hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
"छोटी सी भूल
दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और लॉन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ कहानी कैसी हैं ये तो आपही बताएँगे दोस्तों जिंदगी मैं इंसान छोटी छोटी बहुत सी भूल करता लेकिन दोस्तों ये कोई नही जानता की कब कोई छोटी सी भूल जिंदगी को नरक बना दे ऐसा ही कुछ इस कहानी में मैं दिखाना चाह रहा हूँ अब आप इस कहानी का मजा लीजिये
मैने सोचा भी नही था कि मेरी एक छोटी सी भूल मेरी जिंदगी में एक तूफान ले आएगी. पिछले साल की बात है, 20 एप्रिल करीब 2 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी. गर्मी बहुत थी ईशालिए मैं थोड़ी ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की पर आ गयी.
बाहर से ठंडी हवा का झोंका मुझे तरो ताज़ा कर गया. तभी मुझे ख्याल आया की संजय(मेरे पति) आने वाले है और मैं वापस गॅस की तरफ मूड गयी.
संजय से मेरी शादी 2003 में हुई थी और उन्होने मुझे दुनिया का हर सुख दिया था. संजय एक डॉक्टर है और उनका अपना एक क्लिनिक है. हमारा 5 साल का बेटा भी है जिसको हम चिंटू कह कर पुकारते है.
मैं फिर से ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की की तरफ गई तो बाहर देख कर हैरान रह गई.
हमारी खिड़की के बिल्कुल सामने एक 18 या 19 साल का लड़का पेसाब कर रहा था. इश् से पहले कि मैं मूड पाती उस लड़के ने मुझे घूर कर देखा और मैं फॉरन वाहा से हट गई. मेरा दिल धक धक करने लगा, मैं थोड़ा डर गयी थी. पर क्योंकि मुझे लंच तैयार करना था इश्लीए मैं सब भूल कर अपने काम में लग गई, क्योकि संजय किसी भी वक्त खाना खाने आ सकते थे.
तभी डोर बेल बजी और मैने दरवाजा खोला तो पाया कि सामने संजय खड़े थे. उन्होने अंदर आ कर झट से मुझे बाहों मे भर लिया और कहा की आज शाम हम शादी में जेया रहे है. फिर हम तीनो ने खाना खाया. मैं खिड़की वाली बात बिल्कुल भूल चुकी थी.
संजय वापस क्लिनिक चले गये और मैं चिंटू को सुला कर नहाने चली गयी. शाम को हम शादी में गये और हमने खूब एंजाय किया. आते हुवे संजय ने कहा ऋतु तुम कल मेरे लिए लंच मत बनाना क्योकि मैं कल एक क्रूशियल सर्जरी करने वाला हूँ. मैने कहा ठीक है.
अगले दिन मैं रोज की तरह लंच बना रही थी. मैं ठंडी हवा लेने को खिड़की के पास गयी और अपने पसीने पोंछने लगी. तभी ना जाने कहा से एक लड़का आ गया और अपनी ज़िप खोल कर पेसाब करने लगा. मैं वाहा से फॉरन हट गई. मैने कुछ नही देखा.
तभी मुझे ख़याल आया कि अरे ये तो वही कल वाला लड़का है, इसने क्या यहा टाय्लेट बना लिया है. पर हमारे घर के पीछे थोड़ा शुन्सान था और पिछली तरफ कोई घर नही था, तभी शायद लोग यहा टाय्लेट करने लगे थे, पर मैने अब तक किसी और को नही देखा था .
हमारी किचन घर के पिछली तरफ होने की वजह से ये समस्या आन खड़ी हुई थी. खैर मैने सोचा की आगे से मैं ध्यान रखूँगी और कम से कम खिड़की की तरफ जाउन्गि.
अगले दिन संजय को लंच पर आना था इसलिए मैं कुछ ज़्यादा मेहनत कर रही थी. गर्मी से परेशान हो कर मैं खिड़की की तरफ गयी तो चैन मिला के बाहर कोई नही है और मैं ठंडी हवा का आनंद लेने लगी.
पर अचानक वही लड़का ना जाने कहा से आ गया और झट से अपनी ज़िप खोल कर अपना लिंग बाहर निकाल लिया. ये सब इतनी जल्दी हुवा के ना चाहते हुवे भी उसके लिंग पर मेरी नज़र चली गयी. मैं झट से वाहा से हट गयी और भाग कर अपने बेडरूम मे आ गयी.
मैने पहली बार संजय के अलावा किसी और का लिंग देखा था. उस लड़के के लिंग का साइज़ मेरी आँखो मे घूम रहा था. मैं हैरान थी कि इस लड़के का लिंग मेरे पति के लिंग से बड़ा क्यो लग रहा था.
मैने पसीने पोंछ कर पानी पिया ही था की अचानक प्रेशर कुक्कर की सीटी बज उठी और मैं होश मे आई कि संजय आने वाले है. मैं किचन मे वापस आकर अपने काम मे लग गयी. संजय 3 बजे आए और 4 बजे खाना खा कर चले गये. मैं चिंटू को सुला कर सोने के लिए बेडरूम मे लेट गयी.
पर मुझे नींद नही आई. मैं सोच रही थी कि आख़िर ये लड़का कौन है और अक्सर यही आकर क्यो पेसाब करता है, ये कोई इतेफ़ाक़ है या फिर वो ये जानबूझ कर, कर रहा है.
मैने फ़ैसला किया कि मैं रात को संजय से बात करूँगी. पर रात को मैं इस बारे में बात ना कर सकी क्योंकि संजय सेक्स के मूड मे थे और हम संभोग करके सो गये.
खैर अगले दिन मुझे चिंटू के स्कूल जाना था इसलिए मैं संजय के जाने के बाद कोई 11 बजे स्कूल के लिए निकली. स्कूल में चिंटू की मेडम ने बताया की चिंटू मेथ मे कमजोर है इसलिए इस पर ध्यान दीजिए. स्कूल के बाद मैं मार्केट गयी और कुछ खरीदारी की. 2 कब बज गये पता ही नही चला.
वापस आते हुवे मैने रिक्शा ले लिया और घर की तरफ चल दी. रिक्से वाले ने शॉर्ट कट के लिए हमारे घर के पीछे वाली गली से रिक्शा मोड़ लिया. मैने जो देखा वो देख कर मैं सहम गयी.
वही लड़का आज फिर हमारे घर के पीछे खड़ा था और हमारी किचन की खिड़की की तरफ देख रहा था. वह एक साइकल लिए था. मुझे रिक्से पर देखते ही वो साइकल खड़ी कर सीधा खड़ा हुवा और एक हाथ से अपनी पॅंट के उपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा. उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कुराहट थी, जिसे देख कर मेरा रोम-रोम काँप गया. वह मेरी तरफ एक टक देखता रहा. मैने अपनी नज़रे झुका ली और धीरे धीरे रिक्सा वाहा से आगे निकल गया. मैने घर पहुँच कर रिक्सा वाले को झट से पैसे दिए और सीधी घर के अंदर चली गयी.
मैं समझ चुकी थी कि ये लड़का ये सब जानबूझ कर ही कर रहा है. मैने घर मे घुसते ही 100 नंबर पर फ़ोन लगाया पर लाइन बिज़ी होने के कारण फोन नही मिला. मैने पानी पिया और सोचा कि आख़िर ये लड़का चाहता क्या है. मैने सोचा कि खिड़की से मेरा ये क्या बिगाड़ लेगा और मैं किचन की खिड़की में आ गयी.
वह खिड़की के सामने ही खड़ा था. दूर-दूर तक कोई नही था. इस से पहले की मैं कुछ बोल पाती उसने अपनी ज़िप खोली और अपने काले मोटे लिंग को हवा मे झूला दिया. मैं उसकी हिम्मत पर दंग रह गयी.
मैने ज़ोर से आवाज़ लगा कर कहा, हे यहा से दफ़ा हो जाओ, मैने पोलीस को फ़ोन कर दिया है, अगर तुम नही गये तो तुम्हारी खैर नही.
उसने झट से अपनी ज़िप बंद की और वाहा से चला गया.
मैने चैन की साँस ली. मैं खुस थी की ये बाला टल गई. पर मैं रोज 2 बजे के आस पास खिड़की से झाँक कर देखती कि कही वह फिर से तो नही आ गया.
पर ना जाने क्यों उसके लिंग की छवि मेरी आँखो में घूमती रही. एक मन कहता कि चलो अछा हुवा कि ये किस्सा यहीं ख़तम हो गया और एक मन कहता कि कास वो फिर यहा आकर पेसाब करे और मैं फिर से उसके लिंग को देखूं. मैने सोचा वो लड़का ही तो है 18 या 19 साल का, मैं 27 साल की हूँ, वो मेरा क्या बिगाड़ लेगा, अगर वो दोबारा यहा आता भी है तो मेरा क्या जाएगा.
मैं रोज खिड़की से देखती, पर कयि दीनो तक वाहा कोई नही दिखा.
एक दिन रोज की तरह मैने बाहर देखा तो वही लड़का खड़ा था. पहले मैं घबरा गई, पर फिर उसे दुबारा देख कर, ख़ुसी भी हुई.
वह चुप-चाप खड़ा हुवा खामोसी से मुझे घूरता रहा, मैं भी उसे देखती रही. ना जाने मुझे क्या हो गया था करीब 2 मिनूट तक हम अपनी- अपनी जगह खड़े हुवे एक दूसरे को देखते रहे. यही मेरी छोटी सी भूल थी, क्योंकि मैं जाने अंजाने उसे एक मोका दे रही थी. मुझे उस वक्त नही पता था कि मैं किस आग से खेल रही हूँ.
फिर वो अचानक खिड़की के और पास आ गया और बोला कि पोलीस तो नही बुलाओगी ?
मेरी गर्दन झट से ना के इशारे में हिल गई.
फिर वो बोला “ लंड देखोगी” अगर हां करोगी तो ही लंड बाहर निकालूँगा.
मैं अजीब सी कसंकश में पड़ गई, और कुछ भी बोल पाने की हालत में नही थी. उसने मेरी आँखो मे देखा और कहा, अरे शरमाती है तू तो, अपने पति का लंड नही देखती क्या.
ये कह कर वो धीरे से अपनी ज़िप खोलने लगा.
मैं शरम से लाल हो गयी, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा. मैं वाहा से हट जाना चाहती थी, पर पता नही मुझे क्या हुवा था कि मई वही खिड़की में ही खड़ी रही.
फिर मैने हिम्मत कर के कहा, मेरे पति आने वाले है, तुम यहा से चले जाओ.
वो बोला, अरे चुप कर मुझे सब पता है 3 बजे से पहले नही आएगा वो. चल अब बोल, मेरी चैन खुली है, लंड बाहर निकालु क्या.
मैं शरम से मरी जा रही थी. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि ये सब मेरे साथ हो रहा है. उसने अपना हाथ अपनी पॅंट में डाला और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.
मैं ना चाहते हुवे भी हैरानी से एक टकटकी लगा कर उसके लंबे काले लिंग को देखने लगी. मैने पहली बार इतने गोर से उसे देखा था, अब तक तो सिर्फ़ झलक ही देखी थी.
वो अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था. उसने पूछा कैसा लगा मेरा लोड्ा ?
मैं कुछ नही बोली, और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.
वो बोला, तुझे पता है तेरी फिगर कितनी मस्त है, मैने अक्सर तुझे शाम को मार्केट में तेरे पति के साथ देखा है.
मैं हैरानी से सब सुन रही थी.
दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और लॉन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ कहानी कैसी हैं ये तो आपही बताएँगे दोस्तों जिंदगी मैं इंसान छोटी छोटी बहुत सी भूल करता लेकिन दोस्तों ये कोई नही जानता की कब कोई छोटी सी भूल जिंदगी को नरक बना दे ऐसा ही कुछ इस कहानी में मैं दिखाना चाह रहा हूँ अब आप इस कहानी का मजा लीजिये
मैने सोचा भी नही था कि मेरी एक छोटी सी भूल मेरी जिंदगी में एक तूफान ले आएगी. पिछले साल की बात है, 20 एप्रिल करीब 2 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी. गर्मी बहुत थी ईशालिए मैं थोड़ी ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की पर आ गयी.
बाहर से ठंडी हवा का झोंका मुझे तरो ताज़ा कर गया. तभी मुझे ख्याल आया की संजय(मेरे पति) आने वाले है और मैं वापस गॅस की तरफ मूड गयी.
संजय से मेरी शादी 2003 में हुई थी और उन्होने मुझे दुनिया का हर सुख दिया था. संजय एक डॉक्टर है और उनका अपना एक क्लिनिक है. हमारा 5 साल का बेटा भी है जिसको हम चिंटू कह कर पुकारते है.
मैं फिर से ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की की तरफ गई तो बाहर देख कर हैरान रह गई.
हमारी खिड़की के बिल्कुल सामने एक 18 या 19 साल का लड़का पेसाब कर रहा था. इश् से पहले कि मैं मूड पाती उस लड़के ने मुझे घूर कर देखा और मैं फॉरन वाहा से हट गई. मेरा दिल धक धक करने लगा, मैं थोड़ा डर गयी थी. पर क्योंकि मुझे लंच तैयार करना था इश्लीए मैं सब भूल कर अपने काम में लग गई, क्योकि संजय किसी भी वक्त खाना खाने आ सकते थे.
तभी डोर बेल बजी और मैने दरवाजा खोला तो पाया कि सामने संजय खड़े थे. उन्होने अंदर आ कर झट से मुझे बाहों मे भर लिया और कहा की आज शाम हम शादी में जेया रहे है. फिर हम तीनो ने खाना खाया. मैं खिड़की वाली बात बिल्कुल भूल चुकी थी.
संजय वापस क्लिनिक चले गये और मैं चिंटू को सुला कर नहाने चली गयी. शाम को हम शादी में गये और हमने खूब एंजाय किया. आते हुवे संजय ने कहा ऋतु तुम कल मेरे लिए लंच मत बनाना क्योकि मैं कल एक क्रूशियल सर्जरी करने वाला हूँ. मैने कहा ठीक है.
अगले दिन मैं रोज की तरह लंच बना रही थी. मैं ठंडी हवा लेने को खिड़की के पास गयी और अपने पसीने पोंछने लगी. तभी ना जाने कहा से एक लड़का आ गया और अपनी ज़िप खोल कर पेसाब करने लगा. मैं वाहा से फॉरन हट गई. मैने कुछ नही देखा.
तभी मुझे ख़याल आया कि अरे ये तो वही कल वाला लड़का है, इसने क्या यहा टाय्लेट बना लिया है. पर हमारे घर के पीछे थोड़ा शुन्सान था और पिछली तरफ कोई घर नही था, तभी शायद लोग यहा टाय्लेट करने लगे थे, पर मैने अब तक किसी और को नही देखा था .
हमारी किचन घर के पिछली तरफ होने की वजह से ये समस्या आन खड़ी हुई थी. खैर मैने सोचा की आगे से मैं ध्यान रखूँगी और कम से कम खिड़की की तरफ जाउन्गि.
अगले दिन संजय को लंच पर आना था इसलिए मैं कुछ ज़्यादा मेहनत कर रही थी. गर्मी से परेशान हो कर मैं खिड़की की तरफ गयी तो चैन मिला के बाहर कोई नही है और मैं ठंडी हवा का आनंद लेने लगी.
पर अचानक वही लड़का ना जाने कहा से आ गया और झट से अपनी ज़िप खोल कर अपना लिंग बाहर निकाल लिया. ये सब इतनी जल्दी हुवा के ना चाहते हुवे भी उसके लिंग पर मेरी नज़र चली गयी. मैं झट से वाहा से हट गयी और भाग कर अपने बेडरूम मे आ गयी.
मैने पहली बार संजय के अलावा किसी और का लिंग देखा था. उस लड़के के लिंग का साइज़ मेरी आँखो मे घूम रहा था. मैं हैरान थी कि इस लड़के का लिंग मेरे पति के लिंग से बड़ा क्यो लग रहा था.
मैने पसीने पोंछ कर पानी पिया ही था की अचानक प्रेशर कुक्कर की सीटी बज उठी और मैं होश मे आई कि संजय आने वाले है. मैं किचन मे वापस आकर अपने काम मे लग गयी. संजय 3 बजे आए और 4 बजे खाना खा कर चले गये. मैं चिंटू को सुला कर सोने के लिए बेडरूम मे लेट गयी.
पर मुझे नींद नही आई. मैं सोच रही थी कि आख़िर ये लड़का कौन है और अक्सर यही आकर क्यो पेसाब करता है, ये कोई इतेफ़ाक़ है या फिर वो ये जानबूझ कर, कर रहा है.
मैने फ़ैसला किया कि मैं रात को संजय से बात करूँगी. पर रात को मैं इस बारे में बात ना कर सकी क्योंकि संजय सेक्स के मूड मे थे और हम संभोग करके सो गये.
खैर अगले दिन मुझे चिंटू के स्कूल जाना था इसलिए मैं संजय के जाने के बाद कोई 11 बजे स्कूल के लिए निकली. स्कूल में चिंटू की मेडम ने बताया की चिंटू मेथ मे कमजोर है इसलिए इस पर ध्यान दीजिए. स्कूल के बाद मैं मार्केट गयी और कुछ खरीदारी की. 2 कब बज गये पता ही नही चला.
वापस आते हुवे मैने रिक्शा ले लिया और घर की तरफ चल दी. रिक्से वाले ने शॉर्ट कट के लिए हमारे घर के पीछे वाली गली से रिक्शा मोड़ लिया. मैने जो देखा वो देख कर मैं सहम गयी.
वही लड़का आज फिर हमारे घर के पीछे खड़ा था और हमारी किचन की खिड़की की तरफ देख रहा था. वह एक साइकल लिए था. मुझे रिक्से पर देखते ही वो साइकल खड़ी कर सीधा खड़ा हुवा और एक हाथ से अपनी पॅंट के उपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा. उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कुराहट थी, जिसे देख कर मेरा रोम-रोम काँप गया. वह मेरी तरफ एक टक देखता रहा. मैने अपनी नज़रे झुका ली और धीरे धीरे रिक्सा वाहा से आगे निकल गया. मैने घर पहुँच कर रिक्सा वाले को झट से पैसे दिए और सीधी घर के अंदर चली गयी.
मैं समझ चुकी थी कि ये लड़का ये सब जानबूझ कर ही कर रहा है. मैने घर मे घुसते ही 100 नंबर पर फ़ोन लगाया पर लाइन बिज़ी होने के कारण फोन नही मिला. मैने पानी पिया और सोचा कि आख़िर ये लड़का चाहता क्या है. मैने सोचा कि खिड़की से मेरा ये क्या बिगाड़ लेगा और मैं किचन की खिड़की में आ गयी.
वह खिड़की के सामने ही खड़ा था. दूर-दूर तक कोई नही था. इस से पहले की मैं कुछ बोल पाती उसने अपनी ज़िप खोली और अपने काले मोटे लिंग को हवा मे झूला दिया. मैं उसकी हिम्मत पर दंग रह गयी.
मैने ज़ोर से आवाज़ लगा कर कहा, हे यहा से दफ़ा हो जाओ, मैने पोलीस को फ़ोन कर दिया है, अगर तुम नही गये तो तुम्हारी खैर नही.
उसने झट से अपनी ज़िप बंद की और वाहा से चला गया.
मैने चैन की साँस ली. मैं खुस थी की ये बाला टल गई. पर मैं रोज 2 बजे के आस पास खिड़की से झाँक कर देखती कि कही वह फिर से तो नही आ गया.
पर ना जाने क्यों उसके लिंग की छवि मेरी आँखो में घूमती रही. एक मन कहता कि चलो अछा हुवा कि ये किस्सा यहीं ख़तम हो गया और एक मन कहता कि कास वो फिर यहा आकर पेसाब करे और मैं फिर से उसके लिंग को देखूं. मैने सोचा वो लड़का ही तो है 18 या 19 साल का, मैं 27 साल की हूँ, वो मेरा क्या बिगाड़ लेगा, अगर वो दोबारा यहा आता भी है तो मेरा क्या जाएगा.
मैं रोज खिड़की से देखती, पर कयि दीनो तक वाहा कोई नही दिखा.
एक दिन रोज की तरह मैने बाहर देखा तो वही लड़का खड़ा था. पहले मैं घबरा गई, पर फिर उसे दुबारा देख कर, ख़ुसी भी हुई.
वह चुप-चाप खड़ा हुवा खामोसी से मुझे घूरता रहा, मैं भी उसे देखती रही. ना जाने मुझे क्या हो गया था करीब 2 मिनूट तक हम अपनी- अपनी जगह खड़े हुवे एक दूसरे को देखते रहे. यही मेरी छोटी सी भूल थी, क्योंकि मैं जाने अंजाने उसे एक मोका दे रही थी. मुझे उस वक्त नही पता था कि मैं किस आग से खेल रही हूँ.
फिर वो अचानक खिड़की के और पास आ गया और बोला कि पोलीस तो नही बुलाओगी ?
मेरी गर्दन झट से ना के इशारे में हिल गई.
फिर वो बोला “ लंड देखोगी” अगर हां करोगी तो ही लंड बाहर निकालूँगा.
मैं अजीब सी कसंकश में पड़ गई, और कुछ भी बोल पाने की हालत में नही थी. उसने मेरी आँखो मे देखा और कहा, अरे शरमाती है तू तो, अपने पति का लंड नही देखती क्या.
ये कह कर वो धीरे से अपनी ज़िप खोलने लगा.
मैं शरम से लाल हो गयी, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा. मैं वाहा से हट जाना चाहती थी, पर पता नही मुझे क्या हुवा था कि मई वही खिड़की में ही खड़ी रही.
फिर मैने हिम्मत कर के कहा, मेरे पति आने वाले है, तुम यहा से चले जाओ.
वो बोला, अरे चुप कर मुझे सब पता है 3 बजे से पहले नही आएगा वो. चल अब बोल, मेरी चैन खुली है, लंड बाहर निकालु क्या.
मैं शरम से मरी जा रही थी. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि ये सब मेरे साथ हो रहा है. उसने अपना हाथ अपनी पॅंट में डाला और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.
मैं ना चाहते हुवे भी हैरानी से एक टकटकी लगा कर उसके लंबे काले लिंग को देखने लगी. मैने पहली बार इतने गोर से उसे देखा था, अब तक तो सिर्फ़ झलक ही देखी थी.
वो अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था. उसने पूछा कैसा लगा मेरा लोड्ा ?
मैं कुछ नही बोली, और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.
वो बोला, तुझे पता है तेरी फिगर कितनी मस्त है, मैने अक्सर तुझे शाम को मार्केट में तेरे पति के साथ देखा है.
मैं हैरानी से सब सुन रही थी.