hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मैंने हामी में सिर हिलाते हुए प्रीती को अपने आलिँगन में ले लिया, और दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाँहों में भर लिया, और जिस तरह हमने कुछ देर पहले, चाट कर एक दूसरे की चूत लण्ड का पानी निकाला था, उस बारे में धीमे धीमे बात करने लगे।
वैसे ही कमर से नीचे नंगे होकर, एक दूसरे को बाँहों में भरकर आलिंगनबद्ध होकर जब हम लेटे हुए थे, तो कुछ देर बाद हम दोनों फिर से उत्तेजित होने लगे, और प्रीती ने मेरे ऊपर झकते हुए मेरे मुँह पर प्यार से अपने होंठो से एक मीठा किस कर लिया, जिससे मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया। मेरा सीधा हाथ जो कि उसकी कमर के पीछे था, उसको नीचे ले जाकर मैं उसकी गाँड़ की दरार में घुसाते हुए, उसकी चूत तक ले गया, जो फिर से पनियाने लगी थी। मैंने जब उसकी चूत के झाँटरहित बाहरी होंठों को सहलाते हुए, चूत से निकल रहे रस से उनको गीला करना शुरू किया, तो प्रीती मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी।
प्रीती अपना बाँया हाथ नीचे ले जाकर मेरे औजार को छूने लगी, जो फिर से खड़ा होने लगा था, वो और ज्यादा मुस्कुराते हुए बोली, “लो ये तो फिर से खड़ा हो गया, इसका तो कुछ करना ही पड़ेगा।” मैंने उसके चेहरे को पढने की कोशिश कि, उस पर आ रहे भाव हर पल बदल रहे थे, वो एक पल को कुछ सोचने लगी। प्रीती ने अपना थूक निगलते हुए कहा, “चलो एक बार फिर से उस रात की तरह फिर से प्यार करते हैं।”
अब मेरी थूक निगलने की बारी थी। “मैं सोच रहा था कि तुम ने ही तो कहा था कि हम फिर उस हद तक कभी नहीं जायेंगे,” मैंने ये बोल तो दिया, लेकिन मन ही मन सोच रहा था कि कहीं वो अपना मन ना बदल ले।
“हाँ, वो तो है,” प्रीती अपने निचले होंठ को काटते हुए, कुछ सोचते हुए बोली, “लेकिन अभी मेरे पीरियड होने में एक दो दिन बाकि हैं, तो फिर इस सेफ टाईम का हम फायदा उठा ही लेते हैं।”
“बात बनाना तो कोई तुम से सीखे,” मैने मुस्कुराते हुए उसकी चिकनी चूत को निहारते हुए कहा। मैं बरबस बेकाबू होने लगा था। तभी मुझे वो बात याद आ गयी कि जब मैंने पहली बार उसकी शेव की हुई चिकनी चूत देखी थी, तो किस तरह मेरा मन उस पर अपने लण्ड का सुपाड़ा घिसने का करने लगा था। पता नहीं क्यों मेरा वैसा ही करने का मन करने लगा।
मैंने ऊपर आते हुए प्रीती के कँधों पर अपने हाथ रख दिये, और उसको प्यार से पलट कर सीधा कर दिया, और फिर उसके होंठो पर अपने होंठों को दबाते हुए एक पल को उसको जोरों से चूम लिया, और फिर से मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच आ गया। उसकी झाँटरहित हाल ही में शेव की हुई चिकनी चूत थोड़ा सा खुली हुई थी, चूत का मुँह फूला हुआ था, उसमें से रस टपक रहा था, मैंने नीचे झुकते हुए उसके चिकने चूत के उभार को चूम लिया। सीधा बैठते हुए, मैंने प्यार से एक ऊँगली उसकी चूत में आधी घुसा दी, और फिर बाहर निकाल कर उस पर लगे चूत के रस को चाट लिया, ऐसा करते हुए मैंने प्रीती की तरफ देखा। वो मेरे फनफना कर ख़ड़े हुए लण्ड को एकटक देख रही थी, और फिर उसने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए एक गहरी लम्बी साँस ली।
एक बार फिर से नीचे आते हुए, मैं प्रीती के ऊपर आ गया, और एक बार फिर से अपना वजन अपनी कोन्हीयों पर ले लिया, और फिर प्यार से अपने व्याकुल कड़क लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया।प्रीती की पनियाती हुई चूत बहुत ज्यादा चिकनी हो रही थी, मैं उसकी चूत के मुहाने को अपने लण्ड के सुपाड़े के अग्रभाग से घिसने लगा, वो भी थोड़ा थोड़ा अपनी गाँड़ को ऊँचकाने लगी, इस तरह हम दोनों एक दूसरे को चुदाई के लिये तैयार करने लगे। इस तरह एक दूसरे को परेशान करते हुए मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था, हमारे यौनांग चूत और लण्ड एक दूसरे को चिढा रहे थे, और बीच बीच में प्रीती खिलखिला उठती, मैं किसी तरह उसकी चूत में हुमच कर अपना लण्ड पेल कर चोदने की हर पल बलवती हो रही तीव्र इच्छा पर काबू कर रहा था।
मैं चाहता तो उसी वक्त प्रीती की चूत में अपने वीर्य के बीज की बौछार कर उसमें बाढ ला देता, और उसकी चिकनी झाँटरहित चूत में से वीर्य टपक कर बाहर निकलने लगता, लेकिन मुझे मालूम था कि ऐसा करने से प्रीती को मजा नहीं आता, इस वजह से मैंने उस छेड़छाड़ के खेल को जारी रखा। थोड़ी थोड़ी देर बाद, मैं अपने लण्ड को थोड़ा और अंदर घुसा देता, प्रीती अपनी चूत पीछे कर लेती, और अपना सिर झटकते हुए कहती, “ओह विशाल, अभी नहीं,” और कभी जब वो अपनी मुलायम, भीगी, पनियाती चूत में मेरे लण्ड को थोड़ा और अंदर घुसाने की कोशिश करती, तो मैं अपने आप को पीछे कर लेता, और कहता, “मेरे लण्ड को थोड़ी दोस्ती तो कर लेने दो अपनी चूत से।” प्रीती के साथ एक दूसरे को तरसाने वाला वो सैक्सी खेल खेलने में बहुत मजा आ रहा था, चूत और लण्ड एक दूसरे को सहलाते हुए चिढाकर, एक दूसरे को चैलेंज कर रहे थे, और प्रीती की चूत के मुखाने पर मेरे लण्ड के छूने का एक अनूठा मस्त एहसास था। प्रीती की चूत इस कदर पनिया गयी थी, कि अब उससे रस टपकने लगा था।
कुछ देर बाद, हम दोनों पर ठरक इस कदर हावी हो गयी, कि फिर मेरे लण्ड और प्रीती की चूत का मिलन अत्यावश्क हो गया, और जिस चुदाई के लिये हम दोनों के बदन बेसब्र हो रहे थे , विवश होकर दोनों के शरीर का संभोग लाचारी बन चुका था। मैं प्रीती के ऊपर मिशनरी पोजीशन में छाया हुआ था, और मेरे लण्ड के सुपाड़े का थोड़ा सा आगे का हिस्सा उसकी चूत में घुसा हुआ था, मेरे बदन का रोम रोम मुझे धक्का मारकर अपनी बहन को चोदने पर विवश कर रहा था, और वो कह रही थी, “विशाल, पता है, मेरा क्या मन कर रहा है?”
“हाँ, कुछ कुछ समझ आ रहा है,” मैंने अपने लण्ड को चूत के अंदर घुसाते हुए कहा। ये सिर्फ दूसरा मौका था, जब मेरा लण्ड उसकी चूत के अंदर घुस रहा था, इसलिये मैं थोड़ा आराम आराम से कर रहा था। ये जानने के लिये कि प्रीती क्या कहना चाह रही थी, मैं एक पल को रुक गया।
“चलो, डॉगी स्टाईल में करते हैं,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, “जैसे मम्मी और चंदर मामा कर रहे थे वैसे, कितना मजा आ रहा था ना, उनको उस तरह करते हुए देखने में।”
मैं तो उसको उस तरह चोदने को बेसब्र था, लेकिन मैंने कहा, “मैंने सुना है कि उस स्टाईल में बहुत अंदर तक घुस जाता है, तुम तैयार हो, तुमको कोई तकलीफ तो नहीं होगी ना?”
“हाँ,” प्रीती ने जवाब दिया, “अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं तुमको बता दूँगी।” प्रीती मुस्कुरा कर मेरे प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
“ओके, तो फिर ठीक है,” मैंने कहा, “ट्राई कर के देखते हैं।”
मैंने अपना लण्ड प्रीती की चूत में से बाहर निकाला, और वो बैड के सिरहाने की तरफ मुँह कर के, अपने घुटनों के बल हो गयी। उसके पीछे मैं अपने घुटनों के बल आ गया, और उसकी सुंदर, गोल गाँड़ के साथ खुली हुई चूत, जिसके दोनों फूले हुए होंठ, जो रस में भीगकर चमक रहे थे, और मुझे आमंत्रित करते हुए प्रतीत हो रहे थे, ये सब देख मानो मेरी तो सांसें ही रुक गयीं। मैंने धीमे से आगे बढकर प्रीती की चूत को, ठीक चूत के अंदरूनी होंठो के बींचोबीच चूम लिया, उसकी चूत की मस्त मादक सुगंध को सूंघने लगा, और थोड़ा सा उसकी चूत का रस अपनी जीभ पर ले लिया। और इससे पहले कि हम दोनों दूसरी बार फिर से चुदाई शुरू करते, कुछ देर वहीं, मैं अपने घुटनों के बल रहते हुए, अपनी बहन की मस्त चूत का दीदार करने लगा।
मैंने प्रीती के पीछे पोजीशन बनाकर उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। प्यार से धीरे धीरे कम से कम छः या सात झटकों के बाद मेरा लन्ड पूरी तरह अंदर घुस पाया, शायद इसकी वजह ये थी कि बस ये दूसरी बार था जब उसकी चूत में लण्ड घुसाकर चुदाई हो रही थी, और एक बार जब मेरा लण्ड पुरा उसकी चूत में घुस गया तो मैंने प्यार से धीरे धीरे लम्बे लम्बे, जोर जोर से नहीं बल्कि आराम आरामे से ताल मिलाते हुए, झटके मारने शुरू कर दिये। मैंने प्रीती को गहरी लम्बी साँस लेते हुए और सिसकते हुए सुना, तो मैंने पूछा, “दर्द तो नहीं हो रहा प्रीती?”
“नहीं, ज्यादा नहीं, बहुत मजा आ रहा है,” प्रीती ने कहा, “सच में बहुत मजा आ रहा है, विशाल।”
“अगर दर्द हो तो बता देना,” मैंने कहा, और मैंने लयबद्ध, आराम से, अपनी बहन की चूत के अंदरूनी हर हिस्से को अपने लण्ड से मेहसूस करते हुए, चोदना जारी रखा। मैं कोशिश कर रहा था कि प्रीती की चूत का कोई हिस्सा अछूता ना रह जाये, ताकि उसको चुदाई का परम सुख मिल सके। हाँलांकि मैं लण्ड को ज्यादा अंदर घुसाने के लिये धक्के नहीं मार रहा था, लेकिन फिर भी मेरा मूसल जैसा लण्ड, मेरी बहन की छोटी सी, कमसिन चूत में गहराई तक जा रहा था, शायद इसकी वजह ये थी कि हर झटके के साथ जब मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकलता तो उसकी चूत के रस में पहले से ज्यादा भीगा हुआ होता, और उसकी उसकी चूत में अपना लण्ड घुसाने से पहले किस कदर उसकी चूत पनिया रही थी, वो तो मैं देख ही चुका था।
वैसे ही कमर से नीचे नंगे होकर, एक दूसरे को बाँहों में भरकर आलिंगनबद्ध होकर जब हम लेटे हुए थे, तो कुछ देर बाद हम दोनों फिर से उत्तेजित होने लगे, और प्रीती ने मेरे ऊपर झकते हुए मेरे मुँह पर प्यार से अपने होंठो से एक मीठा किस कर लिया, जिससे मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया। मेरा सीधा हाथ जो कि उसकी कमर के पीछे था, उसको नीचे ले जाकर मैं उसकी गाँड़ की दरार में घुसाते हुए, उसकी चूत तक ले गया, जो फिर से पनियाने लगी थी। मैंने जब उसकी चूत के झाँटरहित बाहरी होंठों को सहलाते हुए, चूत से निकल रहे रस से उनको गीला करना शुरू किया, तो प्रीती मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी।
प्रीती अपना बाँया हाथ नीचे ले जाकर मेरे औजार को छूने लगी, जो फिर से खड़ा होने लगा था, वो और ज्यादा मुस्कुराते हुए बोली, “लो ये तो फिर से खड़ा हो गया, इसका तो कुछ करना ही पड़ेगा।” मैंने उसके चेहरे को पढने की कोशिश कि, उस पर आ रहे भाव हर पल बदल रहे थे, वो एक पल को कुछ सोचने लगी। प्रीती ने अपना थूक निगलते हुए कहा, “चलो एक बार फिर से उस रात की तरह फिर से प्यार करते हैं।”
अब मेरी थूक निगलने की बारी थी। “मैं सोच रहा था कि तुम ने ही तो कहा था कि हम फिर उस हद तक कभी नहीं जायेंगे,” मैंने ये बोल तो दिया, लेकिन मन ही मन सोच रहा था कि कहीं वो अपना मन ना बदल ले।
“हाँ, वो तो है,” प्रीती अपने निचले होंठ को काटते हुए, कुछ सोचते हुए बोली, “लेकिन अभी मेरे पीरियड होने में एक दो दिन बाकि हैं, तो फिर इस सेफ टाईम का हम फायदा उठा ही लेते हैं।”
“बात बनाना तो कोई तुम से सीखे,” मैने मुस्कुराते हुए उसकी चिकनी चूत को निहारते हुए कहा। मैं बरबस बेकाबू होने लगा था। तभी मुझे वो बात याद आ गयी कि जब मैंने पहली बार उसकी शेव की हुई चिकनी चूत देखी थी, तो किस तरह मेरा मन उस पर अपने लण्ड का सुपाड़ा घिसने का करने लगा था। पता नहीं क्यों मेरा वैसा ही करने का मन करने लगा।
मैंने ऊपर आते हुए प्रीती के कँधों पर अपने हाथ रख दिये, और उसको प्यार से पलट कर सीधा कर दिया, और फिर उसके होंठो पर अपने होंठों को दबाते हुए एक पल को उसको जोरों से चूम लिया, और फिर से मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच आ गया। उसकी झाँटरहित हाल ही में शेव की हुई चिकनी चूत थोड़ा सा खुली हुई थी, चूत का मुँह फूला हुआ था, उसमें से रस टपक रहा था, मैंने नीचे झुकते हुए उसके चिकने चूत के उभार को चूम लिया। सीधा बैठते हुए, मैंने प्यार से एक ऊँगली उसकी चूत में आधी घुसा दी, और फिर बाहर निकाल कर उस पर लगे चूत के रस को चाट लिया, ऐसा करते हुए मैंने प्रीती की तरफ देखा। वो मेरे फनफना कर ख़ड़े हुए लण्ड को एकटक देख रही थी, और फिर उसने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए एक गहरी लम्बी साँस ली।
एक बार फिर से नीचे आते हुए, मैं प्रीती के ऊपर आ गया, और एक बार फिर से अपना वजन अपनी कोन्हीयों पर ले लिया, और फिर प्यार से अपने व्याकुल कड़क लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया।प्रीती की पनियाती हुई चूत बहुत ज्यादा चिकनी हो रही थी, मैं उसकी चूत के मुहाने को अपने लण्ड के सुपाड़े के अग्रभाग से घिसने लगा, वो भी थोड़ा थोड़ा अपनी गाँड़ को ऊँचकाने लगी, इस तरह हम दोनों एक दूसरे को चुदाई के लिये तैयार करने लगे। इस तरह एक दूसरे को परेशान करते हुए मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था, हमारे यौनांग चूत और लण्ड एक दूसरे को चिढा रहे थे, और बीच बीच में प्रीती खिलखिला उठती, मैं किसी तरह उसकी चूत में हुमच कर अपना लण्ड पेल कर चोदने की हर पल बलवती हो रही तीव्र इच्छा पर काबू कर रहा था।
मैं चाहता तो उसी वक्त प्रीती की चूत में अपने वीर्य के बीज की बौछार कर उसमें बाढ ला देता, और उसकी चिकनी झाँटरहित चूत में से वीर्य टपक कर बाहर निकलने लगता, लेकिन मुझे मालूम था कि ऐसा करने से प्रीती को मजा नहीं आता, इस वजह से मैंने उस छेड़छाड़ के खेल को जारी रखा। थोड़ी थोड़ी देर बाद, मैं अपने लण्ड को थोड़ा और अंदर घुसा देता, प्रीती अपनी चूत पीछे कर लेती, और अपना सिर झटकते हुए कहती, “ओह विशाल, अभी नहीं,” और कभी जब वो अपनी मुलायम, भीगी, पनियाती चूत में मेरे लण्ड को थोड़ा और अंदर घुसाने की कोशिश करती, तो मैं अपने आप को पीछे कर लेता, और कहता, “मेरे लण्ड को थोड़ी दोस्ती तो कर लेने दो अपनी चूत से।” प्रीती के साथ एक दूसरे को तरसाने वाला वो सैक्सी खेल खेलने में बहुत मजा आ रहा था, चूत और लण्ड एक दूसरे को सहलाते हुए चिढाकर, एक दूसरे को चैलेंज कर रहे थे, और प्रीती की चूत के मुखाने पर मेरे लण्ड के छूने का एक अनूठा मस्त एहसास था। प्रीती की चूत इस कदर पनिया गयी थी, कि अब उससे रस टपकने लगा था।
कुछ देर बाद, हम दोनों पर ठरक इस कदर हावी हो गयी, कि फिर मेरे लण्ड और प्रीती की चूत का मिलन अत्यावश्क हो गया, और जिस चुदाई के लिये हम दोनों के बदन बेसब्र हो रहे थे , विवश होकर दोनों के शरीर का संभोग लाचारी बन चुका था। मैं प्रीती के ऊपर मिशनरी पोजीशन में छाया हुआ था, और मेरे लण्ड के सुपाड़े का थोड़ा सा आगे का हिस्सा उसकी चूत में घुसा हुआ था, मेरे बदन का रोम रोम मुझे धक्का मारकर अपनी बहन को चोदने पर विवश कर रहा था, और वो कह रही थी, “विशाल, पता है, मेरा क्या मन कर रहा है?”
“हाँ, कुछ कुछ समझ आ रहा है,” मैंने अपने लण्ड को चूत के अंदर घुसाते हुए कहा। ये सिर्फ दूसरा मौका था, जब मेरा लण्ड उसकी चूत के अंदर घुस रहा था, इसलिये मैं थोड़ा आराम आराम से कर रहा था। ये जानने के लिये कि प्रीती क्या कहना चाह रही थी, मैं एक पल को रुक गया।
“चलो, डॉगी स्टाईल में करते हैं,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, “जैसे मम्मी और चंदर मामा कर रहे थे वैसे, कितना मजा आ रहा था ना, उनको उस तरह करते हुए देखने में।”
मैं तो उसको उस तरह चोदने को बेसब्र था, लेकिन मैंने कहा, “मैंने सुना है कि उस स्टाईल में बहुत अंदर तक घुस जाता है, तुम तैयार हो, तुमको कोई तकलीफ तो नहीं होगी ना?”
“हाँ,” प्रीती ने जवाब दिया, “अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं तुमको बता दूँगी।” प्रीती मुस्कुरा कर मेरे प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
“ओके, तो फिर ठीक है,” मैंने कहा, “ट्राई कर के देखते हैं।”
मैंने अपना लण्ड प्रीती की चूत में से बाहर निकाला, और वो बैड के सिरहाने की तरफ मुँह कर के, अपने घुटनों के बल हो गयी। उसके पीछे मैं अपने घुटनों के बल आ गया, और उसकी सुंदर, गोल गाँड़ के साथ खुली हुई चूत, जिसके दोनों फूले हुए होंठ, जो रस में भीगकर चमक रहे थे, और मुझे आमंत्रित करते हुए प्रतीत हो रहे थे, ये सब देख मानो मेरी तो सांसें ही रुक गयीं। मैंने धीमे से आगे बढकर प्रीती की चूत को, ठीक चूत के अंदरूनी होंठो के बींचोबीच चूम लिया, उसकी चूत की मस्त मादक सुगंध को सूंघने लगा, और थोड़ा सा उसकी चूत का रस अपनी जीभ पर ले लिया। और इससे पहले कि हम दोनों दूसरी बार फिर से चुदाई शुरू करते, कुछ देर वहीं, मैं अपने घुटनों के बल रहते हुए, अपनी बहन की मस्त चूत का दीदार करने लगा।
मैंने प्रीती के पीछे पोजीशन बनाकर उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। प्यार से धीरे धीरे कम से कम छः या सात झटकों के बाद मेरा लन्ड पूरी तरह अंदर घुस पाया, शायद इसकी वजह ये थी कि बस ये दूसरी बार था जब उसकी चूत में लण्ड घुसाकर चुदाई हो रही थी, और एक बार जब मेरा लण्ड पुरा उसकी चूत में घुस गया तो मैंने प्यार से धीरे धीरे लम्बे लम्बे, जोर जोर से नहीं बल्कि आराम आरामे से ताल मिलाते हुए, झटके मारने शुरू कर दिये। मैंने प्रीती को गहरी लम्बी साँस लेते हुए और सिसकते हुए सुना, तो मैंने पूछा, “दर्द तो नहीं हो रहा प्रीती?”
“नहीं, ज्यादा नहीं, बहुत मजा आ रहा है,” प्रीती ने कहा, “सच में बहुत मजा आ रहा है, विशाल।”
“अगर दर्द हो तो बता देना,” मैंने कहा, और मैंने लयबद्ध, आराम से, अपनी बहन की चूत के अंदरूनी हर हिस्से को अपने लण्ड से मेहसूस करते हुए, चोदना जारी रखा। मैं कोशिश कर रहा था कि प्रीती की चूत का कोई हिस्सा अछूता ना रह जाये, ताकि उसको चुदाई का परम सुख मिल सके। हाँलांकि मैं लण्ड को ज्यादा अंदर घुसाने के लिये धक्के नहीं मार रहा था, लेकिन फिर भी मेरा मूसल जैसा लण्ड, मेरी बहन की छोटी सी, कमसिन चूत में गहराई तक जा रहा था, शायद इसकी वजह ये थी कि हर झटके के साथ जब मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकलता तो उसकी चूत के रस में पहले से ज्यादा भीगा हुआ होता, और उसकी उसकी चूत में अपना लण्ड घुसाने से पहले किस कदर उसकी चूत पनिया रही थी, वो तो मैं देख ही चुका था।