hotaks444
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मेरे करवट लेते ही मेरा लंड उनकी जाँघ से जा टकराया…! बेचारी मधु आंटी, मुझे जगाकर चाय पीने के लिए बोलकर वहाँ से जाने के बारे में फ़ैसला कर चुकी थी…
लेकिन वो जैसे ही उनकी जाँघ से टच हुआ, उनके शरीर के सारे तार झंझणा उठे.., उनकी गीली अधेड़ चूत की फाँकें फड्क उठी, ना चाहते हुए भी उन्होने अपनी जाँघ को मेरे लॉड पर और थोड़ा सा दबा दिया…!
मेरी उपर वाली जाँघ मधु आंटी के कूल्हे से सटी हुई थी, अब वो चाहकर भी वहाँ से जाने के बारे में सोच भी नही सकती थी…
मेरा लंड थुनक-थुनक कर उनकी मांसल जाँघ पर ठोकरें मार रहा था, वो अपने होशो-हवास खोने लगी, और अपनी एल्बो मेरे सिर के बाजू में टेक कर दूसरे हाथ से मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया….!
शॉर्ट के उपर से वो पूरी तरह उनकी मुट्ठी में नही आपा रहा था, फिर भी उन्होने उसे एक दो बार सहलाया…!
वासना ने उनके विवेक पर कब्जा जमा लिया, उनकी प्यासी मुनिया लगातार रस छोड़ने लगी…, उनकी और ज़्यादा पाने की चाह ने मेरे शॉर्ट के अंदर हाथ डालने को विवस कर दिया, मेरे नंगे गरम लंड को अपनी मुट्ठी में लेते ही वो सिसक पड़ी…
आआहह…हाईए… कितना गरम और मोटा तगड़ा लंड है इनका, हाए राम इसको अब कैसे लूँ अपने अंदर…,
फिर उन्होने सीधे बैठते हुए मेरे कंधे पर दबाब डालकर मुझे सीधा कर दिया…, मेरी नींद टूटने लगी, और मेने कुन्मूनाकर जैसे ही आँखें खोली…
उन्होने झटके से अपना हाथ मेरे शॉर्ट से बाहर निकाल लिया…, और फ़ौरन बेड से खड़ी हो गयी…!
उनकी नज़र झुकी हुई थी, जांघें उनके चूतरस से चिप-चिपा रही थी, जिन्हें उन्होने आगे से अपने गाउन को जांघों के बीच इकट्ठा करके दबा रखा था…
मे हड़बड़ा कर बैठ गया, और उनको देखते ही बोला – आंटी आप…?
वो – ह..ह..हां ! तुम्हारे लिए चाय लाई थी, बहुत कोशिश की उठाने की लेकिन लगता है, बहुत गहरी नींद में थे…
फिर मुझे एहसास हुआ कि मेरा लॉडा फुल मस्ती में है, सो फ़ौरन उसे छिपाने के लिए मेने अपनी टाँगें सिकोडकर बैठते हुए कहा – हां, थोडा ज़्यादा ही गहरी नींद आ गयी…
काफ़ी दिनो से काम की वजह से ठीक से सो नही पा रहा था, और आज अलार्म भी नही लगाया, वैसे क्या टाइम हुआ है…?
वो – 9 बज गये..,
मे – क्या…? बाप रे इतना तो मे कभी नही सोया.., आप चलिए में चाय पीकर फ्रेश होता हूँ,
वो – चाय तो ठंडी हो गयी होगी, मे गरम कर देती हूँ…!
मे – कोई बात नही, मे बिना चाय पीए ही फ्रेश हो लेता हूँ, आप ले जाइए इसे, बाद में गरम करके पी लूँगा…!
वो अपनी नज़रें नीचे किए हुए अपनी जांघों को भींचे हुए ही चाय उठाने आगे बढ़ी, मेरी नज़र उनपर ही टिकी हुई थी…,
वो शर्म से पानी पानी हो उठी, और झट-पट चाय का कप लेकर नज़र झुकाए रूम से बाहर निकल गयी…!
फिर मेने अपनी स्थिति का निरीक्षण किया, अपने लंड की हालत देख कर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, और उसे नीचे को दबाते हुए बुद्बुदाया – मदर्चोद, बहुत बेशर्म हो गया है,
आंटी ने देख लिया होगा तो ना जाने क्या सोच रही होगी वो, कैसा बेशर्म इंसान है ये लंड खड़ा किए पड़ा है…!
तभी मुझे एक झटका सा लगा, याद आया कि जब मेरी नींद खुली थी तब उनका हाथ मेरे शॉर्ट में था, जिसे उन्होने झटके से बाहर निकाला था…
तो क्या आंटी भी इसके मज़े ले रही थी..? कहीं उनका मन तो नही है..इसे लेने का…? शायद इसलिए शर्म से वो सर झुकाए खड़ी थी…,
वैसे बेचारी की ग़लती भी क्या है, कितने दिनो से अपने पति से अलग रह रही हैं, हो सकता है मेरे खड़े लंड को देखकर उनकी इच्छा जाग उठी हो…?
फिर मुझे याद आया कि कैसे वो अपनी जांघों को भींचे हुए खड़ी थी, इसका मतलब वो मेरे लंड को देखकर, उसे फील करके गीली हो गयी होगी शायद…,
क्या वो मेरे साथ संबंध बनाना चाहती हैं..? अगर ऐसा हुआ तो क्या मुझे भी उनका साथ देना चाहिए…?
मेरे ख्याल से ये ठीक नही है, नया नया रिश्ता जुड़ा है, कहीं कुछ ग़लत हो गया तो.., मेरा तो क्या बिगड़ने वाला है, वो बेचारी खम्खा रुसवा ना हो जायें..
लेकिन लगता है वो बहुत प्यासी हैं, मुझे उन्हें निराश नही करना चाहिए…, इसी कसम्कस के चलते मे ये सोचते उठा…
चलो देखते हैं अगर वो इस खेल में आगे बढ़ना चाहेंगी तो देखा जाएगा, ये सोचते हुए मेने बिस्तर से नीचे जंप लगा दी, और सीधा बाथरूम में घुस गया…!
आज मुझे गुप्ता जी से मिलनने जाना था, लेट होने की वजह से अब तो वो इस समय ऑफीस में ही मिल सकते थे.., सो रेडी होकर मे हॉल में आया….
तब तक आंटी भी नहा धोकर तैयार हो गयी थी, और अपने काम पर जाने के लिए निकलने वाली थी…!
आज से पहले मेने उनपर कुछ खास ध्यान नही दिया था, अब तक मे उन्हें प्राची की माँ की नज़र से ही देखता आया था, लेकिन आज जो हुआ भले ही वो अंजाने या परिस्थिति बस हुआ हो,
उसके बाद उनको देखने की मेरी नज़र थोड़ी चेंज हो गयी, जो की स्वाभाविक सी बात है…!
एक भरपूर नज़र मेने उनके उपर डाली, वो इस समय लाइट पिंक कॉटन साड़ी पहने हुए थी, शायद 34-32-36 का फिगर, अच्छी आवरेज हाइट 5.5’ की, गोरी रंगत, भरा हुआ गोल चेहरा…
कसे हुए ब्लाउस से छल्कता उनका यौवन, हल्का सा मांसल पेट, गेंहरी नाभि, जिसके ठीक नीचे वो साड़ी बाँधती थी…
36” के गोल-मटोल सुडौल कसे हुए कूल्हे जो पल्लू को कसकर लपेटने के बाद मस्त थिरकते थे, कुल मिलाकर अभी भी उनमें इतना आकर्षण था, की किसी साधारण व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें…!
मुझे मधु आंटी एक भरपूर औरत लगी, जो किसी पुरुष को संतुष्ट करने में पूर्ण सक्षम होती है…
अपनी तरफ मुझे इस तरह घूरते हुए पाकर वो शरमा गयी, कहीं ना कहीं सुबह वाली घटना से उन्हें लगने लगा कि मुझे पता लग गया है, इसलिए वो थोडा नर्वस दिख रही थी…!
लेकिन वो जैसे ही उनकी जाँघ से टच हुआ, उनके शरीर के सारे तार झंझणा उठे.., उनकी गीली अधेड़ चूत की फाँकें फड्क उठी, ना चाहते हुए भी उन्होने अपनी जाँघ को मेरे लॉड पर और थोड़ा सा दबा दिया…!
मेरी उपर वाली जाँघ मधु आंटी के कूल्हे से सटी हुई थी, अब वो चाहकर भी वहाँ से जाने के बारे में सोच भी नही सकती थी…
मेरा लंड थुनक-थुनक कर उनकी मांसल जाँघ पर ठोकरें मार रहा था, वो अपने होशो-हवास खोने लगी, और अपनी एल्बो मेरे सिर के बाजू में टेक कर दूसरे हाथ से मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया….!
शॉर्ट के उपर से वो पूरी तरह उनकी मुट्ठी में नही आपा रहा था, फिर भी उन्होने उसे एक दो बार सहलाया…!
वासना ने उनके विवेक पर कब्जा जमा लिया, उनकी प्यासी मुनिया लगातार रस छोड़ने लगी…, उनकी और ज़्यादा पाने की चाह ने मेरे शॉर्ट के अंदर हाथ डालने को विवस कर दिया, मेरे नंगे गरम लंड को अपनी मुट्ठी में लेते ही वो सिसक पड़ी…
आआहह…हाईए… कितना गरम और मोटा तगड़ा लंड है इनका, हाए राम इसको अब कैसे लूँ अपने अंदर…,
फिर उन्होने सीधे बैठते हुए मेरे कंधे पर दबाब डालकर मुझे सीधा कर दिया…, मेरी नींद टूटने लगी, और मेने कुन्मूनाकर जैसे ही आँखें खोली…
उन्होने झटके से अपना हाथ मेरे शॉर्ट से बाहर निकाल लिया…, और फ़ौरन बेड से खड़ी हो गयी…!
उनकी नज़र झुकी हुई थी, जांघें उनके चूतरस से चिप-चिपा रही थी, जिन्हें उन्होने आगे से अपने गाउन को जांघों के बीच इकट्ठा करके दबा रखा था…
मे हड़बड़ा कर बैठ गया, और उनको देखते ही बोला – आंटी आप…?
वो – ह..ह..हां ! तुम्हारे लिए चाय लाई थी, बहुत कोशिश की उठाने की लेकिन लगता है, बहुत गहरी नींद में थे…
फिर मुझे एहसास हुआ कि मेरा लॉडा फुल मस्ती में है, सो फ़ौरन उसे छिपाने के लिए मेने अपनी टाँगें सिकोडकर बैठते हुए कहा – हां, थोडा ज़्यादा ही गहरी नींद आ गयी…
काफ़ी दिनो से काम की वजह से ठीक से सो नही पा रहा था, और आज अलार्म भी नही लगाया, वैसे क्या टाइम हुआ है…?
वो – 9 बज गये..,
मे – क्या…? बाप रे इतना तो मे कभी नही सोया.., आप चलिए में चाय पीकर फ्रेश होता हूँ,
वो – चाय तो ठंडी हो गयी होगी, मे गरम कर देती हूँ…!
मे – कोई बात नही, मे बिना चाय पीए ही फ्रेश हो लेता हूँ, आप ले जाइए इसे, बाद में गरम करके पी लूँगा…!
वो अपनी नज़रें नीचे किए हुए अपनी जांघों को भींचे हुए ही चाय उठाने आगे बढ़ी, मेरी नज़र उनपर ही टिकी हुई थी…,
वो शर्म से पानी पानी हो उठी, और झट-पट चाय का कप लेकर नज़र झुकाए रूम से बाहर निकल गयी…!
फिर मेने अपनी स्थिति का निरीक्षण किया, अपने लंड की हालत देख कर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, और उसे नीचे को दबाते हुए बुद्बुदाया – मदर्चोद, बहुत बेशर्म हो गया है,
आंटी ने देख लिया होगा तो ना जाने क्या सोच रही होगी वो, कैसा बेशर्म इंसान है ये लंड खड़ा किए पड़ा है…!
तभी मुझे एक झटका सा लगा, याद आया कि जब मेरी नींद खुली थी तब उनका हाथ मेरे शॉर्ट में था, जिसे उन्होने झटके से बाहर निकाला था…
तो क्या आंटी भी इसके मज़े ले रही थी..? कहीं उनका मन तो नही है..इसे लेने का…? शायद इसलिए शर्म से वो सर झुकाए खड़ी थी…,
वैसे बेचारी की ग़लती भी क्या है, कितने दिनो से अपने पति से अलग रह रही हैं, हो सकता है मेरे खड़े लंड को देखकर उनकी इच्छा जाग उठी हो…?
फिर मुझे याद आया कि कैसे वो अपनी जांघों को भींचे हुए खड़ी थी, इसका मतलब वो मेरे लंड को देखकर, उसे फील करके गीली हो गयी होगी शायद…,
क्या वो मेरे साथ संबंध बनाना चाहती हैं..? अगर ऐसा हुआ तो क्या मुझे भी उनका साथ देना चाहिए…?
मेरे ख्याल से ये ठीक नही है, नया नया रिश्ता जुड़ा है, कहीं कुछ ग़लत हो गया तो.., मेरा तो क्या बिगड़ने वाला है, वो बेचारी खम्खा रुसवा ना हो जायें..
लेकिन लगता है वो बहुत प्यासी हैं, मुझे उन्हें निराश नही करना चाहिए…, इसी कसम्कस के चलते मे ये सोचते उठा…
चलो देखते हैं अगर वो इस खेल में आगे बढ़ना चाहेंगी तो देखा जाएगा, ये सोचते हुए मेने बिस्तर से नीचे जंप लगा दी, और सीधा बाथरूम में घुस गया…!
आज मुझे गुप्ता जी से मिलनने जाना था, लेट होने की वजह से अब तो वो इस समय ऑफीस में ही मिल सकते थे.., सो रेडी होकर मे हॉल में आया….
तब तक आंटी भी नहा धोकर तैयार हो गयी थी, और अपने काम पर जाने के लिए निकलने वाली थी…!
आज से पहले मेने उनपर कुछ खास ध्यान नही दिया था, अब तक मे उन्हें प्राची की माँ की नज़र से ही देखता आया था, लेकिन आज जो हुआ भले ही वो अंजाने या परिस्थिति बस हुआ हो,
उसके बाद उनको देखने की मेरी नज़र थोड़ी चेंज हो गयी, जो की स्वाभाविक सी बात है…!
एक भरपूर नज़र मेने उनके उपर डाली, वो इस समय लाइट पिंक कॉटन साड़ी पहने हुए थी, शायद 34-32-36 का फिगर, अच्छी आवरेज हाइट 5.5’ की, गोरी रंगत, भरा हुआ गोल चेहरा…
कसे हुए ब्लाउस से छल्कता उनका यौवन, हल्का सा मांसल पेट, गेंहरी नाभि, जिसके ठीक नीचे वो साड़ी बाँधती थी…
36” के गोल-मटोल सुडौल कसे हुए कूल्हे जो पल्लू को कसकर लपेटने के बाद मस्त थिरकते थे, कुल मिलाकर अभी भी उनमें इतना आकर्षण था, की किसी साधारण व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें…!
मुझे मधु आंटी एक भरपूर औरत लगी, जो किसी पुरुष को संतुष्ट करने में पूर्ण सक्षम होती है…
अपनी तरफ मुझे इस तरह घूरते हुए पाकर वो शरमा गयी, कहीं ना कहीं सुबह वाली घटना से उन्हें लगने लगा कि मुझे पता लग गया है, इसलिए वो थोडा नर्वस दिख रही थी…!