hotaks444
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“ऋतु मैं तो उस दिन को टालना चाहता था. तुम्हे याद होगा मैने तुम्हे कहा था कि तुम संजय को सब कुछ बता दौ, याद है ना तुम्हे, मैने कहा था ना. ” बिल्लू ने पूछा
“हां याद है, पर तुम्हे मुझे अशोक के आगे फेंकने की क्या ज़रूरत थी” ---- मैने पूछा
बिल्लू कंटिन्यू….
मैं बस संजय को बर्बाद करना चाहता था और चाहता था कि उसकी बीवी के चरित्र को छलनी छलनी कर दूं.
पर बाद में मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुवा. शायद मुझे तुमसे प्यार होने लगा था.
इश्लीए मैने उस साइकल वाले को मारा था. मैं बिल्कुल बर्दस्त नही कर पाया कि उस साइकल वाले ने तुम्हे बस में छेड़ा है. उस वक्त मुझे पहली बार अहसास हुवा था कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
पर बदले की आग तब तक प्यार पर हावी थी. इश्लीए प्यार इतना उभर नही पाया.
अशोक ने कयि बार बाद में मुझे कहा कि ऋतु को एक बार फिर ले आओ, पर मैने उसे सॉफ मना कर दिया था कि मेरे अलावा उसे कोई नही छूएगा. और उसे ये भी कह दिया था कि तुमने अगर ऐसा सोचा भी तो तुम्हे जान से मार दूँगा. ऐसा असर हुवा था तुम्हारा मुझ पर.
पर उस दिन संजय को दीखाने के लिए ज़रूर अशोक और राजू को पीछे खड़ा किया था. मेरे लिए भी वो पल मुश्किल था. मैं तुम्हे दुख नही देना चाहता था. पर बदले की आग में मैं सब कुछ कर गया”
पर आज सोचता हूँ कि मुझे क्या मिला ?
मुझे कुछ नही मिला ऋतु, मेरी दीदी आज भी गायब है और आज मैं तुम्हारा गुनहगार बन गया हूँ.
उस दिन मैं वही संजय के कॅबिन में ही मर जाता तो अछा होता. पर किसी तरह से मैं बच गया.
उस वक्त संजय से कोई मिलने आ गया था.
किसी नर्स ने बाहर से आवाज़ लगाई, “डॉक्टर आपसे शुक्ला जी मिलने आए है”
संजय और विवेक का ध्यान मेरे उपर से हट गया और मैं मोका देख कर कॅबिन की खिड़की से कूद गया.
पर मैने जो उस मोबाइल में क्लिप देखी थी वो आज भी मेरे दीमाग में घूम रही है.
अपनी दीदी को आखरी बार देखा भी तो कहा देखा, एक मोबाइल की क्लिप में, उनका रेप होते हुवे.
मैने पोलीस में रिपोर्ट की, सब कुछ किया जो मेरे बस में था, पर आज तक मेरी दीदी का कुछ नही पता ऋतु, कुछ नही पता. पता नही रेप करने के बाद उन्होने मेरी दीदी के साथ क्या किया. अब मुझे लगने लगा है कि मेरी दीदी इस दुनिया में नही है. मैं अब यही सोचता हूँ कि वो लोग कम से कम मेरी दीदी को जींदा तो छ्चोड़ देते. किसी से भी जीने का अधिकार यू ही नही छीन लेना चाहिए.
…………
सच में बिल्लू ने जो मुझे बताया उसेसुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये. क्या बीती होगी बीचरी कविता पर मैं सोच भी नही सकती. अछा किया मैने जो उस दिन विवेक को गोली मार दी.
सबसे ज़्यादा हैरान में संजय के बारे में सुन कर थी.
मेरे मन पर बोझ था कि मैने संजय को धोका दिया है, आज ये बोझ मेरे मन से हट गया.
“ऋतु क्या सोच रही हो” ---- बिल्लू ने पूछा.
“कुछ नही बिल्लू क्या सोचूँ अब, तुमने वो किया जो तुम्हे ठीक लगा, पर बर्बादी तो दौनो तरफ एक औरत की ही हुई. उधर कविता बर्बाद हुई…. इधर मैं…… ये कैसा खेल है” ? ----- मैने बिल्लू की ओर देख कर कहा.
बिल्लू ने अपने हाथ से ग्लूकोस हटा दिया और बेड से उतर कर मेरे कदमो में बैठ गया.
“ऋतु मैं अपनी ग़लती मानता हूँ, इश्लीए सब कुछ भुला कर मुंबई आया हूँ. मुझे अब ये भी याद नही है कि मुझे किसी से बदला लेना है. मैं थक चुका हूँ. मुझे आज बस एक बात याद है, और वो ये है कि “मैं तुम्हे प्यार करता हूँ” -------- बिल्लू ने मेरे हाथो को थाम कर कहा.
“प्यार क्या होता है, तुम्हे इसका मतलब भी पता है बिल्लू” ----- मैने पूछा
“मुझे नही पता, मुझे बस एक अहसास है कि मैं तुम्हारे बिना नही रह सकता. तुम्हारे शरीर को पा कर में तुम्हारी आत्मा तक पहुँच गया हूँ. और पता है मैने क्या पाया है वाहा पहुँच कर” ? ---- बिल्लू ने मेरी आँखो में देख कर पूछा
मैने पूछा, “क्या बिल्लू” ?
“मैने पाया है कि जीतना शुनदर तुम्हारा शरीर है, उस से भी कही शुनदर तुम्हारा मन है” --- बिल्लू ने कहा
“रहने दो बिल्लू मुझे मेरे अंदर अंधेरा नज़र आता है और तुम्हे वाहा शुनदरता दीख रही है” --- मैने कहा
“जो मैने देखा है बता रहा हूँ, और ये सच है” --- बिल्लू ने कहा
“मैं हवश में आँधी हो कर तुम्हारे साथ खो गयी थी, उसे तुम सुंदरता कहते हो, वो मेरी सबसे बड़ी भूल थी” ----- मैने बिल्लू से कहा
“ऋतु तुम्हारे साथ जो मैने किया वो कोई मामूली सेडक्षन नही था. दट वाज़ इन ए वे एक्सट्रीम फॉर्म ऑफ सेडक्षन. मैने तुम्हे बहकने पर मजबूर किया था, और आज भी कर सकता हूँ. पर आज बात प्यार की है. मैं मुंबई तुम्हे पाने आया हूँ. अपनी दीदी को तो मैने खो दिया, पर तुम्हे मैं नही खोना चाहता” ---- बिल्लू ने कहा
मैने गुस्से में पूछा “ये क्या बकवास है बिल्लू, तुम ये सब सोच भी कैसे सकते हो, मैं सोच रही थी कि तुम्हे अपनी ग़लती का अहसास है”
“हां याद है, पर तुम्हे मुझे अशोक के आगे फेंकने की क्या ज़रूरत थी” ---- मैने पूछा
बिल्लू कंटिन्यू….
मैं बस संजय को बर्बाद करना चाहता था और चाहता था कि उसकी बीवी के चरित्र को छलनी छलनी कर दूं.
पर बाद में मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुवा. शायद मुझे तुमसे प्यार होने लगा था.
इश्लीए मैने उस साइकल वाले को मारा था. मैं बिल्कुल बर्दस्त नही कर पाया कि उस साइकल वाले ने तुम्हे बस में छेड़ा है. उस वक्त मुझे पहली बार अहसास हुवा था कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
पर बदले की आग तब तक प्यार पर हावी थी. इश्लीए प्यार इतना उभर नही पाया.
अशोक ने कयि बार बाद में मुझे कहा कि ऋतु को एक बार फिर ले आओ, पर मैने उसे सॉफ मना कर दिया था कि मेरे अलावा उसे कोई नही छूएगा. और उसे ये भी कह दिया था कि तुमने अगर ऐसा सोचा भी तो तुम्हे जान से मार दूँगा. ऐसा असर हुवा था तुम्हारा मुझ पर.
पर उस दिन संजय को दीखाने के लिए ज़रूर अशोक और राजू को पीछे खड़ा किया था. मेरे लिए भी वो पल मुश्किल था. मैं तुम्हे दुख नही देना चाहता था. पर बदले की आग में मैं सब कुछ कर गया”
पर आज सोचता हूँ कि मुझे क्या मिला ?
मुझे कुछ नही मिला ऋतु, मेरी दीदी आज भी गायब है और आज मैं तुम्हारा गुनहगार बन गया हूँ.
उस दिन मैं वही संजय के कॅबिन में ही मर जाता तो अछा होता. पर किसी तरह से मैं बच गया.
उस वक्त संजय से कोई मिलने आ गया था.
किसी नर्स ने बाहर से आवाज़ लगाई, “डॉक्टर आपसे शुक्ला जी मिलने आए है”
संजय और विवेक का ध्यान मेरे उपर से हट गया और मैं मोका देख कर कॅबिन की खिड़की से कूद गया.
पर मैने जो उस मोबाइल में क्लिप देखी थी वो आज भी मेरे दीमाग में घूम रही है.
अपनी दीदी को आखरी बार देखा भी तो कहा देखा, एक मोबाइल की क्लिप में, उनका रेप होते हुवे.
मैने पोलीस में रिपोर्ट की, सब कुछ किया जो मेरे बस में था, पर आज तक मेरी दीदी का कुछ नही पता ऋतु, कुछ नही पता. पता नही रेप करने के बाद उन्होने मेरी दीदी के साथ क्या किया. अब मुझे लगने लगा है कि मेरी दीदी इस दुनिया में नही है. मैं अब यही सोचता हूँ कि वो लोग कम से कम मेरी दीदी को जींदा तो छ्चोड़ देते. किसी से भी जीने का अधिकार यू ही नही छीन लेना चाहिए.
…………
सच में बिल्लू ने जो मुझे बताया उसेसुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये. क्या बीती होगी बीचरी कविता पर मैं सोच भी नही सकती. अछा किया मैने जो उस दिन विवेक को गोली मार दी.
सबसे ज़्यादा हैरान में संजय के बारे में सुन कर थी.
मेरे मन पर बोझ था कि मैने संजय को धोका दिया है, आज ये बोझ मेरे मन से हट गया.
“ऋतु क्या सोच रही हो” ---- बिल्लू ने पूछा.
“कुछ नही बिल्लू क्या सोचूँ अब, तुमने वो किया जो तुम्हे ठीक लगा, पर बर्बादी तो दौनो तरफ एक औरत की ही हुई. उधर कविता बर्बाद हुई…. इधर मैं…… ये कैसा खेल है” ? ----- मैने बिल्लू की ओर देख कर कहा.
बिल्लू ने अपने हाथ से ग्लूकोस हटा दिया और बेड से उतर कर मेरे कदमो में बैठ गया.
“ऋतु मैं अपनी ग़लती मानता हूँ, इश्लीए सब कुछ भुला कर मुंबई आया हूँ. मुझे अब ये भी याद नही है कि मुझे किसी से बदला लेना है. मैं थक चुका हूँ. मुझे आज बस एक बात याद है, और वो ये है कि “मैं तुम्हे प्यार करता हूँ” -------- बिल्लू ने मेरे हाथो को थाम कर कहा.
“प्यार क्या होता है, तुम्हे इसका मतलब भी पता है बिल्लू” ----- मैने पूछा
“मुझे नही पता, मुझे बस एक अहसास है कि मैं तुम्हारे बिना नही रह सकता. तुम्हारे शरीर को पा कर में तुम्हारी आत्मा तक पहुँच गया हूँ. और पता है मैने क्या पाया है वाहा पहुँच कर” ? ---- बिल्लू ने मेरी आँखो में देख कर पूछा
मैने पूछा, “क्या बिल्लू” ?
“मैने पाया है कि जीतना शुनदर तुम्हारा शरीर है, उस से भी कही शुनदर तुम्हारा मन है” --- बिल्लू ने कहा
“रहने दो बिल्लू मुझे मेरे अंदर अंधेरा नज़र आता है और तुम्हे वाहा शुनदरता दीख रही है” --- मैने कहा
“जो मैने देखा है बता रहा हूँ, और ये सच है” --- बिल्लू ने कहा
“मैं हवश में आँधी हो कर तुम्हारे साथ खो गयी थी, उसे तुम सुंदरता कहते हो, वो मेरी सबसे बड़ी भूल थी” ----- मैने बिल्लू से कहा
“ऋतु तुम्हारे साथ जो मैने किया वो कोई मामूली सेडक्षन नही था. दट वाज़ इन ए वे एक्सट्रीम फॉर्म ऑफ सेडक्षन. मैने तुम्हे बहकने पर मजबूर किया था, और आज भी कर सकता हूँ. पर आज बात प्यार की है. मैं मुंबई तुम्हे पाने आया हूँ. अपनी दीदी को तो मैने खो दिया, पर तुम्हे मैं नही खोना चाहता” ---- बिल्लू ने कहा
मैने गुस्से में पूछा “ये क्या बकवास है बिल्लू, तुम ये सब सोच भी कैसे सकते हो, मैं सोच रही थी कि तुम्हे अपनी ग़लती का अहसास है”