hotaks444
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मेरी बहनें मेरी जिंदगी
हेल्लो दोस्तो कैसे है आप बहुत दिनो से थोड़ा बिजी था अब जाकर थोड़ा सा फ्री हुआ हूँ तो मैने सोचा एक कहानी शुरू कर ही देता हूँ मित्रो ये कहानी एक भाई और तीन बहनो की है उनकी जिंदगी में कैसे उतार चढ़ाव आते है यही सब इस कहानी मे दर्शाया गया है वैसे तो इस कहानी को मैने नही लिखा है पर हिन्दी मे ज़रूर कनवर्ट किया है और थोड़े बहुत चेंज भी किए हैं जो आपको पसंद आएँगे
(अपडेट 1)
एक तेज रोशनी जो आँखों को धुँधला कर दे, बहुत तेज घूमती हुई गाड़ी एक पेड़ की तरफ जा रही है... दूसरी गाड़ी मे एक जोकर बैठा हुआ है, वो उसे देखकर बहुत ही तेज हँसने लगता है.. वो हँसी जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे... एक धमाका होता है और चारो तरफ आग लग जाती है...
अरुण एक दम से अपने बिस्तर पे उठ के बैठ जाता है. वो चिल्लाता जा रहा है और अपने आप को ही मारता जा रहा. पैर इधर उधर कर रहा है. पूरी बॉडी पसीने से भीगी हुई है. वो हवा मे ही आग को बुझाने की कोसिस कर रहा है.. फिर जैसे ही उसे रीयलाइज़ होता है कि वो सपना था वो धीरे धीरे शांत हो जाता है. अरुण अपनी आँखों को रगड़ता है.
"एक और बुरा सपना", उसके मन से आवाज़ आई. अरुण को ऐसे सपने उस आक्सिडेंट से अभी तक आ रहे थे. वो हमेशा यही सोचता है कि ये सपने आने कब बंद होंगे.
"शायद कभी नही," वो अपने आप को बिस्तर के सामने वाले सीशे मे देखते हुए बोलने लगता है.
"तुम्हे मूठ मार लेनी चाहिए,". ये आवाज़ हमेशा मदद तो नही करती है.
अरुण अपने गाल पे हल्के से मारता है. इस तरीके सो अपनी आवाज़ को पनिशमेंट भी दे देता है और खुद को जगा भी लेता है. घड़ी की तरफ नज़र जाने पर पता चलता है कि 5:30 बज रहे हैं. आलस से वो बेड से नीचे उतर के लाइट ऑन करने जा रहा होता है कि उसके रूम का दरवाजा हल्का सा खुलता है और बाहर की रोशनी उसके कमरे मे एंटर होती है.
उसकी जुड़वा बहेन आरोही अपना सिर अंदर करके बड़ी चिंता के साथ उसकी तरफ देखती है.
"इसे हमेशा पता कैसे चल जाता है?" आवाज़ पूछती है.
"अरुण तुम ठीक हो?", वो आके अरुण के बगल मे बिस्तर पर बैठ जाती है. "एक और बुरा सपना?"
अरुण अपनी नज़रें नीचे झुका लेता है. वो आरोही को परेशान नही करना चाहता. आरोही कई मायनों मे बिल्कुल उसकी तरह थी, और कई मामलो मे बिल्कुल अलग. कभी कभी उसे लगता था जैसा उसका और आरोही का कोई रिश्ता ही नही है जबकि दुनिया वालों की नज़रों मे वो दोनो जुड़वा हैं. उधर उसके सिर मे उस आवाज़ मे ऐसे ही कोई धुन गानी सुरू कर दी.
वो दोनो बचपन से ही ज़्यादा से ज़्यादा टाइम साथ मे ही रहते थे. इसी वजह से उनके फ्रेंड सर्कल उन्हे डबल ए कह कर बुलाने लगा था. आरोही को पता नही हमेशा कैसे पता चल जाता था कि अरुण उदास है. उसकी बाकी बहनें इसे जुड़वा होने का साइड एफेक्ट बताती थी. अरुण भी हमेशा जान जाता था कि आरोही सॅड है चाहे वो उसके साथ हो या नही.
"अरुण?"
अरुण उसकी ओर देखता है. वो उसे बहुत ही गंभीर तरीके से देख रही है.
"हेलो...अरूंन्ं."
"ह्म्म, सॉरी. मैं ठीक हूँ, बस वही सपना," वो थोड़ी झुरजुरी के साथ कहता है.
"वही दोबारा? आक्सिडेंट वाला?"
अरुण हां मे सिर हिला देता है. आरोही उसके कंधे को पकड़कर अपना सिर उसके कंधे पर रख देती है.
"जोकर भी था क्या?"
अरुण एक हल्के से मुस्कुराता है और हां मे सिर हिला देता है.
"तुम्हारी और जोकर की दुश्मनी है क्यू. आक्सिडेंट के सपने मे जोकर? क्या बचपन मे जोकर ने मारा था क्या?" वो उसकी तरफ देखते हुए बहुत ही सीरीयस मूड मे पूछती है.
अरुण हल्की सी हँसी के साथ उसे धक्का देता है. आरोही हमेशा उसे अच्छा फील करवा ही देती है. चाहे कैसे भी.
वो फिर भी डरावनी आवाज़ मे कहती है, " क्या उस शैतान जोकर ने तुम्हे उसकी बड़ी लाल नाक छुने के लिए मजबूर किया?" और दोबारा अरुण को पकड़ लेती है.
अरुण काफ़ी तेज हँसने लगता है और उसे बेड पर धक्का दे कर कहता है "नही उसने ये किया था," और उसके पेट मे गुदगुदी करने लगता है. आरोही बहुत तेज हँसने लगती है और पीछे हटने की कोसिस करने लगती है.
अरुण को पता था कि उसे सबसे ज़्यादा गुदगुदी कहाँ लगती है (दोनो जुड़वा हैं भाई).
"उसके पास बूब्स भी हैं,"
(आगे से बोल्ड मे लिखा हुआ पार्ट अरुण के सिर मे आवाज़ की बात को बताया जाएगा)
अरुण रुक जाता है तब तक आरोही साँस लेने लगती है. अरुण सोचता है क्या किसी ओपरेशन के थ्रू वो इस आवाज़ को बंद नही कर सकता. शायद उसे साइकिट्रिस्ट की ज़रूरत है. आरोही को उठा देख वो दोबारा उसके पेट की तरफ हाथ बढ़ाता है.
"स्टॉप." वो तेज आवाज़ मे बोलती है. चेहरे मे बहुत बड़ी स्माइल है. वो उसके हाथ पर मारती है और कमरे से बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ जाने लगती है.
"दोबारा सोने?"
"अब जब तुमने इतनी गुदगुदी करके जगा दिया तब?" वो उसकी तरफ हाथ झाड़ के चली जाती है. दरवाजा बंद होते ही अरुण को पागल सुनाई देता है. वो दोबारा बिस्तर पर लेट जाता है और छत की तरफ देख के सोचने लगता है..
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हेल्लो दोस्तो कैसे है आप बहुत दिनो से थोड़ा बिजी था अब जाकर थोड़ा सा फ्री हुआ हूँ तो मैने सोचा एक कहानी शुरू कर ही देता हूँ मित्रो ये कहानी एक भाई और तीन बहनो की है उनकी जिंदगी में कैसे उतार चढ़ाव आते है यही सब इस कहानी मे दर्शाया गया है वैसे तो इस कहानी को मैने नही लिखा है पर हिन्दी मे ज़रूर कनवर्ट किया है और थोड़े बहुत चेंज भी किए हैं जो आपको पसंद आएँगे
(अपडेट 1)
एक तेज रोशनी जो आँखों को धुँधला कर दे, बहुत तेज घूमती हुई गाड़ी एक पेड़ की तरफ जा रही है... दूसरी गाड़ी मे एक जोकर बैठा हुआ है, वो उसे देखकर बहुत ही तेज हँसने लगता है.. वो हँसी जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे... एक धमाका होता है और चारो तरफ आग लग जाती है...
अरुण एक दम से अपने बिस्तर पे उठ के बैठ जाता है. वो चिल्लाता जा रहा है और अपने आप को ही मारता जा रहा. पैर इधर उधर कर रहा है. पूरी बॉडी पसीने से भीगी हुई है. वो हवा मे ही आग को बुझाने की कोसिस कर रहा है.. फिर जैसे ही उसे रीयलाइज़ होता है कि वो सपना था वो धीरे धीरे शांत हो जाता है. अरुण अपनी आँखों को रगड़ता है.
"एक और बुरा सपना", उसके मन से आवाज़ आई. अरुण को ऐसे सपने उस आक्सिडेंट से अभी तक आ रहे थे. वो हमेशा यही सोचता है कि ये सपने आने कब बंद होंगे.
"शायद कभी नही," वो अपने आप को बिस्तर के सामने वाले सीशे मे देखते हुए बोलने लगता है.
"तुम्हे मूठ मार लेनी चाहिए,". ये आवाज़ हमेशा मदद तो नही करती है.
अरुण अपने गाल पे हल्के से मारता है. इस तरीके सो अपनी आवाज़ को पनिशमेंट भी दे देता है और खुद को जगा भी लेता है. घड़ी की तरफ नज़र जाने पर पता चलता है कि 5:30 बज रहे हैं. आलस से वो बेड से नीचे उतर के लाइट ऑन करने जा रहा होता है कि उसके रूम का दरवाजा हल्का सा खुलता है और बाहर की रोशनी उसके कमरे मे एंटर होती है.
उसकी जुड़वा बहेन आरोही अपना सिर अंदर करके बड़ी चिंता के साथ उसकी तरफ देखती है.
"इसे हमेशा पता कैसे चल जाता है?" आवाज़ पूछती है.
"अरुण तुम ठीक हो?", वो आके अरुण के बगल मे बिस्तर पर बैठ जाती है. "एक और बुरा सपना?"
अरुण अपनी नज़रें नीचे झुका लेता है. वो आरोही को परेशान नही करना चाहता. आरोही कई मायनों मे बिल्कुल उसकी तरह थी, और कई मामलो मे बिल्कुल अलग. कभी कभी उसे लगता था जैसा उसका और आरोही का कोई रिश्ता ही नही है जबकि दुनिया वालों की नज़रों मे वो दोनो जुड़वा हैं. उधर उसके सिर मे उस आवाज़ मे ऐसे ही कोई धुन गानी सुरू कर दी.
वो दोनो बचपन से ही ज़्यादा से ज़्यादा टाइम साथ मे ही रहते थे. इसी वजह से उनके फ्रेंड सर्कल उन्हे डबल ए कह कर बुलाने लगा था. आरोही को पता नही हमेशा कैसे पता चल जाता था कि अरुण उदास है. उसकी बाकी बहनें इसे जुड़वा होने का साइड एफेक्ट बताती थी. अरुण भी हमेशा जान जाता था कि आरोही सॅड है चाहे वो उसके साथ हो या नही.
"अरुण?"
अरुण उसकी ओर देखता है. वो उसे बहुत ही गंभीर तरीके से देख रही है.
"हेलो...अरूंन्ं."
"ह्म्म, सॉरी. मैं ठीक हूँ, बस वही सपना," वो थोड़ी झुरजुरी के साथ कहता है.
"वही दोबारा? आक्सिडेंट वाला?"
अरुण हां मे सिर हिला देता है. आरोही उसके कंधे को पकड़कर अपना सिर उसके कंधे पर रख देती है.
"जोकर भी था क्या?"
अरुण एक हल्के से मुस्कुराता है और हां मे सिर हिला देता है.
"तुम्हारी और जोकर की दुश्मनी है क्यू. आक्सिडेंट के सपने मे जोकर? क्या बचपन मे जोकर ने मारा था क्या?" वो उसकी तरफ देखते हुए बहुत ही सीरीयस मूड मे पूछती है.
अरुण हल्की सी हँसी के साथ उसे धक्का देता है. आरोही हमेशा उसे अच्छा फील करवा ही देती है. चाहे कैसे भी.
वो फिर भी डरावनी आवाज़ मे कहती है, " क्या उस शैतान जोकर ने तुम्हे उसकी बड़ी लाल नाक छुने के लिए मजबूर किया?" और दोबारा अरुण को पकड़ लेती है.
अरुण काफ़ी तेज हँसने लगता है और उसे बेड पर धक्का दे कर कहता है "नही उसने ये किया था," और उसके पेट मे गुदगुदी करने लगता है. आरोही बहुत तेज हँसने लगती है और पीछे हटने की कोसिस करने लगती है.
अरुण को पता था कि उसे सबसे ज़्यादा गुदगुदी कहाँ लगती है (दोनो जुड़वा हैं भाई).
"उसके पास बूब्स भी हैं,"
(आगे से बोल्ड मे लिखा हुआ पार्ट अरुण के सिर मे आवाज़ की बात को बताया जाएगा)
अरुण रुक जाता है तब तक आरोही साँस लेने लगती है. अरुण सोचता है क्या किसी ओपरेशन के थ्रू वो इस आवाज़ को बंद नही कर सकता. शायद उसे साइकिट्रिस्ट की ज़रूरत है. आरोही को उठा देख वो दोबारा उसके पेट की तरफ हाथ बढ़ाता है.
"स्टॉप." वो तेज आवाज़ मे बोलती है. चेहरे मे बहुत बड़ी स्माइल है. वो उसके हाथ पर मारती है और कमरे से बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ जाने लगती है.
"दोबारा सोने?"
"अब जब तुमने इतनी गुदगुदी करके जगा दिया तब?" वो उसकी तरफ हाथ झाड़ के चली जाती है. दरवाजा बंद होते ही अरुण को पागल सुनाई देता है. वो दोबारा बिस्तर पर लेट जाता है और छत की तरफ देख के सोचने लगता है..
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