Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा - Page 13 - SexBaba
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Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा

शाहजी थोड़ी देर सोचने के बाद कहने लगा, “जो मैं करना चाहता हूँ वो शायद शादी के बाद ही हो सके गा, क्यूंकी 2 / 3 दिन मे तेरे घर मे शादी का हंगामा शुरू हो जाएगा इसलिए मौका नही मिले गा. देख जिस दिन घर पर सिर्फ़ तू,नजमा और तेरी माँ हों और कोई नही हो मेरा इशारा तेरे दोनो छोटे भाई और बेहन की तरफ है, तुम फ़ौरन आकर मुझे बताना, मैं उसी वक़्त तेरे घर जा कर तुम दोनो के सामने तेरी माँ
को उठा कर चोदने के लिए कमरे मे ले जाउन्गा और जाते हुए तुम से कहूँगा कि तुम भी जा कर नजमा को चोदो, फिर तुम फ़ौरन नजमा को पकड़ कर प्यार करते हुए अपनी माँ के सामने उसे अपने कमरे मे ले जाना और उसे चोदना. बस एक बार तेरी माँ देख ले कि तू नजमा को
चोद रहा है उसके बाद सब झिझक ख़तम और तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा, समझा या नही.

“ठीक है शाहजी, शादी के बाद ही स्कूल की छुट्टियाँ (हॉलिडे) ख़तम हो जाएगा और स्कूल खुल जाएँगे फिर वो दोनो स्कूल जाने लगें गे और उस दिन मैं और नजमा स्कूल की छूट्टी कर लें गे. यह तो हुआ यह बताओ कि आज की चुदाई कैसी रही और हां तुम ने यह लैला मजनू के
मुहब्बत की क्या कहानी शुरू कर दी थी.”

“अबे साले अभी तू बच्चा है, हमेशा याद रखना औरत को मुहब्बत के जाल मे फँसा कर चोदा जाए तो वो दिल से खुल कर चुदवाती है और मैने यही ड्रामा किया, अब तेरी माँ पूरी तरह मेरे प्यार के जाल मे फँस गयी है अब मैं जो चाहूँगा वो वही करेजी, अगर मैं यह सब नही करता तो वो बाद मे ज़ाहिद, शरीफ और रशीद से चुदवाने के लिए कभी राज़ी नही होती अब वो मेरी बात नही टाले गी, समझा. यार तेरी माँ का
जवाब नही है, जितना खूबसूरत उसका चेहरा है वैसा ही उसका बदन, और उसकी चूत ऊऊफफफ्फ़ इतनी टाइट है जैसे किसी कंवारी
लड़की की होती है.

हम दोनो देर तक मम्मी की ही बात करते रहे फिर मैं शाहजी के यहाँ से निकल कर अपने एक दोस्त के घर चला गया क्यूंकी मैं चाहता था
कि जब पापा, भाई और नजमा आ जाए तो मैं घर जाऊं शायद अभी अकेले मे मम्मी का सामना करने की हिम्मत नही कर रहा था.

मैं 10 बजे घर मे दाखिल हुआ और देखा अभी तक किसी ने खाना नही खाया था क्यूंकी सब खाने के लिए डाइनिंग रूम मे दाखिल हो रहे थे. मैं भी जल्दी से मुँह हाथ धो कर डाइनिंग रूम मे जा कर अपनी कुर्सी पर बैठ गया, अभी तक टेबल पर खाना नही लगा था और वहाँ मम्मी और नजमा नही थी. मैं समझ गया कि नजमा और मम्मी किचेन मे खाना लाने की तैयारी कर रही हैं. चन्द मिनिट के बाद मम्मी और नजमा दोनो खाने की ट्रे ले कर अंदर आई और टेबल पर खाना लगाना शुरू कर दिया और खाना लगा कर अपने अपने चेयर पर जा कर बैठ गई. मैं चोर नज़रों से मम्मी को देख रहा था वो चुप-चाप सर झुकाए अपनी प्लेट मे खाना निकाल रही थी. इस वक़्त उनके चेहरे के तासूरात
बिल्कुल अलग क़िस्म के थे, उनके चेहरे पर, बे-चैनि, घबराहट, शरम, फीका पन का मिला जुला तास-सुर फैला हुआ था साथ ही सॉफ मालूम हो रहा था कि वो रोटी भी रही होंगी. मम्मी की बदली हुई कैफियत सॉफ तौर पर नज़र आ रही थी जिसे सब लोगों ने महसूस करलिया था, क्यूंकी पापा मम्मी से पूछ-ने लगे, “रज़िया क्या बात है तुम्हारी तबीयात तो ठीक है,”

हां मम्मी आप का चेहरा बहुत उतरा हुआ और अजीब सा हो रहा है क्या बात है.” भाईजान ने भी पूछा.

मम्मी अचानक पूछे जाने पर एकदम सटपटा गई और जल्दी से हकलाते हुए कहने लगी, “न्न्न्न्नही म्म्म्मै बिल्कुल ठीक हूँ बस शाम से सर मे दर्द हो रहा था शायद इसीलिए मेरा चेहरा उतरा हुआ नज़र आ रहा हो गा.” फिर जल्दी से सालन का प्याला पापा की तरफ बढ़ा ते हुए कहने लगें, “अरे आप ने तो यह सालन लिया ही नही है.”

“ओह हां अभी लेता हूँ और देखो खाने के बाद तुम अस्प्रिन की दो गोली चाय के साथ ज़रूर लेलो.” मम्मी के जवाब ने पापा और भाई को मुतमनीं कर दिया और वो खाने मे लग गई.
 
पापा और भाई ने जब मम्मी से पूछा था तो मैं घबराहट और डर से अपनी कुर्सी पर सिमट गया था और मेरा दिल इतने ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था जैसे अभी मेरा सीना तोड़ कर बाहर निकल आएगा, फिर मम्मी का जवाब सुनते ही एकदम शांत हो गया और मैं ने सॅकून का एक
साँस लिया. खाना खाते हुए अचानक मुझे अहसास हुआ कि सबा और कबीर मौजूद नही हैं तो मैं नजमा से पूछा, “अरे यह सबा और कबीर
नज़र नही आ रहे हैं क्या दोनो सो गये.”

नजमा मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी, “नानी जान ने दोनो को रोक लिया है क्यूंकी वो कल से ही शादी तक हमारे यहाँ रहने के लिए आ रही हैं, कल पापा रात को दुकान बंद करके वापसी मे अपने साथ सब को लेते हुए आ जाएँ गे.”

नजमा की बात सुन कर अंदर ही अंदर मैं खुशी से उछल पड़ा और सोचने लगा कि जो मौका हम शादी के बाद ढूँढ रहे थे वो हमे कल ही मिल जाएगा इसलिए जो कुछ करना है कल ही कर लें गे, मैं अपने ख़यालों मे खोया हुआ था कि पापा की आवाज़ सुन कर चौंक गया वो
मम्मी से कह रहे थे. “रज़िया क्या शाहजी आया था और तुमने सब समान उसे लिखवा दिया ?”

शाहजी का नाम सुनते ही उनके चेहरे पर घबराहट और लाली फैल गयी और बे-सखता मेरी तरफ देखने लगी फिर फ़ौरन पापा को देखते
हुए जल्दी जल्दी बोलने लगी, हहाँ वववो आया था म्म्मैने सब कुछ लिखवा दिया है वो कल ही सब समान ले कर आजाएगा.”

“गुड, वो अगर खुद समान ले कर आए तो उसे कह देना कि सब हिसाब किताब अब शादी के बाद ही करूँगा.” पापा खाना ख़तम कर के उठते हुए बोले.

खाने के बाद तक़रीबन 2 घंटे हम सब सिवाय मम्मी के टीवी लाउंज मे बैठे टीवी देखते रहे. मम्मी खाने के बाद फ़ौरन अपने कमरे मे चली गई थी. मैं उनकी कैफियत को समझ रहा था और जानता था कि आज जो कुछ हुआ उसकी वजह से मम्मी मेरा सामना नही कर पा रहीं हैं. आहिस्ता आहिस्ता एक के बाद एक सब सोने के लिए चले गये और टीवी लाउंज मे सिर्फ़ मैं और नजमा रह गए. मैं पहले ही से जानता था कि नजमा नही जाएगी क्यूंकी वो आज के बारे मे सब कुछ जान-ने के लिए बहुत बे-चैन हो गी. बहुत देर तक ना तो नजमा ने कुछ बोला ना ही मैने हम दोनो बिल्कुल खामोशी से टीवी देखते रहे. जब हम दोनो को पूरा यक़ीन हो गया कि अब सब लोग गहरी नींद सो चुके होंगे तो मैं
टीवी लाउंज से बाहर गया और ख़ास कर पापा के कमरे को चेक किया क्यूंकी पापा का कमरा टीवी लाउंज से क़रीब था. पापा के कमरे का साथ वाला कमरा मेरा था और ठीक उनके कमरे के सामने वाला कमरा नजमा का था जबकि दोनो भाईजान का कमरा टीवी लाउंज से दूर था
, पूरा यक़ीन करने के बाद कि सब सो चुके हैं तो वापस टीवी लाउंज मे गया जहाँ नजमा बेचैनी से मेरा इंतज़ार कर रही थी. मैं उसके बराबर जा कर जैसे ही बैठा वो बहुत धीमी आवाज़ मे पूछी, “क्या सब सो गये ? ऐसा ना हो कोई आ जाए”

“हाँ सब सो चुके हैं और किसी के आने की उम्मीद तो नही है फिर भी हम बहुत एहतियात से और हल्की आवाज़`मे बातें करें गे.” मैने भी हल्की आवाज़ मे जवाब दिया.

“आज क्या हुआ ? क्या शाहजी आया था ? अगर आया था तो क्या उसने मम्मी को चोदा ? अगर चोदा तो क्या ज़बदस्ती चोदा या मम्मी आसानी से चुदवाने के लिए राज़ी हो गयी ?

 
नजमा एक ही साँस मे एक के बाद दूसरा सवाल करने लगी. मैं जानता था कि वो सब कुछ जानने के लिए बहुत बे-चैन हो गी. मैं आधे घंटे तक उसे आज की सब बात पूरी तफ़सील से बताने लगा, जब सब कुछ बता कर चुप हुआ तो वो एक गहरा साँस लेते हुए कहने लगी, “मैं मम्मी के बारे मे सोच भी नही सकती थी कि वो इतनी छुपी हुई रुस्तम निकलेंगी, अब उन्हें यह तो मालूम हो ही गया कि हम दोनो उनके बारे मे सब कुछ जान चुके हैं और तो और तुमने शुरू से आखरी तक उनकी सिर्फ़ पूरी बात ही नही सूनी बल्कि उनकी चुदाई भी देख चुके हो
और तुम मुझे सब कुछ बताओगे भी इसलिए वो अब पूरी तरह हमारी मुट्ठी मे हैं अब हम जो चाहे करें वो कुछ नही बोल सकती हैं, क्यूँ”

“तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो, यह तो अभी शुरू हुआ है आगे बहुत कुछ हो गा, तुम तमाशा देखती जाओ. मैं ने मुस्कुराते हुए कहा.

“क्या मम्मी को सिर्फ़ शाहजी ही चोदेगा या शरीफ, रशीद और ज़ाहिद भी उन्हें चोदेन्गे.” नजमा मेरी तरफ देखते हुए पूछने लगी.

“सिर्फ़ शाहजी ही नही उन्हें सब चोदेन्गे और इसी मे मेरा फ़ायदा है क्यूंकी हर कोई मुझे 100 रुपए उन्हें चोदने के लिए दिया करे गा.”

“तुम्हें जो कुछ भी मिले गा उसमे से आधा मुझे देना हो गा और आज शाहजी ने तुम्हें जो 500 रुपए दिए हैं उसमे से 250 मुझे दो.” नजमा फ़ौरन अपना हिस्सा माँगने लगी.

मैं उसके मम्मे को दबाता हुआ हल्की आवाज़ मे हंस कर कहा. मेरी जान, तुम तो मेरी पार्ट्नर हो तुम्हें कैसे नही दूँगा, अभी पैसे छुपा कर रखे हैं कल तुम्हें 250 दे दूँगा. अब तुम्हें बताता हूँ कि कल हम क्या करने वाले हैं,” मैने कल का पूरा प्रोग्राम उसे समझा कर बोला, “जैसा मैने समझाया है वैसा ही करना, डरने, झिझकने और शरमाने की ज़रूरत नही है.”

“मैं पहले वाली नजमा नही रही जो बात बात पर शरमाया करती थी और डर के मारे जिसकी जान निकलती थी, इसलिए बे-फिकर रहो.” नजमा ने हंस कर जवाब दिया. फिर जैसे उसे कुछ याद आया हो वो मेरी तरफ देख कर पूछने लगी. “शहाब यह तो बताओ शादी के बाद मैं
तो चली जाउन्गी फिर तुम किसको चोद कर अपने लंड की गर्मी निकालो गे ?”

“कोशिश करके किसी लड़की को फन्साउन्गा और जब तक कोई नही फँसती है दोस्तों की गान्ड मार कर कम चलाना पड़ेगा.” मैं एक ठंडी साँस लेते हुए कहा.

नजमा बड़े प्यार से मेरे गाल को सहलाती हुए कहने लगी, “उदास क्यूँ होते हो मैं कराची से बाहर तो नही जा रही हूँ, महीने मे एक दो दिन
के लिए रहने तो आउन्गी ही फिर दिल भर के चोद लेना.”

यह सब बातें करके मैं और नजमा दोनो गरम हो गये मगर अभी चुदाई करके कोई ख़तरा नही मोल सकते थे इसलिए हम दोनो . साँस
लेते हुए अपने अपने कमरे मे सोने चले गये.
 
नजमा बड़े प्यार से मेरे गाल को सहलाती हुए कहने लगी, “उदास क्यूँ होते हो मैं कराची से बाहर तो नही जा रही हूँ, महीने मे एक दो दिन
के लिए रहने तो आउन्गी ही फिर दिल भर के चोद लेना.”

यह सब बातें करके मैं और नजमा दोनो गरम हो गये मगर अभी चुदाई करके कोई ख़तरा नही मोल सकते थे इसलिए हम दोनो . साँस
लेते हुए अपने अपने कमरे मे सोने चले गये.

सुबह (मॉर्निंग) मे जब मैं सो कर उठा तो उस वक़्त तक सब जाग चुके थे मैं कमरे से बाहर आ कर किचेन की तरफ पानी पीने के लिए जाने लगा जब किचेन के पास पहुँचा तो किचेन के अंदर मम्मी बड़े भाईजान को कह रही थी कि अंडा (एग) ख़तम हो गया है शहाब से फ़ौरन लाने के लिए कहो, मैं समझ गया कि वो मेरा सामना नही कर पा रही हैं इसी लिए भाईजान के ज़रिए कहलवा रही हैं. भाईजान के कहने पर मैं फ़ौरन शाहजी की दुकान पर पहुँच गया. शाहजी अपनी दुकान बहुत सुबह खोला करता था. वो अकेला ही था और बैठा हुआ अख़बार
(न्यूज़ पेपर) पढ़ रहा था. मुझे इतनी सुबह देख कर हैरान रह गया, मैने उसे बताया कि मैं एग लेने आया हूँ और उसे खुशख़बरी सुनाई कि जो मौका हमें शादी के बाद मिलना था वो आज मिल गया है. वो खुशी से उछल पड़ा और मुझे एक बार और समझाने लगा कि वो आए गा तो
क्या करे गा और मुझे और नजमा को क्या करना है. मैं उसे यक़ीन दिलाया कि वो जैसा चाहता है मैं और नजमा उससे ज़्यादा ही करेंगे.

पापा और भाईजान के जाने के बाद मैने नजमा को शाहजी से होने वाली सब बात बता कर बेचैनी से शाहजी के आने का इंतज़ार करने लगा. आज शाहजी के आने के बाद जो कुछ होना था उसे सोच सोच कर ही मेरे वजूद मे जज़्बात का लावा दहक रहा था और मेरा लंड जैसे लोहे की तरह ऐसे टनटना रहा था जैसे अब कभी बैठे गा ही नही. शाहजी के इंतज़ार मे हम दोनो का एक एक मिनिट काटे नही कट रहा था. 10 बजा फिर 11 मगर शाहजी का कोई पता नही था. मैं और नजमा टीवी लाउंज मे चुप चाप बैठे शाहजी के आने का इंतज़ार कर रहे थे और
एक दूसरे की शकल देख रहे थे. जब 12 बज गये और शाहजी नही आया तो मैं शाहजी की तरफ जाने का सोच कर उठा ही था कि कॉलिंग बेल बजने लगी. कॉलिंग बेल की आवाज़ . ही मैने नजमा की तरफ देखा और उसने मेरी तरफ मैं इशारे ही इशारे मे उसे तैयार रहने का
कह कर तेज़ी मे दरवाज़ा खोलने के लिए गया, दरवाज़ा खोला तो बाहर शाहजी ही था और एक गधा गाड़ी (डंकी कार्ट) जो समान से भरा
हुआ था, मैं समझ गया कि शाहजी मम्मी के लिखवाए हुए सब समान के साथ आया है. मेरे कुछ पूछने से पहले वो कहने लगा,

“खाली हाथ आना ठीक नही था क्यूंकी शादी का घर है कोई भी किसी वक़्त आ सकता है और मुझे देख कर मालूम नही वो क्या कुछ सोचने लगे इसलिए समान लेता हुआ आया हूँ अब अगर कोई आ गया तो मुझे और समान को देख कर किसी क़िस्म की उल्टी सीधी बात वो नही सोचे गा, फिर वो हल्की आवाज़ मे पूछा, “तुम और नजमा तैयार हो ?”
 
शाहजी की बात सुन कर मैं सोचने लगा कि शाहजी का दिमाग़ बहुत तेज़ है और वो बहुत दूर की सोचता है जबकि यह सब मेरे घर का मामला था और शाहजी की बजाए यह सब कुछ मुझे सोचना था. मैने भी हल्की आवाज़ मे जवाब दिया, “फिकर मत करो हम दोनो पूरी तरह
तैयार हैं”

मम्मी पापा के जाने के बाद अपने कमरे मे चली गई थी और एक घंटे पहले एक बार कमरे से निकल कर बाथरूम पिशाब करने गई थी और पानी का एक ग्लास पी कर दोबारा अपने कमरे मे वापस चली गई थी उसके बाद से अभी तक कमरे से दोबारा बाहर नही निकली थी. शाहजी ने सब समान स्टोर रूम के बाहर रखवा कर मेरी तरफ देख कर आहिस्ता से मेन गेट और बाहर का दरवाज़ा बंद करने के लिए
कहा, मैं जल्दी से जा कर सब दरवाज़े को बंद करके वापस शाहजी के पास आया और उसे बहुत ही हल्की आवाज़ मे कहा. “क्यूँ अब खेल शुरू करें ?”

“साले क्या मैं यहाँ गान्ड मरवाने आया हूँ, अब देर मत कर और चल तेरी माँ के कमरे मे चलते हैं.” शाहजी यह कहता हुआ मुझे और नजमा
को पीछे पीछे आने का इशारा करता हुआ मम्मी के कमरे की तरफ जाने लगा.

मैने नजमा की तरफ और नजमा ने मेरी तरफ देखा और हम दोनो शाहजी के पीछे पीछे चलने लगे. नजमा के चेहरे को देख कर मुझे अंदाज़ा हो गया था कि वो घबरा भी रही है और झिझक भी रही है साथ साथ उसके चेहरे पर जज़्बार की लाली भी फैली हुई है. हम तीनो जैसे ही मम्मी के कमरे मे दाखिल हुए मम्मी जो बिस्तर पर लेटी हुई थी हमे खास कर शाहजी को अपने कमरे मे घुसता देख कर एक दम
हड़बड़ाती हुई बिस्तर से उतर कर खड़ी हो गई और घबराई हुई आवाज़ मे कहने लगी, “त्त्त्तुम ल्ल्ल्लोग मे..मे…मेरे क…क…कमरे मे
क्या करने आए हो?”

शाहजी एकदम आगे बढ़ कर मम्मी को अपनी बाहों मे जकड कर उनकी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और मसलता हुआ कहने लगा, “मेरी
जान ! समान ले कर आया था अब तुझे चोदे बगैर कैसे जा सकता था इसलिए तुझे चोदने के लिए तेरे कमरे मे आ गया हूँ.”

शाहजी की बात सुन कर बे-एख्तियार हमारी तरफ देखा और उनका चेहरा लाल हो गया और वो मचलते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश
करते हुए हांपति आवाज़ मे कहने लगी, “ऊऊफ़फ्फ़ च….च…छोड़ो मु…मु..मुझे और फ़ौरन यहाँ से चले जाओ.”
 
जवाब मे शाहजी ने कुछ कहे बगैर मम्मी को उठा कर बिस्तर पर चित लेटा दिया और खुद मम्मी की दोनो रानो पर बैठ कर उनकी क़मीज़ के दामन को ऊपर करके उनकी शलवार की डोरी को पकड़ कर खैंचा, डोरी खैंचते ही बँधी हुई डोरी की गाँठ खुल गयी. मम्मी उछल रही थी और मचल मचल कर खुद को चोदने की कोशिश कर रही थी मगर शाहजी की ताक़त के आगे उनकी हर कोशिश नाकाम हो रही थी. शाहजी कुछ बोले बेगैर खामोशी से अपने काम मे लगा हुआ था. आख़िर मम्मी के लाख मचलने, कोसने, बुरा भला कहने और गालियाँ दे ने के बावजूद वो पहले मम्मी की शलवार को उतार कर बिस्तर के नीचे फेंका फिर उनकी क़मीज़ और ब्रा. को भी उतार कर उन्हें बिल्कुल नंगा कर दिया. जब वो मम्मी को नंगा कर चुका तो वो मम्मी के ऊपर लेट कर उनकी दोनो मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाता हुआ कहने लगा, “साली रंडी कल तो नीचे से चूतड़ उठा उठा कर धक्के मारते हुए खूब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी फिर आज नखरे क्यूँ कर रही है.”

नंगे होने के बाद मम्मी ने मचलना छोड़ दिया था और अपनी आँखें बंद कर के हल्की आवाज़ मे रो रही थी, सिसकियाँ लेते हुए हल्की आवाज़ मे कहने लगी. “तुम बहुत ज़लील और बगैरत इंसान हो तुम्हें जो कुछ करना था अकेले मे करते, इन दोनो के सामने सब कुछ करके मुझे कितना ज़लील करो गे.”

मम्मी की बात सुन कर शाहजी बड़े प्यार से मम्मी के गाल को सहलाता हुआ कहने लगा, “मेरी जान तुम ने यह सोचा भी कैसे कि मैं तुम्हें ज़लील होने दूँगा, रही नजमा और शहाब की बात तो इन दोनो से कुछ नही छुपा हुआ है. तुम्हें अच्छी तरह मालूम है कि कल शहाब ने शुरू से आख़िर तक हम दोनो की चुदाई को अपनी आँखों से देखा है और सब बातें सूनी है फिर उस ने हर बात नजमा को भी बता दी है. अब तुम ठंडे दिमाग़ से सोचो कि क्या हम चारों के बीच कोई परदा बाक़ी है ? इसलिए मेरी रानी सब कुछ भूल जाओ और दिल खोल कर उन
दोनो को भी चुदाई का मज़ा लेने दो और हम दोनो भी लेते हैं.” यह कह कर शाहजी मेरे और नजमा की तरफ देखता हुआ बोला, “अबे गान्डु क्या कल अपनी खूबसूरत अम्मा की चुदाई देख कर तेरा दिल नही भरा जो तुम दोनो अभी तक यही खड़े हो, साले बहन्चोद, अपनी बेहन को
दूसरे कमरे मे ले जा कर उसे खूब टिका कर चोद यहाँ मैं तेरी अम्मा को चोदता हूँ.”
 
मम्मी की बात सुन कर शाहजी बड़े प्यार से मम्मी के गाल को सहलाता हुआ कहने लगा, “मेरी जान तुम ने यह सोचा भी कैसे कि मैं तुम्हें ज़लील होने दूँगा, रही नजमा और शहाब की बात तो इन दोनो से कुछ नही छुपा हुआ है. तुम्हें अच्छी तरह मालूम है कि कल शहाब ने शुरू से आख़िर तक हम दोनो की चुदाई को अपनी आँखों से देखा है और सब बातें सूनी है फिर उस ने हर बात नजमा को भी बता दी है. अब तुम ठंडे दिमाग़ से सोचो कि क्या हम चारों के बीच कोई परदा बाक़ी है ? इसलिए मेरी रानी सब कुछ भूल जाओ और दिल खोल कर उन
दोनो को भी चुदाई का मज़ा लेने दो और हम दोनो भी लेते हैं.” यह कह कर शाहजी मेरे और नजमा की तरफ देखता हुआ बोला, “अबे गान्डु क्या कल अपनी खूबसूरत अम्मा की चुदाई देख कर तेरा दिल नही भरा जो तुम दोनो अभी तक यही खड़े हो, साले बहन्चोद, अपनी बेहन को
दूसरे कमरे मे ले जा कर उसे खूब टिका कर चोद यहाँ मैं तेरी अम्मा को चोदता हूँ.”

मैने फ़ौरन नजमा की कमर मे हाथ डाल कर उसे खुद से लिपटा लिया और उसकी छाती को दबाता हुआ बिस्तर के पास जा कर मम्मी से कहने लगा, “मम्मी शाहजी ठीक कह रहा है कि सब कुछ भूल हम सब को दिल खोल कर चुदाई का मज़ा लेना चाहिए, इसलिए कल की
तरह आज भी बगैर किसी झिझक के खूब अच्छे से चुदाई का मज़ा`लें और हम दोनो भी दूसरे कमरे मे जा कर चुदाई का मज़ा लेते हैं.’

मेरे चुप होते ही नजमा आगे बढ़ी और बिस्तर पर मम्मी के सिरहाने बैठ कर मम्मी के बालों को सहलाते हुए कहने लगी, “मम्मी आप खुशनसीब हैं कि आपको चोदने के लिए शाहजी जैसा मर्द मिला है, कल उस-से चुदवा कर आप को मालूम हो ही गया होगा कि उसके मोटे और लंबे लंड मे एक जादू है, मैं तो शाहजी के लंड की दीवानी हूँ, जब भी उस-से चुदवाती हूँ मज़े मे पूरी दुनिया को भूल जाती हूँ, वैसे शाहब भी अब बहुत अच्छा चोदने लगा है मगर उसमे शाहजी वाली बात नही है. अब मैं शहाब के साथ अपने कमरे मे चुदवाने जा रही हूँ यहाँ आप शाहजी के लंड का मज़ा लें. हां एक बात और आप को बता दूँ कि हम लोगों ने यह सब इसलिए प्लान बना कर किया है ताकि हम लोगों के
बीच कोई परदा ना रहे और हम सब जब भी दिल चाहे गा खूब दिल खोल कर जवानी का मज़ा लें गे. ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचिए इस मे हम सब का फ़ायदा है, पापा आप को चोद नही सकते थे और आप तड़पति रहती थी, और हम घर मे आप की वजह से कुछ नही कर सकते थे, अब जब भी आप का दिल चाहे चुदाई का मज़ा लें हम पहरा दे कर आप की हिफ़ाज़त करें गे और जब हम चुदाई करेंगे तो आप चौकीदारी
कर के हमारी हिफ़ाज़त करें गी” यह कह कर वो शाहजी से बोली, “शाहजी हम जा रहे हैं अब मम्मी पूरी की पूरी तुम्हारी हैं, आज इनको
कल से भी ज़्यादा अच्छे से चोदना.”

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शाहजी और मैं यह समझ रहे थे कि नजमा मम्मी से बात करते वक़्त शर्म से सिर्फ़ एक दो बात ही करे गी, मगर नजमा ने तो कमाल ही कर दिया वो हमारी सोच से बढ़ कर जिस बेबाकी और बगैर किसी झिझक के मम्मी से खुल कर बात की उस-ने मुझे और शाहजी को हैरान कर
दिया था. शाहजी अपनी हैरत पर क़ाबू पाता हुआ नजमा से बोला, “फिकर मत कर आज मैं तेरी माँ को चोदने के लिए अफ़ीम (ओपियम) खा कर आया हूँ आज तो इसकी चूत और गान्ड दोनो को ऐसा बजाउन्गा कि यह साली कभी नही भूले गी.”

मैने आगे बढ़ कर नजमा का हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर से उतारता हुआ बोला, “नजमा अब यहाँ से अपने कमरे मे चलो, अब मुझ से बर्दाश्त नही हो रहा है. मेरा लंड तुम्हारी चूत मे घुसने के लिए तड़प रहा है” मैं और नजमा मम्मी के सामने इस तरह नंगी नगी बातें इसलिए
कर रहे थे कि शाहजी ख़ास तौर पर हमे ऐसा करने के लिए कहा था.

हम दोनो नजमा के कमरे मे आ गये, नजमा के कमरे का दरवाज़ा और मम्मी के कमरे का दरवाज़ा बिल्कुल आमने सामने था, हम ने जान बूझ कर दोनो दरवाज़े बिकुल खुले हुए रखे, दरवाज़े को खुला रखने की ख़ास वजह यह थी कि मम्मी और नजमा का बिस्तर दरवाज़े के बिल्कुल सामने था और दरवाज़ा खुला रहने से हम बिल्कुल सॉफ सॉफ एक दूसरे की चुदाई देख सकते थे. ऐसा करना हमारे प्लान मे शामिल
था. यह पूरा प्लान शाहजी का था, वो कह रहा था कि इस तरह मम्मी की तमाम शरम और झिझक ख़तम हो जाएगी फिर आगे वो खुद खुशी से हमारा साथ दें गी.

कमरा मे पहुँचते ही हम दोनो बगैर कुछ कहे सूने फ़ौरन कपड़े उतार कर नंगे हो गये. नंगे होते ही मैं नजमा को लेटा हुआ बिस्तर पर धडाम से गिर कर उसकी छाती को मुँह मे ले कर चूसने लगा और एक हाथ उसकी चूत पर रख कर अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा कर हिलाने लगा, नजमा भी मज़े मे डूबी हुई एक सिसकारी ले कर मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी. हम दोनो जज़्बात की शिद्दत से पागल हो कर एक दूसरे से लिपट रहे थे, एक दूसरे को चूम रहे थे, एक दूसरे को नोच रहे थे, कभी नजमा मेरे ऊपर आ जाती कभी मैं नजमा के ऊपर चढ़ जाता. हम दोनो एक दूसरे मे इस तरह खोए हूए थे कि हम मम्मी के कमरे की तरफ देखना ही भूल गये थे बस हमारे कानों मे मम्मी की मदहोशी मे डूबी हुई सिसकारी की आवाज़ आ रही थी. जब हमारा बर्दाश्त हद से गुज़र गया तो मैं नजमा को चित लेता कर उस पर चढ़ गया, नजमा जो चुदाई मे बहुत एक्सपर्ट हो गयी थी उसने फ़ौरन अपनी दोनो टाँगो को मेरी कमर पर रख कर अपना एक हाथ हमारे बीच
घुसा कर मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के सुराख पर रख कर बोली, “बेहन्चोद पूरा ज़ोर लगा कर धक्का मार और अपनी बहन की चूत को फाड़ दे.” मैं उसकी दोनो चुचियों को मुट्ठी मे पकड़ कर दबाता हुआ पूरी ताक़त से एक ज़ोर दार धक्के मे अपना पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे घुसाता हुआ बोला, “यह ले.” इतना कह कर मैने पूरी ताक़त से धक्के पे धक्का मारते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया, नजमा
भी अपने दोनो पैरो को मेरी कमर मे बाँध कर और मुझ से लिपटती हुई नीचे से मेरे धक्के के जवाब मे अपने चूतड़ उठा उठा कर धक्का मारते हुए बे-खुदी, जज़्बात और लज़्ज़त की मदहोशी मे सिसकारी लेते हुए बडबडा रही थी. “ऊओफफ्फ़….हाई आ…हाँ….हाअ मेरे भैया,
मेरी जान हो तुम ऊफ़ हाँ हाँ इसी तरह ज़ोर ज़ोर से चोदते रहो.”
 
डेढ़ दो हफ्ते से हम दोनो को कोई ऐसा मौका ही नही मिला था कि हम चुदाई कर सकते इसलिए हम दोनो ही चुदाई के लिए पागल हो रहे थे, ख़ास कर कल शाहजी और मम्मी की ज़बरदस्त चुदाई को देख कर मेरी हालत पागलों जैसी हो रही थी और मेरा लंड जैसे बैठना ही भूल गया था. सारी रात मैं सो भी नही सका था. सोने की कोशिश मे मैं आँख बंद करता तो ख़यालों मे मम्मी का बे-पनाह खूबसूरत जिस्म, उनकी खूबसूरत चूत, उनकी संग-ए-मरमर की तरह तनी हुई छातियाँ, उनकी पतली कमर, कमर के नीचे उनके चुतड़ों की खूबसूरत गोलाईयों और दोनो चुतड़ों के दरमियाँ उनकी गान्ड के सुराख की चुन्नटे और सुरखुनमें शाहजी के लंड का घुसना और निकलना किसी फिल्म की तरह मेरे दिमाग़ मे चलने लगता तो मैं एकदम उठ कर बैठ जाता और धना-धूम मूठ मारने लग जाता. रात भर मे मैं चार बार मूठ मार कर खुद को
ठंडा करने की नाकाम कोशिस कर चुका था मगर चार बार झड़ने के बावजूद मेरे जज़्बात ठंडे होने की बजाए और भड़क कर मेरे जिस्म को पल पल जला रहे थे. जब मैं आँखें बंद कर के मूठ मारता तो मुझे ऐसा लगता कि मैं मूठ नही मार रहा हूँ बल्कि मैं मम्मी को चोद रहा हूँ और मेरा लंड कभी उनकी चूत मे कभी उनकी गान्ड मे घुस रहा है. मम्मी ने जिस ज़बरदस्त तरीक़े से कल शाहजी से चुदवाया था वो मेरे दिमाग़ से जैसे चिपका हुआ था और अभी जब मैं नजमा को चोद रहा था तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे नीचे नजमा नही मम्मी लेटी हुई हैं और मैं
उन्हें चोद रहा हूँ.क्यूंकी नजमा भी बिल्कुल मम्मी की तरह पुर जज़्बात और मस्ती मे डूब कर चुदवा रही थी.

हम दोनो एक दूसरे मे समाए हुए मदहोशी के हालत मे चुदाई के मज़े मे डूबे हुए थे कि हम दोनो मम्मी की तकलीफ़ मे डूबी हुई आवाज़ सुन कर एकदम चौंक गये और हम दोनो ने चुदाई रोक कर मम्मी के कमरे की तरफ देखा वहाँ शाहजी मम्मी को घोड़ी बना कर उन पर सवार था और उन्हें डॉगी स्टाइल मे चोद रहा था, मम्मी तकलीफ़ से रोते हुए शाहजी से कह रही थी, “ऊऊफ़ मर गयी, मेरी गान्ड फॅट गयी है ऊफ़फ्फ़ हाई हाई, मेरी गान्ड से अपना लंड निकालो, हो…हो…हूओ..हा…हा शाहजी खुदा का वास्ता मेरी गान्ड से अपना लौडा निकाल कर मेरी चूत मे घुसाओ, द्दद्देखो तुम जैसे चाहो मेरी चूत मारो बस मेरी गान्ड मत मारो मुझ से तकलीफ़ बर्दाश्त नही हो रही है.”

मैने नजमा की तरफ देखा और नजमा मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए मुझे आँख मारी तो मैं भी मुस्कुरा कर मम्मी के कमरे की तरफ देखता हुआ बोला, “मम्मी यह क्या, अरे शाहजी को ठीक से गान्ड मारने दें, शुरू शुरू मे तकलीफ़ तो हो गी बस एक बार आप की गान्ड का रास्ता खुल जाए फिर देखिए गा कि गान्ड मरवाने का मज़ा ही अलग है. मुझे देखिए मैं लड़का हो कर शाहजी से गान्ड मरवाने के लिए बे-चैन रहता हूँ क्यूंकी गान्ड मरवाने का अपना एक अलग ही मज़ा है.”
 
मैने नजमा की तरफ देखा और नजमा मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए मुझे आँख मारी तो मैं भी मुस्कुरा कर मम्मी के कमरे की तरफ देखता हुआ बोला, “मम्मी यह क्या, अरे शाहजी को ठीक से गान्ड मारने दें, शुरू शुरू मे तकलीफ़ तो हो गी बस एक बार आप की गान्ड का रास्ता खुल जाए फिर देखिए गा कि गान्ड मरवाने का मज़ा ही अलग है. मुझे देखिए मैं लड़का हो कर शाहजी से गान्ड मरवाने के लिए बे-चैन रहता हूँ क्यूंकी गान्ड मरवाने का अपना एक अलग ही मज़ा है.”

“म..एम्म….मुझ से तकलीफ़ बर्दाश नही हो रहा है. ऊऊफफफ्फ़ त…त्त्त…तुम शाहजी से कहो ना कि ज़ोर से नही आहिस्ता आहिस्ता करे.” मम्मी तकलीफ़ से अपने चेहरे को बिस्तर की चादर से रगड़ते हुए बोली. तकलीफ़ ने उनके सोचने की ताक़त को शायद ख़तम कर दिया था वरना वो खुद मुझे शाहजी से कहने के लिए कभी नही कहती.

मैं शाहजी की तरफ देख कर आँख मारता हुआ उस-से कहने लगा, “सुना शाहजी मम्मी क्या कह रही हैं ? वो तुम्हें गान्ड मारने से मना नही कर रही हैं, वो कह रही हैं कि आहिस्ता आहिस्ता गान्ड मारो.”
 
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