Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा - Page 2 - SexBaba
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Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा

मैं गुस्से से तन्तनाता हुआ सीधे शाहजी के पास पहुँचा, वो यक़ीनन अंदाज़ा लगा लिया था कि नजमा ने मुझे उसकी हरकत बता दिया है, उस वक़्त दुकान मे दो औरतें सामान ले रहीं थी, वो बड़े आराम से उन औरतों का सामान शॉपिंग बॅग मे रखते हुए बोला,

"शहाब तू बड़े गुस्से मे नज़र आ रहा है अंदर चलकर बैठ जा मैं अभी आकर तुझ से बात करता हूँ,"

मैं उन औरतो की वजह से कुछ नही बोल पाया और चुप चाप कोने मे बने हुए दरवाज़े से अंदर उसके कमरे मे चला गया और सोफा पर बैठ कर उसका इंतेज़ार करने लगा. वो थोड़ी देर बाद अंदर आया और मेरे बराबर बैठ कर मेरे गालों पर हाथ फेरता हुआ बोला,

"शहज़ादे क्या बात है तू बहुत गुस्से से भरा हुआ आया है"

मैं उसका हाथ अपने गाल से हटा कर गुस्से से बोला

"तुम ने मेरी बहन के साथ गंदी और कमिनि हरकत क्यूँ की"

मेरी बात सून कर वो ज़ोर से हंसा और मेरी रान पर हाथ फेरता हुआ बोला,

"साले गान्डु, मैं तेरी गान्ड मारता हूँ तो तुम बड़े मज़े से गान्ड मरवा कर मज़ा ले कर खुश होते हो, अब अगर तेरी बहन को भी मज़ा देना चाहता हूँ तो गुस्से से क्यूँ तिलमिला रहे हो, वो भी इंसान है उसे भी मज़ा लेने का हक है"

मुझ से उसकी बात का जवाब नही बना तो मैं जल्दी से बोला,

" देखो शाहजी मेरी बात और है मैं लड़का हूँ और उसकी बात और है वो लड़की है और मेरी बहन भी तुमको उसके साथ यह नही करना चाहिए था"
 
वो थोड़ी देर मुझे देखता रहा फिर बोला

"मैने हमेशा तेरा साथ दिया है, और हमेशा तेरे ही फ़ायदे की बात सोची है, और तुझे बराबर इसी लिए उधार देता रहा कि शायद तू जीत कर अपना खर्चा पानी भी निकाल लिया करे और उधार को भी वापस कर सके, मगर तेरी तरह तेरी क़िस्मत भी गान्डु है कि तू हमेशा हारता ही रहता है, साले तुझ पर अभी भी मेरा 270/= रूपिया उधर है जिसे तूने वापस करना है
.
(यह तक़रीबन 1980 की बात है उस ज़माने मे 270/= रुपए बड़ी रक़म होती थी और एक क्लर्क की महीने की तनख़्वाह (सल्लरी) इससे भी कम होती थी) मैं उसकी बात सून कर जल्दी से बोला,

“ हां शाहजी मुझे मालूम है कि तुम्हें 270/= रुपई चुकाने हैं, फिकर मत करो बहुत जल्दी वापस दे दूँगा",

“साले बहेन्चोद डेढ़ (1½) महीने मे तो दिया नही जबकि 2 दिन का वादा किया था और देने की बजाए क़र्ज़ा बढ़ा बढ़ा कर 270 तक ले आया, अब मेरी बात गौर से सून इसमे तेरा फ़ायदा ही फ़ायदा है और मेरी बात मानेगा तो तेरा क़र्ज़ भी माफ़ कर दूँगा और ऊपर से तुझे और भी 100/= रूपिया दूँगा, और अगर नही माने गा तो मेरा रुपया कहाँ से देगा, फिर कहीं ऐसा ना हो कि क़र्ज़ वसूल करने के लिए मुझे तेरे बाप के पास जाना पड़े",

वो मुझे समझाता हुआ और मेरे पापा की धमकी देकर बोला.
 
मैं पापा से बोलने की धमकी सून कर डर भी गया और क़र्ज़ को माफ़ करने और 100/= रुपए देने का सून कर ललचा भी गया और पूछा,

"शाहजी अगर तुम मेरा उधार माफ़ करदोगे और 100/ रुपए भी दोगे तो मैं तुम्हारी बात क्यूँ नही मानूँगा जल्दी से बताओ क्या बात है",

मैने नजमा की बात भूल कर शाहजी की खुशमाद करते हुए पूछा. जवाब मे शाहजी ने जो कहा उसे सून कर मेरा दिमाग़ उलट गया वो बोला

"मेरी जान तुम अकेले अकेले ही गान्ड मरवा कर खूब मज़ा लूट रहे हो, अब अपनी बहन को भी मज़ा लेने के लिए राज़ी कर के मेरे पास ले आओ तो तेरा क़र्ज़ा भी माफ़ और तुझे 100/= रुपये भी दूँगा साथ अलग से नजमा को भी 100/= रुपया दूँगा, बड़े फ़ायदे का सौदा है",

मैने उसकी बात सून कर गुस्से से उछल कर उसकी गर्दन को पकड़ लिया मगर कहाँ वो पहलवान की तरह ताक़तवर मर्द और कहाँ मैं दुबला पतला लड़का, वो एक झटके से मुझे दबोच कर गाली देता हुआ ऊँच नीच समझाने लगा, बहुत बातें होने के बाद मेरा गुस्सा कम होने लगा और एक घंटे तक मुझे प्यार से समझाता रहा कि उसकी बात मान लेने से मुझे हमेशा फ़ायदा ही होगा और यह बात किसी को मालूम भी नही होगा.
 
उस दिन मैं खामोशी से घर आ गया, घर पर मेरा दिल किसी काम मे नही लग रहा था मेरे दिमाग़ मे सिरीफ़ शाहजी की बात ही गूँज रही थी. रात को जब मैं सोने लेटा तो नींद नही आई सिर्फ़ सोचता ही रहा, कभी ख्यालों मे देखता कि नजमा शाहजी के बिस्तर पर नंगी लेटी है और शाहजी उसे चोद रहा है, ये ख्याल तसव्वर मे आते ही मेरे अंदर जज़्बात की आग भड़कने लगी और मेरा [5"] लंबा लंड लोहे की तरह तन्तनाते हुए हिलने लगा, मैं अंधेरे मे अपने लंड को सहलाता हुआ मज़ा लेते हुए सोचने लगा, शाहजी की बात मान कर सिर्फ़ रुपये का ही फ़ायदा नही होगा बल्कि मैं चुदाई भी देख सकूँगा और खुद भी नजमा को चोद कर मज़ा ले सकूँगा. पूरी रात मैं नही सो सका और रात भर कभी हाँ कभी ना के ख्यालों मे उलझा रहा, आख़िर कार सुबह मेरा दिमाग़ शाहजी की बात मानने पर राज़ी हो गया.

दूसरे दिन स्कूल से आते ही फ़ौरन 2 बजे दिन को शाहजी के पास गया, शाहजी रोज दिन के एक बजे से दोपहर 4 बजे तक अपनी दुकान बंद रखता था इसलिए मैं सीधा पिछली गली से जा कर उसके घर का दरवाज़ा खटखटाया वो दरवाज़ा ख़ूला और मुझे देख कर मुस्कुरा दिया और मुझे अपने कमरे मे ले गया, मैने उसे बता दिया कि मैं उसकी बात मानने के लिए तैयार हूँ, वो मेरी बात सून कर खुशी से मुझे अपने बराबर बैठा कर मुझे प्यार करने लगा और पूछा कि मैं नजमा को कैसे राज़ी करूँगा, फिर मैने पहली बार अपने दिल मे छुपे राज़ को उसे बताया कि मैं ने कभी किसी लड़की को नंगा नही देखा और हर वक़्त मेरे दिमाग़ मे लड़की को नंगा देखने, उसकी चुदाई देखने उसे चोदने का जनून सवार रहने लगा है, जब मुझे कोई लड़की नही मिली तो खुद बखुद नजमा मुझे बहुत अच्छी लगने लगी और दिल मे उसे चोदने की ख्वाहिश पैदा हो गई और अब मैं खुद भी उसे चोदना चाहता हूँ मगर कैसे और कहाँ लेजा कर चोदु घर पर किसी के देख लेने का ख़तरा रहता है, और उसे बताया कि मैं बहुत दिनो से अकेले मे उसकी छाती पकड़ कर दबाता भी हूँ और कपड़े के ऊपर ही से उसकी चूत भीसहला देता हूँ, वो यह बात किसी को नही बोलती है और मेरी हरकत पर मुस्कुराते हुए शरमा कर भाग जाती है.

वो मेरी बात सून कर खुशी से बेक़ाबू हो कर मुझे दबोच कर अपनी गोद मे बैठा लिया और मेरे होंठो को चूमते हुए बोला,

“यार तुम तो बहुत छुपे रुस्तूम निकले, वैसे तेरी बहन नजमा है भी गजब की खूबसूरत, अभी तो उसपर जवानी की शुरुआत हुई है और अभी से क़यामत बन गई है उसे तो हर मर्द चोदना चाहे गा तू भी मर्द है अगर तू भी उसे चोदना चाहता है तू हैरत की कोई बात नही, क्या फरक़ पड़ता है कि वो तेरी बहन है मगर उसके साथ साथ एक खूबसूरत लड़की भी तो है.फिकर मत कर उसे हम दोनो मिलकर खूब चोदेन्गे बॅस किसी तरह उसे राज़ी कर ले, और अब चोदने के लिए जगह की फिकर मत कर, उसे यहाँ लेआ किसी को मालूम भी नही होगा”
 
“ मगर उसको राज़ी कैसे करूँ वो तो ज़रा छूते ही शरमा कर भाग जाती है”

मैने बेताबी से पूछा.

वो थोड़ी देर कुछ सोचता रहा फिर बोला,

"वो तेरे छाती दबाने और चूत सहलाने पर ना तो नाराज़ होती है ना ही किसी को बोलती है तो मतलब बिल्कुल सॉफ है कि उसे भी मज़ा मिलता है और वो बहुत गरम लड़की भी है, और अब उसकी चूत मे खुजली भी होने लगी है यानी उसे अब लंड चाहिए, मगर चूँकि बहुत
शर्मीली है इसलिए शरमा कर भाग जाती है, देख ऐसा कर मौका देख कर उससे बिल्कुल सॉफ सॉफ पूरी बात करले और उसे लालच दे के चुदाई के मज़े के साथ साथ मैं उसे 100/= रुपये भी दूँगा और जब दिल चाहे यहाँ आकर आइस्क्रीम या जो चाहे मुफ़्त मे ले जाया करे.

मैने ख़ौफ़ और फिकर से पूछा,

" अगर नजमा ने किसी को बता दिया या राज़ी नही हुई तो"

"जब उसने अभी तक किसी को नही बताया है कि तू उसकी छाती दबा देता है और उसकी चूत सहला देता है तू वो कभी किसी को कुछ नही बताएगी, और मुझे पक्का यक़ीन है कि वो राज़ी भी हो जाएगी हाँ होसकता है कि शरम के मारे फ़ौरन राज़ी ना हो तो तुम हिम्मत मत हारना और बराबर उसको राज़ी करते रहना एक ना एक दिन वो मान जाएगी, और देख उसे 100 रुपये और मुफ़त की आइस्क्रीम का लालच उसके दिमाग़ मे भरते रहना,"

शाहजी मुझे समझाता हुआ बोला.

"ठीक है अब मैं चलता हूँ और मौका मिलते ही नजमा से बात कर लूँगा,” मैं यह बोल कर जाने के लिए उठा ही था कि शाहजी मुझे वापस अपनी गोद मे बैठा ता हुआ बोला,

"अभी कैसे जाए गा तेरी कमसिन, कंवारी और खूबसूरत बहन को चोदने के तस्सवर ही से मेरे लंड मे आग ही आग भर गयी है अब जल्दी से पैंट उतार कर बिस्तर पर चल और मेरे लंड की आग को ठंडा कर के जाना,"
 
नजमा को चोदने, उसको नंगा देख ने और उसको चुदवाता हुआ देख ने के तस्सवर से मेरा का खुद बूरा हाल होरहा था और खुद मेरा लंड लोहे की तरह खड़ा हो कर तन्तना रहा था, मैं जल्दी से कपड़े उतार कर बिस्तर पर बैठ गया इतनी देर मे शाहजी भी नंगा हो कर अपने 7" लंबा और 2" मोटे लौडे को सहलाता हुआ मेरी तरफ आरहा था, फिर मैं बहुत देर तक उसके लौडे को चूस्ता रहा फिर शाहजी ने मेरी गान्ड और अपने लौडे पर क्रीम लगा कर ज़बरदस्त तरीक़े से मेरी गान्ड मारी और साथ साथ मेरे लंड को सहला सहला कर मेरी गर्मी भी निकाल दी.

एक हाफ्ते तक मुझे नजमा से बात कर ने का कोई मौका ही नही मिला, इस दरम्यान मैने सोच लिया था कि जब भी मौका मिलेगा मैं एक-दम शाहजी की बात नही करूँगा, क्यूंकी हो-सकता है कि नजमा चुदाई के बारे मे कुछ नही जानती हो कि चुदाई किसे कहते हैं, चुदाई कैसे होती है, और मरद, औरत आपस मे किस तरह चुदाई करते हैं. अगर उसे मालूम नही होगा तो पहले उसे चुदाई के बारे मे सब कुछ बताऊँगा ताकि जब मैं उसे शाहजी के पास जाने की बात करूँगा तो समझ सके कि उसे शाहजी के पास जा कर क्या करवाना होगा और
शाहजी उसके साथ क्या करे-गा.

दसवे दिन जब मैं स्कूल से घर वापास आया तो देखा कि नानी जान घर आई हुई हैं. नजमा भी स्कूल से आचूकि थी. चार [4] बजे जब नानी जान वापस जाने लगी तो दोनो छोटे भाई बेहन ने उनके साथ जाने की ज़िद पकड़ ली, आख़िर नानी जान मजबूर हो गई और दोनो को अपने साथ यह कह कर ले गई कि शाम को मामू जान के साथ वापास छुड़वा देंगी. मैं जो बाहर जाने ही वाला था कि यह सोच कर रुक गया कि अगर मम्मी सो जाएँ गी तो नजमा से बात करने का मौका मिल जाए गा.
 
दसवे दिन जब मैं स्कूल से घर वापास आया तो देखा कि नानी जान घर आई हुई हैं. नजमा भी स्कूल से आचूकि थी. चार [4] बजे जब नानी जान वापस जाने लगी तो दोनो छोटे भाई बेहन ने उनके साथ जाने की ज़िद पकड़ ली, आख़िर नानी जान मजबूर हो गई और दोनो को अपने साथ यह कह कर ले गई कि शाम को मामू जान के साथ वापास छुड़वा देंगी. मैं जो बाहर जाने ही वाला था कि यह सोच कर रुक गया कि अगर मम्मी सो जाएँ गी तो नजमा से बात करने का मौका मिल जाए गा.

मैने बाहर जाने का इरादा ख़तम करके टीवी लाउंज मे बैठ कर टीवी देखने लगा, मम्मी भी टीवी लाउंज ही मे बैठी थी और नजमा अपने कमरे मे सोने चली गयी थी. एक घंटा गूज़र ने के बाद भी जब मम्मी वहीं बैठी रही तो मुझे मायूसी होने लगी और उन पर गुस्सा आने लगा, मगर क्या करसकता था, अचानक पड़ोस की खाला आ गई उनकी और मम्मी की बहुत दोस्ती थी. उन्हे वॉटर पंप( कराची के एक इलाक़े का नाम है जो फेडरल-बी-एरिया मे है ) की मार्केट से कुछ कपड़ा खरीदना था, चूं-कि वो कभी अकेले मार्केट नही जाती थीं इस लिए वो मम्मी को अपने साथ ले जाने के लिए आगई थी. छोटे भाई बेहन ना होने की वजह से मम्मी फ़ौरन जाने के लिए तय्यार हो गयी और जाते हुए मुझे घर का ख्याल रखने का बोल गयीं. हमारे घर से मार्केट ज़्यादा दूर तो नही था फिर भी ऊन्हे वापास आते आते घंटा तो लग ही जाता.

उनके जाते ही मेरे बदन मे सनसनहाट होने लगी और मेरा लंड खुद बखुद अकड़ कर तन्तना गया. मैने वक़्त ज़ाया करना मूनसिब नही समझा और सीधा नजमा के कमरे मे पहुँच गया. नजमा बिस्तर पर बिल्कुल चित सो रही थी और उसके साँस लेने के साथ साथ उसकी छोटी सी छाती फूल और पिचक रही थी, वो नज़्ज़ारा देख कर मैं जज़्बात से काँप गया और उसके बराबर बिस्तर पर बैठ कर उसकी छाती को पकड़ कर मसल्ने लगा, वो एक-दम हडबडा कर उठ कर बैठ गयी, नींद से इस तरह अचानक उठने से थोड़ी देर तक तो उसकी समझ मे ही नही आया कि क्या हुआ, जैसे ही उसके दिमाग़ ने काम किया उसके चेहरे पर ख़ौफ़ दौड़ गयी और वो जल्दी से मेरा हाथ जो अभी तक उसकी छाती पर था हटाते हुए घबराए हुए लहजे मे सरगोशी मे बोली,

"क्या कर रहे हो मम्मी घर पर हैं उन्होने देख लिया तो गजब हो जाए गा",

मैं दुबारा उसकी छाती को पकड़ ता हुआ थोड़े ज़ोर से आवाज़ मे कहा,

"घबराओ मत मम्मी पड़ोस की खाला के साथ वॉटर पंप मार्केट कपड़ा खरीदने गई हैं और घंटा भर से पहले वापस नहीं आएँगी, इस वक़्त पूरे घर मे हम दोनो के अलावा कोई नही है. नजमा इतना अच्छा मौका बार बार नही मिलता है, यह कहकर मैं नजमा की क़मीज़ को उतार ने लगा तो नजमा शरम से फ़ौरन अपनी क़मीज़ को मज़बूती से पकड़ कर बडबडाइ, " क्या करते हो, मत करो",
 
"नजमा समझती क्यूँ नही हो हमारे पास ज़ियादा वक़्त नही है मम्मी वापास आ गये तो यह मौका हाथ से निकल जाएगा और हमें बार बार ऐसा मौका नहीं मिले गा", यह कहकर मैं फिर उसकी क़मीज़ उतार ने की कोशिश की, मगर वो अपनी क़मीज़ को उसी तरह पकड़े हुए बोली, "मुझे बहुत शरम आरहि है",

मेरे अंदर जज़्बात की आग लगी हुई थी और बर्दाश्त ख़तम हो चुकी थी बस दिल यही चाह रहा था कि जल्दी से नजमा को नंगा करके उसको चोद लूँ, अब नजमा की तरफ से रुकावट ने मेरे अंदर झुंझ-ला-हाट पैदा करदी और मैं जज़्बात की दीवानगी मे नजमा को अपनी बाहों मे लेकर उसे बिस्तर पर लेटा कर मैं उसके ऊपर लेट गया और दोनो हाथों से उसकी छाती को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ते हुए बोला,

"नजमा आखरी बार पूछ रहा हूँ कि क्या तुम मज़ा लेना चाहती हो या नही ?", दो [2/3] बार पूछने के बाद उसने बड़ी मुश्किल से शरमाते हुए
कहा, "हां, म....म....मगर मुझे बहुत शरम आरहि है",

"नजमा मज़ा लेने के लिए तो कपड़े उतारने ही पड़ेंगे, कपड़े उतारे बगैर चुदाई कैसे हो सकती है. क्या तुम को चुदाई के बारे मे कुछ भी नहीं
मालूम है, या तुम जानती हो कि चुदाई कैसे होती है",

मेरे इस सवाल का जवाब नजमा ने बड़ी मुश्किल दे दिया और शरमाते हुए अपनी आँख बंद करके ज़ोर ज़ोर से साँस लेते हुए धीमी और शर्मीली आवाज़ मे बोली, "मू....मू....मुझे मा....माआलूम है",

"अगर मालूम है तो कपड़े उतार ने से रोक क्यूँ रही हो", यह कह कर मैं उसकी क़मीज़ फिर उतार ने लगा, इस बार उसने मेरा हाथ नही रोका, मैं जोश और जूनून मैं काँपते हाथों से उसकी क़मीज़ को उतार कर एक तराफ़ फैंक कर जैसे ही उसके नंगे जिस्म को देखा देखता ही रह गया, आज ज़िंदगी मे पहली बार किसी लड़की की नंगी छातियाँ देख रहा था. नजमा का पूरा जिस्म बे-दाग और गुलाबी था, अभी उसकी छाती पूरी तरह नही ऊभरी थी, वो आपल के बराबर होगी, और उसपर लाल रंग का छोटा सा दाना याक़ूत (रूबी) की तरह चमक रहा था, मैं बे-खुदी मे उसके बराबर करवट मे लेट कर उसकी छाती को पकड़ कर आहिस्ता आहिस्ता सहलाने और मसल्ने लगा साथ ही उसके दाने को दो ऊँगलिओ मे दबा कर मसल्ते हुए उसके होंठ पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा,

नजमा जो मेरे छाती मसल्ने और सहलाने की वजह से मज़े और मस्ती मे मचलती हूई सिसकारियाँ ले रही थी वो खुद भी मुझ से लिपट कर मेरे होंठ को चूसने लगी, ज़िंदगी मे पहली बार किसी लड़की को पा कर मेरी सामाझ मे ही नही आरहा था कि कहाँ से शुरू करूँ, कैसे शुरू करूँ, उस वक्त मुझे यह तो मालूम था कि लड़की की चूत मे लंड घुसा कर चोदा जाता है मगर यह नही मालूम था कि लड़की की छाती, चूत और जिस्म के मुख़्टलिफ हिस्सों को भी प्यार करना चाहिए और उसे चूसना चाहिए. उसके होंठो को चूस्ते हुए अचानक मुझे याद आया कि नजमा ने कहा था कि वो चुदाई के बारे मे जानती है, यह याद आते ही मैं चौंक गया और एकदाम मेरे दिमाग़ मे आया कि क्या नजमा पहले किसी से चुदवा चूकि है, वरना उसे चुदाई के बारे मे कैसे मालूम है. मैं उसके होंठो को छोड़ कर उसकी छाती को मसल्ते हुए हांपते हुए पूछा,
 
"नजमा क्या तुम पहले किसी से चुदवा चूकि हो", मेरे सावाल को सून कर नजमा जोश और जज़्बात मे मुझ से लिपटाते हुए ज़ोर ज़ोर से साँस लेते हुए बोली,

"ना...ना...न्न्नहिएन",

"फिर तुम को कैसे मालूम है कि चुदाई क्या होती है और कैसे की जाती है?" मैने उसके चुतड़ों को पकड़ कर उसे अपनी तराफ़ करवट दिलाते हुए पूछा, वो थोड़ी हिच-कीचाहाट और शरमाते हुए बोली,

"मेरी दोस्त के भाई के पास बहुत सी राजशर्मास्टॉरीज की लिखी हुई चुदाई की कहानी की किताब है और चुदाई की तस्वीरों की मॅगज़ीन हैं, मेरी सहेली भाई से छुपा कर ले आती है और खुद भी पढ़ती और देखती है और मुझे भी देखने और पढ़ ने के लिए देती है बाद मे वो वापस रख देती है, उन्ही किताबो को पढ़ कर और तस्वीरे देख कर मुझे यह सब मालूम हुआ, वो सब देख कर ही तो मेरे अंदर सब कुछ करने की तमन्ना हो गयी और मेरे अंदर बेचैनी रहने लगी,"

नजमा की बात सून कर मेरी समझ मे आ गया कि नजमा को यह सब कैसे मालूम हुआ होगा, और सकून भी हो गया कि जब मैं नजमा से शाहजी के पास जाने की बात करूँगा तो नजमा को मालूम ही होगा कि वहाँ क्या होगा. मैं अब उठ कर बैठ गया और नजमा की शलवार को खींच कर उतारने लगा , मुझे मालूम था कि घर मे मम्मी और नजमा शलवार मे नाडे की बजाए एलास्टिक इस्तेमाल करती हैं, उसका शलवार सरसराता हुआ नीचे आ गया जिसे मैने फ़ौरन उसकी टाँगो से निकाल कर एक तरफ रख दिया और उसकी छोटी सी फूली हुई चूत को देख कर बे-क़ाबू हो गया,

उसकी चूत पर अभी तक बाल नही निकले थे हालाँकि 12/13 साल ही से लड़कियों के बाल निकल आते हैं, मैं जल्दी से अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया, नजमा खामोशी से आँख बंद किए चित लेटी हुई थी, मैं फ़ौरन नजमा की दोनो टाँगो को पकड़ कर अलग कर के फैला दिया और उस पर लेट कर एक हाथ से अपने बे-क़ाबू लोहे की तरह अकडे हुए लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और चूत मे घुसाने के लिए धक्का लगाया चूँकि अनाड़ी था और पहले किसी लड़की को नही चोदा था इस लिए निशाना ठीक नही बैठा और मेरा लंड चूत मे घुसने की बजाय चूत के बराबर रानो में घुस गया, दो तीन बार कोशिस करने के बावजूद मेरा लंड चूत मे नही घुस सका,
 
नजमा मेरे धक्का लगाने से खुद भी मुझ से लिपट कर नीचे से धक्का लगाती हुई सिसकारी लेती और नाख़ून से मेरे पीठ को नौचती. हम दोनो पसीने पसीने हो रहे थे ख़ास कर मेरा बहुत बूरा हाल हो रहा था मेरा पूरा जिस्म पसीने से भरा हुआ था मैं कुत्ते की तरह हांप रहा था और ऐसा लग रहा था कि मेरे पूरे बदन का खून सिमट कर मेरे लंड मे आ गया हो, मैं जुनूनी हालात मे नजमा पर लेता बगैर निशाने और ये देखे बगैर कि मेरा लंड चूत मे घुसा भी है या नही आँख बंद करके धक्के पर धक्का लगाए जा रहा था, अचानक मुझे ऐसा लगा कि मेरा लंड फट गया हो और उसमे से गरम गरम आग का लावा फूट कर निकल गया हो, मैं एक हल्की चीख के साथ लज़्जत के नशे मे डूबता चला गया और एक दम नजमा पर लेट कर साकित हो गया,

मैं तो ठंडा हो गया था मगर नजमा मुझे नोचती हुई नीचे से धक्के पर धक्का लगा रही थी
और मुझे बूरी तरह नोच रही थी, पहले मुझे नजमा के नोचने का एहसास भी नही हो रहा था मगर अब तकलीफ़ महसूस करने लगा था और जल्दी से नजमा के ऊपर से लुढ़क कर उसके ऊपर से उतर कर उसके बराबर लेट गया. नजमा थोड़ी देर चुप चाप उसी तरह लेटी रही, फिर वो आहिस्ता से उठ कर बिस्तर की चादर से अपनी चूत और रानों पर लगे हुए मेरे वीर्य को सॉफ कर के अपने कपड़े पहन ने लगी, उसका चेहरा आग की तरह लाल हो रहा था, इतना तो मुझे मालूम ही था कि मैं अपना लंड उसकी चूत मे नहीं घुसा सका हूँ और बे-इंतेहा जज़्बात मे होने की वजह से फ़ौरन और बाहर ही झड गया हूँ, मैं फ़ौरन नजमा का हाथ पकड़ कर उसे शलवार पहेनने से रोकते हुए बोला,

"नजमा मैं जानता हूँ कि मेरा लंड तुम्हारी चूत मे नहीं घुसा था और तुम्हे चोदे बगैर मैं ठंडा हो गया, देखो आज से पहले मैं ने कभी किसी लड़की को नहीं चोदा था इसलिए मुझे कोई तजुर्बा तो था नही और मैं चूं-कि बहुत गरम था इसलिए चोदे बगैर खलास हो गया, नातजुर्बेदारी मे यह पहली बार हो जाता है. अब देखना इस बार तुम्हें कितने ज़बरदस्त तरीक़े से चोदुन्गा और तुम्हारी गर्मी भी निकाल दूँगा",

यह कहता हुआ मैने शलवार नजमा के हाथ से ले कर बिस्तर पर एक तरफ रख कर नजमा को खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया, नजमा कुछ नही बोली और मुझ पर लेटते ही मुझ से लिपट गयी, और हांपते हुए अपनी चूत को मेरी रानो से रगड़ते हुए बडबडाइ,

"शहाब कुछ करो मेरे अंदर कुछ होरहा है, मेरे अंदर आग लगी हुई है समझ मे नही आरहा है क्या करूँ",

फ़िक्र मत करो तुम्हारी बेचैनी और आग चुदवाते ही ख़तम हो जाए गी, बस अभी [5] मिनट मे जैसे ही मेरा लंड खड़ा होगा मैं तुम्हारी चूत मे
घुसा कर तुम्हारी सारी बेचैनी ख़तम कर दूँगा,"

"अगर मम्मी आ गई तो"'

"मम्मी के आने मे अभी देर है और उनके आने से पहले ही तुम्हे चोद लूँगा"
 
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