hotaks444
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मस्त मेनका पार्ट--12
गतान्क से आगे......................
रात 9 बजे राजा साहब मेनका & उसके माता-पिता के साथ उनके महल मे बैठे खाना खा रहे थे.उनलोगो ने ज़िद करके राजा साहब को आज रात महल मे रुक कल सुबह राजपुरा जाने के लिए तैय्यार कर लिया था.
खाने के बाद राजा साहब को 1 नौकर उनके लिए तैय्यर किए गये कमरे मे ले आया.थोड़ी ही देर बाद मेनका भी वाहा 1 नौकर के साथ आई,"लाओ ग्लास हमे दो,शंभू.",ग्लास थामा वो नौकर कमरे से बाहर चला गया.
"ये लीजिए दूध पीकर सो जाइए."
राजा साहब ने 1 हाथ बढ़ा ग्लास लिया & दूसरा उसकी कमर मे डाल उसे अपने पास खींच लिया,"हमे ये नही वो दूध चाहिए.",उनका इशारा उसकी छातियो की तरफ था.
"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा...छ्चोड़ो ना!",मेनका घबरा के उनकी गिरफ़्त से छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी.
"कोई नही आएगा.चलो हमे अपना दूध पिलाओ.",उन्होने उसके 1 गाल पे चूम लिया.
"प्लीज़..यश...!कोई देख लेगा ना!"
"जब तक नही पिलाओगी,नही छ्चोड़ेंगे.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए.
"अच्छा बाबा..पहले ये ग्लास ख़तम करो..जल्दी!",उसने उनके हाथ से ग्लास ले उनके मुँह से लगा दिया.राजा साहब ने 1 घूँट मे ही उसे ख़तम कर दिया.,"चलो अब अपना दूध पिलाओ."
"शंभू!",मेनका ने नौकर को पुकारा.
"जी!राजकुमारी.",नौकर की आवाज़ सुनते ही राजा साहब अपनी बहू से अलग हो गये.
"ये ग्लास ले जाओ.",और उसके पीछे-2 वो भी कमरे से बाहर जाने लगी,दरवाज़े पे रुक के मूड के उसने शरारत से राजा साहब की तरफ देखा & जीभ निकाल कर चिढ़ते हुए अंगूठा दिखाया & चली गयी.राजा साहब मन मसोस कर रह गये.उनका खड़ा लंड उन्हे बहुत परेशान कर रहा था.उसे शांत करने की गाराज़ से वो कमरे से बाहर आ टहलने लगे.तभी उन्हे रानी साहिबा,मेनका की मा आती दिखाई दी.
"क्या हुआ राजा साहब?कोई तकलीफ़ तो नही?"
"जी बिल्कुल नही.सोने के पहले थोड़ा टहलने की आदत है बस इसीलिए यहा घूम रहे हैं....बुरा मत मानीएगा पर ये दावा किसी की तबीयत खराब है क्या?",उन्होने उनके हाथों की तरफ इशारा किया.
"अरे नही,राजा साहब बुरा क्यू मानेंगे.हुमारी नींद की गोलिया हैं,कभी-कभार लेनी पड़ जाती हैं."
इसके बाद थोड़ी सी और बातें हुई & फिर दोनो अपने-2 कमरो मे चले गये पर राजा साहब के आँखों मे नींद कहा थी.जब तक अपनी बहू के अंदर वो 2-3 बार अपना पानी नही गिरा देते थे,उन्हे नींद कहा आती थी.मेनका के जिस्म की चाह कुच्छ ज़्यादा भड़कने लगी तो उन्होने उस पे से ध्यान हटाने के लिए दूसरी बातें सोचना शुरू किया.
वो जब्बार से बदला लेने के बारे मे सोचने लगे.उनका दिल तो कर रहा था की उस नीच इंसान को अपने हाथो से चीर के रख दे पर ऐसा करने से वो क़ानून की नज़रो मे गुनेहगार बन जाते.अगर वो क़ानून का सहारा लेते तो जब्बार शर्तिया बच जाता क्यूकी कोई भी सबूत नही था जोकि उसे विश्वा का कातिल साबित करता.उसे सज़ा देने के लिए उन्हे उसी के जैसी चालाकी से काम लेना होगा,ये उन्हे अच्छी तरह से समझ मे आ गया था.मगर कैसे....वो ऐसी चाल चलना चाहते थे जिस से साँप भी मार जाए & लाठी भी ना टूटे.पहले की बात होती तब शायद वो इतना नही सोचते & अभी तक जब्बार उनके हाथो मर भी चुका होता पर अब मेनका की ज़िंदगी भी उनके साथ जुड़ी थी & वो कोई ऐसा कदम नही उठना चाहते थे जिस से उसे कोई परेशानी उतनी पड़े.उसका ख़याल आते ही उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा.
वो फिर से बेचैन हो उठे.1 बार तो उन्होने सोचा कि लंड को हाथ से ही शांत कर दे पर फिर उनके दिल ने कहा कि लानत है राजा यशवीर सिंग!तुम्हारी दिलरुबा बस चंद कदमो के फ़ासले पे है & तुम खुद को मूठ मार कर शांत करोगे!वो तुरंत उठ खड़े हुए & कमरे से निकल गये.बाहर अंधेरा था,वो दबे पाँव मेनका के कमरे की ओर गये & धीरे से दरवाज़े पे हाथ रखा.
मेनका को भी कहा नींद आ रही थी.उसे अपने ससुर के लंड की ऐसी लत लगी थी की रात होते ही बस वो उनकी मज़बूत बाहों मे क़ैद हो उनसे जम कर चुदवाना चाहती थी.वो बिस्तर पे कर वते बदल रही थी & उसकी बगल मे उसकी मा गहरी नींद मे सो रही थी.उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बावली होने लगी तो वो नाइटी के उपर से ही उसे दबाने लगी.तभी उसकी नज़र दरवाज़े पे गयी जोकि आहिस्ते से खुला & उसे उसमे उसके ससुर नज़र आए.
वो जल्दी से उठ दबे पाँव भागते हुई दरवाज़े पे आई,"क्या कर रहे हो?तुम बिल्कुल पागल हो.जाओ यहा से!मा सो रही हैं यहा.",वो फुसफुसा.
"चले जाएँगे पर तुम भी साथ चलो."
"ऑफ..ओह!तुम सच मे पागल हो गये हो रात मे मा उठ गयी तो क्या होगा?!"
"ठीक है तो हम ही यहा आ जाते हैं.",राजा साहब अंदर आए & दरवाज़ा बंद कर दिया.
"यश..यहा...जाओ ना..मा उठ जाएँगी!"
"नही उठेंगी.नींद की गोलिया उन्हे उठने नही देंगी.",उन्होने उसे बाहों मे भर के चूम लिया.
"नही...प्लीज़..",मेनका कसमसाई पर राजा साहब ने उसे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया था.चाहिए तो उसे भी यही था पर उसकी मा के कमरे मे होने की वजह से उसे बहुत डर लग रहा था.राजा साहब भी जानते थे कि सब कुच्छ जल्दी करना होगा.उन्होने उसकी नाइटी नीचे से उठा अपने हाथ अंदर घुसा दिए.मेनका ने नाइटी के नीचे कुच्छ भी नही पहना था & अब राजा साहब के हाथों मे उसकी भरी-2 गंद मसली जा रही थी.
उसकी आँखे बंद हो गयी,"..ना..ही..यश..मा...जाग जा..एँ...गी.."
राजा साहब उसे चूमते हुए दीवार से लगे 1 छ्होटे शेल्फ के पास ले गये & उसे उसपे बिठा दिया.उनका 1 हाथ उसकी छातिया दबा रहा था & दूसरा चूत मे घुस गे था.मेनका हवा मे उड़ने लगी.उसने अपनी आँखें खोल अपनी मा की तरफ देखा,वो बेख़बर सो रही थी,उसे बहुत डर लग रहा था पर साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था.पकड़े जाने का डर उसे 1 अलग तरह का मज़ा दे रहा था.
राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को छेड़ने लगी तो उसकी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़ने लगी.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आहों पे काबू रखा था.उसने भी अपने हाथ राजा साहब के कुर्ते मे घुसा उनकी पीठ नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब ने जैसे ही महसूस किया कि मेनका उनके चूत रगड़ने से झाड़ कर पूरी तारह गीली हो चुकी है,उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोल उसे नीचे कर दिया.अब नाइटी उसकी कमर पे थी & उसकी चुचियाँ & चूत नंगे थे.
गतान्क से आगे......................
रात 9 बजे राजा साहब मेनका & उसके माता-पिता के साथ उनके महल मे बैठे खाना खा रहे थे.उनलोगो ने ज़िद करके राजा साहब को आज रात महल मे रुक कल सुबह राजपुरा जाने के लिए तैय्यार कर लिया था.
खाने के बाद राजा साहब को 1 नौकर उनके लिए तैय्यर किए गये कमरे मे ले आया.थोड़ी ही देर बाद मेनका भी वाहा 1 नौकर के साथ आई,"लाओ ग्लास हमे दो,शंभू.",ग्लास थामा वो नौकर कमरे से बाहर चला गया.
"ये लीजिए दूध पीकर सो जाइए."
राजा साहब ने 1 हाथ बढ़ा ग्लास लिया & दूसरा उसकी कमर मे डाल उसे अपने पास खींच लिया,"हमे ये नही वो दूध चाहिए.",उनका इशारा उसकी छातियो की तरफ था.
"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा...छ्चोड़ो ना!",मेनका घबरा के उनकी गिरफ़्त से छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी.
"कोई नही आएगा.चलो हमे अपना दूध पिलाओ.",उन्होने उसके 1 गाल पे चूम लिया.
"प्लीज़..यश...!कोई देख लेगा ना!"
"जब तक नही पिलाओगी,नही छ्चोड़ेंगे.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए.
"अच्छा बाबा..पहले ये ग्लास ख़तम करो..जल्दी!",उसने उनके हाथ से ग्लास ले उनके मुँह से लगा दिया.राजा साहब ने 1 घूँट मे ही उसे ख़तम कर दिया.,"चलो अब अपना दूध पिलाओ."
"शंभू!",मेनका ने नौकर को पुकारा.
"जी!राजकुमारी.",नौकर की आवाज़ सुनते ही राजा साहब अपनी बहू से अलग हो गये.
"ये ग्लास ले जाओ.",और उसके पीछे-2 वो भी कमरे से बाहर जाने लगी,दरवाज़े पे रुक के मूड के उसने शरारत से राजा साहब की तरफ देखा & जीभ निकाल कर चिढ़ते हुए अंगूठा दिखाया & चली गयी.राजा साहब मन मसोस कर रह गये.उनका खड़ा लंड उन्हे बहुत परेशान कर रहा था.उसे शांत करने की गाराज़ से वो कमरे से बाहर आ टहलने लगे.तभी उन्हे रानी साहिबा,मेनका की मा आती दिखाई दी.
"क्या हुआ राजा साहब?कोई तकलीफ़ तो नही?"
"जी बिल्कुल नही.सोने के पहले थोड़ा टहलने की आदत है बस इसीलिए यहा घूम रहे हैं....बुरा मत मानीएगा पर ये दावा किसी की तबीयत खराब है क्या?",उन्होने उनके हाथों की तरफ इशारा किया.
"अरे नही,राजा साहब बुरा क्यू मानेंगे.हुमारी नींद की गोलिया हैं,कभी-कभार लेनी पड़ जाती हैं."
इसके बाद थोड़ी सी और बातें हुई & फिर दोनो अपने-2 कमरो मे चले गये पर राजा साहब के आँखों मे नींद कहा थी.जब तक अपनी बहू के अंदर वो 2-3 बार अपना पानी नही गिरा देते थे,उन्हे नींद कहा आती थी.मेनका के जिस्म की चाह कुच्छ ज़्यादा भड़कने लगी तो उन्होने उस पे से ध्यान हटाने के लिए दूसरी बातें सोचना शुरू किया.
वो जब्बार से बदला लेने के बारे मे सोचने लगे.उनका दिल तो कर रहा था की उस नीच इंसान को अपने हाथो से चीर के रख दे पर ऐसा करने से वो क़ानून की नज़रो मे गुनेहगार बन जाते.अगर वो क़ानून का सहारा लेते तो जब्बार शर्तिया बच जाता क्यूकी कोई भी सबूत नही था जोकि उसे विश्वा का कातिल साबित करता.उसे सज़ा देने के लिए उन्हे उसी के जैसी चालाकी से काम लेना होगा,ये उन्हे अच्छी तरह से समझ मे आ गया था.मगर कैसे....वो ऐसी चाल चलना चाहते थे जिस से साँप भी मार जाए & लाठी भी ना टूटे.पहले की बात होती तब शायद वो इतना नही सोचते & अभी तक जब्बार उनके हाथो मर भी चुका होता पर अब मेनका की ज़िंदगी भी उनके साथ जुड़ी थी & वो कोई ऐसा कदम नही उठना चाहते थे जिस से उसे कोई परेशानी उतनी पड़े.उसका ख़याल आते ही उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा.
वो फिर से बेचैन हो उठे.1 बार तो उन्होने सोचा कि लंड को हाथ से ही शांत कर दे पर फिर उनके दिल ने कहा कि लानत है राजा यशवीर सिंग!तुम्हारी दिलरुबा बस चंद कदमो के फ़ासले पे है & तुम खुद को मूठ मार कर शांत करोगे!वो तुरंत उठ खड़े हुए & कमरे से निकल गये.बाहर अंधेरा था,वो दबे पाँव मेनका के कमरे की ओर गये & धीरे से दरवाज़े पे हाथ रखा.
मेनका को भी कहा नींद आ रही थी.उसे अपने ससुर के लंड की ऐसी लत लगी थी की रात होते ही बस वो उनकी मज़बूत बाहों मे क़ैद हो उनसे जम कर चुदवाना चाहती थी.वो बिस्तर पे कर वते बदल रही थी & उसकी बगल मे उसकी मा गहरी नींद मे सो रही थी.उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बावली होने लगी तो वो नाइटी के उपर से ही उसे दबाने लगी.तभी उसकी नज़र दरवाज़े पे गयी जोकि आहिस्ते से खुला & उसे उसमे उसके ससुर नज़र आए.
वो जल्दी से उठ दबे पाँव भागते हुई दरवाज़े पे आई,"क्या कर रहे हो?तुम बिल्कुल पागल हो.जाओ यहा से!मा सो रही हैं यहा.",वो फुसफुसा.
"चले जाएँगे पर तुम भी साथ चलो."
"ऑफ..ओह!तुम सच मे पागल हो गये हो रात मे मा उठ गयी तो क्या होगा?!"
"ठीक है तो हम ही यहा आ जाते हैं.",राजा साहब अंदर आए & दरवाज़ा बंद कर दिया.
"यश..यहा...जाओ ना..मा उठ जाएँगी!"
"नही उठेंगी.नींद की गोलिया उन्हे उठने नही देंगी.",उन्होने उसे बाहों मे भर के चूम लिया.
"नही...प्लीज़..",मेनका कसमसाई पर राजा साहब ने उसे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया था.चाहिए तो उसे भी यही था पर उसकी मा के कमरे मे होने की वजह से उसे बहुत डर लग रहा था.राजा साहब भी जानते थे कि सब कुच्छ जल्दी करना होगा.उन्होने उसकी नाइटी नीचे से उठा अपने हाथ अंदर घुसा दिए.मेनका ने नाइटी के नीचे कुच्छ भी नही पहना था & अब राजा साहब के हाथों मे उसकी भरी-2 गंद मसली जा रही थी.
उसकी आँखे बंद हो गयी,"..ना..ही..यश..मा...जाग जा..एँ...गी.."
राजा साहब उसे चूमते हुए दीवार से लगे 1 छ्होटे शेल्फ के पास ले गये & उसे उसपे बिठा दिया.उनका 1 हाथ उसकी छातिया दबा रहा था & दूसरा चूत मे घुस गे था.मेनका हवा मे उड़ने लगी.उसने अपनी आँखें खोल अपनी मा की तरफ देखा,वो बेख़बर सो रही थी,उसे बहुत डर लग रहा था पर साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था.पकड़े जाने का डर उसे 1 अलग तरह का मज़ा दे रहा था.
राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को छेड़ने लगी तो उसकी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़ने लगी.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आहों पे काबू रखा था.उसने भी अपने हाथ राजा साहब के कुर्ते मे घुसा उनकी पीठ नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब ने जैसे ही महसूस किया कि मेनका उनके चूत रगड़ने से झाड़ कर पूरी तारह गीली हो चुकी है,उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोल उसे नीचे कर दिया.अब नाइटी उसकी कमर पे थी & उसकी चुचियाँ & चूत नंगे थे.