hotaks444
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लेकिन रत्ना के दिल मैं खलबली मची थी उसने की-होल से झाँक कर देखा रमेश और उनकी वाइफ दोनो एक दूसरे के नाज़ुक अंगो पर हाथ रखे हुए सो रहे थे .. रत्ना वो सीन देखकर पसीने पसीने हो गई रमेश का उभार उसके पायजामे से बाहर स्पष्ट दिख रहा था....रत्ना का दिल हुआ कि जाकर अभी उसे पकड़ ले और मसल डाले लेकिन रिश्ते की मर्यादा मैं बँधी हुई थी वो..लेकिन वो वापस आकर अपपने रूम मैं फिर लेट गई ..और अंधेरे मैं देखती हुई अपपनी पॅंटी नीचे खिसका कर अपपनी आँखो मैं रमेश का चेहरा देखने लगी और उंगलिया आराम से अंदर बाहर करने लगी.. ............................................................. थोड़ी देर बाद रमेश उसके कमरे मैं चुपके से आए और वो सो रही थी तभी रमेश ने धीरे से उसकी मॅक्सी को खिसकाया और घुटनो तक ले आए और प्यार से सहलाने लगे सुरेश उसके बगल मैं ही सो रहा था ना जाने कहा से रत्ना अपपने अंदर इतनी हिम्मत महसूस कर रहा थी कि कुछ भी हो जो हो रहा है आज हो जाने दो..... फिर रमेश उठ कर उसके चेहरे के पास अपपना चेहरा लाए और उसके होंठो पर एक हल्का सा किस किया ...लिप्स की गर्मी से रत्ना निहाल हो गई और उसका सोने ना नाटक जारी था ....फिर रमेश की उंगलिया रेंगती हुई उसके गले से होती हुई उसके सीने पर जा टिकी और उसने बड़े आराम से रमेश ने रत्ना के बूब्स दबाने सुरू कर दिए अब रत्ना खुद को रोक न्ही पा रही थी और सोच रही थी आज इस रिश्ते की मर्यादा तार-तार हो जानी चाहिए और खुल कर खेल का मज़ा लेना चाहिए लेकिन नारी सुलभ लज्जा उसे आँखे खोलने से मना कर रही थी... फिर रमेश से एक तेज़ धार ब्लेड निकाला और उसकी मॅक्सी को गले से लेकर पेट तक चीर दिया और उसकी चूचियाँ काली ब्रा मैं क़ैद नुमायन होने लगी काली ब्रा मैं वो गोरी चूचियाँ इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मानो कोई अप्प्सरा सो रही हो फिर रमेश ने अपपने ब्लेड से उसकी ब्रा को भी बीच से काट दिया और इसी के साथ उसकी इज़्ज़त के धागे तार तार हो गये और रमेश ने उन गोरी चूचियों पर रखे गुलाबी दाने को अपपने मूह मैं लगा लिया और चूसने लगा रत्ना के लिए खुद को रोकना नामुमकिन हो गया ... काफ़ी देर चूसने के बाद रमेश ने अपपने हाथ पेट से नीचे योनि प्रदेश की ओर बढ़ाया और अब मॅक्सी उप्पर करने की बजाए अपने तेज़ धार ब्लेड से बीच से ही काट दिया और नीचे उसकी काली पॅंटी दिखने लगी लेकिन अब इसके आगे वो ब्लेड न्ही लगा सकता था क्योंकि ब्लेड उसकी योनि पर भी लग सकता था उसने ब्लेड को साइड मैं रख दिया और अपपनी उंगलियाँ फँसा कर उसकी पॅंटी को नीचे खिसकाने की कोशिश की लेकिन पॅंटी इतनी ज़्यादा टाइट थी कि एक इंच भी नीचे न्ही आई तो रमेश ने उपर से ही उसकी योनि पर हाथ फिराना सुरू कर दिया रत्ना केवल गर्मी से खुद को गीला महसूस कर रही थी तभी उसका हाथ उठा और अपपनी योनि पर चला गया और योनि मसल्ने लगी तभी बिल्ली ने अलमारी मैं रखी काँच की गिलास गिरा दी और उसके टूटने से सुरेश और रत्ना की आँख खुल गई.........
रत्ना: [मन ही मन] लगता है मैने सपना देखा था उउफफफफफफ्फ़ क्या ये सच हो सकता है ...सपने मैं तो बहुत डेंजर पेश आ रहे थे देख लूँगी तुम्हे भी जेठ जी ....जिस दिन मौका लगा तुम्हारा रस भी ज़रूर पीउँगी मैं.....न्ही तो मैं तुम्हारी बहू नही............
रत्ना: [मन ही मन] लगता है मैने सपना देखा था उउफफफफफफ्फ़ क्या ये सच हो सकता है ...सपने मैं तो बहुत डेंजर पेश आ रहे थे देख लूँगी तुम्हे भी जेठ जी ....जिस दिन मौका लगा तुम्हारा रस भी ज़रूर पीउँगी मैं.....न्ही तो मैं तुम्हारी बहू नही............