hotaks444
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तीनो मेनका के साथ अंदर हॉल मे आकर बैठ गये.हॉल मे कुच्छ अजीब सी बू आ रही थी.मलिका बुरा सा मुँह बनाते हुए मेनका से बोली,"कुच्छ बदबू नही आ रही?"
"नही तो."
"ये लीजिए पेपर्स,साइन कीजिए & अगले 3 दीनो मे आपके बॅंक अकाउंट्स मे सारे पैसे जमा हो जाएँगे.",जब्बार ने कुच्छ काग़ज़ मेनका की तरफ बढ़ाए.
मेनका ने काग़ज़ उठाए & बगल की टेबल से 1 लाइटर उठाकर उन पेपर्स को आग लगा दी.
"ये क्या बहुड़गी है!",जब्बार चीखा.
"नीच इंसान!तूने ये सोच भी कैसे लिया कि हम तुझे,उस इंसान को...जिसने हमारे खानदान को तबाह कर दिया,उसे अपनी अमानत बेचेंगे.",मेनका ने जलते कागज़ात सोफे पे फेंक दिए जिस से कि सोफा धू-धू कर जलने लगा.आग तेज़ी से हॉल मे फैलने लगी तो मलिका को समझ मे आया कि वो बू पेट्रोल की थी.वो घबरा गयी...आख़िर ये रानी क्या चाहती है?
"हमे यहा से निकलना चाहिए,जब्बार.ये औरत पागल हो गयी है.खुद भी मरेगी हमे भी मारेगी.",उसने जब्बार का हाथ पकड़ कर बाहर निकलने का इशारा किया.
"तुम लोग कही नही जाओगे.यही इस आग मे जल्के अपने करमो की सज़ा पाओगे.",मेनका गर्जि.
"कुतिया!",जब्बार ने झपट कर मेनका को पकड़ लिया पर तभी 1 करारा हाथ उसके जबड़े पे पड़ा.सोढी ने उसे मारा था पर सोढी कहा...ये तो ...ये तो कोई और था.सोढी ने अपनी पगड़ी उतार फेंकी थी,जब्बार ने गौर से देखा तो उसकी आँखे हैरत से फैल गयी...ये तो राजा यशवीर सिंग था.इतने दिन ये आदमी भेस बदल कर उसके पास आता रहा,बात करता रहा और वो अपने सबसे बड़े दुश्मन को पहचान नही पाया!
किसी ने सही कहा है,विनाश काले विपरीत बुद्धि.
"जब्बार,तूने हमारे दोनो मासूम बेटो को मौत की नींद सुला दिया.उनका क्या कसूर था.हमारे पिताजी की ग़लती की सज़ा हमे देता.1 मर्द की तरह सामने से वार करता.पर नही तू 1 बुज़दिल चूहा है & आज चूहे की मौत मरेगा."
आग ने पूरे हॉल को अपने आगोश मे ले लिया था.मलिका नज़र बचा कर भागने ही वाली थी कि तभी राजा साहब ने उसे पकड़ लिया,"तूने भी विश्वा की हत्या की थी.तेरे दूसरे आशिक़ कल्लन ने हमे सब बताया था.चल!",राजा साहब ने उसे 1 रस्सी से बाँध वही फर्श पे पटक दिया.मलिका अपनी जान की भीख मांगती रही पर राजा साहब & मेनका जैसे बहरे हो गये थे.
थोड़ी ही देर मे मलिका की चीखें बढ़ती लपटो मे घुट गयी.
राजा साहब ने जब्बार को 1 जलती लकड़ी से जम कर पीटा & आख़िर मे उस लकड़ी से उसके चेहरे को झुलस कर मौत के घाट पहुँचा दिया.
"मेनका,चलो यहा से निकले.सेशाद्री के आने से पहले हमे निकलना होगा.हमारा हाथ पाकड़ो.",उन्होने मेनका का हाथ पकड़ा & जलते हुए हॉल से निकलने लगे कि तभी आग से खाक हो दीवार का 1 बड़ा हिस्सा उनके सामने गिरा,"यश..!",मेनका की चीख सुनाई दी ,फिर इतना धुआँ फैला कि कुच्छ नज़र नही आया कि दोनो कहा गये-निकल भी पाए की नही उस आग के तूफान से!
चारो तरफ बस आग ही आग थी.सेशाद्री तो ये नज़ारा देख बेहोश ही हो गये.किसी तरह उन्होने अपनी जेब से मोबाइल निकाला & पोलीस को फोन मिलाने लगे.
क्रमशः...................
"नही तो."
"ये लीजिए पेपर्स,साइन कीजिए & अगले 3 दीनो मे आपके बॅंक अकाउंट्स मे सारे पैसे जमा हो जाएँगे.",जब्बार ने कुच्छ काग़ज़ मेनका की तरफ बढ़ाए.
मेनका ने काग़ज़ उठाए & बगल की टेबल से 1 लाइटर उठाकर उन पेपर्स को आग लगा दी.
"ये क्या बहुड़गी है!",जब्बार चीखा.
"नीच इंसान!तूने ये सोच भी कैसे लिया कि हम तुझे,उस इंसान को...जिसने हमारे खानदान को तबाह कर दिया,उसे अपनी अमानत बेचेंगे.",मेनका ने जलते कागज़ात सोफे पे फेंक दिए जिस से कि सोफा धू-धू कर जलने लगा.आग तेज़ी से हॉल मे फैलने लगी तो मलिका को समझ मे आया कि वो बू पेट्रोल की थी.वो घबरा गयी...आख़िर ये रानी क्या चाहती है?
"हमे यहा से निकलना चाहिए,जब्बार.ये औरत पागल हो गयी है.खुद भी मरेगी हमे भी मारेगी.",उसने जब्बार का हाथ पकड़ कर बाहर निकलने का इशारा किया.
"तुम लोग कही नही जाओगे.यही इस आग मे जल्के अपने करमो की सज़ा पाओगे.",मेनका गर्जि.
"कुतिया!",जब्बार ने झपट कर मेनका को पकड़ लिया पर तभी 1 करारा हाथ उसके जबड़े पे पड़ा.सोढी ने उसे मारा था पर सोढी कहा...ये तो ...ये तो कोई और था.सोढी ने अपनी पगड़ी उतार फेंकी थी,जब्बार ने गौर से देखा तो उसकी आँखे हैरत से फैल गयी...ये तो राजा यशवीर सिंग था.इतने दिन ये आदमी भेस बदल कर उसके पास आता रहा,बात करता रहा और वो अपने सबसे बड़े दुश्मन को पहचान नही पाया!
किसी ने सही कहा है,विनाश काले विपरीत बुद्धि.
"जब्बार,तूने हमारे दोनो मासूम बेटो को मौत की नींद सुला दिया.उनका क्या कसूर था.हमारे पिताजी की ग़लती की सज़ा हमे देता.1 मर्द की तरह सामने से वार करता.पर नही तू 1 बुज़दिल चूहा है & आज चूहे की मौत मरेगा."
आग ने पूरे हॉल को अपने आगोश मे ले लिया था.मलिका नज़र बचा कर भागने ही वाली थी कि तभी राजा साहब ने उसे पकड़ लिया,"तूने भी विश्वा की हत्या की थी.तेरे दूसरे आशिक़ कल्लन ने हमे सब बताया था.चल!",राजा साहब ने उसे 1 रस्सी से बाँध वही फर्श पे पटक दिया.मलिका अपनी जान की भीख मांगती रही पर राजा साहब & मेनका जैसे बहरे हो गये थे.
थोड़ी ही देर मे मलिका की चीखें बढ़ती लपटो मे घुट गयी.
राजा साहब ने जब्बार को 1 जलती लकड़ी से जम कर पीटा & आख़िर मे उस लकड़ी से उसके चेहरे को झुलस कर मौत के घाट पहुँचा दिया.
"मेनका,चलो यहा से निकले.सेशाद्री के आने से पहले हमे निकलना होगा.हमारा हाथ पाकड़ो.",उन्होने मेनका का हाथ पकड़ा & जलते हुए हॉल से निकलने लगे कि तभी आग से खाक हो दीवार का 1 बड़ा हिस्सा उनके सामने गिरा,"यश..!",मेनका की चीख सुनाई दी ,फिर इतना धुआँ फैला कि कुच्छ नज़र नही आया कि दोनो कहा गये-निकल भी पाए की नही उस आग के तूफान से!
चारो तरफ बस आग ही आग थी.सेशाद्री तो ये नज़ारा देख बेहोश ही हो गये.किसी तरह उन्होने अपनी जेब से मोबाइल निकाला & पोलीस को फोन मिलाने लगे.
क्रमशः...................