hotaks444
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मेने फिर भी अपने अटॅक जारी रखते हुए कहा – ये बात आपको पहले सोचनी चाहिए थी एसपी साब, अगर मे ये केस अपने हाथ में ना लेता तो क्या फिर भी आप इसी तरह अफ़सोस जताते..?
इस घर ने क्या नही दिया आपको, पढ़ाया लिखाया, इस काबिल बनाया और आप बाबूजी की बात को भी दरकिनार कर के अपने ऊपर के प्रेशर में आ गये…
वैसे बताना चाहेंगे… कि वो प्रेशर किधर से आया था…?
वो मेरी बात सुनकर सकपका गये… जल्दी ही कोई जबाब नही सूझा उन्हें,… मेने फिरसे चोट करदी…या मे बताऊ, वो प्रेशर किधर से आया था…?
उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी… गिड-गिडाते हुए मेरा हाथ पकड़ा.. और मुझे एक तरफ को लेकर चल दिए…
सब लोगों से दूर मुझे एक कोने में ले जाकर बोले – मेरी इज़्ज़त बचा ले भाई… वादा करता हूँ.. फिर कभी अपने परिवार के खिलाफ नही जाउन्गा…
कामिनी की बातों में आकर मेने बहुत बड़ी भूल कर दी,…एक बार माफ़ कर्दे यार ! अपने भाई का कुछ तो मान रखले…
मे – ठीक है भैया, मे अपना केस वापस लेने को तैयार हूँ… लेकिन मेरी एक बात का जबाब देना होगा आपको…
एक आशा की किरण नज़र आते ही वो बोल पड़े… बोल भाई किस बात का जबाब चाहिए तुझे…मे तेरे हर सवाल का जबाब देने को तैयार हूँ…
मे – तो बताइए… ऐसी कॉन सी बात थी, जिसकी वजह से कामिनी भाभी ने आपको मदद करने से रोका था…?
भैया – शायद वो मोहिनी भाभी से नफ़रत करती है…, उस समय उसने हट ठान ली कि मे उस केस में उनकी कोई मदद ना करूँ, वरना वो शूसाइड कर लेगी…,
और उसकी इस हट के आगे मुझे झुकना पड़ा…
मे समझ गया कि भैया को असल बात पता नही है इसलिए उन्होने ये अस्यूम कर लिया है,
मे – तो फिर अब मुझसे मदद माँगने के बाद उनसे क्या कहेंगे..? क्या अब वो नही रोकेंगी आपको मदद लेने के लिए…?
वो थोड़ा दुखी स्वर में बोले – सच कहूँ मेरे भाई, तो मुझे भी अब उससे नफ़रत सी होने लगी है, उसकी आदतें बहुत खराब हैं… जिन्हें मे तुम्हें बता भी नही सकता…
वो अपने बाप की पॉवर का फ़ायदा उठाकर ना जाने क्या – 2 ग़लत सलत काम करती है..और मुझे भी करने के लिए उकसाती रहती है…
मुझे तो लगता है उसका चरित्र भी ठीक नही है, मे अब उससे किसी तरह छुटकारा पाना चाहता हूँ… लेकिन क्या करूँ मजबूर हूँ.
मेने अपनी नज़रें उनके चेहरे पर जमा दी, और उनके चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगा, जहाँ मुझे एक बेबस इंसान ही नज़र आया…
अतः उनकी मजबूरी समझते हुए मेने कहा – ठीक है भैया…मे अपना केस वापस ले रहा हूँ, लेकिन वादा करिए… जाने से पहले आप मोहिनी भाभी से माफी ज़रूर माँगेंगे…
उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया, उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े… और रुँधे गले से बोले – भाभी मुझे माफ़ कर देंगी…?
मे – बहुत बड़ा दिल है उनका… आइए मेरे साथ…
फिर हम दोनो घर के अंदर गये… भाभी और निशा आँगन में ही बैठी थी, जो हम दोनो को देखते ही उठ कर खड़ी हो गयी…
भैया दौड़ कर भाभी के पैरों में गिर पड़े, और रोते हुए बोले – अपने देवर को माफ़ कर दीजिए भाभी… मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी..
भाभी ने उनके कंधे पकड़ कर उठने को कहा और बोली – परिवार में एक दूसरे से माफी नही माँगी जाती देवर जी, कुछ फ़र्ज़ निभाने होते हैं…, जिन्हें शायद आप भूल गये थे…
अब अगर एक देवर अपनी भाभी से बात कर रहा है… तो भाभी कभी अपनों से नाराज़ ही नही हुई… हां एक पोलीस ऑफीसर को मे कभी माफ़ नही कर पाउन्गी…
फिर उन्होने निशा को इशारा किया, उसने भैया के पैर छुये…, तो वो उसकी ओर हैरत से देखने लगे…
भाभी मुस्कराते हुए बोली – अपने छोटे भाई की पत्नी को आशीर्वाद दीजिए देवर जी…
भाभी की बात सुनकर उन्होने मेरी तरफ मूड कर देखा… मे खड़ा-2 मुस्करा रहा था…
भैया – ये क्या भाई… इतनी नाराज़गी… अपने भाई को बुलाया तक नही…
मे – रामा दीदी तक को भी नही बुलाया, ये सब जल्दबाज़ी में और सिंपल तरीक़े से ही हुआ…, और वादा करिए, अभी ये बात आप भी किसी को नही बताएँगे…
वो कुछ देर और भाभी के पास रहे, गिले सिकवे दूर किए, और फिर बाहर चले गये…,
कुछ देर घर में ठहरकर मेने भाभी और निशा को बताया कि, मेने अपना केस वापस लेने का फ़ैसला लिया है, जो उन्होने भी उचित ठहराया..
भैया ने अपने साथ आए पोलीस वालों को वापस भेज दिया, और वो उस रात हमारे साथ ही रुके,
आज हम सभी एक साथ मिलकर बहुत खुश थे, रात में बैठ कर गीले शिकवे दूर करते रहे और फिर एक नयी सुबह के इंतेज़ार में सोने चले गये…
दूसरी सुबह घर से ही हम दोनो भाई सीधे कोर्ट गये, जहाँ मेने अपनी कंप्लेंट वापस ले ली.. इस तरह से मेने अपने भटके हुए भाई को वापस पा लिया था…!
दूसरे दिन बड़े भैया को यूनिवर्सिटी जाना था, कोई ट्रैनिंग प्रोग्राम में, दो दिन का टूर था, तो वो सुवह ही घर से निकल गये…
मेरे पास कोई काम नही था…, एक दो छोटे मोटे केस थे, जो मेरे असिस्टेंट ने ही संभाल लिए थे…तो मे सारे दिन घर पर ही रहा…पूरा दिन ऐसे ही निकाल दिया,
थोड़ा खेतों की तरफ निकल गया… बाबूजी से गॅप-सॅप की, चाचियों के यहाँ टाइम पास किया…
छोटी चाची के बच्चे के साथ खेला, उनके साथ रोमॅंटिक छेड़-छाड़ की.. और सारा दिन इन्ही बातों में गुजर गया… रात का खाना खाकर बाबूजी अपने चौपाल पर चले गये…
घर का काम काज निपटाकर भाभी और निशा दोनो ही मेरे रूम में आ गयी… उस वक़्त मे रूचि के साथ खेल रहा था…
वो मेरे पेट पर बैठी थी, मे उसकी बगलों में गुद-गुदि कर रहा था, जिससे वो इधर-उधर मेरे ऊपर कूदते हुए खिल-खिला रही थी…
जब हम तीनो आपस में बातें करने लगे.., थोड़ी देर में ही रूचि सोगयि तो भाभी उसे अपने रूम में सुलाने ले गयी,…
वापस आकर भाभी हमारे पास ही पलंग पर आकर बैठ गयी, और मुझसे अपने देल्ही के दिनो के बारे में पूछने लगी…
भाभी – आज थोड़ा अपने देल्ही में बिताए हुए दिनो के बारे में कुछ बताओ लल्ला जी, क्या कुछ किया इन 4 सालों में…
मे निशा की तरफ देखने लगा… तो भाभी… मज़े लेते हुए बोली -
अच्छा जी ! तो अब भाभी से ज़्यादा बीवी हो गयी… उसकी पर्मिशन चाहिए बोलने को… कोई बात नही, निशा तू ही बोल इनको ….
वो तो बस नज़र झुकाए मुस्कराए जा रही थी..
मेने कहा – ऐसी बात नही है भाभी… बस ऐसी कुछ खट्टी-मीठी यादें हैं, जो शायद निशा हजम ना कर सके..
भाभी – क्यों ऐसा क्या किया जो उसे हजम नही होंगी..? कोई लड़की वाडकी का चक्कर था क्या…?
मे – ऐसा ही कुछ समझ लीजिए…
इस घर ने क्या नही दिया आपको, पढ़ाया लिखाया, इस काबिल बनाया और आप बाबूजी की बात को भी दरकिनार कर के अपने ऊपर के प्रेशर में आ गये…
वैसे बताना चाहेंगे… कि वो प्रेशर किधर से आया था…?
वो मेरी बात सुनकर सकपका गये… जल्दी ही कोई जबाब नही सूझा उन्हें,… मेने फिरसे चोट करदी…या मे बताऊ, वो प्रेशर किधर से आया था…?
उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी… गिड-गिडाते हुए मेरा हाथ पकड़ा.. और मुझे एक तरफ को लेकर चल दिए…
सब लोगों से दूर मुझे एक कोने में ले जाकर बोले – मेरी इज़्ज़त बचा ले भाई… वादा करता हूँ.. फिर कभी अपने परिवार के खिलाफ नही जाउन्गा…
कामिनी की बातों में आकर मेने बहुत बड़ी भूल कर दी,…एक बार माफ़ कर्दे यार ! अपने भाई का कुछ तो मान रखले…
मे – ठीक है भैया, मे अपना केस वापस लेने को तैयार हूँ… लेकिन मेरी एक बात का जबाब देना होगा आपको…
एक आशा की किरण नज़र आते ही वो बोल पड़े… बोल भाई किस बात का जबाब चाहिए तुझे…मे तेरे हर सवाल का जबाब देने को तैयार हूँ…
मे – तो बताइए… ऐसी कॉन सी बात थी, जिसकी वजह से कामिनी भाभी ने आपको मदद करने से रोका था…?
भैया – शायद वो मोहिनी भाभी से नफ़रत करती है…, उस समय उसने हट ठान ली कि मे उस केस में उनकी कोई मदद ना करूँ, वरना वो शूसाइड कर लेगी…,
और उसकी इस हट के आगे मुझे झुकना पड़ा…
मे समझ गया कि भैया को असल बात पता नही है इसलिए उन्होने ये अस्यूम कर लिया है,
मे – तो फिर अब मुझसे मदद माँगने के बाद उनसे क्या कहेंगे..? क्या अब वो नही रोकेंगी आपको मदद लेने के लिए…?
वो थोड़ा दुखी स्वर में बोले – सच कहूँ मेरे भाई, तो मुझे भी अब उससे नफ़रत सी होने लगी है, उसकी आदतें बहुत खराब हैं… जिन्हें मे तुम्हें बता भी नही सकता…
वो अपने बाप की पॉवर का फ़ायदा उठाकर ना जाने क्या – 2 ग़लत सलत काम करती है..और मुझे भी करने के लिए उकसाती रहती है…
मुझे तो लगता है उसका चरित्र भी ठीक नही है, मे अब उससे किसी तरह छुटकारा पाना चाहता हूँ… लेकिन क्या करूँ मजबूर हूँ.
मेने अपनी नज़रें उनके चेहरे पर जमा दी, और उनके चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगा, जहाँ मुझे एक बेबस इंसान ही नज़र आया…
अतः उनकी मजबूरी समझते हुए मेने कहा – ठीक है भैया…मे अपना केस वापस ले रहा हूँ, लेकिन वादा करिए… जाने से पहले आप मोहिनी भाभी से माफी ज़रूर माँगेंगे…
उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया, उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े… और रुँधे गले से बोले – भाभी मुझे माफ़ कर देंगी…?
मे – बहुत बड़ा दिल है उनका… आइए मेरे साथ…
फिर हम दोनो घर के अंदर गये… भाभी और निशा आँगन में ही बैठी थी, जो हम दोनो को देखते ही उठ कर खड़ी हो गयी…
भैया दौड़ कर भाभी के पैरों में गिर पड़े, और रोते हुए बोले – अपने देवर को माफ़ कर दीजिए भाभी… मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी..
भाभी ने उनके कंधे पकड़ कर उठने को कहा और बोली – परिवार में एक दूसरे से माफी नही माँगी जाती देवर जी, कुछ फ़र्ज़ निभाने होते हैं…, जिन्हें शायद आप भूल गये थे…
अब अगर एक देवर अपनी भाभी से बात कर रहा है… तो भाभी कभी अपनों से नाराज़ ही नही हुई… हां एक पोलीस ऑफीसर को मे कभी माफ़ नही कर पाउन्गी…
फिर उन्होने निशा को इशारा किया, उसने भैया के पैर छुये…, तो वो उसकी ओर हैरत से देखने लगे…
भाभी मुस्कराते हुए बोली – अपने छोटे भाई की पत्नी को आशीर्वाद दीजिए देवर जी…
भाभी की बात सुनकर उन्होने मेरी तरफ मूड कर देखा… मे खड़ा-2 मुस्करा रहा था…
भैया – ये क्या भाई… इतनी नाराज़गी… अपने भाई को बुलाया तक नही…
मे – रामा दीदी तक को भी नही बुलाया, ये सब जल्दबाज़ी में और सिंपल तरीक़े से ही हुआ…, और वादा करिए, अभी ये बात आप भी किसी को नही बताएँगे…
वो कुछ देर और भाभी के पास रहे, गिले सिकवे दूर किए, और फिर बाहर चले गये…,
कुछ देर घर में ठहरकर मेने भाभी और निशा को बताया कि, मेने अपना केस वापस लेने का फ़ैसला लिया है, जो उन्होने भी उचित ठहराया..
भैया ने अपने साथ आए पोलीस वालों को वापस भेज दिया, और वो उस रात हमारे साथ ही रुके,
आज हम सभी एक साथ मिलकर बहुत खुश थे, रात में बैठ कर गीले शिकवे दूर करते रहे और फिर एक नयी सुबह के इंतेज़ार में सोने चले गये…
दूसरी सुबह घर से ही हम दोनो भाई सीधे कोर्ट गये, जहाँ मेने अपनी कंप्लेंट वापस ले ली.. इस तरह से मेने अपने भटके हुए भाई को वापस पा लिया था…!
दूसरे दिन बड़े भैया को यूनिवर्सिटी जाना था, कोई ट्रैनिंग प्रोग्राम में, दो दिन का टूर था, तो वो सुवह ही घर से निकल गये…
मेरे पास कोई काम नही था…, एक दो छोटे मोटे केस थे, जो मेरे असिस्टेंट ने ही संभाल लिए थे…तो मे सारे दिन घर पर ही रहा…पूरा दिन ऐसे ही निकाल दिया,
थोड़ा खेतों की तरफ निकल गया… बाबूजी से गॅप-सॅप की, चाचियों के यहाँ टाइम पास किया…
छोटी चाची के बच्चे के साथ खेला, उनके साथ रोमॅंटिक छेड़-छाड़ की.. और सारा दिन इन्ही बातों में गुजर गया… रात का खाना खाकर बाबूजी अपने चौपाल पर चले गये…
घर का काम काज निपटाकर भाभी और निशा दोनो ही मेरे रूम में आ गयी… उस वक़्त मे रूचि के साथ खेल रहा था…
वो मेरे पेट पर बैठी थी, मे उसकी बगलों में गुद-गुदि कर रहा था, जिससे वो इधर-उधर मेरे ऊपर कूदते हुए खिल-खिला रही थी…
जब हम तीनो आपस में बातें करने लगे.., थोड़ी देर में ही रूचि सोगयि तो भाभी उसे अपने रूम में सुलाने ले गयी,…
वापस आकर भाभी हमारे पास ही पलंग पर आकर बैठ गयी, और मुझसे अपने देल्ही के दिनो के बारे में पूछने लगी…
भाभी – आज थोड़ा अपने देल्ही में बिताए हुए दिनो के बारे में कुछ बताओ लल्ला जी, क्या कुछ किया इन 4 सालों में…
मे निशा की तरफ देखने लगा… तो भाभी… मज़े लेते हुए बोली -
अच्छा जी ! तो अब भाभी से ज़्यादा बीवी हो गयी… उसकी पर्मिशन चाहिए बोलने को… कोई बात नही, निशा तू ही बोल इनको ….
वो तो बस नज़र झुकाए मुस्कराए जा रही थी..
मेने कहा – ऐसी बात नही है भाभी… बस ऐसी कुछ खट्टी-मीठी यादें हैं, जो शायद निशा हजम ना कर सके..
भाभी – क्यों ऐसा क्या किया जो उसे हजम नही होंगी..? कोई लड़की वाडकी का चक्कर था क्या…?
मे – ऐसा ही कुछ समझ लीजिए…