hotaks444
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रत्ना: सुनिए, लगता है अपपको मज़ा न्ही आ रहा है
सुरेश : क्यों...........
रत्ना: मूवी अच्छी न्ही लग रही है क्या
सुरेश: कोन सी जो तुम दिखा रही हो यार जो पर्दे पर है
रत्ना: मेरी
सुरेश: तुम तो मेरी जान हो लगी रहो मज़ा आ रहा है,
रत्ना: तो अपपना हाथ लाओ ना मुझे
सुरेश: सुरेश ने दाया हाथ रत्ना की जाँघ पर रख दिया और बाया हाथ विभा की हथेली पर शायद इसी को कहते है दोनो हाथ मैं लड्डू..
रत्ना की जंघे बड़े मज़े से सहलाते हुए वो साडी के उपर से ही रत्ना की चूत महसूस करने लगा था ... और स्वर्ग्द्वार तक हाथ पहुचते ही सुरेश के लिंग ने जैसे पिचकारी छ्चोड़ दी क्योंकि रत्ना ने उत्तेजना मैं हाथ ज़्यादा तेज़ कर दिए थे जिससे सुरेश का स्खलन हो गया था. रत्ना ने सुरेश के अंडरवेर से हाथ बाहर निकाला और रुमाल निकाल कर वीर्या को साफ किया . फिर विभा बोली फुसफुसते हुए
विभा: जीजू , ये क्या कर रहे हो
सुरेश: अच्छा न्ही लग रहा है क्या
विभा: दीदी है ना , फिर मेरे पीछे क्यों पड़े हो
सुरेश: दीदी की मैने कितनी बज़ाई है अब ज़यादा मज़ा न्ही आता दीदी मैं
विभा: अरे मुझे मेरे हब्बी के लिए रहने दो न्ही तो क्या फ़ायदा उसे स्टर्ट्टिंग मैं ही मज़ा ना आए तो अब तो कोई दूसरी छ्होटी बहिन भी न्ही है
सुरेश : मज़ाक कर रही हो!!!!!!!!!!
विभा: ये मज़ाक न्ही है जीजू , मन तो मेरा भी बहुत होता है लेकिन क्या करू डर लगता है सादी के बाद पति को क्या दूँगी
सुरेश को लिंक मिल गया कि चिड़िया जाल मैं फँसने को तैयार है ज़रूरत बस चारा डाल कर जाल बिच्छाने की है....
सुरेश: अरे एक 2 बार मैं कुछ न्ही होता समझी और तुम्हे अगर ये मालूम भी ना पड़ा कि क्या होता है सादी के बाद तो क्या करोगी
विभा: रहे दो जीजू, इतनी छ्होटी भी न्ही हूँ , क्या होता है सब जानती हूँ बस करवाया ही तो न्ही है
सुरेश : तो करवा लो ना
विभा: न्ही .जीजू
लेकिन सुरेश को लगा लोहा गरम है और ठीक चोट ना मारी तो दुबारा कुछ न्ही हो पाएगा . सुरेश धीरे धीरे विभा के बूब सहलाने लगा. विभा इनकार तो कर रही थी लेकिन विरोध नाम की कोई चीज़ न्ही थी उसकी ना मैं. इसलिए सुरेश लगा तार सहलाए जा रहा था उसके बूब्स
विभा: दीदी क्या कर रही हो उधर
रत्ना: यहा क्या करने आई हूँ बताओ
विभा: मेरे पास आकर बैठो ना कुछ बात करनी है
रत्ना: अरे तू मूवी देख हम लोग घर पर बात करेंगे
रत्ना के इस जवाब से सुरेश खुश हो गया और उसने प्रेशर बड़ा दिया और धीरे धीरे हाथ उसकी जाँघ पर आ गया ..जाँघ पर हाथ लगते ही विभा पागल हो गई वो गरम तो पहले से ही थी लेकिन जाँघ पर हाथ रखते ही उसने सुरेश का हाथ बढ़ा लिया अप्प्नि जाँघ पर ये सुरेश के लिए ग्रीन सिग्नल था . और सुरेश ने धीरे से विभा की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार के अंदर हाथ डाल कर पॅंटी के उपर से विभा की मोटी फूली हुई पुसी महसूस करने लगा .
सुरेश : क्यों...........
रत्ना: मूवी अच्छी न्ही लग रही है क्या
सुरेश: कोन सी जो तुम दिखा रही हो यार जो पर्दे पर है
रत्ना: मेरी
सुरेश: तुम तो मेरी जान हो लगी रहो मज़ा आ रहा है,
रत्ना: तो अपपना हाथ लाओ ना मुझे
सुरेश: सुरेश ने दाया हाथ रत्ना की जाँघ पर रख दिया और बाया हाथ विभा की हथेली पर शायद इसी को कहते है दोनो हाथ मैं लड्डू..
रत्ना की जंघे बड़े मज़े से सहलाते हुए वो साडी के उपर से ही रत्ना की चूत महसूस करने लगा था ... और स्वर्ग्द्वार तक हाथ पहुचते ही सुरेश के लिंग ने जैसे पिचकारी छ्चोड़ दी क्योंकि रत्ना ने उत्तेजना मैं हाथ ज़्यादा तेज़ कर दिए थे जिससे सुरेश का स्खलन हो गया था. रत्ना ने सुरेश के अंडरवेर से हाथ बाहर निकाला और रुमाल निकाल कर वीर्या को साफ किया . फिर विभा बोली फुसफुसते हुए
विभा: जीजू , ये क्या कर रहे हो
सुरेश: अच्छा न्ही लग रहा है क्या
विभा: दीदी है ना , फिर मेरे पीछे क्यों पड़े हो
सुरेश: दीदी की मैने कितनी बज़ाई है अब ज़यादा मज़ा न्ही आता दीदी मैं
विभा: अरे मुझे मेरे हब्बी के लिए रहने दो न्ही तो क्या फ़ायदा उसे स्टर्ट्टिंग मैं ही मज़ा ना आए तो अब तो कोई दूसरी छ्होटी बहिन भी न्ही है
सुरेश : मज़ाक कर रही हो!!!!!!!!!!
विभा: ये मज़ाक न्ही है जीजू , मन तो मेरा भी बहुत होता है लेकिन क्या करू डर लगता है सादी के बाद पति को क्या दूँगी
सुरेश को लिंक मिल गया कि चिड़िया जाल मैं फँसने को तैयार है ज़रूरत बस चारा डाल कर जाल बिच्छाने की है....
सुरेश: अरे एक 2 बार मैं कुछ न्ही होता समझी और तुम्हे अगर ये मालूम भी ना पड़ा कि क्या होता है सादी के बाद तो क्या करोगी
विभा: रहे दो जीजू, इतनी छ्होटी भी न्ही हूँ , क्या होता है सब जानती हूँ बस करवाया ही तो न्ही है
सुरेश : तो करवा लो ना
विभा: न्ही .जीजू
लेकिन सुरेश को लगा लोहा गरम है और ठीक चोट ना मारी तो दुबारा कुछ न्ही हो पाएगा . सुरेश धीरे धीरे विभा के बूब सहलाने लगा. विभा इनकार तो कर रही थी लेकिन विरोध नाम की कोई चीज़ न्ही थी उसकी ना मैं. इसलिए सुरेश लगा तार सहलाए जा रहा था उसके बूब्स
विभा: दीदी क्या कर रही हो उधर
रत्ना: यहा क्या करने आई हूँ बताओ
विभा: मेरे पास आकर बैठो ना कुछ बात करनी है
रत्ना: अरे तू मूवी देख हम लोग घर पर बात करेंगे
रत्ना के इस जवाब से सुरेश खुश हो गया और उसने प्रेशर बड़ा दिया और धीरे धीरे हाथ उसकी जाँघ पर आ गया ..जाँघ पर हाथ लगते ही विभा पागल हो गई वो गरम तो पहले से ही थी लेकिन जाँघ पर हाथ रखते ही उसने सुरेश का हाथ बढ़ा लिया अप्प्नि जाँघ पर ये सुरेश के लिए ग्रीन सिग्नल था . और सुरेश ने धीरे से विभा की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार के अंदर हाथ डाल कर पॅंटी के उपर से विभा की मोटी फूली हुई पुसी महसूस करने लगा .