Bhai Bahan XXX भाई की जवानी - Page 5 - SexBaba
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Bhai Bahan XXX भाई की जवानी

फिर आरोही विशाल के पास से उठकर फिर से सफाई में लग जाती है। थोड़ी देर बाद आरोही हाल में जहां विशाल बैठा पढ़ाई कर रहा था, झाड़ लगाने आ जाती हैं। आरोही अपना दुपट्टा मम्मी के रूम में छोड़ आई थी। आरोही ने काफी बड़े गले की कमीज पहनी हुई थी। आरोही के झुकने से चूचियों की झलक विशाल को साफ-साफ दिखाई दे जाती है। आरोही ये सब कुछ जानते हुए अंजान बनी सफाई में लगी थी। विशाल की नजरें बार-बार आरोही की चूचियों पर पहुँच रही थी।

आरोही को विशाल से इस तरह की शरारतें करने में बड़ा मजा आने लगा, और आरोही किसी ना किसी बहाने विशाल को यूं ही सताती रहती थी। अब तो आरोही रात में छुपकर मम्मी पापा की चुदाई भी देखा करती थी की कैसे मम्मी पापा का लण्ड मुँह में लेकर चूसती थी, और कैसे पापा लण्ड को चूत में अंदर-बाहर किया करते थे। आरोही का सेक्स का पूरा ज्ञान हो चुका था। आरोही का ये सब देखना अब अच्छा लगने लगा था, और कभी कभी अपनी चूत भी हाथों से सहला लिया करती थी।

आरोही विशाल की तरफ खींचती जा रही थी, ये जानते हए की विशाल उसका सगा भाई है। मगर फिर भी आरोही विशाल से हर बढ़त चिपकी रहती थी स्क हए आरोही बाइक पर विशाल से ऐसे चिपक कर बैठती थी की विशाल को आरोही के निप्पल चुभा करते थे। अब विशाल को भी आरोही की ये शरारतें अच्छी लगनें लगी थी। मगर विशाल की हिम्मत कभी आरोही को छने की भी नहीं होती थी। मगर विशाल का लण्ड आरोही की इन शरारतों से हर बार तनकर खड़ा हो जाता था। और इसका पूरा मजा आरोही को आता था।

वक्त गुजर रहा था, और दोनों के एग्जाम भी शुरू हो गये। आरोही बहुत मेहनत से पढ़ाई में लगी हुई थी। एक जनन सा सिर पर साबर था विशाल से ज्यादा मार्क लाने का। आरोही और विशाल ने दोनों बड़ी मेहनत से सारे एग्जाम दे दिए।

आरोही को अपने आप पर बड़ा कान्फिडेंस हो रहा था की अबकी बार विशाल से ज्यादा माकं आयेंगें। अब आरोही को सिर्फ रिजल्ट का इंतजार था।

एक बार विशाल ऊपर वाले रूम में लेटा हआ था। आरोही नीचे वाले रूम में कपड़ों पर प्रेस कर रही थी। गत के 10:30 बज चुके थे। तभी आराही को मम्मी के रूम से खुशर-पसर की आवाज आने लगी, और आरोही धीरे से कम से निकलकर मम्मी के रूम के दरवाजे से अंदर झाँकने लगी।
 
मम्मी बिल्कुल नंगी बेड पर बैठी थी। पापा अपनी शर्ट के बटन खोल रहे थे, और मम्मी पापा की पैंट की बेल्ट खोल रही थी। जैसे ही सुमन पैंट को नीचे खिसकाती है, पापा का करीब " इंच का लण्ड मम्मी अपने हाथों में पकड़ लेती हैं, और मुंह खोलकर लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरु कर देती है।

तभी आरोही के दिमाग में एक और शरारत ने जनम ले लिया, और आराही सीधा ऊपर विशाल के पास जा पहुँची। विशाल मोबाइल में लगा कुछ कर रहा था।

आरोही- क्या कर रहे हो भैया?

विशाल- कुछ नहीं, वाट्सप मेसेज़ चेक कर रहा था।

आरोही लाइट आफ करके विशाल के बराबर में बिस्तर पर लेट जाती है। अभी आरोही को लेटे हुए दो मिनट हए थे। आरोही बोली- "भैया मेरा एक काम कर दोगे?"
विशाल- क्या?
आरोही- नीचें फ़िज़ से पानी की बोतल ला दो। रात में मुझे प्यास लग जाती है।

भला विशाल कैसे मना करता- "अच्छा अभी लाया.." और विशाल पानी लेने नीचे पहँच जाता है।
 
आरोही लाइट आफ करके विशाल के बराबर में बिस्तर पर लेट जाती है। अभी आरोही को लेटे हुए दो मिनट हए थे। आरोही बोली- "भैया मेरा एक काम कर दोगे?"
विशाल- क्या?
आरोही- नीचें फ़िज़ से पानी की बोतल ला दो। रात में मुझे प्यास लग जाती है।

भला विशाल कैसे मना करता- "अच्छा अभी लाया.." और विशाल पानी लेने नीचे पहँच जाता है।
आरोही के चेहरे पर मुश्कान दौड़ जाती है। फ़िज़ बिल्कुल मम्मी पापा के गम के पास रखा था। जैसे ही विशाल नीचे पहुँचता है विशाल को मम्मी के कराहने की आवाजें सुनाई दे जाती है। विशाल उत्सुकतावश दरवाजे से अपनी आँखें अंदर लगा देता है। अंदर का नजारा बड़ा ही सेक्सी था।

पापा ने मम्मी की चूत में अपना लण्ड डाला हुआ था, जो बड़ी स्पीड से अंदर-बाहर हो रहा था। विशाल आज पहली बार चुदाई होते देख रहा था, वो भी अपने मम्मी पापा की। और ये सब देखकर विशाल का लण्ड तनकर खड़ा हो चुका था। अफफ्फ... लण्ड की हालत इस वक़्त ऐसी हो रही थी की लण्ड लगातार फूलता जा रहा था। थोड़ी देर बाद विशाल ने अपनी पैंट की बेल्ट खोलकर लण्ड को बाहर निकालकर हाथ से सहलाना शुरू कर दिया।

ऊपर दरवाजे से आरोही को विशाल ये सब करता बिल्कुल क्लियर दिखाई दे रहा था। विशाल का सारा ध्यान अंदर मम्मी पापा की चुदाई में था। थोड़ी देर बाद पापा एकदम मम्मी के ऊपर धम्म से लटक जाते हैं।

विशाल को भी अपना होश आता है, और अपनी पैंट ऊपर करके पानी की बोतल लेकर ऊपर पहुँच जाता है। तब तक आरोही बिस्तर पर उल्टी साइड होकर लेट जाती है। विशाल ऊपर पहुँचकर पानी की बोतल टेबल पर रख देता है।

विशाल- आरोही सो गईं चाह ?

आरोही चुपचाप लेटी रहती है, जैसे बहुत गहरी नींद में हो। विशाल धीरे से आरोही के बराबर में लेट जाता है। अभी तक विशाल का लण्ड खड़ा हुआ था। मम्मी पापा की चुदाई देखकर विशाल का बुरा हाल था। लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। थोड़ी देर बाद जैसे ही विशाल करवट बदलता है, एकदम विशाल का लण्ड सीधा आरोही की गाण्ड से टच हो जाता है

उफफ्फ.. आँखें बंद किए आरोही को अपनी गाण्ड में लण्ड का अहसास हो जाता है, और आरोही के चेहरे पर मुश्कुराहट आ जाती है। विशाल को भी आरोही की मुलायम गाण्ड में लण्ड टच होने में बड़ा सकून मिलता है। विशाल का ऐसा दिल करता है की आरोही की कोली भरकर अपने लण्ड का पूरा दबाब गाण्ड पर डाल दे। मगर विशाल को आरोही के जागने का डर भी था, और विशाल इससे आगे बढ़ ना सका।

आरोही भी बस विशाल का लण्ड अपनी गाण्ड में महसूस करती हई सो गईं।

आज विशाल और आरोही के एग्जाम का रिजल्ट आने वाला था। आरोही की धड़कनें रात से ही रिजल्ट के मार्क को लेकर काफी बढ़ गई थी। जैसे ही विशाल मार्कसीट लेकर आता है, आरोही के चेहरे पर बेचैनी बढ़ जाती है, और आरोही विशाल का चेहरा पढ़ने की कोशिश करती है।

राजेश- बेटा विशाल, कैसा रहा तम दोनों का रिजल्ट?

विशाल पापा को दोनों की मार्कसीट पकड़ा देता है, और पापा दोनों की मार्कसीट देखने लगते हैं। मेरी बैंचेंजी बहुत बढ़ गई थी। राजेश के चेहरे पर मार्कसीट देखकर मुश्कान आ गईं।

राजेश विशाल को बधाई देते हुए. "शाबाश बेटा..."

सुमन- जरा मुझे भी दिखाना कितने मार्क है?

राजेश- "88% मार्क लाया है..." और विशाल की मार्कसीट सुमन को पकड़ा देता है। और फिर आरोही की मार्कसीट देखने लगता है।

आरोही अपने पापा का चेहरा पढ़ने की कोशिश कर रही थी।

राजेश- वाह मेरी बरची वाह... तने तो इस बार कमाल कर दिया।

सुमन- क्या हआ जी?

राजेश- आरोही के 92% मार्क आए हैं।

ये सुनकर आरोही की आँखों से खुशी के मारे आँसू निकल आते हैं और आरोही खड़ी होकर पापा के गले लग जाती है। और फिर सुमन भी दोनों बच्चों को अपने सीने से लगा लेती है।
 
राजेश- वाह मेरी बरची वाह... तने तो इस बार कमाल कर दिया।

सुमन- क्या हआ जी?

राजेश- आरोही के 92% मार्क आए हैं।

ये सुनकर आरोही की आँखों से खुशी के मारे आँसू निकल आते हैं और आरोही खड़ी होकर पापा के गले लग जाती है। और फिर सुमन भी दोनों बच्चों को अपने सीने से लगा लेती है।

आरोही विशाल की तरफ बड़ी शरारत से देख रही थी, जैसे विशाल को अपना प्रामिस याद दिला रही हो।

राजेश- सुमन क्या ना इस खुशी में एक पार्टी करें?

सुमन- हाँ जी आप ठीक कह रहे हो।

राजेश- ठीक है तो फिर कल का प्रोग्राम बना लो, और सबको फोन पर इन्वाइट कर दो।

राजेश- विशाल तुम जाकर मार्केट से मिठाई लेकर आओ और पूरे मुहल्ले का मुंह मीठा करवाओ।

विशाल- जी पापा अभी लता हैं।

सुमन फोन पर सभी को पार्टी के लिए इन्वाइट कर देती है।

राजेश- "सुमन, मैं कम्पनी जाते हए कल की पार्टी के लिए हलवाई से बात कर लेंगा। तुम जब विशाल आ जाप तो माकट से सामान ले आना।
सुमन- जी ठीक है।
-
आरोही को आज पार्टी की इतनी खुशी नहीं हो रही थी। आरोही का तो ऐसा दिल चाह रहा था की आज घर में विशाल और आरोही के अलावा कोई ना हो। मगर अभी आरोही इंतजार के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी। थोड़ी देर बाद आरोही मम्मी के साथ किचेन के काम में लग जाती है। मैं ही दोपहर के दो बज चुके थे और विशाल भी मुहल्ले में मिठाई बाँटकर आ चुका था।

विशाल- मम्मी बहुत जोरों की भूख लगी हैं।

सुमन- बेटा खाना तैयार है बैठा अभी लगाती हैं।

और फिर तीनों मिलकर खाना खाते हैं।

सुमन- विशाल खाजा खाकर मेरे साथ मार्केट चलना है।

विशाल- "जी मम्मी.." फिर विशाल अपनी मम्मी को बाइक पर बिठाकर मार्केट के लिए निकल चुका था।

आरोही अकेली घर में बैठे-बैठे बोर सी होने लगी तो हाल में आकर टीवी चला लेती हैं, और चैनल पर चैनल चेंज किए जा रही थी। आरोही जाने टीवी में क्या देखना चाह रही थी? आरोही को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आरोही का बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। आरोही का दिल बस विशाल के खगाल में गुम था। ही शाम के 5:00ज चुके थे। तभी दरवाजे की डोरबेल बजती है।
 
आरोही दौड़कर दरवाजे की तरफ लपकती हैं। आज आरोही से विशाल की ये दूरी भी सही नहीं जा रही थी। मगर जैसे ही आरोही दरवाजा खोलती है, तो सामने पिया और उसका भाई अजय खड़े हुए थे।

आरोही- अरी प्रिया तू.."

प्रिया- हाँ मैं... बधाईयां आरोही। भला ऐसा हो सकता है की तरी पार्टी हो और मैं ना आऊँ। खबर सुनते ही दौड़ी चली आई।

आरोही- थैक्स। आओ आओ अंदर आओ। राहुल नहीं आया?

प्रिया- नहीं। वो किसी काम से बैंगलोर गये हुए हैं। इसलिए मैं अजय के साथ आ गई।

आरोही- मैं तने अच्छा किया। बैठो मैं चाय लेकर आती है।

प्रिया- आरोही चाय बाद में पियेंगें पहले थोड़ा ठंडा सा पानी पिला दें। बहुत प्यास लगी है।

आरोही- ओंके अभी लाई।

प्रिया- और सब कहां हैं आरोही?

आरोही- "मम्मी विशाल के साथ मार्केट गई है.." और आरोही किचेन में पानी लेने पहुँच जाती है। तभी आरोही को प्रिया की हल्की सी आवाज सुनाई देती है।

प्रिया- "अजय तुमसे जरा भी सब नहीं होता, अगर आरोही ने देख लिया तो?"

आरोही के कानों तक प्रिया की ये बात साफ-साफ पहुँच चुकी थी। पं प्रिया अजय से कैसी बात कर रही है? और आरोही का जासूसी दिमाग घोड़े दौड़ाना लगता है। आरोही पानी लेकर बाहर आती है। मगर आरोही को दोनों में ऐसा कुछ नजर नहीं आया जैसे अभी आपस में दोनों ने कोई बातें की हो। मगर आरोही का दाल में कुछ काला लगने लगा था।
 
आरोही के कानों तक प्रिया की ये बात साफ-साफ पहुँच चुकी थी। पं प्रिया अजय से कैसी बात कर रही है? और आरोही का जासूसी दिमाग घोड़े दौड़ाना लगता है। आरोही पानी लेकर बाहर आती है। मगर आरोही को दोनों में ऐसा कुछ नजर नहीं आया जैसे अभी आपस में दोनों ने कोई बातें की हो। मगर आरोही का दाल में कुछ काला लगने लगा था।

आरोही के दिमाग में एक आईडिया आता है- "प्रिया एक मिनट बैठ... मैं अभी आई... और आरोही दौड़ती हुई ऊपर वाले रूम में पहुँच कर अपना मोबाइल निकालती है, और उसको साइलेंट पर लगाकर वीडियो रे कार्डिंग चालू करके अलमारी के ऊपर रख देती हैं और फिर नीचे आ जाती है।

प्रिया- क्या हुआ आरोही?

आरोही- कुछ नहीं पार, सूस करने गई थी। जाओ तुम भी फ्रेश हो जाओ। तब तक मैं नाश्ता बनाती हैं।

प्रिया- "ओके..." और प्रिया ऊपर वाले बाथरूम में चली गई।

आरोही भी किचेन में चली जाती है। अजय सोफे पर बैठा हुआ था। जैसे ही आरोही किचेन में पहुँचती है अजय उठकर ऊपर चला जाता हैं। आरोही साच रही थी. "जर प्रिया और अजय में कुछ चल रहा है चला थोड़ी देर में इसका भी पता चल जायगा..."

थोड़ी देर में आरोही नाश्ता तैयार कर के बाहर टेबल पर ले आती है। तब तक प्रिया- भी फैश होकर ऊपर से आ चुकी थी, और तीनों मिलकर चाय नाश्ता करते हैं।
इतने में विशाल भी मम्मी को लेकर मार्केट में आ गया। सुमन प्रिया और अजय को देखकर बड़ी खुश होती है,
और दोनों के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए आशीर्वाद देती है।

अजय भी खड़े होकर विशाल को बधाई देता है।

इतने में आरोही ऊपर पहुँच जाती है, और अपने मोबाइल पर रेकार्डिंग चैक करने लगती है। तभी आरोही जो देखती हैं तो हैरान रह जाती है।

जैसे ही प्रिया रूम में एंटर होती है पीछे-पीछ अजय आकर प्रिया को बाँहों में जकड़ लेता है।

पिया- अजय ये क्या पागलपन है, तुमसे जरा भी कंट्रोल नहीं होता? अगर आरोही ने हमें ऐसे देख लिया तो
गजब हो जायगा।

अजय- "क्या कर दीदी, मुझसे कंट्रोल नहीं होता." और अजय प्रिया- के होंठों पर किस कर देता है।

प्रिया एकदम अजय को धकेलती हुई नीचे भेज देती है, और फिर बाथरूम में घुस जाती है।

ये सब देखकर आरोही बड़ी हैरान परेशान सोचने लगती है- "ये सब प्रिया अजय के साथ कैसे करने लगी? ये तो राहल के बहुत गुण गा रही थी। फिर क्या हआ इसको जो अजय के साथ ऐसा कर रही है?" इतनें सारे सवाल आरोही को परेशान कर रहे थे, और आरोही अपना मोबाइल लेकर नीचे आ जाती है।

नीचे सब बैठे बातें करते रहते हैं। यही बातें करते खाना खाते टीवी देखते रात के 11:00 बज चुके थे। राजेश
और सुमन कब के अपने रूम में जाकर सो चुके थे। आरोही भी प्रिया को लेकर ऊपर वाले रूम में पहुँच गई। थोड़ी देर बाद दोनों बिस्तर पर लेंट सोने की कोशिश कर रही थी।

तभी आरोही प्रिया से पछती है- "प्रिया तेरे और अजय के बीच कुछ चल रहा है क्या?"

प्रिया को आरोही की ये बात सुनकर झटका सा लगता है- "ये तू क्या पूछ रही है आरोही?"

आरोही अपना मोबाइल निकालकर प्रिया को रेकार्डिंग दिखाने लगती है- "अब बता क्या बात है? तू तो राहल से बहुत प्यार करती है। फिर ये सब अजय के साथ कैसे?"

प्रिया अब आरोही को झुठला नहीं सकती थी, बोली "देख आरोही प्लीज... ये बात किसी से मत कहना। मैं तझे
सब बताती है."

आरोही- हाँ हाँ में किसी से नहीं कहूँगी।

प्रिया फिर आरोही को अपनी बात बताना शुरू करती है- "देख आरोही, राहुल के साथ शादी हुए 6 महीने हो गये।
और राहुल की मम्मी मेरी सास ने रोज-रोज मेरा जीना हराम कर दिया था। बस रोज-रोज एक ही बात बह मुझे एक पोता चाहिए। ऐसा भी नहीं था की गहल और में कोई सावधानी बरत रहे हों। फिर भी पता नहीं क्यों, मैं अब तक प्रेग्नेंट नहीं हो रही थी, तो मेरी सास मुझे नर्सिंग होम ले गई। और मेरा डाक्टर से चेकप करवाया।

अंदर एक नर्स मेरी जानने वाली मिल गई, फिर मैंने उसको अपनी प्राब्लम बताई। चेकप करने के बाद डाक्टर ने मुझसे कहा- "तुम्हें तो कोई पाब्लम नहीं है। आप एक बार अपने पति का वीर्य भी चेक कर लीजिए.."

प्रिया- डाक्टर साहब, मेरे पति पता नहीं इसके लिए तैयार भी होंगे या नहीं?

डाक्टर. "तो फिर एक काम करो। एक डिबिया में अपने पति का वीर्य ले आओ। मैं चेक करके तुम्हें बता दूँगी.."

प्रिया- ठीक है डाक्टर साहबा मगर प्लीज... ये सब बाहर माँजी से मत बताना। है

डाक्टर- "ओके मिस प्रिया-..." और फिर डाक्टर बाहर माँ से कहती है- " माँजी चिंता की कोई बात नहीं है। बस थोड़ी पेट में सूजन है। ऊपर वाले में चाहा तो कुछ दिन में तुम्हें खुशखबरी मिल जायेगी..."
.
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आरोही- फिर क्या हुआ प्रिया?
 
प्रिया- ठीक है डाक्टर साहबा मगर प्लीज... ये सब बाहर माँजी से मत बताना। है

डाक्टर- "ओके मिस प्रिया-..." और फिर डाक्टर बाहर माँ से कहती है- " माँजी चिंता की कोई बात नहीं है। बस थोड़ी पेट में सूजन है। ऊपर वाले में चाहा तो कुछ दिन में तुम्हें खुशखबरी मिल जायेगी..."
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आरोही- फिर क्या हुआ प्रिया?

प्रिया- "एक बार सेक्स करते हुए राहुल ने अपना वीर्य मेरे पेट पर उड़ेल दिया। और मैंने बाथरूम में पहुँचकर उस वीर्य को एक डिब्बी में करके डाक्टर से चेक करवाया..."

आरोही- क्या आया रिपार्ट में?

प्रिया- राहुल की रिपोर्ट नेगेटिव आई। राहुल के वीर्य में बहुत कम वीर्य थे। जिसमें मैं कभी प्रेग्नेंट नहीं हो सकती
थी।

आरोही- ओह्ह.. ये बात तूने किसी को बताई?

प्रिया- नहीं, ये बात सिर्फ मुझे ही मालूम है।

आरोही- फिर क्या हुआ?

प्रिया- "अभी दो दिन पहले राहुल बैंगलोर गये थे तो मैं अपने घर रहने आई हई थी। रात को जब मैं सो रही थी तो अजय अपने मोबाइल में पार्न वीडियो देखकर अपने लण्ड को बाहर निकालकरअपने हाथ से मूठ मा रहा था। अजय को इस तरह करते मैंने देख लिया। तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आ गया और मैं अजय के पास पहुँच गई..."

प्रिया- "अजय ये तू क्या कर रहा है?"

अजय मुझे देखकर सकपका गया- "चों दीदी सोरीरयी...'

प्रिया. अजय देख मेरे भाई, इस तरह हाथ से करने से तुझे बहुत सी बीमारी लग जायेंगी।

अजय- दीदी प्लीज... ये बात मम्मी पापा से मत बोलना।

बस तभी मेरे माइंड में अजय से सेक्स करने का खयाल आ गया, और मैं अजय से बोली- "ठीक है नहीं कहूँगी। चल थोड़ा खिसक मुझे भी त पास सोना है..."

अजय. दीदी मैंने कुछ नहीं पहना हुआ है. नंगा हूँ।
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प्रिया- कोई बात नहीं। अब तो मैं सब कुछ देख ही चुकी हैं।

आरोही- फिर क्या हुआ?

प्रिया- "बस फिर क्या था। मेरे और अजय के बीच सेक्स हो गया।

आरोही- "क्या तुम दोनों ने आपस में सेक्स कर लिया? ओह माई गोड... ये जानते हए की अजय तुम्हारा सगा भाई है..."

प्रिया- हौं, इसका किसी को शक भी नहीं होगा, और मुझे माँ बनने का सुख भी मिल जायगा।

आराही- अगर ये बात किसी को पता चल गई ता?

प्रिया- कौन बातायेगा? मैं तो ये बात किसी को नहीं बताऊँगी, और अजय भी ये बात किसी से नहीं कहेंगा।

आरोही को प्रिया की ये बातें कुछ सही भी लग रही थी। चलो इस तरह प्रिया का घर आबाद हो जायेगा। और फिर दोनों नींद की आगोश में सो जाती है।
 
प्रिया- कौन बातायेगा? मैं तो ये बात किसी को नहीं बताऊँगी, और अजय भी ये बात किसी से नहीं कहेंगा।

आरोही को प्रिया की ये बातें कुछ सही भी लग रही थी। चलो इस तरह प्रिया का घर आबाद हो जायेगा। और फिर दोनों नींद की आगोश में सो जाती है।

सुबह घर में बहुत सारें मेहमान आ चुके थे। आज विशाल और आरोही को खूब बधाईयां मिल रही थी।

राजेश और सुमन को अपने बच्चों पर बड़ा फरब हो रहा था। आज की पार्टी बड़ी ही शानदार रही। सबने खूब एंजाय किया। पार्टी खतम होते-होते रात के 10:00 बज चुके थे। सभी मेहमान भी चले गये, और मम्मी पापा भी बुरी तरह थक कर अपने रूम में लेट चुके थे। विशाल भी ऊपर रूम में जाकर लेट चुका था।

आरोही थोड़ी देर नीचे काम में लगी रहती है। रात के लगभग 10:30 बज चुके थे। आरोही एक प्लेट में मिठाई लेकर ऊपर विशाल के पास पहुँचती है। आरोही ने इस वक़्त काटन का पिंक कुता सलवार बिना दुपटें और बिना ब्रा के पहना हुआ था। जिससे आरोही की चूचियों के निप्पलों की नोक पिक कुर्त में साफ-साफ उभरी हुई दिख रही थी। आरोही मिठाई की प्लेट लेकर रूम में पहुँचती है। विशाल बैंड पर लेटा अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था।

आरोही- क्या कर रहे हों भैया?

विशाल- कुछ नहीं बस मेसेज़ पढ़ रहा था।

आरोही- भैया हम आपसे बहुत नाराज हैं। सबने हमें विश किया, एक आपने अभी तक हमको बधाई नहीं दी।

विशाल- ओह्ह... मेरी गुड़िया वाकई ये तो मुझसे बड़ी भूल हो गई।

आरोही- जाओं हम आपसे बात नहीं करते।

विशाल- अर अरे... मेरी प्यारी बहना कैसे हमसे नाराज हो गई? देखो रुठा ना करो, बात मेरी तो सुनो।

आरोही- हम ना बोलेंगे कभी। सताया ना करो।
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विशाल- "गुड़िया कब तक रूठी रहोगी कब तक ना हसोगी। देखो जी किरण सी लहराई। आई रे आई ये हसी आई..."
और एकदम आरोही के चेहरे पर हँसी आ जाती है।

विशाल दोनों हाथों से कान पकड़ता हआ- विशाल- हमका माफी दे दो हमसे भल हो गई।

आरोही विशाल के इस तरह कान पकड़ने से पिघल जाती है- "अच्छा जी.. चलो इस बार तुमको माफ करती हूँ.."

विशाल- "अब मैं अपनी प्यारी बहना को अपने हाथ में मिठाई खिलाता हैं.." और विशाल एक मिठाई का टुकड़ा उठाकर आरोही की तरफ करता हुआ- "बधाईया आरोही.. तुम्हें मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाईया.."

आरोही- भैया से कोई बधाई दी जाती है?

विशाल- फिर?

आरोही- "गले मिलकर सेलेब्रेट करो.." कहकरर आरोही विशाल का हाथ पकड़कर बैंड से नीचे खींच लेती हैं.."
 
विशाल खुद को संभालने के चक्कर में आरोही के ऊपर गिर जाता है। आज भी विशाल ने लोवर के नीचे अंडरवेर नहीं पहना था। आरोही एकदम अपनी बाँहें फैलाकर विशाल को संभाल लेती है, और दोनों इस वक्त एक दूजे की बौंहों में थे। आरोही अपनी पकड़ और टाइट करते हए विशाल से चिपक जाती है। विशाल और आरोही गले मिलते हए एकदम खामोश थे। विशाल को अपनी छाती में आरोही के निप्पलों की चुभन महसूस होने लगी। विशाल के लण्ड ने भी फौरन फूलना शुरू कर दिया और एकदम आरोही की चूत के सेंटर पर दस्तक दे दी।

आरोही को भी अपनी चूत पर विशाल के लण्ड का अहसास होने लगा।

दाना एकदम खामोश एक दूजे की बाँहों में किसी दूसरी दुनियां में पहुँच चुके थे। जहां सिर्फ प्यार ही प्यार था,

और इस प्यार का अहसास विशाल और आरोही को निप्पल और लण्ड की चुभन से हो रहा था। जैसे-जैसे विशाल के लण्ड का तनाव हाई होकर आरोही की चूत पर चुभ रहा था। वैसे-वैसे ही आरोही की चूचियों के निप्पल भी हाई होकर विशाल की छाती में चुभ रहे थे। दोनों को ये चुभन बढ़ती ही जा रही थी, और एकदम से दोनों के मुँह से आऔच निकलता है। और एक झटके में आरोही विशाल की बाँहों से आजाद हो जाती है।

विशाल- क्या हुआ आरोही?

आरोही- भैया कुछ चुभ रहा था।

विशाल को समझते देर नहीं लगी की आराही को लण्ड की चुभन हुई थी। लण्ड में लोवर में एक तंबू सा बना लिया था जिसपर आरोही की नजरें जमी हुई थी। विशाल आरोही की नजरों से अपने लण्ड बचाना चाह रहा था।

थोड़ी देर फिर से रूम में खामोशी छा जाती है।

फिर आरोही एक प्लेंट से मिठाई का टुकड़ा उठाकर विशाल को खिलती हैं। विशाल आधा टुकड़ा मुँह से तोड़ लेता है और बाकी टुकड़ा आरोही अपने मुंह में रख लेती है।

आराही- भैया थेंक यू।

विशाल- किसलिए?

आरोही- आज आपने इतना अच्छा सेलिब्रेट किया।

विशाल- "ओह्ह.." और विशाल आकर बिस्तर पर लेट जाता है।

आरोही भी विशाल के बराबर में बैठ जाती है- "भैया आपको अपना प्रामिस याद है?"

विशाल- हाँ हाँ याद है।

आरोही- तो फिर बताए कंडाम को कैसे पहनकर सेक्स करते हैं?

उफफ्फ... पहले से ही विशाल के लण्ड की हालत खराब थी। आरोही के इस तरह सवाल पूछने से लण्ड में एक और झटका सा लगता है।

विशाल- देख आरोही भाई बहन सेक्स की बात नहीं करते।

आरोही- भैया आपने ही प्रामिस किया था बताने का। अब आप प्रामिस तोड़ रहे हो।

विशाल- "अच्छा मैं बता रहा है... लेकिन एक बात, आगे कोई और सवाल तुम नहीं पूछेगी..."

आरोही- "भैया आप फिर गोल-गोल घुमाने लगे। अगर नहीं बताना तो मना कर दो। में जा रही हैं.." और आरोही थोड़ा नाराजगी से कहते हए खड़ी हो जाती है।

विशाल- "अच्छा बैठ बताता हैं..." और विशाल आरोही को सेक्स का पाठ पढ़ाने लगता है- "कंडोम का लड़का अपने पेनिस के ऊपर पहनकर लड़की की बेजाइना में डालता है, उसको सेक्स करना कहते हैं."

उफफ्फ.. में सब सुनकर तो आरोही की भी चूत गीली हो चुकी थी और विशाल के लण्ड ने भी बीर्य की कुछ बूंदें उगल दी थी। आरोही विशाल से फिर एक और सवाल पूछती है, जिसमें विशाल के लण्ड की हालत और खराब हो जाती है।

आरोही- भैया ये लड़के का पेनिस किस साइज़ का होता है, और कैसे लड़की की वेजाइना चला जाता है?

ओह माई गोड... आरोही के इस सवाल का जवाब देना विशाल के बस में नहीं था। विशाल बोला- "देख आरोही अब मैं तुझे इससे आगे कुछ नहीं बता सकता.."

आरोही- क्यों भैया?

विशाल- "देख समझा कर ... रात भी काफी हो चुकी हैं प्लीज... अब लाइट आफ कर दे इस बारे में फिर कभी बात
कर लेना..."
 
ओह माई गोड... आरोही के इस सवाल का जवाब देना विशाल के बस में नहीं था। विशाल बोला- "देख आरोही अब मैं तुझे इससे आगे कुछ नहीं बता सकता.."

आरोही- क्यों भैया?

विशाल- "देख समझा कर ... रात भी काफी हो चुकी हैं प्लीज... अब लाइट आफ कर दे इस बारे में फिर कभी बात
कर लेना..."

आरोही उठकर लाइट आफ कर देती है और आकर विशाल के बराबर में लेट जाती है। और कहती है- "भैया आपको मेरा इस तरह सवाल पूछना अच्छा नहीं लगता?"

विशाल- नहीं आरोही ये बात नहीं है।

आरोही- फिर क्या बात है?

विशाल- कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका जवाब देना एक भाई के लिए बहुत मुश्किल होता है।

आरोही- भैया आज तक मैंने आपसे अपनी हर बात शेयर की है। आप ही मेरे भाई और दोस्त भी हो। इसलिए मुझे कभी कोई दोस्त बनाने की जरुरत ही नहीं पड़ी।

विशाल- "अच्छा मैं तुझं सब कुछ बता दूँगा। मगर अब गत बहुत हो चुकी है। जो कुछ तुझे पूछना है सुबह पूछ लेना। अब तुम भी सो जाओ।

आरोही अब विशाल से कुछ नहीं पूछती, और आरोही विशाल की तरफ से करवट बदलकर लेट जाती है। जिससे आरोही की गाण्ड विशाल की साइड हो जाती है और गाण्ड विशाल के लण्ड में मुश्किल में दो इंच के फासले पर थी। रूम में इस बढ़त बिल्कुल खामोशी छाई हुई थी।

विशाल ने आरोही से सोने के लिए तो बोल दिया है। मगर विशाल की आँखों से नीद कोसों दूर थी। आरोही की बातों से विशाल का लण्ड अभी तक पूरे तनाव में था, और बराबर में आरोही का इस तरह लेटना विशाल का कंट्रोल जवाब दे रहा था।

आरोही को अभी लेटे हए मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं हए थे की आरोही को अपने पीछे गाण्ड की दरार में विशाल के लण्ड की चुभन महसूस होने लगी। आरोही के चेहरे पर एकदम मश्कान आ जाती है, और आरोही को लण्ड की चुभन से अपने अंदर सेक्स का एहसास होने लगता है। आरोही को अपने अंदर बैचेनी होने लगती है। जिससे आरोही की चूत में रस टपकना शुरू कर दिया था।

विशाल थोड़ी देर बाद आरोही पर अपने लण्ड का और दबाव डालने लगा। आरोही एकदम अपना कंट्रोल खो देती है, और विशाल की तरफ पलटकर विशाल से लिपट जाती है। विशाल का भी अब तक बुरा हाल हो चुका था।

और विशाल भी आरोही को अपनी गिरफ्त में लेकर कसकर भींच लेता है।

आरोही- "ओहह... भैया क्या कर रहे हो?"

विशाल- "अपनी गुड़िया को प्यार कर रहा है...

आरोही और विशाल का चेहरा एक दूसरे से टच हो रहा था। आरोही तड़पने लगती है। और अपने होठों को थोड़ा सा विशाल के होंठों के करीब करती है।

विशाल भी आरोही के होंठ चमना चाहता था। और अपने होंठ आरोही के गुलाबी होंठों से जोड़ देता है। आरोही के होठों पर आज पहली बार किसी के होंठों ने किस किया था। विशाल को आरोही के होंठों से शहद की सी मिठाश मिल रही थी, और विशाल बड़ी मस्ती से आरोही के गुलाबी होंठों का शहद चूसने में लगा हुआ था। आरोही भी अब विशाल का साथ देने लगी। काफी देर तक दोनों भाई बहन किस करते रहे। थोड़ी देर बाद विशाल अपना एक हाथ बढ़ाकर आरोही की अनछुई चूचियों पर रख देता है।

आरोही की सिससकी निकल जाती है- "आअहह... सस्स्सीईई..उफफ्फ... सस्स्सीईई..."

क्या ठोस चूचियां थी आरोही की। विशाल चूचियों को धीरे-धीरे सहलाने लगा। विशाल का लण्ड इस वक़्त आरोही की चूत पर दबाव देने लगा था। विशाल इससे भी आगे बढ़ना चाह रहा था।

मगर तभी विशाल को जैसे होश आता है, और एकदम से आरोही को अपनी गिरफ्त से आजाद करके करवट बदलकर लेट जाता है। आज दोनों भाई बहन में एक और प्यार के रिश्ते का जन्म हो चुका था।
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