hotaks444
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बहन की इच्छा—14
गतान्क से आगे…………………………………..
पह'ली बार मेरे लंड ने मेरी बहन की चूत को छुआ था. मेरे लंड का ऊर्मि दीदी के चूत को हुआ स्पर्श उसे उत्तेजीत कर'नेवाला था और मुझे पागल कर'नेवाला था. "शसस" ऐसा कर'ते कर'ते वो अप'ने घुट'नेपर उप्पर हो गई मानो उसकी चूत को कोई गरम रग छू रहा था. मुझे ज़्यादा उत्तेजीत होकर जल्दी झड़ना नही था इस'लिए में भी अप'नी भावनाएँ काबू कर रहा था. मेने दो तीन बार मेरा लंड उसकी चूत के दाने पर रगड़ दिया और फिर मेने मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के छेद पर रख दिया. में उसकी चूत के छेद में लंड घुसाने की कोशीष कर'ने लगा लेकिन वो अंदर नही जा रहा था.
फिर ऊर्मि दीदी अप'नी टाँगों के बीच में अपना हाथ ले गयी और उस'ने मेरा लंड पकड़ लिया. अपना एक पाँव थोड़ा उप्पर करके उस'ने मेरे लंड का सुपाड़ा अप'नी चूत के छेद में घुसाते हुए सही जगह रख दिया. जैसे जैसे में धक्का देने लगा वैसे वैसे मेरा लंड मेरी बहन की चूत में लूप्त हो गया. जाहिर था के वो काफ़ी उत्तेजीत थी जिस'से उसकी चूत अच्छी ख़ासी गीली हो गई थी और इसी लिए मेरा लंड उसकी चूत में बड़ी आसानी से घुस गया था.
मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में था ऊर्मि दीदी बड़े आराम के साथ मेरा लंड अप'नी चूत में लिए मेरे उप्पर लेटी हुई थी. उसकी टाइट गीली चूत ने मेरे लंड को अच्छी तरह से घेर लिया था. जैसे किसी ने उसे जाकड़ लिया हो. कुच्छ पल के लिए हम वैसे ही पड़े रहे. फिर में मेरी कमर उप्पर नीचे हिलाने लगा और मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर कर'ने की कोशीष कर'ने लगा. वो झट से उठ गयी और उस'ने अप'ने चुत्तऱ थोड़े उठा लिए. अब मुझे जगह मिली और में उसके दोनो चुत्तऱ पकड़ के उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर'ने लगा.
उस'ने मेरे कंधे पर हाथ रखे और वो भी मेरे धक्के के साथ उप्पर नीचे होने लगी.
"नही.नही. दीदी! तुम ऐसे नही कर'ना. इससे में ज़्यादा उत्तेजीत हो जाउन्गा.. तुम अप'नी चूत का दाना मेरे लंड के उपर के भाग पर घिसो. उस से तुम्हें ज़्यादा उत्तेजना मिलेगी. हाँ. ऐसे ही. आगे पिछे. बराबर." मेने जैसे बताया वैसे ऊर्मि दीदी कर'ने लगी उसके ध्यान में आया के इस पोज़ीशन में वो कैसे अपना चूत'दाना मेरे लंड के उप्पर घिस सक'ती है और उत्तेजना प्राप्त कर सक'ती है उसकी रफ़्तार बढ़ गई.
नीचे में पीठ'पर लेटा हुआ था ऊर्मि दीदी मेरी कमर पर बैठी थी मेरा लंड जड़ तक उसकी चूत में था. वो आगे पिछे होकर अपना चूत'दाना मेरे लंड के उप्परी भाग पर घिस रही थी. में उप्पर देख'कर उसे निहार'ने लगा. उस'ने अप'नी आँखें ज़ोर से बंद कर ली थी.
अपना चेह'रा उप्पर कर के दाँतों से अप'ने होठों को काट'कर वो आगे पिछे हो रही थी. आगे पिछे होने से उसकी छाती के बड़े बड़े उभार हिचकोले खा रहे थे. कभी कभी मैं उसकी कमर'पर हाथ फिरा रहा था तो कभी उसके चूतड़'पर. कभी में उसके छाती के उभारो को निचोड़ता था तो कभी उसके उप्पर के निप्पल को उंगलीयों में पकड़'कर मसलता था.
ऊर्मि दीदी की स्पीड बढ़ गयी अब वो ज़्यादा ही ज़ोर से आगे पिछे होने लगी. उस'को सहारा देने के लिए मेने उसकी उंगलीयों में अप'नी उंगलीया फँसाई और उसके दोनो हाथ ज़ोर से पकड़ लिए. मेरे हाथ के नीचे का भाग मेने बेड'पर रखा हुआ था और में उसके हाथों को सहारा दे रहा था. वो भी मेरे हाथ ज़ोर से पकड़'कर उसके सहारे आगे पिछे हो रही थी. उसके मूँ'ह से सिस'कीया बाहर निकल'ने लगी. मेने नीचे मेरी कमर कस के रखी थी जिस'से उसे अपना चूत'दाना घिसते सम'य एक कड़ा आधार मिला रहा था.
उसकी सिस'कीया बढ़'ने लगी. अब वो हल'की चिन्खो में बदल गई. मेने जान लिया के अब उसके स्त'खलन का समय आया है. 'अहहा' 'उहहाहा' कर'ते कर'ते वो ज़ोर से मेरे लंड पर अप'नी चूत घिस'ने लगी. अचानक उसके मूँ'ह से एक हल'की चीख बाहर निकली और उस'का बदन कड़ा हो गया. उस'का बदन काँप रहा था ये मेने अनुभाव किया. ऊर्मि दीदी झाड़ गई थी! उसकी काम्त्रिप्ती हो गई थी!! धीरे धीरे उसकी गती कम कम होती गई. एक आखरी लंबी साँस छोड़'कर उस'का बदन ढीला हो गया और वो मेरे बदन पर गिर गई. मेने उसकी पीठ'पर मेरे हाथों से आलींगन किया और उसे ज़ोर से बाँहों में भींच लिया. मेरा कड़ा लंड अब भी उसकी चूत में था थोड़ी देर हम दोनो वैसे ही पड़े रहे.
कुच्छ समय बाद में अप'ने हाथ आगे ले गया और ऊर्मि दीदी के चुत्तऱ पकड़'कर मेने उसकी कमर थोड़ी उप्पर उठाई. उसे उप्पर उठाने से मेरा आधा लंड उसकी चूत से बाहर हो गया. अब में कमर हिला के नीचे से धक्के देने लगा और उसकी चूत चोद'ने लगा. मेरे पैर घुट'ने में थोड़े मोड़'कर में पैरो के सहारे कमर हिला रहा था और उसकी चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था. वो वैसे ही शांत पड़ी थी में नीचे उसे चोद रहा था और उस धक्के से उस'का बदन उप्पर नीचे हो रहा था.
उसके छाती के उभार मेरी छातीपर दब गये थे और उस'का बदन उप्पर नीचे होने की वजह से मेरी छाती को उसकी छाती का मसाज मिल रहा था.
धीरे धीरे ऊर्मि दीदी वापस गरम होने लगी. मेरे चोद'ने से जो धक्के उसकी चूत'पर बैठ रहे थे उस'से उस'का चूत'दाना भी थोड़ा घिस रहा था. वो झट से उठ गई मेरी उंगलीयों में अप'नी उंगलीया फँसाकर उस'ने मेरा हाथ वापस पकड़ लिया और पह'ले जैसे वो अपना चूत'दाना मेरे लंड के उप्पर घिस'ने लगी. में जित'नी ज़ोर से नीचे से उसे चोद रहा था उत'ने ही ज़ोर से वो उप्पर से नीचे अप'नी चूत घिस रही थी. थोड़ी देर हम दोनो एक दूसरे के साथ ऐसे कर'ते रहे लेकिन आख़िर में रुक गया क्योंकी वो उप्पर थी इस'लिए वो अप'नी चूत'पर लगा धक्का उप्पर उठ के झेल'ती थी. लेकिन जब वो नीचे होकर मेरे लंड'पर ज़ोर देती थी तब मुझे तकलीफ़ होती थी इस'लिए मेने हार मानी और चुप'चाप पड़ा रहा, अप'नी कमर को कस के पकड़'कर मेने मॅन ही मन कहा के बाद मे जब में उसके बदन पर लेट कर उसे चोदून्गा तब में इस बात का बदला लूँगा.
पह'ले जैसी ऊर्मि दीदी की रफ़्तार बढ़ गई. इस बार वो कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर लगा रही थी. उसके मूँ'ह से अजीबसी आवाज़े आने लगी. मेने बड़ी मुश्कील से अप'ने आप को संभाल रखा था. दिल कहा रहा था के उसे चोद के में भी उसके साथ झाड़ जाउ लेकिन मुझे इत'ने जल्दी मेरा पानी छोड़ना नही था. मुझे मेरी बहन को मेरे बदन के नीचे लेकर चोदना था और फिर उसकी चूत में मेरा वीर्य मुझे छोड़ना था.
गतान्क से आगे…………………………………..
पह'ली बार मेरे लंड ने मेरी बहन की चूत को छुआ था. मेरे लंड का ऊर्मि दीदी के चूत को हुआ स्पर्श उसे उत्तेजीत कर'नेवाला था और मुझे पागल कर'नेवाला था. "शसस" ऐसा कर'ते कर'ते वो अप'ने घुट'नेपर उप्पर हो गई मानो उसकी चूत को कोई गरम रग छू रहा था. मुझे ज़्यादा उत्तेजीत होकर जल्दी झड़ना नही था इस'लिए में भी अप'नी भावनाएँ काबू कर रहा था. मेने दो तीन बार मेरा लंड उसकी चूत के दाने पर रगड़ दिया और फिर मेने मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के छेद पर रख दिया. में उसकी चूत के छेद में लंड घुसाने की कोशीष कर'ने लगा लेकिन वो अंदर नही जा रहा था.
फिर ऊर्मि दीदी अप'नी टाँगों के बीच में अपना हाथ ले गयी और उस'ने मेरा लंड पकड़ लिया. अपना एक पाँव थोड़ा उप्पर करके उस'ने मेरे लंड का सुपाड़ा अप'नी चूत के छेद में घुसाते हुए सही जगह रख दिया. जैसे जैसे में धक्का देने लगा वैसे वैसे मेरा लंड मेरी बहन की चूत में लूप्त हो गया. जाहिर था के वो काफ़ी उत्तेजीत थी जिस'से उसकी चूत अच्छी ख़ासी गीली हो गई थी और इसी लिए मेरा लंड उसकी चूत में बड़ी आसानी से घुस गया था.
मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में था ऊर्मि दीदी बड़े आराम के साथ मेरा लंड अप'नी चूत में लिए मेरे उप्पर लेटी हुई थी. उसकी टाइट गीली चूत ने मेरे लंड को अच्छी तरह से घेर लिया था. जैसे किसी ने उसे जाकड़ लिया हो. कुच्छ पल के लिए हम वैसे ही पड़े रहे. फिर में मेरी कमर उप्पर नीचे हिलाने लगा और मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर कर'ने की कोशीष कर'ने लगा. वो झट से उठ गयी और उस'ने अप'ने चुत्तऱ थोड़े उठा लिए. अब मुझे जगह मिली और में उसके दोनो चुत्तऱ पकड़ के उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर'ने लगा.
उस'ने मेरे कंधे पर हाथ रखे और वो भी मेरे धक्के के साथ उप्पर नीचे होने लगी.
"नही.नही. दीदी! तुम ऐसे नही कर'ना. इससे में ज़्यादा उत्तेजीत हो जाउन्गा.. तुम अप'नी चूत का दाना मेरे लंड के उपर के भाग पर घिसो. उस से तुम्हें ज़्यादा उत्तेजना मिलेगी. हाँ. ऐसे ही. आगे पिछे. बराबर." मेने जैसे बताया वैसे ऊर्मि दीदी कर'ने लगी उसके ध्यान में आया के इस पोज़ीशन में वो कैसे अपना चूत'दाना मेरे लंड के उप्पर घिस सक'ती है और उत्तेजना प्राप्त कर सक'ती है उसकी रफ़्तार बढ़ गई.
नीचे में पीठ'पर लेटा हुआ था ऊर्मि दीदी मेरी कमर पर बैठी थी मेरा लंड जड़ तक उसकी चूत में था. वो आगे पिछे होकर अपना चूत'दाना मेरे लंड के उप्परी भाग पर घिस रही थी. में उप्पर देख'कर उसे निहार'ने लगा. उस'ने अप'नी आँखें ज़ोर से बंद कर ली थी.
अपना चेह'रा उप्पर कर के दाँतों से अप'ने होठों को काट'कर वो आगे पिछे हो रही थी. आगे पिछे होने से उसकी छाती के बड़े बड़े उभार हिचकोले खा रहे थे. कभी कभी मैं उसकी कमर'पर हाथ फिरा रहा था तो कभी उसके चूतड़'पर. कभी में उसके छाती के उभारो को निचोड़ता था तो कभी उसके उप्पर के निप्पल को उंगलीयों में पकड़'कर मसलता था.
ऊर्मि दीदी की स्पीड बढ़ गयी अब वो ज़्यादा ही ज़ोर से आगे पिछे होने लगी. उस'को सहारा देने के लिए मेने उसकी उंगलीयों में अप'नी उंगलीया फँसाई और उसके दोनो हाथ ज़ोर से पकड़ लिए. मेरे हाथ के नीचे का भाग मेने बेड'पर रखा हुआ था और में उसके हाथों को सहारा दे रहा था. वो भी मेरे हाथ ज़ोर से पकड़'कर उसके सहारे आगे पिछे हो रही थी. उसके मूँ'ह से सिस'कीया बाहर निकल'ने लगी. मेने नीचे मेरी कमर कस के रखी थी जिस'से उसे अपना चूत'दाना घिसते सम'य एक कड़ा आधार मिला रहा था.
उसकी सिस'कीया बढ़'ने लगी. अब वो हल'की चिन्खो में बदल गई. मेने जान लिया के अब उसके स्त'खलन का समय आया है. 'अहहा' 'उहहाहा' कर'ते कर'ते वो ज़ोर से मेरे लंड पर अप'नी चूत घिस'ने लगी. अचानक उसके मूँ'ह से एक हल'की चीख बाहर निकली और उस'का बदन कड़ा हो गया. उस'का बदन काँप रहा था ये मेने अनुभाव किया. ऊर्मि दीदी झाड़ गई थी! उसकी काम्त्रिप्ती हो गई थी!! धीरे धीरे उसकी गती कम कम होती गई. एक आखरी लंबी साँस छोड़'कर उस'का बदन ढीला हो गया और वो मेरे बदन पर गिर गई. मेने उसकी पीठ'पर मेरे हाथों से आलींगन किया और उसे ज़ोर से बाँहों में भींच लिया. मेरा कड़ा लंड अब भी उसकी चूत में था थोड़ी देर हम दोनो वैसे ही पड़े रहे.
कुच्छ समय बाद में अप'ने हाथ आगे ले गया और ऊर्मि दीदी के चुत्तऱ पकड़'कर मेने उसकी कमर थोड़ी उप्पर उठाई. उसे उप्पर उठाने से मेरा आधा लंड उसकी चूत से बाहर हो गया. अब में कमर हिला के नीचे से धक्के देने लगा और उसकी चूत चोद'ने लगा. मेरे पैर घुट'ने में थोड़े मोड़'कर में पैरो के सहारे कमर हिला रहा था और उसकी चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था. वो वैसे ही शांत पड़ी थी में नीचे उसे चोद रहा था और उस धक्के से उस'का बदन उप्पर नीचे हो रहा था.
उसके छाती के उभार मेरी छातीपर दब गये थे और उस'का बदन उप्पर नीचे होने की वजह से मेरी छाती को उसकी छाती का मसाज मिल रहा था.
धीरे धीरे ऊर्मि दीदी वापस गरम होने लगी. मेरे चोद'ने से जो धक्के उसकी चूत'पर बैठ रहे थे उस'से उस'का चूत'दाना भी थोड़ा घिस रहा था. वो झट से उठ गई मेरी उंगलीयों में अप'नी उंगलीया फँसाकर उस'ने मेरा हाथ वापस पकड़ लिया और पह'ले जैसे वो अपना चूत'दाना मेरे लंड के उप्पर घिस'ने लगी. में जित'नी ज़ोर से नीचे से उसे चोद रहा था उत'ने ही ज़ोर से वो उप्पर से नीचे अप'नी चूत घिस रही थी. थोड़ी देर हम दोनो एक दूसरे के साथ ऐसे कर'ते रहे लेकिन आख़िर में रुक गया क्योंकी वो उप्पर थी इस'लिए वो अप'नी चूत'पर लगा धक्का उप्पर उठ के झेल'ती थी. लेकिन जब वो नीचे होकर मेरे लंड'पर ज़ोर देती थी तब मुझे तकलीफ़ होती थी इस'लिए मेने हार मानी और चुप'चाप पड़ा रहा, अप'नी कमर को कस के पकड़'कर मेने मॅन ही मन कहा के बाद मे जब में उसके बदन पर लेट कर उसे चोदून्गा तब में इस बात का बदला लूँगा.
पह'ले जैसी ऊर्मि दीदी की रफ़्तार बढ़ गई. इस बार वो कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर लगा रही थी. उसके मूँ'ह से अजीबसी आवाज़े आने लगी. मेने बड़ी मुश्कील से अप'ने आप को संभाल रखा था. दिल कहा रहा था के उसे चोद के में भी उसके साथ झाड़ जाउ लेकिन मुझे इत'ने जल्दी मेरा पानी छोड़ना नही था. मुझे मेरी बहन को मेरे बदन के नीचे लेकर चोदना था और फिर उसकी चूत में मेरा वीर्य मुझे छोड़ना था.