Antarvasna Chudai विवाह - SexBaba
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Antarvasna Chudai विवाह

hotaks444

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Nov 15, 2016
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विवाह

(लेखक – कथा प्रेमी)




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पात्र परिचय:
लीना: होने वाली बहू. उमर बाईस साल, एक सुंदर आकर्षक कन्या. नौकरी ढूँढ रही है क्योंकि आज कल अच्छा वर मिलने मे नौकरी से काफ़ी मदद मिलती है. माता पिता अब इस संसार मे नही हैं, अपने छोटे भाई के साथ मामा मामी के यहाँ रहती है.

अक्षय: लीना का छोटा भाई, अभी अभी दसवी पास हुआ है.

अनिल: होने वाला वर. उमर सत्ताईस, एमबीए, एक एमएनसी मे अच्छी नौकरी है. परदेस मे पोस्टिंग है.

नीलिमा: अनिलकी बड़ी बहन. बत्तीस साल उमर है, अब तक शादी नही की! सॉफ्टवेर कंपनी मे मॅनेजर है

सुलभा: अनिल और नीलिमा की सौतेली मा. उमर सैंतालीस.


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अक्षय (साला) दीदी की शादी पक्की हो गयी है. अच्छे लोग लगते हैं. काफ़ी मालदार भी हैं. यहाँ जिमखाना रोड पर बड़ा बंगला है. आए भी थे बड़ी टोयोटा कार मे. अच्छा हुआ, दीदी फालतू मे टेन्षन कर रही है. वैसे मुझे भी कोई बहुत अच्छा नही लग रहा है. याने शादी अच्छे घर मे होना ये खुशी की बात है पर दीदी दूर जा रही है यह सहन नही हो रहा है. दीदी की शादी कभी ना कभी होगी यह तो मुझे मालूमा था पर अब जब सच मे हो रही है, तो मुझे अजीब सा लग रहा है. दीदी का होने वाला पति याने मेरे होने वाले जीजाजी काफ़ी हॅंडसम लगते हैं, फिर भी मुझे ना जाने क्यों कुछ दाल मे काला लग रहा है. जीजाजी दीदी की ओर ज़्यादा देख
ही नही रहे थे, इधर उधर ही देख रहे थे. अब लड़की देखने आए हैं और वो भी मेरी दीदी जैसी खूबसूरत लड़की तो कोई भी सोचेगा कि वर महाशय होने वाली बहू को ताकेंगे पर जीजाजी का ध्यान तो और ही कहीं था. कभी अपनी मा और बड़ी बहन की ओर देखते तो उनकी आँखों मे एक अजीब सी चमक आ जाती थी. ना जाने किन ख़यालों मे खोए थे.
 
एक बार तो मुझे भी घूर रहे थे. नज़र मिली तो मुस्करा दिए. वैसे स्वाभाव अच्छा है. काफ़ी मीठी बातें करते हैं. वैसे दीदी की ससुराल के सभी लोग हाइ क्लास लगे. किसी ने भी ऐसा नही दर्शाया कि वे लड़के वाले हैं. दीदी बेचारी टेन्षन मे थी. नौकरी नही करती ना, आजकल सबको नौकरी वाली बहू चाहिए. और हमारे घर की आर्थिक परिस्थिति भी कोई बहुत अच्छी नही है. सामने वाले इतने पैसे
वाले हैं, कम से कम नौकरी होती तो .... पर दीदी की होने वाली सास ने उसकी सारी परेशानी दूर कर दी. बड़े प्रेम से लीना दीदी से बोली. "अरे लीना बेटी, नौकरी करना है या नही ये तेरे उपर है. हमे कोई परेशानी नही है. करना चाहती है तो कर, नही तो कोई बात नही. घर मे ही रह मेरे साथ. समय कैसे कटेगा पता ही नही चलेगा. हमारे घर मे वैसे भी काफ़ी 'कामा' रहता है" और अपनी बेटी नीलिमा की ओर देख कर हंस डी. नीलिमा भी मंद मंद मुस्करा रही थी. उन्हे दीदी पसंद थी ये सॉफ था. अच्छा हुआ. मामाजी बेचारे ज़्यादा खर्च नही कर सकते शादी मे. हम दोनो को याने लीना दीदी और मुझे पाला पोसा, बड़ा किया, यही बहुत है. और कोई होता तो कहीं भी ज़बरदस्ती शादी कर देता बिन मा बाप की लड़की की. पर मामाजी ने जहाँ भी बात चलाई वह परिवार देख कर. बोले कि इतनी सुंदर भांजी है मेरी, अच्छी जगह ही ब्याहेंगे. वैसे बाद मे मामाजी बता रहे थे कि असल मे यह मँगनी थी. उन्होने दीदी को कहीं देख लिया था और उन्हे वह बहुत पसंद आई थी. इसलिए उन्होने किसी के हाथ से संदेसा भिजवाया कि बात चलाएँ. वैसे है ही मेरी दी इतनी सेक्सी ... मेरा मतलब है सुंदर! वैसे अनिल जीजाजी की बड़ी बहन नीलिमा भी बहुत स्मार्ट है. क्या मस्त सलवार कमीज़ पहनी थी! उसके तने हुए मम्मे कैसे उभर कर दिख रहे थे कमीज़ मे से! वैसे मुझे ऐसी बातें सोचना नही चाहिए. दीदी की
बड़ी ननद है वह. पर क्या फिगर है उसका, मस्त तने मम्मे तो हैं ही, कमर के नीचे .... मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए, मेरा मन ज़्यादा ही बहकता है. पर इसकी ज़िम्मेदार लीना दीदी की खूबसूरत जवानी ही है! मुझे दीवाना कर दिया है, मुझे ऐसी ऐसी आदतें लगा दी हैं, आख़िर मैं भी क्या करूँ! नीलिमाजी भी लीना दीदी को बराबर घूर रही थी, जैसे लड़की देखने का काम उसी का हो,
 
जीजाजी का नही. लीना दीदी की होने वाली सास, सुलभाजी भी काफ़ी मिलनसार लग रही थी. कोई कह नही सकता कि वी जीजाजी की और नीलिमा की सौताली मा होंगी. एक तो उतनी बड़ी उमर भी नही है, और उपर से दिखने मे भी काफ़ी ठीक हैं, ठीक क्या मस्त ही हैं. साड़ी साड़ी पहनी थी पर एकदम टिप टॉप दिख रही थीं. काफ़ी मॉडर्न विचारो की लगती हैं. उनकी ब्रा की पट्टी ब्लाउज़ मे से दिख रही थी, मज़ा आ रहा था ...अरे बाप रे ... मैं ये क्या सोच रहा हूँ! दीदी को पता चल गया तो मार ही डालेगी मुझे.
दीदी ... ओह दीदी .... तुम्हारी शादी होने के बाद मैं क्या करूँगा ......

लीना (दुल्हन)कुछ समझ मे नही आता क्या करूँ! लड़के वालोने हां कह दी है, अब मैं भी कुछ कह नही सकती, मामाजी क्या कहेंगे! वैसे मना करने का कोई बहाना भी नही है मेरे पास. अच्छे लोग हैं, इतने रईस हैं. अनिल भी कितना इंप्रेस्सिव है. दिखने मे भी बहुत हॅंडसम है पर फिर भी मेरे उसके बीच मे कोई चिनगारी नही उड़ी, स्पार्क नही हुआ. ज़रा ठंडे ठंडे लग रहे थे, मुझे देख कर क्या उनकी घंटी नही बजी? और यहाँ अक्षय को छोड़ कर जाना याने ... मेरा भैया .... मेरी आँखों का तारा .... मेरा सब कुछ ....कैसे रहूंगी उसके बिना! पर मैं हां करूँ या नही? वैसे सब यही समझ रहे हैं कि मेरी तरफ से हां है. ठीक है, ऐसा कुछ भी नही है कि कोई समझदार लड़की ना करे. मेरी होने वाली सास सुलभाजी ... मेरा मतलब है माजी और नीलिमा, मेरी ननद काफ़ी खुश लग रही थी. मुझसे कितने प्यार से बातें कर रही थी. नीलिमा तो इतना तक पूछ रही थी कि मुझे किस रंग के परदे पसंद हैं, वहाँ घर मे नये लगाने हैं, पुराने हो गये हैं! जैसे मैं उस घर की बहू बन ही गयी हूँ. माजी ने तो कितने प्यार से एक दो बार मेरे गालों को हाथ लगाया. उनकी आँखों मे इतना प्यार था कि मुझे लगा वहीं मुझे गोद मे लेकर चूम लेंगी क्या! अपने बेटे अनिल पर बहुत प्रेम है उन्हे. कोई कह नही सकता कि सौतेला बेटा है उनका. नीलिमा दीदी भी कितनी उत्सुकता से मेरी साड़ी देख रही थी. उसे बहुत अच्छी लगी, वैसे इतनी अच्छी है नही, साड़ी तो है! वह क्या पता क्यों उसे ज़्यादा ही भाव दे रही थी. मैं तो चौंक ही गयी थी जब अचानक उसका हाथ मेरे स्तन पर पड़ गया. देखा तो वह असल मे मेरे आँचल का डिज़ाइन देख रही थी. मैने राहत की साँस ली नही तो मैं और ही कुछ समझ बैठती.

यह सब अक्षय की वजह से है, उसी ने मुझे ये सब उलटी सीधी आदतें लगाई हैं. क्या पीछे पड़ता है मेरे .....मामाजी और मामी
के बाहर जाने की राह तकता रहता है और फिर ... बेचारे से असल मे अपनी जवानी का जोश कंट्रोल नही होता. आज भी कैसे घूर रहा था नीलिमा को और माजी को. मुझे भूल ही गया था नही तो रोज 'दीदी' 'दीदी' करते हुए मेरे आगे पीछे करता है. आज देखती हूँ, ऐसा मज़ा चखाऊन्गी कि रो देगा. वैसे उस बिचारे का कसूर नही है. नीलिमा और माजी दिखने मे सुंदर तो हैं ही, उनमे और भी कुछ है ....याने ... याने सेक्स अपील. फिर भी इस मूरख लड़के को उन्हे ऐसे घुरना नही था,
 
उन्हे ज़रूर पता चल गया होगा कि वह क्या सोच रहा है.खैर जाने दो. अब शादी की तैयारी करनी पड़ेगी मुझे. अनिल कह रहा था कि वीसा मिलने मे एक साल लग जाएगा, तब तक मुझे यहीं माजी और नीलिमा के साथ रहना पड़ेगा. वह बीच बीच मे एक दो चक्कर लगा जाएगा. चलो ठीक है, मुझे भी अक्षय का साथ मिल जाएगा और कुछ दिन.


मैं तो उसे दोपहर को बुला लिया करूँगी, ख़ास कर अकेले मे. ननद रानी तो नौकरी पर जाती है रोज, माजी भी जाती होंगी किटी पार्टी या सोशियल वर्क पर. मैं और मेरा प्यारा भैया अक्षय अकेले उस घर मे ... ओह अहह मा & ...



अनिल (दूल्हा)

लड़की अच्छी है, अच्छी क्या, एकदम माल है! मा और दीदी को भी बहुत पसंद हैं. वे तो दीवानी हो गयी हैं अपनी होने वाली बहू पर. मुझे भी अच्छी लगी पर मेरी पसंद नापसंद का कोई ख़ास मतलब नही है, हां मा और दीदी को पसंद हो बस और कुछ नही चाहिए. आख़िर वह इस घर की बहू बनने वाली है, और मेरे बजाय अपनी सास और ननद के साथ ही ज़्यादा रहना है उसे. मा ने भी क्या चीज़ ढूंढी है! जैसी उसे चाहिए थी वैसी ही.

दिखने मे सुंदर और थोड़ी कम आमदनी के परिवार की. याने मैके का ज़्यादा सपोर्ट ना हो और ससुराल मे ही ज़्यादा रहे ऐसी, चाहे कुछ भी हो जाए. नीलिमा दीदी ने पूरी जानकारी निकालकर मा को दी थी. फिर मा ने अपनी चचेरी बहन के ज़रिए संदेसा भिजवाया लीना के मामाजी के यहाँ कि रिश्ते का न्योता लेकर हमारे यहाँ आएँ.

दोनो बहुत एग्ज़ाइटेड हैं. होनी भी चाहिए, मेरी शादी की फिकर मुझसे ज़्यादा उन्हे है. मैं भी खुश हूँ, मेरा काम हो गया, अब मैं जर्मनी वापस जा सकता हूँ. वहाँ वो साला हॅंडसम जेसन मेरी राह तकता होगा. उसके साथ बिताए समय की याद आते ही रोमाच सा हो उठता है, रोम रोम मचल उठता है, और भी बहुत कुछ मचलने लगता है ....
 
पिछले साल जेसन से मिलने के बाद मेरी जिंदगी ही बदल गयी. मा और दीदी ने भी कितनी समझदारी दिखाई, ज़्यादा झगड़ा नही किया और मेरे और जेसन के संबंध को मन्जूरी दे दी. वैसे मैने उनकी काफ़ी सेवा की है बचपन से. मा और दीदी दोनो के प्रति मैने अपना कर्तव्य निभाया है, उन्हे अपनी तरफ से पूरा सुख देने की कोशिश की है. उन्होने भी मुझे वह सुख दिया है जो शायद ही किसी को मिलता होगा. इसलिए अब उनके सुख के लिए थोड़ा नाटक भी करना पड़े तो मैं करूँगा.
मुझे बस लीना के बारे मे सोच कर कभी कभी थोड़ा बुरा लगता है. उसे मैं फँसा रहा हूँ ऐसा लगता है. उस बेचारी पर ज़्यादती तो नही हो रही है ऐसा लगता है. मा और नीलिमा दीदी जैसे प्लान बना रहे हैं बहू की खातिर कि उन्हे सुनकर कभी कभी मुझे लगता है कि ये दोनो मिलकर बहू पर प्रेम करने वाली हैं या उसकी हालत खराब करने वाली हैं. पर लीना की हालत खराब ही होगी यह भी मैं पक्का नही कह सकता. हो सकता है लीना को भी उसमे बहुत आनंद आए! वह फँस भले ही रही हो पर उसे बहुत सुख भी मिलने वाला है यह निश्चित है. भले ही यह सुख अलग तरह का होगा. मा को मैं जानता हूँ कि इस काम मे वह कितनी कुशल है. मैं और दीदी बचपन से उसका स्वाद ले चुके हैं.



इसीलिए मैं मन को समझा लेता हूँ कि लीना के लिए ज़्यादा फिकर करने की ज़रूरत नही है. लीना भी कोई कम नही है. जिस तरह से वह अपने छोटे भाई की ओर देख रही थी, मैं सब समझ गया. वह छोकरा भी मा और दीदी की ओर देख रहा था. नीलिमा दीदी भी ग्रेट है! क्या तकलीफ़ दे रही थी बेचारे को. बार बार अपनी ओढनी खिसक जाने देती थी. अक्षय भले ही छोटा हो पर असली लावण्य की पहचान है साले को! मैने अनजाने मे प्यार से गाली दी, वैसे अब वह मेरा साला होने ही वाला है. यह छोकरा भी मस्त है. क्या चिकना है, लगता है भगवान ने ग़लती से लड़का बना दिया. जेसन देखेगा तो चढ बैठेगा. मुझे भी उसे देख देख कर लगाने लगा कि अभी .... पर पहली मुलाकात थी, वो भी उसकी बड़ी बहन को देखने की रश्म. वैसे मुझे वीसा के बहाने आना ही है दो महने बाद. तब तक लीना बेचारी अपनी सास और ननद की ठीक से सेवा करना सीख जाएगी. तभी मेरे इस प्यारे साले को बुला लेंगे सेवा करने को. बेचारे को बहुत लोगों की सेवा करना पड़ेगी. एक
तो उमर मे सब से छोटा है, दूसरा लड़की वाला है, लड़के वाले जो बोलेंगे करना पड़ेगा. वैसे मा और दीदी की सेवा करने मे उसे खुद भी बहुत मज़ा आएगा. मुझे तो लगता है कि साला आज कल अपनी बड़ी बहन की सेवा करता है रोज, कैसे देख रहा था लीना की ओर. आदत है उसे. अब मैं अपनी खातिर करवाऊन्गा.... आख़िर उसका जीजा हूँ. मेरा हुकम मानना ही पड़ेगा. कुछ नही तो लीना से कहकर ज़बरदस्ती करवाऊन्गा.
 
लीना को खुश रखना ज़रूरी है. फिर सब कुछ ठीक ठाक हो जाएगा, कोई लफडा भी नही होगा. वैसे मेरी मा और बहन जिस तरह से बहू के स्वागत को तड़प रही हैं, उससे तो लगता है कि एक बार हमारे घर आ जाए, फिर बेचारी लीना कुछ भी कर ले, इन दोनो सास ननद के आगे बेचारी जल्दी ही घुटने टेक देगी. आख़िर कर भी क्या सकती है बेचारी. पर लड़की सच मे स्वीट है. मैं आज ही रात अच्छा मीठा मौका देखकर मा और दीदी को समझा दून्गा कि बहू को ज़रा प्यार से ... मेरा मतलब है ... मज़ा दें, ज़्यादा कचूमर ना निकालें उसका शुरुआत मे. वैसे कोई प्राब्लम होना नही चाहिए, अगर मेरा अंदाज़ा सही है ... याने लीना भी अपने भाई के साथ .... तो लीना ज़्यादा नाटक नही करेगी, सास ननद के आयेज समर्पण कर देगी.


नीलिमा
(ननद)


लीना बड़ी प्यारी है. उसे पास से देख कर मैने राहत की साँस ली कि वह वैसी ही निकली जैसा मैने सोचा था. बहू चुनने मे कोई ग़लती नही हुई. लीना के उस अनूठे सौन्दर्य और उसकी सेक्स अपील को भी नज़दीक से देख लिया. बहुत दिन बाद ऐसा लगा कि अब फिर हमारी जिंदगी मे कोई नयापन आएगा. लीना मे वह फ्रेशनेस है जो जवानी मे होता है.

लीना को मैने अपनी सहेली के भाई की शादी मे देखा था. फिर मा को दिखाया कि यह बहू कैसी रहेगी. मा को भी एक नज़र मे पसंद आ गयी थी. मुझे पकड़कर बोली थी ओह बेटी, अगर यह अप्सरा हमारे घर मे आ जाए तो ... पर अनिल को भी पूछ लेते हैं. मैं हंस पड़ी थी, ममी को भी कहा था कि कमाल करती हो, अनिल की पसंद नापसंद का अब कोई मतलब है क्या. यह अनिल भी क्या छुपा रुस्तमा निकला, बचपन से साथ हैं पर मैने कभी नही सोचा था कि यह ऐसा ....उस जेसन के साथ क्या क्या करेगा. नही तो बचपन से मैं, अनिल और मामी इतनी मस्ती करते आए हैं, इसने कभी हवा भी नही लगने दी कि यह उस तरफ की भी सोचता है!


मुझे अब भी याद है जब वह छोटा था और मेरे कमरे मे सोता था और मैने ...... और बाद मे ममी की पापा के साथ शादी होने के बाद जब पापा बाहर गये थे और अनिल मेरे बेडरूम का दरवाजा खोल कर अंदर आ गया था कि मैं अकेली होऊन्गी और जब उसने मुझे और ममी को .... क्या सूरत हो गयी थी, जैसे बिजली गिर पड़ी हो. अभी भी हँसी आ जाती है मुझे.


अब आएगा मज़ा, लीना क्या मस्त चीज़ है. आज मैने उसकी साड़ी का आँचल देखने के बहाने हाथ लगा दिया. कितने कसे हुए स्तन हैं इस लड़की के! मेरे जितने बड़े नही हैं पर हैं ठोस. लीना चौंक गयी थी, मेरे हाथ लगाने पर, पर मैने चेहरा ऐसा भोला बना रखा था कि मुझे देखकर फिर निश्चिंत हो गयी. अच्छा हुआ उसे समझ मे नही आया. अभी ठीक समय भी नही है यह, एक बार शादी हो जाने दो, जब घर आएगी तो देख लून्गी मैं उसे.


[size=large]उसका वाहा छोटा भाई भी बहुत प्यारा है. कितना नाज़ुक है, और एकदम गोरा गोरा. मेरे ख़याल से लीना से भी ज़्यादा गोरा है. अनिल तो बार बार उसी की ओर देख रहा था. ये तो अच्छा हुआ कि अक्षय का ध्यान मेरी ओर था नही तो वह सोचने लगता कि उसके जीजाजी आख़िर अपनी होने वाली पत्नी को छोड़कर अपने साले मे ज़्यादा दिलचस्पी क्यों दिखा रहे हैं.

एक दो बार मामी की ओर भी देख रहा था, लगता है बड़ा रसिक है. पर बाद मे उसका पूरा ध्यान मेरी छाती पर था. अच्छा हुआ की मैने यह तंग कमीज़ पहनी आज. इसमे मैं बहुत सेक्सी लगती हूँ. मेरे अड़तीस डी कप साइज़ के मम्मे जब तन कर कमीज़ से उभरते हैं तो मज़ाल है कि किसी की निगाह मेरे जोबन पर ना जाए! असल मे मैने लीना पर इनका क्या इफेक्ट होता है देखने के लिए पहनी थी पर यहाँ तो उसका छोटा नन्हा मुन्ना भाई जाल मे आ गया! बस मेरी ओर लगातार देख रहा था,
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नज़रें एक होतीं तो शरमा कर अलग देखने लग जाता. मैने भी बार बार ओढनी उपर नीचे करके बेचारे की हालत खराब कर दी. अनिल ने एक बार आँखों आँखों मे मुझे डान्टा भी कि क्या तंग कर रही है उसे बच्चे को पर मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था. असल मे मैं किसी बहाने उस लड़के को कुर्सी से उठाना चाहती थी, देखना चाहती थी कि क्या असर हुआ है, पर मौका नही मिला. शादी के बाद इस छोकरे को भी घर बुला लूँगी, कह दूँगी कि लीना को भी साथ हो जाएगा. इनके मामा मामी मना नही करेंगे. आने दो बच्चू को मेरी गिरफ़्त मे, ऐसा सताऊन्गी कि जिंदगी भर नही भूल पाएगा.


ममी ने कमाल कर दी, बहू को प्यार करने वाली बिलकुल सीधी साधी सास बनकर लड़की देखने का नाटक कर रही थी. प्यार से उसके गालों को सहला रही थी. मुझे तो हँसी आ रही थी, क्या जबरदस्त आक्टिंग कर लेती है ममी. मुझे मालूम है की वह असल मे कैसी है, और बहू के स्वागत करने के क्या क्या तरीके मन सोच कर ख़याली पुलाव पका रही है. बेचारी लीना को पता चले तो वह घबरा कर भाग जाएगी. इतने साल से मैं ममी को जानती हूँ, जब से डैडी उसे ब्याह कर लाए इस घर मे. बेचारे डैडी, मुझे बहुत याद आती है, इतनी जल्दी भगवान ने उन्हे बुला लिया पर शायद उन्हे पता चल गया था इसलिए ममी से शादी करके मुझे और अनिल को ममी के हवाले कर गये. यह इतना बड़ा उपकार किया उन्होने. ममी ने हमे हर तरह का सुख दिया है, मा का भी और .... और कभी कभी जबरदाती कर के अपनी मनमानी करके हमे ऐसे ऐसे सुख भोगने को मजबूर किया है जो शायद अपने आप हम कभी नही कर पाते. कल की रात को कितना मीठा तंग किया उसने मुझे, अनिल तो सो गया पठ्ठा थक कर, दो घंटे की मेहनत के बाद ही. मैं ही पकड़ मे आ गयी मामी के, उसके बाद की सब मेहनत मुझे करनी पड़ी, ममी ने मेरा कचूमर ही निकाल दिया करीब करीब. अब भी याद आया कि क्या क्या किया उसने मेरे साथ तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. पर वह आनंद, वह नस नस मे दौड़ती सुख की लहर ... इतना सुख सिर्फ़ ममी ही दे सकती है मुझे. है बस मुझसे सोला सत्रह साल बड़ी पर सब के सामने उसे मामी कहने मे मुझे मज़ा आता है. ख़ास कर जब सोचती हूँ कि घर मे अकेले मे हम जो करते हैं वो शायद इस संसार की कोई मा बेटी नही करती होगी.

अनिल हनीमून के दूसरे ही दिन वापस जर्मनी जा रहा है. अच्छा भी है, एक बार पति ने ठीक से बहू की जान पहचान उसकी सास और ननद से करवा दी, उसके बाद उसका कोई काम नही है यहाँ. महीने भर बाद जब वह आएगा तो उसे एक नयी लीना दिखेगी. मुझे लगता है उसे भी बहुत आनंद आएगा. माना कि अब वह जेसन के साथ ज़्यादा ... पर आख़िर इतने दिन वह अपनी बहन और मा के साथ रहा है, पूरा जीवन का स्वाद भोगता रहा है. जेसन के साथ जब उसकी हरकतों का पता चला तो मुझे गुस्सा आया था, यहाँ उसकी मा और बहन उसकी हर ज़रूरत को पूरा करने के लिए होते हुए भी उसने. बाद मे जेसन को फोटो देखा तो मेरा गुस्सा कम हुआ, सच मे क्या हॅंडसम नौजवान है. कम से कम अनिल की पसंद तो अच्छी है. ममी ने भी मुझे समझाया था, हर एक को जिंदगी अपने हिसाब से जीने का अधिकार है, मन चाहे वैसा आनंद लेने का अधिकार है, मन को किसी पिंजरे मे नही डालना चाहिए. बड़ी बदमाश है, अधिकार की बात करती है, बस अपनी बहू को वह कोई अधिकार नही देगी, बहू को करना होगा वही जिसमे उसकी सास और ननद को सुख मिले. वैसे ना जाने
क्यों मुझे लगता है कि भले ही लीना शुरू मे थोड़ी रोए धोए या नखरा करे, जल्दी ही वह पूरी भिन जाएगी हमारे संग, बड़े मस्त स्वाभाव की लगती है, शरीर सुख के आगे वह जल्द ही हाथ पैर टेक देगी. ममी तो जादूगरनी है इन बातों मे. और मैं भी अब सीख गयी हूँ. अब शादी की तैयारी करना है. ख़ास कर बहू के साज़ सामान की खरीददारी. उसमे सब से ज़रूरी है लीना का ब्राइडल लाइनाये सेलेक्षन! मैं खुद लीना को ले जाऊन्गी, ट्रायल के लिए.

[size=large]सुलभा (सास)
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[size=large]लड़की देखने का प्रोग्राम आख़िर पूरा हुआ. अब तैयारी करना है जल्द से जल्द. वैसे मुझे पूरा भरोसा था कि लीना हां कहा देगी. अनिल तो पहले से तैयार बैठा है, उसकी मज़ाल है कि मेरी बात ना माने! वैसे इतनी खूबसूरत लड़की को ना कहने का सवाल ही नही पैदा होता किसी के लिए. लीना को अब तक किसी बात की भनक नही है, अच्छा ही हुआ, घबरा कर ना कर देती तो खुद तो इस संसार के सबसे मीठे सुख से वंचित रह जाती, हमे भी तरसता छोड़ देती. मुझे और नीलिमा को तो चैन ही नही है जब से लीना को देखा है. वैसे मैं नीलिमा से बात करूँगी, लीना को एक दो हिंट धीरे धीरे दे देना चाहिए, नही तो बेचारी को हनीमून के दिन बड़ा शॉक लगेगा. लीना को पहली बार मैने देखा जब नीलिमा ने मुझे एक शादी मे दूर
से उसकी ओर इशारा करके दिखाया. नीलिमा बहुत उत्तेजित थी, मुझे कान मे बताया कि इस लड़की को हम बहू बनाएँगे. दूर से मुझे भी वह बहुत प्यारी लगी थी, इन मामलों मे नीलिमा का अंदाज़ा अचूक रहता है. आज लीना को इतनी पास से देखकर और उससे बातें करके ऐसा ही लगा जैसा सोलह साल पहले नीलिमा का वह कमसिन सौन्दर्य देख कर मुझे लगा था.


कितने दिनों से मैं बहू के लिए तड़प रही हूँ. अनिल की शादी करना है, और अब हम दोनों मा बेटी को भी लगता है कि घर मे और कोई आए हमारा दिल बहलाने को, अनिल तो बाहर ही रहता है. हमारा परिवार छोटा है पर एकदम क्लोज़ है, आपस मे इतना क्लोज़ शायद ही और कोई परिवार होगा. इस परिवार को अब बढाय जाए यह सब के हित और सुख की
बात है. हमारे मन मे .... ख़ास कर मेरे मन मे क्या क्या हसरतें हैं,

किसी खूबसूरत लड़की के साथ .... पर किया किसके साथ जाए, यह सोच सोच कर मैं तो पागल होने को आ गयी थी. नीलिमा बहुत सुख देती है मुझे पर अब वह मुझसे भी आगे निकल गयी है, वह बचपन का भोलापन, इनोसेन्स नही रहा उसमे. दिन कैसे जल्दी बीत जाते हैं समझ मे ही नही आता. नीलिमा और अनिल से मुझे जो सुख मिला उसकी मैने कभी कल्पना भी नही की थी. याने इस के लिए मुझे ही पहल करनी पड़ी यह बात अलग है. बचपन से मैं औरों से कितनी अलग हूँ इसका मुझे अहसास रहा है. मन काबू मे नही रहता. ख़ास कर जब ऐसे सुंदर लड़के लड़कियों को देखती हूँ. मुझे अभी भी याद है कि जब मैं कालेज मे वार्डन थी तब नीलिमा को किस हालत मे मैने दूसरी लड़कियों के साथ पकड़ा था. वैसे मेरी नज़र उसपर बहुत दिनों से थी, क्या खूबसूरत दिखती थी वह कमसिन उमर से ही. उसे मैने डीसिपलिन किया, कहा कि मेरा मानेगी तो किसी को बताऊन्गी नही. बेचारी पहले बहुत घबराती थी पर बाद मे मेरे चंगुल मे ऐसी फँसी की कभी ना छूट पाई. फिर मेरे बिना रहना ही उसे गवारा नही होता था. मुझसे चिपक कर रहती थी कॉलेज मे और कॉलेज छूटने
के बाद भी. उसके डैडी को पता चला तो उन्होने मना नही किया, बल्कि बोले कि अच्छा है, मेरे साथ रहेगी तो कम से कम बाहर और बुरी संगत मे तो नही पड़ेगी. बाद मे उन्होने मुझसे शादी कर ली, वे बाहर जाने वाले थे और बच्चे अकेले कैसे रहेंगे इसकी चिंता उन्हे थी. वैसे यह शादी नाम मात्र की था, वे अलग किस्म के आदमी थे. बोले कि घर मे ही आ जाओ तो बिन मा के बच्चों का अच्छा ख़याल रख सकोगी.

बेचारे जल्द ही हार्ट अटेक से चले गये. हम सब को बहुत दुख हुआ. मुझे इतना ही संतोष है कि जब तक वे बाहर रहे, अपनी जिंदगी अपनी तरह से जिए, अपने मन का सुख पाते हुए. तब तक मैं बच्चों से घुल मिल गयी थी, वे मुझे मा की जगह देखते थे और नीलिमा के लिए मैं मा से भी बढ़ कर थी. मैने ही उन्हे बड़ा किया. मेरे पति पैसा जायदाद काफ़ी
छोड़ गये थे. अब नीलिमा रात को मेरे ही बेडरूम मे सोने लगी, अनिल के सोने के बाद चुप चाप आ जाती थी. मुझसे अलग रहने का तो कोई सवाल ही नही था. अनिल पहले बहुत छोटा था पर जैसे जैसे बड़ा हुआ, इतना खूबसूरत लगने लगा, मुझे यहा गवारा नही हुआ कि वह ऐसा अकेला रहे. इस उमर मे बच्चे बिगड़ जाते हैं, उससे अच्छा यही था कि हम
उसे साथ ले लें. मेरे कहने पर कि नीलिमा तू ही उसे सिखा, वह हँसने लगी. फिर मुझे बताया कि यह तो बहुत पहले से ही चल रहा था, इसीलिए तो रात को अनिल को सुलाकर ही वह मेरे पास आती थी. अब तो आसान था, एक रात जब अनिल बाहर गया था तो मैं नीलिमा के बेडरूम मे सो गयी. जब वह वापस आया और मुझे नीलिमा के साथ देखा ... आज भी उसकी वह सूरत याद आती है तो रोमाच सा हो आता है. बेचारा शुरू मे घबरा गया था पर फिर नीलिमा प्यार से उसे ज़बरदस्ती खींच कर मेरे पास, अपनी मा के पास, भले ही सौतेली सही, लाई कि मा ठीक से अपने उस बेटे को प्यार कर सके. खैर, हम दोनों मा बेटी ने मिलकर फिर उस कमसिन बालक की ओर हमारा पूरा कर्तव्य निभाया.


मैं कहाँ की बातों मे खो गयी. अब वह हमसे ज़रा दूर चला गया है. नीलिमा पहले बहुत नाराज़ हुई थी पर मैने ही उसे समझाया. उसके बाद हमारी फिर से ठीक निभने लगी, वैसे अनिल साल मे बस दो तीन बार एक एक हफ्ते की छुट्टी लेकर आ पाता है, एक तो नौकरी और दूसरे वह जेसन उसे छोड़े तब ना.


इसीलिए मुझे और नीलिमा को एक और किसी ऐसे की ज़रूरत थी जो हमारे परिवार का सदस्य बन सके. बहू से अच्छी मेम्बर कौन हो सकती है! और फिर लोगों को भी कुछ ऐरा गैरा नही लगेगा अगर बहू घर मे आ जाए तो. हम एक फूल सी बहू ढूँढने लगे, जो अब हमे मिल गयी है. नीलिमा बता रही थी कि कल लड़की देखने का कार्यक्रम हो रहा था तब लीना का छोटा भाई कैसा उसे घूर रहा था. मुझे सुन कर मज़ा आया. वैसे है ही हमारी नीलिमा इतनी सेक्सी, कोई भी देखे तो
देखता रह जाए. वह छोकरा भी काफ़ी रसिक लगता है, मुझे भी एक दो बार देख रहा था पर मैने ध्यान नही दिया. बाद मे देख लूँगी उस बच्चे को. मेरे तो पाँव अब ज़मीन पर नही पड़ते इतनी मैं खुश हूँ. नीलिमा के बाद एक और सुंदर नाज़ुक कन्या मुझे मिलने वाली है, तन और मन आने वाले सुख की कल्पना से ही सिहर उठे हैं, मुझे तो ऐसा लगता है जैसे
मैं फिर जवान हो गयी हूँ. नीलिमा ही कल रात तक कर परेशान होकर भूनभुना रही थी कि ममी आज तुमने मेरी हालत खराब कर दी, कितना जोश चढ्ता है तुझे, अपना यह जोश अब बचा कर रख अपनी बहू के लिए. आज रात को भी मैं नीलिमा के साथ और हो सके तो अनिल के साथ रतजगा करूँगी, कुछ तो सेलेब्रेट करना ज़रूरी है इतनी अच्छी बहू मिलने के बाद.

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अक्षय (साला)

अगले हफ्ते शादी है. कितनी जल्दी जल्दी सब हो रहा है! लीना दीदी भी बहुत अच्छे मूड मे रहती है. मामा मामी शादी की तैयारी मे जुटे हैं, वे बाहर जाते हैं तो दीदी मुझे अपनी सेवा मे बुला लेती है, उसे एक पल भी नही खोना है मेरे साथ का. कह रही थी की अक्षय, बचे समय का पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए, बाद मे ना जाने कब मौका मिले! लीना दीदी दो दिन काफ़ी उदास थी. फिर जब ससुराल वालों ने उसे घर बुलाया और वह नीलिमा दीदी और अपनी सास से मिल कर वापस आई तब काफ़ी खुश लग रही थी. बोली कि क्या आलीशान बंगला है उनका. वह तो अनिल और उसका बेडरूम भी देख आई, बता रही थी कि बहुत बड़ा है, पलंग तो इतना बड़ा है कि चार लोग सो जाएँ, फिर मुन्ह छिपा कर हँसने लगी.


वैसे अनिल जीजाजी तो दो दिन रहेंगे, फिर जर्मनी चले जाएँगे, दीदी बेचारी अकेले रहा जाएगी उस बड़े बेडरूम मे.
वैसे अनिल को जीजाजी कहलवाना बिलकुल अच्छा नही लगता. कह रहे थे कि मुझे सिर्फ़ अनिल कहा करो. परसों ही घर आए थे चाय पर. बहुत अच्छे चिकने लग रहे थे जींस और टी शर्ट मे. मैने भी बाई चांस कल जींस ही पहनी थी. मुझे अनीला से ईर्ष्या हो रही थी, मेरी दीदी अब उनकी हो जाएगी. उन्होने एक बहुत मस्त आफ्टर शेव लगाया था, कितनी
अच्छी सुगंध थी. अनिल का मुझमे बहुत इंटेरेस्ट है, दीदी के बजाय मुझसे ही ज़्यादा बातें कर रहा था. बीच मे बड़ी आत्मीयता से उन्होने मेरे कंधे पर हाथ रखा और जाँघ थपथपाई. मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ, मुझे लगा था कि वी दीदी के पास बैठेंगे और उसे हाथ लगाने का मौका ढूंढ़ेंगे.

वैसे अनिल का अभी हो ना हो, नीलिमा और उसकी मा दीदी मे बहुत इंटेरेस्ट ले रही हैं. कल जब दीदी उनके यहाँ गयी थी तो दोनों ने बहुत देर उसके साथ गप्पें लड़ाईं, बिलकुल घर जैसी. अनिल जीजाजी कुछ देर थे, फिर चले गये. यह कहते समय दीदी थोड़ी उदास लग रही थी, उसे लगा होगा कि अनिल को भी रुकना था. वैसे उसकी कमी नीलिमा दीदी और सास ने पूरी कर दी. सुलभाजी ने तो दीदी को प्यार से अपने पास सोफे पर बिठा लिया था


ऐसा दीदी बोल रही थी. एक दो बार तो बड़ी ममता से उसे पास खींच कर उसके लाड किए थे जैसे वह छोटी बच्ची हो. दीदी बता रही थी कि सासूमा बहुत सुंदर हैं. उसे दिन दूर से भले ही पता ना चल रहा हो पर पास से दिखता है क्या गोरी चिकनी हैं, उनका कंपेक्स्षन भी एकदमा स्निग्ध है. बाल भी करीब करीब काले हैं, बस एकाध लट छोड़ कर. आगे दीदी ने थोड़ा शरमाते हुए कहा कि माजी का फिगर इस उमर मे भी अच्छा है. उन्होने घर मे एक फैशनेबल तंग सलवार कमीज़ पहनी थी. दीदी तो देखती रहा गयी. वे इतनी मॉडर्न हो सकती हैं ऐसा उसने नही सोचा था. फिर दीदी ने धीरे से मुझे बड़े नटखट अंदाज मे बताया कि कमीज़ के पतले कपड़े मे से माजी ने पहनी हुई लेस वाली ब्रा सॉफ दिख रही थी. कमीज़ तंग होने से उनके स्तन भी खूब उभर कर दिख रहे थे. लो कट कमीज़ थी इसलिए उनके स्तनो के बाच की खाई का उपरी हिस्सा और उसमे सोने की चेन ... ऐसा रूप था दीदी की सास का.


दीदी ने यह बताते हुए अचानक मेरा कान मरोड़ना शुरू कर दिया. मैं चिल्लाया तो बोली कि उसे याद आया कि उस दिन मैं कैसा माजी को घूर रहा था. फिर कान छोड़कर मुझे चूम कर बोली कि असल मे मेरा कसूर नही था, वे हैं ही ऐसी सुंदर पर आगे फिर से मेरी सास के साथ कोई बदतमीज़ी की तो मार खाएगा. दीदी आगे बोली कि उन्हे पता चल गया तो वे तुझे घर आने नही देंगी, फिर मैं क्या करूँगी, खा कसम कि अब नही करेगा. मैने कसमा खा ली पर मेरा बहुत मन करता है की
सुलभाजी को उस सलवार कमीज़ मे देखूं.


दीदी आगे बोली कि नीलिमा बड़ी अच्छी नीले रंग की साड़ी पहने हुए थी. उसके गेहुएँ रंग पर वह खूब फॅब रही थी. बातें करते करते नीलिमा ने बड़ी सहजता से दीदी का पल्लू उठाकर देखा और फिर पूछ लिया कि ब्रा बड़ी अच्छी लग रही है, कौन से ब्रांड की है. दीदी को थोड़ा अजीब सा लगा पर नीलिमा इतने प्यार से और अपनेपन से पूछ रही थी कि उसने
बुरा नही माना.
 
अक्षय (साला)



दीदी दो मिनिट चुप रही फिर थोड़ा शरमा कर बोली कि अक्षय, उसने फिर से मेरे स्तन को छुआ. छुआ ही नही, थोड़ा दबाया भी, पर मुझे बुरा नही लगा, मैं असल मे मन ही मन यही सोच रही थी कि देखें यह उस दिन वाली बात दुहराती है क्या. जिस तरह से उसने मुझे छुआ, मेरे निपल को हल्के से अपनी हथेली से घिसा, मुझे थोड़ी एग्ज़ाइट्मेंट हुई. इस बात पर मैने दीदी को खूब चिढाया और फिर ....... काफ़ी मस्ती कर ली, उसमे आधा घंटा चला गया. मामा मामी वापस आए तो मैं अपने कमरे मे भाग लिया.

असल मे काफ़ी थकान भी महसूस हो रही है, पिछले हफ्ते भर दीदी ने मुझे ज़रा भी आराम नही करने दिया, ना जाने क्या हो गया है उसे, ऐसी बहकती है ... मामा मामी जैसे ही बाहर हुए मुझे अपनी सेवा मे बुला लेती है. कितनी सुंदर है दीदी, उसकी उस सुंदरता के आगे मैं अपनी सारी थकान भूल जाता हूँ< जो वह चाहती है खुशी से करता हूँ, मेरी तो चाँदी हो जाती है. उस दिन बाद मे जब जम थक कर लस्त पड़े थे तो दीदी हान्फते हान्फते बोली कि कल नीलिमा दीदी उसे मॉल मे ले जाने वाली है, शॉपिंग को. मैने पूछा कि कैसी शॉपिंग तो मुन्ह बना कर बोली कि लिंगरी शॉपिंग के लिए. मैने
उसे पूछा कि क्या पहन कर दिखाने वाली है अपनी ननद को तो दीदी क्या शरमाई, देख कर मज़ा आ गया.

मैने दीदी को पूछा की दीदी, नयी नयी ब्रा और पैंटी ले लोगी तो ये इतनी सारी ढेर सी पुरानी ब्रा और पैंटी का क्या करोगी? दीदी मेरा गाल को दबाकर बोली कि तुझे दे जाऊन्गी, बहन की निशानी के स्वरूप, मुझे याद तो किया करेगा. मैं तो मस्ती मे पागल होने को आ गया. मैं मन मे सोच रहा था कि इसी तरह अगर नीलिमा और सुलभाजी की ब्रा और पैंटी मिल जाएँ तो सोने मे सुहागा हो जाए. यह मैने दीदी से नही कहा नही तो वह नाराज़ हो जाती. हाँ दीदी को यह ज़रूर कहा कि 'दीदी, तेरी ब्रा और पैंटी तो मैं खजाने जैसे संभाल कर रखूँगा पर तू इतनी दूर जा रही है उसका क्या? मैं तो पागल हो जाऊन्गा!'

दीदी ने मुझे सांत्वना दी, अपने ख़ास तरीके से. बहुत मज़ा आया. कुछ देर बाद उसने मेरे सिर को उपर उठाया, जहाँ मेरा सिर था वहाँ से उठाने को उसे मेरे बाल खींचने पड़े क्योंकि वहाँ से मैं अपने आप तो हटने वाला नही था. बोली कि वह कुछ ना कुछ इन्तजाम कर लेगी, आख़िर काफ़ी दिन अभी वह पूना मे ही रहने वाली थी. मैं तो इसी आशा पर हूँ कि दीदी से बीच बीच मे मिलता रहूँगा, उसके घर जा कर. और एक बार उसके घर आना जाना होने लगा तो स्वाभाविक है कि दीदी की ननद नीलिमा और सास सुलभाजी के दर्शन भी होंगे. वे मेरी बार बार आने जाने को माना ना करें यही मैं भगवान से मना रहा हूँ. पर वे ऐसी क्यों करेंगी, आख़िर मैं भी अब उनके परिवार का सदस्य बन जाऊन्गा. नीलिमा की छाती का वह उभार याद आता है तो अब भी मेरा .... याने दिल डौल जाता है. और सुलभा जी के आँचल मे से दिख रहे उनके .... ओह गॉड.
 
लीना (दुल्हन)

ये अक्षय कहाँ चला गया आज, बिन बताए, मुझे उसकी बहुत ज़रूरत है. मन काबू मे नही है, वह होता तो उसे ऐसा .... इतनी उत्तेजित मैं कभी नही हुई. डर लग रहा है, मन अब कहाँ कहाँ भटकता है, कैसे कैसे ख़याल मन मे आते हैं पर साथ ही मन मे जो अजीब आनंद उभर रहा है वैसा मैने आज तक महसूस नही किया. परसों अक्षया मुझे चिढ़ा रहा था, जब मैने उसे नीलम दीदी की हरकत के बारे मे बताया तो. मुझे भी समझ मे नही आता यह क्या चल रहा है, ऐसा तो किसी भी बहू के साथ नही हुआ होगा पर मेरा मन भी इतना मचलता है, कि क्या कहूँ, उसे ये सब बातें लगता है बहुत अच्छी लगती हैं. अक्षय को जब मैने अपनी सारी पुरानी ब्रा और पैंटी देने के बारे मे कहा तो क्या खुश हुआ वह बदमाश लड़का!

उसके तो प्यारे खिलौने हैं ये. वैसे सब ब्रा और पैंटी पुरानी हैं, सस्ती भी हैं, पर बेचारा अक्षय, मेरा प्यारा छोटा भाई, उन्हीमे
इतना खुश है कि देख कर मेरा मन भर आता है. अक्षय मेरा भैया, मेरा बहुत कुछ, कैसे रहूंगी रे तेरे बिना मैं!
इसलिए मैने सोच लिया है कि बचे दिनों मे उसका जितना साथ मिले, उसका आनंद उठा लूँ. आज कल मैं उसे एक पल अकेला नही छोड़ती, पास ही रखती हूँ. याने जब मामा मामी घर मे ना हों तब! वे बेचारे शादी की तैयारी मे जुटे हैं, अक्सर बाहर रहते हैं इसलिए मेरी और अक्षय की बन आती है. मस्त एकांत मिलता है. अक्षय भी खुश है पर बेचारा थक जाता है, कभी कभी भूनभुनाने लगता है कि दीदी अब छोड़ो ना, मैं थक गया. पर मैं मुझे जो करना है करती रहती हूँ जब तक मेरा
मन ना भर जाए.

अक्षय को मैने नीलिमा दीदी के बारे मे बताया कि कैसे वह मेरी ब्रा के बारे मे पूछ रही थी और कैसे बातों बातों मे उसने मेरे स्तन को छू लिया. पर अक्षय को मैने यह नही बताया कि नीलिमा ने ना सिर्फ़ मेरे स्तन को छुआ, बल्कि टटोल कर दबा कर भी देखा कि ब्रा ठीक से फिट होती है या नही. फिर बोली कि लीना, तेरी ब्रा अच्छी है पर दुल्हन को तो सब नयी चाहिए, ऐसा करते हैं कि पूरा नया सेट ले लेते हैं तेरे लिए. वह शायद महँगे ब्रांड याने एनमोर, लवबल आदि के बारे मे बोल रही होगी.

मैने तो आज तक वे पहनी नही, बेचारे अक्षय ने ही एक बार शौक से अपना जेब खर्च बचाकर मेरे जन्मदिन पर जॉकी ला दी थी, बस वही एक अच्छी है मेरे पास. अब तो सब नयी ले डालून्गी, मुझे अच्छी ब्रा और पैंटी पहनने का बहुत शौक है, मुझे मालूम है कि मैं सुंदर हूँ और इन अच्छे कपड़ों मे और निखर कर दिखेगा मेरा रूप. वैसे उसका क्या फ़ायदा होगा भगवान जाने. यायाह ये अनिल, मेरी होने वाला पति ना जाने किस मिट्टी का बना है! उसके बर्ताव से लगता नही है कि उसे मुझमे ज़्यादा इंटेरेस्ट है. पर उसकी कमी ननद और सास करा देती हैं, मुझे बहुत प्यार करती हैं लगता है दोनों.
एक और बात मैने अक्षय को नही बताई, वह बहक जाता. वैसे ही वह बदमाश अब धीरे धीरे नीलिमा दीदी के अलावा माजी के बारे मे भी इंटरेस्ट लेने लगा है. उसे इस बात के बारे मे बताया तो पागल ही हो जाएगा मस्ती से. असल मे हुआ यह कि परसों मैं जब वापस आने को उठी तो माजी बोलीं कि लीना ज़रा रुक, मैं भी साथ चलती हूँ मुझे भी बाहर जाना है, तुझे घर के पास छोड़ दून्गी. वे अपने बेडरूम मे चली गयीं कपड़े बदलने को. नीलिमा दीदी अपनी सहेली के यहाँ निकल
गयीं.
 
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