hotaks444
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अंजानी डगर पार्ट--10 गतान्क से आगे.................... रश्मि ने ब्लॅक कलर की सही साइज़ की ब्रा पहन तो ली थी पर ये ब्रा नॉर्मल ब्रा नही थी, ये लो नेक लाइन ब्रा थी. (इस टाइप की ब्रा लॅडीस तब पहनती है जब उन्हे डीप नेक ब्लाउस पहनना हो और ज़्यादा क्लीवेज दिखानी हो). रश्मि के आधे से ज़्यादा बूब्स ब्रा के बाहर दिख रहे थे. पर रश्मि शायद ये नही जानती थी. इस ब्रा मे रश्मि का सौन्दर्य निखर कर सामने आ रहा था. उसका चेहरा सावला ज़रूर था पर मम्मे एक दम दूधिया रंग के थे. सलवार भी नाभि से 2 इंच नीचे बढ़ी थी. कुल मिलकर रश्मि की जाँघो के उपर का ज़्यादातर हिस्सा अपने दर्शन दे रहा था. इस खूबसूरत नज़ारे को देख कर कोई भी बहक जाता तो मेरे बेचारे कुंवारे दोस्त की क्या ग़लती. बबलू इन दर्शनो से निहाल हुआ जा रहा था. वो पूरी तरह सेक्स के सागर मे डूब चुका था. आँखो ही आँखो मे वो रश्मि के हर अंग का नाप ले रहा था. मस्टेरज़ी के जाने के बाद बबलू और रश्मि वाहा पर अकेले थे. रश्मि बिल्कुल बिंदास सीना ताने खड़ी थी और बबलू रश्मि की क्लीवेज की गहराई मे जाने क्या ढूँढ रहा था. रश्मि भी समझ गयी थी कि बबलू का ध्यान कहा है पर वो चुप ही रही. पर कुछ देर बाद उसके सबर का बाँध टूट गया और झल्ला कर बोली- ओ श्याने. रात तक मैं ऐसे ही खड़ी रहने वाली नही है. कुछ करना है तो कर नही तो मैं चली. बबलू इस से अचानक झटका सा खा गया. उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे. वो बेखायाली मे आगे बढ़ा और उसके हाथो ने ब्रा के उपर से रश्मि के दोनो बूब्स को पकड़ लिया. बबलू का दिमाग़ अपने वश मे नही था. वो तो पूरी तरह कामदेवजी का गुलाम हो चुका था. कभी कोई मरा कबूतर ना पकड़ सकने वाले बबलू ने आज जीते-जागते भारी भरकम कबूतर पकड़ रखे थे. पर रश्मि बबलू की इस हरकत से सहम सी गयी थी. उसे इस बात की सपने मे भी उम्मीद नही थी. उसके मूह से आवाज़ नही निकल पा रही थी पर फिर भी वो जैसे-तैसे बोली- ये...ये क...क..या....है. पर बबलू पर इसका उल्टा ही असर हुआ. उसने अपना दाया हाथ रश्मि की ब्रा मे डाल दिया. रश्मि बबलू को रोकना चाहती थी पर पता नही किस शक्ति ने उसके हाथ जाकड़ लिए थे. बबलू का हाथ रश्मि की ब्रा मे ऐसे घूम रहा था जैसे उनकी पैईमाश कर रहा हो. कभी वो एक बूब को पकड़ता तो कभी दूसरे को. रश्मि के बूब्स बड़े ही नही एकदम सख़्त भी थे. थोड़ी ही देर मे रश्मि की ब्रा के अंदर का एक-एक इंच जगह पर बबलू का हाथ कई-कई बार सैर कर चुका था. रश्मि बबलू के सामने असहाए खड़ी थी. उसके मूह से बोल नही निकल रहे थे. जैसे-तैसे उसने अपने हाथो से बबलू के हाथ पकड़ने चाहे. उसके हाथ बबलू के हाथो को हटाने की कोशिश ज़रूर कर रहे थे पर उनमे ज़रा भी इक्चाशक्ति नही थी. बबलू के लिए ये सब बिल्कुल नया सा था. पर सब कुछ अपने आप हो ही रहा था. उसने रश्मि का एक बूब ब्रा से बाहर निकाल लिया. रश्मि के निप्प्प्ल एकदम कड़े हो चुके थे. निपल को देखते ही बबलू की जीभ अपने आप बाहर निकली और निपल को छेड़ने लगी. अब तो रश्मि के बहकने की बारी थी. पता नही कैसे उसके हाथो ने बबलू के सिर को पकड़ लिया और उसके सिर को रश्मि के बूब पर दबाने लगे. आख़िरकार बबलू का मूह रश्मि के बूब मे धँस गया और बबलू ने निपल मूह मे ले लिया. एक बार निपल मूह मे आने के बाद तो बबलू जैसे भूखा बच्चा बन गया. वो निपल को बुरी तरह चूसने लगा जैसे उसमे से दूध निकाल कर ही मानेगा. पर एक कुँवारी लड़की के निपल चूसने से दूध नही रस निकलता है वो भी नीचे वाली गली से. रश्मि मदहोश होती जा रही थी. एक अंजान लड़का, जो आज पहली बार मिला है, मिलने के 1 घंटे के अंदर उसे नंगा देख चुका है और अब उसका बूब बाहर निकाल कर बुरी तरह चूस रहा है. और वो कुछ नही कर पा रही, बल्कि उसे इसमे मज़ा आ रहा था. उसके मूह से सिसकारिया फूट रही थी. ये सिसकारिया आग मे घी का कम कर रही थी. बबलू ने रश्मि का दूसरा बूब भी बाहर निकाल लिया और वैसे ही चूसने लगा. रश्मि के बूब्स बबलू की हथेलियो से काफ़ी बड़े थे पर फिर भी वो पूरी तरह मैदान मे डटा हुआ था. वो उसके बाए बूब को चूस रहा था और उसका बाया हाथ उसके दाए बूब को मसल रहा था. थोड़ी देर बाद बबलू के हाथ और मूह ने जगह बदल ली. पर कामदेवजी का काम जारी था. करीब 10 मिनिट तक अपने बूब्स की जोरदार सेवा करवा लेने के बाद रश्मि की चूत मे जैसे बवाल मच गया था. इधर बबलू का लंड भी बुरी तरह अकड़ चुका था. टट्टो मे भयंकर दर्द हो रहा था. ना चाहते हुए भी रश्मि अब गरम हो चुकी थी. ना चाहते हुए भी उसकी चूत से पानी रिस रहा था. ना चाहते भी उसकी बाई टांग दाई को मसल रही थी कि दोनो के जोड़ पर थोड़ी राहत मिल जाए, पर इससे तो आग भड़कती जा रही थी. कुल मिलाकर रश्मि अब बबलू की गुलाम बन चुकी थी. वो जो चाहता रश्मि करने को तैय्यार थी. जालिम नीचे की मंज़िल पर कब आएगा. आग तो निचली मंज़िल पर लगी थी और ये कमीना तो बस उपर ही लगा हुआ था. रश्मि ने बबलू का एक हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के उपर ही चूत पर रगड़ दिया. इतना करना था कि रश्मि की टाँगो ने जवाब दे दिया और वो ज़मीन पर घुटनो के बल ढेर हो गयी. अब बबलू की पॅंट का उभार रश्मि के मूह के सामने था. रश्मि ने बबलू की पॅंट की ज़िप को खोल दिया और अंदर हाथ डाल दिया. रश्मि के हाथो का स्पर्श पाते ही बबलू के लंड को राहत मिलने लगी. रश्मि का हाथ बाहर आया तो एक 10 इंच का काला नाग निकल लाया जो बाहर आते ही फुफ्कारने लगा. रश्मि उसको देखते पागल सी हो गयी. वो खुद को रोक ना सकी और.. नीचे मस्टेरज़ी का की दोस्त मिलने आया हुआ था. मस्टेरज़ी- अरे निशा मैं ज़रा 10 मिनिट मे आता हू. निशा- जी. मस्टेरज़ी- मैं उस नये रंगरूट को ट्रैनिंग के लिए उपर छोड़ कर आया हू. उसका ध्यान रखना. रश्मि भी वही है. निशा- जी मैं देख लूँगी. ये कह कर मस्टेरज़ी अपने दोस्त के साथ बगल वाले रेस्टोरेंट मे चले गये थे. निशा ने भी अपना अकाउंट्स का काम निपटा लिया था. उसने कंप्यूटर स्क्रीन पर सीक्ट्व का फीड ऑन कर दिया. पूरे बुटीक मे हर कमरे मे सीक्ट्व कॅमरा लगे हुए थे. यहा तक की ट्राइ रूम मे भी. कुछ ही देर मे मस्टेरज़ी के कमरे का सीन निशा के सामने था. रश्मि एक सेक्सी ब्रा मे बबलू के सामने खड़ी थी. निशा के चेहरे पर कातिल मुस्कान तेर गयी. निशा की आगे क्या होता है यह देखने की उत्सुकता बढ़ गयी. और उसे निराश नही होना पड़ा. उसके बाद जो कुछ हुआ, निशा ने पूरे सीन का लाइव टेलएकास्ट देख लिया था. ऐसे सेक्सी सीन को देख कर निशा के शरीर मे भी उत्तेजना भरने लगी. आख़िर वो भी तो एक कुँवारी लड़की थी. बबलू के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे. उधर रश्मि गिरी कि इधर मस्टेरज़ी ने बूटीक का दरवाजा खोला. निशा (मन ही मन)- आ गयी केबाब मे हड्डी. मस्टेरज़ी उपर पहुच गये तो सब कबाड़ा हो जाएगा. इनको तो यहा से भगाना पड़ेगा. निशा- मस्टेरज़ी. प्लीज़ इधर आना. मस्टेरज़ी- क्यो मेरी आरती उतारनी है. निशा बात तो मस्टेरज़ी से कर रही थी पर उसकी नज़रे बार-बार कंप्यूटर स्क्रीन पर जा रही थी. अब रश्मि ने बबलू की चैन खोल ली थी. निशा- मस्टेरज़ी. एक काम कर दो ना प्लीज़. मस्टेरज़ी- बोल. निशा- मस्टेरज़ी कुछ समान मंगाना है. मस्टेरज़ी- मैं कोई तेरा नौकर हू. निशा- अब ये क्याबात हो गयी. इतने प्यार से कह रही हू ला दो ना. प्लीज़. मस्टेरज़ी- तू ऐसी बाते करके मेरा बॅंड बजवाती है. बोल क्या लाना है ? निशा- कुछ नही बस एक कॉंडम का पॅकेट ला दो ना प्लीज़. उधर रश्मि ने बबलू की पॅंट मे अपना हाथ डाल दिया था और निशा को जल्दबाज़ी मे और कुछ नही सूझा. मस्टेरज़ी- क्या ला दू. (मस्टेरज़ी भी भूचक्के रह गये थे, उन्हे अपने कानो पर विश्वास नही हुआ) निशा- मस्टेरज़ी. वो केमिस्ट की दुकान एक कामसुत्रा कॉंडम का पॅकेट ला दो ना प्लीज़. ये लो 100 रुपये. मस्टेरज़ी- तेरा दिमाग़ खराब हो गया है क्या ? मैं बुड्ढ़ा कॉंडम लेता अच्छा लगूंगा. और तेरी तो शादी भी नही हुई है. तुझे कॉंडम क्यो चाहिए ? निशा- आप ज़्यादा सवाल मत करो. ये बताओ लाओगे या नही. मस्टेरज़ी- अच्छा बाबा. लाता हू. पर जो लाना है लिख कर देदे. निशा- ये लो. क्रमशः..........