- Joined
- Dec 5, 2013
- Messages
- 11,406
दिव्या को राजेश के ऊपर भी बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि वो उसकी शारीरिक जरूरत को पूरा नहीं करता था और उसपर वो जॉब के चक्कर में हफ्तों घर से बाहर रहता था. वो सोचती है की राजेश से पूछे की वो कब आयेगा. वो जैसे ही फ़ोन उठाती है देखती है की मनीष के कई मेसेज और सलमान की कई मिस्ड कॉल्स थी. वो जैसे ही राजेश को फ़ोन लगाने लगती है वैसे ही उसमे मनीष का मेसेज आ जाता है. उसको मनीष पर भी गुस्सा आता है की वो अपनी टीचर से गन्दी बातें करता है और अब तो रोज ही मेसेज करने लगा है. तभी फिर से मनीष का मेसेज आता है.
मनीष: आप ठीक तो हैं न मैम. मुझे आपकी फ़िक्र हो रही है.
दिव्या: मेरी फ़िक्र करने के लिए और लोग हैं. तुमको मेरी फ़िक्र करने की जरूरत नहीं.
मनीष: सॉरी मैम. वो सुबह से आपको कई मेसेज किये लेकिन कोई जवाब नहीं आया इसीलिए सोचा की कहीं कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
दिव्या: तुमको किसने बोला मेसेज करने को. मेरे पास और कोई काम नहीं है क्या की सिर्फ तुम्हारे मेसेज का जवाब देती रहूँ. जाकर थोडा पढ़ लो क्योंकि कल नक़ल नहीं करने दूँगी.
मनीष: स्टडी तो मैंने कर ली है. अब और मन नहीं था पढने का इसीलिए आपको मेसेज किया.
दिव्या: मैं कोई तुम्हारे टाइम पास की चीज हूँ क्या? अब और मेसेज मत करना.
मनीष: सॉरी मैम. लगता है मैंने आपको डिस्टर्ब कर दिया. वैसे अगर आपका मन करे तो रात को मैं आपको उसी साईट पर मिलूंगा. बात करनी हो तो आ जाना.
दिव्या कोई जवाब नहीं देती और राजेश को कॉल कर देती है.
राजेश: हेल्लो डिअर. कैसी हो?
दिव्या: ठीक हूँ. तुमने तो वहां पहुच कर कॉल भी नहीं किया. कभी मेरी याद भी आती है?
राजेश: क्या बताऊ यार काम में ऐसा फंसा की कॉल करने का टाइम ही नहीं मिला.
दिव्या: आखिर कब तक ऐसे चलेगा?
राजेश: तुमको तो पता ही है की मैंने डेस्क जॉब के लिए अप्लाई किया हुआ है. अगर किस्मत अच्छी हुई तो एक दो महीने में ही काम हो जायेगा.
दिव्या: तुहारी तो पता नहीं लेकिन मुझे अपनी किस्मत तो अच्छी नहीं लग रही. बस एक बात सुन लो की मैं अब अकेले नहीं रह सकती.
राजेश: मैं भी तुम्हारे बिना बड़ी मुश्किल से यहाँ हूँ. अच्छा सुनो सुबह एक रिपोर्ट सबमिट करनी है. उसी पर काम कर रहा था तो बाद में बात करते हैं.
दिव्या: करवाचौथ पर तो आओगे न?
राजेश: हाँ पूरी कोशिश कर रहा हूँ.
दिव्या: कोशिश मतलब तुम नहीं आओगे. साल में एक ही तो दिन होता है और उसमे भी तुम...
मनीष: आप ठीक तो हैं न मैम. मुझे आपकी फ़िक्र हो रही है.
दिव्या: मेरी फ़िक्र करने के लिए और लोग हैं. तुमको मेरी फ़िक्र करने की जरूरत नहीं.
मनीष: सॉरी मैम. वो सुबह से आपको कई मेसेज किये लेकिन कोई जवाब नहीं आया इसीलिए सोचा की कहीं कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
दिव्या: तुमको किसने बोला मेसेज करने को. मेरे पास और कोई काम नहीं है क्या की सिर्फ तुम्हारे मेसेज का जवाब देती रहूँ. जाकर थोडा पढ़ लो क्योंकि कल नक़ल नहीं करने दूँगी.
मनीष: स्टडी तो मैंने कर ली है. अब और मन नहीं था पढने का इसीलिए आपको मेसेज किया.
दिव्या: मैं कोई तुम्हारे टाइम पास की चीज हूँ क्या? अब और मेसेज मत करना.
मनीष: सॉरी मैम. लगता है मैंने आपको डिस्टर्ब कर दिया. वैसे अगर आपका मन करे तो रात को मैं आपको उसी साईट पर मिलूंगा. बात करनी हो तो आ जाना.
दिव्या कोई जवाब नहीं देती और राजेश को कॉल कर देती है.
राजेश: हेल्लो डिअर. कैसी हो?
दिव्या: ठीक हूँ. तुमने तो वहां पहुच कर कॉल भी नहीं किया. कभी मेरी याद भी आती है?
राजेश: क्या बताऊ यार काम में ऐसा फंसा की कॉल करने का टाइम ही नहीं मिला.
दिव्या: आखिर कब तक ऐसे चलेगा?
राजेश: तुमको तो पता ही है की मैंने डेस्क जॉब के लिए अप्लाई किया हुआ है. अगर किस्मत अच्छी हुई तो एक दो महीने में ही काम हो जायेगा.
दिव्या: तुहारी तो पता नहीं लेकिन मुझे अपनी किस्मत तो अच्छी नहीं लग रही. बस एक बात सुन लो की मैं अब अकेले नहीं रह सकती.
राजेश: मैं भी तुम्हारे बिना बड़ी मुश्किल से यहाँ हूँ. अच्छा सुनो सुबह एक रिपोर्ट सबमिट करनी है. उसी पर काम कर रहा था तो बाद में बात करते हैं.
दिव्या: करवाचौथ पर तो आओगे न?
राजेश: हाँ पूरी कोशिश कर रहा हूँ.
दिव्या: कोशिश मतलब तुम नहीं आओगे. साल में एक ही तो दिन होता है और उसमे भी तुम...