो फुद्दी लौड़े की तरफ जाकर इस झटके को और तीखा बना देती थी।
अब वो लंबे लंबे झटके मार रहा था मगर हर झटके के बीच में वो लगभग एक सेकंड जितने समय के लिए रुक जाता और जब फुद्दी ऊपर आ रही होती तो पूरा निकाल के फुद्दी में मारता और उसे नीचे धकेल देता।जब वो घस्सा मारता तो हर घस्से में साथ मेरे मुंह से निकलता- हाय, मेरी माँ, हाय मेरी माँ!
अब तक उसने मेरी चुदाई इसी पोज़ में की थी, शायद इसलिए कि इस तरह करने से वो मेरे बिल्कुल ऊपर होता था तो और मुझे हिलने का भी मौका नहीं मिलता था और इस पोज़ में बहुत लंबी चुदाई भी की जा सकती थी।तो दोस्तो, 10-15 मिनट तक वो इसी पोज़ में मुझे उछल उछल कर चोदता रहा और मैं हर घस्से के साथ ‘हाय मेरी माँ …’ मेरे मुंह से निकलता रहा। व्हिस्की के पेग का नशा बहुत ज़्यादा हो गया था और अब कमरा मेरी अधखुली आंखों में घूमने लगे।
तभी उसने अचानक मुझे अपने ऊपर खींच लिया। अब आलम यह था कि हम दोनों ही बैठे हुए थे लेकिन मेरी टाँगें उसकी जांघों के ऊपर थीं और मैं उसके फ़ौलादी लौड़े को अपनी फुद्दी में जड़ तक पेल कर बैठी थी।दारू के नशे की वजह से मुझ में हिलने की भी हिम्मत नहीं थी।
तभी वो बोला- अपने आप मार घस्से जट्टीये, देखता हूं कितना दम है।मुझे यह सुन कर थोड़ा जोश चढ़ गया और मैंने उसे कस कर अपनी बांहों में भर कर अपनी कमर को उठा कर 7-8 बार उसके लौड़े पर जोर से मारा।और लो जी मेरे मुंह से बहुत ऊंची ऊंची ‘हाय मेरी माँ, गई मैं तो …’ निकलते हुए हो गया मेरा काम!
मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि मैं इतनी जल्दी क्यों झड़ जाती हूँ, शायद ये उसके लौड़े की चौड़ाई और लंबे के कारण ही था, यह सोच कर मैं उसी तरह उसका लौड़ा जड़ तक फुद्दी के अंदर फंसाये बैठी रही। मुझमें अब इतना दम नहीं था कि खुद चुदाई कर सकूं।

 
तभी ढिल्लों बोला- बस इतना ही दम था जट्टीये, बातें तो बड़ी बड़ी कर रही थी?तभी मैंने अपनी बेहद उलझी हुईं सांसें संभाल कर उसे प्यार से कहा- ढिल्लों, बहुत टिका-टिका के मारी है यार तूने, इतना बड़ा भी पहले कभी नहीं लिया था, और दारू भी कितनी पिला दी, लेकिन देख ले फिर भी डटी हुई हूँ, फुद्दी जितनी मर्ज़ी मार ले, मोर्चे से नहीं हटूंगी, पर मारेगा तू ही, मुझमें बिल्कुल दम नहीं बचा है, अभी अभी 1 बार झड़ के हटी हूँ.
“ओह … वाह ठीक है, फिर डटी रहना!” ये कहकर वो मुझे उसी तरह लंड अंदर किए बेड से उतर गया और 1 पल के बाद जब मैंने देखा कि वो मेरी बड़े और बेहद गोल पिछवाड़े को अपने हाथों में भर के खड़ा है तो मेरी हैरानी की कोई हद न रही। मेरे जैसी हैवी गाड़ी को इस तरह उठाना आसान काम नहीं है। हैवी इसलिए कि मैं बेहद भरे हुए बदन की हूँ। कद चाहे थोड़ा छोटा है मगर बड़े बड़े मम्मे और जाँघें हैं मेरी।
रूपिंदर कौरऔर उस हब्शी जट्ट ने अब क्या किया था कि लौड़ा अंदर फंसाये ही वो मुझे लेकर के खड़ा हो गया था और इससे भी आगे खड़ा ही नहीं चार पांच कदम चल कर मेरे पिछवाड़े को कैमरे के आगे भी ले गया था। अब मैं उससे इस तरह लिपटी हुई थी जैसे कि कोई बेल हूँ, ऊपर से मैंने उसे जफ्फी डाली हुई थी और नीचे मेरा पिछवाड़ा उसके दो हाथों में था, फुद्दी में लौड़ा और गांड में निप्पल अटकी हुई थी और टाँगें नीचे लटक रही थीं।
इस पोज़ में चुदने की मेरी सदियों से इच्छा थी क्योंकि मैंने बहुत सारी ब्लू फिल्मों में घोड़ियों (मज़बूत लड़कियों को मैं घोड़ियां ही कहती हूँ) को इस तरह चुदते हुए देखा था। मैंने अपनी पति और दो-एक आशिकों को ऐसे चुदने के लिए भी बोला था, लेकिन आशिक तो मुझे उठा ही नहीं पाए और पति ने उठा तो ली लेकिन घस्से 2 ही मार सका और हम गिरते गिरते बचे।
अब वो बोला- आ जा जट्टीये, फिर मैदान में!और यह कहकर उसने अपने हाथों से मेरे गोल तरबूजी पिछवाड़े को ऊपर उठाया और पूरा लौड़ा टोपे तक बाहर निकाल के जड़ तक पेल दिया। एक बहुत ऊंची ‘फड़ाच’ की आवाज़ आयी और सुनसान कमरे में भर गई, यह आवाज़ मेरे चूतड़ों और उसकी जांघों की ही नहीं थी, मेरी फुद्दी की भी थी।
अब मेरे मुंह से निकला- जान ले ली ढिल्लों, स्वाद आ गया सोंह रब्ब दी।(भगवान की कसम)वो बोला- तो ले फिर और लूट मज़े जट्टीये!यह कहकर उसने फिर मेरा पिछवाड़ा उसी उठाया और मेरी फुद्दी को अपने लौड़े पर ज़ोर से दे मारा और फिर रुक गया। फिर वही आवाज़ आयी, फड़ाच और मेरे मुंह से निकला- अज्ज चक्क दित्ते फट्टे जट्टी दे, ओए ढिल्लों।
अब ढिल्लों ने अपनी रफ्तार तेज़ कर दी और मेरी गांड को पीछे लेकर वो और तेज़ी से घस्से मारने लगा। जनाब इसे चुदाई नहीं कहते। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी फुद्दी से कोई दुश्मनी निकाल रहा हो लेकिन इससे मुझे तकलीफ नहीं हो रही थी बल्कि एक असीम आनंद मिल रहा था।
मेरे जिस्म का सारा भार मेरी फुद्दी पर था और वो एक हल्लबी लौड़े के उपर किसी छल्ले की तरह लिपट गयी थी। ढिल्लों जब दूर ले जा कर लौड़े को फुद्दी के अंदर बेरहमी से मारता तो मेरे मुंह से पता नहीं क्या क्या अनाप शनाप निकल जाता जैसे कि- हाय मर गई … नज़ारा आ गया … चक्क ता कम्म ओए… हाय … मेरे शेरा!वगैरा वगैरा।
तभी उसके हाथों के साथ मैं खुद कमर हिला के देने लगी और जितने ज़ोर से मेरी फुद्दी उसके लौड़े पर पर बज सकती थी, मारी। तभी एकदम मैं फिर अकड़ गई और मेरी फुद्दी “बूम बूम बूम” करके झड़ी। मेरा काम होते वक़्त मेरे से मुंह से बहुत ऊंची आवाज़ निकली- फिर आ गयी घोड़ी तो, हम्म … हुम्म … हंह हूँ।
अब जी करता था कि ढिल्लों मुझे छोड़ दे … मगर वो कहाँ मानने वाला था। मैंने मैदान में डटी रहने का वादा किया था और मैं वादा नहीं कभी नहीं तोड़ती चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये। जब मैं हिल हिल कर झड़ गई तो उसके बाद ढिल्लों ने मुझ पर थोड़ा रहम करके अपनी गति कम कर दी और धीरे मगर वही लंबे शॉट मरता रहा। मैं उसकी ताकत से बलिहारी जा रही थी क्योंकि इसी पोज़ में चोदते हुए उसे 20-25 मिनट हो चुके थे मगर उसकी घस्सों में कोई कमी नहीं आयी थी।
वैसे आपको बता दूं कि जनाब ये चुदाई नहीं होती जो वो मेरी कर रहा था, ये हार्डकोर ठुकाई होती है और इसके दोनों औरत और मर्द का धडल्लेदार होना ज़रूरी है नहीं तो ये ठुकाई नहीं दर्द बन जाती है।
जैसे कि मैंने बताया कि अब वो मेरी बिल्कुल धीरे धीरे चुदाई कर रहा था। मेरे काम रस की वजह से उसके टट्टे भी भीग गए थे। मेरी फुद्दी के पानी और अंडे ने मिल कर फुद्दी को बिल्कुल ग्रीस कर दिया था और उसमें फंसा हुआ काला बादशाही लौड़ा मेरी बहुत अच्छी सर्विस कर रहा था जिसकी मुझे जन्मों से ज़रूरत थी।

 
जब मेरी अकड़ी हुई पंजाबी फुद्दी का मिलन उसके भारी भरकम लौड़े से होता तो ‘पड़ाच …’ की आवाज़ कमरे में गूँज जाती। अब मुझे ये तो यकीन हो गया था कि अब मेरी फुद्दी उसके लौड़े के आकार से ढल गई है और मेरी उससे आगे होने वाली ठुकाइयों में दर्द का नामोनिशान तक नहीं होगा और सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा होगा।
10-12 मिनट वो इसी तरह मुझे उठाये धीरे धीरे चुदाई करता रहा और इस तरह से घोड़े ने अगले राउंड के लिए थोड़ी ताकत भी जमा कर ली थी। अब उसका थोड़ी सांस चढ़ गई थी। तभी उसने मेरी मेहंदी लगी जांघ को अपनी फ़ौलादी बाहों पर उठाया और मेरी फुद्दी को ज़ोर से अपने लौड़े पर मारा, आवाज़ आयी ‘फड़ाच’ और मेरे मुंह से निकला- हाय, मेरी जान!
मैं अभी गर्म तो नहीं हुई थी लेकिन दर्द न होने की वजह से मैंने उसे कहा- चक्क दे कम्म, ढिल्लों, फुद्दी तेरे हवाले ही है।ढिल्लों यह सुन कर खुश हुआ और उसने अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी कर के मुझे पेलना शुरू कर दिया और मार मार घस्से मेरी गांड लाल कर दी। आवाज़ आ रही थी- थक, थक, थक, थक!और मेरे मुँह से निकल रहा था- हूं … हूं … हूं …
जब उसने इसी तरह 40-50 तूफानी घस्से मारे तो मैं भी जोश में आ गयी और उसकी ताकत पे पूरा भरोसा करके अपनी नीचे लटकी हुई टाँगें उसकी कमर के गिर्द लपेट दीं और अपनी जफ्फी हटा कर उसके कंधों पर दोनों हाथ धर लिए और उसकी आँखों में अपनी अधखुली आंखें डाल कर टिकटिकी लगाए उसे चैलेंज की तरह उसे देखने लगी।
तभी ढिल्लों बोला- घोड़ीए, थक गया, रुक ज़रा!यह कहकर उसने मुझे नीचे उतार कर बेड के किनारे लिटा दिया और कपड़े से मेरी फुद्दी और अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ कर लिया।फिर उसने मेरी गांड में से वो छोटा सा खिलौना निकाल दिया, जो पूरी तरह फिट था।
रूपिन्दर कौर के चूतड़और जब उसने मुझे दूसरी बार फिर अपनी बाहों में उठाया तो मुझे अपनी गांड खाली ख़ाली लगी। इस बार ढिल्लों से मुझे उठाकर एक झटके से लौड़ा मेरी फुद्दी के अंदर पेल दिया और इतनी जोर से ठुकाई करने लगा कि मेरे जिस्म का रोम रोम हिल गया। घस्से वो मेरी फुद्दी पर मार रहा था लेकिन महसूस मेरा सारा जिस्म कर रहा था। उसका हरेक तूफानी शॉट मेरे जिस्म में करंट की तरह फैल रहा था।
इस घमासान चुदाई के कारण मेरा मुंह पूरी तरह खुल गया और अब आ … आ… आह … आह … की लगातार आवाज़ निकल रही थी। मेरे जोश को देख कर वो पागल हो गया और उसी तरह लगातार मेरी आँखों में आंखें डाल कर मुझे चोदता रहा।
तभी उसने अपनी एक बड़ी उंगली मेरे थूक से गीली करके पीछे ले जाकर कर मेरी गांड में पेल दी तो मुझे जन्नत मिल गयी।8-10 मिनट की इस जंगी चुदाई में मेरी टाँगें अपने आप उसकी पीठ पर लिपट गईं और हम दोनों एक दूसरर की आंखों में आंखों डाल कर बहुत ज़ोरों शोरों से झड़े। इस पोज़ में भी घोड़े ने अपना माल (जो कि काफी होगा) मेरी फुद्दी के बहुत अंदर निकाला जिसकी गर्मी पाकर आपकी जट्टी धन्य हो गई।
ढिल्लों ने हांफते हुए मुझे बेड पर उतारा और खुद मेरी बगल में लेट कर कहा- कमाल की घोड़ी है यार तू … तुझे अपना पूरा ज़ोर लगा कर पेला, मगर तूने टांग नहीं उठाई, सचमुच मज़ा आ गया। बड़ी करारी फुद्दी है तेरी! और हां तेरी फुद्दी ही नहीं, तेरी गांड भी मेरी है, लेकिन उसका उद्घाटन अगली बार!
अपनी यह तारीफ सुन कर मैं बहुत खुश हुई और उससे कहा- देखता जा ढिल्लों, तेरी इस जवान घोड़ी में बहुत ताकत है, बस तू मोर्चे पर डटे रहना, मैं तो हिल हिल के चुदूँगी तेरे से … मेरी फुद्दी में आग है आग, और वो सिर्फ तू ही बुझा सकता है अब जैसे कि इस बार बुझाई, थैंक्यू यार तेरा, बड़ी टिका के मारी है जट्टी की।

प्रिय दोस्तो आपको मेरी चुदाई स्टोरी कैसी लगी जरूर बताएं।

 
घमासान चुदाई के कारण मेरा मुंह पूरी तरह खुल गया और अब आ … आ… आह … आह … की लगातार आवाज़ निकल रही थी।तभी उसने अपनी एक बड़ी उंगली मेरी गांड में पेल दी तो मुझे जन्नत मिल गयी और हम बहुत ज़ोर से झड़े। इस पोज़ में घोड़े ने अपना माल मेरी फुद्दी के बहुत अंदर निकाला जिसकी गर्मी पाकर आपकी जट्टी धन्य हो गई।
ढिल्लों ने हांफते हुए मेरी बगल में लेट कर कहा- कमाल की घोड़ी है यार तू … तुझे अपना पूरा ज़ोर लगा कर पेला, मज़ा आ गया। बड़ी करारी फुद्दी है तेरी! और हां तेरी गांड भी मेरी है, लेकिन उसका उद्घाटन अगली बार!
अपनी तारीफ सुन कर मैं बहुत खुश हुई और उससे कहा- देखता जा ढिल्लों, तेरी इस जवान घोड़ी में बहुत ताकत है, बस तू मोर्चे पर डटे रहना, मैं तो हिल हिल के चुदूँगी तेरे से … मेरी फुद्दी में आग है आग, और वो सिर्फ तू ही बुझा सकता है अब जैसे कि इस बार बुझाई, थैंक्यू यार तेरा, बड़ी टिका के मारी है जट्टी की।एक बार फिर बुरी तरह चुदने के बाद मैं निढाल हो कर बेड पर लेट गई। इतनी रूह से मेरी फुद्दी कभी किसी ने नहीं मारी थी और ऊपर से मुझे विहस्की का भरपूर नशा था। रात के 11 बज चुके थे और अब मेरी आँखों में नींद उतरने लगी थी इसीलिए मैं आँखें बंद करके चादर ऊपर तान कर लेट गई।आंखें बंद की तो कमरा घूम रहा था क्योंकि मैंने पहले कभी इतनी दारू नहीं पी थी।
ढिल्लों अब भी थोड़ी थोड़ी दारू पी रहा था और इसी तरह वो बाथरूम में घुस कर नहा कर आया।तभी उसने मुझे बुलाया- ओये रूपिंदर, नींद आ रही है? चल उठा कर नहा ले, कुछ खाया भी नहीं तुमने, मैं मंगवाता हूँ कुछ खाने के लिए, चल उठ जा।मेरा उठने का न तो मूड था और न ही हिम्मत थी- नहीं ढिल्लों, बस मुझे सोना है, बहुत नींद आ रही है, बड़ी ज़्यादा पिला दी तूने, कमरा घूम रहा है।
रूपिंदर कौरढिल्लों को मेरी हालत का अंदाज़ा था, शाम पांच बजे से वो मुझे लगातार दारू पिला रहा था और 3 बार मुझे हब्शियों की तरह चोद चुका था। उसे पता था कि अब मुझे किस चीज़ की ज़रूरत है, इसीलिए उसने काली अफीम की एक बड़ी गोली बना के मुझे दी और मुझसे कहा- ये खा ले, दारू का नशा, नींद और थकावट सब उतर जाएगा और इसकी जगह जोश आ जाएगा।मैंने उससे गोली ली और पानी के गटक ली।
इसी दौरान उसने चिकन आर्डर किया और अपनी किसी गर्लफ्रैंड से 15-20 मिनट बातें करता रहा। जब मैंने उसे उसकी गर्लफ्रैंड के बारे में पूछा तो उसने बताया- सुंदर तो काफी है, फिगर भी अच्छा है, मगर मैंने बहुत कोशिश की, आधा ही अंदर ले पाती है। एक बार मैं इसे अपने फार्महाउस पे गया था, नशा भी काफी दिया, मगर जब मैंने दो-तीन बार ज़बरदस्ती पेल दिया तो उसने मेरी बाँह पर बुरी तरह काट लिया और नीचे से निकल कर कमरे से बाहर नंगी ही दौड़ गई। मेरे सभी दोस्त बाहर बैठे पार्टी कर रहे थे। उन्होंने उसे कपड़े वगैरा दिए और घर छोड़ कर आये। इसकी वजह से मुझे अपने दोस्तों से बहुत गालियां सुनने को मिलीं। मैंने इसे बहुत पैसे खिलाये हैं, अब ये मुझसे चुदना भी नहीं चाहती और उल्टा प्यार का बहाना बना कर पैसे भी मांगती है। इसके जैसे ही कई औरतें मेरे लौड़े को बर्दाश्त न करके भाग खड़ी हुईं है।मैंने इसका कारण अपने एक डॉक्टर दोस्त से पूछा तो उसने बताया कि आम तौर पर औरतों की योनि की गहराई 7-8 इंच ही होती है जिसके कारण वो 6-7 इंच से ज़्यादा नहीं ले पाती लेकिन बहुत कम औरतों की फुद्दी की गहराई 11-12 इंच से भी ज़्यादा होती है, उन्हें बड़े लौड़ों से ही मज़ा मिलता है, जैसे कि तू। जब तूने मुझे अपनी सारी कहानी बताई थी तो मैं समझ गया था कि तुझे बड़े लौड़े की ज़रूरत है, इसीलिए तू कई मर्द बदल चुकी है। और एक बात सच बताऊं तो मुझे भी तेरे जैसी औरत की ही ज़रूरत थी जिसे मैं अपने पूरे जोश से ठोक सकूँ। वैसे तू अगर कुंवारी होती तो शायद मैं तुझसे शादी भी कर लेता। मगर अब तू काफी आगे निकल चुकी है और शायद सेक्स के मामले में तू मुझसे भी आगे निकल जाए। मुझसे मिल कर तू अब एक बेलगाम घोड़ी बन चुकी है और सारे रिकॉर्ड तोड़ कर ही तू दम लेगी।
मैं ढिल्लों की बातें सुन कर बहुत हैरान हुई और मैंने उसे जवाब दिया- नहीं ढिल्लों मेरी जान, मुझे जो चाहिए था, मिल गया। अब मैं सिर्फ तेरी गुलाम हूँ, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है सच में।ढिल्लों ने बस इतना ही कहा- चलो देखते हैं कि मैं तुझ जैसी घोड़ी की कितनी देर तक सवारी कर सकता हूँ।

 
20-25 मिनट के बाद अफीम ने अपना असर दिखाया। दारू का नशा उतर और थकावट एकदम काफूर हो गई। मैंने खुद को बहुत तरोताज़ा महसूस किया और अच्छी तरह से गर्म पानी से नहा कर आई।अभी नहाकर बाहर निकली ही थी कि आते ही ढिल्लों फुद्दी में दो उंगलियां डाल कर स्मूच करने लगा। अब मुझमें जोश था, मैंने उसका पूरा साथ दिया और उसमें मगन हो गयी। इसी तरह एक दूसरे में घुसे हुए हम बेड पर गिरे और मैं उसके हर एक अंग को चाटने लगी। इसके बदले में वो भी ऊपर से नीचे तक मेरा अंग अंग चाटने लगा। मेरे दोनों मम्में उसने बड़ी महारत से चाटे और पिए।
तभी वो मेरे मम्मों के बीच में से चाटते चाटते मेरी नाभि से हुए मेरी फुद्दी तक पहुंचा और उसे बुरी तरह चाटते हुए पीने लगा। मैं उसकी इस हरकत से कमान की तरह टेढ़ी हो रही थी। लेकिन अब मैं बिना चुदे झड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया और एक झटके से उसकी अंडरवियर निकाल कर उसका 10 इंच लंबा लौड़ा रूह से चाटने लगी। जितना मेरे मुँह में जा सकता था मैं ले रही थी।
पता नहीं क्यों … मुझे उसका लंड इतना अच्छा लग रहा था कि जी करता था कि रात भर चूसती ही रहूं। मैं जब सब कुछ भूल कर उसका लौड़ा अलग तरीकों से 15-20 चूमती चाटती रही तो ढिल्लों ने हैरान होकर कहा- बहुत पसंद आ गया लगता मेरा हथियार, छोड़ ही नहीं रही?मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे एकदम किसी ने नींद से जगा दिया हो। मुझे अपनी इस हरकत से थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई और मैं बस मुस्कुरा दी।
उसने मेरी फुद्दी में हाथ लगा कर चेक किया और बोला- तैयार है तू, आ जा फिर।
यह कहकर उसने दो तकिए मेरी गांड के नीचे रखे और फुद्दी ऊपर को बुलंद करके अपने लौड़े को 8-10 बार ऊपर से नीचे तक फुद्दी और गांड पर रगड़ा। तभी उसने मेरी टाँगें अपनी बाहों में लीं और मेरी तह लगा कर एक झटका मारा और आधा लौड़ा यानि 5-6 इंच फुद्दी के अंदर उतार दिया। मुझे बेहद तसल्ली का अहसास हुआ और मेरी मुंह से निकला- हाय ओए एएए…
इसके बाद उसने 10-15 घस्से इसी तरह मारे मगर पूरा अंदर नहीं डाला; मैंने खीझ कर ढिल्लों से कहा- पूरा डाल अंदर ढिल्लों, आधे से काम नहीं चलता अब।ढिल्लों बोला- मैं यही सुनना चाहता था!और हंस पड़ा।
इसके बाद उसने बुरी तरह से अपना पूरा जोर लगा कर 8-10 ऐसे तूफानी घस्से मारे कि मेरे वजूद का कच्चा मकान ढह ढेरी होकर बिखर गया। जब वो तेज़ी से लौड़ा जड़ अंदर पेलता तो मेरी फुद्दी भी 2-3 इंच अंदर को लौड़े के साथ ही भिंच जाती थी और जब उसी स्पीड से लौड़ा बाहर निकालता तो फुद्दी भी कुछ इंच तक साथ ही बाहर निकल आती थी। मुझे यह पता था कि अगर ढिल्लों इसी तरह 10-12 दिन तक मुझे चोद दे तो फुद्दी की बुनियाद ढह-ढेरी कर देगा और मांस को बाहर लटका देगा।
खैर इसी तरह जब उसने और 5-10 मिनट मुझे ठोका तो मैं धन्य हो गयी और एक अजीब सी बेसबरी और जोश में आकर मैंने पूरे ज़ोर से होठों में होंठ और फुद्दी में लौड़ा लिए हुए ही एक पटखनी लगा कर उसके ऊपर आ गयी।ढिल्लों ने थोड़ा हैरान होकर कहा- बल्ले नी घोड़ीए, दिखा दे फिर अपनी ताकत, थक गई तो बता देना।
अब आलम यह था कि मैं उसके ऊपर थी, उसका लौड़ा मेरी फुद्दी में जड़ तक घुसा हुआ था, मेरा मुंह उसके मुंह में और मेरे बड़े बड़े मम्में उसकी छाती पर लगे हुए थे। शायद यह अफीम का नशा था कि 3 बार कसाइयों की तरह चुदने के बाद भी मुझमें इतना जोश था।
खैर अब मैं 10-12 उसे स्मूच करते करते हल्के हल्के घस्से मारती रही। तभी मुझे लगने लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ तो मैंने घस्से तेज़ कर दिए। चूंकि स्मूच करते करते मैं ज़्यादा तेज़ घस्से नहीं मार सकती थी इसीलिए मैंने उसके होठों से होंठ अलग किए और अपने हाथ उसकी छाती पर रख कर पूरे ज़ोरों से अपनी फुद्दी को उसके लौड़े पर मारने लगी।
जब मैं उसका पूरा 10 इंच का लौड़ा टोपे तक बाहर निकाल कर फिर फुद्दी के अंदर ठोकती तो मेरे मुंह से निकलता ‘हाय…’ और इसी तरह मैं 10-15 मिनट में मैं काफी लंबे और ज़बरदस्त घस्से मारती चली गई। अजीब बात है कि मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अभी झड़ी, अभी झड़ी, लेकिन मैं झड़ नहीं पा रही थी, शायद ये अफीम का नशा था। लेकिन आनंद की सभी सीमाएं टूट चुकी थी।अब मैं थकने लगी थी, मैं चाहती तो ढिल्लों को ऊपर आने के लिए बोल सकती थी लेकिन अबकी बार मैं ड्राइवर सीट पर झड़ना चाहती थी। इसीलिए मैंने अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी की और उसके लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से उछलने लगी। बेड का बेहद महँगा गद्दा भी पूरी शिद्दत से मेरा साथ देने लगा और जब मैं उछल कर नीचे आ रही होती तो ढिल्लों का लौड़ा उसी गति से ऊपर जाता और जब फुद्दी और लौड़े का पूरी बेरहमी से मिलन होता तो ‘फड़ाच… फड़ाच… फड़ाच…’ की आवाज़ आती।

 
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