hotaks444
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भोला ने अपनी बाहों को कामया के नीचे से निकाल कर उसके साथ उसकी गाउनको भी निकाल दिया था और एक बार उसकी नंगे तन को पीछे से देखा था और फिर से उसे घुमाकर अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद करते हुए उसकी पीठ पर रख दिया था उसका एक हाथों कामया की एक चुचि पर था नीचे से जाते हुए और दूसरा हाथ अब भी उसकी योनि में था और अपने काम में लगा हुआ था होंठों ने एक बार उसकी पीठ का जायजा लिया और फिर अचानक ही अपने मुँह को उसकी पीठ पर गढ़ा दिया और फिर एक लंबा सा चुंबन जड़ दिया एक लंबी सी चीख और साथ में एक लंबी सी सिसकारी उस कमरे में गूँजी और फिर शांत हो गई थी पर कामया की भूख और भी बढ़ गई थी और भोला की चाहत भी
भोला लगा तार वही करता जा रहा था और अपने हाथों का दबाब भी उसकी चुचियों पर बढ़ाने लगा था फिर आचनक ही उसने अपनी उंगली को कामया के योनि से निकाल लिया था और पीछे से ही उसकी योनि में अपना डंडा घुसाने की कोशिस करने लगा था एक गरम सा लोहे जैसा सख़्त उसका लिंग जैसे ही, कामया की चूत के द्वार पर थोड़ा सा घुसा कामया की आखें बंद थी वो और भी कसकर बंद हो गई थी और अपनी कमर को पीछे करते हुए वो लगभग भोला के ऊपर चढ़ जाना चाहती थी
भोला की गिरफ़्त इतनी कसी हुई थी कामया के कमर पर कि कामया को दर्द होने लगा था , पर उसके लिंग के स्पर्श में जो सुख उसे मिल रहा था वो एक अनौखा एहसास था वो उसे और भी अंदर की ओर ले जाने को आतुर थी और अपनी योनि को और भी खोलकर अपनी जाँघो को उसके ऊपर किया और चढ़ती हुई अपनी कमर को और पीछे की ओर धकेलती जा रही थी और भोला अपने एक हाथ से कामया की कमर को पकड़े हुए अपने लिंग को उसकी जगह में और उसके रास्ते में आगे बढ़ाते हुए पीछे से उसको कसकर पकड़ रखा था और धीरे-धीरे आगे पीछे होने लगा था
एक हाथ में उसके चुचे को दबाते हुए वो कामया के चहरे तक भी चला जाता था और, फिर नीचे आते हुए उसकी चुची को फिर से कस कर जकड़ लेता था भोला की मनोस्थिती एकदम मदहोशी के समान थी वो अपने लिंग को अंदर तक पहुँचाने के बाद से ही कामया को अपने आपसे कस कर जोड़े रखना चाहता था और उसकी पीठ पर अपना सिर रखकर अपनी कमर को चलाने लगा था अपने दूसरे हाथ को भी वो कामया चुचियों पर ले आया था और अपने ही जोर से वो दबाता जा रहा था पर कामया के मचलने से और उसकी हरकतो से वो कभी-कभी अपनी पकड़ को ढीला भी करता था और फिर कसकर पकड़ लेता था पर हर बार वो इस तरह से अपने आपको उठाती और गिराती थी कि भोला को अपनी स्पीड को बरकरार रखने में थोड़ा सा दिक्कत होती थी कामया के झटपटाने का ढंग अब निरंतर बढ़ने लगा था वो अपना सिर पीछे की ओर करते हुए भोला के सिर से लग गई थी अगर भोला उसे अपना सिर उठाकर जगह नहीं देता तो शायद उसके माथे पर ही जोर से सिर मार देती पर भोला के सिर उठाने से एक रास्ता कामया के लिए बन गया था और अपने सिर को भोला के कंधे पर टिका लिया था और अपनी नथुने और मुख से निकल रही सांसों को वो भोला के चहरे पर फेकने लगी थी
कामया की हालत खराब थी पर वो अपने नितंबों को कस कर भोला की जाँघो के जाइंट पर टिकाए हुए थी और भोला का एक हाथ उसकी जाँघो के सामने की ओर से होते हुए उसके बीच में था और पीछे से वो लगातार अपनी रफ़्तार को बनाए हुए था कामया के शरीर में एक अजीब सी हलचल मची हुई थी और उसे पता था कि वो ज्यादा देर तक अब नही रुक सकती थी क्योंकी भोला की पकड़ के सामने वो अब बिल्कुल बेबस थी उसकी बाँहे सिर्फ़ शायद उसके हाथों और टांगों पर ही कुछ जगह को छोड़ती थी और हर कही भोला था उसकी चुचियों से लेकर उसके पेट तक और उसके चहरे से लेकर उसकी जाँघो तक वो था हर कही वो था एक ओक्टोपस की तरह शायद उससे भी ज्यादा जगह घेर रखी थी उसने और उसके धक्के लगाने की रफ़्तार भी इतनी तेज थी कि हर धक्के में एक आहह कामया के मुख से निकल आती थी उसकी चोट इतनी अंदर तक जाती थी कि शायद उसके मुख तक आती थी वो बड़ा सा लिंग कही अंदर एक उफ्फान सा उठाने लगा था कामया के अंदर और वो निरंतर वायलेंट होती जा रही थी उसके होंठों को अब कुछ चाहिए था अपने एक हाथ को उसने भोला के हाथों के ऊपर से हटा कर भोला के गालों को पकड़कर अपनी ओर करती हुई उसके होंठों को ढूँढ़ ही लिया था उसने और अपने होंठों से उसके होंठों पर टूट पड़ी थी जी जान लगाकर चूस रही थी
पर भोला भी कम नहीं था अपने उल्टे हाथ को उसकी चुचियों से हटा कर उसने भी कामया के चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके पूरे होंठों को अपने अंदर कर लिया था चूसने और चुबलने का एक ऐसा दौर शुरू हुआ था कि जिसका कि कोई अंत नहीं था कामया का एक हाथ छूट कर अब बिस्तर पर घूमने लगा था वो धीरे-धीरे अपने मुकाम को हासिल करने वाली थी उसकी उत्तेजना तो देखते ही बनती थी सीधे हाथ को भोला के हाथों पर रखे हुए अपनी कमर को उसकी स्पीड के साथ आगे पीछे करते हुए वो बिस्तर पर हर चीज को पकड़कर अपने पास खींचने लगी थी बेड शीट और पिल्लो को भी .
भोला लगा तार वही करता जा रहा था और अपने हाथों का दबाब भी उसकी चुचियों पर बढ़ाने लगा था फिर आचनक ही उसने अपनी उंगली को कामया के योनि से निकाल लिया था और पीछे से ही उसकी योनि में अपना डंडा घुसाने की कोशिस करने लगा था एक गरम सा लोहे जैसा सख़्त उसका लिंग जैसे ही, कामया की चूत के द्वार पर थोड़ा सा घुसा कामया की आखें बंद थी वो और भी कसकर बंद हो गई थी और अपनी कमर को पीछे करते हुए वो लगभग भोला के ऊपर चढ़ जाना चाहती थी
भोला की गिरफ़्त इतनी कसी हुई थी कामया के कमर पर कि कामया को दर्द होने लगा था , पर उसके लिंग के स्पर्श में जो सुख उसे मिल रहा था वो एक अनौखा एहसास था वो उसे और भी अंदर की ओर ले जाने को आतुर थी और अपनी योनि को और भी खोलकर अपनी जाँघो को उसके ऊपर किया और चढ़ती हुई अपनी कमर को और पीछे की ओर धकेलती जा रही थी और भोला अपने एक हाथ से कामया की कमर को पकड़े हुए अपने लिंग को उसकी जगह में और उसके रास्ते में आगे बढ़ाते हुए पीछे से उसको कसकर पकड़ रखा था और धीरे-धीरे आगे पीछे होने लगा था
एक हाथ में उसके चुचे को दबाते हुए वो कामया के चहरे तक भी चला जाता था और, फिर नीचे आते हुए उसकी चुची को फिर से कस कर जकड़ लेता था भोला की मनोस्थिती एकदम मदहोशी के समान थी वो अपने लिंग को अंदर तक पहुँचाने के बाद से ही कामया को अपने आपसे कस कर जोड़े रखना चाहता था और उसकी पीठ पर अपना सिर रखकर अपनी कमर को चलाने लगा था अपने दूसरे हाथ को भी वो कामया चुचियों पर ले आया था और अपने ही जोर से वो दबाता जा रहा था पर कामया के मचलने से और उसकी हरकतो से वो कभी-कभी अपनी पकड़ को ढीला भी करता था और फिर कसकर पकड़ लेता था पर हर बार वो इस तरह से अपने आपको उठाती और गिराती थी कि भोला को अपनी स्पीड को बरकरार रखने में थोड़ा सा दिक्कत होती थी कामया के झटपटाने का ढंग अब निरंतर बढ़ने लगा था वो अपना सिर पीछे की ओर करते हुए भोला के सिर से लग गई थी अगर भोला उसे अपना सिर उठाकर जगह नहीं देता तो शायद उसके माथे पर ही जोर से सिर मार देती पर भोला के सिर उठाने से एक रास्ता कामया के लिए बन गया था और अपने सिर को भोला के कंधे पर टिका लिया था और अपनी नथुने और मुख से निकल रही सांसों को वो भोला के चहरे पर फेकने लगी थी
कामया की हालत खराब थी पर वो अपने नितंबों को कस कर भोला की जाँघो के जाइंट पर टिकाए हुए थी और भोला का एक हाथ उसकी जाँघो के सामने की ओर से होते हुए उसके बीच में था और पीछे से वो लगातार अपनी रफ़्तार को बनाए हुए था कामया के शरीर में एक अजीब सी हलचल मची हुई थी और उसे पता था कि वो ज्यादा देर तक अब नही रुक सकती थी क्योंकी भोला की पकड़ के सामने वो अब बिल्कुल बेबस थी उसकी बाँहे सिर्फ़ शायद उसके हाथों और टांगों पर ही कुछ जगह को छोड़ती थी और हर कही भोला था उसकी चुचियों से लेकर उसके पेट तक और उसके चहरे से लेकर उसकी जाँघो तक वो था हर कही वो था एक ओक्टोपस की तरह शायद उससे भी ज्यादा जगह घेर रखी थी उसने और उसके धक्के लगाने की रफ़्तार भी इतनी तेज थी कि हर धक्के में एक आहह कामया के मुख से निकल आती थी उसकी चोट इतनी अंदर तक जाती थी कि शायद उसके मुख तक आती थी वो बड़ा सा लिंग कही अंदर एक उफ्फान सा उठाने लगा था कामया के अंदर और वो निरंतर वायलेंट होती जा रही थी उसके होंठों को अब कुछ चाहिए था अपने एक हाथ को उसने भोला के हाथों के ऊपर से हटा कर भोला के गालों को पकड़कर अपनी ओर करती हुई उसके होंठों को ढूँढ़ ही लिया था उसने और अपने होंठों से उसके होंठों पर टूट पड़ी थी जी जान लगाकर चूस रही थी
पर भोला भी कम नहीं था अपने उल्टे हाथ को उसकी चुचियों से हटा कर उसने भी कामया के चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके पूरे होंठों को अपने अंदर कर लिया था चूसने और चुबलने का एक ऐसा दौर शुरू हुआ था कि जिसका कि कोई अंत नहीं था कामया का एक हाथ छूट कर अब बिस्तर पर घूमने लगा था वो धीरे-धीरे अपने मुकाम को हासिल करने वाली थी उसकी उत्तेजना तो देखते ही बनती थी सीधे हाथ को भोला के हाथों पर रखे हुए अपनी कमर को उसकी स्पीड के साथ आगे पीछे करते हुए वो बिस्तर पर हर चीज को पकड़कर अपने पास खींचने लगी थी बेड शीट और पिल्लो को भी .