hotaks444
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मेरे पीछे चेतन अपनी कोहनी के बल उठ चुका हुआ था और बड़े आराम से अपनी बहन की चूचियों और जिस्म पर हाथ फेर रहा था।
कभी उसके हाथ अपनी बहन की चूचियों को सहलाने लगते और कभी उसके पेट के ऊपर हाथ फेरने लगता। फिर चेतन ने थोड़ा सा और ऊपर होकर मेरे ऊपर से झुकते हुए अपनी बहन के गाल पर एक किस कर ली, हाथ तो चेतन अपनी बहन की चूचियों और जिस्म पर घूम रहा था लेकिन वो अपना लंड मेरे अन्दर ठोकता जा रहा था।
मुझे भी इससे मज़ा ही आ रहा था।
वैसे भी पिछले कुछ रोज़ से मैं चेतन के साथ छेड़-छाड़ करके उसे उत्तेजित तो कर ही देती थी.. लेकिन उसे अपनी चूत दिए हुए मुझे 15 दिन से ऊपर हो चुके थे, इसलिए भी वो इतना बेक़ाबू हो रहा था।
डॉली की चूची दबाते दबाते शायद चेतन ने जज़्बाती होकर कुछ ज्यादा ही मसक दिया था.. जिसकी वजह से डॉली थोड़ा सा कसमासाई और फिर उसने मेरी तरफ करवट ले ली।
जैसे ही डॉली हिली तो चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ पीछे खींच लिया और दूसरी तरफ मुँह कर करते हुए लेट गया।
तभी मैंने अपनी आँखें हल्की सी खोल कर देखा तो देखा कि डॉली ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी आँखें पूरी खोल ली हैं और मेरी तरफ देख रही है।
फिर उसने थोड़ा सा ऊपर होकर अपने भाई की तरफ देखा और धीरे से मुस्करा कर फिर लेट गई, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और आँखें खुली हुई थीं।
मैं दिल ही दिल मैं सोच रही थी कि क्या डॉली को भी पता था कि उसका भाई उसकी चूचियों को दबा रहा है।
अगर ऐसा था तो उसने कोई ऐतराज़ क्यों नहीं किया और अगर उसने सब कुछ जानते हुए भी कोई ऐतराज़ नहीं किया तो फिर तो यह मेरी बहुत बड़ी कामयाबी थी कि मैं दोनों बहन-भाई को इतना क़रीब लाने में कामयाब हो गई थी और मैं अपनी इस कामयाबी पर दिल ही दिल में बहुत खुश हो रही थी।
अगली शाम डॉली ने मेरी कहने पर एक स्किन कलर की टाइट्स और टी-शर्ट पहन ले. टी-शर्ट उसके चूतड़ों को आधा ढांप रही थी लेकिन उसकी जाँघों की पूरी पूरी शेप और टाँगें उस टाइट्स में बिल्कुल साफ़ दिख रही थीं।
डॉली बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. जैसे ही चेतन ने उसे देखा तो उसकी चेहरे पर मुस्कराहट फैल गई।
डॉली की नज़रें उससे टकराईं तो डॉली ने शर्मा कर अपना सिर झुका लिया। मैं देख रही थी कि जिधर-जिधर भी डॉली जा रही थी.. चेतन की नजरें उसी के जिस्म पर रह रही थीं। ऊपर टाइट टी-शर्ट में उसकी चूचियाँ बिल्कुल फंसी हुई थीं और उसका गला भी थोड़ा डीप था.. जिसकी वजह से उसका खूबसूरत गोरा-चिकना सीना भी काफ़ी खुला सा नज़र आ रहा था। लेकिन चूचियाँ या क्लीवेज तो नहीं दिख सकता था। सोने के वक़्त तक भी डॉली अपने जिस्म की जलवे बिखेरती रही और अपने भाई पर अपनी हुस्न की बिजलियाँ गिराती रही।
रोज़ की तरह आज भी सोने के लिए मैं और चेतन पहले ही कमरे में आ गए।
अब जो आग डॉली ने अपने भाई के जिस्म और दिमाग में लगाई थी.. उसकी वजह से चेतन ने अन्दर आते ही मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया।
मैंने भी कोई मज़ाहमत नहीं की और उसे और भी गर्म करने के लिए उससे लिपट गई और उसके बोसे का जवाब बोसे से देने लगी।
नीचे मैंने उसके बरमूडा में हाथ डाला और उसका लंड पकड़ लिया.. जो धीरे-धीरे मेरे हाथ में फूलने लगा। मैं भी उसके लण्ड को अपने हाथ में दबाते हुए आगे-पीछे करते हुए और भी खड़ा करने लगी।
चेतन बोला- जान जल्दी से एक बार चोद लेने दो ना..
मैंने कहा- नहीं… अभी नहीं.. तुम्हारी बहन ने आ जाना है।
चेतन बोला- नहीं.. तुम थोड़ी देर के लिए सिटकनी लगा कर आओ।
मैंने उसके लण्ड को सहलाते हुए कहा- नहीं.. जब वो सो जाएगी.. तो तुम खामोशी से जो भी करना चाहो.. मेरे पीछे लेटे-लेटे कर लेना।
आख़िर में चेतन मान गया।
तभी दरवाज़ा खुला और डॉली अन्दर आई.. तो उसे देख कर हम दोनों अलग हो गए। जैसे ही डॉली बिस्तर के क़रीब आई.. तो मैं फ़ौरन ही उसकी जगह पर होकर लेट गई और बोली- डॉली आज तुम दरम्यान में सोओगी।
डॉली चौंकी और हैरान होकर बोली- लेकिन क्यों भाभी?
चेतन भी हैरत से मेरी तरफ देख रहा था।
मैं मुस्कुराई और हँसते हुए बोली- तुम्हारे भैया.. मुझे बहुत तंग करते हैं.. इसलिए आज मैं इस तरफ सोऊँगी और तुमको दरम्यान में सोना पड़ेगा।
कभी उसके हाथ अपनी बहन की चूचियों को सहलाने लगते और कभी उसके पेट के ऊपर हाथ फेरने लगता। फिर चेतन ने थोड़ा सा और ऊपर होकर मेरे ऊपर से झुकते हुए अपनी बहन के गाल पर एक किस कर ली, हाथ तो चेतन अपनी बहन की चूचियों और जिस्म पर घूम रहा था लेकिन वो अपना लंड मेरे अन्दर ठोकता जा रहा था।
मुझे भी इससे मज़ा ही आ रहा था।
वैसे भी पिछले कुछ रोज़ से मैं चेतन के साथ छेड़-छाड़ करके उसे उत्तेजित तो कर ही देती थी.. लेकिन उसे अपनी चूत दिए हुए मुझे 15 दिन से ऊपर हो चुके थे, इसलिए भी वो इतना बेक़ाबू हो रहा था।
डॉली की चूची दबाते दबाते शायद चेतन ने जज़्बाती होकर कुछ ज्यादा ही मसक दिया था.. जिसकी वजह से डॉली थोड़ा सा कसमासाई और फिर उसने मेरी तरफ करवट ले ली।
जैसे ही डॉली हिली तो चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ पीछे खींच लिया और दूसरी तरफ मुँह कर करते हुए लेट गया।
तभी मैंने अपनी आँखें हल्की सी खोल कर देखा तो देखा कि डॉली ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी आँखें पूरी खोल ली हैं और मेरी तरफ देख रही है।
फिर उसने थोड़ा सा ऊपर होकर अपने भाई की तरफ देखा और धीरे से मुस्करा कर फिर लेट गई, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और आँखें खुली हुई थीं।
मैं दिल ही दिल मैं सोच रही थी कि क्या डॉली को भी पता था कि उसका भाई उसकी चूचियों को दबा रहा है।
अगर ऐसा था तो उसने कोई ऐतराज़ क्यों नहीं किया और अगर उसने सब कुछ जानते हुए भी कोई ऐतराज़ नहीं किया तो फिर तो यह मेरी बहुत बड़ी कामयाबी थी कि मैं दोनों बहन-भाई को इतना क़रीब लाने में कामयाब हो गई थी और मैं अपनी इस कामयाबी पर दिल ही दिल में बहुत खुश हो रही थी।
अगली शाम डॉली ने मेरी कहने पर एक स्किन कलर की टाइट्स और टी-शर्ट पहन ले. टी-शर्ट उसके चूतड़ों को आधा ढांप रही थी लेकिन उसकी जाँघों की पूरी पूरी शेप और टाँगें उस टाइट्स में बिल्कुल साफ़ दिख रही थीं।
डॉली बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. जैसे ही चेतन ने उसे देखा तो उसकी चेहरे पर मुस्कराहट फैल गई।
डॉली की नज़रें उससे टकराईं तो डॉली ने शर्मा कर अपना सिर झुका लिया। मैं देख रही थी कि जिधर-जिधर भी डॉली जा रही थी.. चेतन की नजरें उसी के जिस्म पर रह रही थीं। ऊपर टाइट टी-शर्ट में उसकी चूचियाँ बिल्कुल फंसी हुई थीं और उसका गला भी थोड़ा डीप था.. जिसकी वजह से उसका खूबसूरत गोरा-चिकना सीना भी काफ़ी खुला सा नज़र आ रहा था। लेकिन चूचियाँ या क्लीवेज तो नहीं दिख सकता था। सोने के वक़्त तक भी डॉली अपने जिस्म की जलवे बिखेरती रही और अपने भाई पर अपनी हुस्न की बिजलियाँ गिराती रही।
रोज़ की तरह आज भी सोने के लिए मैं और चेतन पहले ही कमरे में आ गए।
अब जो आग डॉली ने अपने भाई के जिस्म और दिमाग में लगाई थी.. उसकी वजह से चेतन ने अन्दर आते ही मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया।
मैंने भी कोई मज़ाहमत नहीं की और उसे और भी गर्म करने के लिए उससे लिपट गई और उसके बोसे का जवाब बोसे से देने लगी।
नीचे मैंने उसके बरमूडा में हाथ डाला और उसका लंड पकड़ लिया.. जो धीरे-धीरे मेरे हाथ में फूलने लगा। मैं भी उसके लण्ड को अपने हाथ में दबाते हुए आगे-पीछे करते हुए और भी खड़ा करने लगी।
चेतन बोला- जान जल्दी से एक बार चोद लेने दो ना..
मैंने कहा- नहीं… अभी नहीं.. तुम्हारी बहन ने आ जाना है।
चेतन बोला- नहीं.. तुम थोड़ी देर के लिए सिटकनी लगा कर आओ।
मैंने उसके लण्ड को सहलाते हुए कहा- नहीं.. जब वो सो जाएगी.. तो तुम खामोशी से जो भी करना चाहो.. मेरे पीछे लेटे-लेटे कर लेना।
आख़िर में चेतन मान गया।
तभी दरवाज़ा खुला और डॉली अन्दर आई.. तो उसे देख कर हम दोनों अलग हो गए। जैसे ही डॉली बिस्तर के क़रीब आई.. तो मैं फ़ौरन ही उसकी जगह पर होकर लेट गई और बोली- डॉली आज तुम दरम्यान में सोओगी।
डॉली चौंकी और हैरान होकर बोली- लेकिन क्यों भाभी?
चेतन भी हैरत से मेरी तरफ देख रहा था।
मैं मुस्कुराई और हँसते हुए बोली- तुम्हारे भैया.. मुझे बहुत तंग करते हैं.. इसलिए आज मैं इस तरफ सोऊँगी और तुमको दरम्यान में सोना पड़ेगा।