Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी - Page 3 - SexBaba
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Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी

"भैयाजी, बस एक बार, एक बार तो मार लेने दो बहू रानी की गांड. मन कसकता है भैयाजी, इतनी मस्त गोरी गोरी मतवाली गांड है. बस एक बार ..." रज्जू मिन्नत करते हुए बोला.

"आज नहीं, तू ढीली कर देगा. बाद में एक कोरी गांड दिलवा दूंगा, तुझे भी और रघू को भी. और देखो, बहू को हफ़्ते भर जम के चोदना है, यहां से जायेगी तो अपनी पूरी प्यास बुझा कर जायेगी लीना बेटी. बोलेगी कि मान गये, गांव में जो चुदाई हुई उससे दिल बाग बाग हो गया, समझे ना?"

"हां भैयाजी, हम पूरा चोद देंगे लीना भाभी को. पर अनिल भैया नाराज ना हो जायें ... आखिर उनकी लुगाई है ... कहेंगे कि मेरी जोरू को पूरा ढीला कर दिया बुढिया रंडी की तरह ... और वो रधिया भी नखरे करेगी भैयाजी, आप भी बहू रानी के पीछे पड़ोगे तो वो किससे चुदवायेगी?" रघू धक्के लगाता हुआ बोला.

"अरे अनिल कुछ नहीं कहेगा. लीना की खुशी में उसकी खुशी है. रही रधिया की बात, अनिल भैया चोद देंगे उसको, आखिर गांव का ऐसा माल उसको कहां मिलेगा. तुम लोग बस लीना बिटिया के सब छेद पूरे चोद दो" मौसाजी लंड पेलते हुए बोले.

"फ़ुकला हो जायेगी बहू की चूत और गांड भैयाजी. हाथ भी चला जायेगा" रज्जू मस्ती में बोला.

"परवा नहीं. उसको ठीक करने के नुस्खे हैं कई, चलो अब बातें मत करो, कम से कम दो बार और चोदना है आज शाम तक इस घर की बहू रानी को" मौसाजी लंड पेलते हुए बोले.

"बहूरानी की तो आज खूब ठुकाई कर रहे हैं ये तीनों नासपीटे भैयाजी. उनको कुछ बोलो नहीं तो लीना दीदी का कचूमर निकाल देंगे आज." राधा मुझको बोली.

"उसकी फ़िकर मत कर राधा रानी. तू नहीं जानती मेरी बीवी को. ऐसे दस मर्द और खड़े कर दो तो उनको भी झेल लेगी." मैं बोला.

"ठीक कहता है अनिल. आखिर हमारे घर की बहू है, चुदाई में अव्वल नंबर, हमारा नाम रोशन करेगी" मौसी अपनी बुर सहलाते हुए बोलीं. दो चार बार झड़ कर तृप्त हो गयी थीं.

"मौसी, आप ऐसे मत लेटो, मेरे सामने आकर लेटो. जरा हम दोनों आप का प्रसाद तो चख लें" राधा मौसी की टांग पकड़कर बोली. मौसी खिसक कर हमारे सामने खटिया पर लेट गयीं. राधा ने तुरंत मुंह डाल दिया.

"अरी सब मत खाना, अनिल को भी दे" मौसी बोलीं.

राधा ने अब तक आधा केला मौसी की बुर से निकाल लिया था और स्वाद ले लेकर खा रही थी. मौसी की बात पर उसने सिर बाजू में किया और मैंने भी भोग लगाना शुरू कर दिया. "बहुत मस्त है मौसी, मजा आ गया"

"अरे ये तो हमेशा का है हमारे यहां. तेरे मौसाजी को ज्यादा शौक नहीं है पर जब भी रघू रज्जू आते हैं तो अक्सर उनको खिला देती हूं. लीना नहीं चखाती क्या तुझको?"

"मौसी, उसको भी सिखा देना. बड़ा मस्त पकवान है. वैसे मौसी, आप वो बच्चे वाली क्या बात कर रही थीं? राधा को बच्चा होने वाला है क्या?" मैंने पूछा.

"अरे नहीं, वो गोलियां लेती है ना. पर अब मैं बंद करने वाली हूं. नौ महने में बच्चा हो जायेगा. दूध की बड़ी जरूरत है हमको. तेरे मौसाजी ही बोल रहे थे कि भाभी, अब जरा खालिस दूध का इंतजाम करो. और लीना भी मुझको पूछ रही थी सुबह. कह रही थी कि गांव में इतना बड़ा मकान है, खेत हैं नौकर चाकर हैं तो दूध का इंतजाम क्यों नहीं है? पहले मैं चकरा गयी, दस भैंसे बंधी हैं तो ये दूध का क्या कह रही है! फ़िर समझ में आया. मैंने पूछा कि चखना है क्या तो हंसने लगी बदमाश. उसको मैंने कहा कि अगली बार आयेगी तो राधा का दूध चखाऊंगी. और इसीलिये मैं कह रही थी कि जम के मसलो इस छोकरी के मम्मे, तब तो ज्यादा दूध निकलेगा इसका. कई दिन हो गये ऐसा दूध पिये. जब विमला बाई थी तो वो आकर सब को पिला जाती थी. मस्त दूध था उसका, पर वो साल भर पहले दूसरे गांव चली गयी अपने भाई के यहां. उसका मर्द यहां नहीं है ना. कह रही थी कि भाई बुला रहा है, उनका अच्छा खासा लफ़ड़ा चलता है, भाई, भाभी और विमला बाई की खूब जमती है. वैसे विमला बाई इस महने आयेगी, पर अभी तक खबर नहीं आयी"

मैंने सप्प से राधा की गांड में से लंड खींचा और बोला "अब मौसी जी, आप आओ. गांड मरवाओ तब मुझे होगी शान्ति"
 
मौसी ओंधी लेट गयीं. मैंने उनके मोटे मोटे चूतड़ों पर दो चार चपत लगायीं "वाह, क्या गांड है मौसी, डनलोपिलो के गद्दे हैं, अचरज नहीं कि मौसाजी बस आपकी गांड के दीवाने हैं"

"अरे खेल मत इनसे, जल्दी मार और छुट्टी कर. फ़िर चोद दे जरा ठीक से राधा को, मेरी खास नौकरानी है, उसके सुख का खयाल रखना मेरा फ़र्ज़ है." मौसी चूतड़ हिलाकर बोलीं.

मैंने लंड पेलते हुए पूछा "क्यों मौसी, आप नहीं चुदवायेंगी?"

"मैं तो रात को चुदवा लूंगी अनिल बेटे, इस रधिया की प्यास बुझा. और ज्यादा चपर चपर मत कर, देखती हूं कि कितना दम है तुझमें, बिना झड़े मेरी गांड मार कर दिखा जरा"

"लो मौसी, ये लो" कहकर मैं मौसी की गांड मारने लगा. राधा मस्ती से फ़नफ़ना रही थी, टांगें फ़ैलाकर मौसी के सामने बैठ गयी और मौसी का सिर अपनी जांघों में जकड़ लिया. खुद मुझे चूमने लगी.

मौसी की गांड लाजवाब थी. एकदम मोटी ताजी. और फ़िर मौसी अपनी गांड सिकोड़ सिकोड़ कर मेरे लंड को दुहने लगीं. मुझसे न रहा गया और मैं हचक हचक के मौसी की मारने लगा. दो मिनिट में मेरा लंड झड़ गया.

"लो ... झड़ गये भैया. अब मुझे कौन चोदेगा? मौसी ... देखो ना भैया ने क्या किया" राधा गुस्से में बोली.

मौसी हंस के बोली "चला था मेरी गांड मारने. क्यों रे अनिल?"

मैं हांफ़ते हुए बोला "माफ़ कर दो मौसी, आप जीतीं मैं हारा, आप जैसी गांड हमेशा नसीब नहीं होती इसलिये रहा नहीं गया"

"दिल छोटा न कर बेटे. अभी तो हफ़्ता भर है ना तू यहां? और दे दूंगी तेरे को बाद में. अब यहां आ और मेरी बुर चूस. मेरी रज चखेगा तो जल्द ही तेरा लंड खड़ा हो जायेगा. ओ रधिया, तू जरा अनिल भैया के लंड को मस्त कर"
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मैं और मौसा मौसी--7 gataank se aage........................
मैं लेटा मौसी की चूत चाट रहा था तब बाजू के कमरे से आवाजें आयी. "अब छोड़ दो ... मौसाजी .... बहुत हो गया ... गांड दुख रही है .... चूत भी कसमसा रही है ... गला दुख रहा है ... कितने अंदर तक लंड पेलते हो तुम लोग ... चलो छोड़ो अब ... मेरे बदन का चप्पा चप्पा पिस गया है ... " ये लीना की आवाज थी.

"अभी तो बस दो बार चुदी हो बहू. एक बार और चुदवा लो. चलो फ़र्श पर चलते हैं, वहां मजा आयेगा तेरे को, यहां खटिया पर बहुत हो गया, ओ रघू, वो दरी बिछा दे नीचे. ऐसे ... अब लीना को एक एक करके ठीक से चोदो." मौसाजी की आवाज आयी.

"भैयाजी, गांड ...." रघू की आवाज आयी.

"गांड कल फ़िर से मारेंगे, पर आज चोदो जरूर और घंटे भर. मैंने दो बार मारी है इसकी, बहुत मजा आया पर अब लंड खड़ा नहीं हो रहा है, मैं रात को फ़िर से चोद लूंगा बहू को, पर तुम दोनों अब फ़िर से चोदो इसको"

जल्दी ही फ़च फ़च की आवाज आने लगी. रघू बोला "भैयाजी, बड़ा मजा आता है जमीन पर, बहू रानी का मुलायम बदन एकदम मखमल की गद्दी जैसा है"

"इसीलिये तो बोला तुम लोगों को कि फ़र्श पर चोदो. फ़र्श पर जोरदार धक्के लगते हैं, चुदैल औरतों की कमर तोड़ चुदाई कर सकते हैं. हमारी बहू रानी की भी चोद चोद कर कमर टेढ़ी कर दो. कल मैं फ़र्श पर लिटा कर इसकी गांड मारूंगा, इसके बदन की गद्दी का लुत्फ़ उठाना है मुझको.

लीना कराह रही थी "अरे दुखता है रे ... मत चोदो .... बदन मसल डाला मेरा तुम लोगों ने .... तुमको तो मेरे बदन की गद्दी मिल गयी पर .... मेरी हड्डी पसली एक हो रही है"

"रज्जू उसका मुंह बंद कर, बहुत बोल रही है." मौसाजी की आवाज आयी. फ़िर शांति छा गयी, अब सिर्फ़ ’फ़च’ ’फ़च’ ’सप’ ’सप’ की आवाज आ रही थी.

लीना की होती चुदाई की कल्पना से मेरा लंड सिर उठाने लगा. जल्दी ही काफ़ी कड़ा हो गया. "चल राधा, चोद ले अब इसको. खुद ही चढ़ के चोद ले, ये चोदेगा तो फ़िर जल्दी से झड़ जायेगा" कहकर मुझे लिटा कर मौसी मेरे मुंह पर चूत जमा कर बैठ गयीं. राधा मुझपर चढ़ कर चोदने लगी.

एक घंटे बाद राधा और मौसी ने मुझे छोड़ा. पिछले घंटे में मुझे लिटा कर रखा था इसलिये लीना के साथ क्या हो रहा था, मुझे दिख नहीं रहा था. बस आवाजें सुन रहा था. चोदने की आवाज लगातार आ रही थी. लीना की आवाज बस बीच बीच में आती जब उसका मुंह वो लोग छोड़ते. वो बस कराहती और बोलती "बहुत हो गया .... अब छोड़ो ... तुम्हारे पैर पड़ती हूं ... मार डालोगे क्या .... चलो खेल खेल में मजाक बहुत हो गया ...." पर फ़िर उसका मुंह कोई बंद कर देता.

मैं झड़ा और दस मिनिट पड़ा रहा. फ़िर उठकर हम कपड़े पहनने लगे. तब मैंने बाजू के कमरे में देखा. लीना जमीन पर चुपचाप पड़ी थी. मौसाजी उसकी बुर से मुंह लगा कर चूस रहे थे, लगता था वहां काफ़ी माल था, रघू और रज्जू ने निकाला हुआ. लीना की बुर चुद चुद कर लाल हो गयी थी, पपोटे फ़ूल गये थे. रघू और रज्जू बारी बारी से उसकी गांड चूस रहे थे. लीना का बदन भी लाल गुलाबी हो गया था. खास कर मम्मे तो ऐसे हो गये थे जैसे टमाटर. पूरे गोरे अंग पर दबाने और मसलने के निशान पड़ गये थे. चूतड़ों ने भी मौसाजी के इतने धक्के झेले थे कि वे भी लाल हो गये थे.

जब मैं मौसी और राधा उस कमरे में गये तो रघू लीना को ब्रा पहना रहा था. लगता था ब्रा पहनाने में उसको मजा आ रहा था, वो बार बार लीना के मम्मे दबाने लगता. लीना आंखें बंद करके चुपचाप गुड़िया सी पड़ी थी.

"भैयाजी, बड़ी मस्त ब्रा है बहू की, साली क्या फ़िट बैठती है बहूरानी की चूंची पर" रघू बोला फ़िर मौसाजी से पूछा "भैयाजी, अब बंद करना है क्या सच में?"
 
रज्जू जो पैंटी पहना रहा था, बार बार लीना की जांघों को चूम लेता "हां भैयाजी, एक घंटे आराम करते हैं, फ़िर और चोदेंगे लीना भाभी को. मन नहीं भरा, क्या जन्नत की परी है बहू रानी"

"चलो हटो अब, बहुत हो गया. बहू को इतना मसला कुचला, अब भी मन नहीं भरा तुम्हारा? चलो अब आराम करने दो उसको घर जा कर. चलो हटो, मैं साड़ी पहना देती हूं" मौसी ने सबको हटाया और साड़ी पहनाने लगीं. लीना अबतक आंखें बंद करके ऐसी पड़ी थी कि बेहोश हो, आंखें खोल कर किलकिला करके मेरे को देखा और आंख मार कर मुंह बना दिया कि लो, मौसी क्यों बीच में आ गयीं, मैं तो और मजा लेती.

जब हम घर को निकले तो मैं काफ़ी थक गया था. लंड और गोटियां दुख रही थीं. पर मन में मस्ती छाई हुई थी. रज्जू ने लीना को कंधे पर लिया हुआ था जैसे गेहूं की बोरी हो. उसकी आंखें बंद थीं. रघू और मौसाजी पीछे चल रहे थे.

"कचूमर निकाल दिया मेरी बहू का, क्यों रे बदमाशों?" मौसी बोलीं.

"अरे नहीं मालकिन, बहू रानी तो अब भी तैयार थी, हम लोगों के ही लंड अब नहीं खड़े होते" रज्जू बोला.

"पर वो तो चिल्ला रही थी कि छोड़ दो" मौसी बोली.

"अरे बड़ी बदमाश है तेरी बहू. जानबूझकर इनको उकसा रही थी. जरा देखो, हंस रही है चुपचाप" मौसाजी बोले. लीना के चेहरे पर मुस्कान थी. आंखें खोल कर मेरी ओर देखा और आंख मार दी.

’अरे तो इसको उठा कर क्यों चल रहे हो?" मौसी ने पूछा.

"चुदा चुदा कर थक गयी है लीना बिटिया. चल तो लेगी पर खुद ही बोली कि मुझे उठा कर ले चलो सो रज्जू ने उठा लिया. एकदम निछावर हो गया है बहू पर, लाड़ में उठा लिया"

"हां अनिल भैया, आप की लुगायी जैसी औरत नहीं देखी आज तक. क्या चुदवाती है. मैं तो अब भाभी का गुलाम हो गया, उनकी खूब सेवा करूंगा, जैसे चाहेंगीं, मैं चोदूंगा" रज्जू बोला.

"और मैं भी. भैया, अब मुझे उठाने दो भाभी को" रघू बोला. दोनों बारी बारी से लीना को उठा कर घर पे ले आये.

उस रात हमने आराम किया. सब काफ़ी थक गये थे. मौसी बोलीं "आज सुस्ता लो, कल से दिन भर चुदाई होगी. कोई पीछे नहीं हटेगा, अपनी अपनी चूतें और लंड का खयाल रखो और उनको मस्त रखो" मौसी बोलीं. "लीना बेटी, तू कल आराम कर, आज जरा ज्यादा ही मस्ती कर ली तूने"

"अरे नहीं मौसी, यहां आराम करने थोड़े आई हूं! और ये ऐसे नहीं छोड़ूंगी इन दोनों बदमाशों को" उसका इशारा रघू और रज्जू की ओर था. "और मौसाजी भी सस्ते छू जायेंगे. ये तीनों रोज दोपहर चार घंट मेरे लिये रिज़र्व हैं. इनको इतना चोदूंगी कि इन तीनों के लंड नुन्नी बन कर रह जायेंगे" लीना मस्ती में लरज कर बोली.

अगला हफ़्ता ऐसे बीत गया कि पता ही नहीं चला. सुबह हम देर से उठते थे. नहा धो कर खाना खाकर लीना मौसाजी के साथ खेत के घर में चली जाती थी जहां रघू और रज्जू उसकी राह देखते थे. मैं राधा और मौसी घर में रह जाते थे. दिन भर मस्ती चलती थी. दोनों लंड की ऐसी भूखी थीं कि बस बारी बारी से मुझसे चुदवातीं. बीच बीच में खूब खातिरदारी करतीं, हर दो घंटे में बदाम दूध देतीं.

लीना जब शाम को आती थी तो उसका चेहरा देखते बनता था. चेहरे पर एकदम शैतानी झलकती थी और एक सुकून सा रहता था कि क्या मजा आया. ऐसी दिखती थी जैसे मलाई खाकर बिल्ली दिखती है. उसकी हालत किसी छोटे बच्चे सी थी जिसे मनचाहे खिलौने मिल जायें तो खेल खेल कर थक जाये फ़िर भी खेलता रहता है. इतना चुदवाती थी लीना कि उससे चला भी नहीं जाता था. मैंने एक बार कहा भी कि रानी, जरा सम्हाल के, इस तरह से अपनी चूत और गांड की धज्जियां मत उड़वाओ तो मुझे टोक देती "तुम्हे क्यों परेशानी हो रही है मेरे सैंया जब मैं खुश हूं? परेशान मत हो, आराम करने को तो बहुत समय मिलेगा जब हम वापस जायेंगे. तब चूत और गांड फ़िर टाइट कर लूंगी दस दिन में. तब तक इन तीनों लंडों का मजा तो ले लूं. और वो रघू और रज्जू के लंड तो बेमिसाल हैं." रघू रज्जू और मौसाजी उसके आगे पीछे ऐसे घूमते जैसे उसके गुलाम हों और वो मलिका.

रात को सब इतने थक जाते कि सो जाते. पहली रात को मौसाजी के साथ मिलकर हमने जो मस्ती की थी उसकी याद मुझे आती थी. मौसी और राधा की बुर और गांड से मुझे बहुत सुख मिलता था पर कभी कभी मौसाजी की गांड की याद आती थी, कितना मजा आया था उस रात उनकी मारने में. क्या गोरी चिकनी गरमा गरम गांड थी मौसाजी की. मैं सोचता था कि जाने के पहले कम से कम एक बार तो मौसाजी की फिर से मारूंगा.
 
हफ़्ते भर ये चुदाई चली. जब हमें जाने को दो दिन बचे तो उस रात मौसी ने खुद ही रोक लगा दी. "चलो, बहुत हो गया, अब सब लोग आज और कल आराम करो."

लीना पैर पटककर बोली "मौसी, ऐसे मत करो, अब दो दिन में हम चले जायेंगे, तब तक और मजा कर लेने दो"

"बेटी, तेरी चूत तो हरदम प्यासी रहती है पर इन मर्दों को देखो, इनके अब जोर से खड़े भी नहीं होते. तूने तो इनको पूरा निचोड़ लिया है. इन्हें आराम कर लेने दो. इनके लंडों में ताकत आ जायेगी. परसों एक खास प्रोग्राम करेंगे, तुम्हारे जाने के पहले"

"ठीक है मौसी" लीना के दिमाग में बात घुस गयी, शायद सच में रघू और रज्जू के लंड अब झड़ झड़ कर मुरझाने को आ गये थे "इनको आराम करने दो, पर आप की और राधा की बुर तो अभी भी ताजी है. मैं आप के साथ खेलूंगी अब. आप दोनों के साथ ठीक से वक्त नहीं निकाला मैंने, जाने के पहले अब इनको मैं मन भर के चखना चाहती हूं"

"धीरज रख बहू, सब हो जायेगा. पर आज तू भी आराम कर" मौसी लीना का चुम्मा लेकर बोलीं.

उस दिन भर हम लोग बस सोये, और कुछ नहीं किया. रघू और रज्जू को भी मौसाजी ने छुट्टी दे दी. राधा बस खाना बनाने आयी और चली गयी.

दूसरे दिन सुबह मौसी ने लीना को बुलाया. लीना वापस आयी तो बहुत खुश थी.

मैंने पूछा. "खुश लग रही हो डार्लिंग. कोई खुशखबर? उपवास खतम हो गया है लगता है. मौसी ने बुलाया है क्या?"

लीना बोली "एक खुशखबर और एक बुरी खबर है. बुरी खबर ये कि उपवास आज दिन भर चलेगा."

मैंने कहा "अरे रे .... मेरा लंड अब फ़िर से मस्त टनटना रहा है. दोपहर को जरा मौज मस्ती करते. फ़िर खुशखबरी क्या है?"

"मौसी ने रात के खाने के बाद सबको उनके कमरे में बुलाया है. कपड़े उतार के. बड़ी मूड में हैं. कहती हैं कि उपवास के बाद आज दावत होगी रात को. आज मजा आयेगा देखना राजा."
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मैं और लीना रात को कपड़े उतार के जब मौसी के कमरे में गये तो देखा कि सब वहां जमा थे और पूरे नंगे थे. आज पलंग बाजू में कर दिया गया था और पूरे फ़र्श पर गद्दियां बिछी थीं. मौसी और राधा लिपट कर बैठी थीं. मौसाजी रज्जू और रघू के बीच बैठे थे और अपने दोनों हाथों में उनके लंड ले कर मुठिया रहे थे.

"ये तो पूरा जमघट लगा है मौसी. कोई खास बात है क्या?" मैंने पूछा.

"आज एक खास खेल होने वाला है. ट्रेन ट्रेन का" मौसी मुस्कराती हुई बोलीं.

"कैसा खेल मौसी? ट्रेन ट्रेन खेल कैसा होता है?" लीना ने पूछा.

"अरे ट्रेन में लेडीज़ और जेंट कंपार्टमेंट अलग अलग होते हैं ना. आज हम लोग भी अलग अलग रहेंगे. मर्द अलग और औरतें अलग. एक कंपार्टमेंट से दूसरे कंपार्टमेंट में जाना मना है आज"

"ये क्या मौसी? लंड अलग और चूत अलग? मुझे और लंड चाहिये" लीना पैर पटककर बोली

"मेरी चुदैल बहू रानी, तू जरूर हमारा नाम रोशन करेगी" मौसी ने लीना का हाथ पकड़कर कहा "अरी हफ़्ते भर तो लंड ही लंड लिये हैं तूने. और बाद में और ले लेना, फ़िर से जल्दी गांव आ जा, अनिल को छुट्टी न हो तो खुद अकेली आ जाना और इस बार महने भर रहना. तू कहेगी तो एक दो और मस्त लंड तेरे लिये जमा करके रखूंगी, रघू और रज्जू के एक दो चचेरे भाई हैं, बड़े मस्त जवान लौंडे हैं. आज ये खेल देख ले, तेरे मौसाजी का बहुत मन है ये खेलने का"

"पर मौसी, मुझको भी देखना है ना, अनिल कैसे ये वाला खेल खेलता है" लीना शोखी से बोली.

"अरी फ़िकर क्यों करती है, सब दिखेगा. तू मैं और राधा यहां इस तरफ़, लेडीज़ कंपार्टमेंट. और तेरे मौसाजी, रज्जू रघू और अनिल यहां दूसरी तरफ़, जेंट कंपार्टमेंट, दोनों कंपार्टमेंट यहीं इस कमरे में बनेंगे. तेरे मौसाजी तो हमेशा खेलते हैं. आज और मजा आयेगा, अनिल जो है. चल आ जा लीना बेटी" लीना का हाथ पकड़कर मौसी ने उसको पास बिठा लिया. राधा तो लीना के पीछे चिपटकर उसके मम्मे दबाने लगाने लगी थी.

"वहां से दिखेगा बेटी, फ़िकर मत कर. और अनिल को कुछ करने की जरूरत नहीं है, ये तीनों उसको सिखा देंगे" 

"आओ अनिल. यहां बैठो" मौसाजी बोले. मैं उनके पास जाकर बैठने लगा तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया. "वहां नहीं यहां बैठो बेटे. हम तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं, क्यों भाभी, खेल शुरू करें?"

"हां करो ना, जान पहचान बढ़ा लो. वैसे मैंने विमला बाई को भी बुलाया है. बड़े दिन हो गये उससे मिले. कल अचानक आ गयी तो मैंने कहा कि आज रात को आ जाओ, हमारी बहू से भी जानपहचान बढ़ा लो. बस आती होगी."

तभी बाहर से किसी औरत की आवाज आयी "मौसी, आप कहां हो?"

मौसी चिल्ला कर बोलीं. "हम यहां है मेरे कमरे में. तुम भी आ जाओ, और तैयार होकर आना विमला. खेल शुरू ही होने वाला है. बस तुम्हारा ही इंतजार था. मेरे कमरे में कपड़े निकाल के रख दे"

मैं मौसाजी की गोद में बैठ गया. उनका लंड मेरी पीठ से सटा था. "लो रघू और रज्जू, आखिर अनिल आ गया हमारे साथ. लो अब इसे ठीक से प्यार करो. तुम लोग कब से पीछे लगे थे मेरे कि अनिल भैया से ठीक से जान पहचान करा दो हमारी, अब देखें कैसी सेवा करते हो उसकी, इसकी बीवी को तो तुमने खुश कर दिया, अब इसकी खुशी पर ध्यान दो"

मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. मैं बोला "अरे ऐसी कोई बात नहीं है मौसाजी, आप चाहो तो अभी भी लीना को इस कंपार्टमेंट में बुला लो"
 
"भाभी को तो हम फ़िर से अगली बार ले ही लेंगे अनिल भैया, अभी तुम तो आओ ऐसे" रज्जू बोला.

"क्या गोरे चिट्टे हैं अनिल भैया. बड़े मस्त दिखते हैं" रघू बोला और मेरे सामने नीचे बैठ गया. मेरा लंड हाथ में लेकर बोला "और ये लंड तो देख रज्जू, एकदम रसीला गन्ना है" फ़िर उसको चूमने और चाटने लगा.

मौसाजी मेरे निपल मसलते हुए मेरी गर्दन प्यार से चूम रहे थे. रज्जू मेरी जांघों पर हाथ फ़िरा रहा था "अनिल भैया का बदन तो खोबा है खोबा भैयाजी. और इनके होंठ कितने खूबसूरत हैं! बिलकुल लीना बहूरानी जैसे ही हैं. चुम्मा लेने को मन करता है भैयाजी"

मौसाजी पीछे से मेरे बालों में सिर छुपा कर मेरी गर्दन को चूमते हुए बोले "तो ले ले ना, अनिल क्या मना कर रहा है"

रज्जू ने तुरंत मेरे होंठों पर होंठ रख दिये और मेरे पेट और जांघों को सहलाने लगा. उसका हट्टा कट्टा बदन मेरे बदन से लगा हुआ था. मैं चार पांच मिनिट बस बैठा रहा, सोचा कर लेने दो इन लोगों को उनके मन की. पर फ़िर मन में मस्ती छाने लगी. सामने मौसी और राधा जैसे लीना को पकड़कर आगे पीछे से लगी हुई थीं, देख देख कर और मस्ती चढ़ रही थी. मैंने रज्जूका लंड हाथ में ले लिया और अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी. रज्जू उसको चूसने लगा. उसका लंड मेरी हथेली में थिरक रहा था.

उधर रघू अब मेरा लंड मुंह में लिये था. बड़े प्यार से सुपाड़ा मुंह में लेकर उसको लड्डू जैसे गपागप चूस रहा था. रज्जू ने चुम्मा तोड़ा और मौसाजी को बोला. "भैयाजी, अनिल भैया को नीचे सुला दो तो जरा हम ठीक से उनके बदन को देख लें"

मौसाजी ने मुझे लिटा दिया और तीनों मुझसे लिपट गये. कोई मेरी जांघों को चूमता तो कोई लंड मुंह में लेता. कोई मेरे होंठ चूमता तो कोई मेरे चूतड़ सहलाने लगता. जब किसीने मेरे चूतड़ फ़ैलाकर मेरा गुदा चूसना शुरू कर दिया तो मैं मस्ती से झूम उठा.

"मां कसम क्या गांड है अनिल भैया की. एकदम माल है" मेरे पीछे से रज्जू की आवाज आयी. फ़िर उसने मुंह मेरी गांड से लगा दिया.

"मैंने बोला था ना कि कल तुझे एक मस्त गांड दूंगा. ले हो गयी तसल्ली" मौसाजी मेरे मुंह पर अपना लंड रगड़ते हुए बोले.

"अभी कहां भैयाजी, तसल्ली तो तब मिलेगी जब मैं इस खूबसूरत गांड में लंड डालकर चोदूंगा." रज्जू बोला.

"हां हां चोद लेना, पर बाद में. पहले मैं खेलूंगा. याने तुम लोगों से खिलवाऊंगा. आज बड़े दिन बाद तीन लंड एक साथ मिले हैं. आज मैं मजा करूंगा, तीनों लंड एक साथ लूंगा. अनिल बेटे, तेरे को कोई परेशानी तो नहीं है?" मैं कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि मौसाजी का लंड मेरे मुंह में था. उधर एक लंबी सी जीभ मेरी गांड में घुस कर मुझे गुदगुदी कर रही थी.

मौसी बोलीं "अरे नहीं, अनिल को क्या परेशानी होगी. अनिल बेटे, जब से तू आया है, तेरे मौसाजी आस लगाये बैठे हैं. एक साथ तीन लंड लेना चाहते हैं. पहले ही कहने वाले थे पर बहू को देखकर मुंह में पानी आ गया, बोले, पहले तीन चार दिन बहू के बदन से खेलूंगा, उसको खुश करूंगा और फ़िर खुद की प्यास बुझाऊंगा. आज इनको खुश कर दो बेटे. सुनते हो रघू और रज्जू. आज पहले भैयाजी की कस के सेवा करो और फ़िर बाद में अनिल की. अनिल यहां से प्यासा नहीं जाना चाहिये. चूतें तो बहुत मिलती हैं उसको, उसकी खुद की बीवी इतनी मतवाली है पर ऐसे तीन तीन लंड उसने कभी नहीं लिये होंगे"

तभी दरवाजा खुला और एक औरत अंदर आयी. वह भी एकदम नंगी थी सिर्फ़ ब्रा पहने हुए थी. उमर पैंतीस के करीब होगी. गले में सोने की बड़ी माला थी, कान में झूमर और कलाइयों पर चूड़ियां. बड़ी बिंदी लगाये हुए थी, मांग में सिंदूर भरा था. ब्रा में कसी चूंचियां मोटी मोटी थीं, और बदन अच्छा खाया पिया हुआ था. पेट के नीचे घने बाल थे.

"आओ विमला, बड़ी देर लगा दी, कब से राह देख रहे थे तुम्हारी. और इस बार बहुत दिन बाद गांव आयी हो, छह महने से ज्यादा हो गये."

"देर हो गयी इसीलिये तो कपड़े उतार कर ही आयी मौसी. मेरा मतलब है बुर खोल कर आयी हूं जिसको प्यास लगी हो वो चूस ले" विमला बाई बोलीं.

मौसाजी बोले "बुर खुली है बड़ी अच्छी बात है विमला बाई पर फ़िर मम्मे क्यों नहीं खोले?"

मौसी झल्ला कर बोलीं "अब तुम क्यों औरतों के बीच बोल रहे हो? आज तुम बस लंडों की सोचो. विमला के दूध आता है सो ब्रा बांध के आयी है कि छलक न जाये, मैंने ही कहा था कि आकर हमारे यहां जो खूबसूरत मेहमान आये हैं उनको चखा जाना"
 
"कहां है बहू रानी? अच्छा ये है. बड़ी प्यारी है, ये तो कल जा रही होगी, आप लोगों ने इसकी खातिरदारी की या नहीं?" विमला बाई बोली. फ़िर लीना के पास बैठ गयी. लीना को गोद में खींचा और चूमने लगी.

मौसी बोलीं "ये भी कोई पूछने की बात है! बहू पहली बार हमारे यहां आई है, अब हमसे जितना हो सकता था उतनी हमने सेवा की बहू रानी की. तीनों को काम पर लगा दिया, ये तेरे दीपक भैया, रघू और रज्जू. और अनिल का जिम्मा हमने ले लिया, मैंने और राधा ने खूब चासनी चखाई है इसको"

"बड़ी प्यारी लड़की है मौसी. एकदम मतवाली है. अभी रहती हफ़्ते भर तो अच्छा होता" विमला बाई बोलीं और फ़िर लीना के मुंह से मुंह लगा दिया.

लीना को भी विमला बाई जच गयी थी, कस के उनको चूम रही थी. फ़िर ब्रा के कप को पकड़कर बोली "मैं तो साल में दो तीन बार आऊंगी मौसी. विमला मौसी, इसको निकालो तो जरा आप का माल चखूं, आप की चूंचियों के जलवे अलग ही दिखते हैं"

"अरे अभी नहीं बहू" विमला बाई बोलीं. "बाद में चख लेना, खास तेरे ही लिये ये भरी छाती लाई हूं. चखना है तो पहले उसे चखो" कहकर विमला बाईने टांगें फैलायीं और लीना का मुंह उनमें दबा लिया. आभा मौसी विमला बाई के मुंह का चुम्मा लेते हुए बोली "बस मेरी बहू को खुश कर दो आज विमला, बाद में तेरे को जो चाहिये मैं दे दूंगी."

"अनिल बेटे आ जा अब, मेरे बदन से लग जा, तू ही बोले, तेरे को मेरा क्या चाहिये? किस छेद में डालेगा लंड?" मौसाजी मुझसे चिपटते हुए बोले "रज्जू और रघू बचे छेदों में डाल देंगे"

"मैं तो गांड मारूंगा मौसाजी, उस दिन एक बार मारी थी वो मुलायम मखमली छेद अब तक मन में है मेरे. वैसे आप रघू और रज्जू से मराते हो तो उनके लंड के हिसाब से मेरा तो कुछ नहीं है" मैं दीपक मौसा का चुम्मा लेकर बोला.

"आ जा मेरे लाल, जल्दी मार ले अपने मौसा की, ये गांड भी तेरे लंड को देखकर देख कैसे पुक पुक करती है. रघू और रज्जू के लंड तो मस्त हैं ही पर खास भांजे के लंड से मरवाने में जो मजा है, वो मैं ही जानता हूं. अरे रज्जू, जरा गांड चिकनी करो बेटे" मौसाजी ओंधे लेटते हुए बोले. रज्जू ने तुरंत उसमें तेल लगाया और रघू ने मेरे लंड को तेल चुपड़ा. तेल लगाते लगाते दोनों मेरे मुंह को एक एक करके चूस रहे थे.

मैंने कहा "अरे क्या बात है, बड़ा लाड़ आ रहा है? उस दिन बहू रानी का हर छेद चूसा, मन नहीं भरा क्या जो मेरा मुंह ऐसे चूस रहे हो दोनों मिलकर?"

"नहीं भैया, वो बात अलग है और आप की बात अलग है, हम तो आप के बदन का भी रस चूस कर रहेंगे. पर पहले भैयाजी को ठंडा कर दें, फ़िर आप देखना कि आज कैसे आपका रस निकालते हैं" रज्जू बोला और मेरा निपल मसलने लगा.

मौसाजी पड़े पड़े चिल्लाये "अरे मारो ना मेरी गांड मेरे भांजे राजा, देखो कैसे दुख दे रही है मेरे को"

मैंने मौसाजी की गांड में लंड डाल दिया और मारने लगा. "आह ... आह ... अब सुकून मिला थोड़ा .... रघू ... अपना लंड दे जल्दी मेरे मुंह में ..."

उस रात हम मर्दों की वो चुदाई हुई जो मुझे अब तक याद है. मौसाजी की मैंने खूब देर मारी, रज्जू ने उनसे लंड चुसवाया और रघू उनका लंड अपनी गांड में लेकर पड़ा रहा. उसके बाद जितनी दे हो सकता था, बिना झड़े हम छेद बदल बदल कर मौसाजी के पूरे बदन को हर छेद में चोदते रहे.

उधर मौसी और विमला बाई मिलकर लीना के पीछे पड़ी थीं, उसके बदन को गूंध रही थीं और उसे अपनी बुर चुसवा रही थीं. आखिर विमला बाईने अपनी ब्रा निकाली और लीना को दूध पिलाया. लीना ऐसे पी रही थी जैसे छोटी बच्ची हो, विमला बाईकी छाती पकड़कर दबा दबा कर चूस रही थी, छोड़ने को ही तैयार नहीं थी.

"छाती पूरी खाली न कर बेटी, आधा पी और फ़िर दूसरी चूंची पी ले" विमला बाई लीना के मुंह से अपनी चूंची निकालने की कोशिश करते हुए बोली.

लीना ने जवाब नहीं दिया और कस के विमला बाई की चूंची और जोर से चूसने लगी.

"अरे खुद ही सब पी जायेगी क्या? तेरे मर्द को नहीं पिलाना है? वो भी तो मेहमान है" विमला बाई बोली.

"मुझको मत भूलना विमला बाई. मैंने क्या गुनाह किया है?" दीपक मौसा मेरा लंड मुंह से निकाल कर बोले.

"अरे तुमको तो बाद में भी पिला दूंगी दीपक भैया, मैं अभी हूं दो चार दिन. पर ये दोनों तो चले जायेंगे ना, जरा इनको भी गांव के दूध का स्वाद तो पता चले. अरे रधिया, तू क्या बैठे बैठे अपनी बुर खोद रही है? चल इधर आ और मेरी बुर चूस. दूध और बनता है इससे"

"बाई मैं मालकिन की चूत चाट रही थी" रधिया उठकर बोली.
 
"मौसी, आप इधर आओ ऐसे, मेरे को दो अपनी बुर. मुझे चखे भी बहुत दिन हो गये. रधिया चल जल्दी मेरी टांगों में सिर कर अपना"

चारों औरतें आपस में लिपट गयीं और चूसने और चाटने की आवाज कमरे में गूंजने लगी.

घंटे भर हम सब जुटे रहे. अधिकतर देर मैंने मौसाजी की गांड मारी थी, एक बार उनका लंड मुंह में लिया था और झड़ा कर उनका गाढ़ा वीर्य चूस डाला था. तब रज्जू उनकी गांड की धुनाई कर रहा था.

"भैयाजी और मारूं क्या?" रज्जू बोला.

"नहीं बस रहने दे, काफ़ी हो गया. आज तीन लंड लेकर एकदम तसल्ली मिल गयी. अब तुम लोग मेरी बाद में मार लेना. अब अनिल को जरा चोदो. इसकी गांड देखो और मजा लो. मैंने कहा था ना कि एक कोरी गांड दिलवाऊंगा सो वो ये रही. मजे करो दोनों मिल कर"

"आप नहीं मारेंगे क्या भैयाजी?" रघू ने फूछा.

"बिलकुल मारूंगा. लीना बेटी की इतनी मारी है तो अनिल की भी मारूंगा. बेटे और बहू दोनों को चोदने का मौका मुझे मिला है वो नहीं छोड़ूंगा. पर पहले तुम लोग मार लो"

दोनों मिलकर मेरे पीछे लग गये, पहले दस मिनिट तो बस मुझे पट लिटाकर दोनों मेरी गांड को बस चूमते और चूसते रहे. "वाकई खूबसूरत गांड है भैयाजी, बहू रानी की तो मस्त है ही, अनिल भैया की भी कम नहीं है" रज्जू बोला. फ़िर मेरी गांड में तेल लगाने लगा.

मौसाजी ने मेरे नीचे घुस कर मेरा लंड मुंह में ले लिया और मुझे अपने ऊपर सुला लिया. रघू मेरे सामने बैठ गया और अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया, बड़ा मतवाला लंड था, सांवला सा और एकदम सख्त. रज्जू मेरे ऊपर चढ़ गया और अगले ही पल मेरे चूतड़ अलग हुए और रज्जू का मोटा लंड अंदर धंसने लगा. मैंने ’गं’ गं’ किया तो लीना बोली "मजा आ रहा है मेरे सैंया को. जरा ठीक से मारना रज्जू, ठीक से चोदोगे तो अगली बार जब गांव आऊंगी तो मेरी गांड तुमको दूंगी"

रज्जू लंड पेलता हुआ बोला "एकदम ठीक से लूंगा अनिल भैया की. क्या सकरी और कोरी गांड है तुम्हारे सैंया की बहूजी. मजा आ गया, डालने में ही इतना मजा आ रहा है तो मारने में तो और आयेगा" एक धक्के के साथ आखिर उसने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में जड़ तक उतार दिया. मैं सिहर उठा तो मौसाजी बोले "मजा आया ना रज्जू बेटे? बहू रानी की जो खिदमत की है हफ़्ते भर, अब उसका यह इनाम पा ले"

रज्जू मेरे ऊपर लेट कर मेरी मारने लगा "मस्त कसी गांड है भैयाजी. लाखों में एक है"

"तो आज मार मार कर फुकला कर दो. और रघू, अनिल को अपनी मलाई चखाओ ठीक से. लंड का स्वाद याद रहना चाहिये मेरे भतीजे को"

अगले दो घंटे लगातार मुझे चोदा गया. दो बार रघू ने मेरी मारी और दो बार रज्जू ने. एक एक बार मुझे अपना वीर्य भी चखाया. मौसाजी तो जैसे मेरा लंड निचोड़ने को ही बैठे थे. बार बार मुझे झड़ाते और मेरा वीर्य निगल लेते. आखिर में तो मेरा गोटियां दुखने लगीं पर वे तीनों मुझे चोदते रहे. मैंने एक दो बार उठने की कोशिश की तो लीना ने ही उनको और उकसाया "मौसाजी .. अनिल को भागने मत दो .. और चोदो ... नहीं तो मैं अब कभी नहीं आऊंगी दोबारा"

आभा मौसी ने भी हां में हां मिलाई. "इतना चोदो मेरे भांजे को नींद में भी यहां के सपने आयें उसको"

बीच में मुझे विमला बाई ने अपना दूध पिलाया. बस उतनी देर मेरी गांड को कुछ राहत मिली. उस मीठे दूध में ऐसा स्वाद था कि लंड फ़िर से तैयार हो गया.

चूंचियां खाली करके विमला बाई वापस लीना के पास गयीं और फ़िर तीनों औरतें मिल कर लीना पर चढ़ बैठीं. उनके बदन के नीचे लीना का बदन दिख भी नहीं रहा था, बस एक बार इतना जरूर दिखा मुझे कि विमला बाई अपनी चूंची से लीना को चोद रही थीं. मुझे पहली बार ध्यान में आया कि उनकी चूंचियां तोतापरी आमों जैसी नुकीली थीं और आधी चूंची वे लीना की बुर में पेल देती थीं.

सुनह होने तक सब थक कर चूर हो गये थे. बस एक घंटे सोये और फ़िर हमारे निकलने का टाइम हो गया.

जाते वक्त लीना ने सबका एक एक करके चुम्मा लिया और बोली "अब आप सब हमारे घर भी आइये बंबई में. एक एक करके आइये या साथ में, पर आइये जरूर. मैं और अनिल आपकी आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे"


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:heart:Ahhh bahutmast Kahani hai Maja aa gaya khas kar wo chudi hui chut chudai ka scene to mast kar Diya mujhe bhi chudi hui chut se Lund ka Pani chusna bahut pasand hai :heart:
 
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