hotaks444
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अलका उसकी आँखो मे देखती हुई, देख रवि अब बहुत मज़ाक हो गया, अब तुझे सुधर जाना चाहिए, ये तू भी जानता है कि तू ग़लत है, उसके बाद भी तू ग़लतियो से सबक लेने की बजाय ग़लती पर ग़लती करता जा रहा है,
रवि-दीदी क्या किसी लड़की से प्यार करना ग़लत है,
अलका -किसी लड़की से प्यार करना ग़लत नही है लेकिन अपनी बहन से प्यार करना ग़लत है,
रवि-पर दीदी मैं तुम्हारे बिना नही रह सकता,
अलका -ये सब बेकार की बातें है, अभी तुझसे कोई लड़की फस जाएगी तो तू अपनी बहन से भी किनारा कर लेगा,
रवि- दीदी तुम्हे अपने भाई पर भरोसा नही है,
अलका -बिल्कुल नही,
रवि -तो मैं ऐसा क्या करूँ कि तुम्हे मुझ पर भरोसा हो जाए,
अलका कुछ सोचते हुए, मुझे नही पता,
रवि- अच्छा क्या तुम मुझे पसंद नही करती,
अलका- नही,
रवि-तो ठीक है दीदी अब मैं तुम्हे परेशान नही करूँगा, लेकिन एक बाद याद रखना की मेरा प्यार सच्चा है इसमे कोई फरेब नही है, मैं आज तुमसे जितना प्यार करता हूँ उतना ही प्यार सारी जिंदगी करता रहूँगा और मेरे दिल मे जो जगह तुम्हारे लिए है वह जगह दुनिया की कोई लड़की नही ले सकती है, रवि अपने सीने पर हाथ रख कर आइ लव यू दीदी दिल से और उसकी आँखे भर आती है और वह वहाँ से चला जाता है,
अलका का चेहरा सीरीयस हो जाता है, और वह परेशान हो जाती है उसका दिल और दिमाग़ काम करना बंद कर देते है, वो थोड़ी देर वही खड़ी रह कर सोचती रहती है, अलका की हालत खराब हो जाती है उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ रवि ही घूमता रहता है, वह चिड कर बाल्कनी पर गुस्से मे अपना हाथ मारती है और बड़बड़ाती हुई इस लड़के ने तो मेरा दिमाग़ खराब कर दिया है, मैं भी पागल हूँ जब देखो इसी के ख्यालो मे डूबी रहती हूँ और अपने रूम मे आकर बेड पर लेट जाती है,
रात को खाने के वक़्त अलका रवि को देखती रहती है लेकिन रवि उसकी ओर कोई ध्यान नही देता और खाने मे बिज़ी रहता
है, अलका खाना आधा छोड़ कर उठने लगती है तो
रति- क्या हुआ बेटा खाना क्यो नही खाया,
अलका-मम्मी आज मन नही कर रहा है,
रति- तेरी तबीयत तो ठीक है ना,
अलका- हाँ मम्मी बस आज भूक नही है, और अपने रूम की ओर चली जाती है,
रति : बेटे रवि तुमने अलका को तो कुछ नही कहा ना,
रवि -नही मम्मी हो सकता है उसके पेट मे दर्द हो, और रवि खाना खा कर बालकनी मे आकर खड़ा हो जाता है, रवि मन ही मन सोचता है, अलका ऐसे हाथ आने वाली नही है पर अगर यह मुझसे थोड़ा भी प्यार अगर करती होगी तो वह ज़रूर मुझे ढूढ़ती हुई इधर आएगी,
अलका अपने बेड पर लेटी लेटी अपनी बुक पढ़ रही थी लेकिन उसे बुक मे बार बार रवि का चेहरा नज़र आ रहा था, वह बहुत बैचेनी महसूस कर रही थी, वह किताब को बंद करके रख देती है, रात के करीब 10 बज रहे थे, अलका अपने रूम से निकल कर आस पास देखती है और फिर धीरे से रवि के रूम की ओर जाती है रवि अपने बेड पर नही होता है तब अलका अपनी मम्मी के रूम की ओर जाकर अंदर देखती है उसकी मम्मी मामा के साथ गल-बहियाँ करे बैठी थी..
, अलका सोचने लगती है रवि कहाँ गया फिर वह वापस आकर बाथरूम का दरवाजा चेक करती है वह भी ओपन रहता है तभी अलका की नज़र बालकनी की ओर जाती है और वह बालकनी की ओर चल देती है,
अलका-रवि अभी तक सोया नही,
रवि पलट कर देखता है और उसका दिल खुस हो जाता है वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए तुम्हे इससे क्या मैं कुछ भी करूँ,
अलका -उसके पास आकर क्या बात है बहुत नाराज़ दिख रहा है,
रवि -मुझे क्या हक है तुमसे नाराज़ होने का,
अलका -हूँ तो ये बात है, जनाब का गुस्सा हम पर कुछ ज़्यादा ही लग रहा है, खेर मैं तो ये कहने आई थी कि
कल हम पिक्चर देखने चले क्या,
रवि -मुझे नही जाना पिक्चर,
अलका -ठीक है तुम मत देखना तुम सिनिमा हाल मे सो जाना पर मुझे तो दिखा लाओ,
रवि -कॉन सी मूवी देखनी है,
अलका- हम दिल दे चुके सनम,
रवि -क्या,
अलका- अरे भाई पिक्चर का नाम है,
रवि -ठीक है लेकिन हम कॉलेज से ही मूवी देखने चले जाएगे,
अलका- ओके,
रवि- ठीक है सुबह जल्दी उठ जाना कॉलेज भी चलना है,
अलका- ओके बाबा अब मैं जाती हूँ सोने गुड नाइट,
रवि- धीमी आवाज़ मे कितना रंग बदलती हो,
अलका पलट कर तुमने कुछ कहा,
रवि- नही नही गुड नाइट,
और अलका अपनी मस्तानी गान्ड हिलाते हुए जाने लगती है और रवि मन ही मन मुस्कुराता हुआ उसकी मस्तानी गान्ड को देखते हुए दीदी अगर तुमने मुझे पलट कर देखा तो मैं समझुगा कि तुम्हारे दिल मे मैं अपनी मोहब्बत की चिंगारी लगा चुका हूँ,
रवि-दीदी क्या किसी लड़की से प्यार करना ग़लत है,
अलका -किसी लड़की से प्यार करना ग़लत नही है लेकिन अपनी बहन से प्यार करना ग़लत है,
रवि-पर दीदी मैं तुम्हारे बिना नही रह सकता,
अलका -ये सब बेकार की बातें है, अभी तुझसे कोई लड़की फस जाएगी तो तू अपनी बहन से भी किनारा कर लेगा,
रवि- दीदी तुम्हे अपने भाई पर भरोसा नही है,
अलका -बिल्कुल नही,
रवि -तो मैं ऐसा क्या करूँ कि तुम्हे मुझ पर भरोसा हो जाए,
अलका कुछ सोचते हुए, मुझे नही पता,
रवि- अच्छा क्या तुम मुझे पसंद नही करती,
अलका- नही,
रवि-तो ठीक है दीदी अब मैं तुम्हे परेशान नही करूँगा, लेकिन एक बाद याद रखना की मेरा प्यार सच्चा है इसमे कोई फरेब नही है, मैं आज तुमसे जितना प्यार करता हूँ उतना ही प्यार सारी जिंदगी करता रहूँगा और मेरे दिल मे जो जगह तुम्हारे लिए है वह जगह दुनिया की कोई लड़की नही ले सकती है, रवि अपने सीने पर हाथ रख कर आइ लव यू दीदी दिल से और उसकी आँखे भर आती है और वह वहाँ से चला जाता है,
अलका का चेहरा सीरीयस हो जाता है, और वह परेशान हो जाती है उसका दिल और दिमाग़ काम करना बंद कर देते है, वो थोड़ी देर वही खड़ी रह कर सोचती रहती है, अलका की हालत खराब हो जाती है उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ रवि ही घूमता रहता है, वह चिड कर बाल्कनी पर गुस्से मे अपना हाथ मारती है और बड़बड़ाती हुई इस लड़के ने तो मेरा दिमाग़ खराब कर दिया है, मैं भी पागल हूँ जब देखो इसी के ख्यालो मे डूबी रहती हूँ और अपने रूम मे आकर बेड पर लेट जाती है,
रात को खाने के वक़्त अलका रवि को देखती रहती है लेकिन रवि उसकी ओर कोई ध्यान नही देता और खाने मे बिज़ी रहता
है, अलका खाना आधा छोड़ कर उठने लगती है तो
रति- क्या हुआ बेटा खाना क्यो नही खाया,
अलका-मम्मी आज मन नही कर रहा है,
रति- तेरी तबीयत तो ठीक है ना,
अलका- हाँ मम्मी बस आज भूक नही है, और अपने रूम की ओर चली जाती है,
रति : बेटे रवि तुमने अलका को तो कुछ नही कहा ना,
रवि -नही मम्मी हो सकता है उसके पेट मे दर्द हो, और रवि खाना खा कर बालकनी मे आकर खड़ा हो जाता है, रवि मन ही मन सोचता है, अलका ऐसे हाथ आने वाली नही है पर अगर यह मुझसे थोड़ा भी प्यार अगर करती होगी तो वह ज़रूर मुझे ढूढ़ती हुई इधर आएगी,
अलका अपने बेड पर लेटी लेटी अपनी बुक पढ़ रही थी लेकिन उसे बुक मे बार बार रवि का चेहरा नज़र आ रहा था, वह बहुत बैचेनी महसूस कर रही थी, वह किताब को बंद करके रख देती है, रात के करीब 10 बज रहे थे, अलका अपने रूम से निकल कर आस पास देखती है और फिर धीरे से रवि के रूम की ओर जाती है रवि अपने बेड पर नही होता है तब अलका अपनी मम्मी के रूम की ओर जाकर अंदर देखती है उसकी मम्मी मामा के साथ गल-बहियाँ करे बैठी थी..
, अलका सोचने लगती है रवि कहाँ गया फिर वह वापस आकर बाथरूम का दरवाजा चेक करती है वह भी ओपन रहता है तभी अलका की नज़र बालकनी की ओर जाती है और वह बालकनी की ओर चल देती है,
अलका-रवि अभी तक सोया नही,
रवि पलट कर देखता है और उसका दिल खुस हो जाता है वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए तुम्हे इससे क्या मैं कुछ भी करूँ,
अलका -उसके पास आकर क्या बात है बहुत नाराज़ दिख रहा है,
रवि -मुझे क्या हक है तुमसे नाराज़ होने का,
अलका -हूँ तो ये बात है, जनाब का गुस्सा हम पर कुछ ज़्यादा ही लग रहा है, खेर मैं तो ये कहने आई थी कि
कल हम पिक्चर देखने चले क्या,
रवि -मुझे नही जाना पिक्चर,
अलका -ठीक है तुम मत देखना तुम सिनिमा हाल मे सो जाना पर मुझे तो दिखा लाओ,
रवि -कॉन सी मूवी देखनी है,
अलका- हम दिल दे चुके सनम,
रवि -क्या,
अलका- अरे भाई पिक्चर का नाम है,
रवि -ठीक है लेकिन हम कॉलेज से ही मूवी देखने चले जाएगे,
अलका- ओके,
रवि- ठीक है सुबह जल्दी उठ जाना कॉलेज भी चलना है,
अलका- ओके बाबा अब मैं जाती हूँ सोने गुड नाइट,
रवि- धीमी आवाज़ मे कितना रंग बदलती हो,
अलका पलट कर तुमने कुछ कहा,
रवि- नही नही गुड नाइट,
और अलका अपनी मस्तानी गान्ड हिलाते हुए जाने लगती है और रवि मन ही मन मुस्कुराता हुआ उसकी मस्तानी गान्ड को देखते हुए दीदी अगर तुमने मुझे पलट कर देखा तो मैं समझुगा कि तुम्हारे दिल मे मैं अपनी मोहब्बत की चिंगारी लगा चुका हूँ,