desiaks
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थोड़ी देर बाद शीतल उठी तो फिर से उसे अपने आप में गुस्सा आ रहा था। लेकिन आज का गुस्सा कल से कम था। इन 24 घंटों में उसके दिमाग में बहुत उथल-पुथल मची हुई थी और शीतल अपने फेवर में अपने मन को समझा चुकी थी। शीतल नहाने जाने लगी तो उसकी नजर दरवाजे में पड़ी जो खुला था। उसका मुँह खुला रह गया, क्योंकी वो अब तक नंगी ही थी। हे भगवान... मैं पागल हो गई हैं। ऐसे दरवाजा खोलकर मैं नंगी घूम रही हैं और क्या-क्या कर रही हैं। कहीं किसी ने देखा तो नहीं? फिर वो सोचने लगी की अभी भला कौन आएगा क्योंकी मुख्य दरवाजा तो बंद ही था और वसीम चाचा तो 3:00 बजे नीचे उतरते हैं। वो रिलैक्स हो गई और दरवाजा बंद करके नहाने चली गई।
विकास के आने के बाद आज फिर शीतल और विकास का टापिक वसीम खान ही था। बातें करते-करते शीतल वसीम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाह रही थी। इसलिये बिकास से पछी- "वसीम चाचा इतने साल अकॅलें रहे कसं? क्या इन्हें औरत की कमी महसूस नहीं होती होगी, तुम तो एक हफ्तें में पागल हए जा रहे थे..."
विकास हँस दिया और बोला- "जिसके पास तुम जैसी हसीन बीवी हो वो एक हफ्तं क्या एक दिन में ही पागल हो जाएगा। मैं बहुत खुशनशीब हूँ की तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मेरी बीवी है.."
अब हंसने की बारी शीतल की थी। वो हँसती हुई बोली- "इतनी भी खूबसूरत तो नहीं हूँ.."
विकास ने उसे पीछे से पकड़ लिया और बोला- "तुम माल हो, मस्त माल... गोरा चिकना बद्दन। तुम्हारी चिकनी पीठ, फिसलती हुई कमर और गोरी मुलायम छाती को देखकर मेरा लण्ड कई बार टाइट हो जाता है। मैं तुमसे दूर होकर तो पागल हो ही जाऊँगा."
ऐसी तारीफ सुनकर शीतल शर्मा गई। रात को शीतल विकास को बोली- "कल हम वसीम चाचा को अपने यहाँ खाना खिलाएंगे, रात में। तुम कल उन्हें बाल देना। जो इंसान इतने सालों से अकेला है, खद से सब कुछ कर रहा है, उसे हम कभी कभार लंच या डिनर तो खिला हो सकते हैं। वैसे भी वो हमारा मकान मालिक हैं और जब से हम आए हैं, तब से एक बार भी हमने उन्हें अपने घर नहीं बुलाया है.."
अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से अच्छे रिश्ते बनाना, मिलना जलना, खाना खिलाना शीतल और उसकी परिवार की आदत में शुमार था। लेकिन जब से शीतल यहाँ आई थी तो वो अपने आप में और अपने मेहमानों में ही बिजी थी। कभी वो विकास के साथ घूमने चली गई थी तो कभी उसके पेरेंट्स या विकास के पेरेंट्स यहाँ आ गये थे। वसीम का मुस्लिम होना भी एक वजह था।
विकास बोला- "क्या बात है, आजकल बसीम चाचा का ज्यादा ही ख्याल रखा जा रहा है?" उसने शरारती मुश्कान के साथ में कहा था।
लेकिन शीतल शर्मा गई और अंदर से डर भी गई थी। वो बोली- "क्या तुम भी कुछ भी बोल देते हो। कहाँ वो 50-55 साल का आदमी और कहाँ मैं?"
शीतल सोते समय बेड पे आने से पहले अपनी नाइटी को टीला कर ली और विकास से सटकर लेट गई। विकास के लण्ड में थोड़ी हलचल मच गई। दोनों रोज सेक्स नहीं करते थे। कभी कभार तो एक सप्ताह 15 दिन भी हो जाता था। लेकिन आज शीतल मूड में थी। विकास उसे किस करते हुए उसका बदन सहलाने लगा। शीतल ने खुद को नंगी होने दिया और विकास के नंगे होने का इंतजार करने लगी। वो अच्छे से करीब से विकास का लण्ड देखने लगी। उसे लगा की ये तो किसी बच्चे का लण्ड है।
वसीम का लण्ड उसकी नजरों के सामने घूम गया। विकास का लण्ड वसीम के लण्ड का आधा भी नहीं होगा और उसके सामने बिल्कल पतला था। विकास का लण्ड स्किन से टका हआ था। वो हाथ में लेकर सहलाने लगी और स्किन को पीछे खींचकर सुपाड़े को बाहर करने लगी तो विकास को दर्द होने लगा और उसने मना कर दिया।
शीतल उठकर बैठ गई और लण्ड को दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगी। शीतल के इस रूप को देखकर विकास साइज्ड था। अब तक शीतल सेक्स में विकास का बस साथ देती थी, वो भी कभी कभार और आज तो खुद लीड कर रही थी। दो दिन पहले भी शीतल ने पहल की थी, लेकिन आज तो उसने हद ही कर दी थी।
विकास शीतल के ऊपर आ गया और लण्ड को चूत पे रगड़ते हुए अंदर डालने लगा। शीतल विकास के लण्ड को चूमना चाहती थी, उसके वीर्य की खुश्बू लेना चाहती थी, लेकिन विकास तब तक उसके ऊपर आ चुका था। विकास ने लण्ड अंदर डाल दिया और 8-10 धक्के लगाते ही उसके लण्ड ने पानी छोड़ दिया। शीतल का तो समझ में ही नहीं आया की हुआ क्या है? वो तो अभी तक शुल भी नहीं हुई थी की बिकास का खेल खतम हो गया। विकास बगल में हो गया और करवट बदलकर सो गया।
विकास के आने के बाद आज फिर शीतल और विकास का टापिक वसीम खान ही था। बातें करते-करते शीतल वसीम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाह रही थी। इसलिये बिकास से पछी- "वसीम चाचा इतने साल अकॅलें रहे कसं? क्या इन्हें औरत की कमी महसूस नहीं होती होगी, तुम तो एक हफ्तें में पागल हए जा रहे थे..."
विकास हँस दिया और बोला- "जिसके पास तुम जैसी हसीन बीवी हो वो एक हफ्तं क्या एक दिन में ही पागल हो जाएगा। मैं बहुत खुशनशीब हूँ की तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मेरी बीवी है.."
अब हंसने की बारी शीतल की थी। वो हँसती हुई बोली- "इतनी भी खूबसूरत तो नहीं हूँ.."
विकास ने उसे पीछे से पकड़ लिया और बोला- "तुम माल हो, मस्त माल... गोरा चिकना बद्दन। तुम्हारी चिकनी पीठ, फिसलती हुई कमर और गोरी मुलायम छाती को देखकर मेरा लण्ड कई बार टाइट हो जाता है। मैं तुमसे दूर होकर तो पागल हो ही जाऊँगा."
ऐसी तारीफ सुनकर शीतल शर्मा गई। रात को शीतल विकास को बोली- "कल हम वसीम चाचा को अपने यहाँ खाना खिलाएंगे, रात में। तुम कल उन्हें बाल देना। जो इंसान इतने सालों से अकेला है, खद से सब कुछ कर रहा है, उसे हम कभी कभार लंच या डिनर तो खिला हो सकते हैं। वैसे भी वो हमारा मकान मालिक हैं और जब से हम आए हैं, तब से एक बार भी हमने उन्हें अपने घर नहीं बुलाया है.."
अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से अच्छे रिश्ते बनाना, मिलना जलना, खाना खिलाना शीतल और उसकी परिवार की आदत में शुमार था। लेकिन जब से शीतल यहाँ आई थी तो वो अपने आप में और अपने मेहमानों में ही बिजी थी। कभी वो विकास के साथ घूमने चली गई थी तो कभी उसके पेरेंट्स या विकास के पेरेंट्स यहाँ आ गये थे। वसीम का मुस्लिम होना भी एक वजह था।
विकास बोला- "क्या बात है, आजकल बसीम चाचा का ज्यादा ही ख्याल रखा जा रहा है?" उसने शरारती मुश्कान के साथ में कहा था।
लेकिन शीतल शर्मा गई और अंदर से डर भी गई थी। वो बोली- "क्या तुम भी कुछ भी बोल देते हो। कहाँ वो 50-55 साल का आदमी और कहाँ मैं?"
शीतल सोते समय बेड पे आने से पहले अपनी नाइटी को टीला कर ली और विकास से सटकर लेट गई। विकास के लण्ड में थोड़ी हलचल मच गई। दोनों रोज सेक्स नहीं करते थे। कभी कभार तो एक सप्ताह 15 दिन भी हो जाता था। लेकिन आज शीतल मूड में थी। विकास उसे किस करते हुए उसका बदन सहलाने लगा। शीतल ने खुद को नंगी होने दिया और विकास के नंगे होने का इंतजार करने लगी। वो अच्छे से करीब से विकास का लण्ड देखने लगी। उसे लगा की ये तो किसी बच्चे का लण्ड है।
वसीम का लण्ड उसकी नजरों के सामने घूम गया। विकास का लण्ड वसीम के लण्ड का आधा भी नहीं होगा और उसके सामने बिल्कल पतला था। विकास का लण्ड स्किन से टका हआ था। वो हाथ में लेकर सहलाने लगी और स्किन को पीछे खींचकर सुपाड़े को बाहर करने लगी तो विकास को दर्द होने लगा और उसने मना कर दिया।
शीतल उठकर बैठ गई और लण्ड को दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगी। शीतल के इस रूप को देखकर विकास साइज्ड था। अब तक शीतल सेक्स में विकास का बस साथ देती थी, वो भी कभी कभार और आज तो खुद लीड कर रही थी। दो दिन पहले भी शीतल ने पहल की थी, लेकिन आज तो उसने हद ही कर दी थी।
विकास शीतल के ऊपर आ गया और लण्ड को चूत पे रगड़ते हुए अंदर डालने लगा। शीतल विकास के लण्ड को चूमना चाहती थी, उसके वीर्य की खुश्बू लेना चाहती थी, लेकिन विकास तब तक उसके ऊपर आ चुका था। विकास ने लण्ड अंदर डाल दिया और 8-10 धक्के लगाते ही उसके लण्ड ने पानी छोड़ दिया। शीतल का तो समझ में ही नहीं आया की हुआ क्या है? वो तो अभी तक शुल भी नहीं हुई थी की बिकास का खेल खतम हो गया। विकास बगल में हो गया और करवट बदलकर सो गया।