hotaks444
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मेरी बात सुनकर उसने तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखा, और एक कामुक सी मुस्कान देकर बोली – ओह्ह्ह.. तो जनाब सुंदर औरत देखते ही फ्लर्ट करने लगे…, एनीवेस थॅंक्स फॉर कॉंप्लिमेंट…!
माइ प्लेषर बोलकर मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी, मेरी नज़र आगे होते ही वो मेरी तरफ देखने लगी…!
मेने आगे नज़र रखे हुए ही उससे पुछा – आप उसी शहर में रहती हैं..
वो – हां ! मेरा नाम शालिनी है, वहाँ मेरी ससुराल है, फिर उसने अपने परिवार के बारे में बताया, वो एक जॉइंट फॅमिली में रहते हैं,
अच्छा ख़ासा गारमेंट का बिज्निस है, दो भाई हैं, जो एक उसके पति से छोटा है यानी देवर जिसकी शादी किसी ज़मींदार की लड़की के साथ हो चुकी है…!
ज़मींदार शब्द सुनते ही मेरे दिमाग़ ने काम करना शुरू कर दिया.., कहीं ये
रागिनी की जेठानी तो नही..,
लेकिन अपनी एग्ज़ाइट्मेंट पर काबू रखते हुए मेने उस टॉपिक को और आगे नही बढ़ाया वरना शक़ पैदा हो सकता था…
बातों के दौरान मेने उसकी तरफ नज़र डाली, वो लगातार मुझे ही देखे जा रही थी, मेने चुटकी लेते हुए कहा –
क्या देख रही हो मेडम, ऐसा कुछ खास नही है इस थोबडे में जो आप जैसी हसीना के देखने लायक हो…!
वो झेंप कर सामने देखने लगी, फिर कुछ सोच कर बोली – आप भी कुछ बताओ अपने बारे में…!
मे – मेरा कोई खास इंट्रो नही है, मुझे लोग जोसेफ के नाम से जानते हैं…
मस्त मौला मस्त कलंदर आदमी हूँ, जिधर मुँह उठ जाता है, निकल पड़ता हूँ,
खाने कमाने की टेन्षन नही है…बाप दादे ने बहुत कमा के रख छोड़ा है, बस अपनी तो ऐश ही ऐश हैं…!
वो – वैसे आप बड़े दिलचस्प इंसान लगते हैं, और हॅंडसम भी, कोई भी लड़की आपके नज़दीक आना चाहेगी…!
मे – हाहाहा… हॅंडसम और मे..? क्यों चने के झाड़ पर चढ़ा रही हो शालिनी जी.., वैसे आप मेरे नज़दीक आना चाहेंगी क्या…?
मेरी बात से वो मन ही मन मुस्करा उठी, एक कामुक सी नज़र से देखते हुए बोली – अगर आप आने देंगे तो…!
मे – आप जैसी हूर से दूर कों भागना चाहेगा, ये कहकर मेने अपना हाथ उसकी मक्खमली जाँघ पर रखकर उसे धीरे से सहला दिया….!
वो मेरी तरफ झुकने लगी, शायद वो मेरे गाल पर किस करना चाहती थी, लेकिन तभी मेने अपना मुँह उसकी तरफ घुमाया, और हम दोनो के होत आपस में चिपक गये…
शर्म और उत्तेजना से उसके गाल लाल हो गये…!
धीरे-2 उसका भी हाथ मेरी जाँघ से होता हुआ उनके बीच आ गया, और वो जीन्स के उपर से ही मेरे लंड का आकर चेक करने लगी, जो शायद खेली खाई होने की वजह से समझ गयी, कि मेरा मूसल उसकी ओखली की कुटाई अच्छे से कर सकता है…!
शालिनी – वैसे आप हमारे शहर में कहाँ जा रहे हैं…?
मे – वहाँ जाकर कोई अच्छा सा होटेल लेकर एक-दो दिन मटरगस्ति करूँगा…!
उसने कहा – हमारे शहर में 3 स्टार होटेल ही हैं, वैसे शालीमार होटेल बहुत अच्छा है, अगर आप चाहो तो वहाँ रुक सकते हो…!
मेने उसकी तरफ स्माइल देकर कहा – अगर आपको पसंद है, तो वहीं रुक जाएँगे, हमें क्या, मुझे तो कहीं भी अच्छी जगह रुकना है, आप मिलने आओगी ना…!
शालिनी – आप बुलाएँगे तो ज़रूर आउन्गि…, ये कहकर उसने मेरे लंड को अपनी हथेली से मसल दिया.. और खिल-खिलाकर हँस पड़ी…!
मेने अपनी गाड़ी शालीमार होटेल के सामने जाका रोकी, वो मेरी ओर देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी, मुझे पता था ये मेरे साथ अभी के अभी चुदना चाहती है फिर भी मेने उसे छेड़ते हुए कहा…
अगर आप चाहें तो मे आपको आपके घर तक ड्रॉप कर्दू…!
वो कामुक अंदाज से देखते हुए बोली – अभी तो आप दावत दे रहे थे आने की, और अब टरकाना चाहते हैं, चलिए आपका रूम तो देख लूँ…!
मेने मुस्करा कर गाड़ी होटेल के पोर्च की तरफ बढ़ा दी…!
एक अच्छा सा रूम लेकर हम कमरे में गये, काउंटर पर मेने उसका परिचय अपने परिचित के रूप में ही दिया, जो बस मिल-मिलाकर कर कुछ देर में चली जाएगी…!
रूम सर्विस के जाते ही वो मुझसे लिपट गयी, मेने उसकी कसी हुई गान्ड को मसल्ते हुए कहा – ऑश…शालिनी जी, आप तो इतनी जल्दी शुरू हो गयी, थोड़ा फ्रेश व्रेश तो होने दीजिए,
उसकी चूत रास्ते में ही रस छोड़ने लगी थी शायद, सो मेरे होठों को चूमते हुए बोली – मुझे घर भी जाना है, वरना ड्राइवर मुझसे पहले आ गया तो पता नही क्या-क्या बातें बना दे…!
मेने हँसते हुए कहा – चलो ठीक है फिर, जैसी आपकी मर्ज़ी, ये कहकर मेने उसकी साड़ी का पल्लू खींच दिया………..!
साड़ी का पल्लू पकड़ते ही शालिनी खिलखिलाती हुई घूमने लगी, चन्द सेकेंड्स में ही उसकी साड़ी उसके बदन से अपना नाता तोड़कर मेरे हाथों में थी.., जिसे मेने इकट्ठा करके पास पड़े सोफे पर उच्छाल दिया…!
शालिनी की गोरी गोरी चुचियाँ उसके कसे हुए चौड़े गले के ब्लाउस से बाहर को उबली पड़ रही थी, मेने उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने बदन से सटा लिया और अपना मुँह उसकी घाटी के बीच में डाल दिया,
उसके पसीने की महक मेरे नथुनो में सामने लगी, जिसका सीधा असर मेरे लंड महाराजा पर पड़ा, और वो मेरी जीन्स के पीछे नहा धोकर पड़ गया…!
इस समय शालिनी मात्र ब्लाउस और पेटिकोट में थी, उसके गोल-मटोल कद्दू जैसे नितंब फिटिंग वाले पेटिकोट को फाडे दे रहे थे…
उन्हें कसकर मसल्ते हुए मेने उसे अपनी ओर खींचा, मेरा लंड जीन्स फाड़कर उसकी चूत में सामने की कोशिश करने लगा…!
फिर मेने अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके होठ चूस्ते हुए दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगा, ब्लाउस इतना कसा हुआ था कि वो खुल ही नही रहे थे…
जिसमें शालिनी ने खुद से ही अपने आप उसे उतार दिया, तब तक मेने उसका पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया, वो सर सराता हुआ उसके कदमों में जा गिरा…!
आअहह… छोटी सी ब्रा और मात्र दो अंगुल की पट्टीदार पैंटी में शालिनी का भरा हुआ कामुक बदन क्या लग रहा था, गोरी रंगत लिए उसका मक्खन जैसा मादक कूर्वी बदन देख कर में अपना कंट्रोल खोने लगा,
खड़े खड़े ही मेने शालिनी के कंधों पर दबाब डालकर उसे नीचे दबाया, खेली खाई शालिनी मेरा इशारा समझ कर अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरी जीन्स के बटन खोल कर उसने उसे अंडरवेर समेत नीचे खिसका दिया…
बाहर आते ही मेरा 9” लंबा और उसकी कलाई जितना मोटा लंड किसी कोबरा नाग की तरह फुनफुनाकर उसके मुँह पर जा लगा…!
शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?
माइ प्लेषर बोलकर मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी, मेरी नज़र आगे होते ही वो मेरी तरफ देखने लगी…!
मेने आगे नज़र रखे हुए ही उससे पुछा – आप उसी शहर में रहती हैं..
वो – हां ! मेरा नाम शालिनी है, वहाँ मेरी ससुराल है, फिर उसने अपने परिवार के बारे में बताया, वो एक जॉइंट फॅमिली में रहते हैं,
अच्छा ख़ासा गारमेंट का बिज्निस है, दो भाई हैं, जो एक उसके पति से छोटा है यानी देवर जिसकी शादी किसी ज़मींदार की लड़की के साथ हो चुकी है…!
ज़मींदार शब्द सुनते ही मेरे दिमाग़ ने काम करना शुरू कर दिया.., कहीं ये
रागिनी की जेठानी तो नही..,
लेकिन अपनी एग्ज़ाइट्मेंट पर काबू रखते हुए मेने उस टॉपिक को और आगे नही बढ़ाया वरना शक़ पैदा हो सकता था…
बातों के दौरान मेने उसकी तरफ नज़र डाली, वो लगातार मुझे ही देखे जा रही थी, मेने चुटकी लेते हुए कहा –
क्या देख रही हो मेडम, ऐसा कुछ खास नही है इस थोबडे में जो आप जैसी हसीना के देखने लायक हो…!
वो झेंप कर सामने देखने लगी, फिर कुछ सोच कर बोली – आप भी कुछ बताओ अपने बारे में…!
मे – मेरा कोई खास इंट्रो नही है, मुझे लोग जोसेफ के नाम से जानते हैं…
मस्त मौला मस्त कलंदर आदमी हूँ, जिधर मुँह उठ जाता है, निकल पड़ता हूँ,
खाने कमाने की टेन्षन नही है…बाप दादे ने बहुत कमा के रख छोड़ा है, बस अपनी तो ऐश ही ऐश हैं…!
वो – वैसे आप बड़े दिलचस्प इंसान लगते हैं, और हॅंडसम भी, कोई भी लड़की आपके नज़दीक आना चाहेगी…!
मे – हाहाहा… हॅंडसम और मे..? क्यों चने के झाड़ पर चढ़ा रही हो शालिनी जी.., वैसे आप मेरे नज़दीक आना चाहेंगी क्या…?
मेरी बात से वो मन ही मन मुस्करा उठी, एक कामुक सी नज़र से देखते हुए बोली – अगर आप आने देंगे तो…!
मे – आप जैसी हूर से दूर कों भागना चाहेगा, ये कहकर मेने अपना हाथ उसकी मक्खमली जाँघ पर रखकर उसे धीरे से सहला दिया….!
वो मेरी तरफ झुकने लगी, शायद वो मेरे गाल पर किस करना चाहती थी, लेकिन तभी मेने अपना मुँह उसकी तरफ घुमाया, और हम दोनो के होत आपस में चिपक गये…
शर्म और उत्तेजना से उसके गाल लाल हो गये…!
धीरे-2 उसका भी हाथ मेरी जाँघ से होता हुआ उनके बीच आ गया, और वो जीन्स के उपर से ही मेरे लंड का आकर चेक करने लगी, जो शायद खेली खाई होने की वजह से समझ गयी, कि मेरा मूसल उसकी ओखली की कुटाई अच्छे से कर सकता है…!
शालिनी – वैसे आप हमारे शहर में कहाँ जा रहे हैं…?
मे – वहाँ जाकर कोई अच्छा सा होटेल लेकर एक-दो दिन मटरगस्ति करूँगा…!
उसने कहा – हमारे शहर में 3 स्टार होटेल ही हैं, वैसे शालीमार होटेल बहुत अच्छा है, अगर आप चाहो तो वहाँ रुक सकते हो…!
मेने उसकी तरफ स्माइल देकर कहा – अगर आपको पसंद है, तो वहीं रुक जाएँगे, हमें क्या, मुझे तो कहीं भी अच्छी जगह रुकना है, आप मिलने आओगी ना…!
शालिनी – आप बुलाएँगे तो ज़रूर आउन्गि…, ये कहकर उसने मेरे लंड को अपनी हथेली से मसल दिया.. और खिल-खिलाकर हँस पड़ी…!
मेने अपनी गाड़ी शालीमार होटेल के सामने जाका रोकी, वो मेरी ओर देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी, मुझे पता था ये मेरे साथ अभी के अभी चुदना चाहती है फिर भी मेने उसे छेड़ते हुए कहा…
अगर आप चाहें तो मे आपको आपके घर तक ड्रॉप कर्दू…!
वो कामुक अंदाज से देखते हुए बोली – अभी तो आप दावत दे रहे थे आने की, और अब टरकाना चाहते हैं, चलिए आपका रूम तो देख लूँ…!
मेने मुस्करा कर गाड़ी होटेल के पोर्च की तरफ बढ़ा दी…!
एक अच्छा सा रूम लेकर हम कमरे में गये, काउंटर पर मेने उसका परिचय अपने परिचित के रूप में ही दिया, जो बस मिल-मिलाकर कर कुछ देर में चली जाएगी…!
रूम सर्विस के जाते ही वो मुझसे लिपट गयी, मेने उसकी कसी हुई गान्ड को मसल्ते हुए कहा – ऑश…शालिनी जी, आप तो इतनी जल्दी शुरू हो गयी, थोड़ा फ्रेश व्रेश तो होने दीजिए,
उसकी चूत रास्ते में ही रस छोड़ने लगी थी शायद, सो मेरे होठों को चूमते हुए बोली – मुझे घर भी जाना है, वरना ड्राइवर मुझसे पहले आ गया तो पता नही क्या-क्या बातें बना दे…!
मेने हँसते हुए कहा – चलो ठीक है फिर, जैसी आपकी मर्ज़ी, ये कहकर मेने उसकी साड़ी का पल्लू खींच दिया………..!
साड़ी का पल्लू पकड़ते ही शालिनी खिलखिलाती हुई घूमने लगी, चन्द सेकेंड्स में ही उसकी साड़ी उसके बदन से अपना नाता तोड़कर मेरे हाथों में थी.., जिसे मेने इकट्ठा करके पास पड़े सोफे पर उच्छाल दिया…!
शालिनी की गोरी गोरी चुचियाँ उसके कसे हुए चौड़े गले के ब्लाउस से बाहर को उबली पड़ रही थी, मेने उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने बदन से सटा लिया और अपना मुँह उसकी घाटी के बीच में डाल दिया,
उसके पसीने की महक मेरे नथुनो में सामने लगी, जिसका सीधा असर मेरे लंड महाराजा पर पड़ा, और वो मेरी जीन्स के पीछे नहा धोकर पड़ गया…!
इस समय शालिनी मात्र ब्लाउस और पेटिकोट में थी, उसके गोल-मटोल कद्दू जैसे नितंब फिटिंग वाले पेटिकोट को फाडे दे रहे थे…
उन्हें कसकर मसल्ते हुए मेने उसे अपनी ओर खींचा, मेरा लंड जीन्स फाड़कर उसकी चूत में सामने की कोशिश करने लगा…!
फिर मेने अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके होठ चूस्ते हुए दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगा, ब्लाउस इतना कसा हुआ था कि वो खुल ही नही रहे थे…
जिसमें शालिनी ने खुद से ही अपने आप उसे उतार दिया, तब तक मेने उसका पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया, वो सर सराता हुआ उसके कदमों में जा गिरा…!
आअहह… छोटी सी ब्रा और मात्र दो अंगुल की पट्टीदार पैंटी में शालिनी का भरा हुआ कामुक बदन क्या लग रहा था, गोरी रंगत लिए उसका मक्खन जैसा मादक कूर्वी बदन देख कर में अपना कंट्रोल खोने लगा,
खड़े खड़े ही मेने शालिनी के कंधों पर दबाब डालकर उसे नीचे दबाया, खेली खाई शालिनी मेरा इशारा समझ कर अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरी जीन्स के बटन खोल कर उसने उसे अंडरवेर समेत नीचे खिसका दिया…
बाहर आते ही मेरा 9” लंबा और उसकी कलाई जितना मोटा लंड किसी कोबरा नाग की तरह फुनफुनाकर उसके मुँह पर जा लगा…!
शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?