desiaks
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“दद्देखो रज़िया अब जो होना था वो तो हो चुका है, गुज़रा हुआ वक़्त वापस नही आ सकता है, अब तो सिर्फ़ सबर और बर्दास्त कर के बाक़ी ज़िंदगी गुज़ारनी पड़ेगी.” मैने पापा को लल्जाइ और खुशामीदना अंदाज़ मे कहते सुना. पापा इस लहजे मे मम्मी की खुशमाद भी कर सकते थे यह मैं सोच भी नही सकता था, वो तो हमेशा शेर की तरह गुर्रा कर और सख़्त लहजे मे डाँट कर बात करने के आदि थे. जवाब मे मम्मी ने
जो कुछ और जिस लफ़ज़ो और लहजे मे पापा से कहा उसे सुन कर मेरा मूँह हैरत से फटे का फटा रह गया, मम्मी एक दीवानगी के आलम
मे रोते हुए कहने लगी,
“आप मुझ से सबर और बर्दास्त की बात करते है, आपको यह बात कहते हुए जर्रा बराबर शरम नही आई, आप तो चार साल पहले ही पूरी तरह ना मर्द हो कर औरत के क़ाबिल नही रह गये थे तो क्या मैं पिछले चार साल से सबर नही कर रही हूँ? मैं जानती हूँ और मेरा दिल जानता है कि पिछले चार सालो से हर रात किस तरह आग मे जल जल कर गुज़ारा है, औरत को सिर्फ़ पैसा और अच्छी ज़िंदगी ही नही
चाहिए उसे एक ऐसा मर्द भी चाहिए जो उसकी जवानी की आग को बुझा सके. आप तो बूढ़े हो गये हैं और मुझ पर तो सही मायनो मे अब
जवानी अपने शबाब पर आई है अब खुद इंसाफ़ से बोलिए कि मैं क्या करूँ.”
यह सब रोना धोना पूरे एक घंटे तक चलता रहा फिर पापा वापस दुकान चले गये, उनके जाने के बाद मैने देखा कि मम्मी बाहर का दरवाज़ा बंद करने भी अपने कमरे से नही निकली तो मैं मौका मुनासिब समझ कर आहिस्ता से अपने कमरे से निकल कर घर से बाहर चला गया,
मम्मी को मेरे आने और जाने का पता भी नही चला इसलिए उनके ख्याल मे भी यह नही आ सकता था कि मैं सब कुछ सून चुका हूँ और
हर बात जान चुका हूँ.
इस वाक़ये के बाद मेरी समझ मे हर बात आ गई और मैं पूरी तरह समझ गया`कि मम्मी का झुकाव शाहजी की तरफ क्यूँ हो रहा है. वो चुदवाने के लिए पागल हो रही हैं, चूँकि वो इधर उधर नही जाती थी ना ही किसी मर्द से उनकी कोई दुआ सलाम थी एक सिर्फ़ शाहजी था
जिसका हमारे घर आना जाना था और वो एक खूबसूरत, लंबा चौड़ा, गोरा चिटा और ताक़तवर मर्द था इसलिए मम्मी का झुकाव शाहजी की तरफ हो गया था.
इस बात को हुए तक़रीबान 10 दिन से ज़्यादा गुज़र गये फिर मैने यह बात सब से पहले नजमा को बताई, नजमा ने जब पूरी बात सूनी तो वो
भी हैरान रह गयी और एक गहरा साँस ले कर बोली, “शहाब मुझे तो मम्मी पर बहुत तरस आ रहा है, मगर हम कर भी क्या सकते हैं,”
मैं एक गहरी मुस्कुराहट और नज़रो से नजमा की तरफ देख कर कहा, “नजमा मेरे दिमाग़ मे एक प्लान है, अगर जैसा मैं सोच रहा हूँ उसी तरह सब कुछ हो गया तो यह समझ लो कि इस मे मम्मी की हर तकलीफ़ ख़तम हो जाएगी और हम दोनो पूरी आज़ादी से दिल खोल कर चुदाई का मज़ा जब चाहें ले सकें गे.”
नजमा बहुत हैरानगी से मेरी तरफ देख कर पूछी, “मैं तुम्हारा मतलब बिल्कुल नही समझी, मुझे सॉफ सॉफ सब कुछ बताओ.”
“मम्मी को शाहजी से चुदवा दिया जाए और ऊन्हें यह मालूम हो कि हमें मालूम है कि वो शाहजी से चुदवा रही हैं तो उन्हें हमारा मूँह बंद रखने के लिए हमें चुदाई की पूरी आज़ादी देनी पड़े गी, कहो कैसा है यह प्लान?” मेरे दिमाग़ मे पिछले कुछ दिनो से जो खिचड़ी पक रही थी वो खुल कर नजमा को बता दिया.
मेरे पूरे प्लान को सुन कर नजमा का मूँह हैरत और गैर यक़ीनी से खुले का खुला रह गया और वो अपने सर को दाएँ बाएँ (लेफ्ट आंड राइट) हिलाते हुए हकलाती हुई बोलने लगी, “त्त्त्तुम्हारा दिमाग़ खराब होगया है और तुम बिल्कुल पागल हो गये हो वरना तुम इसतरह की बात करना
तो दूर चूचते भी नही, कोई दूसरी औरत होती तो मुमकिन था मगर मम्मी जो आज तक किसी गैर मरद से बात भी नही करती हैं और तुम
उनको शाहजी से चुदवाने की बात कर रहे हो.”
जो कुछ और जिस लफ़ज़ो और लहजे मे पापा से कहा उसे सुन कर मेरा मूँह हैरत से फटे का फटा रह गया, मम्मी एक दीवानगी के आलम
मे रोते हुए कहने लगी,
“आप मुझ से सबर और बर्दास्त की बात करते है, आपको यह बात कहते हुए जर्रा बराबर शरम नही आई, आप तो चार साल पहले ही पूरी तरह ना मर्द हो कर औरत के क़ाबिल नही रह गये थे तो क्या मैं पिछले चार साल से सबर नही कर रही हूँ? मैं जानती हूँ और मेरा दिल जानता है कि पिछले चार सालो से हर रात किस तरह आग मे जल जल कर गुज़ारा है, औरत को सिर्फ़ पैसा और अच्छी ज़िंदगी ही नही
चाहिए उसे एक ऐसा मर्द भी चाहिए जो उसकी जवानी की आग को बुझा सके. आप तो बूढ़े हो गये हैं और मुझ पर तो सही मायनो मे अब
जवानी अपने शबाब पर आई है अब खुद इंसाफ़ से बोलिए कि मैं क्या करूँ.”
यह सब रोना धोना पूरे एक घंटे तक चलता रहा फिर पापा वापस दुकान चले गये, उनके जाने के बाद मैने देखा कि मम्मी बाहर का दरवाज़ा बंद करने भी अपने कमरे से नही निकली तो मैं मौका मुनासिब समझ कर आहिस्ता से अपने कमरे से निकल कर घर से बाहर चला गया,
मम्मी को मेरे आने और जाने का पता भी नही चला इसलिए उनके ख्याल मे भी यह नही आ सकता था कि मैं सब कुछ सून चुका हूँ और
हर बात जान चुका हूँ.
इस वाक़ये के बाद मेरी समझ मे हर बात आ गई और मैं पूरी तरह समझ गया`कि मम्मी का झुकाव शाहजी की तरफ क्यूँ हो रहा है. वो चुदवाने के लिए पागल हो रही हैं, चूँकि वो इधर उधर नही जाती थी ना ही किसी मर्द से उनकी कोई दुआ सलाम थी एक सिर्फ़ शाहजी था
जिसका हमारे घर आना जाना था और वो एक खूबसूरत, लंबा चौड़ा, गोरा चिटा और ताक़तवर मर्द था इसलिए मम्मी का झुकाव शाहजी की तरफ हो गया था.
इस बात को हुए तक़रीबान 10 दिन से ज़्यादा गुज़र गये फिर मैने यह बात सब से पहले नजमा को बताई, नजमा ने जब पूरी बात सूनी तो वो
भी हैरान रह गयी और एक गहरा साँस ले कर बोली, “शहाब मुझे तो मम्मी पर बहुत तरस आ रहा है, मगर हम कर भी क्या सकते हैं,”
मैं एक गहरी मुस्कुराहट और नज़रो से नजमा की तरफ देख कर कहा, “नजमा मेरे दिमाग़ मे एक प्लान है, अगर जैसा मैं सोच रहा हूँ उसी तरह सब कुछ हो गया तो यह समझ लो कि इस मे मम्मी की हर तकलीफ़ ख़तम हो जाएगी और हम दोनो पूरी आज़ादी से दिल खोल कर चुदाई का मज़ा जब चाहें ले सकें गे.”
नजमा बहुत हैरानगी से मेरी तरफ देख कर पूछी, “मैं तुम्हारा मतलब बिल्कुल नही समझी, मुझे सॉफ सॉफ सब कुछ बताओ.”
“मम्मी को शाहजी से चुदवा दिया जाए और ऊन्हें यह मालूम हो कि हमें मालूम है कि वो शाहजी से चुदवा रही हैं तो उन्हें हमारा मूँह बंद रखने के लिए हमें चुदाई की पूरी आज़ादी देनी पड़े गी, कहो कैसा है यह प्लान?” मेरे दिमाग़ मे पिछले कुछ दिनो से जो खिचड़ी पक रही थी वो खुल कर नजमा को बता दिया.
मेरे पूरे प्लान को सुन कर नजमा का मूँह हैरत और गैर यक़ीनी से खुले का खुला रह गया और वो अपने सर को दाएँ बाएँ (लेफ्ट आंड राइट) हिलाते हुए हकलाती हुई बोलने लगी, “त्त्त्तुम्हारा दिमाग़ खराब होगया है और तुम बिल्कुल पागल हो गये हो वरना तुम इसतरह की बात करना
तो दूर चूचते भी नही, कोई दूसरी औरत होती तो मुमकिन था मगर मम्मी जो आज तक किसी गैर मरद से बात भी नही करती हैं और तुम
उनको शाहजी से चुदवाने की बात कर रहे हो.”