hotaks444
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मैं आग बाबूला हो गयी और मैं चिल्ला उठी “उ बस्टर्ड” और एक ज़ोर दार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया. और बोली, दफ़ा हो जाओ यहा से, वरना तुम्हे पोलीस के हवाले कर दूँगी.
थप्पड़ इतनी ज़ोर का था कि मेरे हाथ मे दर्द हो गया.
पहली बार मैने उसके चेहरे पर डर देखा. वो एक पल को भी वाहा नही रुका और चुपचुप वाहा से रफू-चाकर हो गया.
मेरे मन को बहुत बड़ी शांति मिली.
कुछ लोगो ने मुझे उसे थप्पड़ मारते हुवे देख लिया था. इस से पहले कि कोई मुझ से कुछ पूछता, एक खाली ऑटो आ गया, मैने उसे हाथ दिया और उसमे बैठ कर सीधी घर आ गयी.
मैं खुस थी कि आज मैने उस बिल्लू की गंदगी बर्दास्त नही कि और उस नीच को उसकी सही औकात बता दी. मैं सोच रही थी कि ऐसा मुझे बहुत पहले कर देना चाहिए था.
अगर मैने पहले ही ऐसा किया होता तो, मेरी जींदगी मे ये तूफान नही आता. पर मैं खुस थी की कम से कम आज तो मैने उसे सबक सीखाया.
पर मेरी ये ख़ुसी ज़्यादा देर नही टिक पाई.
उस घटना के दो दिन बाद सुबह कोई 10 बजे का वक्त था, मैं आराम से घर के कामो मे लगी थी.
अचानक घर की बेल बजी.
मैने दरवाजा खोला, तो कोई बिल्लू की ही उमर का लड़का वाहा खड़ा था.
जैसे ही मैने दरवाजा खोला, वो मुझे उपर से नीचे तक देखने लगा.
मैने गुस्से में पूछा, क्या बात है ?
वो सकपका गया और बोला,
मेडम आपका कूरीएर है.
मैने कहा लाओ.
उसने एक लीफाफा मुझे थमा दिया.
मैने पूछा, ये किसका है, कहा से आया है.
वो बोला, मुझे नही पता, आप यहा साइन कर दो
और वो मेरे सिग्नेचर ले कर चला गया.
जाते, जाते उसने पीछे मूड कर मुझे बहुत ही अजीब सी नज़र से देखा.
मैने फॉरन दरवाजा बंद किया और लीफफ़े को गोर से देखने लगी.
मैं सोच रही थी कि आख़िर ये किसने भेजा है.
उसके उपर किसी भेजने वाले का नाम नही था.
मैने झट से उसे खोला.
उसके अंदर एक छोटा सा कागज मोड़ कर रखा हुवा था.
मैने वो कागज निकाला और उसे खोल कर पढ़ने लगी.
मैने जो पढ़ा, उसे पढ़ कर मेरे होश उड़ गये, मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया.
उसे में लिखा था,
ऋतु, बुरा मत मानना पर मेरी ग़लती से तुम मुसीबत में फस गयी हो. मैं हमारे बारे में एक डाइयरी लिख रहा था. उसमे अब तक जो भी हमारे बीच हुवा, सब कुछ लिखा था. उसमे ये भी लीखा था कि तुम डॉक्टर संजय की बीवी हो.
कल अचानक वो डाइयरी मेरे बापू के हाथ लग गयी. मेरा बापू बहुत गुस्से मे है. वो आज शाम को तुम्हारे घर आने की बात कर रहा था. मैने बड़ी मुस्किल से उसे ये कह कर रोका है कि, आज संजय घर नही है. मुझे दुख है कि ऐसा सब कुछ हो गया. अगर हमने कुछ नही किया तो, तेरे पति को आज नही तो कल सब कुछ पता चल जाएगा. आज तो मैने अपने बापू को रोक लिया. पर वो अब किसी भी दिन तुम्हारे घर आ सकता है.
प्लीज़ मुझसे एक बार मिल लो. हमे मिल कर इसका हल निकलना होगा. मैं आज दोपहर 1 बजे अपनी एलेक्ट्रिक शॉप पर तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा. तुम वाहा आ जाना हम आराम से कहीं बैठ कर बात करेंगे.
बिल्लू
मैं ही जानती हू कि मुझ पर क्या बीत रही थी.
मुझे लग रहा था कि ये बिल्लू की फिर से कोई चाल है. वो ज़रूर उस थप्पड़ का बदला लेना चाहता है.
पर मुझे ये भी डर सता रहा था की कही ये सब सच हुवा तो, अगर सच में उसका बापू यहा आ धमका तो क्या होगा ?
थप्पड़ इतनी ज़ोर का था कि मेरे हाथ मे दर्द हो गया.
पहली बार मैने उसके चेहरे पर डर देखा. वो एक पल को भी वाहा नही रुका और चुपचुप वाहा से रफू-चाकर हो गया.
मेरे मन को बहुत बड़ी शांति मिली.
कुछ लोगो ने मुझे उसे थप्पड़ मारते हुवे देख लिया था. इस से पहले कि कोई मुझ से कुछ पूछता, एक खाली ऑटो आ गया, मैने उसे हाथ दिया और उसमे बैठ कर सीधी घर आ गयी.
मैं खुस थी कि आज मैने उस बिल्लू की गंदगी बर्दास्त नही कि और उस नीच को उसकी सही औकात बता दी. मैं सोच रही थी कि ऐसा मुझे बहुत पहले कर देना चाहिए था.
अगर मैने पहले ही ऐसा किया होता तो, मेरी जींदगी मे ये तूफान नही आता. पर मैं खुस थी की कम से कम आज तो मैने उसे सबक सीखाया.
पर मेरी ये ख़ुसी ज़्यादा देर नही टिक पाई.
उस घटना के दो दिन बाद सुबह कोई 10 बजे का वक्त था, मैं आराम से घर के कामो मे लगी थी.
अचानक घर की बेल बजी.
मैने दरवाजा खोला, तो कोई बिल्लू की ही उमर का लड़का वाहा खड़ा था.
जैसे ही मैने दरवाजा खोला, वो मुझे उपर से नीचे तक देखने लगा.
मैने गुस्से में पूछा, क्या बात है ?
वो सकपका गया और बोला,
मेडम आपका कूरीएर है.
मैने कहा लाओ.
उसने एक लीफाफा मुझे थमा दिया.
मैने पूछा, ये किसका है, कहा से आया है.
वो बोला, मुझे नही पता, आप यहा साइन कर दो
और वो मेरे सिग्नेचर ले कर चला गया.
जाते, जाते उसने पीछे मूड कर मुझे बहुत ही अजीब सी नज़र से देखा.
मैने फॉरन दरवाजा बंद किया और लीफफ़े को गोर से देखने लगी.
मैं सोच रही थी कि आख़िर ये किसने भेजा है.
उसके उपर किसी भेजने वाले का नाम नही था.
मैने झट से उसे खोला.
उसके अंदर एक छोटा सा कागज मोड़ कर रखा हुवा था.
मैने वो कागज निकाला और उसे खोल कर पढ़ने लगी.
मैने जो पढ़ा, उसे पढ़ कर मेरे होश उड़ गये, मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया.
उसे में लिखा था,
ऋतु, बुरा मत मानना पर मेरी ग़लती से तुम मुसीबत में फस गयी हो. मैं हमारे बारे में एक डाइयरी लिख रहा था. उसमे अब तक जो भी हमारे बीच हुवा, सब कुछ लिखा था. उसमे ये भी लीखा था कि तुम डॉक्टर संजय की बीवी हो.
कल अचानक वो डाइयरी मेरे बापू के हाथ लग गयी. मेरा बापू बहुत गुस्से मे है. वो आज शाम को तुम्हारे घर आने की बात कर रहा था. मैने बड़ी मुस्किल से उसे ये कह कर रोका है कि, आज संजय घर नही है. मुझे दुख है कि ऐसा सब कुछ हो गया. अगर हमने कुछ नही किया तो, तेरे पति को आज नही तो कल सब कुछ पता चल जाएगा. आज तो मैने अपने बापू को रोक लिया. पर वो अब किसी भी दिन तुम्हारे घर आ सकता है.
प्लीज़ मुझसे एक बार मिल लो. हमे मिल कर इसका हल निकलना होगा. मैं आज दोपहर 1 बजे अपनी एलेक्ट्रिक शॉप पर तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा. तुम वाहा आ जाना हम आराम से कहीं बैठ कर बात करेंगे.
बिल्लू
मैं ही जानती हू कि मुझ पर क्या बीत रही थी.
मुझे लग रहा था कि ये बिल्लू की फिर से कोई चाल है. वो ज़रूर उस थप्पड़ का बदला लेना चाहता है.
पर मुझे ये भी डर सता रहा था की कही ये सब सच हुवा तो, अगर सच में उसका बापू यहा आ धमका तो क्या होगा ?