hotaks444
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उसके झड़ते ही एक बालिस्ट हाथों ने उसे हटाया था नहीं देखते हुए कि वो कहा गिरा और एक लिंग खट से कामया के अंदर फिर से प्रवेश कर गया था ये एम था इस बार अंदर जाते ही वो बिना किसी रहम के लगातार धक्के देने लगा था
शायद वो इतना उत्तावाला था कि उसे यह भी ध्यान नहीं था कि कुछ और लोग भी कामया के शरीर से खेल रहे है उसे तो सिर्फ़ अपना ध्यान था झटके पर झटके देते हुए, वो कामया के हर अंग को अपनी बाहों और हाथों के सुपुर्द कर लेना चाहता था लेटी हुई कामया की चूचियां हाथों से मसलते हुए एक चुचि पर अपने होंठों को टिकाने के लिए संघर्ष करता जा रहा था हिलने से और झटको से कामया उछल पड़ती थी और ऊपर बैठे हुए अपने गुरु जी की जाँघो से टकरा जाती थी पर फिर भी कोई आवाज नहीं थी ना या इनकार की बस थी तो हाँ… और और और करने का आग्रह
कामया- हाँ… हाँ… और और करो उूुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम ईईईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
करती हुई कामया अपने होंठोंके बीच में चेहरे को इधर-उधर करते हुए एक-एक लिंग को चूसती भी जा रही थी उतावले पन की हद तक उत्तेजित थी कामया और साथ के गुरुजन भी हर कोई अपनी बारी के इंतजार में था शायद एस को इंतजार नहीं हुआ था झटके से वो कामया को उठाकर या कहिए एम को धकेल्ता हुआ सा कामया ऊपर झुकने की कोशिश में था वो
एम की पकड़ मजबूत थी वो नहीं निकाल पाया पर क्या हुआ पलट तो सकता ही था वो उसने वही किया पलटकर कामया को ऊपर ले आया एम अब नीचे था कामया उसके ऊपर गुदा द्वार एस के लिए था कामया जानती थी कि आगे क्या होगा अपनी जाँघो को खोलकर एक बार पीछे की ओर नशीली नजर से देखा भी था एक निमंत्रण था एक उत्तेजना भरी हुई नजर के चलते एस रुक नहीं पाया था झट से कामया की गुदाद्वार पर हमला बोल दिया
पहले अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों पर रखकर उसकी कोमलता का एक एहसास लिया और फिर अंगूठे को थोड़ा सा अंदर की ओर करते हुए उसके गुदा द्वार को थोड़ा सा फैला लिया था एक हल्की सी सिसकारी कामया के मुख से निकली थी पता नहीं क्यों नीचे से एम के धक्कों के कारण या फिर एस के अंगूठे के कारण पर निकली थी एस भी उत्तावला था अपने को किसी तरह से अड्जस्ट करते हुए अपने लिंग को बड़े ही मुश्किल से उन झटको के बीच में अपनेलिंग को गुदा द्वार पर रखते हुए एक ही धक्के में आधे से ज्यादा अंदर कर दिया था एक हल्की सी चीख कामया के मुँह से निकली थी एम भी थोड़ा सा शांत हुआ था पर एस को कोई फरक नहीं था फिर एक धक्का और और अंदर
पास बैठे गुरुजन को पता नहीं क्या हुआ जल्दी से कामया की पीठ पर टूट पड़े थे और जहां मन करता था वही चूमते हुए नीचे की ओर हाथ लेजाकर उसकी चूचियां निचोड़ते जा रहे थे शांत थे तो सिर्फ़ गुरुजी वो भी कहाँ और कितनी देर झट से अपने आपको उसके चहरे के सामने पोजीशन में किया और अपने लिंग को कामया के मुँह के सामने लटका दिया था कामया नीचे से और पीछे से हुए हमले को झेलती पर एक हाथ को अपने सिर पर फिरते देखकर चहरा थोड़ा सा उठाया था देखा था एक लिंग मोटा सा और तना हुआ
उन लगातार धक्कों के बीच में भी अपने होंठों को उस लिंग के खातिर खोल दिया था और वो लिंग हल्के से लाल लाल होंठों के बीच में फँस गया था हर धक्का इतना जोर दार हुआकरता था कि उसके मुँह से गुरुजी का लिंग बाहर निकलकर उसके चिन पर घिस जाया करता था पर फिर भी कामया उसे अड्जस्ट करने की कोशिश में थी नीचे से भी एम अपनी हवस को शांत करने में लगा था बीच बीच में जैसे ही किसी का हाथ कामया की चुचियों पर से धक्के के कारण हट जाया करता था वो झट से उसे अपने होंठों में दबा लिया करता था पर जोर दार धक्के के कारण वो छूट भी जाया करता था कामया अपने आपको सातवे आसमान में पा रही थी हर कही से लिंगो की बरसात थी उसके लिए और हर कोई उसके तन से खेल रहा था एक अजीब सा उत्तेजना पूर्ण वातावरण था उस कमरे में रूपसा और मंदिरा अब भी नीचे खड़ी हुई हर किसी को उत्साहित करने में लगी थी लिंगो को पकड़ पकड़ कर कामया के लिए तैयार कर रही थी कामया हर एक धक्के में जोर से खुशी से दर्द से चिल्लाती भी थी
कामया- हाँ… और जोर-जोर से करो और करो रोको नहीं एम क्यों धीरे हो गये जोर लगाओ प्लीज
एस थोड़ा धीरे करो प्ल्ीआसए उूउउम्म्म्ममम
पर कोई भी कामया की बातों में नहीं आ रहा था हर कोई अपनी में ही लगा हुआ था और अपनी काम वासना को शांत करने की कोशिश में था एस तो तूफान एक्सप्रेस की तरहचल रहा था हान्फते हुए और मसलते हुए वो अपनी रफ़्तार को लगातार बढ़ाए हुए था नीचे लेटे हुए एम को अपनी जगह बनाने में थोड़ा सा तकलीफ हो रही थी पर कोई बात नहीं अपने हाथों को कस कर कामया की कमर पर बाँधे हुए एम भी अपनी हवस को शांत करने में लगा था एस ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं सका था और एकदम से कामया के ऊपर झूल गया था
एस ऽ हमम्म्ममममममममममम देवी जी मन नहीं भरा और चाहिए
कहते हुए ढेर हो गया था एम को अपने ऊपर ज्यादा भार लग रहा था कामया की गुदा द्वार भरकर बाहर की ओर बहने लगी थी कामया भी थोड़ा सा निढाल टाइप की हो गई थी पर काम उत्तेजना नहीं शांत हुई थी सामने बैठे हुए गुरुजी के लिंग को चूसते हुए कामया अपनी बाँहे फैलाकर साथ में बैठे क्राइ और एच के भी लिंग को खींचने लगी थी एस ढेर होते ही पीछे की जगह खाली हो गई थी एस लूड़क कर एक तरफ होता इससे पहले ही क्राइ ने मोर्चा संभाल लिया था कोई ओपचारिकता नहीं गीले सुराख में फिसलता हुआ उसका लिंग अंदर तक उतर गया था एस साथ में लेटे हुए क्राइ को देख रहा था पर क्राइ की नजर कामया की गोरी चिकनी पीठ पर थी एम की बाहों में बँधी हुई कामया की कमर गजब का लग रहा था उसकी फेली हुई नितंबों के दीदार के चलते क्राइ एक बार फिर से अपने अंदर के शैतान को रोक नहीं पाया था एक ही झटके में पूरा अंदर समा गया था कामया नीचे से एम को जल्दी आजाद करना चाहती थी पर एम को कोई जल्दी नहीं थी वो तो कामया के चुचों को चूसता हुआ और अपनी बाहों को उसकी कमर पर कसे हुए धीरे-धीरे अपनी लिंग को अंदर-बाहर करने में लगा हुआ था
ऊपर से धक्कों के बीच में उसे अपनी रफ़्तार को बढ़ाने में थोड़ा सा मुश्किल हो रही थी पर एक सुखद और अनौखा अनुभव ले रहा था एम . कामया का उत्तेजित चेहरा और सांसों को अच्छे से सुन सकता था वो और तो और उस हुश्न की मलिका का भार भी उसी ने उठा रखा था ऊपर ठीक उसके चहरे के ऊपर गुरुजी का लिंग भी कामया के होंठों में कितना अच्छा लग रहा था उसका लिंग भी कुछ ऐसा ही लगेगा एस के बाद अब क्राइ था ऊपर और हर धक्का इतना जोर दार हुआकरता था कि एम को कोई हरकत भी नहीं करना पड़ रहा था बस इंतजार और इंतजार वो जल्दी में नहीं था बस उस सुंदरी को अपनी बाहों में लिए और देर रुकना चाहता था एस की हरकतों से वो थोड़ा परेशान था पर कोई रास्ता नहीं था कामया की कमर की चाल ऐसी थी कि जैसे एम और एस के लिंग को अपने अंदर लिए मसल रही हो होंठ खुले हुए आखें बंद और कभी-कभी खुलती थी सांसें भारी और उत्तेजित स्वर कमर आगे पीछे अपने आप करती एम के लिंग को अंदर तक पहुँचाती और एस के हर झटके को झेलती हुई कामया एक हवस की पुजारन लग रही थी होंठों के बीच में गुरुजी के लिंग को लिए हुए कभी कभी आखें खोलकर देख भी लेती थी
शायद वो इतना उत्तावाला था कि उसे यह भी ध्यान नहीं था कि कुछ और लोग भी कामया के शरीर से खेल रहे है उसे तो सिर्फ़ अपना ध्यान था झटके पर झटके देते हुए, वो कामया के हर अंग को अपनी बाहों और हाथों के सुपुर्द कर लेना चाहता था लेटी हुई कामया की चूचियां हाथों से मसलते हुए एक चुचि पर अपने होंठों को टिकाने के लिए संघर्ष करता जा रहा था हिलने से और झटको से कामया उछल पड़ती थी और ऊपर बैठे हुए अपने गुरु जी की जाँघो से टकरा जाती थी पर फिर भी कोई आवाज नहीं थी ना या इनकार की बस थी तो हाँ… और और और करने का आग्रह
कामया- हाँ… हाँ… और और करो उूुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम ईईईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
करती हुई कामया अपने होंठोंके बीच में चेहरे को इधर-उधर करते हुए एक-एक लिंग को चूसती भी जा रही थी उतावले पन की हद तक उत्तेजित थी कामया और साथ के गुरुजन भी हर कोई अपनी बारी के इंतजार में था शायद एस को इंतजार नहीं हुआ था झटके से वो कामया को उठाकर या कहिए एम को धकेल्ता हुआ सा कामया ऊपर झुकने की कोशिश में था वो
एम की पकड़ मजबूत थी वो नहीं निकाल पाया पर क्या हुआ पलट तो सकता ही था वो उसने वही किया पलटकर कामया को ऊपर ले आया एम अब नीचे था कामया उसके ऊपर गुदा द्वार एस के लिए था कामया जानती थी कि आगे क्या होगा अपनी जाँघो को खोलकर एक बार पीछे की ओर नशीली नजर से देखा भी था एक निमंत्रण था एक उत्तेजना भरी हुई नजर के चलते एस रुक नहीं पाया था झट से कामया की गुदाद्वार पर हमला बोल दिया
पहले अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों पर रखकर उसकी कोमलता का एक एहसास लिया और फिर अंगूठे को थोड़ा सा अंदर की ओर करते हुए उसके गुदा द्वार को थोड़ा सा फैला लिया था एक हल्की सी सिसकारी कामया के मुख से निकली थी पता नहीं क्यों नीचे से एम के धक्कों के कारण या फिर एस के अंगूठे के कारण पर निकली थी एस भी उत्तावला था अपने को किसी तरह से अड्जस्ट करते हुए अपने लिंग को बड़े ही मुश्किल से उन झटको के बीच में अपनेलिंग को गुदा द्वार पर रखते हुए एक ही धक्के में आधे से ज्यादा अंदर कर दिया था एक हल्की सी चीख कामया के मुँह से निकली थी एम भी थोड़ा सा शांत हुआ था पर एस को कोई फरक नहीं था फिर एक धक्का और और अंदर
पास बैठे गुरुजन को पता नहीं क्या हुआ जल्दी से कामया की पीठ पर टूट पड़े थे और जहां मन करता था वही चूमते हुए नीचे की ओर हाथ लेजाकर उसकी चूचियां निचोड़ते जा रहे थे शांत थे तो सिर्फ़ गुरुजी वो भी कहाँ और कितनी देर झट से अपने आपको उसके चहरे के सामने पोजीशन में किया और अपने लिंग को कामया के मुँह के सामने लटका दिया था कामया नीचे से और पीछे से हुए हमले को झेलती पर एक हाथ को अपने सिर पर फिरते देखकर चहरा थोड़ा सा उठाया था देखा था एक लिंग मोटा सा और तना हुआ
उन लगातार धक्कों के बीच में भी अपने होंठों को उस लिंग के खातिर खोल दिया था और वो लिंग हल्के से लाल लाल होंठों के बीच में फँस गया था हर धक्का इतना जोर दार हुआकरता था कि उसके मुँह से गुरुजी का लिंग बाहर निकलकर उसके चिन पर घिस जाया करता था पर फिर भी कामया उसे अड्जस्ट करने की कोशिश में थी नीचे से भी एम अपनी हवस को शांत करने में लगा था बीच बीच में जैसे ही किसी का हाथ कामया की चुचियों पर से धक्के के कारण हट जाया करता था वो झट से उसे अपने होंठों में दबा लिया करता था पर जोर दार धक्के के कारण वो छूट भी जाया करता था कामया अपने आपको सातवे आसमान में पा रही थी हर कही से लिंगो की बरसात थी उसके लिए और हर कोई उसके तन से खेल रहा था एक अजीब सा उत्तेजना पूर्ण वातावरण था उस कमरे में रूपसा और मंदिरा अब भी नीचे खड़ी हुई हर किसी को उत्साहित करने में लगी थी लिंगो को पकड़ पकड़ कर कामया के लिए तैयार कर रही थी कामया हर एक धक्के में जोर से खुशी से दर्द से चिल्लाती भी थी
कामया- हाँ… और जोर-जोर से करो और करो रोको नहीं एम क्यों धीरे हो गये जोर लगाओ प्लीज
एस थोड़ा धीरे करो प्ल्ीआसए उूउउम्म्म्ममम
पर कोई भी कामया की बातों में नहीं आ रहा था हर कोई अपनी में ही लगा हुआ था और अपनी काम वासना को शांत करने की कोशिश में था एस तो तूफान एक्सप्रेस की तरहचल रहा था हान्फते हुए और मसलते हुए वो अपनी रफ़्तार को लगातार बढ़ाए हुए था नीचे लेटे हुए एम को अपनी जगह बनाने में थोड़ा सा तकलीफ हो रही थी पर कोई बात नहीं अपने हाथों को कस कर कामया की कमर पर बाँधे हुए एम भी अपनी हवस को शांत करने में लगा था एस ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं सका था और एकदम से कामया के ऊपर झूल गया था
एस ऽ हमम्म्ममममममममममम देवी जी मन नहीं भरा और चाहिए
कहते हुए ढेर हो गया था एम को अपने ऊपर ज्यादा भार लग रहा था कामया की गुदा द्वार भरकर बाहर की ओर बहने लगी थी कामया भी थोड़ा सा निढाल टाइप की हो गई थी पर काम उत्तेजना नहीं शांत हुई थी सामने बैठे हुए गुरुजी के लिंग को चूसते हुए कामया अपनी बाँहे फैलाकर साथ में बैठे क्राइ और एच के भी लिंग को खींचने लगी थी एस ढेर होते ही पीछे की जगह खाली हो गई थी एस लूड़क कर एक तरफ होता इससे पहले ही क्राइ ने मोर्चा संभाल लिया था कोई ओपचारिकता नहीं गीले सुराख में फिसलता हुआ उसका लिंग अंदर तक उतर गया था एस साथ में लेटे हुए क्राइ को देख रहा था पर क्राइ की नजर कामया की गोरी चिकनी पीठ पर थी एम की बाहों में बँधी हुई कामया की कमर गजब का लग रहा था उसकी फेली हुई नितंबों के दीदार के चलते क्राइ एक बार फिर से अपने अंदर के शैतान को रोक नहीं पाया था एक ही झटके में पूरा अंदर समा गया था कामया नीचे से एम को जल्दी आजाद करना चाहती थी पर एम को कोई जल्दी नहीं थी वो तो कामया के चुचों को चूसता हुआ और अपनी बाहों को उसकी कमर पर कसे हुए धीरे-धीरे अपनी लिंग को अंदर-बाहर करने में लगा हुआ था
ऊपर से धक्कों के बीच में उसे अपनी रफ़्तार को बढ़ाने में थोड़ा सा मुश्किल हो रही थी पर एक सुखद और अनौखा अनुभव ले रहा था एम . कामया का उत्तेजित चेहरा और सांसों को अच्छे से सुन सकता था वो और तो और उस हुश्न की मलिका का भार भी उसी ने उठा रखा था ऊपर ठीक उसके चहरे के ऊपर गुरुजी का लिंग भी कामया के होंठों में कितना अच्छा लग रहा था उसका लिंग भी कुछ ऐसा ही लगेगा एस के बाद अब क्राइ था ऊपर और हर धक्का इतना जोर दार हुआकरता था कि एम को कोई हरकत भी नहीं करना पड़ रहा था बस इंतजार और इंतजार वो जल्दी में नहीं था बस उस सुंदरी को अपनी बाहों में लिए और देर रुकना चाहता था एस की हरकतों से वो थोड़ा परेशान था पर कोई रास्ता नहीं था कामया की कमर की चाल ऐसी थी कि जैसे एम और एस के लिंग को अपने अंदर लिए मसल रही हो होंठ खुले हुए आखें बंद और कभी-कभी खुलती थी सांसें भारी और उत्तेजित स्वर कमर आगे पीछे अपने आप करती एम के लिंग को अंदर तक पहुँचाती और एस के हर झटके को झेलती हुई कामया एक हवस की पुजारन लग रही थी होंठों के बीच में गुरुजी के लिंग को लिए हुए कभी कभी आखें खोलकर देख भी लेती थी