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अगले दिन सुबह रेणुका उसको आवाज देती है की वो लोग निकल रहे हैं तो दिव्या बाहर आती है और चुपचाप जाकर कर्नल की गाडी में पीछे बैठ जाती है। पूरे रस्ते कर्नल उसे समझाने की कोशिश करता है की जो हुआ अच्छा हुआ है और राजेश का गुस्सा धीरे धीरे ठंडा हो जायेगा लेकिन दिव्या एक लफ्ज भी नहीं बोलती।
सोसाइटी पहुँच कर वो सीधा अपने फ्लैट पर जाती है लेकिन राजेश का यहाँ भी कोई पता नहीं था। राजेश अपने कपडे भी ले गया था। वो राजेश को कई बार फोन करती है लेकिन राजेश उसका फोन नहीं उठाता और उसका नंबर ब्लाक भी कर देता है।
करीब तीन महीने निकल जाते हैं पर राजेश दिव्या से कोई संपर्क नहीं करता और न ही दिव्या के फ़ोन या मेसेज का कोई जवाब देता है, इस बीच कर्नल दिव्या के पास अक्सर आ जाता है लेकिन अब दिव्या उसको घर में भी नहीं घुसने देती है। कर्नल इससे काफी परेशान था क्योंकि एक तरफ तो वो सोच रहा था की दिव्या पूरी तरह उसके चंगुल में फंस गयी है लेकिन राजेश के घर छोड़ कर जाने की वजह से उसका पूरा खेल ख़राब हो गया था।
उसने मदन से बचने के लिए स्कूल जाना भी बंद कर देती है और मनीष से भी अब वो चैट या फ़ोन पर बात नहीं करती। अब दिव्या को किसी चीज से कोई मतलब नहीं था, उसको तो बस राजेश का इंतज़ार था।
इसी बीच एक दिन सलमान उसके घर का दरवाजा खटखटाता है। दिव्या दरवाजा तो नहीं खोलती लेकिन अन्दर से पूछती है।
दिव्या: क्यों आये हो यहाँ। मुझे तुम लोगो से अब कोई वास्ता नहीं रखना।
सलमान: मैडम हम अपनी मर्जी से नहीं आये है। हमको पता है की आप परेशान है। भरी जवानी में किसी औरत का आदमी उसे छोड़ जाए तो तकलीफ तो होती है लेकिन नौकरी की मजबूरी में आना पड़ा। अब आप प्रिंसिपल साहब का फ़ोन भी तो नहीं उठा रही है तो उन्होंने सन्देश भिजवाया था की वो आपसे एक बार मिलना चाहते है और अगर आप न आई तो वो आपका विडियो...
सलमान आगे बोल भी नहीं पाया की तब तक बाहर से शोर होने लगा। दरअसल कर्नल ये सब बातें अपने फ्लैट से सुन रहा था और उसको लगा की दिव्या को हासिल करने का ये एकदम सही मौका है तो वो अब बाहर निकल आया था।
लाला: क्यों बे क्या बोल रहा है। तुझे मना किया था न की दिव्या मेमसाब के आस पास न दिखाई देना।
सलमान: नहीं नहीं कर्नल साहब वो प्रिंसिपल साहब ने बोला था की मैडम स्कूल आकर अपना हिसाब किताब कर ले तो यही बताने आया था।
लाला: सुन लिया मैंने की प्रिंसिपल ने क्या बोला है और सुन आज से तेरी नौकरी ख़तम। आगे से सोसाएटी में दिख भी गया न तो तेरी लाश भी नहीं मिलेगी।
सलमान: गलती हो गयी कर्नल साहब।
लाला: भाग जा मादरचोद वरना अभी यही मारना शुरू करूंगा।
सलमान समझ जाता है की इस सोसाइटी में उसके दिन पूरे हो गए हैं तो वो आगे बिना कुछ बोले वहां से चला जाता है।
लाला: दिव्या दरवाजा खोलो, मैं वादा करता हूँ की तुम्हे हाथ भी नहीं लगाऊंगा।
दिव्या न जाने क्या सोच कर दरवाजा खोल देती है और कर्नल अन्दर आ जाता है। आज करीब दो महीने बाद कर्नल दिव्या को देख रहा था, वो काफी बुरे हाल में थी। उसने एक साधारण सा ड्रेस पहना हुआ था और बिलकुल भी मेकअप नहीं किया था, उदासी उसके चेहरे से टपक रही थी और रो रो कर उसकी आंखे सूज चुकी थीं।
सोसाइटी पहुँच कर वो सीधा अपने फ्लैट पर जाती है लेकिन राजेश का यहाँ भी कोई पता नहीं था। राजेश अपने कपडे भी ले गया था। वो राजेश को कई बार फोन करती है लेकिन राजेश उसका फोन नहीं उठाता और उसका नंबर ब्लाक भी कर देता है।
करीब तीन महीने निकल जाते हैं पर राजेश दिव्या से कोई संपर्क नहीं करता और न ही दिव्या के फ़ोन या मेसेज का कोई जवाब देता है, इस बीच कर्नल दिव्या के पास अक्सर आ जाता है लेकिन अब दिव्या उसको घर में भी नहीं घुसने देती है। कर्नल इससे काफी परेशान था क्योंकि एक तरफ तो वो सोच रहा था की दिव्या पूरी तरह उसके चंगुल में फंस गयी है लेकिन राजेश के घर छोड़ कर जाने की वजह से उसका पूरा खेल ख़राब हो गया था।
उसने मदन से बचने के लिए स्कूल जाना भी बंद कर देती है और मनीष से भी अब वो चैट या फ़ोन पर बात नहीं करती। अब दिव्या को किसी चीज से कोई मतलब नहीं था, उसको तो बस राजेश का इंतज़ार था।
इसी बीच एक दिन सलमान उसके घर का दरवाजा खटखटाता है। दिव्या दरवाजा तो नहीं खोलती लेकिन अन्दर से पूछती है।
दिव्या: क्यों आये हो यहाँ। मुझे तुम लोगो से अब कोई वास्ता नहीं रखना।
सलमान: मैडम हम अपनी मर्जी से नहीं आये है। हमको पता है की आप परेशान है। भरी जवानी में किसी औरत का आदमी उसे छोड़ जाए तो तकलीफ तो होती है लेकिन नौकरी की मजबूरी में आना पड़ा। अब आप प्रिंसिपल साहब का फ़ोन भी तो नहीं उठा रही है तो उन्होंने सन्देश भिजवाया था की वो आपसे एक बार मिलना चाहते है और अगर आप न आई तो वो आपका विडियो...
सलमान आगे बोल भी नहीं पाया की तब तक बाहर से शोर होने लगा। दरअसल कर्नल ये सब बातें अपने फ्लैट से सुन रहा था और उसको लगा की दिव्या को हासिल करने का ये एकदम सही मौका है तो वो अब बाहर निकल आया था।
लाला: क्यों बे क्या बोल रहा है। तुझे मना किया था न की दिव्या मेमसाब के आस पास न दिखाई देना।
सलमान: नहीं नहीं कर्नल साहब वो प्रिंसिपल साहब ने बोला था की मैडम स्कूल आकर अपना हिसाब किताब कर ले तो यही बताने आया था।
लाला: सुन लिया मैंने की प्रिंसिपल ने क्या बोला है और सुन आज से तेरी नौकरी ख़तम। आगे से सोसाएटी में दिख भी गया न तो तेरी लाश भी नहीं मिलेगी।
सलमान: गलती हो गयी कर्नल साहब।
लाला: भाग जा मादरचोद वरना अभी यही मारना शुरू करूंगा।
सलमान समझ जाता है की इस सोसाइटी में उसके दिन पूरे हो गए हैं तो वो आगे बिना कुछ बोले वहां से चला जाता है।
लाला: दिव्या दरवाजा खोलो, मैं वादा करता हूँ की तुम्हे हाथ भी नहीं लगाऊंगा।

दिव्या न जाने क्या सोच कर दरवाजा खोल देती है और कर्नल अन्दर आ जाता है। आज करीब दो महीने बाद कर्नल दिव्या को देख रहा था, वो काफी बुरे हाल में थी। उसने एक साधारण सा ड्रेस पहना हुआ था और बिलकुल भी मेकअप नहीं किया था, उदासी उसके चेहरे से टपक रही थी और रो रो कर उसकी आंखे सूज चुकी थीं।