hotaks444
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उस दिन दोपहर में मेरे कुछ दोस्त घर पर मुझसे मिलने आए, हमने टीवी देखा और बातें की, मौसी जब किचन में हमारे लिए खाना बना रही थी. मैं जब मौसी से किसी प्रकार की हेल्प करने के लिए पूछने के लिए किचन में पहुँचा, तो मैने देखा, मौसी मेरी मम्मी से मोबाइल पर बात कर रही थी. मैं वहीं पर खड़ा होकर उनकी बातें सुनने लगा. मम्मी ने बताया कि हो सकता है उनको लौटने में थोड़े दिन और लग जायें, वो मौसी से रुकने की रिक्वेस्ट कर रही थी, और मेरे बारे में पूछ रही थी.
“राज को नहलाने में अब तो कोई दिक्कत नही हो रही?” मम्मी ने पूछा.
“ओह... नही दीदी,” सब ठीक चल रहा है, और वो हमारे बीच जो चल रहा था, उस को छिपा गयी.
अगले दिन सुबह 9 बजे, मैं और मौसी जब डॉक्टर के पास गये, तो डॉक्टर ने मेरे हाथों को एग्ज़ॅमिन करने के बाद, रिकवरी की प्रोग्रेस पर संतोष जताया, और मेरी बॅंडेजस छोटी कर दी, और एक दो दिन में पूरी तरह खोलने के बारे में बताया.
इस बार जो बॅंडेज बाँधी उसमे मेरी उंगलियाँ खुली हुई थी. मौसी मेरी उंगलियाँ खुली देख खुश हो गयी, और शायद सोचने लगी कि अब मैं अपने आप नहा सकूँगा.
लौट कर उमा मौसी किचन में ब्रेकफास्ट बनाने लगी, और फिर हम दोनो जब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर शांति से ब्रेकफास्ट खा रहे थे, और एक दूसरे की तरफ देख भी नही रहे थे. ब्रेकफास्ट करने के बाद मैं अपने रूम में चला गया.
करीब एक घंटे जब मैं अपने रूम से निकला, तो मैने बस शॉर्ट ही पहना हुआ था, और मेरे हाथों में तौलिया थी.
मौसी ने जब मुझे ऐसे देखा, तो मानो एक बार को चौंक गयी, और शायद समझ गयी कि मुझे क्या चाहिए.
“उः…मौसी… मुझे नहला दो ना प्लीज़, फिर मैं अपने दोस्त के घर जाउन्गा,” मैने मौसी की मनुहार करते हुए कहा.
“हां... बेटा, अभी चेंज करके नहलाती हूँ, तुम बाथरूम में चलो...” मौसी बोली.
कुछ देर बाद मैं शवर चालू करके, मौसी का बाथरूम में वेट करने लगा, मौसी थोड़ी देर बाद सिर्फ़ वाइट कलर की चड्डी पहने मुझे नहलाने के लिए बाथरूम में दाखिल हुई. वो आज थोड़ा घबरा रही थी, अंदर घुसते समय उन्होने एक गहरी लंबी साँस ली. मेरी पीठ मौसी की तरफ थी, और मैं अपना चेहरा उपर कर के शवर के पानी को अपने चेहरे पर गिरने दे रहा था, मुझे एहसास हुआ कि मौसी मेरी गान्ड को निहार रही है, जैसे ही मैने गर्दन घुमा कर देखा, मौसी दूसरी तरफ देखने लगी.
मौसी ने अपने हाथों में साबुन मलना शुरू कर दिया, और मैं उनको ऐसे करता देखने लगा. जैसे ही मौसी ने मुझे साबुन लगाने के लिए मेरी बाहों को छुआ, मेरा शरीर में कुछ कुछ होने लगा, और वो अकड़ने लगा. मौसी जल्दी जल्दी मेरी बाहों और छाती पर साबुन मलने लगी, मौसी के हाथ भी थोड़ा काँप रहे थे, और उनकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. मौसी ने मेरी पीठ और फिर टाँगों पर साबुन लगाते हुए, उपर आते हुए मेरी गान्ड पर भी साबुन लगा दिया.
“उः…राज... अब घूम जाओ और अपनी पीठ को धो लो,” मौसी बोली.
जैसे ही मैं मौसी की तरफ घूमा, मेरा खड़ा हुआ लंड मौसी के पेट से जा टकराया. मेरे लंड के छूते ही मौसी थोड़ा अचकचाई. मैं अपनी पीठ पर लगे साबुन को शवर के पानी से धो रहा था, ऐसे करते हुए कई बार मेरी छाती मौसी के मम्मों को छू जाती, और उनके निपल्स मेरी छाती से दब जाते, मौसी मेरे खड़े लंड के दबाव को अपने पेट पर महसूस कर रही थी.
मौसी के निपल्स अब कड़े होने लगे थे, और उनको कुछ समझ में नही आ रहा था. मैं मौसी के मस्त मम्मों को निहार रहा था. फिर मैने अपने हाथ बढ़ा कर हल्के से उनके दोनो मम्मों को छूआ, और निपल्स के उपर अपनी उंगली गोल गोल घुमाने लगा.
“रुक जाओ, राज,” मौसी धीरे से बोली, उनकी साँसें उखड़ रही थी, और उन्होने अपने हाथ, मेरे हाथों के उपर रख दिए.
मैने मौसी की आँखों में आँखे डाल कर देखा, मेरी आँखों में हवस भरी हुई थी. और फिर थोड़ा आगे बढ़कर और थोड़ा झुक कर मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. मौसी थोड़ा कसमासाई, और अपने उपर काबू करने का प्रयास करने लगी. मैने उन्हे प्यार से चूमा, और उनके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ फिराने लगा, और उनके और थोड़ा पास आ गया. मौसी की चल रही तेज साँसों को मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था, मैने मौसी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, ऐसे करने से मेरा लंड ने उनके पेट पर एक घिस्सा मार गया.
मौसी का शरीर अब वासना के तूफान में बहकर, जवाब देने लगा था, और वो भी वासना के दलदल में फँसती जा रही थी. उनके दिमाग़ में जो अंतर्द्वंद चल रहा था, उसके बावजूद वो मेरी किस का जवाब देते हुए, अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर बढ़ाने लगी थी. मैने उनकी कमर को जकड़ते हुए, उनको और ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरी जीभ मौसी के होंठों के उपर हरकत कर रही थी, और मौसी ने बिना को विरोध किए, अपने दोनो होंठों को खोल दिया, जिस से मेरी जीभ अब अंदर घुस कर, मौसी की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी, हम दोनो के मूँह आपस में बेतहाशा चिपके हुए थे.
मौसी ने अब विरोध करना बिल्कुल बंद कर दिया था, और वो पूरी तरह वासना की गिरफ़्त में आ चुकी थी. उन्होने अपनी बाँहें मेरी कंधे पर डाल दी, और मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी, और अपने होंठों को मेरे होंठों पर घिसने लगी. हमारे भीगे हुए शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे, और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे, पूरे बाथरूम में हमारी वासना भरी आवाज़ें गूँज रही थी.
मैं और मौसी दोनो ही वासना की एक ऐसी लहर में बहते जा रहे थे, जिसका अनुभव हमने पहले कभी नही किया था. मेरे शरीर की हर एक नस में आग लगी हुई थी, और मैं मौसी को इस तरह से किस किए जा रहा था, जिस से उनका अपने उपर से नियंत्रण समाप्त हो चुका था. मौसी की चूत में भी आग लग चुकी थी, और वो पनियाने लगी थी.
“राज को नहलाने में अब तो कोई दिक्कत नही हो रही?” मम्मी ने पूछा.
“ओह... नही दीदी,” सब ठीक चल रहा है, और वो हमारे बीच जो चल रहा था, उस को छिपा गयी.
अगले दिन सुबह 9 बजे, मैं और मौसी जब डॉक्टर के पास गये, तो डॉक्टर ने मेरे हाथों को एग्ज़ॅमिन करने के बाद, रिकवरी की प्रोग्रेस पर संतोष जताया, और मेरी बॅंडेजस छोटी कर दी, और एक दो दिन में पूरी तरह खोलने के बारे में बताया.
इस बार जो बॅंडेज बाँधी उसमे मेरी उंगलियाँ खुली हुई थी. मौसी मेरी उंगलियाँ खुली देख खुश हो गयी, और शायद सोचने लगी कि अब मैं अपने आप नहा सकूँगा.
लौट कर उमा मौसी किचन में ब्रेकफास्ट बनाने लगी, और फिर हम दोनो जब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर शांति से ब्रेकफास्ट खा रहे थे, और एक दूसरे की तरफ देख भी नही रहे थे. ब्रेकफास्ट करने के बाद मैं अपने रूम में चला गया.
करीब एक घंटे जब मैं अपने रूम से निकला, तो मैने बस शॉर्ट ही पहना हुआ था, और मेरे हाथों में तौलिया थी.
मौसी ने जब मुझे ऐसे देखा, तो मानो एक बार को चौंक गयी, और शायद समझ गयी कि मुझे क्या चाहिए.
“उः…मौसी… मुझे नहला दो ना प्लीज़, फिर मैं अपने दोस्त के घर जाउन्गा,” मैने मौसी की मनुहार करते हुए कहा.
“हां... बेटा, अभी चेंज करके नहलाती हूँ, तुम बाथरूम में चलो...” मौसी बोली.
कुछ देर बाद मैं शवर चालू करके, मौसी का बाथरूम में वेट करने लगा, मौसी थोड़ी देर बाद सिर्फ़ वाइट कलर की चड्डी पहने मुझे नहलाने के लिए बाथरूम में दाखिल हुई. वो आज थोड़ा घबरा रही थी, अंदर घुसते समय उन्होने एक गहरी लंबी साँस ली. मेरी पीठ मौसी की तरफ थी, और मैं अपना चेहरा उपर कर के शवर के पानी को अपने चेहरे पर गिरने दे रहा था, मुझे एहसास हुआ कि मौसी मेरी गान्ड को निहार रही है, जैसे ही मैने गर्दन घुमा कर देखा, मौसी दूसरी तरफ देखने लगी.
मौसी ने अपने हाथों में साबुन मलना शुरू कर दिया, और मैं उनको ऐसे करता देखने लगा. जैसे ही मौसी ने मुझे साबुन लगाने के लिए मेरी बाहों को छुआ, मेरा शरीर में कुछ कुछ होने लगा, और वो अकड़ने लगा. मौसी जल्दी जल्दी मेरी बाहों और छाती पर साबुन मलने लगी, मौसी के हाथ भी थोड़ा काँप रहे थे, और उनकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. मौसी ने मेरी पीठ और फिर टाँगों पर साबुन लगाते हुए, उपर आते हुए मेरी गान्ड पर भी साबुन लगा दिया.
“उः…राज... अब घूम जाओ और अपनी पीठ को धो लो,” मौसी बोली.
जैसे ही मैं मौसी की तरफ घूमा, मेरा खड़ा हुआ लंड मौसी के पेट से जा टकराया. मेरे लंड के छूते ही मौसी थोड़ा अचकचाई. मैं अपनी पीठ पर लगे साबुन को शवर के पानी से धो रहा था, ऐसे करते हुए कई बार मेरी छाती मौसी के मम्मों को छू जाती, और उनके निपल्स मेरी छाती से दब जाते, मौसी मेरे खड़े लंड के दबाव को अपने पेट पर महसूस कर रही थी.
मौसी के निपल्स अब कड़े होने लगे थे, और उनको कुछ समझ में नही आ रहा था. मैं मौसी के मस्त मम्मों को निहार रहा था. फिर मैने अपने हाथ बढ़ा कर हल्के से उनके दोनो मम्मों को छूआ, और निपल्स के उपर अपनी उंगली गोल गोल घुमाने लगा.
“रुक जाओ, राज,” मौसी धीरे से बोली, उनकी साँसें उखड़ रही थी, और उन्होने अपने हाथ, मेरे हाथों के उपर रख दिए.
मैने मौसी की आँखों में आँखे डाल कर देखा, मेरी आँखों में हवस भरी हुई थी. और फिर थोड़ा आगे बढ़कर और थोड़ा झुक कर मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. मौसी थोड़ा कसमासाई, और अपने उपर काबू करने का प्रयास करने लगी. मैने उन्हे प्यार से चूमा, और उनके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ फिराने लगा, और उनके और थोड़ा पास आ गया. मौसी की चल रही तेज साँसों को मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था, मैने मौसी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, ऐसे करने से मेरा लंड ने उनके पेट पर एक घिस्सा मार गया.
मौसी का शरीर अब वासना के तूफान में बहकर, जवाब देने लगा था, और वो भी वासना के दलदल में फँसती जा रही थी. उनके दिमाग़ में जो अंतर्द्वंद चल रहा था, उसके बावजूद वो मेरी किस का जवाब देते हुए, अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर बढ़ाने लगी थी. मैने उनकी कमर को जकड़ते हुए, उनको और ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरी जीभ मौसी के होंठों के उपर हरकत कर रही थी, और मौसी ने बिना को विरोध किए, अपने दोनो होंठों को खोल दिया, जिस से मेरी जीभ अब अंदर घुस कर, मौसी की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी, हम दोनो के मूँह आपस में बेतहाशा चिपके हुए थे.
मौसी ने अब विरोध करना बिल्कुल बंद कर दिया था, और वो पूरी तरह वासना की गिरफ़्त में आ चुकी थी. उन्होने अपनी बाँहें मेरी कंधे पर डाल दी, और मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी, और अपने होंठों को मेरे होंठों पर घिसने लगी. हमारे भीगे हुए शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे, और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे, पूरे बाथरूम में हमारी वासना भरी आवाज़ें गूँज रही थी.
मैं और मौसी दोनो ही वासना की एक ऐसी लहर में बहते जा रहे थे, जिसका अनुभव हमने पहले कभी नही किया था. मेरे शरीर की हर एक नस में आग लगी हुई थी, और मैं मौसी को इस तरह से किस किए जा रहा था, जिस से उनका अपने उपर से नियंत्रण समाप्त हो चुका था. मौसी की चूत में भी आग लग चुकी थी, और वो पनियाने लगी थी.