Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी - Page 2 - SexBaba
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Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी

"मैं कहां मना कर रहा हूं? मेरा तो खुद मन हो रहा है" मैंने कहा "मैं तो इसलिये कह रहा था कि तुम लोगों को अटपटा न लगे. वैसे मौसाजी की गांड है मतवाली, मस्त गुदाज चूतड़ हैं. मारने में मजा आयेगा" कहकर मैंने वहां पड़ी तेल की शीशी खोल कर तेल लेकर मौसाजी के छेद में लगाया और उनपर चढ़ गया. "लीना रानी, जरा खोल मौसाजी की गांड, फ़िर डालूंगा अंदर"

"ये लो" कहकर लीना ने मौसाजी के चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये और मैंने सुपाड़ा उनके छल्ले के पार कर दिया.

"आह ... मजा आ गया ... क्या खड़ा है तेरा अनिल ... लोहे की सलाख जैसा ... तेरे सुपाड़े ने तो चौड़ी कर दी मेरी अच्छे से" मौसाजी बोले.

"अभी तो कुछ नहीं हुआ मौसाजी, अब देखो" कहकर मैंने लंड पूरा पेल दिया. सट से वो उनकी गांड में उतर गया.

"हां ... ओह ..... क्या माल है तेरा अनिल ..... आज तसल्ली मिलेगी मेरी गांड को ..... बहुत तकलीफ़ देती है साली .... अब मार अनिल ... जम के मार" कहते हुए उन्होंने गांड सिकोड़ कर लंड को पकड़ लिया और कमर हिला कर मरवाने की कोशिश करने लगे.

"आप तो लीना को चोदो मौसाजी, फ़िकर मत करो, मैं पूरी मार दूंगा आप की. आप लीना का खयाल रखो, कस के कूटो उसकी बुर को, उसको मजा आना चाहिये. आपको मजा मैं दूंगा. वैसे बहुत अच्छा लग रहा है आप की गांड मार कर, वाकई बड़ी गरम है आप की गांड" कहकर मैं उनकी पीठ पर लेट गया और उनको पकड़कर घचाघच गांड मारने लगा. मौसाजी ने भी लीना को चोदना शुरू कर दिया.

मौसी थोड़ा उठ कर मौसाजी की ओर पीठ करके फ़िर से लीना के मुंह पर बैठ गयीं और झुक कर लीना के मुंह पर चूत रगड़ कर अपने चूतड़ हिलाते हुए बोलीं "लो, अब तुम भी मुंह मार लो, तुमको अच्छी लगती है ना मेरी गांड, फ़िर चूसो, उसको मना नहीं करूंगी मैं"
kramashah.................
 
मैं और मौसा मौसी--4
gataank se aage........................
मौसाजी ने मौसी की गांड को मुंह लगा दिया. हम सब अब उछल उछल कर घचाघच चुदाई करने लगे. मैं धक्के लगाता हुआ बोला "वाह मौसाजी .... इतनी मस्त गांड बहुत दिनों में नहीं मारी .... आप तो छुपे रुस्तम निकले ..... अब तो रोज मारूंगा कम से कम एक बार ..... नहीं तो मन नहीं भरेगा"

"अर तू जितनी चाहे उतनी मार .... तुझे जब चाहिये मैं दूंगा अपनी .... और अगर तू शौकीन है इस बात का ... तो बहुत मजा आयेगा तुझे हमारे यहां.... बस देखता जा .... मां कसम क्या गांड मारता है तू, मजा आ गया.... अब और मार ... जोर से मार .... घंटा भर चोद मेरी गांड ...." मौसाजी हांफ़ते हुए बोले.

"नहीं मौसाजी ... मैं नहीं मार पाऊंगा ... इतनी देर.... याने इतनी प्यारी गांड है आपकी .... मैं तो झड़ने वाला ...... ओह ... आह ...आह" कहता हुआ मैं जल्दी ही झड़ गया. मौसाजी झड़े नहीं थे, वे हचक हचक कर चोदते रहे. लीना दो बार झड़ गयी थी. बोली "मौसाजी, अब रुको, लंड बाहर निकालो"

"क्यों मेरी जान, मजा नहीं आया, मुझे ठीक से चोदने तो दे, बड़ा मजा आ रहा है"

"अरे अनिल ने इतनी ठुकाई की आपकी, उसको तो थोड़ा इनाम दो, अपना लंड चुसवा दो उसको, आप की गांड का स्वाद तो ले चुका है, अब आपकी मलाई खिला दो" लीना बोली.

मौसाजी झट से उठे और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर अपना लंड मेरे मुंह में डालने लगे. लीना उठ कर उनके पीछे आयी और बोली "जरा लेटो मौसाजी, ठीक से चुसवाओ अनिल को, और अपनी गांड मेरी ओर करो"

"तू क्या करेगी रे उसका? खेलेगी" मौसाजी ने पूछा और फ़िर मेरे मुंह में लंड डाल दिया. लंड तन कर खड़ा था और रसीले गन्ने जैसा लग रहा था. मैं चूसने लगा.

"नहीं मौसाजी, चूसूंगी, आप जैसी गांड तो औरतों को भी नसीब नहीं होती. अब जरा अपने चूतड खोल कर रखो और मुझे जीभ डालने दो." लीना उनके पीछे लेटते हुए बोली.

मैंने मौसाजी की कमर पकड़कर लंड पूरा मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मौसाजी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर मेरे मुंह को चोदने लगे. जब लीना ने डांट लगायी तो हिलना बंद करके उन्होंने अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये और बोले "लो चूस लो बहू, तेरे को भी माल चखा दूं, वैसे माल भी मस्त होगा, तेरे मर्द का ही है"

लीना मुंह लगा कर मौसाजी की गांड चूसने लगी. मैं भी सोचने लगा कि कुछ बात तो है मौसाजी की गांड में जो औरतें भी चाटने को मचल उठती हैं. आज राधा भी कितना मन लगाकर चूस रही थी. तब तक मौसी भी मैदान में आ गयीं और झट से लीना की बुर से मुंह लगा दिया. मैं सरक कर किसी तरह मौसी की बुर तक पहुंच गया और उन्होंने टांगें उठाकर मेरा सिर अपनी जांघों में दबा लिया.

आखिर फ़िर से एक बार झड़कर और एक दूसरे के गुप्तांगों से रस पीकर हम लोग लुढ़क गये. नींद लगते लगते मौसी बोलीं "बड़े प्यारे बच्चे हैं ... सुना तुमने ... कल जरा ठीक से व्यवस्था करो बहू के लिये ... मेरे यहां से प्यासी वापस न जाये ... मैं अनिल को देख लूंगी राधा के साथ ... समझे ?"

"हां भाग्यवान, समझ गया ... अब सोने दे ... कल सब ठीक कर दूंगा" मौसाजी बोले और खर्राटे भरने लगे.

दूसरे दिन सब देरी से उठे. मैं तो बारा बजे उठा. नहाया धोया. राधा ने खाना तैयार रखा था. हमसब ने खाया. रघू और रज्जू भी आये थे, खाना खाकर बाहर बैठे थे.

मौसी बोलीं. "चलो अब, आज खेत वाले घर में चलते हैं. आज बहू को ये लोग खेत घुमायेंगे"

"ये लोग याने कौन मौसी?" मैंने पूछा.

मौसी मेरी ओर देखकर बोलीं. "तेरे मौसाजी, रज्जू और रघू. ये अकेले जाने वाले थे, मैंने रोक दिया. मैंने कहा कि राधा और मैं भी चलेंगे, तेरे साथ पीछे पीछे"

"तो मौसी मैं तैयार होकर आती हूं" लीना बोली और अंदर चलने लगी.

"अरे रुक, ऐसे ही ठीक है, खेत में कौन देखता है तुझे" मौसी बोलती रह गयीं पर लीना कमरे में चली गयी. मैं भी पीछे पीछे हो लिया. लीना कपड़े बदल रही थी. उसके काली वाली लेस की ब्रा और पैंटी पहनी और फ़िर एकदम तंग स्लीवलेस ब्लाउज़ और साड़ी. क्या चुदैल लग रही थी. मुझे आंख मार कर हंस दी. ’आज दिखाती हूं इन तीनों को, सुनो, कुछ भी हो जाये, तुम बीच में न पड़ना"

"अरे रानी, तेरा ये रूप देखेंगे तो तीनों तुझे रेप कर डालेंगे" मैंने उसकी चूंची दबा कर कहा.

"यही तो मैं चाहती हूं, आज रेप कराने का, जम के चुदने का मूड है, तुम फ़िकर मत करो, इनको तो मैं ऐसे निचोड़ूंगी कि चल भी नहीं पायेंगे" लीना बोली. आइने में देख कर उसने बाल ठीक किये और ऊंची ऐड़ी के सैंडल पहन लिये. बाहर आकर बोली "चलो मौसी"

"अरे तू खेत में जा रही है या सिनेमा देखने? खेत में क्या चल पायेगी ये सैंडल पहनकर" मौसी बोली.

"मैं तो शिकार पे जा रही हूं मौसी, तीन तीन खरगोश मारने हैं, और ये सैंडल वाली चाल से ही तो खरगोश खुद आयेंगे अपना शिकार करवाने" और मौसी से लिपट कर हंसने लगी.

मौसी बोली "क्या बदमाश छोकरी है, अनिल, बहुत चुदैल और छिनाल है तेरी बहू" और लीना को प्यार से चूम लिया.
 
हम निकल पड़े. आगे आगे रज्जू, रघू और मौसाजी के साथ लीना चल रही थी. मैं पीछे पीछे राधा के साथ आ रहा था. मौसी कुछ पीछे चल रही थीं.

लीना जानबूझकर अपने सैंडल की ऊंची एड़ियां उठा उठा कर मटक मटक कर कमर लचका लचकाकर चल रही थी. बीच में रुक जाती, और आंचल गिरा देती, फ़िर झुक कर खेत में से एकाध बाली चुन लेती, उसके मम्मे ब्लाउज़ में से दिखने लगते.

जल्दी ही तीनों के लंड खड़े हो गये. पैंट में तंबू बन गया. देख कर लीना शोखी से हंसी और फ़िर चलने लगी. रघू खेत में कुछ दिखाने के बहाने लीना के पास गया और बात करते करते धीरे से लीना की चूंची दबा दी. लीना पलटकर कुछ बोली और फ़िर रघू के कान पकड़ लिये. उससे कुछ कहा, रघू कान पकड़कर उठक बैठक लगाने लगा. मौसाजी और रज्जू हंस रहे थे. फ़िर लीना आगे चलने लगी और तीनों उसके पीछे चल दिये.

राधा मेरे साथ चल रही थी. बीच में चीख मार कर बैठ गयी. मैंने पूछा तो बोली "भैया, कांटा लग गया"

मैं बोला "निकाल देता हूं, चल बैठ" राधा ने पैर आगे किया और उसके बहाने लहंगा ऊपर कर दिया. उसकी सांवली चिकनी टांगें और बालों से भरी बुर दिखने लगी. मेरा भी लंड खड़ा हो गया. कांटा वांटा कुछ नहीं था, मैंने उसका पैर पकड़ कर कहा "तेरे खेत में फ़ल बड़े रसीले हैं राधा, देख ठीक से चल, नहीं तो बड़ा वाला कांटा लग जायेगा या कोई तोता तेरे फ़लों पर चोंच मारने लगेगा" और मैंने अपना तंबू उसको दिखाया.

वो मुस्करा कर बोली "बड़ा मस्त कांटा है भैया, मेरे अंग में घुस जाये तो मजा आ जायेगा. और तोता आये तो उसको ऐसी रसीली लाल बिही चखाऊंगी कि खुश हो जायेगा"

मैंने उसकी चूंची दबा कर कहा "आज दिखाता हूं तुझको, चल तो मेरे साथ. वैसे तोता तेरे को आज जरूर काटेगा, माल बहुत अच्छा है तेरे यहां"

मौसी अब तक हमारे करीब आ गयी थीं. बोलीं "अरे चलो ना, कांटा बाद में निकाल देना, देखो इनका भी खेत घूमना हो गया लगता है, अब घर में जा रहे हैं, मुझे लगा कि और घूमेंगे. ये तो खरगोश का शिकार करने वाली थी ना?"

मैंने कहा "मौसी, आप को तो अब अंदाजा हो गया होगा लीना कैसी है. उसी को अब जल्दी होगी अंदर जाने की. और शिकार के लिये खरगोश भी मिल गये हैं उसको, लगता है एकदम तैयार हैं"

"चलो मालकिन, हम भी चलते हैं. शिकार तो अब अंदर ही होगा घर के" राधा बोली.

"कितने कमरे हैं राधा उधर?" मैंने पूछा.

"फ़िकर मत करो भैया, दो तीन कमरे हैं, अपन अलग कमरे में चलेंगे" राधा बोली और आगे आगे चलने लगी. मैं मौसी के साथ चलने लगा. उनकी कमर में हाथ डालकर उनके चूतड़ दबा दिये. बोला "मौसी ये जो शिकार होगा, बड़ा मस्त होगा, हमको भी दिखना चाहिये"

"फ़िकर मत कर अनिल बेटे, हम भी देखेंगे. और साथ में मैं भी जरा देखूं कि तू राधा को कैसे अपना कांटा चुभाता है, बड़ी तेज छोरी है, मस्त माल है" मौसी बोलीं.

"आप से बढ़ कर नहीं मौसी. आपका माल मीठा भी है और खूब ज्यादा भी है, पेट भरने को अच्छा है" मैंने उनकी चूंची दबा कर कहा.

"चल चापलूसी मत कर, वैसे ये तेरी बहू कैसे इन तीनों से निपटती है, मुझे भी देखना है अनिल" मौसी बोलीं. 

हम पांच मिनिट बाद घर तक पहूंचे. लीना और वे तीनों पहले ही अंदर जा चुके थे. राधा हमें पिछले दरवाजे से ले गयी. दूसरा कमरा था. वहां भी खाट थी और बिस्तर बिछा था. सामने छोटा सा झरोखा था, उसके किवाड खुले थे. अंदर से आवाज आ रही थी. हम तीनों ने अपने कपड़े उतारे और लिपट कर खाट पर बैठकर झरोखे से देखने लगे.

लीना कमरे के बीच खड़ी थी, आंचल ढला हुआ था. तीनों नजर गड़ाकर उसको देख रहे थे. रघू बोला "बहू रानी, अब तो हमको मौका दो आपकी सेवा करने का"

"बड़ा आया सेवा करने वाला. पहले देखूं तो सेवा के लायक क्या है तुम्हारे पास. अब तीनों अपने कपड़े उतारो, जल्दी करो" लीना ने हुक्म दिया. मौसाजी और रज्जू और रघू ने फ़टाफ़ट कपड़े उतार दिये. तीनों मस्ती में थे, लंड तनकर लीना को सलामी दे रहे थे.

"अब लाइन से खड़े हो जाओ. और हाथ लंड से अलग, खबरदार" लीना ने डांट लगायी. "अब मैं इन्स्पेक्शन करूंगी कि शिकार के लिये जो बंदूकें हैं वो ठीक है या नहीं"

फ़िर लीना ने कपड़े उतारना शुरू किये. धीरे धीरे साड़ी उतारी और फ़िर पेटीकोट. फ़िर अपना ब्लाउज़ निकाला.
 
इधर राधा मुझसे लिपट गयी और मेरे कपड़े उतारने लगी. मौसी ने उसकी चोली और लहंगा निकाला और नंगा कर दिया. फ़िर मौसी ने भी कपड़े उतार दिये.

"कितना मस्त लंड है भैया आप का" कहकर राधा नीचे बैठने लगी तो मैंने पकड़कर गोद में बिठा लिया. "इतनी भी क्या जल्दी है राधा रानी, जरा हमको भी तो अपना जोबन चखाओ" फ़िर मैं उसके वो कड़े आमों जैसे मम्मे दबाता हुआ उसका मुंह चूसने लगा. राधा ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, क्या लंभी जीभ थी उसकी, मेरे गले तक उतर गयी. उसको चूसता हुआ मैं दूसरे कमरे में देखने लगा. मौसी मेरे लंड को पकड़कर हमसे चिपट कर बैठी थीं.

लीना अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी. ऊंची ऐड़ी के सैंडल से एकदम चालू रसीले माल सी लग रही थी. तीनों उसका अधनंगा बदन देख कर आहें भर रहे थे. रज्जू का हाथ अपने लंड पर गया तो लीना डांट कर बोली "खबरदार ... मैं न कहूं तब तक कोई हिलेगा भी नहीं अपनी जगह से" रज्जू ने पट से हाथ हटा लिया.

लीना लचकते हुए अपनी हाइ हील से टक टक करके चल कर मौसाजी के पास आयी. उनका लंड पकड़कर दबाया "आज देखो कैसा शान से तन कर खड़ा है मौसाजी. अब देखना ये है कि कितनी देर ये टिकता है मैदान में" उनके सामने नीचे बैठकर उसने लंड को चूमा और चूसने लगी. मौसाजी का बदन थरथरा उठा पर वे चुप खड़े रहे.

"अच्छा है, काफ़ी रसीला है. अब तुमको देखें रघू" कहकर वो रघू के पास गयी और उसका लंड लेके मुठियाने लगी. रघू सिहर उठा पर चुप खड़ा रहा. लीना उसकी आंखों में देख कर मुस्करा रही थी. उसके बाद लीना रघू के सामने नीचे पैठ गयी और लंड चूसने लगी. बार बार ऊपर देखती जाती. रघू आखिर में बोल पड़ा "बहू रानी, ऐसे न तरसाओ, झड़ जायेगा"

"झड़ जायेगा तो भगा दूंगी. मौसाजी को कहूंगी कि नौकरी पर से निकाल दें. क्या मतलब का हुआ ऐसा लंड जो जल्दी झड़ जाये" लीना बोली और चूसने लगी. बेचारे रघू की हालत खराब थी. किसी तरह ’सी’ ’सी’ करता हुआ वो खड़ा रहा. मेरे खयाल से झड़ने को आ गया था पर लीना ने ऐन मौके पर मुंह से निकाल दिया. "हां ठीक है, खेलने लायक है"

अब वो रज्जू के पास आयी. रज्जू का लंड वो बड़े इंटरेस्ट से देख रही थी. रज्जू का सच में बड़ा था, अच्छा मोटा और लंबा, सुपाड़ा भी पाव भर के आलू जैसा था. उसकी तो लीना सीधे मुठ्ठ मारने लगी. हथेली में लेकर आगे पीछे करती जाती और रज्जू की आंखों में देखकर मुस्कराती जाती. "मजा आ रहा है रज्जू?"

रज्जू कुछ न बोला, सीधे खड़ा रहा, बड़ा सधा हुआ जवान था. लीना पांच मिनिट मुठ्ठ मारती रही पर रज्जू तन कर खड़ा रहा. आखिर लीना ने उसको छोड़ा और झुक कर उसके लंड का चुम्मा लिया "शाबास, बड़ा जानदार है" फ़िर मौसाजी की ओर मुड़ कर बोली. "मौसाजी, ये तो तोप है तोप, शिकार की धज्जियां उड़ाने की ताकत है इसमें"

वह फ़िर से मुड़ कर लचक लचक कर चूतड़ हिलाती हुई टॉक टॉक करके कमरे के बीच जाकर खड़ी हो गयी. तीनों आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर उसके बदन को देख रहे थे.

"देखो, अब तुमको अपना जोबन ठीक से दिखाती हूं. वैसे ही खड़े रहो सब, मौसाजी आप बैठ जाओ खाट पर" कहकर लीना अपनी ब्रा के हुक खोलने लगी. हुक खोल कर उसने ब्रा आधी निकाली, उसकी आधी चूंचियां दिखने लगीं. रघू और रज्जू ’उफ़’ करने लगे. उनका हाथ अपने लंड पर जाते जाते रह गया.

फ़िर लीना ने ब्रा वैसी ही रहने दी, और अपनी पैंटी के इलास्टिक में उंगलियां डाल कर जांघों पर उतार दी. उसकी गोरी गोरी काले बालों से भरी बुर दिखने लगी. लीना ने सामने देखा और मुस्कराकर अपनी कमर आगे करके टांगें फ़ैलायीं और उंगली से चूत खोल कर दिखाई "देखो, ऐसा माल कहीं देखा है"

रघू से अब नहीं रहा गया. वह अपने लंड को मुठ्ठी में लेकर हिलाने लगा. रज्जू और मौसाजी भी अपने लंड को पुचकराने लगे.

लीना ने पैंटी फ़िर पहन ली और चिल्ला कर बोली "मैंने क्या कहा था, हाथ अलग! तुम नहीं मानते ना, चलो खेल खतम, मैं जाती हूं, मेरी साड़ी किधर है" वो जान बूझकर गुस्से का नाटक कर रही थी, ये मैं पहचान गया.

रघू बोला "माफ़ कर दो बहू रानी, पर ऐसे मत तरसाओ"

रज्जू सीधा लीना के पास गया और उसके मम्मे दबाने लगा "अब नखरे मत करो बहू रानी, आ जाओ मैदान में"

लीना गुस्से से चिल्लाई "मेरे मम्मे दबाने की हिम्मत कैसे हुई तुमको, चलो दूर हटो, मैं अब यहां एक पल भी नहीं रुकूंगी"

रज्जू ने रघू को इशारा किया और वो भी आकर लीना से चिपक गया. लीना के बदन को दबाते हुए वो लीना की ब्रा और पैंटी उतारने में लग गया "ऐसे कैसे जाओगी बहू रानी, मालकिन ने कहा था कि खेत घुमा लाना, अभी तो जरा भी नहीं घूमी आप"

लीना चिल्लाती रही पर दोनों ने एक न सुनी और उसे नंगा कर दिया. रज्जू लीना के मम्मे दबाते हुए उसके निपल चूसने लगा और रघू उसके सामने बैठ कर उसकी टांगों में घुस कर जीभ से चाटने लगा.

लीना छूटने की कोशिश करती रही, चिलायी "देखो, ठीक नहीं होगा, मैं चिल्ला दूंगी"

"अब यहां कौन आयेगा आप को बचाने को? अब नाटक न करो बहू रानी और ठीक से चुदवा लो, देखो, कल से हमारे लंड सलामी में खड़े हैं आपकी" रज्जू ने अपना लंड लीना के हाथ में देकर कहा.
 
लीना मौसाजी की ओर देखकर बोली "मौसाजी, आप क्यों चुप बैठे हो, कुछ कहते क्यों नहीं? आप के सामने आप की बहू की इज्जत से ये खिलवाड़ कर रहे हैं"

मौसाजी भी लंड पकड़कर खड़े हो गये और पास आकर बोले "हां लीना रानी, बात तो ठीक है. चलो रे रघू और रज्जू, कुछ तो इज्जत करो बहू रानी की, गांव बड़े शौक से आई है चुदवाने को और तुम लोग भोंदू जैसे बस लंड पकड़कर बैठे हो. अब चोद डालो बहू रानी को, अब तक ऐसे ही खड़े हो, अब तक मैं होता तो बुर में लंड डाल कर चोद रहा होता. इतनी मस्त बहू रानी है हमारी और यहां चुदवाने को बड़ी आशा से आई है, और तुम लोग हो कि बुध्धू जैसे खड़े हो, बहू कैसे खुद कहेगी कि आओ, मुझे चोद डालो. चलो बहू को खाट पर ले आओ"

तीनों मिलकर लीना को जबरदस्ती उठाकर खाट पेर ले आये और पटक दिया. लीना हाथ पैर पटक रही थी और झूट मूट गुस्से का नाटक कर रही थी "चलो छोड़ो मुझे, कैसे जानवर हो, औरतों से ऐसे पेश आया जाता है?"

किसी ने उसकी बकबक पर ध्यान नहीं दिया. तीनों मिलकर लीना के बदन को सहलाने और चूमने लगे. रघू ने उसकी बुर में उंगली की और चाटकर बोला "चू रही है बहू रानी भैयाजी, मस्ती में है, क्या स्वाद है" और उसकी बुर पर टूट पड़ा और चूसने लगा. रज्जू लीना के मम्मे दबाने में जुट गया और मौसाजी ने अपने होंठों में लीना के होंठ पकड लिये.

मौसी जोर से अपनी बुर में उंगली करते हुए बोली "अब ये तीनों मिलकर कचूमर निकालेंगे इस छोकरी का. अनिल, तू कुछ कहता नहीं?"

"अब मैं क्या कहूं मौसी, वो खुद निपट लेगी, वो क्या सुनती है मेरी कोई बात? राधा, अब जल्दी आ और मुझे अपनी बुर चुसवा, देख कैसे टपक रही है. क्या महक आ रही है, महक ऐसी है तो स्वाद क्या होगा मेरी रधिया रानी, बस आ जा और चखा दे अब" राधा की बुर में उंगली करके चाटकर मैं बोला.
kramashah.................
 
मैं और मौसा मौसी--5
gataank se aage........................
राधा मेरे सामने खड़ी हो गयी और टांगें पसार कर कमर आगे कर दी. "लो भैयाजी, मैं तो कब से तैयार बैठी हूं. सबकी पसंद का माल है मेरा, आप मालकिन और भैयाजी से पूछ लो."

मौसी भी मेरा लंड पकड़कर अपनी जांघ पर रगड़ते हुए बोलीं. "चल जल्दी कर अनिल, राधा तो खास मेरी प्यारी है, बड़ी चटपटी लड़की है."

मैंने मुंह डाल दिया. मौसी मुझपर चढ़ बैठीं और मेरी गोद में बैठकर लंड घुसेड़ लिया. फ़िर ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगीं. हम फ़िर से दूसरे कमरे में देखने लगे.

वहां अब रज्जू लीना की बुर चूस रहा था. रघू मम्मों को दबाते हुए लीना की एक चूंची आधी मुंह में भरके चूस रहा था. मौसाजी लीना की गांड सहला रहे थे. बोले "चलो रे जल्दी जल्दी चूसो बहू का शहद, मन भर के पी लो, फ़िर चुदाई शुरू हो जायेगी तो असली स्वाद नहीं आयेगा."

रज्जू मुंह उठा कर बोला "आप नहीं चूसेंगे भैयाजी, बड़ा खालिस माल है"

"कल रात काफ़ी चूसा है मैंने, और बाद में भी चूसूंगा, अब तो यहीं है गांव के घर में, बच के कहां जायेगी, चीखेगी चिल्लायेगी तो कौन सुनने वाला है यहां मीलों तक!" और लीना की गांड में उंगली डाल दी.

लीना बिथर गयी और फ़िर हाथ पैर झटकने लगी "अरे मैंने कहा था ना गांड को हाथ मत लगाना. चलो, छोड़ो सालो, नामुरादो, अकेली लड़की पर जबरदस्ती करते हो"

"तू तो लड़की कहां है बहू, अच्छी खासी छिनाल चुदैल है अनिल की मौसी जैसी, अब देखना तुझे इतना चोदेंगे कि तेरी ये गरमागरम चूत पूरी ठंडी हो जायेगी."

लीना फ़िर चिल्लाने लगी. मौसाजी बोले "रज्जू, तेरा हो गया तो इसकी मुंह बंद कर दे अपने लंड से, साली बहुत पटर पटर कर रही है. और तू रघू, चल चढ़ जा और चोद डाल फ़टाफ़ट"

रज्जू उठ कर खड़ा हो गया और लीना के गालों पर लंड रगड़ता हुआ बोलो "अब मुंह खोलो बहू रानी, देखो क्या मस्त गन्ना है"

"मैं नहीं खोलूंगी, जो करना है कर ले हरामजादे" लीना बोली और मुंह बंद कर लिया. फ़िर उठने की कोशिश करने लगी. नाटक अच्छा कर रही थी, असल में अब वो बहुत गरम हो गयी थी. बुर से इतना पानी टपक रहा था कि जांघें भी गीली हो गयी थीं.

मौसाजी बोले "मत खोलो, हमें तो आता है मुंह खुलवाना" और लीना के गालों को पिचका दिया. उसका मुंह खुल गया. रज्जू ने तुरंत सुपाड़ा अंदर ठूंस दिया और लीना के सिर को पकड़कर आधा लंड पेल दिया. "आह, क्या मस्त मुंह है बहू रानी का, बड़ा मुलायम है भैयाजी." लीना अब गों गों कर रही थी.

"पूरा पेल ना, आधे में क्यों रुक गया" लीना के मम्मे दबाकर मौसाजी बोले.

"दम घुट न जाये, गले के नीचे चला चायेगा" रज्जू ने सफ़ाई दी.

"अरे तू नहीं जानता इसकी चुदासी को, आराम से गटक लेगी, तू पेल" मौसाजी ने हूल दी. रज्जू ने लीना का सिर पकड़कर कस के अपने पेट पर दबाया और पूरा लौड़ा हलक के नीचे उतार दिया. फ़िर खड़े खड़े लीना का मुंह चोदने लगा.

"शाबास, रघू चल अब तू चोद डाल" मौसाजी बोले.

"भैयाजी, पैर हिलाती है बहू रानी, डालने नहीं देती" रघू ने कहा.

"ठहर मैं देखता हूं" कहकर मौसाजी ने रज्जू से कहा "जरा हाथ पकड़के रख इसके" रज्जू ने लीना के हाथ पकड़ लिये. मौसाजी ने कस के लीना की टांगें पकड़कर फ़ैलायीं और बोले "पेल दे जल्दी"

रघू ने फ़च्च से लंड पूरा जड़ तक गाड़ दिया. फ़िर चोदने लगा "आह ... मस्त गरमागरम गीली चूत है भैयाजी, मजा आ गया"
 
"मजा तो इसको भी आ गया होगा, बस नाटक कर रही है" मौसाजी बोले और फ़िर से लीना की गांड के पीछे पड़ गये. उसके चूतड़ मसलने और चूमने लगे.

रज्जू हंस के बोला "मस्त चीज है भैयाजी, आप के शौक की है"

"हां, कल बोला तो मुकर गयी, अब देखता हूं कैसे मना करती है. पर क्या गांड है छोकरी की, खा जाने का जी करता है" कहकर मौसाजी ने लीना के चूतड़ फ़ैलाकर गांड खोली और मुंह लगा दिया.

इधर मौसी थक कर रुक गयी थीं. एक बार झड़ चुकी थीं पर मस्ती उतरी नहीं थी. राधा मेरे मुंह में पानी छोड़ चुकी थी. बोली "मालकिन, चुदवा लिया ना, अब मुझे चोदने दो"

"रुक ना, अनिल को तो पूछ. क्यों रे अनिल पसंद आया मेरी नौकरानी का शहद?" मौसी मेरे लंड को चूत से पकड़कर बोलीं.

"एकदम खालिस घी है मौसी, इतना पिया पर पेट नहीं भरा. वैसे अब अगर ये चुदवाना चाहती है तो कर लेने दो, मेरा लंड तो है ही तुम दोनों की सेवा के लिये" मैंने मौसी के मम्मे चूमते हुए कहा.

"मालकिन, भैया का कितना मस्त खड़ा है देखो ना, आप अब उतरो और मुझे चोदने दो" राधा ने तकरार की. मौसी की लाड़ली नौकरानी थी, वो क्या मना करतीं उसको. "चल आ जा. पर ये बता, केले वेले हैं कि नहीं घर में?"

"कल ही तो लायी थी मालकिन, अंदर पड़े हैं"

मौसी उठ कर अंदर चाल दीं. "तुम लोग चोदो, मैं अपना इंतजाम करके आती हूं."

राधा मुझे खाट पे लिटा के मुझपर चढ़ बैठी और मेरी लंड गप्प से अपनी बुर में खोंस लिया, बड़ी जल्दी में थी. मैं आह भरकर बोला "हाय ... क्या गरम भट्टी है राधा और कितने प्यार से पकड़ी है मेरे लंड को ... अरी ऐसे न कर, झड़ जाऊंगा" मैंने कहा, राधा मेरे लंड को गाय के थन जैसी दुह रही थी.

"डरो मत अनिल भैया, ऐसे जल्दी थोड़े छोड़ूंगी तुमको, इतनी देर बाद पकड़ में आये हो, अब तो सता सता कर चोदूंगी. मालकिन बेचारी थक गयीं, मैं होती तो घंटे भर तक चोदती"

"वैसे मौसी केले लेने क्यों गयी है? अच्छा समझा, शौकीन लगती हैं केले की" मैंने कहा.

मौसी दो तीन बड़े केले लेकर आयीं "और क्या अनिल बेटे, तेरे मौसाजी चोदते कम हैं और गांड ज्यादा मारते हैं. फ़िर चूत बेचारी क्या करे. और थोड़ा नाश्ते का भी इंतजाम हो जायेगा तुम्हारे"

मुझे भूख लगने लगी थी. हाथ बढ़ा कर एक केला लेने लगा तो मौसी ने रोक दिया "अरे रुक, ऐसे मत खा, ऐसे क्या मजा आयेगा! जरा तैयार करने दे तेरे लिये ठीक से" हंसकर बोलीं और केला छील कर बुर में घुसेड़ लिया. फ़िर अंदर बाहर करने लगीं "तुम लोग चोदो, मेरी चिंता मत करो. वो लीना को तो देखो, क्या चुद रही है वो लड़की! आज सब मुराद मिल गयी है लगता है उसको"

राधा ने मेरे पीछे एक बड़ा मूढा रख दिया और मैं उससे टिककर बैठ गया. राधा और मैं चोदते चोदते फ़िर से दूसरे कमरे में देखने लगे.

रघू और रज्जू दोनों अब लीना के साथ खाट पर लेटे थे. लीना को करवट पर लिटाकर रज्जू ने उसका सिर अपने पेट पर दबा रखा था और कमर आगे पीछे करके मजे से उसका मुंह चोद रहा था. उधर रघू बाजू में लेट कर लीना के पैर उठाकर पकड़े था और मस्त सधे हुए अंदाज में उसकी बुर में लंड पेल रहा था. लीना शायद काफ़ी मस्ती में थी क्योंकि नखरे छोड़ कर वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवा रही थी और रज्जू की कमर में हाथ डालकर उसका पूरा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी.

मौसाजी कमरे में नहीं थे. थोड़ी देर बाद वे वापस कमरे में आये. हाथ में एक स्टील का डिब्बा था. राधा हंस कर बोली "मख्खन ले कर आये हैं भैयाजी, खास चुदाई करने वाले हैं लगता है"

मौसाजी लीना के पीछे बैठे और अपने लंड में मख्खन चुपड़ने लगे. उनका अब मस्त तन कर खड़ा था. फ़िर उन्होंने उंगली पर एक लौंदा लिया और लीना के गुदा में चुपड़ने लगे.

लीना बिचक गयी. पीछे देखने की कोशिश करने लगी. रघू और रज्जू ने तुरंत उसके हाथ पैर पकड़े और उसका हिलना डुलना बंद कर दिया.
 
"बिचक गयी मेरी बहू रानी, पर अब क्या फ़ायदा. प्यार से नहीं मरवाती तो ऐसे ही जबरदस्ती मारनी पड़ेगी" मौसाजी हंसे और लीना की गांड में गहरे उंगली करने लगे.

"अब डाल दो भैयाजी. मां कसम बहुत मजा आयेगा तीनों ओर से बहू रानी को चोदने में" रज्जू बोला.

"उसको पकड़े रह, मैं अभी डालता हूं" कहकर मौसाजी ने लीना के गुदा पर अपना सुपाड़ा रखा और पेलने लगे. मेरी लीना रानी के गोरे गोरे चूतड़ चौड़े होने लगे और फ़च्च से मौसाजी का सुपाड़ा उसके छल्ले के पार हो गया. लीना हाथ पैर मारने की कोशिश करने लगी पर तीनों उसको ऐसे दबोचे हुए थे जैसे तीन शेर एक हिरन पर टूट पड़े हों.

"अरे अरे बेचारी की हालत कर देंगे तीनों. क्यों रे अनिल, तू जा ना और कह ना उनको कि बहू की ऐसी दुर्गत ना करें" मौसी मस्ती में जोर जोर से केला अपनी बुर में अंदर बाहर करते हुए बोलीं. उनकी गीली बुर से अब ’फ़च्च’ ’फ़च्च’ ’फ़च्च’ की आवाज आ रही थी. "ये तीनों मिलकर उसके हर छेद का भोसड़ा बना देंगे"

राधा मुझको पकड़कर बोली "मैं न जाने दूंगी मालकिन. अभी तो मजा आ रहा है भैया को चोदने का" वो अब उछ उछल कर मुझको चोद रही थी. मैं उसके मम्मे पकड़कर बोला "अब चुदवाने दो मौसी, लीना का जो होगा देखा जायेगा. बड़ी शेखी बघार रही थी, अब जरा खुद देख ले कि गांव की चुदाई कैसी होती है"

वहा मौसाजी का लंड अब तक लीना के चूतड़ों के बीच पूरा गड़ चुका था और वे उसकी कमर पकड़कर गांड मार रहे थे. अगले आधे घंटे तक तीनों ने मिलकर लीना को खूब चोदा, एक मिनिट की राहत नहीं दी. लीना ने कुछ देर हाथ पैर मारने की कोशिश की, फ़िर उसका बदन लस्त पड़ गया और पड़ी पड़ी चुदवाती रही. बीच में उसकी नजर मुझसे मिली तो मुझे आंख मार दी. बड़ा मजा आ रहा था उसको पर नाटक अब भी कर रही थी.

kramashah.................
 
रघू और रज्जू थोड़ी देर में झड़ गये और हांफ़ते हुए खाट पर पड गये. मौसाजी अब भी लीना की गांड मार रहे थे "हो गया इतनी जल्दी? अरे नालायको, मजा लेना भी नहीं आता ठीक से, ये परी हाथ लगी है तो घंटे भर तो चोदते, और बहू क्या सोचेगी, बेचारी घंटों चुदने की आस लगाये बैठी होगी, और तुम लोग दस मिनिट में टें बोल गये सालो!"

रज्जू बोला "रहा नहीं गया भैयाजी, क्या चीज है ये, लंड में बहुत गरमी चढ़ाती है"

रघू बोला "अभी तो एक बार चोदा है भैयाजी, हम तो दिन भर चोदेंगे"

रज्जू बोला "भैयाजी, बहू रानी चूस रही है, मेरा सब माल निगल रही है"

"तो क्या हुआ, गांव का असली माल है तेरे लंड का, छोड़ेगी थोड़े" मौसाजी बोले. "तेरे को क्या लगा?"

"नहीं भैयाजी, नाटक इतना किया तो मुझको लगा कि थूक देगी. पर ये तो चटखारे ले लेकर खा रही है"

मौसाजी बोले "चलो, हो गया ना? अब तुम लोग हटो और मुझे ठीक से मारने दो."

रघू और रज्जू बाजू में हटे तो मौसाजी लीना को ओंधे पटककर चढ़ गये और हचक हचक कर उसके मम्मे दबाते हुए गांड चोदने लगे. लीना मुंह छूटते ही कराह कर बोली "बस बस, अब नहीं मौसाजी, दरद होता है"

"ऐसे कैसे छोड़ दें बहू, कल मुझको इतना तरसाया, आज भी हम को रिझा रिझा के फ़िर नखरे किये, अब तो मैं दिन भर मारूंगा तेरी" मौसाजी बोले और पूरे जोर से गांड मारते रहे. रघू और रज्जू फ़िर से जुट गये. रघू मौसाजी के होंठ चूमने लगा और उनकी गांड में उंगली करने लगा. रज्जू लीना के बदन पर जहां मौका मिले हाथ चलाने लगा.

मौसाजी के झड़ने के बाद रघू ने उनका लंड चूसा और रज्जू लीना की गांड से मुंह लगा कर लेट गया. मौसाजी का लंड चूसने के बाद रघू ने लीना की चूत में मुंह डाल दिया. लीना उन दोनों को दूर ढकेलने की कोशिश करते हुए उठने लगी तो तीनों ने फ़िर उसे पलंग पर पटक दिया. "अभी कहां जाती हो बहू रानी, ये देखो, हमारी बंदूक फ़िर तैयार है शिकार के लिये" रज्जू ने उसको अपना लंड दिखाया. "भैयाजी, अब मैं गांड मारूंगा लीना बहू की"

"अरे नहीं, आज गांड बस मैं मारूंगा. तुम दोनों तो पूरी खोल दोगे बहू की गांड. अभी तो हफ़्ते भर मजा लेना है, जरा दो तीन दिन और टाइट रहने दो. तुम दोनों बारी बारी से चोदो इसको और अपना लंड चुसवाओ. पेट भर कर मलाई खिलाओ, खालिस गांव की मलाई का मजा तो मिले बहू को. शाम तक इतना चोद देंगे कि चल भी नहीं पायेगा हमारी प्यारी बहू"

तीनों फ़िर शुरू हो गये. लीना बोलने लगी "अरे बहुत हो गया रे गांडुओं. ऐसा बर्ताव करते हैं बहू बेटी के साथ? कहां तुमको थोड़ा जोबन दिखाया और तुम लोग पीछे पड़ गये मेरी गांड के? चलो भोसड़ीवालो, अब मत ..." रघू ने लीना के मुंह में लंड घुसेड़कर उसकी बोलती बंद कर दी और रज्जू उसको चोदने लगा. मौसाजी ने कुछ देर मजा देखा और फ़िर से लीना की गांड में लंड डालकर शुरू हो गये. 

उधर राधा मुझे मस्त चोद रही थी. दो बार झड़ भी गयी थी. मौसी भी आराम कर रही थीं, वो केला उनकी बुर में पूरा घुस कर गायब हो गया था.

लीना की गांड की धुनाई देखकर मैं बोला "चलो राधा रानी, बहुत हो गया. अब मैं गांड मारूंगा तुम्हारी"

"भैया बस एक बार और चोद लेने दो, बड़ा मजा आ रहा है. कसम से आप के लंड का जवाब नहीं, आधे घंटे से खड़ा है" राधा बोली.

"पर अब और नहीं रुक सकता राधा. चलो आ जाओ नीचे. और मौसी आप भी तैयार हो जाओ, आज आपकी भी गांड मारूंगा. कसम से जब से देखी है कल रात में, बहुत मन हो रहा है मारने का. वो तो कल मौसाजी की सेवा में जुट गया बाद में नहीं तो आप की जरूर मारता" मैं बोला.
 
"पहले राधा की मार लो, फ़िर भी जोश बाकी रहे तो मेरी मार लेना. वैसे कल तूने बहुत अच्छा चोदा बेटे, और भी चोदा कर, ज्यादा मेरी गांड के पीछे मत पड़ा कर, तेरे मौसाजी हैं उस काम के लिये. अभी तो मुझे केले में मजा आ रहा है, बहुत दिन हो गये ऐसे बड़े बड़े केले मिले हैं मुठ्ठ मारने को" मौसी ने पसरकर उंगली बुर में अंदर डाली और केला बाहर निकालने लगीं. वो टूट गया और एक टुकड़ा बाहर आ गया.

मौसी ने टुकड़ा मेरे मुंह में दे दिया और बोलीं "ले खा ले अनिल बेटे, स्वाद आयेगा मौसी के प्यार का. मैं दूसरा छील लेती हूं"

राधा चिल्लाई "मालकिन, हमको नहीं दोगी ये पकवान?"

"अरे तू तो हमेशा चखती है. आज अनिल को मजा करने दे. अनिल बेटे, अभी ये टुकड़ा खा ले, बाद में पूरा माल खिला दूंगी" मौसी ने दूसरा केला अंदर डाला और शुरू हो गयी. फ़िर बोली "अनिल, ये राधा तो दिन भर चोदती रहेगी तुझे, इसकी तो तसल्ली ही नहीं होती. तू गांड मार ले, इसके कहने पे मत जा"

मैंने राधा को जबरदस्ती अपने लंड पर से उतारा और ओंधा लिटा दिया. राधा छूटने की कोशिश करने लगी "भैया, मेरी गांड मत मारो, आज चुदाने का मौका मिला है, मुझे और चोद दो ना. तुमको चोदने से मतलब है, चूत या गांड से आपको क्या फरक पड़ता है? छोड़ो ना भैया, आप को मेरी कसम"

मौसी ने अपनी उंगली अपनी चूत से निकाली और राधा के गुदा में चुपड़ दी. "डाल दे अब. मैं पकड़ के रखती हूं इसको. इसकी मत सुन, ये तो बहुत चपड़ चपड़ करती है दिन भर" मौसी ने अपनी मोटी मोटी टांगें उठाकर राधाकी पीठ पर रखीं और उसे दबा कर रखा. मैंने राधा के सांवले चूतड़ों को पकड़कर चौड़ा किया और लंड डाल दिया, आराम से लंड पूरा सप्प से चला गया.

"अच्छी मुलायम है मौसी. लगता है काफ़ी ठुकी हुई है" मैंने गांड में लंड पेलना शुरू करते हुए कहा. "आखिर तीन तीन लंड हैं यहां, सबसे रोज मरवाती होगी ये छोकरी"

"अरे नहीं, इसकी गांड तो बस तेरे मौसाजी मारते हैं. बड़ा शौक है गांडों का, रघू और रज्जू को सख्त हिदायत दी हुई है कि राधा की गांड को कोई छुए भी नहीं. गांड क्या, वो तो उन दोनों को ठीक से राधा को चोदने भी नहीं देते"

"हां भैयाजी, बड़ी प्यासी रह जाती है मेरी बुर. तभी तो आप चोद रहे थे तो बड़ा सुकून मिल रहा था. अब आप भी मेरी गांड के पीछे पड़ गये." राधाने शिकायत की.

"फ़िकर मत करो रानी, अभी तो कई दिन पड़े हैं. मैं तेरे को और मौसी को जितना कहो चोद दूंगा. अभी मारने दे मस्ती से. डर मत, झड़ूंगा नहीं तेरी गांड में" मैं हचक हचक कर उस नौकरानी की गांड मारते हुए बोला. "और ये मम्मे तो देख, कैसे कड़क सेब हैं सब. इनको कोई दबाता नहीं क्या?" कहकर गांड मारते मारते मैं राधा की चूंचियां मसलने लगा.

"धीरे भैयाजी, आप को मेरी कसम. पिलपिली न करो ऐसे" राधा कराह कर बोली.

"तू दबा अनिल, इसकी मत सुन. इसके मम्मे कोई नहीं दबाता, ये किसी को दबाने नहीं देती. मैं कहती हूं इसको कि दबवा ले, जरा नरम नरम और बड़े करवा ले, आखिर जब बच्चा पैदा करेगी तो दूध तो ठीक से भरे" मौसी कस के अपनी बुर में केला अंदर बाहर करते हुए बोली. "आह ... आह ... हां .... अरे मेरी रानी ... रधिया बिटिया .... कई दिन हो गये रधिया री इतनी मस्त मुठ्ठ मारे हुए" और मौसी झड़ कर ढेर हो गयीं.

मैंने दूसरे कमरे में देखा. रघू पलंग पर लेटा था और लीना उसके ऊपर कोहनियों और घुटनों के बल झुक कर जमी थी. रघू का लंड लीना की बुर में था और वो नीचे से कमर हिला हिला कर उसको चोद रहा था. रज्जू सिरहाने खड़ा हो कर लीना के मुंह में लंड पेल रहा था. लीना के सिर को उसने कस के अपने पेट पर दबा रखा था और आगे पीछे होकर उसका मुंह चोद रहा था. मौसाजी खड़े खड़े राधा की गांड मार रहे थे. लीना का पूरा बदन हिल रहा था. वो आंखें बंद करके चुपचाप चुदवा रही थी. मौसाजी दोनों नौकरों को हिदायत दे रहे थे "रघू, अब झड़ना नहीं बहू की चूत में. समझा ना? झड़ना सिर्फ़ उसके मुंह में. लोटा भर मलाई खिलानी है उसको आज"
 
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