desiaks
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“अबे भोसड़ी के, मादर्र्चोद भडवे मैने यह कब कहा है कि रशीद, ज़ाहिद और शरीफ भी इसी पैसे मे चोदेन्गे, साले मेरी बात ठीक से सुना कर, 500 रुपए महीने मैं दूँगा और वो सिर्फ़ मेरी चुदाई का होगा, वो तीनों जब भी चोदेन्गे हर कोई 100/100 रुपए दिया करेंगे समझा.” शाहजी मुझे गाली देता हुआ बोला.
शाहजी की बात सुन कर मैने सोचा “भागते भूत की लंगोटी ही सही” क्यूंकी अगर वो एक पैसा भी नही देते तो भी मैं मम्मी और नजमा को उन सब से ज़रूर चुदवाता वो इसलिए कि उनकी चुदाई को देख कर मुझे एक आनौखे क़िस्म का ऐसा मज़ा मिलता था जो मुझ पर लज़्ज़त
-ओ-सरूर का एक नशा तरी कर देता था और मेरे अंदर जज़्बात की आग का लावा दह्का देता था. यह सब सोच कर मैने शाहजी से कहा.
“ठीक है शाहजी मुझे तुम्हारी बात मंजूर है क्यूंकी तुम शुरू से मेरा बहुत ख्याल रखते हो तो मैं तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हूँ.”
शाहजी से बात करने के बाद मैं घर आ गया. दूसरे दिन से शादी का हंगामा शुरू हो गया, इंडिया से मेरे चाचा,चाची अपनी 5 साल की बेटी के साथ शादी मे शरीक होने के लिए आ गये और वो हमारे घर पे ही ठहरे. अब रोज शाम को मुहल्ले की औरतें और लड़कियाँ हमारे घर आ जाती और ढोलक की थाप पर नाचने और गाने की महफ़िल आधी रात तक जमाए रखती. दोचार दिन के बाद हल्दी और मेहदी के रस्मों का सिलसिला शुरू हो गया और फिर शादी का दिन भी आ ही गया. इस बीच मम्मी और हमारे दरमियाँ जो शरम और झिझक पहले हो ती थी वो भी तक़रीबन ख़तम हो गयी थी, क्यूंकी अब मम्मी मुझ से नज़रें मिला कर मुस्कुराते हुए बात करने लगी थी. शादी से दो दिन पहले रात को
जब सब लोग गाने बजाने मे लगे हुए थे और मम्मी अकेले किचन मे मेहमानो के लिए चाय और स्नॅक का इंतज़ाम कर रही थी मैने नजमा को
बोला कर कहा, “नजमा मम्मी किचेन मे अकेली हैं तुम ख्याल रखो कि कोई किचेन मे आने ना पाए मैं मम्मी के पास जा ता हूँ.”
“मगर क्यूँ ? देखो पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ है तुम कोई भी उल्टी सीधी हरकत मत करो.” नजमा मुझे रोकते हुए कहने लगी.
“मैं पागल नही हूँ कि कोई भी उल्टी सीधी हरकत कर के कोई मुसीबत खड़ा करूँगा, मैं तो यह देखना चाहता हूँ कि क्या अब भी वो मुझ से
शरमाती और झिझकति हैं या नही.” मैने नजमा को समझाते हुए कहा.
मेरी बात सुन कर नजमा इधर उधर देखते हुए मुस्कुरा कर बोली, “मैं पूरे यक़ीन से कह सकती हूँ कि वो अब हम दोनो से बिल्कुल नही झिझकति हैं, क्या तुम नही देख रहे हो कि अब वो हम दोनो से नज़रें मिला कर हंस हंस कर बातें कर ने लगी है, फिर भी तुम अपनी
तसल्ली कर ना चाहते हो तो जाओ मैं यहाँ रुक कर ख्याल रखती हूँ, मगर देखो जो भी करना है जल्दी कर लेना.”
मैं नजमा की तरफ देख कर मुस्कुराया और किचेन मे चला गया, देखा मम्मी सड़विच बना बना कर प्लेट मे रख रही थी, मुझे किचेन मे आता
देख कर मुस्कुरा कर कहने लगीं, “क्या बात है तुम किचेन मे कैसे आ गये क्या कुछ चाहिए ?”
मैने उनके बराबर खड़े हो कर आहिस्ता से कहा, “आज कल पूरा घर हर वक़्त लोगों से भरा हुआ होता है इसलिए आप से बात करने का
मौका ही नही मिलता है, अभी आप को अकेले किचेन मे देख कर ज़रूरी बात करने आ गया हूँ.”
“ज़रूरी बात ?” मम्मी मेरी बात सुन कर हैरत से मेरी तरफ देख ते हुए बडबडा कर बोली.
“हां मम्मी, शाहजी ने पैगाम भेजा है वही आप को बताना चाहता था.” मैने धीमी आवाज़ मे कहा. जबकि शाहजी ने कोई पैगाम नही भेजा था,
मैं शाहजी का नाम ले कर यह देखना चाहता था कि मम्मी मे अब कितनी झिझक और शरम बाक़ी है.
शाहजी का नाम सुन कर मम्मी के चेहरे पर शरम की लाली के साथ साथ घबराहट भी आ गयी और वो एकदम दरवाज़े की तरफ देखते हुए घबराई हुई आवाज़ मे आहिस्ता से कहने लगीं. “शी…चुप रहो कोई सून ले गा.”
“घबराईए मत मैने नजमा को बाहर निगरानी के लिए खड़ा कर दिया है, अब कोई भी इधर आएगा तो वो हमे खबर कर देगी. यह कह कर मैं एक लम्हे के लिए चुप हुआ फिर कहने लगा. “मम्मी शाहजी आप को चोदने के लिए पागल हो रहा है, कल दिन को किसी काम का बहाना करके मेरे साथ शाहजी के यहाँ जा कर एक दो घंटे उस से चुदवा लें उसको सकून मिल जाएगा.” मैं जान बूझ कर नंगी बातें कर रहा था.
मेरी बात सुन कर मम्मी का चेहरा लाल हो गया और वो सर झुका कर जल्दी जल्दी सॅंडविच बनाने लगीं फिर आहिस्ता से धीमी आवाज़ मे कहने लगीं. “क्या उसका दिमाग़ खराब हो गया है, क्या उसे नही मालूम है कि पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ है, ऐसी हालत मे बिल्कुल मुमकिन नही है कि मैं कोई ख़तरा मोल ले कर उसके पास जाऊं, तुम उसे कह दो कि शादी के बाद ही मैं उसके पास आ सकती हूँ.
शाहजी की बात सुन कर मैने सोचा “भागते भूत की लंगोटी ही सही” क्यूंकी अगर वो एक पैसा भी नही देते तो भी मैं मम्मी और नजमा को उन सब से ज़रूर चुदवाता वो इसलिए कि उनकी चुदाई को देख कर मुझे एक आनौखे क़िस्म का ऐसा मज़ा मिलता था जो मुझ पर लज़्ज़त
-ओ-सरूर का एक नशा तरी कर देता था और मेरे अंदर जज़्बात की आग का लावा दह्का देता था. यह सब सोच कर मैने शाहजी से कहा.
“ठीक है शाहजी मुझे तुम्हारी बात मंजूर है क्यूंकी तुम शुरू से मेरा बहुत ख्याल रखते हो तो मैं तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हूँ.”
शाहजी से बात करने के बाद मैं घर आ गया. दूसरे दिन से शादी का हंगामा शुरू हो गया, इंडिया से मेरे चाचा,चाची अपनी 5 साल की बेटी के साथ शादी मे शरीक होने के लिए आ गये और वो हमारे घर पे ही ठहरे. अब रोज शाम को मुहल्ले की औरतें और लड़कियाँ हमारे घर आ जाती और ढोलक की थाप पर नाचने और गाने की महफ़िल आधी रात तक जमाए रखती. दोचार दिन के बाद हल्दी और मेहदी के रस्मों का सिलसिला शुरू हो गया और फिर शादी का दिन भी आ ही गया. इस बीच मम्मी और हमारे दरमियाँ जो शरम और झिझक पहले हो ती थी वो भी तक़रीबन ख़तम हो गयी थी, क्यूंकी अब मम्मी मुझ से नज़रें मिला कर मुस्कुराते हुए बात करने लगी थी. शादी से दो दिन पहले रात को
जब सब लोग गाने बजाने मे लगे हुए थे और मम्मी अकेले किचन मे मेहमानो के लिए चाय और स्नॅक का इंतज़ाम कर रही थी मैने नजमा को
बोला कर कहा, “नजमा मम्मी किचेन मे अकेली हैं तुम ख्याल रखो कि कोई किचेन मे आने ना पाए मैं मम्मी के पास जा ता हूँ.”
“मगर क्यूँ ? देखो पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ है तुम कोई भी उल्टी सीधी हरकत मत करो.” नजमा मुझे रोकते हुए कहने लगी.
“मैं पागल नही हूँ कि कोई भी उल्टी सीधी हरकत कर के कोई मुसीबत खड़ा करूँगा, मैं तो यह देखना चाहता हूँ कि क्या अब भी वो मुझ से
शरमाती और झिझकति हैं या नही.” मैने नजमा को समझाते हुए कहा.
मेरी बात सुन कर नजमा इधर उधर देखते हुए मुस्कुरा कर बोली, “मैं पूरे यक़ीन से कह सकती हूँ कि वो अब हम दोनो से बिल्कुल नही झिझकति हैं, क्या तुम नही देख रहे हो कि अब वो हम दोनो से नज़रें मिला कर हंस हंस कर बातें कर ने लगी है, फिर भी तुम अपनी
तसल्ली कर ना चाहते हो तो जाओ मैं यहाँ रुक कर ख्याल रखती हूँ, मगर देखो जो भी करना है जल्दी कर लेना.”
मैं नजमा की तरफ देख कर मुस्कुराया और किचेन मे चला गया, देखा मम्मी सड़विच बना बना कर प्लेट मे रख रही थी, मुझे किचेन मे आता
देख कर मुस्कुरा कर कहने लगीं, “क्या बात है तुम किचेन मे कैसे आ गये क्या कुछ चाहिए ?”
मैने उनके बराबर खड़े हो कर आहिस्ता से कहा, “आज कल पूरा घर हर वक़्त लोगों से भरा हुआ होता है इसलिए आप से बात करने का
मौका ही नही मिलता है, अभी आप को अकेले किचेन मे देख कर ज़रूरी बात करने आ गया हूँ.”
“ज़रूरी बात ?” मम्मी मेरी बात सुन कर हैरत से मेरी तरफ देख ते हुए बडबडा कर बोली.
“हां मम्मी, शाहजी ने पैगाम भेजा है वही आप को बताना चाहता था.” मैने धीमी आवाज़ मे कहा. जबकि शाहजी ने कोई पैगाम नही भेजा था,
मैं शाहजी का नाम ले कर यह देखना चाहता था कि मम्मी मे अब कितनी झिझक और शरम बाक़ी है.
शाहजी का नाम सुन कर मम्मी के चेहरे पर शरम की लाली के साथ साथ घबराहट भी आ गयी और वो एकदम दरवाज़े की तरफ देखते हुए घबराई हुई आवाज़ मे आहिस्ता से कहने लगीं. “शी…चुप रहो कोई सून ले गा.”
“घबराईए मत मैने नजमा को बाहर निगरानी के लिए खड़ा कर दिया है, अब कोई भी इधर आएगा तो वो हमे खबर कर देगी. यह कह कर मैं एक लम्हे के लिए चुप हुआ फिर कहने लगा. “मम्मी शाहजी आप को चोदने के लिए पागल हो रहा है, कल दिन को किसी काम का बहाना करके मेरे साथ शाहजी के यहाँ जा कर एक दो घंटे उस से चुदवा लें उसको सकून मिल जाएगा.” मैं जान बूझ कर नंगी बातें कर रहा था.
मेरी बात सुन कर मम्मी का चेहरा लाल हो गया और वो सर झुका कर जल्दी जल्दी सॅंडविच बनाने लगीं फिर आहिस्ता से धीमी आवाज़ मे कहने लगीं. “क्या उसका दिमाग़ खराब हो गया है, क्या उसे नही मालूम है कि पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ है, ऐसी हालत मे बिल्कुल मुमकिन नही है कि मैं कोई ख़तरा मोल ले कर उसके पास जाऊं, तुम उसे कह दो कि शादी के बाद ही मैं उसके पास आ सकती हूँ.