Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!! - Page 2 - SexBaba
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Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

रत्ना: सुनिए, लगता है अपपको मज़ा न्ही आ रहा है

सुरेश : क्यों...........

रत्ना: मूवी अच्छी न्ही लग रही है क्या

सुरेश: कोन सी जो तुम दिखा रही हो यार जो पर्दे पर है

रत्ना: मेरी

सुरेश: तुम तो मेरी जान हो लगी रहो मज़ा आ रहा है,

रत्ना: तो अपपना हाथ लाओ ना मुझे

सुरेश: सुरेश ने दाया हाथ रत्ना की जाँघ पर रख दिया और बाया हाथ विभा की हथेली पर शायद इसी को कहते है दोनो हाथ मैं लड्डू..

रत्ना की जंघे बड़े मज़े से सहलाते हुए वो साडी के उपर से ही रत्ना की चूत महसूस करने लगा था ... और स्वर्ग्द्वार तक हाथ पहुचते ही सुरेश के लिंग ने जैसे पिचकारी छ्चोड़ दी क्योंकि रत्ना ने उत्तेजना मैं हाथ ज़्यादा तेज़ कर दिए थे जिससे सुरेश का स्खलन हो गया था. रत्ना ने सुरेश के अंडरवेर से हाथ बाहर निकाला और रुमाल निकाल कर वीर्या को साफ किया . फिर विभा बोली फुसफुसते हुए

विभा: जीजू , ये क्या कर रहे हो

सुरेश: अच्छा न्ही लग रहा है क्या

विभा: दीदी है ना , फिर मेरे पीछे क्यों पड़े हो

सुरेश: दीदी की मैने कितनी बज़ाई है अब ज़यादा मज़ा न्ही आता दीदी मैं

विभा: अरे मुझे मेरे हब्बी के लिए रहने दो न्ही तो क्या फ़ायदा उसे स्टर्ट्टिंग मैं ही मज़ा ना आए तो अब तो कोई दूसरी छ्होटी बहिन भी न्ही है

सुरेश : मज़ाक कर रही हो!!!!!!!!!!

विभा: ये मज़ाक न्ही है जीजू , मन तो मेरा भी बहुत होता है लेकिन क्या करू डर लगता है सादी के बाद पति को क्या दूँगी

सुरेश को लिंक मिल गया कि चिड़िया जाल मैं फँसने को तैयार है ज़रूरत बस चारा डाल कर जाल बिच्छाने की है....

सुरेश: अरे एक 2 बार मैं कुछ न्ही होता समझी और तुम्हे अगर ये मालूम भी ना पड़ा कि क्या होता है सादी के बाद तो क्या करोगी

विभा: रहे दो जीजू, इतनी छ्होटी भी न्ही हूँ , क्या होता है सब जानती हूँ बस करवाया ही तो न्ही है

सुरेश : तो करवा लो ना

विभा: न्ही .जीजू

लेकिन सुरेश को लगा लोहा गरम है और ठीक चोट ना मारी तो दुबारा कुछ न्ही हो पाएगा . सुरेश धीरे धीरे विभा के बूब सहलाने लगा. विभा इनकार तो कर रही थी लेकिन विरोध नाम की कोई चीज़ न्ही थी उसकी ना मैं. इसलिए सुरेश लगा तार सहलाए जा रहा था उसके बूब्स

विभा: दीदी क्या कर रही हो उधर

रत्ना: यहा क्या करने आई हूँ बताओ

विभा: मेरे पास आकर बैठो ना कुछ बात करनी है

रत्ना: अरे तू मूवी देख हम लोग घर पर बात करेंगे

रत्ना के इस जवाब से सुरेश खुश हो गया और उसने प्रेशर बड़ा दिया और धीरे धीरे हाथ उसकी जाँघ पर आ गया ..जाँघ पर हाथ लगते ही विभा पागल हो गई वो गरम तो पहले से ही थी लेकिन जाँघ पर हाथ रखते ही उसने सुरेश का हाथ बढ़ा लिया अप्प्नि जाँघ पर ये सुरेश के लिए ग्रीन सिग्नल था . और सुरेश ने धीरे से विभा की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार के अंदर हाथ डाल कर पॅंटी के उपर से विभा की मोटी फूली हुई पुसी महसूस करने लगा .
 
विभा की फूली हुई चूत केउपर जब सुरेश की उंगलियाँ चली तो उसे लगा कि विभा ने कई मोन्थ से अपपनी पुसी शेव न्ही की है उसने धीरे से पॅंटी के उपर से हाथ डालकर उसकी चूत सहलाना स्टार्ट कर दिया चूत इतनी ज़्यादा गीली थी पूरी उंगलियाँ गीली हो गई और . विभा की क्लाइटॉरिस भी बिल्कुल गरम हो गई थी सुरेश के उंगली बाहर निकाली और अपनी नाक के पास लाकर सूँघा महक बहुत मादक ल्गी उसे फिर उसने वो उंगली विभा की नाक के पास लगाई विभा ने भी उसे सूँघा बहुत अच्छी लगी उसे फिर उसने वो उंगली रत्ना की नाक के पास की

रत्ना : कर ली अपपने मन की बस

सुरेश : तुम्हारी बहिन ही तो है क्या मस्त है यार

रत्ना: तुम्हारे मन की पूरी हो गई ना

सुरेश : आइ लव यू

इतना कह कर उसने रत्ना के लिप्स पर किस कर लिया और विभा की चूत पर फिर से हाथ फेरना स्टार्ट कर दिया विभा बहुत ही कोमल थी और एक बार फिर से बह गई .. लेकिन उसे बहुत मज़ा आया फिर वो लोग मूवी बीच मैं ही छ्चोड़ कर घर आ गये ...............

घर आकर रत्ना का मूह फूला हुआ था . विभा को मालूम न्ही था कि सुरेश ने रत्ना की चूत से निकली उंगली रत्ना के दिखाई थी. रत्ना मूह फुलाए हुए सारे काम निपटा रही थी लेकिन विभा को पता ही न्ही था कि दीदी नाराज़ क्यों है लेकिन रात मैं सब लोगो ने खाना खाया और फिर सोने केलिए चले गये....................

रत्ना के चेहरे पर केवल क्रोध ही क्रोध नज़र आ रहा था . पूरे टाइम उसने ना ही विभा और ना ही सुरेश से बात की खाना खाकर वो सोने के लिइए बेड पर लेट गई . जाते जाते विभा को बाते भी न्ही की उसे कहा सोना है . गुस्से की वज़ह से रत्ना रोती भी जा रही थी इसलिए चेहरा चादर के अंदर कर लिया था . और रोते रोते ही रत्ना कब सो गई उसे पता ही न्ही चला . सुरेश भी आकर रत्ना के बगल के बगल मैं लेट गया और विभा रत्ना की साइड लेट गई यानी सुरेश फिर रत्ना फिर विभा . लेकिन सुरेश की फॅंटेसी उसके पास ही थी वो मौका छोड़ना न्ही चाहता था . इसलिए आते हुए वो नीद की 2 टॅब्लेट्स ले आया था चुपके से उसने रत्ना के ग्लास मैं डाली थी इसीलिए रत्ना सो गई थी थोड़ी देर मैं विभा को भी नींद आ गई थी लेकिन सुरेश की आँखो मैं नींद का कोई निशान न्ही था उसने 2 बार धीरे धीरे रत्ना को उठाया लेकिन रत्ना सोती रही. जब उसे कन्फर्म हो गया तो उसने रत्ना को अपपनी जगह सरका कर खुद विभा के बगल मैं लेट गया और लेटने के बाद उसने धीरे धीरे विभा की हथेली सहलाना स्टार्ट कर दिया विभा सोती रही . फिर उसने उसके लिप्स के कई किस किए लेकिन विभा सोती ही रही जब कोई प्रतोरोध न्ही मिला तो सुरेश की हिम्मत थोड़ी बढ़ गई और उसने अपपनी 2 उंगली विभा के नाइट सूट के टॉप मैं डाल कर उसकी गोलाइयाँ सहलाने ल्गा . उसके निप्पल तक पहुचते पहुचते सुरेश पसीने पसीने हो गया था. थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उसने अपपना हाथ बाहर निकाला और सूट के उपेर से बूब्स सहलाते हुए उसकी तुम्मी पर हाथ रखा और उसकी गहरी नेवेल को अपपनी उंगली से कुरेदता रहा . फिर अपपनी उंगली मूह मैं डाल कर गीली की और फिर उसकी नेवेल को गीला किया और देर तक संभोग की क्रिया जैसा कुछ करता रहा जैस्से कि नेवेल ना हो कर उसकी योनि हो. करीब 10 मिनूट के अंतराल के बाद उसने अपपना हाथ थोडा और नीचे लाया और धीरे ये विभा के सूट के नाडे को खोल दिया और धीरे धीरे उसकी पॅंटी पर हाथ फेरने लगा लेकिन विभा उसी अवस्था मैं सोती रही . फिर उसने पॅंटी को साइड से खिसकाते हुए अपपनी उंगली अंदर करनी सुरू कर दी जैसे कि वो उंगली ना हो कर उसका लिंग हो. करीब 5 मिनूट के बाद विभा ने उसका हाथ हटा दिया और बोली

विभा: ये क्या बदतमीज़ी है जीजू

सुरेश: मैने कैसी बदतमीज़ी की

विभा: आप ने एसे कैसे इतना सब कर दिया और जबकि दीदी पास मैं ही लेटी है, आप को शरम न्ही आई कि अगर उसकी आँख खुल जाती तो क्या सोचती वो मेरे बारे मैं .

सुरेश : तुम उसकी चिंता मत करो वो न्ही जागेगी. एक बार जब सो जाती है तो सुबह से पहले न्ही उठती है

विभा: लेकिन फिर भी अपपको शरम आनी चाहिए, मज़ाक की हद तक तो ठीक है लेकिन आप तो ये सब करने पर उतारू हो गये
 
सुरेश: लेकिन PVऱ मैं तो तुमने कुछ भी न्ही कहा था

विभा: PVऱ की बात अलग थी मैं बहक गयइ थी लेकिन मैं मेरी बहिन के घर मैं आग न्ही लगा सकती .

सुरेश : मेरे एक बार तुम्हारे साथ कर लेने से तुम्हारी बहिन का कोई घर न्ही टूट जाएगा

विभा: आप भी क्या बात करते है जाइए उधर वाहा सोइए और दुबारा मुझे छूने की कोशिश भी मत करिएगा

सुरेश : सुनो तो विभा प्लीज़ ,मैं तुम्हे एक बार देखना चाहता हूँ पूरी तरह से बिना कपड़ो के .

विभा: ये न्ही हो सकता . आप मुझे आछे लगते है इसका मतलब ये नही की मैं आपको सब कुछ करने दूं

सुरेश: सोच लो...........

विभा: क्या , क्या सोच लूं मैं बोलोइए , क्या सोच लूँ

सुरेश : तुम्हे अपपने बहिन के घर की चिंता है ना

विभा: हाँ........मैं मेरी बहिन के पति के साथ न्ही कर सकती

सुरेश : लेकिन मैने करने के लिए तो न्ही कहा

विभा : लेकिन बात तो एक ही है

सुरेश : तो तुम्हे क्या लगता है तुम्हारे इनकार करने से तुमहरि बहिन का घर सेफ होगा

विभा: और क्या !!!!!!11

सुरेश: लेकिन अब मैं इसे अपपने साथ न्ही रखूँगा . और इसे तलाक़ दे दूँगा

सुनकर विभा का मूह खुला रह गया ..

विभा: न्ही जीजू आप एसा कैसे कर सकते है

सुरेश : बिल्कुल वैसे जैसे तुम इनकार कर रही हो

विभा : लेकिन आप समझते क्यों न्ही कि मैं एसा न्ही कर सकती.

सुरेश : मैने कहा तो कि मैं तुम्हारे साथ कुछ न्ही करूँगा केवल तुम्हे पूरी तरह से नंगा देखना चाहता हूँ

विभा: फिर आप दीदी को तलाक़ न्ही देंगे !!!!!!!!!

सुरेश: फिर क्यों दूँगा ...........

विभा: ओके लेकिन आप मर्यादा भंग न्ही करेंगे केवल मुझे देखेंगे और मुझे टच न्ही करेंगे

सुरेश : मंज़ूर है

विभा: लेकिन यहा कैसे ...दीदी जाग जाएगी

सुरेश: लेकिन वो न्ही जागेगी !!!!!!!!

विभा: न्ही मैं कोई रिस्क न्ही लेना चाहती , जाग गई तो , मैं घर मैं क्या मूह दिखौन्गि

सुरेश उसे ब्ताना न्ही चाहता कि रत्ना को तो सुबह 7 से पहले उठना ही न्ही है क्योंकि

टॅबलेट का असर तब तक तो रहना ही था लेकिन टॅबलेट की बात कह कर वो कोई प्लान ओपन न्ही करना चाहता था..

सुरेश : तो चलो किचन मैं चलते है

विभा: ओके , लेकिन अपपना वादा याद रखना , मुझे टच करने की कोशिश मत करना न्ही तो लाइफ मैं दुबारा कभी बात न्ही करूँगी ,

सुरेश: ठीक है

विभा: और आज के बाद मुझे ब्लैक्क्माइल भी न्ही करोगे , की दीदी को छ्चोड़ दूँगा

सुरेश: न्ही कहूँगा तुम चलो

विभा सुरेश किचन मैं आ जाते है सुरेश सारी लाइट्स ऑन कर देता है दूधिया रोस्नी मैं विभा का चेहरा बहुत खिल रहा था और सबसे पहले उसने शरम से अपपनी निगाहे नीची कर ली . और टॉप पर हाथ रखा लेकिन उठाने से पहले ही लज्जा का भार इतना बढ़ गया कि उपका हाथ उपेर तक जा ही न्ही पाया .

सुरेश : जल्दी करो विभारतना उठ जाएगी

विभा: रूको ना मुझे शरम आ रही है

सुरेश : मैं उठा दूं

विभा: तुम वही बैठे रहो पास मत आना

सुरेश: तो उठाओ ना

विभा: ओके . कोशिस करती हूँ
 
विभा ने धीरे से कोशिश की और टॉप थोड़ा उपेर उठाया उसकी गोरी तुम्मी देखकर सुरेश के मूह मैं पानी आ गया लेकिन मज़बूरी मैं वही बैठा रहा फिर टॉप थोडा और उपेर गया जेसमे कि बूब्स पर बड़ी ब्लॅक ब्रा दिखने लगी...जो उसके गोरे जिस्म पर अलग से ही दिख रही थी .

और अगले स्टेप मैं उसने टॉप उतार ही दिया और ब्लॅक ब्रा मैं वो ब्ला की क़यामत लग रही थी सुरेश उसे पकड़ने को जैसे ही उठा विभा बोली ..वही बैठो उठना न्ही

सुरेश फिर वही बैठ गया और विभा ने अपपने सलवार का नाडा खोला और थोड़ा सा सलवार नीचे किया जिसमे से ब्लॅक पॅंटी दिखने लगी जो की उसकी योनि पर बहुत फूली थी उसके पॅंटी कुछ गीली भी लग रही थी जैसे विभा झाड़ रही थी. फिर विभा ने अपपनी सलवार उतार कर अलग कर दी अब वो केवल ब्रा और पॅंटी मैं खड़ी थी......... फिर उसके हाथ ब्रा के हुक्क पर गये और उसने उन्हे खोल दिया और जैसे ही विभा का एक निप्पल दिखा तो सुरेश के लिंग ने कुछ बूंदे निकाल दी वो झाड़ चुका था . और विभा के भूरे निपल्स जो अभी ठीक से उभरे भी न्ही थे बिल्कुल गुलाबी हो रहे थे .........ब्रा उतार कर उसने अलग रख दी . फिर अपपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मैं फँसाई और धीरे से खिसका कर थोड़ा सा नीचे लाई जिसससे उसकी झांते दिखने लगी थी. फिर थोडा और नीचे अब उसकी योनि पर घहरे घने बाल दिख रहे थे जो कि बहुत गीले थे फिर उसने अपनी पॅंटी उतार दी.

विभा: लो उतार दिए सारे कपड़े अब कुछ न्ही बचा है मेरे शरीर पर

सुरेश: तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो

विभा: वो तो मैं हूँ ही. अब मैं कपड़े पहन लूँ

सुरेश : रुक जाओ ...थोड़ी देर ॥ प्लीज़ क्या मैं तुम्हारी फुदडी एक बार टच कर लूँ....................................

क्रमशः......................................
 
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गतांक से आगे ...............................................

विभा: न्ही ये न्ही हो सकता ..तुमने वादा किया था

सुरेश ने तब तक हाथ फिराना सुरू कर दिया था. विभा तड़प रही थी लेकिन विभा ने भी कसम का ली थी कि आज वो सुरेश को इससे आगे न्ही बढ़ने देगी. लेकिन अपपनी कंडीशन देखकर विभा को शरम आ रही थी कि आख़िर वो रोकेगी कैसे वो पहले ही इतना आगे बढ़ चुकी थी कि अब वो सुरेश को रोके तो रोके कैसे ...केवल एक ही रास्ता था कि रत्ना इस वक़्त जाग जाए तो इस खेल का अंत हो सकता था लेकिन विभा को कोई उम्मीद न्ही दिख रही थी कि अभी रत्ना उठेगी. विभा को रुलाई आने लगी लेकिन वो अपपनी रुलाई रोके हुए थी..

सुरेश का उसके मादक और निजी अंगो पर स्पर्श उसे अब लिज़लीसा और बहुत खराब लग रहा था सुरेश का हाथ अपपनी जाँघो के बीच पाकर एक बार उसका मन डॉल गया लेकिन फिर उसने सोच लिया कि एसा न्ही होने देगी वो और उसने अपपनी जाँघो को ज़ोर से भींच लिया क केवल 2 सेकेंड की ही देर हो गई विभा के जाँघ सिकोड़ने से पहले ही सुरेश अपपना हाथ जाँघो के बीच डाल चुका था जिसके कारण विभा के जाँघ सिकोडते ही सुरेश का हाथ उसकी योनि मैं जाकर फँस गया . लेकिन सुरेश को उसके आँसुओ की तो जैसे परवाह ही न्ही थी . उसने आसानी से अपपनी उंगलियाँ अंदर घुमानी सुरू कर दी विभा का हॉल बुरा था . वो समझ न्ही पा रही थी क्या क्या करे समर्पण कर दे या फिर एक जोरदार तमाचा मार कर सब यही पर ख़तम कर दे लेकिन सुरेश तो जैसे एक मशीन ही था. हाथ रुक ही न्ही रहे थे लेकिन विभा को अब जैसे सेक्स का कोई मतलब ही न्ही था बल्कि सुरेश की उंगलियाँ विभा की उत्तेजना को बढ़ाने की ब्ज़ाए उसे दर्द दे रही थी कि 2 मिनूट के पश्चात ही विभा ने एक जोरदार थप्पड़ सुरेश के गाल पर जमा दिया .सुरेश हक्कबाक्का रह गया कि आख़िर ये क्या हो गया और विभा

विभा: अपपको ज़रा सी भी चिंता न्ही कि कोई रो रहा है या उसके दिल मैं क्या है अपपको बस अपपने काम से मतलब है . कैसे इंसान है आप सेक्स इंसान की खुशी के लिए होता है या उसे तक़लिएफ़ देने के लिए

सुरेश: लेकिन तुम तो अपपनी मर्ज़ी से तैयार हुई थी. फिर ये तमाचा.......

विभा: ये तुम्हे ब्ताने के लिए लड़की केवल चुदाई करवाने की मशीन न्ही है जिसे आप जब मर्ज़ी आए चोद ले

विभा मैं कैसे इतनी शक्ति आ गई कि वो इतनी बात बोल पाई तब तक सुबह के 4 बज चुके थे विभा अपपने कपड़े उठाकर टाय्लेट मैं चली गई और नाहकार लगभग 5 बजे बाहर निकली . आकर उसने देखा की सुरेश सो चुका था फिर उसने रत्ना को उठाया

विभा: दीदी , उठो दीदी मुझे जाना भी है आज

रत्ना: कहा जाना है विभु तुंझे अभी कहा तेरा इंटरव्यू होने वाला है सुबह के 5 बजे

विभा: दीदी मुझे आज घर जाना है , मैं इंटरव्यू देने न्ही जा रही हूँ कंपनी से ईमेल आया था कि इंटरव्यू कॅन्सल हो चुका और अब अगले मोन्थ है

रत्ना : लेकिन विभु रात तक तो एसा कुछ न्ही था

विभा: न्ही मेरी फ्रेंड का फोन आया था कह रही थी मैने ईमेल देखी है इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है और अब अगले मोन्थ होगा , तुम जल्दी से उठो मुझे जाना भी है

रत्ना : तू भी पागल है बचपन से परेशान करती चली आ रही है मुझे

विभा : दिदिदीईईईईईईईईईईईई अब तुम भी .बचपन की बातें . अब मैं बड़ी हो गई हूँ .

रत्ना: हाँ बहुत बड़ी हो गई है तू देख तेरी पॅंटी यही पड़ी है ... तुमने पॅंटी पहना छ्चोड़ दिया है क्या ये यहा क्यों पड़ी है

विभा की उपेर की साँसे उपर और नीचे की साँसे नीचे रह गई ये क्या गड़बड़ हो गई न्ही दीदी मैने अपपनी पहनी हुई है अभी नहाने के लिए जाते मैं कपड़े निकाले थे तभी गिर गयी होगी.
 
रत्ना ने विभा के लिए नाश्ता तैयार किया और सुरेश को भी जगाया

रत्ना : सुरेश विभा घर जा रही है उसे स्टेशन छ्चोड़ आइए जाकर

सुरेश : इतनी जल्दी आज तो उसका इंटरव्यू है ना

रत्ना: न्ही इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है वो घर जा रही है

सुरेश: उसको बोलो कि आज रुक जाए

रत्ना: आप क्यों न्ही कहते

सुरेश: न्ही तुम्ही कहो मैं न्ही कहता

रत्ना: विभा आज रुक जा 1 -2 दिन बाद जाना

विभा: न्ही दीदी आज मुझे जाना ही है .मैं और न्ही रुक सकती

रत्ना: सुरेश आप प्लीज़ चले जाओ स्टेशन तक .विभा अकेले कैसे जा पाएगी

सुरेश : ओके

दो नो लोग तैयार हो कर स्टेशन चले जाते है और सुरेश विभा को ट्रेन मैं बैठा देता है और वॉटर बोत्तेल वगीरह लाकर दे देता है ट्रेन अपपने टाइम पर रवाना हो जाती है . मज़े की बात ये कि पूरे रास्ते दोनो के बीच कोई बात न्ही होती है. जो की इश्स बात का सबूत था क़ि विभा कितना ज़्यादा नाराज़ हो कर गई थी

सुरेश घर वापस आ रहा होता है तभी मोबाइल की रिंग बाज़ती है . सुरेश को लगता है की विभा ने कॉल किया है शायद कोई बात करना चाहती है ,शरम की वज़ह से रास्ते मैं बात न्ही की होगी...मोबाइल स्क्रीन देखी तो उसमे उसके बड़े भाई रमेश का नंबर चमक रहा था . रमेश सुरेश से केवल 2 साल ही बड़ा था लेकिन सुरेश रमेश का बहुत आदर करता था रमेश की एक लड़की की जिसकी एज 5 साल थी जिसका नाम ऋतु था और रमेश की वाइफ अलका रत्ना की तरह ही रूप की देवी थी . सुरेश ने कॉल आक्सेप्ट की और

सुरेश एंड: हल्लो भैया, कैसे है

रमेश एंड: हम भाभी बोल रही है , भैया न्ही

सुरेश *: अरे मेरी लाइफ ... कैसी हो और बहुत दिन बाद याद किया

रमेश *: क्या करे तुम याद ही न्ही करते

सुरेश: आओ दिल्ली भी आ जाओ दर्शन करवा जाओ

रमेश: दर्शन करने है तो यही आ जाओ

सुरेश: चलो और बताओ भैया कहा है

रमेश : भैया तो आने वाले है ये बताने के लिए फ़ोन किया था कि हम लोग अबी ही देल्ही के लिए निकल रहे है और साम तक पहुचेंगे . तुम्हे कोई प्राब्लम तो न्ही है अगर हम लोग 3 -4 दिन रुकेंगे तो..

सुरेश: भाभी तुम भी ...तुम्हारा ही तो घर है और तुम थोड़ा तो मेरी भी हो नीचे से ना सही उपर से तो हो ही

रमेश : अच्छा अब मैं फोन रखती हूँ ओके साम को स्टेशन आ जाना............

स्टेशन से लौटते ही सुरेश ने रत्ना से बताया कि भाभी और भैया आ रहे है आज साम को .

सुरेश: रत्ना जानती हो आज क्या है ?

रत्ना : क्या आआआआ?

सुरेश : अज्ज कुछ स्पेशल है तुम्हारे लिए .

रत्ना : क्या स्पेशल है मेरे सेरू जी

सुरेश :अरे आज शाम को भैया और भाभी आ रहे है हामहरे यहा करीब 1 हफ्ते के लिए

रत्ना तो झूम उठी क्योंकि रत्ना की फॅंटेसी उसके " जेठ जी " के लिए बहुत गहरी थी क्योंकि उसके जेठ रमेश बिल्कुल उसके सुरेश जी जैसे लगते थे . इसलिए कई बार तो मर्यादा भी टूटते टूटते बची थी . लेकिन इन्ही टूटतने और मर्यादा बचाने के चक्कर मैं कब वो उसकी तरफ आकर्षित हो गई थी उसे पता ही न्ही चला लेकिन जेठ जी तो जैसे पुरुष न्ही बल्कि "महापुरुष " थे. कई बार स्थितिया गंभीर सी बन गई लेकिन रमेश जी ने अपपने रिश्ते का ख्याल रखते हुए कभी नाज़ुक हो चली स्थितियों का फ़ायदा न्ही उठाया . आज रत्ना को वो दिन याद आ रहा था जब अचानक ही रमेश जी उसके कमरे मैं अचानक आ गये थे जब वो बाथरूम गई हुई थी वो कोई फाइल देख रहे थे और बाथरूम से रत्ना बेहद रोमॅंटिक मूड मैं निकली और पीछे से जाकर रमेश से सुरेश समझ कर चिपक गई थी और अपपनी छातियो का भरपूर दबाव सुरेश {रमेश} की पीठ पर डाल रही थी

रत्ना: जान प्लीज़ चलो ना अभी एक बार और ............

सुरेश [रमेश] :...................................

रत्ना: कल तो बड़े मज़े से घुमा-घुमा कर ले रहे थे ये करो एसे खोलो... साफ क्यों की ...चौड़ी करके खोलो

सुरेश[रमेश] :.....................................

रत्ना: प्लीज़ आऊओ.......

सुरेश का लिंग पकड़ कर खीचते हुए बेड पर ले जाती है और नीचे लेट कर सुरेश [रमेश] को अपपने अप्पर गिरा लेती है लेकिन चेहरे को गौर से देखते ही उसके होश उड़ जाते है और शरम की वज़ह से पानी पानी हो जाती है और अपपना चेहरा अपपनी हथेलियों मैं छिपा लेती है. रमेश जी तुंरंत उठते है और अपपना पसीना पोछ्ते हुए बिना कुछ कहे बाहर निकल जाते है ... रत्ना ने डर की वज़ह से ये बात किसी को न्ही बताई थी ना सुरेश को और ना ही अपपनी जेठानी जी को. किचन मैं पहुचते ही वो अपपनी जेठानी से नज़र भी न्ही मिला पा रही थी लेकिन जब जेठानी ने उससे कुछ कहा ही न्ही तो उसकी जान मैं जान आई...........शायद रमेश जी ने जेठानी जी को कुछ बताया ही न्ही था .......... इस तरह से एक बार न्ही बल्कि कई बार हो चुका था...

पुरानी बात याद करते ही रत्ना के शरीर मैं झुरजुरी आ गई थी . और उसके आँखो के आगे अपपने जेठ जी का चेहरा घूम रा था
 
अब रत्ना होश मैं आई और सुरेश से बोली ..

रत्ना: सुरेश जी शाम को हम भी चलेंगे अपपके साथ स्टेशन भाभी को लेने

सुरेश : अरे डरो न्ही मेरी जान भैया साथ मैं है भाभी के साथ कुछ न्ही करूँगा

रत्ना: तुम हमेशा उल्टी बात क्यों कहते हो मैने अभी कुछ कहा है

सुरेश : तो तुम क्यों जाना चाहती हो , तुम क्या भैया को देखने जाओगी

रत्ना: ठीक है न्ही जाउन्गि बस, तुम खुश रहो अपपने घर वालो के साथ

सुरेश: अरे भाई चलो मुझे क्या प्राब्लम है

सुरेश मार्केट जाकर कुछ ज़रूरी समान लेकर आता है और तब तक रत्ना घर की साफ सफाई करके घर को ए- 1 ब्ना देती है . फिर रत्ना किचन मैं जाकर पकवान बनाने की तैयारी करने लगती है अपपने जेठ और जेठानी जी के लिए . पीछे से सुरेश आकर रत्ना को दबोच लेता है. और अपपने लिंग का अहसाह रत्ना के चूतड़ो पर करवाता जाता है

सुरेश : [आगे से रत्ना की पुसी सहलाते हुए] रत्ना आज बहुत खुश लग रही हो क्या बात है

रत्ना:मैं तो खुश हूँ लेकिन अपपका मूड फिर बन रहा है क्या

सुरेश : मेरा कब न्ही बना होता है मैं तो चाहता हूँ कि कभी काम पर ना जाउ...

रत्ना: लेकिन कल PVऱ वाली हरक़त.....

सुरेश: अरे सॉरी यार

फिर धीरे से साडी उपर करते ही नरम मुलयेम चूतड़ अपनी हथेलियों मैं भर लेता है और अपपनी उंगलियों से उनकी योंकि फांको को अलग अलग करते हुए शायद ये देखने की कोशिस कर रहा था की अपपनी कितनी गीली है.

रत्ना : क्या कर रहे हो जी, जो करना है करो फिर मैं काम ख़तम करू...खाना भी बनाना है . सब लोग आ रहे है

सुरेश : तुम करो अपपना काम मैं तो केवल पीछे खड़ा हूँ

रत्ना: केवल तुम न्ही खड़े हो कुछ और भी खड़ा है तुम खड़े रहो तो मुझे दिक्कत न्ही है लेकिन उसको खड़ा मत रहने दो न्ही तो बेचारा थक जाएगा ..

सुरेश : तो लो इसको चूस कर बैठा दो..

रत्ना: न्ही ... मुझे मूह न्ही खराब करना है अभी ...

सुरेश: परसो तो खूब चूस रही थी....

रत्ना: तब की बात और थी

सुरेश अब तक उसकी योनि को सहलाते सहलाते पूरी तर कर चुका था कि उंगलियाँ फिसलने लगी थी फिर उसने रत्ना की एक टांग उठा कर कमर से थोड़ा नीचे के ब्राबार अलमारी पर रखे जिससे उसका योनि द्वार पूरी तरह खुल गया और सुरेश ने अपपना लंड उसकी चूत के द्वार पर रखा और धीरे धीरे .........अंदर बाहर करने लगा .........

7 मिनट के "घुड़दौड़" के बाद सुरेश ने अपपने रस का पान रत्ना की योनि को करवा दिया और उसके पेटिकोट मैं अपपना लंड पोछ्कर साफ किया और बाहर आकर सो गया ...रत्ना ने भी काम क्रिया से निबट कर घरेलू काम निपटाए और सो गई .....

शाम को सुरेश ने सारी तैयारियाँ पूरी करने के बाद ट्रॅवेल एजेन्सी को कॉल करके एक रेडियो टॅक्सी हाइयर की और रत्ना के साथ बैठ कर मैं रैलवे स्टेशन के लिए रवाना हो गया . रास्ते भर दिल्ली के बेतरतीब ट्रॅफिक को देखते देखते रत्ना ऊब सी गई तो ड्राइवर से बोली , भैया क्या तुम्हारी कंपनी सीडी प्लेयर व्गारह न्ही रखती अपपनी कार मैं...

ड्राइवर : न्ही , मॅम एसी बात न्ही है , हमारी कंपनी अपपके एंटरटेनमेंट का पूरा ध्यान रखती है बट मोस्ट्ली हम टेप व्गारह न्ही ऑन करते है स्पेशली जब कपल हमारी गाड़ी मैं होते है , .

सुरेश : काफ़ी स्मार्ट हो ...

ड्राइवर : थॅंक्स सर लेकिन अपपके वर्ड्स के जगह हम अपपसे मिलने वाली टिप को ज़्यादा अच्छा थॅंक्स मानते है

सुरेश: अच्छा तब तो तुम्हारी गाड़ी मैं खूब कपल आते होंगे

ड्राइवर : सर बिज़्नेस सीक्रीट्स हम शेर न्ही करते .

सुरेश: अरे यार मेरे कहने का मतलब है कि अगर कपल्स कार मैं सूंचिंग करते है तो तुम्हे कोई ऑब्जेक्षन तो न्ही होता है ..कोई पोलीस का लेफ्डा तो न्ही होता

ड्राइवर : सॉरी , वी डोंट फोर्स और कस्टमर्स टू डू सो.. बट वी कॅन नोट स्टॉप अन्य वन सो.. एक सीक्ट्व अपपके जस्ट पीछे लगा होता है जिस पर अपपकी सारी आक्टिविटी रेकॉर्ड होती जाती है. अगर पोलीस हमसे कोई हेल्प मांगती है तो हम उसे इग्नोर न्ही करते..

सुरेश: तुम तो डरा रहे हो यार ........

ड्राइवर : नो सर मैं तो सच बता रहा हूँ

सुरेश: तो क्या तुम ये कॅमरा ऑफ न्ही करते किसी की रिक्वेस्ट पर...

ड्राइवर: नो सर.............

सुरेश: अगर स्पेशल टिप मिले तो....

ड्राइवर : सर कोई भी टिप मेरी जॉब से ज़्यादा कीमत न्ही रखती...

सुरेश: वूहू..........आइ लाइक दिस....
 
तब तक न्यू देल्ही स्टेशन आ जाता है.. टॅक्सी को बाहर ही रोक कर वो दोनो अंदर जाते है एनक़ुआरी पर पता चलता है कि ट्रॅन आउटर पर है और 10 मिनट पर ही स्टेशन पहुचने वाली है.. दोनो एक एक कॉफी लेते है और ट्रेन का वेट करते है तबी 10 मिनट के बाद ट्रेन आ जाती है ...

और 1स्ट्रीट एसी बॉइगी से उतरते हुए दिखाई दिए .. सुरेश ने जाकर पैर च्छुए भैया और भाभी के और रत्ना ने भी भाभी और भैया के पैर च्छुए लेकिन भैया के पैर छुते वक़्त मुस्कुराहट का राज़ समझ पाना मुस्किल था .

सुरेश: भाभी कोई प्राब्लम तो न्ही हुई आने मैं

भाभी: कैसी प्राब्लम भैया ...बस मज़ा न्ही आया तुम होते तो मज़ा आता

सुरेश: भाभी तुम भी... चलो बाहर टॅक्सी खड़ी है...

सुरेश कुली बुलाता है और कुली सारा समान लेकर चल पड़ता है ...रत्ना आगे बढ़ते ही पैर फँस जाने की वज़ह से गिर पड़ती है ... सुरेश और उसकी भाभी तो आगे निकल चुके थे तभी रमेश जी ने उसे बाँह पकड़ कर उठाया लेकिन बाँह पकड़ते ही रत्ना ने हाथ सिकोड लिए जिसके कारण रमेश का हाथ उसके नरम दूध पर टकरा गया ..रमेश हड़बदा गया लेकिन उसने रत्ना को छ्चोड़ा न्ही........ न्ही तो रत्ना दुबारा गिर जाती और ज़्यादा चोट लग सकती थी...लेकिन रत्ना के नाख़ून मैं ज़्यादा चोट लगी थी और वो खड़ी न्ही हो पा रही थी सुरेश बहुत आगे निकल चुका था और रमेश की वाइफ भी न्ही दिख रही थी कि वो किसे बुलाए की वो रत्ना को सहारा दे... तभी.

रत्ना: भाई साहब आप चलिए मैं आ जाउन्गी

रमेश: कैसे आओगी ..तुम तो खड़ी भी न्ही हो पा रही हो

रत्ना: न्ही मैं कोशिस करती हूँ

रमेश : मैं तुम्हे छ्चोड़कर न्ही जा सकता ...आओ मैं तुम्हे सहारा देता हूँ

इतना कह कर वो उसे कंधे से सहारा देते हुए उठाते है जिससे उसके नरम बूब्स रमेश की आराम पिट्स पर बहुत खुशनुमा अहसास करवा रहे थे .. पर रमेश तो जैसे बुत था ..कोई भाव न्ही था चेहरे पर..सहारा देकर कार तक गये ..फिर देख कर सुरेश बोला ..

सुरेश: अरे ये क्या हुआ..रत्ना

रत्ना: कुछ न्ही ज़रा सा चोट लग गई

भाभी: लेकिन कैसे ...

रमेश: बस अब ठीक है

भाभी सहारा देकर रत्ना को पिच्छली सीट पर बैठा देती है और खुद रत्ना के बगल मैं बैठ जाती है सुरेश दूसरी साइड से रत्ना के बगल मैं बैठ जाता है और अपपनी भतीजी को गोद मैं ले लेता है रमेश जी आगे ड्राइवर के बगल मैं बैठ जाते है ....

सुरेश रत्ना भाभी सभी लोग खूब बातें कर रहे थे लेकिन रत्ना की आँखें केवल मिरर मैं ही देख रही थी...कि रमेश कहा देख रहे है और उसने देखा कि रमेश की आँखें भी उसी पर टिकी है ,............. थोड़ी देर बाद घर आ गया सुरेश ने सारा समान निकाला और अंदर रखा भाभी सहारा देकर रत्ना को अंदर ले गई.. सुरेश ने बिल दिया और अंदर जाकर बैठ गये....रत्ना के पैर मैं चोट थी लेकिन अंदर जाते ही उसने सबसे पहले किचन मैं पहुच कर चाइ का पानी चढ़ाया ..तभी पीछे से भाभी आ गयइ.........

भाभी: तुम क्यों परेशान हो रही हो छ्होटी...जाओ बैठो मैं बनाती हूँ चाई

रत्ना: दीदी मैं ब्ना रही हूँ आप बैठिए थॅकी हुई है आप

भाभी: अरे कैसी थकान... सोते हुए आई हू..

रत्ना: तो तुमने तो मज़े भी लिए होंगे रास्ते मैं भैया से...

भाभी: तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुम तो घर से बिना करवाए ही चली गई थी

रत्ना: क्या दीईडी तुम भी...

भाभी: क्यों क्या मैं सुरेश को जानती न्ही... कि वो कही भी निकलने से पहले लेना न्ही भूलता ..

रत्ना सन्नाटे मैं......................हाई मैने क्या पति पाया है..कोई एसा है जो इसका शिकार ना हुआ हो................

क्रमशः..............................................
 
--6

गतांक से आगे...........................


रत्ना: दीदी !!! तुम भी सुरेश.......ये क्या कह रही हो...
भाभी : क्या मतलब...
रत्ना: तुम भी सुरेश के साथ..
भाभी : हट...बदतमीज़...वो मेरा देवर है मैं उसके साथ...तुमने सोचा भी कैसे
रत्ना: अभी तुमने ही तो कहा कि "वो जाने से पहले लेना न्ही भूलता"
भाभी: उउई माआ..... मैं तो आशीर्वाद की बात कर रही थी और तुमने क्या सोच लिया हाए राम.....
रत्ना: ओफफफफफफफफफ्फ़ नही भी
भाभी : क्या रत्ना तुमने तो मेरी...है अब एसी बात ना क्रोन्ी तो अभी जाना पड़ेगा
रत्ना: भाभी तुम भी ..बहुत ज़्यादा करती हो.. तुम्हे थकान न्ही होती..
भाभी: थकान ..कैसी थकान और फिर इसमे थकान कैसी... इसमे तो मज़ा आता है लेकिन जब खुशी से हो और अपनी चाय्स के साथ हो...
रत्ना: सच कह रही हो...दीदी एक बात पूछु...
भाभी : हाँ पूच्छ
रत्ना: अप नाराज़ तो न्ही होंगी
भाभी : क्यों क्या पूछने वाली हो तुम..
रत्ना: बस कुछ प्राइवेट...
भाभी: ये ही कि अब्ब दर्द हो रहा है कि नही...
रत्ना: न्ही दीदी कुछ टाइम पास करना चाहती हूँ इसलिए पूछा
भाभी : हाँ पूछ
रत्ना: आप लखनऊ के किस कॉलेज मैं थी,,
भाभी: कॉलेज !!!!!!!! मैं तो कॉलेज गई ही न्ही मेरे भाई मुझे कॉलेज न्ही जाने देते थे...कहते बहुत होगयि पड़ाई लिखाई
रत्ना: तो स्कूल के बाद घर .....
भाभी: हाँ
रत्ना: तो स्कूल मैं कोई बॉय फ्रेंड तो होगा ही आपका
भाभी : न्ही री मेरी एसी किस्मत कहा , मैने तो अपने वो दिन अकेले ही बिताए..
रत्ना: क्या स्कूल मैं अभी अप किसी को पसंद न्ही करती थी
भाभी :हाँ करती थी मेरी क्लास फेलो रीमा को ..
रत्ना: तो आपके साथ भाई साहब को पूरा मज़ा आया होगा पहली रात को
भाभी: क्या कहना चाहती हो तुम..और इतना एरॉटिक बातें क्यों कर रही तो आज...
रत्ना: मुझे क्या पता उन्हे मज़ा आया या न्ही लेकिन मेरी बात है तो मुझे तो पूरा मज़ा आया था..
रत्ना: अरे ये बाद मैं पहले ये ब्ताओ की कॉलेज मैं कोई लड़का न्ही पसंद आया था
भाभी: अरे बाबा कैसे आता मेरा कलाज "गर्ल्स ओन्ली" था ..मैं कलाज मैं कोई मर्द न्ही था सब फीमेल थी ..
रत्ना: अच्छा...........तो फिर पहली रात मैं तो तुम्हे बहुत दिक्कत हुई होगी
भाभी: हाँ हुई थी
रत्ना: स्टार्ट किसने किया था भाई साहब ने या तुमने
भाभी: तुम और सुरेश मैं किसने किया था
रत्ना: पहले क्वेस्चन मैने किया है ..........
भाभी: इन्होने.....
रत्ना: पहले क्या किया........
भाभी: छ्चोड़ ना ...बेकार मैं मूड बन जाएगा और ये थके थके है अभी
रत्ना: प्लीज़ दीदी बोलोना मज़ा आ रहा है अब्ब थोड़ा गर्मी बढ़ रही है
भाभी: हम शादी करके आए मैं तो बहुत थॅकी थी .लेकिन इन रस्मो ने मुझे बहुत थका दिया था इसलिए सब रस्मे निपटने के बाद अपपनी ननद जी मुझे एक रूम मैं बिठा कर चली गई पूरा रूम बहुत भरा हुआ था सारे सामानो से .. मुश्किल से बैठने भर की जगह हो पा रही थी.. मैं बैठते ही सो गई तुरंत ..कब रात हो गई पता ही न्ही चला रात करीब 10...न्ही 10.30 हो रहे होंगे तब ये आए और बोले तुमने कुछ खाया या न्ही..मैने कहा हाँ खा लिया .......................
 
फिर ये बोले मिल ली सब से . मैने कहा अभी कहा मूह दिखाई तो कल होगी
रमेश: अच्छा ..तो आज मेरा कोई चान्स है मेरा
मैं : जी..............आपका चान्स
रमेश : हाँ भाई हमने भी तो कई साल से आज के दिन का इंतज़ार किया था जब मैं मेरी दुल्हन का घूँघट उठाउँगा
मैं शांत रही क्योंकि मैं बोलती भी तो क्या बोलती...पहली बात तो किसी मर्द के पास बैठी थी
रमेश: लगता है कि तुम बहुत शर्मा रही हो..
मैं : जी...........
फिर रमेश ने मेरे घूँघट को उठाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया कि किसी ने दरवाज़ा खटखटा दिया वो रूबी थी अपपने चंडीगढ़ वाले मामा की बेटी ..ये बोले कोन है तो रूबी ने कहा हम मैं भैया रूबी..
हाँ रूबी ब्ताओ क्या है तो रूबी ने कहा क्या आप भाभी को रिज़र्व करके बैठ गये हमे भी भाभी से बात करने दो...

रत्ना: अरे क्या दीदी छ्चोड़ो ये सब... काम की बातें ब्ताओ केवल...
भाभी : बदी उतावली हो रही है जैसे तू तो कुँवारी ही है अभी तक तुमने तो करवाया न्ही होगा
रत्ना: मैने कब कहा कि मैं कुँवारी हूँ और शादी शुदा कुँवारी कैसे रह सकती है...और आदमी सुरेश जैसा हो तो फिर कहने ही क्या
भाभी: हाँ तो फिर दिन भर मशीन चलती है
रत्ना: तेल पानी का टाइम भी न्ही देते...बहुत ठोकू है ये
भाभी: है तो सब एक ही बाप की औलाद
रत्ना: यानी की तुम भी दिनभर
भाभी: अब न्ही बिटिया के होने के बाद से थोड़ा कम किया है न्ही तो ये तो दिन दिन भर बाहर न्ही निकलने देते थे मुझे
रत्ना: हइई.... कैसे भाभी प्लीज़ बताओ...कैसे करते थे....
भाभी: क्या मतलब...कैसे करते थे
रत्ना: क्या वो गंदी शन्दि बातें भी करते है करने के टाइम
भाभी: न्ही करते वक़्त बिल्कुल चुप रहते है
रत्ना: क्या भैया का कही और भी कोई चक्कर है
भाभी: मुझे न्ही लगता ..वो तो मेरे मैं ही जूते रहते है इनके पास फ़ुर्सत कहा है
रत्ना: अक्चा पीछे से भी करवाती होगी तब तो
भाभी: पीछे से.......वो भी कोई जगह है...करवाने की
रत्ना: और क्या मैं तो बहुत मना करती हूँ लेकिन ये कभी न्ही मानते
भाभी : हाए राम...................पीछे से कैसे होता होगा..
रत्ना :आज ट्राइ कर लेना
भाभी: धत्त्त...............

इतने मैं खाना बन कर तैयार हो जाता है . और भाभी खाना लगाने के बाद किचन की सफ़ाई मैं जुट जाती है रत्ना बाहर आकर टेबल पर पानी व्गारह लगाने लगती है सुरेश की पीठ रत्ना की तरफ थी और रत्ना के बिल्कुल सामने रमेश बैठे थे रत्ना ने जानबूझ कर अपपना पल्लू नीचे गिरा लिया ताकि उसके उरजो के दर्शन रमेश को हो जाए और वो उसकी तरफ आकर्षित हो जाए. पानी रखते समय एक बार रत्ना इतना झुकी कि उसकी पूरी ब्रा दिखने लगी लेकिन रमेश ने उधर देखना भी गंवारा न्ही किया पानी लगा कर वो किचन मैं फिर चली गई और भाभी के साथ आई
फिर सब लोग एक साथ खाना खाने बैठ गये.... और खाना खाकर वो दो नो अपपने रूम मैं चले गये सोने के ल्लिइईईई............

भैया भाभी अपपने कमरे मैं सो चुके थे ... सुरेश भी आज दिन मैं ही 2 बार करके कोटा पूरा कर चुका था इसलिए वो भी सो गया था लेकिन नींद रत्ना की आँखो से कोसो दूर थी ..रत्ना के कान बराबर वाले कमरे पर लगे थे कि वाहा क्या हो रहा है लेकिन कोई आहट ना मिलने से वो बहुत खुश नज़र आ रही थी ..10 मिनूट तक छत पर ल्गे पंखे को देखते देखते जब उसकी आँखे तक गई तो बेड से दबे पाँव उठी और दरवाज़ा खोलकर बाथरूम गई वाहा अपनी मूतने की मधुर आवाज़ के साथ उसने पेशाब करना सुरू किया और इस तरह से बैठ गई कि जैसे अभी सुरेश पीछे से आकर उसे पकड़ लेगा और एक बार फिर से मस्ती का खेल स्टार्ट हो जाएगा लेकिन उसका सोचना केवल सोचने तक ही सीमित रहा करीब 10 मिनूट उसी पोज़िशन मैं बैठे रहने के बाद भी सुरेश न्ही आया थोड़ी देर के लिए रत्ना को आश्चर्य हुआ कि आज सुरेश आया क्यों न्ही आज तक एसा न्ही हुआ था कि सुरेश घर पर हो और वो बाथरूम से अकेले ही बाहर निकली हो हालाँकि वो गई तो हमेशा अकेले थी लेकिन आती डबल होकर थी यानी सुरेश के साथ .. लेकिन आज उसे अपपनी "सीटी"[पेशाब के समय निकलने वाली आवाज़] बहुत बुरी लगी थी और उसे बहुत बुरा लग रहा था आज रमेश को देखकर उसकी भावनाए मचल गई थी ..सुरेश उसके लिए मौज़ूद था लेकिन आज उसका दिल सुरेश के लिए तैयार न्ही था लेकिन रमेश के लिए वो तैयार न्ही थी क्योंकि रमेश ने उसे कभी भाव ही न्ही दिया था वो बाथरूम से उठी और बाहर निकली और अपपने कमरे की तरफ बढ़ चली लेकिन रूम खोलने से पहले ही उसके दिल ने उसको अपपने रूम का दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया और वो पलट कर भाभी के रूम की तरफ चली गई .रूम अंदर से बंद था और कोई आवाज़ भी न्ही आ रही थी
 
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