hotaks444
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मैं वहीं बैठी एक मॅगज़ीन देख रही थी तभी माजी ने अंदर से आवाज़ दी कि लीना बेटी, ज़रा यहाँ आना. मैं अंदर गयी तो थोड़ा शरमा गयी क्योंकि सुलभाजी कपड़े बदल रही थी. सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट मे खड़ी थी. साड़ी बाजू मे रखी थी. ब्रा भी आधी पहनी हुई थी, स्ट्रॅप पीछे लटक रहे थे. माजी बोलीं कि लीना, देख, इस साड़ी पर मॅचिंग ये मोतिया रंग की ब्रा मैने बहुत दिनों बाद निकाली, लगता है मैं मोटी हो गयी हूँ या साइज़ बदल गया है, हुक नही लग रहे हैं, ज़रा लगा दे ना प्लीज़. मैने स्ट्रॅप खींच कर हुक लगा दिए. ब्रा वाकई बहुत टाइट थी.
अब स्वाभाविक है कि मुझे इतने पास से उनकी वो गोरी चिकनी पीठ और कमर दिखी. सामने के आईने मे ब्रा का आगे का हिस्सा दिख रहा था. ब्रा बहुत अच्छी थी, लेस लगी और एकदम पतले चिकने सटिन की बनी हुई, काफ़ी महँगी होगी. सुलभाजी सच मे काफ़ी रूपवती हैं, कपड़ों मे उमर के कारण एकदम उनका रूप दिखता नही है पर एकदम कंचन काया है उनकी. बहुत अच्छा मेनटेन किया है. उरोज भी कसे हुए थे, शायद अंडरवाइर ब्रा थी, नही तो इस उमर मे ऐसा जोबन किसका होता है! कमर भी एकदम सुडौल और मासल थी, बस एक हल्का सा टाइयर निकल आया था. पेटीकोट मे से उनके फूले गुदाज नितंबों का आकार भी दिख रहा था. अगर सही कहूँ तो मैं थोड़ी एग्ज़ाइट हो गयी. आज तक मुझे कभी दूसरी
स्त्रियों के प्रति यौन आकर्शण नही हुआ और यहाँ तो मेरे सामने मेरी होने वाली सास थी. इसलिए बाद मे मैने मन ही मन खुद को खूब कोसा और कहा कि लीना, क्या कर रही है, कैसी कैसी बातें सोच रही है, ज़रा शरम कर!
माजी ने शायद मेरे चेहरे पर के भाव देख लिए क्योंकि वे तुरंत मुस्कुरा कर बड़े प्यार से बोलीं कि 'लीना बेटी, अब मेरी उमर हो चली है इसलिए मैं ऐसे कपड़े क्यों पहनती हूँ यही सोच रही है ना तू?' मैने उन्हे तुरंत सांत्वना दी, कहा कि 'माजी आप बहुत सुंदर हैं, बस पांटयस की लगती हैं, यह साड़ी आप पर खूब फबेगी. वे खुश हो गयीं और बड़े लाड से मेरी ओर देखते हुए मेरे पास आईं. मेरे गाल को चूमा और बोलीं कि 'लीना, मेरी प्यारी बच्ची, तू तो मेरी प्यारी बेटी है' लाज से
मेरे गाल लाल हो गये तो बोलीं कि अरी शरमाती क्यों है, गाल को चूमा इसलिए? अरे बड़े तो लाड करते हैं ही छोटों का, मेरे लिए तो तू छोटी ही है'
मैं बहुत शरमाई पर मन मे बहुत अच्छा लगा. मैने माजी को वो स्लीवलेस स्लीवलेशस ब्लाउज पहनने मे मदद की. माजी बोली कि इतना कर रही है तो साड़ी भी बन्धवा दे, ये स्टार्च की हुई साड़ी लपेटने मे हमेशा मेरी आफ़त होती है. उन्हे साड़ी बाँधने मे मदद करते हुए उनके बदन की भीनी भीनी खुशबू मुझे महसूस हो रही थी. शायद उस साड़ी मे से आ रही होगी, पहले का सेंट लगा होगा पर उस सुगंध मे एक अजब मादकता थी. मेरी मन फिर डोलने लगा पर किसी तरह मैने अपना मन काबू मे रखा. साड़ी अच्छे से बंधने पर माजी ने मुझे फिर से शाबासी दी, मुझे एक पल लगा कि शायद फिर मुझे
चूमेगी और मैने आँखें बंद कर लीं पर उन्होने सिर्फ़ मेरे गाल को लाड से सहलाया. मेरे मन मे एक अजीब से गुदगुदी होने लगी. सच मे मुझे समझ मे नही आता कि मुझे क्या हो गया है. अक्षय को ये सब बताती तो वह फिर से मुझे चिढाने लगता.
अब स्वाभाविक है कि मुझे इतने पास से उनकी वो गोरी चिकनी पीठ और कमर दिखी. सामने के आईने मे ब्रा का आगे का हिस्सा दिख रहा था. ब्रा बहुत अच्छी थी, लेस लगी और एकदम पतले चिकने सटिन की बनी हुई, काफ़ी महँगी होगी. सुलभाजी सच मे काफ़ी रूपवती हैं, कपड़ों मे उमर के कारण एकदम उनका रूप दिखता नही है पर एकदम कंचन काया है उनकी. बहुत अच्छा मेनटेन किया है. उरोज भी कसे हुए थे, शायद अंडरवाइर ब्रा थी, नही तो इस उमर मे ऐसा जोबन किसका होता है! कमर भी एकदम सुडौल और मासल थी, बस एक हल्का सा टाइयर निकल आया था. पेटीकोट मे से उनके फूले गुदाज नितंबों का आकार भी दिख रहा था. अगर सही कहूँ तो मैं थोड़ी एग्ज़ाइट हो गयी. आज तक मुझे कभी दूसरी
स्त्रियों के प्रति यौन आकर्शण नही हुआ और यहाँ तो मेरे सामने मेरी होने वाली सास थी. इसलिए बाद मे मैने मन ही मन खुद को खूब कोसा और कहा कि लीना, क्या कर रही है, कैसी कैसी बातें सोच रही है, ज़रा शरम कर!
माजी ने शायद मेरे चेहरे पर के भाव देख लिए क्योंकि वे तुरंत मुस्कुरा कर बड़े प्यार से बोलीं कि 'लीना बेटी, अब मेरी उमर हो चली है इसलिए मैं ऐसे कपड़े क्यों पहनती हूँ यही सोच रही है ना तू?' मैने उन्हे तुरंत सांत्वना दी, कहा कि 'माजी आप बहुत सुंदर हैं, बस पांटयस की लगती हैं, यह साड़ी आप पर खूब फबेगी. वे खुश हो गयीं और बड़े लाड से मेरी ओर देखते हुए मेरे पास आईं. मेरे गाल को चूमा और बोलीं कि 'लीना, मेरी प्यारी बच्ची, तू तो मेरी प्यारी बेटी है' लाज से
मेरे गाल लाल हो गये तो बोलीं कि अरी शरमाती क्यों है, गाल को चूमा इसलिए? अरे बड़े तो लाड करते हैं ही छोटों का, मेरे लिए तो तू छोटी ही है'
मैं बहुत शरमाई पर मन मे बहुत अच्छा लगा. मैने माजी को वो स्लीवलेस स्लीवलेशस ब्लाउज पहनने मे मदद की. माजी बोली कि इतना कर रही है तो साड़ी भी बन्धवा दे, ये स्टार्च की हुई साड़ी लपेटने मे हमेशा मेरी आफ़त होती है. उन्हे साड़ी बाँधने मे मदद करते हुए उनके बदन की भीनी भीनी खुशबू मुझे महसूस हो रही थी. शायद उस साड़ी मे से आ रही होगी, पहले का सेंट लगा होगा पर उस सुगंध मे एक अजब मादकता थी. मेरी मन फिर डोलने लगा पर किसी तरह मैने अपना मन काबू मे रखा. साड़ी अच्छे से बंधने पर माजी ने मुझे फिर से शाबासी दी, मुझे एक पल लगा कि शायद फिर मुझे
चूमेगी और मैने आँखें बंद कर लीं पर उन्होने सिर्फ़ मेरे गाल को लाड से सहलाया. मेरे मन मे एक अजीब से गुदगुदी होने लगी. सच मे मुझे समझ मे नही आता कि मुझे क्या हो गया है. अक्षय को ये सब बताती तो वह फिर से मुझे चिढाने लगता.