Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - Page 37 - SexBaba
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Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

लेकिन भाई तू ये सब इतनी जल्दी जैसे करेगा,,,क्या कोई प्लान है तेरे दिमाग़ मे सुरेश के बाप से इस बारे
मे बात करने का या कोई दूसरा ही प्लान है तेरे दिमाग़ मे ,,शैतानी प्लान,,,,,वो थोड़ा खुश होके बोला
क्यूकी उसको पता है मुझे जानभूज कर गान्ड पंगा लेने की आदत जो है,,,,

हाँ भाई एक प्लान तो है लेकिन देखते है कितना कामयाब होता है,,,,अगर कामयाब हुआ तो समझ ले तेरी
शादी जल्दी ही हो जाएगी रितिका से,,,तू बस बॅंड बाजा तैयार रखना,,,,

मैने इतना बोला तो करण खुश हो गया लेकिन मैं सोच मे पड़ गया कि इसको सपना तो दिखा दिया है
रितिका से शादी का लेकिन उस सपने को हक़ीक़त का रूप कैसे दे सकता हूँ मैं,,,

फिर कुछ देर बाद मैं करण के घर से निकल पड़ा,,,,अलका ऑर शिखा तो मुझे रात रोकना चाहती थी
वहाँ लेकिन मैं नही रुका ऑर चला आया वहाँ से,,,,

घर आते आते मैं यही सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि अब आगे करना क्या है,,,इतनी टेन्षन थी
मेरे दिमाग़ मे,,,लेकिन जैसे ही घर पहुँचा तो देखा घर के अंदर कविता की अक्तिवा खड़ी हुई थी
जिसको देख कर मेरी आधी टेन्षन ख़ात्म हो गई,,,,ऑर बाकी की आधी अंदर जाके कविता को देख कर हो जानी
थी,,,,,


बेल बजाने पर माँ ने दरवाजा खोला,,,,,मैं अंदर गया ऑर सीधा उपर रूम मे जाने लगा ,,माँ भी
मेरे साथ साथ उपर की तरफ आ रही थी,,,,मैं जैसे ही उपर पहुँचा तो देखा कि सोनिया के रूम का
दरवाजा खुला हुआ था ऑर अंदर बेड पर सोनिया ऑर कविता बैठी हुई थी,,,,,

मैं अंदर घुसा तो कविता ने मुझे हाई बोला ऑर मैं भी उसको हेलो बोला ,,इतने मे माँ भी रूम
मे आ गई,,,,,

कविता बेटी डिन्नर मे 2 सब्जी बना रही हूँ ,,,दाल खानी है तो बता दो वो भी बना दूँगी,,,,,

नही आंटी जी सब्जी ही ठीक है,,,,,,,

ठीक है बेटा,,,,,

तभी माँ नीचे जाने लगी तो कविता ने माँ को आवाज़ लगा दी,,,,,आंटी जी रुकिया एक मिंट,,,,,

माँ रुक गई,,,,हां बोलो बेटी,,,,,

आंटी जी सोनिया के रूम मे चादर ही पड़ी है ,,आज कल रात को ठंड होने लगी है अगर आप एक
कंबल दे देती तो,,,,

अरे हाँ माँ मैं भी आपको बोलने वाली थी कि रात को अब ठंड होने लगी है मुझे भी एक कंबल
दे देना,,,

अच्छा बेटी नीचे 2 कंबल निकाल देती हूँ डिन्नर करने आओगी तो लेती आना,,,,

कविता बोली,,,,,ठीक है आंटी जी,,,,,,

तभी पीछे से सोनिया भी बोली,,,,,,,,,,ओके मोम,,,,,

फिर माँ नीचे चली गई,,,,

मालकिन जी आज रात आप यहीं रुकने वाली हो क्या,,,,मैने मज़ाक मज़ाक मे कविता को बोला,,,,

हाँ रुकने वाली है तुझे कोई प्रोबलम है क्या ब्लॅकी,,,ये बात सोनिया ने बोली तो कविता हँसने लगी,,

तुझे किसी ने पूछा क्या,,मैं कविता से बात कर रहा हूँ तू बीच मे अपनी चोंच मत घुसाया
कर,,,मैने चिड़ते हुए सोनिया से बोला,,,,

अरे बाबा तुम लोग फाइट मत शुरू करना ,,ये बात कविता ने हम दोनो को चुप करवाते हुए बोली,,,

हां सन्नी आज रात मैं यहीं रुकने वाली हूँ,,,,सोचा क्यूँ ना सोनिया के साथ मिलकर नेक्स्ट एग्ज़ॅम की
तैयारी करलूँ,,,,क्यू मेरे यहाँ रुकने से तेरे को कोई प्रोबलम है क्या सन्नी,,

नही नही मालकिन जी मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था,,,,,,,आपका घर है जब तक दिल करे रूको,,,,

मैने इतना बोला ऑर अपने कुछ कपड़े लेके वहाँ से शोबा के रूम मे चला गया ऑर फ्रेश होके बाहर
आ गया ,,,तभी रूम के बाहर मुझे सोनिया मिल गई,,,,

तुझे कोई प्रोबलम है क्या कविता के यहाँ रुकने से,,,ये बात सोनिया हल्के गुस्से से बोल रही थी,,,,
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया ऑर ऐसे बिहेव करने लगा कि मुझे उस से कोई बात नही करनी,,

उसने फिर से वही बात पूछी मेरे से,,,,,तो मैने बिना कुछ बोले ना मे सर हिला दिया ऑर उसको बता
दिया कि मुझे कविता के यहाँ रुकने से कोई प्रोबलम नही है,,,,

तभी वो मेरे करीब आई,,,,,ये अच्छी बात है क्यूकी वैसे भी वो तेरी हेल्प के लिए यहाँ रुकी है,,,

मैं थोड़ा हैरान होके,,,,,मेरी हेल्प,,,कैसी हेल्प,,,,

मेरे साथ तो तूने एग्ज़ॅम की तैयारी करनी नही है सन्नी ऑर ना ही मुझे तेरे साथ बैठ कर स्टडी करनी
है,,,ऑर बिना मेरी हेल्प के तेरा पास होना मुश्किल है ऑर तेरी वजह से मैं अपना अक्तिवा नही मिस करना
चाहती इसलिए मैने कविता को यहाँ रोक लिया है ताकि तेरी कुछ हेल्प कर सके वो,,,,आज रात वो तेरी हेल्प
करेगी स्टडी मे,,,,ऑर उसके साथ होने पर मुझे तेरे से कोई टेन्षन नही होगी ऑर ना ही उसके साथ होने
पर तू अपनी कोई घटिया हरकत कर सकता है मेरे साथ,,,,,,,,,,,,,,,,

सोनिया ने इतना कुछ गुस्से मे एक ही साथ बोला ऑर वापिस अपने रूम मे चली गई,,,,


मैं शोबा के रूम मे चला गया ऑर बाथरूम मे घुस गया

डाइनिंग टेबल पर जब डॅड को भी पता चला कि कविता आज रात यहीं रुकने वाली है तो वो भी खुश थे
क्यूकी वो चाहते थे कि मैं उन लोगो एक साथ मिलकर स्टडी करूँ ऑर नेक्स्ट एग्ज़ॅम की तैयारी अच्छे से करूँ,,


डिन्नर के बाद मैं सोनिया के रूम मे गया तो सोनिया ऑर कविता मेरे से पहले डिन्नर करके वापिस रूम
मे आके स्टडी करने लगी थी,,,,सोनिया ऑर कविता सोनिया के बेड पर कंबल टाँगों पर लेके आराम से बैठ
कर स्टडी कर रही थी ऑर हल्की हल्की बात-चीत भी,,,,मैं भी रूम मे गया ऑर जाके अपने बेड पर बैठ
गया ऑर बुक निकाल कर स्टडी करने लगा,,,

मैं अपने बेड पर था ऑर वो दोनो साथ वाले बेड पर,,,,कविता मेरी हेल्प कर रही थी लेकिन बार बार जब
मैं उसको कोई सवाल करता तो वो मेरी बुक पर देख कर मुझे उस सवाल का जवाब देने लगती ऑर सब कुछ
समझाने लगती,,,,उसको मेरी बुक देखने के लिए आगे की तरफ झुकना पड़ता ऑर मुझे भी अपनी बुक उसके
करीब करनी पड़ती जिस वजह से मुझे भी उसकी तरफ झुकना पड़ता,,,,हम दोनो के बेड मे करीब 3 फीट
का फाँसला था,,,,

अरे बार बार मुझसे नही होता इतनी दूर से ये सब,,,तुम यहीं आ जाओ इस बेड पर सन्नी,,,कविता ने थोड़ा
तंग होते हुए बोला,,,वो बार बार मेरी तरफ झुक झुक कर तंग हो गई थी,,,,

नही नही,,,ये इस बेड पर नही आएगा ,,,,सोनिया ने एक दम से कविता की बात ख़तम होने से पहले ही
बोला,,,

मुझे भी नही आना तेरे गंदे बेड पर,,,मैने भी सोनिया को चिड़ाते हुए जवाब दिया,,,,इस गंदे बेड पर
बैठने से अच्छा है मैं नीचे ज़मीन पर बैठ जाउ,,,,

मेरी बात पर ऑर हम दोनो की फाइट पर कविता हँसने लगी,,,,,,,,,,,ओके बाबा तुम मत आओ यहाँ ,,,मैं आती
हूँ तुम्हारे पास,,,,कविता एक दम से हँसते हुए ये सब बोल गई ऑर तभी सोनिया ने उसकी तरफ गुस्से से
देखा ,,,,

अरे अब मेरी तरफ गुस्से से क्यूँ देख रही हो,,,खुद उसकी हेल्प नही करती तुम ऑर मुझे उसकी हेल्प के लिए
यहाँ रोक लिया है,,,,अब जब मैं उसकी हेल्प करने लगी हूँ तो फिर भी तुम गुस्सा कर रही हो,,,अब
मेरे से बार बार ऐसे झुक कर बात नही की जाती,,,या तो उसको इस बेड पर आने दो या मुझे जाना होगा
वहाँ नही तो बेड को खींच कर थोड़ा करीब कर्लो,,,,

नही मुझे अपने बेड को इसके बेड के करीब भी नही करना,,मेरा बेड तो इसके बेड से जितना दूर रहे
उतना अच्छा है,,,ये बात फिर सोनिया ने बोली ,,,वो भी गुस्से से,,,,,

तो ठीक है फिर मैं जाती हूँ उसके बेड पर,,,,,कविता ने इतना बोला तो मेरा दिल खुश हो गया लेकिन
सोनिया उसको गुस्से से देखने लगी ऑर बोली,,,,,,,ठीक है तुझे जाना है तो जा ,,मुझे क्या,,,,

कविता उठी ऑर मेरे बेड पर आ गई मैने उसके लिए जगह बना दी ऑर खिसक कर एक तरफ हो गया,,,उसने
बेड पर आते टाइम अपना कंबल भी उठा लिया था फिर मेरे साथ बैठ कर अपनी पीठ बेड की दीवार से
लगा कर टाँगों को घुटनो से मोड़ कर बैठ गई ऑर टाँगों पर कंबल भी ले लिया,,,मैं बिना कंबल
के उसके पास ही बैठ हुआ था,,,,मेरा ऑर सोनिया का बेड 4 बाइ 6 फीट का था,,,,कविता ऑर मैं इतने पास
पास बैठे हुए थे कि हम दोनो की बीच बस कुछ ही दूरी थी,,,

मेरी तो हालत खराब थी अगर इस टाइम सोनिया नही होती रूम मे तो मैं पक्का इसको पकड़ लेता ऑर किस
कर देता,,,,लेकिन कविता को कुछ भी नही हो रहा था वो तो चुप चाप स्टडी करने मे बिज़ी थी,,,ऑर उधर
सोनिया भी,,,,इसलिए मैने भी अपना ध्यान स्टडी पर ही लगा कर रखा ऑर स्टडी करता रहा,,,,लेकिन जब भी
मैं कविता से कुछ पूछता ऑर वो मुझे जवाब देती तो वो मेरे बहुद करीब आ जाती ऑर मुझे जवाब
देते टाइम शरमाने लगती,,,,उसकी यही अदा मुझे पागल कर रही थी,,,,,ये बात उसको भी पता चल गई थी
लेकिन फिर भी वो स्टडी की तरफ ही ज़्यादा ध्यान दे रही थी शायद वो भी सोनिया की वजह से डरी हुई थी,,

हम लोगो को रात स्टडी करते हुए करीब 2 बज गये थे तभी मुझे हल्की हल्की नींद आने लगी ऑर मैं
बेड पर लेट गया,,लेकिन कविता ने मुझे उठने को बोला,,,,

ओये ब्लॅकी अभी नही सोना इतनी जल्दी,,,,चल उठ ऑर स्टडी कर,,,,कविता हँसते हुए बोली,,,,

अरे मेरी माँ मैं सो नही रहा बस पीठ मे दर्द होने लगा है तो पीठ सीधी करने के लिए कुछ देर
लेटना चाहता हूँ,,,मैने इतनी बात बोली तो कविता हँसने लगी ऑर साथ मे सोनिया भी,,,,उन दोनो को पता
था कि मैं अगर गेम खेलता रहूं तो पूरी रात नही थकता लेकिन स्टडी के टाइम मैं कुछ ही देर मे
थक जाता हूँ,,,,,

ठीक है ब्लॅकी कुछ देर आराम करले लेकिन सोना नही वर्ना मुँह पर पानी मार कर उठा दूँगी तुझे,,,
कविता ने इतनी बात मज़ाक मे बोली,,,

ओके नही सोता मालकिन जी लेकिन थोड़ी देर लेट तो सकता हूँ ना,,,,,मैने इतना बोला ऑर लेट गया,,,,लेकिन पता
नही चला कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं नींद मे सपने देखने लगा,,,


मैं शायद कविता के इतना करीब होके सो रहा था इसलिए सपने मे भी मुझे कविता ही नज़र आ रही
थी ऑर वो भी उतनी ही करीब जितनी करीब वो बैठी हुई थी,,,सपने मे मैं बेड पर लेटा हुआ था ऑर
कविता मेरे करीब थी,,,,कुछ देर बाद वो भी शायद थक गई थी इसलिए लेट गई ,,,वो मेरे साथ ही लेट
गई थी मेरे बहुद करीब होके ,,वो इतना करीब थी कि उसका फेस मेरे फेस से बस 5-6 इंच दूर था '
मुझे उसकी साँसे अपने होंठों पर महसूस हो रही थी,,,गर्म ओर बहुद मद-होश करने वाली एक
मस्त खुश्बू आ रही थी उसकी सांसो से जो मुझे भी मस्त करने लगी थी,,,वो खुश्बू मेरी नाक
से बहती हुई मेरे एक एक अंग तक पहुँच रही थी ऑर मेरा हर एक अंग उस महक से अजीब सी मस्ती मे डूबता
जा रहा था ऑर उसी मस्ती मे डूबता हुआ मैं पता नही कब उसके करीब हो गया पता तो तब चला जब
मेरे होंठ उसके होंठों से टच हुए थे,,,,उसके सॉफ्ट होंठों का टच उस मस्ती को ऑर भड़काने
लगा था जो उसकी मदहोश सांसो की वजह से पैदा हो रही थी पूरे जिस्म मे,,ऑर पता नही कब मैने
हिम्मत करके अपने होंठों को खोला ऑर उसके एक होंठ को अपने होंठों मे भरने की कोशिश करने
लगा लेकिन उसने अपने लिप्स को थोड़ा सा भी नही खोला था ,,मैने बहुत कोशिश की उसके लिप्स खोलने की
लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ ,,,तभी ना जाने कब मेरा एक हाथ उसकी कमर पर चला गया,,,,उसने एक ढीला
सा कुर्ता पहना हुआ था जो उसकी कमर से थोड़ा उपर उठा हुआ था,,ऑर मेरा हाथ उसी कुर्ते की वजह से
नगी हुई कमर पर रखा गया था,,,मेरा हाथ उसकी कमर पर जैसे ही उसको महसूस हुआ उसकी कमर
ने एक हल्की सी लहर के साथ हिलाना शुरू कर दिया,,,मेरा हाथ भी उस हिलती कमर पर हल्के से हिलने लगा
जिस से मेरा खुद पर क़ाबू करना मुश्किल हो गया ऑर मेरा हाथ उसकी कमर पर अच्छी तरह से जकड़ा गया
ऑर मैने एक बार कस्के उसकी कमर को दबा दिया जिस से उसके मुँह से हल्की अह्ह्ह्ह निकल गई ,,,ये तो पक्का
था उसको हल्का दर्द हुआ था ऑर दर्द की वजह से उसके मुँह से आह निकल गई थी लेकिन मेरे लिए इतना ही
काफ़ी था कि उसके होंठों मे थोड़ी से जगह बन गई थी मेरी ज़ुबान के लिए ऑर मैने जल्दी से अपनी ज़ुबान
को उसने लिप्स से अंदर की तरफ घुसा दिया ऑर अपनी ज़ुबान को उसके उपर वाले लिप्स की तरफ मोड़ कर उसके
दांतो को महसूस करते हुआ फिर ज़ुबान को उसके मुँह मे घुसा दिया,,,
 
तभी उसकी कमर पर मेरा हाथ हल्के से उपर की तरफ बढ़ने लगा उसने मुझे नही रोका शायद वो फिर
सो गई थी मेरे सपने मे,,,मेरा हाथ पूरी आज़ादी से उसकी कमर से होता हुआ उपर की तरफ बढ़ने लगा और
पल भर मे मेरा हाथ उसके पेट पर उसके बूब्स के पास पहुँच गया था,,,,मेरी उंगलियाँ अब उसकी
ब्रा को टच होने लगी थी,,और साथ ही उसकी हार्टबीट तेज होने लगी थी,,इधर मेरी ज़ुबान ने उसके मुँह
मे घुसके उसके मुँह को अंदर से अच्छी तरह से हर तरफ से महसूस करना और टच करना शुरू कर
दिया था,,अब तो उसका एक होंठ भी मेरे होंठों मे आ गया था जिसको मैने हल्के हल्के चूसना शुरू
कर दिया था,,,मेरे हाथ की उंगलियाँ ब्रा के निचले हिस्से पर टच हो रही थी जो मुझे पागल कर रही
थी और शायद मेरे पागलपन को बढ़ा भी रही थी इसलिए मेरा हाथ उपर की तरफ बढ़ने लगा और मैने
हल्के से आगे बढ़ते हुए उसके एक बूब को हाथ मे पकड़ लिया था,,,,उसका छोटा सा बूब मेरे हाथ मे
पूरा आ गया था ,,मैने उसके बूब को हाथ मे लेके हल्के से दबा दिया और तभी उसने अपने मुँह को
खोला और मेरे लिप्स पर किस करने लगी ,,मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नही रहा और मैने हल्के से उसके
बूब को फिर से दबा दिया ,,तभी मैने उसकी ब्रा के उपर वाले हिस्से मे अपनी एक उंगली अटका दी फिर उसकी
ब्रा को हल्का नीचे करने की कोशिश करने लगा ,उसकी ब्रा ज़्यादा टाइट नही थी जो आराम से नीचे की तरफ
खिसकने लगी,,उसके बूब्स बहुत छोटे थे और टाइट भी शायद इसी वजह से वो टाइट ब्रा नही पहनती थी,,
उसके बूब को मैं एक तरफ से नंगा करने की कोशिश कर रहा था जबकि बूब्स दोनो तरफ से नंगे हो
गये थे,,,,लेकिन उसकी ब्रा हल्का हल्का उपर खिसक रही थी तभी उसने जल्दी से अपनी ब्रा को नीचे से उपर
उठा दिया,,मुझे एक दम से झटका लगा जब उसने ऐसा किया तो,,,उसने खुद अपनी ब्रा को उपर कर दिया था
जिस से उसके दोनो बूब्स नंगे हो गये थे,,बूब्स नंगे होते ही मैने उसके कुर्ते को भी उपर उठा दिया
लेकिन तभी उसने कुर्ते को वापिस नीचे कर दिया और मैने भी दोबारा से कुर्ते को उपर नही किया बस ऐसे
ही उसके बूब्स को हल्के हल्के मसल्ने लगा,,उसके बूब्स छोटे थे और बहुत बढ़िया शेप मे थे ,,अभी
वो छाती से निकल कर बाहर झाँकने लगे थे लेकिन उम्र के हिसाब से थोड़ा आकार ले चुके थे,,मैने
बूब्स को सहलाना शुरू किया और उसको किस करता रहा तभी मैने बूब्स से हाथ उठा लिए और नीचे उसकी
'चूत की तरफ बढ़ने लगा,,,,उसको भी पता लग गया था शायद तभी वो मेरा हाथ पकड़ने लगी लेकिन तब
तक बहुत देर हो गई थी मेरा हाथ उसकी चूत के उपर तक पहुँच गया था और जैसे ही मैने उसकी चूत
पर हाथ रखा उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और तभी मुझे झटका लगा,,,उसने हाथ को अपनी चूत से हटाया
नही बल्कि अपने दोनो हाथों से पकड़कर मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबा दिया और मेरे कुछ करने
से पहले मेरे हाथ को अपने हाथों मे पकड़कर अपनी चूत पर सहलाने लगी,,,,मेरा हाथ उसकी चूत
पर उपर नीचे होने लगा ,,मेरा दिल किया कि मैं एक उंगली कपड़ों के उपर से भी उसकी चूत मे घुसा
दूं लेकिन उसने मुझे ऐसा नही करने दिया और खुद मेरे हाथ को अपने हाथों से अपनी चूत पर उपर
से नीचे तक घिसने लगी,,,इसी दौरान उसकी किस करने की स्पीड तेज और अंदाज़ बहुत मस्ती भरा हो गया था


कुछ देर हम ऐसे ही किस करते हुए एक दूसरे के होंठों का स्वाद लेते रहे और मेरा हाथ उसके हाथों
मे उसकी चूत पर घिसता रहा फिर मैने अपनी उंगली को चूत मे घुसाने की कोशिश की तभी उसने मेरे
हाथ को उल्टा कर दिया जिस से मेरा हाथ का पिछला हिस्सा उसकी चूत पर घिसने लगा,,,मैं समझ गया कि ये
मुझे चूत मे उंगली नही करने देगी लेकिन मैं उसकी ऊट को अंदर से महसूस करना चाहता था,,

क्यूकी अभी भी मेरा उल्टा हाथ उसकी चूत को सहला रहा था वो भी कपड़ो के उपर से,,मैं एक बार बस
एक उंगली उसकी चूत मे घुसा देना चाहता था उसकी चूत को महसूस करना चाहता था लेकिन वो मुझे
ऐसा नही करने दे रही थी,,,,तभी मैने उसके लिप्स से अपने लिप्स अलग किए और अपने लिप्स को उसकी गर्दन पर
रख दिया और गर्दन को शोल्डर के पास से किस करने लगा,,,मैं काफ़ी देर से अपने उल्टे हाथ से उसकी
चूत को घिस रहा था और मुझे हल्का मज़ा भी आ रहा था लेकिन मुझे गुस्सा भी आ रहा था एक तो
मेरा हाथ उल्टा और दूसरा मेरा हाथ उसके हाथों मे और वो भी कपड़ो के उपर से,,,तीसरा वो मुझे एक भी
उंगली अंदर नही करने दे रही थी,,,,मुझे 8-10 मिनट हो गये थे ऐसे ही फिर मुझसे रहा नही गया
और मैने गुस्से मे हल्के दाँत लगा दिए उसके शोल्डर पर तभी अपने हाथ को सीधा करने की कोशिश
की लेकिन तभी उसने अपने हाथों मे कस के मेरे हाथ को पकड़ा और तेज़ी से अपनी चूत पर घिस्सने लगी,,
मुझे और भी गुस्सा आ गया वो खुद मज़ा ले रही थी लेकिन मुझे मज़ा नही दे रही थी मेरा लंड भी हाथ
मे नही पकड़ा था उसने,,,एक बार भी हाथ नही लगाया था मेरे लंड पर,,,मुझे इतना गुस्सा आया कि मैने
उसने शोल्डर के थोड़े से हिस्से को अपने मुँह मे भर लिया और ज़ोर से उसको काट दिया तभी उसने एक हाथ
से मेरे सर को पकड़ा और मेरे बलों को नोचते हुए मेरे सर को अपने शोल्डर पर ज़ोर से दबा दिया और
तभी मुझे उस हाथ पर हल्की हल्की नमी महसूस होने लगी जो हाथ उसको चूत पर था,,,मेरा हाथ
थोड़ा गीला हो गया था और उसका पयज़ामा और पेंटी भी,,उसकी चूत ने पानी बहा दिया था और यहाँ मैने
उसके शोल्डर पर किस करते हुए ज़ोर से काट दिया था,,उसने जल्दी से मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया
और मेरे सर को भी अपने से दूर कर दिया,,,और जल्दी से मेरे से दूर हटके करवट बदलकर सो गई थी
,,,,,

मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था उसपर ,,वो खुद तो हल्की हो गई थी लेकिन मैं अभी तक भरा बैठा हुआ
था,,,अब मैं हल्का होने के लिए कुछ कर भी नही सकता था क्यूकी वो डोर हटके सो गई थी,,,,मैं भी
गुस्से मे करवटें लेके दूर होके सो गया,,,,,,,,,,,मुझे सोते हुए भी गुस्सा आ रहा था साली ने सोते हुए
सपने मे भी मुझे तंग कर दिया था,,,,खैर मैं सोता रहा,,,,,,,

सुबह अलमारी खुलने की आवाज़ के साथ मेरी आँख खुली ,,मैने देखा कि सोनिया अपनी अलमारी से कुछ कपड़े
निकाल रही थी,,,,,मैने आँख खोली और उसकी तरफ देखा तो उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा ,,,,साला मुझे
पता नही कि इस लड़की को हुआ क्या है साली सुबह उठते हुए ही मुझे गुस्से से क्यू देख रही है ये,,,तभी
मुझे महसूस हुआ कि मेरे पेट पर कुछ वजन पड़ा हुआ था,,,मैने पेट पर देखा तो किसी का हाथ
था तभी मेरी गान्ड फॅट गई,,,,मैने देखा कि ये हाथ कविता का था और वो मेरे राइट हॅंड पर अपना
सर रखके सो रही थी वो भी मेरे शोल्डर के बहुद करीब ,,,,मैने कविता की तरफ देखा और फिर
सोनिया की तरफ जो अभी भी मुझे घूर रही थी,,,,तभी मैने हल्के हाथ से कविता के हाथ को पकड़ा और
अपने उपर से हटाने लगा तभी कविता की आँख खुल गई,,उसने अपने हाथ को मेरे हाथ मे मेरे पेट के
उपर देखा तो शरमाते हुए मुझे देखने लगी,,,,फिर जब उसका ध्यान गया सोनिया की तरफ और उसको इस
बात का एहसास हुआ कि उसका सर मेरे शोल्डर के करीब मेरे हाथ के उपर है तो वो डर गई और जल्दी से
उठकर बैठ गयी,,,

गुवुड्ड म्मूउर्न्नीन्न्ग्ग ससून्नीीया,,,कविता ने डरते हुए सोनिया को गुड मोर्निंग बोला,,,,

बड़ी जल्दी उठ गई तू कविता,,,,सोनिया ने गुस्से मे बोला,,,

वो मैं उूओ बाससस्स उूओ,,,,,,,,,,कविता से कोई बात नही हो रही थी,,,,

चल अब जल्दी उठ जा और फ्रेश होज़ा ये ले कपड़े,,,,कविता कुछ नही बोली और जल्दी से उठी और सोनिया के हाथ
से कपड़े लेके बाथरूम मे घुस गई भाग कर,,,,,वो तो बाथरूम मे घुस कर सोनिया से बच गई लेकिन
मेरा क्या होगा ,,,साला ये तो मुझे अभी तक घूर कर देख रही थी,,,,मैने भी भलाई इसी मे समझी
कि जल्दी से उठकर वहाँ से भाग जाउ,,,,लेकिन तभी सोनिया मुझे घूरती हुई रूम से बाहर चली गई,,

मुझे कुछ राहत मिली उसके बाहर जाने से,,,लेकिन तभी मेरे दिमाग़ मे रात वाला सपना आ गया जब मैं
कविता के बूब्स को मसल रहा था उसके लिप्स को चूस रहा था,,,उसकी चूत पर मेरा उल्टा हाथ पड़ा हुआ
था जिस से मैं उसकी चूत को सहला रहा था,,,साला सपने मे भी उसने मुझे अपनी चूत को अच्छी तरह से
महसूस नही करने दिया था,,,,लेकिन जो कुछ भी मैने महसूस किया वो काफ़ी था मेरे लिए,,,मैं वही
सोच सोच कर खुश हो रहा था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और कविता वहाँ से बाहर निकलकर
मेरे करीब आने लगी,,,,वो हँसती और शरमाती हुई मेरे करीब आ रही थी लेकिन मेरे करीब आते ही उसने
मेरे गाल पर ज़ोर से थप्पड़ मारा,,,

मैं एक दम से गुम हो गया,,,,इसको क्या हुआ मुझे मारा क्यूँ,,,,मुझे कुछ समझ नही आया तो मैने उसको
ही पूछ लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,तू पागल हो गई है क्या,,,,इतना ज़ोर से क्यूँ मारा मुझे,,,,और वैसे मारा ही क्यूँ
मुझे,,,,, मैने तुझे कुछ बोला क्या,,,,क्या ग़लती हो गई मुझसे ?

ग़लत ,,इतना सब ग़लत किया कि क्या बोलू तुझे,,,ज़रा भी शरम नही आई कि सोनिया हमारे पास ही सो रही है
और ज़रा भी तरस नही आया मुझ पर जो इतना दर्द दिया मुझे,,,,


क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा ,,,,,

अच्छा कुछ समझ नही आ रहा,,,,इतना बोलकर उसने अपना कुर्ता शोल्डर की एक तरफ से साइड खिसकाया और
मुझे दिखाने लगी,,,,,ये देखो दाँतों के निशान ,,कितना ज़ोर से काटा रात तूने मुझे,,,,इतना दर्द कोई
देता है क्या किसी को,,,,

मैं तो साला हैरान हो गया ,,,दंग रह गया ,,ये कब हुआ ,,कैसे हुआ,,,,क्या रात को मैं सपना नही
देख रहा था,,,क्या वो सब मैने सचमुच किया था कविता के साथ,,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा
था कि ये सब कैसे हुआ,,,,


क्यूँ अब बोलती बंद क्यू हो गई तेरी सन्नी,,,,बोल ज़रा ऐसा क्यूँ किया तूने,,,,इतना हर्ट क्यूँ किया मुझे,,,अब
अगर किसी ने ये दाँतों के निशान देख लिए तो मैं क्या कहूँगी उसको,,,,अगर सोनिया ने देख लिया तो,,,
 
अभी वो बोल ही रही थी तभी सोनिया रूम मे आ गई,,,,,उसके आते ही कविता एक दम से चुप हो गई,,,,और
जल्दी से उसने अपनी टी-शर्ट भी सही करली,,,,


हो गई फ्रेश तू,,,,चल जल्दी चल माँ ने नाश्ता लगा दिया है,,,,सोनिया ने इतना बोला और कविता के कुछ
बोलने से पहले उसका हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ नीचे ले गई,,,,,सोनिया जब रूम से बाहर जा रही थी
तो मुझे गुस्से से घूर रही थी ,,मुझे डर लगने लगा था क्यूकी अभी सोनिया के साथ-साथ कविता भी
'मुझे उतने ही गुस्से से घूर रही थी,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मुझे कुछ समझ नही आ रहा था वो सब कैसे
हुआ ,,,मैं तो नींद मे सपना देख रहा था,,,,,,,मुझे कुछ पता नही चल रहा था लेकिन उसके
शोल्डर पर बने दाँतों के निशान कुछ और ही कह रहे थे जैसे वो सपना नही था हक़ीक़त थी,,,,



मैं बेड से उठा और खुद को संभालने की कोशिश करता हुआ बाथरूम मे घुस गया,,,बाथरूम मे
जाके मैने शवर ऑन किया लेकिन शवर से बहुत कम पानी निकल रहा था ,,,,आइ थिंक इसलिए सोनिया डॅड को
बाथरूम मे टॅब और शवर ठीक करवाने को बोल रही थी ,,शवर से भले ही पानी कम निकल रहा था
लेकिन अभी मुझे शवर से निकलने वाले पानी की नही कविता की टेन्षन थी,,,,मैं नींद मे सपना देख
रहा था और सपने मे मैने कविता के शोल्डर पर काट भी दिया था लेकिन निशान तो सच्ची मे थे उसके
शोल्डर पर मेरे दाँतों के,,,,तो क्या वो सब सच मे हुआ था,,,लेकिन कब हुआ कैसे हुआ,,मुझे पता
क्यू नही चला,,,,मैं तो सब कुछ सपना ही समझ रहा था लेकिन मेरे दाँतों के निशान जो कविता के
शोल्डर पर थे वो चीख चीख कर बता रहे थे कि वो सब सपना नही था,,,,


मैं फ्रेश होके नीचे की तरफ जा रहा था तभी मैने सोनिया और कविता की बातें सुनी सीढ़ियों मे जाते
टाइम,,,,,

सोनिया,,,,,,नही मुझे नही जाना कविता ,,मुझे एग्ज़ॅम की तैयारियाँ करनी है,,तू चली जाना,,,

कविता,,,,,तू भी चल ना 1 दिन की तो बात है,,नेक्स्ट डे वापिस आ जाना है हम लोगो ने,,,,,

सोनिया,,,,नही मेरा मूड नही जाने का प्ल्ज़्ज़ मुझे फोर्ज़ मत कर,,तुझे पता है अगर मेरा दिल होता तो
मैं चली जाती,,,,

जैसे ही मैं नीचे पहुँचा वो दोनो एक दम से चुप हो गई,,,,,डाइनिंग टेबल पर वो दोनो ही थी,,,मोम
और डॅड नही थे,,,,,,वो दोनो पास पास बैठी हुई थी,,,,मैं भी जाके डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,

सोनिया ने मुझे गुस्से से देखा लेकिन मुझे अभी उसके गुस्से से नही कविता के गुस्से से डर लग रहा था
क्यूकी आज वो भी पूरे गुस्से मे घूर रही थी मुझे,,,,,

मैं जाके बैठा तो सोनिया ने मेरा नाश्ता लगा कर प्लेट मेरे पास रख दी लेकिन वो कुछ बोली नही
बस वापिस अपनी चेयर पर बैठकर नाश्ता करने लगी,,,,,,वो दोनो ही मुझे गुस्से से घूर रही थी इसलिए
मैं भी चुप चाप सर झुका कर नाश्ता करने लगा,,,,,

नाश्ता करके वो दोनो उठी और बर्तन किचन मे रखकर सोफे पर जाके बैठ गई और टीवी ऑन कर दिया साथ
ही दोनो हल्की आवाज़ मे बातें भी करने लगी,,,,मुझे उनकी बातें तो सुनाई नही दे रही थी लेकिन इतना
पता चल रहा था कि कविता सोनिया को कहीं जाने को कह रही थी लेकिन सोनिया बार बार ना मे सर हिला
कर उसको मना कर रही थी,,,,

कुछ देर बाद मैने भी नाश्ता ख़तम किया और अपने बर्तन किचन मे रखके वापिस बाहर आ गया तो
देखा वो दोनो बहुत ज़्यादा खुश लग रही थी ,,,,बहुत ज़ोर से हँसने लगी थी,,,,पता नही क्या हो गया था
इन लड़कियों को पहले तो चुप थी बातें भी बड़ी स्लो आवाज़ मे कर रही थी लेकिन एक दम से पता नही
क्या हो गया इनको,,,,लेकिन थोड़ा आगे गया जब मैं उनकी तरफ तो पता चल गया उनकी खुशी का राज़ ,,वो
दोनो टीवी पर टॉम आंड जेर्री देख रही थी इसलिए इतना खुश थी,,,,

लेकिन मुझे करीब आते देख दोनो गुस्से से मुझे घूर्ने लगी,,,,,,,मैं मोम को घर पर नही देख
कर थोड़ा परेशान था इसलिए मैने हल्की आवाज़ मे पूछ लिया,,,,,

माँ कहाँ है,,,,,,मैने किसी का नाम नही लिया बस ऐसे ही पूछ लिया,,,सोचा कोई तो जवाब देगा और
शायद जवाब कविता देगी,,,,लेकिन मैं ग़लत था इस बार जवाब सोनिया ने दिया,,,,,

माँ डॅड के साथ अलका आंटी के घर गई है,,,,शाम को आएगी वापिस,,,,,इतना बोलकर वो वापिस टीवी देखने
लगी,,,,

मैं भी उपर गया और चेंज करके वापिस नीचे आ गया,,,,,फिर उन लोगो को बोला कि मैं भी बाहर जा
रहा हूँ काम से ,,,शाम को वापिस आउन्गा,,,,,,मेरी बात सुनके सोनिया तो मुझे गुस्से से देख रही थी
लेकिन कविता थोड़ा उदास हो गई थी,,,,,,,,,,साला इन लड़कियों का कुछ समझ नही आ रहा था मुझे,,,कभी
तो गुस्से से देखती है और कभी मेरे जाने की बात सुनके उदास हो जाती है,,,,लेकिन मैं भी क्या करता
आज दोनो मुझे इतना घूर रही थी की मुझे अपने ही घर मे डर लगने लगा था इसलिए मैं जल्दी से
घर से निकल जाना चाहता था,,और ऐसा ही हुआ,,,,मैने बाइक लिया और घर से निकल आया,,,मेरे बाहर जाते
ही कविता गेट बंद करने के लिए बाहर आई थी,,,,,वो मुझे ऐसी उदास नज़रो से देख रही थी मानो बोल
रही हो कि सन्नी मत जाओ,,वो मुझे रोक रही थी लेकिन मैं नही रुका क्यूकी मुझे डर लग रहा था,,,,


घर से निकल तो आया था लेकिन जाना कहाँ था कुछ नही पता,,,,,चुदाई का दिल नही था वर्ना करण के
घर चला जाता क्यूकी माँ भी वहीं गई हुई थी,,,या फिर कविता के घर उसकी भाभी कामिनी के पास
लेकिन वहाँ भी जाने का दिल नही था ,,पता नही क्या हो गया था ,,,,सब कुछ अजीब लगने लगा था एक
सपने की वजह से जो सपना नही हक़ीक़त था,,,

तभी पायल भाभी की याद आ गई,,,लेकिन अब तक तो वो शायद अपने घर वापिस चली गई होगी,,,,क्यूकी वो
बोल रही थी वो अपनी बेहन की वजह से यहाँ आई थी,,,,लेकिन पायल की याद आते ही मुझे रितिका और करण की
याद आ गई,,,,और तभी दिमाग़ मे एक आइडिया आया और मैं अमित के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,

मैं अमित के घर पहुँचा तो उसका घर भी काफ़ी बड़ा था,,,जैसे सुरेश का घर था,,,गेट पर करीब
6-8 लोग बंदूक लेके खड़े हुए थे,,,,,मैने जैसे ही गेट पर नॉक किया तो एक बंदे ने मुझे पहचान
लिया,,,,और जल्दी से गेट खोल दिया ,,,,,,

साहब से मिलने आए हो,,,,उसने इतना बोला और मेरी तलाशी लेने लगा फिर उसने टेलिकॉम से किसी को फोन
किया और मुझे अंदर भेज दिया,,,,,

मैं अंदर की तरफ चलने लगा और घर को देखने लगा,,,इतना बड़ा गार्डन था घर मे ,,,और गेट से
घर की दूरी इतनी थी कि मुझे काफ़ी टाइम लगा वहाँ तक चलके जाने मे,,,,जैसे ही मैं घर के मेन
डोर तक पहुँचा तो अमित बाहर की तरफ आ रहा था,,,,,उसने आते ही अपने अंदाज़ मे बोला ,,,,

आ गया तू,,,,,अकेले ही आया है,,तेरा हरामी दोस्त कहाँ है,,,,,अमित अपने घर मे कुत्ता भी शेर होता है
वाली कहावत पर खरा उतरता था,,,,,

मैने तुझसे पहले भी कहा था अमित भाई मैं उसके बारे मे तेरे से नही तेरे पापा से बात करूँगा,
मैने ये बात बड़े प्यार से बोली थी,,,,,क्यूकी ये घर उसका था और यहाँ मैं गुस्से से नही बोल सकता
था एक तो अकेला था ,,और शायद थोड़ा डरा भी हुआ था मैं,,,,लेकिन फिर भी थोड़ी बहुत हिम्मत तो थी,,,

ठीक है बेटा आजा अंदर,,,और मेरे बाप से ही बात करले,,,,,वो आगे चलने लगा और मैं उसके पीछे ,,तभी
वो मुझे एक बड़े से हाल रूम मे ले गया,,,,जिसके बाहर 2 लोग खड़े हुए थे बंदूक लेके ,,,उन लोगो
ने दरवाजा खोला तो मैं अमित के साथ उस हाल रूम मे एंटर हो गया,,,अंदर गया तो देखा कि अमित
का बाप और सुरेश का बाप बैठे हुए पेग लगा रहे थे,,,,और साथ साथ बातें भी कर रहे थे,,,

अमित का बाप>>>कैसा है अब सुरेश,,,,घर पर आराम कर रहा है क्या,,,,,तबीयत कैसी है उसकी,,

सुरेश का बाप>>>अब ठीक है भाई साहब वो,,,,पहले से बेहतर है,,,,लेकिन मुझसे मेरे बेटे की हालत
देखी नही जाती,,,,जिस ने भी उसका ये हाल किया है उसको जब तक उसके किए की सज़ा नही दूँगा मुझे चैन
नही मिलने वाला,,,,,

अमित का बाप,,,,,,,तू फ़िक्र मत कर,,,,वो साला जहाँ भी होगा ढूँढ लूँगा मैं उसको,,,,सुरेश सिर्फ़ तेरा
बेटा नही है ,,वो मेरा बेटा भी है,,,,,मेरे लिए भी वो अमित के बराबर है,,,,,,,,


तभी उन दोनो की नज़र मेरे और अमित पर पड़ी तो वो दोनो चुप हो गये,,,अमित आगे बढ़ कर अपने बाप के
पास बैठ गया और टेबल पर पड़ा हुआ पेग उठा कर एक ही बार मे पी गया,,,,,,

अरे सन्नी बेटा ,,,आओ आओ बेटा,,कैसे हो,,,,,आओ बैठो यहाँ,,,अमित के बाप ने बड़े प्यार से मुझे
सोफे पर बैठने को बोला,,,,,

मैं ठीक हूँ अंकल जी,,,आप सूनाओ,,,,,,फिर मैं सोफे पर बैठने लगा और बैठते टाइम सुरेश के बाप
को भी हेलो बोल दिया,,,,,लेकिन उसने मुझे बड़े अजीब ढंग से हेलो बोला,,,,तभी अमित के बाप ने उसको
इशारा किया ,,,,,,

आज यहाँ कैसे आना हुआ सन्नी बेटा,,,,,सुरेश के बाप ने बड़े प्यार से पूछा मेरे से,,,शायद ये अमित
के बाप के इशारे की वजह से हुआ था जो सुरेश का बाप मेरे से प्यार से बात करने लगा था,,,,

आपने ही तो कहा था मुझे कि कुछ बात करनी है ,,,और यहाँ आने को बोला था,,,,भूल गये क्या उस दिन
पार्टी मे,,,,,

अरे हां हां बेटा ,,याद है मुझे,,,,,और सूनाओ ड्रिंक लोगे,,,,

जी नही शुक्रिया अंकल जी मैं अभी नाश्ता करके आया हूँ,,,,वैसे भी मैं शराब नही पीता
,मैने बड़े प्यार से जवाब दिया,,,,

तभी अमित के बाप ने अमित को बोला मेरे लिए जूस लेके आने को और जैसे ही अमित उठा अमित के बाप ने
मुझे उसकी जगह अपने पास आके बैठने को बोला,,,,,,,,अमित उठा और वहाँ से चला गया और तभी मैं भी
उठा और अमित की जगह पर उसके बाप के पास जाके बैठ गया,,,,

और सूनाओ सन्नी बेटा,,,,उस सुमित के बारे मे कुछ पता चला कि नही,,,,,सुना है तुम्हारा अच्छा दोस्त है
वो,,,,अमित के बाप ने इतनी बात मेरे शोल्डर पर हाथ रखते हुए बोली,,,,,

जी अंकल वो मेरा अच्छा दोस्त है,,,,,सिर्फ़ वो ही नही कॉलेज का हर स्टूडेंट मेरा अच्छा दोस्त है,,,आपका बेटा
और सुरेश भी मेरे अच्छे दोस्त है,,,,,,

अच्छा अगर वो तेरे दोस्त है तो तूने उनसे झगड़ा क्यूँ किया था पहले,,सुरेश का बाप फिर गुस्से मे बोला
लेकिन तभी अमित के बाप ने उसको चुप रहने का इशारा किया और वो चुप हो गया,,,,
 
अंकल मैने आपसे पहले भी बोला था कि झगड़ा मैने शुरू नही किया था,,ये तो आपके बेटे मिलकर सुमित को
मार रहे थे मैं तो बस बचाने गया था सुमित को,,,,सुमित क्या अगर उसकी जगह कॉलेज का कोई भी
लकड़ा होता और अपने अमित और सुरेश की जगह भी कोई और उसको मारता तो मैं ऐसा ही करता,,,,,ना तो सुमित
मेरे मामा का लड़का है और ना ही मेरी कोई दुश्मनी है अमित और सुरेश के साथ,,,,,,

हां हां मैं जानता हूँ सन्नी बेटा,,,तुम अच्छे लड़के को ,,तुमने जो भी किया अच्छा किया,,,,मुझे
तुमसे कोई शिकायत नही है,,,,,,अमित के बाप बड़े प्यार से चापलूसी वाली बातें कर रहा था और मैं
समझ भी रहा था,,,,,

देखो बेटा तुमने कुछ नही किया मैं जानता हूँ और सुरेश ने भी यही बोला कि तुम नही थे उस दिन
जब कुछ लोगो ने उस पर हमला किया था वो लोग कोई और थे ,,वो सुमित के दोस्त थे,,,,अब सुमित ने सुरेश
को मारा है तो हमे एक बार तो सुमित से बात करनी ही होगी ना की आख़िर क्या वजह थी जो उसने सुरेश को
और उसके बाकी दोस्तो को इतनी बुरी तरह से मारा,,,,,आख़िर बात क्या है कुछ तो पता चले,,,,


तभी अमित मेरे लिए जूस लेके आया,,,,लेकिन वो बड़े घर का बेटा खुद नही लाया जूस मेरे लिए ,,,वो तो
एक नोकर को साथ लेके आया था,,,,,उसने नोकर को जूस मुझे देने को बोला और जैसे ही मैने जूस का
ग्लास पकड़ा उसने नोकर को वापिस रूम से बाहर जाने का इशारा किया,,,वो बाहर चला गया और जाते जाते
दरवाजा बंद कर गया.,,,,,,

मैने जूस का एक घूँट पिया और ग्लास को टेबल पर रख दिया,,,,,,,,,वजह कुछ नही थी अंकल जी,,,मुझे
कुछ भी नही पता,,,,कुछ दिन पहले तक तो सुमित आपके बेटे अमित और सुरेश का अच्छा दोस्त था फिर पता
नही इन लोगो ने उसको क्यूँ मारा,,,,और मुझे कुछ लेना देना नही इस बात से कि इन लोगो ने सुमित को क्यूँ
मारा ,,,,लेकिीन उस दिन सुमित का हाथ टूटा हुआ था ये लोग फिर भी उसको मार रहे थे,,,मेरे से देखा
नही गया तो मैं उसको बचाने के लिए आगे हो गया लेकिन इन लोगो ने मेरे से ही झगड़ा करना शुरू कर
दिया,,,,,,,,,,,,,,,शायद यही वजह होगी कि सुमित ने अपने दोस्तो से मिलकर सुरेश को मारा होगा और उस दिन
मैने सुमित की हेल्प की थी इसलिए वो मेरा दोस्त बन गया,,इस से ज़्यादा मुझे भी नही पता,,,,

हां हां मैं जानता हूँ बेटा,,,,वो पहला अमित और सुरेश का दोस्त ही था,,,,,लेकिन किसी बात पर इन लोगो
का झगड़ा हो गया था,,,,,

तभी अमित बीच मे बोल पड़ा,,,,नही डॅड वो मेरा दोस्त नही था साला मेरा चमचा था,,,पैसे लेता
था मेरे से नशा करने के लिए और एक दिन जब मैने पैसे देने से मना किया तो गाली देने लगा मुझे
इसलिए मैने उसको मारा था,,,,

तभी अमित का बाप गुस्से मे बोला,,,,,,,,तू अपनी बकवास बंद कर ,,जब मैं बोल रहा हूँ तो तुझे
बीच मे बोलने को किसने कहा,,,अमित अपने बाप की बात सुनकर थोड़ा डर गया और चुप हो गया,,,

देखा सन्नी बेटा,,ये बात थी,,,,,,सुमित मेरे बेटे से पैसे लेता था नशे के लिए लेकिन एक दिन इसने मना
किया तो वो गाली देने लगा ,,और भला आज कल के टाइम मे गाली कॉन सुनता है,,,,जवान खून था हो गया
झगड़ा,,,,,,अब तो हमे सब कुछ ठीक करना है इन लोगो के बीच मे ,,,,बस तू इतना बता दे मुझे कि
सुमित कहाँ है,,,,ताकि हम उस से मिलके सारी बात सॉल्व कर सके,,,,,मैं अमित के बाप की बात समझ
गया,,,,,साला कितनी मीठी छुरी चला रहा था,,,,,,,पॉलिटीशियन जो ठहरा,,,,,,

सॉरी अंकल जी मुझे कुछ नही पता कसम से,,,,,अगर पता होता तो बता देता,,,,,शायद कॉलेज मे किसी
को पता हो,,,,,,

अच्छा चलो तुमको नही पता,,,,लेकिन क्या तुमसे सुमित ने कोई बात की कभी सुरेश से झगड़ा करने के
बाद या उस से पहले कि वो क्या करने वाला है,,,क्या तुमको पता था वो सुरेश से झगड़ा करने वाला है
क्यूकी तुम्हारा तो अच्छा दोस्त बन गया था वो ,,,,तुम पर यकीन करने लगा था,,,,,शायद तुमको कुछ
बताया हो उसने ,,,,,,,,,,,,,

नही अंकल जी,,,,अगर मुझे पता होता कि झगड़ा होने वाला है तो मैं उसको ऐसा नही कारने देता,,,अमित
और सुरेश ने उसको मारा था तो मैं बीच बचाव मे आ गया था और अगर मुझे पता होता वो
सुरेश और अमित से झगड़ा करने वाला है तो भी मैं बीच बचाव मे ज़रूर आता,,,,,,,और उस दिन भी
मैं उन लोगो के पीछे भागा था जो लोग सुरेश को मार रहे थे ,,,मैं बस थोड़ा लेट हो गया और वो
लोग एक ब्लॅक कलर की कार मे बैठ कर वहाँ से चले गये,,,,,,,वो लोग कोई 8-10 लोग थे और वो किसी
पिक-अप ट्रक जैसी कार मे भाग गये थे ,,सुमित भी था उनके साथ मे,,,


अच्छा ,,और क्या देखा तूने,,,,और कुछ सुना क्या उनके बारे मे किसी से,,,,,

नही अंकल जी मैने कुछ नही सुना,,,,लेकिन हां उस दिन जब वो लोग भाग गये तो मैं वापिस सुरेश और
बाकी लोगो के पास वापिस आया तो मैने सुना कि कॉलेज के कुछ लोग सीडीज़ की बात कर रहे थे,,,मेरे
मुँह से सीडीज़ लफ़्ज सुनकर अमित का मुँह खुला का खुला रह गया,,,,साथ मे अमित के बाप और सुरेश के बाप
का भी,,,,,,,मतलब पक्का था कि वो लोग भी अमित और सुरेश की हरकतों से वाकिफ़ थे,,,,,,,,,

सीडीज़ कैसी सीडीज़ ,,,,,,,,,,,अमित के बाप ने बड़ी उत्सुकता से पूछा,,,,,,,,,,

मुझे नही पता अंकल जी,,,,एक बार मैने भी सुना था सुमित के मुँह से जब अमित और इसके दोस्तो ने उसको
मारा था,,,तब सुमित भी कोई सीडीज़ की बात कर रहा था,,,,,,,,,

अमित गुस्से से,,,,,,,,तुझे पता है वो सीडीज़ कहाँ है,,,,,अमित गुस्से से मेरी तरफ बढ़ा,,,,,

तभी अमित का बाप उठा और उसने मेरे सामने अमित को कस्के थप्पड़ मारा और अमित को वापिस बैठने को
बोलने लगा वो भी गुस्से से,,,,,,,,,,,,,

घर आए मेहमान से ऐसे बात करते है,,,,,तुझे इतनी भी अक़ल नही है क्या,,,,,,जा दफ़ा होज़ा यहाँ से,,,

सॉरी डॅड वो मैं,,,,,,,,,,,,अमित थोड़ा शर्मिंदा हो गया था...

अब अपनी बकवास बंद करके चुप चाप बैठ जा ,,,नही तो दफ़ा होज़ा रूम से,,,,,अमित का बाप पूरे
गुस्से मे बोला अमित को,,,,,,तभी सुरेश के बाप ने भी अमित को चुप रहने का इशारा किया,,,,

सन्नी बेटा इसकी तरफ से मैं माफी माँगता हूँ,,,,,जवान खून है ,,,,अमित का बाप बड़े प्यार से बोल
रहा था,.,,,,,,

इट्स ओके अंकल जी,,,,,मैं जानता हूँ ये सुरेश की वजह से परेशान है,,,और जवानी की गर्मी मे गर्म खून
को जोश आ ही जाता है,,,,ये बात भला मेरे से बेहतर कॉन समझ सकता है,,,,,,मैने भी अपनी बात से
सबको बता दिया कि मैं भी किसी से कम नही,,,,,,,,,,,

अच्छा बेटा छोड़ो ये बेकार की बातें ये बताओ कि सुमित ने तुमसे कभी सीडीज़ के बारे मे बात की,,और क्या
तुमको पता है वो सीडीज़ कहाँ है,,,,,

नही अंकल जी,,,ना तो मैने कभी पूछा सुमित से और ना ही उसने कभी बताया मुझे,,,हम दोनो मे बहुत
कम बात होती थी,,,,,,और ना ही मुझे पता है उन सीडीज़ मे क्या है,,,,,,,,,,,,,,वैसे अंकल जी उन सीडीज़ मे है
क्या जिसस वजह से आप इतना परेशान हो गये हो और ये अमित भी,,,,,
 
अमित का बाप थोड़ा संभलता हुआ बोला,,,,,,,,कुछ नही बेटा उस मे हमारे कुछ इंपॉर्टेंट डॉक्युमेंट्स
है जो ग़लती से सुमित के हाथ लग गये है,,,,,,हम लोगो के लिए वो बहुत ज़रूरी है,,,तभी तो हम तेरे से
पूछ रहे है कि अगर तुझे सुमित के बारे मे कुछ पता है तो बता दे हमे और हमे सुमित से मिलवा
दे ताकि हम उस से सीडीज़ की सारी बात सॉल्व कर सके,,,,वो सीडीज़ हमारे लिए बहुत ज़रूरी है,,उनके लिए अगर
सुमित को कुछ पैसे चाहिए तो वो भी हम दे सकते है उसको,,,,तू सुमित से बात करना अगर वो मिला
तुझे तो,,,,,,,,,,

अरे अंकल जी इसमे पैसे की बात कहाँ से आ गई,,,,,अगर वो सीडीज़ ज़रूरी है आपके लिए तो मैं लाके दे सकता
हूँ आपको वो सीडीज़ ,,,,,,

मेरी इतनी बात सुनके अमित ,अमित का बाप और सुरेश का बापा तीनो खुश हो गये,,,,अमित के बाप ने
जल्दी से मुझे बाहों मे जाकड़ लिया,,,,,,,अरे ये हुई ना बात,,,,,,,,,,,क्या तुम हमे वो सीडीज़ लाके दे सकते
हो बेटा,,,,,,,,,अमित का बाप बहुत खुश हो गया था,,,

हाँ अंकल जी ,,वो आपके ज़रूरी डॉक्युमेंट्स है ,,सुमित बिना वजह आपको ऐसे तंग नही कर सकता,,,,,मैं उस
से बात करूँगा और कोशिश करूँगा वो सीडीज़ आप तक पहुँचा सकूँ,,,,,

बेटा अगर तू ऐसा कर देगा तो जो माँगेगा वो मिलेगा तुझे,,,,,तू जो भी चाहे ,,जितना पैसा भी चाहे,,,

तभी मैं चुप हो गया,,,,,,,,,,पैसे की बात सुनके,,,,,,

क्या हुआ बेटा तू चुप क्यूँ हो गया,,,,,,बता ना कितने पैसे चाहिए तुझे,,अगर कुछ अड्वान्स भी चाहिए
तो अभी दे देता हूँ,,,,,

नही अंकल जी मुझे पैसे नही चाहिए,.,,,,,मैं तो आप लोगो की हेल्प कर रहा हूँ और सही इंसान का
साथ दे रहा हूँ,,,,,पहले सुमित सही था और अमित ग़लत तो मैने सुमित का साथ दिया,,,,,,,,,,लेकिन आज
सुमित ग़लत है तो मैं आपका साथ देने को तैयार हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन ,,,,,,

लेकिन क्या बेटा,,,,,,,,तुझे कितने पैसे चाहिए बता मुझे,,,,,,अगर पैसे नही चाहिए कुछ और चाहिए
कार ,,,बंगला या कुछ भी बता मुझे,,,,,,,,,

नही अंकल जी मुझे ये सब नही चाहिए,,,,,,,,,,,,,

तो क्या चाहिए बता ना बेटा,,,जो माँगेगा वही मिलेगा,,,,,,,,,,,

पक्का अंकल जी,,,,,,जो माँगूंगा मिलेगा क्या,,,,,,,,,,,

हाँ बेटा तू एक बार माँग कर तो देख,,,,जो भी कहेगा वो मिलेगा तुझे,,,,

तभी मैं उठा और अमित के बाप को बोला,,,,,,,,,,,,,क्या मैं आपसे अकेले मे बात कर सकता हूँ,,,

इतने मे अमित का बाप भी उठकर खड़ा हो गया,,,,,,,,,,,,,हाँ हाँ क्यू नही बेटा,,,,,इतना बोलकर वो एक
तरफ चलने लगा और मुझे भी अपने साथ चलने को बोलने लगा,,,,,मैं उनके साथ उस रूम से होते
हुए किसी और रूम मे चला गया,,,,,जो देखने मे उनका ऑफीस लग रहा था,,,,,,,,,,,,,,वो अंदर जाते ही
टेबल की दूसरी तरफ की चेयर पर बैठ गये और मुझे सामने पड़ी चेयर पर बैठने को बोलने लगे,,,,,


बोलो क्या बात है बेटा,,,,,,,क्या चाहिए तुमको उन सीडीज़ को हमारे तक पहुँचाने के लिए,,,

देखिए अंकल जी,,,,,,मुझे पैसा प्रॉपर्टी कुछ नही चाहिए,,,,,मैं तो जो भी करता हूँ अपने दोस्तो
के लिए करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,और सही वजह से करता हूँ,,,,,,,,,,अब अमित और सुरेश सही है और सुमित ग़लत
इसलिए मैं अमित और सुरेश का साथ दे रहा हूँ,,,,ना कि उस सुमित का,,,,,,,,लेकिन साथ ही साथ मैं अपने
एक और दोस्त का साथ भी देना चाहता हूँ,,,,,,,,,,,

किसकी बात कर रहे हो तुम,,,,,

अंकल जी मैं अपने दोस्त करण की बात कर रहा हूँ,,,,,मुझे कुछ नही चाहिए लेकिन अगर आप मुझे
कुछ देना ही चाहते हो तो आप अपने दोस्त की बेटी रितिका की शादी करवा दो करण के साथ,,,वो दोनो एक
दूसरे को बहुत प्यार करते है,,,,,,,,,,

मेरी बात सुनके अमित का बाप थोड़ा गुस्से मे ,,,,,,,,नही ये नही हो सकता,,किसी भी कीमत पर नही हो
सकता,,,,,,,,,,,कहाँ हम लोग और कहाँ वो 2 कोड़ी का करण,,,,,ये हरगिज़ नही हो सकता,,,तुम कुछ और
माँग लो बेटा,,,ये नही होगा,,,,,

तो ठीक है फिर रहने दीजिए अंकल जी,,,,,आप खुद ही वो सीडीज़ ले आओ सुमित से इस से पहले कि वो उन सीडीज़ को
इंस्पेक्टर ख़ान के हवाले कर्दे,,,,,,,,,,

ख़ान भाई का नाम सुनते ही अमित के बाप की गान्ड फॅट गई और मुँह खुला का खुला रह गया,,,,

तुझे कैसे पता वो सीडीज़ ख़ान को देने वाला है,,,,,,,,,,,अमित का बाप बड़ा हैरान और डर कर बोल रहा था

मैने एक दिन सुमित को किसी से बात करते सुना था कि वो अमित की कुछ सीडीज़ इंस्पेक्टर ख़ान को दे देगा जिस
से अमित के साथ साथ अमित का बाप और सुरेश का बाप भी लोगो का सामने नंगे हो जाएगे,,,,,,

मेरी बात सुनके वो चुप हो गया,,,,,,

सॉरी अंकल ऐसा मैं नही सुमित बोल रहा था,,,,,,अब पता नही उन सीडीज़ मे ऐसा क्या है जो सुमित उसको
ख़ान को देने की बात कर रह था,,,,लेकिन उसकी बातों से इतना तो पक्का हो गया था मुझे कि वो सीडीज़ अगर
ख़ान के पास चली गई तो आप लोगो का पोलिटिकल करियर बर्बाद हो जाना है और आप लोगो ने सड़क पर
आ जाना है,,,,,,,,,

अमित का बाप कुछ सोच मे पड़ गया,,,,,हाँ सही कहा तूने सन्नी बेटा,,,वो सीडीज़ हमारे लिए बहुत
ज़रूरी है,,हमे कैसे भी करके वो सीडीज़ हासिल करनी है,,,,,अगर तू हमारी हेल्प करेगा तो बड़ी
मेहरबानी होगी,,,,,

मैं तो हेल्प करने को तैयार हूँ अंकल जी लेकिन आप ही पीछे हट रहे हो अपनी बात से,,,,,

नही बेटा जो तू बोल रहा है वो नही हो सकता,,,,,,कहाँ हम लोग और कहाँ वो करण,,,,

तो ठीक है अंकल जी सुमित को वो सीडीज़ इंस्पेक्टर ख़ान के पास ही ले जाने दीजिए फिर अप लोगो का पोलिटिकल
करियर ख़तम और आप लोगो ने भी सड़क पर आ जाना है,,,फिर आप लोगे मे और करण मे कोई फ़र्क नही
रहेगा,,,,

अमित का बाप गहरी सोच मे डूब गया,,,,,

क्या सोच रहे हो अंकल जी,,,,वो आपकी बेटी नही है ,,,,फिर भला इतना क्या सोचना,,,,आप तो बस ये सोचो
कि अगर वो सीडीज़ ख़ान के पास पहुँच गई तो आप लोगो का क्या होगा,,,,आपकी बर्बादी तो पक्की है,,,इस से अच्छा
है कि आप अपने दोस्त को समझा कर मना लो और तैयार कर लो रितिका की शादी करण से करने के लिए,,,,,

तभी वो उठा अपनी चेयर से और मेरे पास आ गया,,,,,,,,,ठीक है बेटा ,,,,मैं कुछ करता हूँ ,,,,,और
समझाता हूँ सुरेश के बाप को,,,,,तब तक तू सीडीज़ हासिल करने की कोशिश कर और हम तक पहुँचा दे

सीडीज़ तो मैं हासिल कर लूँगा अंकल जी लेकिन सीडीज़ दूँगा आपको तब जब शादी करके रितिका करण के घर चली
जाएगी उसके बाद,,,,,,मैने इतनी बात ऐसे बोली जैसे कि मैं अपना फैंसला सुना रहा हूँ,,,,,अमित का बाप
भी समझ गया कि मैं भी कोई कच्चा खिलाड़ी नही हूँ,,,,

तो अब मैं चलता हूँ अंकल जी और अपनी कोशिश शुरू करता हूँ,,,पहले तो मुझे तलाश करना
होगा उस सुमित को,,,,,,और उसका पता वहीं से मिल सकता है जहाँ से वो नशा लेता है,,,

ठीक है बेटा तू अपनी कोशिश कर मैं भी अपनी कोशिश शुरू करता हूँ ,,रितिका के बाप को मनाने की
,,इतना बोलकर अमित के बाप ने मेरे शोल्डर पर हाथ रखा और मुझे लेके वापिस दूसरे रूम मे आ
गया जहाँ अमित और सुरेश का बाप बैठे हुए थे,,,,लेकिन उसने मुझे वहाँ बैठने नही दिया और
बातें करते हुए बाहर की तरफ आ गया,,,,,,,,और साथ साथ मेरे से थोड़ी बात चीत करते हुए मुझे गेट
तक छोड़ दिया,,,,,,
 
फिर मैने अपना बाइक लिया और वहाँ से चल पड़ा करण के घर की तरफ करण को ये बात बताने के लिए
लेकिन याद आया कि माँ उसके घर पर है और अगर मैं वहाँ गया तो मेरा बुरा हाल हो जाना है इसलिए
मैं वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,

घर पहुँचा तो थोड़ी टेन्षन मे था ,,एक तो अमित के बाप से जो बात करके आया था करण और रितिका की
शादी की उसकी टेन्षन थी ,,,क्यूकी पता है अमित का बाप बहुत बड़ा कमीना है वो इतनी जल्दी से सब कुछ नही
होने देगा कुछ ना कुछ पंगा ज़रूर करेगा टाइम आने पर,,और दूसरी टेन्षन थी घर आने पर कविता की
क्यूकी कविता के साथ जो हरकत की थी मैने उस से आज वो गुस्से मे थी और पता नही क्या करेगी मेरे साथ
,,अभी भी उसकी अक्तिवा घर पर थी मतलब वो यहीं थी,,,,

मैने बेल बजाई तो 2-3 मिंट बाद सोनिया ने आके दरवाजा खोला,,,उसने दरवाजा खोलके मुझे देखकर फिर
अनदेखा कर दिया और वापिस पलट का सोफे की तरफ चली गई जहाँ कविता भी बैठी हुई थी,,,वो वापिस सोफे
पर कविता के पास गई और अपनी बुक्स उठा ली,,,
 
चल अब मैं चली उपर ,,,ये आ गया है,,,,इतने बोलके उसने मेरी तरफ इशारा किया,,,,,अब हमे यहाँ
बैठने की ज़रूरत नही,,,,चल उपर चलते है,,,,,,सोनिया ने इतनी बात कविता को बोली तभी कविता भी मेरी
तरफ देखने लगी वो भी गुस्से से,,,,,

तुम चलो मैं अभी आती हूँ,,,कॉफी बन गई होगी,,,,,तुम जाओ और ये मेरी बुक्स भी ले चलो ,,मैं
कॉफी लेके आई कुछ देर मे,,,,,कविता ने अपनी बुक्स भी सोनिया को दी और सोनिया उपर चली गई और जाते हुए
मुझे नखरे से देख कर गई,,,,

मैं कविता के पास जाने लगा तभी कविता उठी और हल्के गुस्से से किचन के अंदर चली गई,,,मैं उस से
माफी माँगना चाहता था लेकिन मुझे डर लग रहा था,,,क्यूकी वो सच मे बहुत गुस्से मे लग रही थी,,,,

मैं हिम्मत करके किचन मे चला गया जहाँ कविता गॅस के पास खड़ी कॉफी बनने की वेट कर रही थी
उसने मुझे किचन के अंदर आते देखा तो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,,,मैने उस से कोई बात
नही की और फ्रिज से पानी की बॉटल निकाल कर पानी पीने लगा,,,,,मैं उस से बात करने की कोशिश मे था
लेकिन डर भी लग रहा था मुझे लेकिन फिर भी बात करनी ज़रूरी थी क्यूकी मुझे उसको सौरी बोलना था,,,

मैने पानी की बॉटल हाथ मे पकड़ी और पानी पीता हुआ कविता के पास चला गया और बात करने का बहाना
तलाश करने लगा,,,,,

अरे लंच टाइम होने को आ गया ,,,माँ अभी तक आई नही क्या,,,,,मैने कविता से इतना पूछा लेकिन वो
चुप रही,,,,,

मैने फिर बोला,,,,,अगर कॉफी बना रही हो तो प्ल्ज़्ज़ मेरे लिए भी बना लेना,,,बहुत भूक लगी है अब
माँ तो नज़र नही आ रही जो मुझे खाना बना देती,,,,कॉफी से ही काम चला लूँगा मैं,,,,

वो फिर भी कुछ नही बोली,,,,,चुप चाप खड़ी रही,,,,,,,,मेरी तरफ एक बार भी नही देखा उसने,,,

लगता है भूखा ही रहना पड़ेगा ,,,,क्यूकी लगता नही कॉफी मिलेगी मुझे,,,,,या फिर माँ को आवाज़ देनी
पड़ेगी ताकि वो मुझे कुछ खाने को बना दे,,,,,,पता नही माँ घर पे है भी या नही,,,,,,,तभी मैं
थोड़ी ज़ोर से लेकिन इतना ज़ोर से भी नही कि उपर सोनिया को मेरी आवाज़ सुन जाए,,,,,,,,,,,मैं हल्के ज़ोर से माँ
को आवाज़ लगाने लगा,,,,,,

मैने 2-3 बार ही माँ को आवाज़ दी थी तभी कविता बोल पड़ी,,,,,,,,,आंटी जी घर पे नही है,,,,वो वापिस
नही आई करण के घर से,,,,,उसने मेरी तरफ फेस नही किया बस ऐसे ही पीठ करके बोलती रही,,,,

अच्छा अभी तक माँ नही आई वापिस,,,,लगता है मुझे भूखा ही रहना होगा,,,,,माँ घर पे नही और लगता
नही इस कॉफी मे से कुछ कॉफी मुझे मिलेगी,,,,मैने उदास होके कहा,,,,,

तभी वो मेरे पास से गुजर कर कपबोर्ड की तरफ गई और उपर की तरफ से 3 कॉफी कप निकाल लिए और वापिस
गॅस के पास जाके 3 कप मे कॉफी डाल दी,,,,,उसने 2 कॅप एक तरफ रख दिए और 1 कप को मेरी तरफ खिसका
दिया और कॉफी वाले बर्तन को धोने वाले बर्तनो के पास रखने के लिए मेरे पास से गुजर कर एक तरफ
चली गई और बर्तन रखके वापिस आके कप उठाने लगी ,,,,,,,तभी मैने उसको उसके हाथ से पकड़ लिया,,,,


उसने ज़ोर से अपना हाथ खींचा और मेरे से अपने हाथ छुड़वा लिया लेकिन तभी मैने आगे बढ़ कर उसको
कस्के उसके हाथ से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया,,,,,इस से पहले वो कुछ बोलती,,,मैने उसकी लिप्स पर
हल्की किस करदी,,,,,उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा,,,और मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी,,,मैने
उसको दूर नही होने दिया तो वो मछली की तरह झटपटाने लगी,,,,ज़िद करने लगी मेरे से दूर होने
के लिए,,,,,,,,,मैने जल्दी से उसको अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया,,,,और खुद उस से दूर हट गया,,,


मैं उस से दूर हुआ तो वो सर झुका कर चुप चाप से खड़ी रही ,,,,मैने हल्के से उसके करीब गया और
बड़े प्यार से स्लो आवाज़ मे उसको सौरी बोला,,,,जैसे ही मैने उसको सौरी बोला उसने गुस्से से मुझे देखा

इतना सब कुछ करने के बाद सिर्फ़ सौरी,,,,,शरम आनी चाहिए तुझे सन्नी,,,,इतना हर्ट किया और बस सौरी,,,
वो गुस्से से बोल रही थी,,,,,

मैं उसके पास गया,,,और अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके दोनो हाथों को अपने हाथों मे पकड़ लिया बड़े
प्यार और नज़ाकत से,,,,,,,,,,सौरी नही तो क्या बोलूं,,मुझे तो पता ही नही चला वो सब कैसे हो गया कविता
अगर पता होता तो मैं इतनी बड़ी ग़लती नही करता कभी,,,,कभी तुझे हर्ट नही करता,,,मुझे तो लगा मैं
बेड पर लेट गया हूँ सो गया हूँ और सपना देख रहा हूँ,,,और उस सपने मे तुझे अपने करीब एक
ही बिस्तर पर अपनी बाहों मे महसूस कर रहा हूँ,,,वैसे भी तेरे जैसी खूबसूरत लड़की मेरे जैसे
ब्लॅकी के साथ एक ही बिस्तर पर उसकी बाहों मे ,,उसके आगोश मे आ जाए ये तो एक सपना ही हो सकता है
ना,,,,,आख़िर मेरी इतनी किस्मत कहाँ जो तेरे जैसी खूबसूरत लड़की हक़ीक़त मे मेरी बाहों मे आ जाए,,,

इतना बोलकर मैं थोडा उदास सा हो गया और फिर उसको सौरी बोलने लगा,,,

बस तेरी यही बात तो अच्छी लगती है मुझे सन्नी,,,कितनी बड़ी ग़लती भी कर दे लेकिन फिर भी ग़लती को ग़लती
नही मानता तो ,,,कुछ ना कुछ बहाना बना ही लेता है अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से,,,एक नंबर का
कमीना है तू,,पक्का ठरकि,,,,,ये बात कविता ने हंस कर बोली थी,,,,,,,,,

मैं भी उसके फेस पर मुस्कान देख कर खुश हो गया,,,,,,,,,,,,कमीना तो ठीक है लेकिन प्ल्ज़्ज़ ठरकि मत
बोल मुझे,,,,

क्यू तू ठरकी नही है क्या,,,,जब देखो फ्लर्ट करता रहता है,,,,,

वो तो मज़ाक करता हूँ मैं कविता,,,,ठर्कि तो मैं तब होता जब कॉलेज मे लड़कियों के आगे पीछे
दूम हिलता फिरता,,,,क्या मैने कभी ऐसा कुछ किया है,,,,,

हाँ ये बात तो है,,,,तूने कभी किसी लड़की पर लाइन नही मारी,,लेकिन मेरे साथ इतना फ्लर्ट क्यूँ करता है
फिर,,,,वो हँसते और शरमाते हुए बोली,,,,,

बोला ना तेरे साथ भी फ्लर्ट नही करता,,,,बस मज़ाक करता हूँ,,,,फ्लर्ट तो उसके साथ करूँ जो मुझे लाइक
करता हो,,,

लाइक करने वाले बहुत है सन्नी,,,कभी नज़र घुमा कर देख लिया कर,,,,

अच्छा कॉन लाइक करता है मुझे,,,,,ज़रा मुझे भी तो पता चले इस ब्लॅकी को लाइक करने वाला है कॉन,,,,


बोला ना नज़र घुमा कर देख लिया कर कभी,,,,तेरे आस पास ही है वो जो तुझे लाइक करती है,,,उसने
ये बोला और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया,,,,


तभी मैं उसके करीब गया और उसके झुके हुए शरमाते हुए फेस को उसकी चिन से पकड़ कर उपर उठा
दिया ,,,उसका फेस पर हल्की मुस्कान के साथ हल्की शरम भी थी,,,,उसने मुझे एक बार देखा और अपनी
आँखें बंद करली,,,मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स पर हल्की किस करदी,,,,और तभी मेरा हाथ उसके शोल्डर
पर चला गया और मैने हल्के हाथ से उसके शोल्डर से उसकी टी-शर्ट को खींच कर एक साइड कर दिया जिस
से उसका शोल्डर नंगा हो गया और मुझे मेरे दाँतों के निशान नज़र आए उसके शोल्डर पर जो हल्के
नीले रंग के हो गये थे,,,,,मुझे उस पर तरस आने लगा और खुद पर गुस्सा,,,,,मैं इतना बेरहम
कैसे बन गया उसके साथ जो इतनी ज़ोर से काट लिया उसको,,,

उसने भी अपनी गर्दन घुमा कर उस दाँतों के निशान की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देखने लगी,
मानो पूछ रही हो कि इतना दर्द क्यूँ दिया मुझे तूने सन्नी,,,,,,लेकिन उसकी घूरती हुई आँखों मे
छुपे हुए सवाल का कोई जवाब नही मिल रहा था मुझे,,,,,मैने बस हल्के से आगे बढ़ कर उसके शोल्डर
पर दाँतों के निशान के उपर अपने लिप्स को हल्के से रखा और 1 के बाद 1,,,8-10 किस करदी,,,उसके मुँह से
हल्की अहह निकल गई थी,,,जो सॉफ सॉफ बता रही थी कि वो अह्ह्ह्ह मस्ती की नही दर्द की थी,,,


उसने मेरे सर को अपने हाथों मे पकड़ा और मेरे लिप्स पर किस करदी,,,,,,मैने उसको सौरी बोला और उसको
फिर से किस करने लगा,,,,,,,,,,,,,,,


सौरी से काम नही चलेगा,,,,कान पकड़ कर सौरी बोल,,,,,

मैने एक कान पकड़ा और सौरी बोला,,,,,,,,,

एक नही दोनो कान पकड़ और सौरी बोल,,,,,

मैने दोनो कान पकड़े और सौरी बोला,,,,,,अब तो खुश है,,,,

नही ,,कान पकड़ कर नीचे बैठ जा ,.,,,,,,

मैं कान पकड़ कर नीचे बैठ गया,,,,,,अब खुश है ,,,,,,

नही ,,,,,,,,,अब खड़ा होज़ा,,,वो इतना बोलने लगी और हँसने लगी,,,,,,,,

मैं खड़ा हुआ और तभी उसने फिर से नीचे बैठने को बोला,,,,और हँसते हुए कम से कम 10-12 बार मेरे
से उठक-बैठक करवा दिया,,,,,,

बस करो मेरी मालकिन जी मैं थक गया हूँ और कॉफी भी ठंडी हो गई है,,,,,मैने कॉफी का नाम
लिया तो वो एक दम से हिल गई ,,,,,

ओह्ह शिट मैं तो कॉफी भूल ही गई थी,,,,अब तक तो ठंडी हो गई होगी,,,,सोनिया मेरी जान ले लेगी,,,इतना
बोलकर वो जल्दी से कॉफी कप की तरफ भागी,,,,,,,,ओह्ह नो ये तो ठंडी हो गई,,,,,,,,,,,,अब तो पक्का
वो सोनिया मुझे मार ही डालेगी,,,,कब्से बोल रही थी वो कॉफी के लिए अब बनी तो फिर से ठंडी हो गई,,,


मारने के लिए ही आई हूँ यहाँ,,,,इतना टाइम हो गया कॉफी लेके उपर क्यूँ नही आई तू,,,,,तभी मेरा और
कविता का ध्यान गया किचन से अंदर की तरफ आती हुई सोनिया पर,,,उसने कविता को गुस्से मे देखा और फिर
मेरी तरफ देख कर हँसने लगी,,,,,
 
मैने सोचा इसको क्या हो गया है,,,,अभी इतने गुस्से मे थी अभी मुझ देख कर हँसने क्यूँ लगी,,,तभी
मैने देखा कि सोनिया के साथ कविता भी हँसने लगी थी,,,,वो दोनो मुझ देख कर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी
थी,,,,मुझे कुछ समझ नही आया लेकिन जैसे ही मेरा ध्यान खुद पर आया तो मैं ज़मीन पर कान पकड़
कर बैठा हुआ था,,,,मुझे बहुत अजीब लगा ,,वो दोनो मेरा मज़ाक बना कर हंस रही थी,,,मैं जल्दी से
खड़ा हो गया,,,,,

इस ब्लॅकी को ये सज़ा तूने दी क्या,,,,,,सोनिया ने हँसते हुए कविता से बोला,,,,,

ईयीई बंदरिया मुझे ब्लॅकी मत बोल,,मैने हल्के नखरे से बोला,,,,,

चुप कर मैं तेरे से बात नही कर रही इतना बोलकर वो वापिस कविता से बात करने लगी,,,इसको सज़ा तूने
दी थी क्या कविता ,,,,

कविता हँसने लगी और हां मे सर हिलाने लगी,,,,उसको भी इस सब मे मज़ा आ रहा था,,,,,,,,,

अच्छा ,,लेकिन क्यूँ,,,,सोनिया ने इतना सवाल किया तो कविता चुप हो गई,,,,और मेरी तरफ देखने लगी,,,,तभी
मैं खुश हो गया,,,,,और हँसते हुए कविता की तरफ देखने लगा,,,,,और इशारे से बोलने लगा कि कविता जी
अब दो इस हिट्लर को इसकी बात का जवाब,,,,,

बोल ना क्यूँ दी ये सज़ा इसको,,,,,सोनिया ने फिर से पूछा तो कविता घबरा गई,,,,


वो वो मैने रात भर इसकी इतनी हेल्प की स्टडी मे लेकिन इसको कुछ भी समझ मे नही आया,,रात वाली स्टडी
से इसको एक सवाल पूछ लिया था उसका जवाब नही दिया इसने इसलिए ये सज़ा दी मैने इसको,,,

मैं तो साला हैरान ,,कितनी जल्दी बात बदल दी थी कविता ने,,,,हो ना हो काफ़ी तेज है ये कविता,,,बहुत चालाक
भी है,,,,

अच्छा है तुझे बुला लिया मैने इसकी हेल्प करने के लिए,,ऐसे ही तैयारी करवाती रहना इसकी एग्ज़ॅम मे और ऐसे ही
सज़ा देती रहना,,,,फिर मुझे मेरी अक्तिवा और बाकी समान मिलने से कोई नही रोक सकता,,,,,सोनिया खुश हो
गई ,,,,,,

चल अब जल्दी से कॉफी गर्म कर और चल उपर बहुत काम पड़ा है बाकी,,,,,इतना बोलकर सोनिया खुद भी
उसकी हेल्प करने लगी कॉफी गर्म करने मे,,,,फिर सब लोग चुप हो गये मैं किचन से बाहर निकालकर
सोफे पर बैठ गया,,,,,वो दोनो अपनी कॉफी लेके उपर चली गई और जाते जाते कविता एक कप कॉफी मुझे सोफे
पर दे गई,,,,,,

कॉफी पीक उपर आ जाना अभी बहुत स्टडी करनी है तूने सन्नी,,,,कविता ने इतना बोला और कॉफी रखके
सोनिया के साथ उपर चली गई,,,

मैं कॉफी पीने लगा और तभी मुझे याद आया कि मुझे आज जो भी बात हुई है अमित के घर पे वो
सारी बात ख़ान भाई को बता देनी चाहिए और साथ ही करण को भी,,,,मैने पहले ख़ान भाई को फोन
किया और सारी बात बता दी,,,,,ख़ान भाई ने मुझे बोला कि मुझे जो भी करना है थोड़ा सम्भल कर करना
है क्यूकी वो लोग कुछ भी कर सकते है,,,वैसे ख़ान भाई मेरे साथ थे तो मुझे डर नही था,,,,और ख़ान
भाई ने ये भी बोला था कि हमे अगर करण और रितिका की शादी करवानी है तो बहुत जल्दी करवानी होगी
क्यूकी उसके बाद हमे आगे के प्लान पर भी काम करना है,,,,शादी लेट होगी तो आगे का प्लान भी लेट हो
जाएगा और अगर दूसरे प्लान पर पहले काम किया तो शादी कभी नही होगी,,,,,,,,,,वैसे भी हमे शादी के
बारे मे पहले सोचना होगा क्यूकी अगर रितिका की शादी करण से हो गई तो उसका बाप थोड़ा झुक जाएगा
हम लोगो के सामने और फिर बस अमित और उसके बाप के बारे मे सोचना होगा,,,,इसलिए शादी करवाना बहुत
ज़रूरी था करण और रितिका की वो भी जल्दी से जल्दी,,,,मैं ख़ान भाई की बात समझ गया था,,,,,

अब मुझे करण को फोन करना था,,,,,,मैने करण को फोन किया,,,,

सन्नी==== हेलो

करण=== हेलो सन्नी भाई ,,हाउ आर यू

सन्नी=== मैं ठीक हूँ भाई तुम सूनाओ,,,क्या हो रहा था,,,,

करण === कुछ नही भाई बस बैठा हुआ था,,तुम सूनाओ क्या हो रहा था,,

सन्नी=== अभी तक कुछ नही हो रहा था लेकिन अब आगे बहुत कुछ होगा,,

करण===क्या मतलब भाई मैं कुछ समझा नही,,,क्या होगा भाई

सन्नी=== अबे तेरी शादी होगी रितिका से वो भी बहुत जल्दी,, बस तू तैयारी करले और माँ और शिखा को भी
बता दे

करण खुशी से पागल होते हुए,तू सच बोल रहा है सन्नी भाई,,,,वो फोन पर पागलो की तरह खुश
होता हुआ चिल्ला चिल्ला कर बात करने लगा,,,,,

सन्नी === हाँ भाई सच बोल रहा हूँ,,,,,,,,,इतना बोलकर मैने वो सारी बात करण को भी बता दी जो
अभी कुछ देर पहले ख़ान भाई को बताई थी ,,जो कुछ भी अमित के घर मे हुआ और जो डील हुई थी मेरी
अमित के बाप से,,,,,,,,,,,,,,,,,

करण===लेकिन भाई तू वो सब करेगा कैसे,,,,,

सन्नी====कैसा करूँगा मतलब,,,वो सीडीज़ तो मेरे ही पास है मैं चाहूं तो अभी तेरी शादी करवा
सकता हूँ,,,आज ही,,,लेकिन मुझे अमित के बाप के फोन का इंतेज़ार है,,,,कब वो रितिका के बाप से
बात करेगा तेरे और रितिका की शादी एक बारे मे ,,,बस उसका . आ जाए तो तेरा काम हो जाना है,,,

करण थोड़ा उदास होके=== अगर उसका फोन नही आया तो,,,,

सन्नी=== अबे तू पागल हो गया है क्या,,,,,इतनी जल्दी तुझे नही होगी रितिका से शादी करने की जितनी जल्दी
उन लोगो को होगी सीडीज़ मिलने की,,,,बस उनकी तरफ से बात आगे . दे तभी तेरी बात आगे .,,,

करण===लेकिन भाई अगर वो मान भी गये तो क्या वो ये सब इतनी आसानी से होने देंगे ,,,अगर कोई पंगा
हो गया तो,,,,,

सन्नी=== हाँ भाई पंगा तो हो सकता है ख़ान भाई ने मुझे सावधान रहने को बोला है,,वैसे ख़ान
भाई हम लोगो के साथ है तो हमे डर नही होना चाहिए किसी बात का,,,,और वैसे भी जब तक सीडीज़ उनके
हाथ नही लगती वो कुछ नही कर सकते और जब तक तेरी शादी नही होती रितिका से मैं उनको सीडीज़ नही दूँगा
और एक बार तेरी शादी हो गई तो कुछ नही हो सकता,,,,,,बस फिर बाकी के प्लान पर काम करना होगा,,
अब तू ये बात अलका आंटी को मत . बस शिखा दीदी को बता देना,,बाकी मैं ख़ान भाई से बात करके
फिर तुझसे बात करूँगा,,,,देखते है क्या करना है आगे,,,,

तभी करण बीच मे बोल पड़ा== क्या ये बात तूने रितिका को भी बता दी है क्या,,,,

सन्नी== अबे नही तो,,,आज ही तो सुबह बात करके आया मैं अमित के बाप से ,,,,और अब तक ख़ान भाई और
तेरे साथ ही बात हुई है इस बारे मे,,,तुझे किसने कहाँ की मैने रितिका को बता दिया है ये सब,,,

करण===पता नही भाई लेकिन कुछ 5-10 मिनट पहले मुझे रितिका का मसेज आया था,,,,बोल रही थी कोई
गुड न्यूज़ है,,,मुझे लगा तूने उसको भी बता दिया होगा,,,,खैर कोई और बात होगी फिर,,,मैं बात
कर लेता हूँ उसके साथ,,,,,ओके बाइ भाई,,,

इतना बोलकर उसने फोन कट कर दिया और मुझे टेन्षन हो गई,,,,उसके पास क्या गुड न्यूज़ है,,मैने तो
उसको नही बताया इस बारे मे,,,,कहीं अमित या उसके बाप ने तो बात नही की रितिका के बाप के साथ मिलकर
जिसको रितिका ने सुन लिया हो,,,,,या रितिका के बाप ने तो नही बता दिया रितिका को कि उसकी शादी करण से होगी,,
नही नही,,,ऐसा होता तो अमित का बाप पहले मुझे फोन करता ,,,,तो फिर क्या बात हो सकती है,,,मैं
अभी टेन्षन फ्री हुआ था कि फिर से टेन्षन मे पड़ गया था,,,,
करण से बात करके मैं थोड़ा टेन्षन मे आ गया था ,,लेकिन अभी और टेन्षन मिलने वाली थी मुझे अब
क्यूकी मुझे उपर रूम मे जाके सोनिया और कविता के साथ स्टडी जो करनी थी,,
 
मैं उपर गया तो सोनिया और कविता दोनो रूम मे नही थी मैने साथ वाले रूम मे देखा तो वो वहाँ
भी नही थी फिर मैं उपर भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे गया तो वो दोनो घर के फ्रंट गार्डन की तरफ
वाली खिड़की के पास ज़मीन पर मॅट्रेस लगा कर स्टडी कर रही थी,,,मैं रूम मे एंटर हुआ तो सोनिया
ने नखरे से मुझे देखा और वापिस बुक की तरफ देखने लगी,,,लेकिन कविता ने मुझे हंस कर और शर्माके
देखा ,,,,,

जैसे ही मैं आगे बढ़ा सोनिया एक दम से बोली,,,,,,तू यहाँ क्या करने आया है ब्लॅकी,,,

तुझे कितनी बार बोला ब्लॅकी मत बोला कर,,,,और मैं यहाँ स्टडी करने आया हूँ ,,,,तुझे कोई प्रोबलम
है क्या,,,,मैने भी थोड़ा चिढ़ते हुए बोला,,,

नही मुझे नही है लेकिन तुझे होगी,,,,क्यूकी बिना बुक्स के स्टडी करने मे अक्सर प्रोबलम होती है
सोनिया ने इतनी बात मेरे खाली हाथ देख कर बोली और फिर दोनो हँसने लगी,,,,

मैं तो बुक इसलिए नही लेके आया कि कविता के साथ बैठकर एक ही बुक मे स्टडी कर लूँगा,,,मैने इतना
बोला और कविता की तरफ बढ़ गया और कविता मुझे हंस कर देखने लगी जबकि सोनिया थोड़ा चिड गई,,

मैं कविता के पास जाके बैठ गया ,,कविता ने भी खुद को अड्जस्ट किया और मेरे लिए जगह बना कर बुक
को थोड़ा मेरी तरफ खिसका दिया,,,,मैं भी उसके साथ बैठकर स्टडी करने लगा,,,लेकिन मेरा ध्यान स्टडी
मे कम ही था ,,मैं तो उसके पास बैठ कर उसके बदन से आने वाली मस्त ख़ूसबू को अपने सांसो मे
महसूस करने लगा था,,वो भी जानती थी कि मेरा ध्यान बुक पर नही है तभी उसने सोनिया की तरफ देखा
और फिर मेरे को इशारा किया बुक की तरफ और नज़रो ही नज़रो मे मुझे पढ़ने के लिए बोलने लगी,,,मैने
भी उसकी बात मान ली और अपना ध्यान बुक की तरफ कर लिया ,,,मेरी इस हरकत से वो बहुत ज़्यादा खुश हो
गई क्यूकी मैने एक ही बार मे उसकी बात मान ली थी,,,,,

हम लोग करीब 7 बजे शाम तक स्टडी करते रहे,,,माँ अभी तक नही आई थी और डिन्नर का टाइम भी करीब
ही था,,,,

लगता है माँ लेट हो जाएगी,,,,,चल कविता हम दोनो चलके डिन्नर की तैयारी कर देते है,,,माँ आएगी और
डिन्नर बना देगी,,,,सोनिया ने इतना बोला और अपनी बुक रखी और साथ मे कविता को भी बुक रखने को बोला
फिर दोनो नीचे चली गई,,,,कविता का दिल नही था नीचे जाने को ,,वो बड़ी धीरे धीरे उठी थी अपनी
जगह से,,,,हम लोग करीब बैठ कर स्टडी कर रहे थे इतने टाइम से जिस से हम दोनो को बहुत अच्छा लग
रहा था,,,टाइम भी जल्दी से बीट गया था,,,वो रूम से बाहर जाते हुए भी मुझे उदास होके देख रही थी

मैने भी जल्दी से बुक रखी और उन दोनो के पीछे पीछे नीचे चला आया,,,,

तू क्यूँ नीचे आ गया,,,तू उपर जाके स्टडी कर ले सन्नी,,,,ये बात कविता ने हँसते हुए मज़ाक मे मुझे बोली
और सोनिया के साथ नीचे सीडियाँ उतरने लगी,,,,,कविता की बात से सोनिया ने पीछे मूड कर मुझे गुस्से से देखा


लगता है तुम दोनो को मेरा नीचे आना अच्छा नही लग रहा,,,ठीक है फिर तुम दोनो जाओ मैं चला वापिस
स्टडी करने,,,,मैने इतना बोला तो सोनिया हँसने लगी लेकिन कविता फिर से उदास हो गई,,,,वो मुझे उपर जाने
के लिए मज़ाक मे बोल रही थी ,,,लेकिन मैं सच मे उपर की तरफ मुड़ने लगा तो वो उदास हो गई,,,

मैं 2 कदम उपर गया और फिर से वापिस पलटकर नीचे आने लगा,,,,सोनिया और कविता दोनो ने मुझे देखा
और दोनो ही हँसने लगी,,,,कविता समझ गई कि मैने भी उपर जाने का मज़ाक ही किया था,,,

वो दोनो हल्के से हँसते हुए किचन मे चली गई जबकि मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,,,तभी मुझे
किचन से आवाज़ आई,,ये आवाज़ थी कविता की,,,

सन्नी एक मिंट अंदर आना ,तेरी हेल्प चाहिए हमे,,,,मैं कविता की आवाज़ सुनके किचन की तरफ चलने लगा

तभी किचन से सोनिया की आवाज़ भी आने लगी,,,रहने दे उसको बाहर ही मुझे नही चाहिए उसकी हेल्प,,,वो
थोड़ा नखरे से बोल रही थी,,,,

इतनी देर मे मैं किचन मे पहुँच गया,,,,,,,,,,मैने किचन मे अंदर घुसते हुए देखा कि कविता एक
छोटे टेबल को पकड़ कर खड़ी हुई थी और सोनिया उस टेबल पर खड़ी होके उपर वाली शेल्फ से कोई डिब्बा
उतारने की कोशिश कर रही थी,,,तभी उपर से एक डिब्बा उसके हाथ लगने से नीचे गिरा और गिरते टाइम उसका
ढक्कन भी निकल गया और वो डिब्बा उल्टा होके सोनिया के उपर गिर गया,,,उस डिब्बे मे बैसन था जो सारा सोनिया
के उपर गिर गया,,,,मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा सोनिया की तरफ देख कर और मुझे हँसता देख कविता भी हँसने
लगी,,,,,वैसे कविता नही हँसती क्यूकी वो डरती थी सोनिया से,,,,लेकिन मुझे हँसता देख कविता भी हँसने लगी,,,,

सोनिया का पूरा सर और चेहरा बैसन से कवर हो गया था,,,,,वो जल्दी से टेबल से नीचे उतरी और अपने बालों
को झटक कर अपने सर से बैसन को उड़ाने लगी साथ ही अपने हाथों से भी अपने सर को झटकने लगी,,,उसके
सर से बैसन उड़ता हुआ किचन के फ्लोर पर गिरने लगा,,,,,,जब उसका फेस थोड़ा सॉफ हुआ उसने घूर कर
कविता की तरफ देखा तो कविता जल्दी से चुप हो गई ,,कविता के चुप होते ही उसने मेरी तरफ भी गुस्से से
देखा लेकिन मैं चुप नही हुआ बल्कि और ज़्यादा ज़ोर से हँसने लगा,,,,मैं जानता था मेरी इस हरकत से उसको
और भी ज़्यादा गुस्सा आएगा और ऐसा ही हुआ,,,,वो जल्दी से गुस्से से मुझे घूरती हुई किचन से बाहर चली
गई,,,,

वो मेरे करीब से जल्दी से गुजर कर किचन से बाहर गई और उपर की तरफ भाग गई,,,,उसके जाने के बाद
मैं फिर से हँसने लगा,,लेकिन तभी कविता मेरे पास आ गई,,,,,,,,

क्यूँ हंस रहा है अब,,,,अब तो वो चली गई,,,,कविता ने मुझे डाँट-ते हुए बोला

मैं तो बस ऐसे ही हंस रहा था और अगर वो होती तो भी मैं हँसता,,,,मुझे उसका डर नही ,,जैसे तुझे
है डर उसका,,,,

झूठ मत बोल,,,,मुझे पता है तू भी उस से डरता है,,,मेरे से भी कहीं ज़्यादा डरता है तू उस से,,,ये
झूठ किसी और को बोलना कि तू नही डरता सोनिया से,,,,

नही डरता मैं उस से,,,तूने देखा नही जब वो मुझे घूर कर देख रही थी तब भी मैं हंस रहा था
तेरी तरह एक पल मे ही चुप नही हो गया था,,,,

जानती हूँ,,,तू हँसता रहा और चुप नही हुआ,,,,और ऐसा तूने इसलिए नही किया क्यूकी तू उस से डरता नही ,,
बल्कि ऐसा तूने इसलिए किया ताकि वो और ज़्यादा गुस्सा हो जाए,,,,

हाँ मैने ऐसा इसलिए किया ताकि वो गुस्सा हो जाए,,,,और वो गुस्सा हो भी गई है,,,

तभी वो मेरी बात के बीच मे ही बोल पड़ी,,,,मैं तेरे को अच्छी तरह से जानती हूँ सन्नी,,,जबसे तेरा
उस से झगड़ा हुआ है तबसे ना जाने क्यूँ तू क्यूँ उसको छोटी छोटी बात पर तंग करता रहता है,,,मैने
कयि बार नोटीस भी किया है,,,,,तू जान भूज कर उसको तंग करता है,,,जान भूज कर उसको गुस्सा दिलाता
है,,,,,,,,,क्यूँ करता है तू ऐसा,,,,क्या तुझे मज़ा आता है ये सब करके,,,

हाँ बहुत मज़ा आता है,,,,जब भी उसको गुस्सा करता हूँ मुझे मज़ा आता है,,,,अब खुश ,,यही सुनना था
तूने मेरे से,,,,मैं थोड़ा गुस्से मे बोला कविता को तो वो मेरे करीब आ गई,,,,

तुझे पहले भी बोला है मैने की मेरे सामने तू झूठ मत बोला कर सन्नी,,,मैं जानती हूँ तुझे उसको
गुस्सा करके मज़ा नही आता ,,,अभी भी तुझे मज़ा नही आया बल्कि तुझे खुद पर गुस्सा आया कि तूने अपनी
ही बेहन का मज़ाक उड़ाया है और अपने उस गुस्से को कम करने के लिए तू अब मुझपर गुस्सा कर रहा है

मैं कविता की बात से एक दम चुप हो गया,,,कोई जवाब नही सूझा मुझे,,,,बड़ा अजीब लगा कि ये इतना
सब कैसे जानती है,,,,,ये सच तो सिर्फ़ मैं जानता हूँ,,,,हालाकी मैं सोनिया के सामने मस्ती करता हूँ
और उसको गुस्सा दिलवाता हूँ ताकि वो मेरे से दूर रहे यही गुस्सा उसको मेरे से दूर रखता है लेकिन
जब भी मैं उसको गुस्सा दिलवाता हूँ मुझे खुद पर भी गुस्सा आता है,,,,

मैं चुप छाप ख़ड़ा रहा ,,,कविता के सामने कुछ नही बोल सका
 
देख सन्नी मुझे नही पता कि तेरा क्या झगरा चल रहा है सोनिया के साथ ,,और मैं जान-ना भी नही
चाहती ,,,मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि तुम दोनो भाई बेहन पहले की तरफ मिलकर रहने लगो,,क्यूकी
मैं तुम दोनो की दोस्त हूँ और तुम दोनो को अच्छी तरह जानती हूँ,,,,आज तुम दोनो एक दूसरे से दूर
हो लेकिन ना तुम इस बात से खुश हो और ना वो इस बात से खुश है,,,,तुम दोनो को अपनी प्रोब्लम्स को
सॉल्व करना चाहिए,,,तुम दोनो को सब कुछ पहले जैसा करना चाहिए,,,,

मैं चुप रहा और उसकी बात सुनता रहा,,,,,,कुछ नही बोला मैं,,क्यूकी वो जो कुछ भी बोल रही थी सब
सच था,,,,मैं सोनिया को खुद से दूर रखकर खुश था लेकिन खुद उस से दूर रहके खुश नही था


जा उपर जाके उस से माफी माँग ले ,,जो अभी तूने उसका मज़ाक उड़ाया है इसके लिए,,जो झगड़ा तुम लोगो का
पहले से चल रहा है उसको भूल जा ,,,वो फिर कभी सॉल्व कर लेना,,,,लेकिन जो पंगा तूने आज किया है
उसके लिए सौरी बोल्डे उसको उपर जाके,,,,,

मैने ना मे सर हिला दिया,,,और सोचा कि कविता तुझे क्या पता कि हम लोगो का झगड़ा क्यूँ चल रहा है
,,और मैं इस झगड़े को ख़तम करना नही चाहता क्यूकी जब तक ये झगड़ा है हम दोनो के बीच तब तक
सोनिया बची हुई है मेरे से,,,और मैं खुद भी नही चाहता कि ये झगड़ा सॉल्व हो जाए क्यूकी अगर ऐसा
हो गया तो आज नही तो कल मैं फिर से बुरा बर्ताव शुरू कर दूँगा सोनिया के साथ और अगर दोबारा से ऐसा
कुछ हो गया तो मैं खुद को माफ़ नही कर पाउन्गा,,,,


कविता ने फिर बोला मुझे लेकिन मैने ना मे सर हिला दिया,,,,,तभी वो मेरे पास आई और मुझे बाहों
मे भरके हल्की किस करदी मेरे लिप्स पर,,,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी मेरी खातिर माफी माँग लो सोनिया से,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

उसने इतने प्यार से बोला कि मैं मना नही कर पाया,,,,,ओके ठीक है माँग लेता हूँ माफी लेकिन सिर्फ़ आज के
मज़ाक के लिए,,,जो पहले से फाइट चल रही है हम लोगो मे वो चलती रहेगी,,,,,,,

ओके ठीक है बाबा ,,आज के लिए तो माफी माँग ले,,,,बाद की बाद मे देखते है,,,उसने मुझे उपर जाने के
लिए किचन से बाहर हल्का सा धक्का दिया,,,,जा अब माफी माँग उस से,,,

मैं किचन से निकला और उपर की तरफ जाने लगा,,,मेरा दिल तो नही था सोनिया से सौरी बोलने का लेकिन मैं
कविता की वजह से ऐसा करने को तैयार हो गया,,,मुझे पता था सौरी बोलने से भी सोनिया मुझे माफ़ नही
करेगी क्यूकी मेरी ग़लती ही ऐसी थी,,,लेकिन कविता को क्या पता मेरी ग़लती के बारे मे,,और वैसे भी उसने
मुझे आज की बात के लिए सौरी बोलने को कहा था ना कि जो ग़लतियाँ मैने पहले की थी जिनके बारे मे उस
कविता को कुछ पता ही नही था,,,,

मैं ना चाहते हुए भी सौरी बोलने के लिए उसके रूम मे चला गया,,,मैने रूम मे अंदर जाके देखा
तो वो वहाँ नही थी ,,मैं समझ गया कि बैसन उपर गिरने की वजह से वो गंदी हो गई थी इसलिए शायद अब
वॉशरूम मे खुद को सॉफ कर रही होगी,,,,इसलिए मैं वहाँ से निकल कर नीचे जाने लगा लेकिन इतनी जल्दी
नीचे चला जाता तो कविता मेरे से सवाल करती,,,,,कि इतनी जल्दी मैं माफी माँग कर नीचे भी आ गया इसलिए
उसके सवालो से बचने के लिए मैं शोबा के रूम मे चला गया ताकि कुछ देर यहाँ बैठ जाउन्गा और
जैसे ही मैं शोबा के रूम मे घुसा और अंदर गया तभी मैने देखा की सोनिया शोबा दीदी के रूम मे
बने बातरूम से बाहर निकल रही थी,,,,,वो सिर्फ़ टवल मे थी,,उसका गौरा बदन एक दम चमक रहा
था उसके गीले बालों से पानी की बूँदें टपक कर नीचे बिछे हुए कार्पेट पर गिर रही थी ,उसका टवल भी
काफ़ी हद तक गीला हो चुका था,,,,,वो टवल उसके बूब्स से थोड़ा उपर बढ़ा हुआ था और उसकी टाँगों
पर घुटनो से थोड़ा सा उपर था,,,,,उसकी आधी नंगी मखमली गौरी टाँगें पानी से भीगी हुई किसी काँच
की तरह चमक रही थी,,,,मैने उसको एक पल के लिए ही देखा था लेकिन इतनी देर मे ही मैने उसको उपर
से नीचे तक देख लिया था,,,मैने तो शायद उसको इतनी गौर से देखा था कि उसके बालों से गिरने वाली पानी
की बूँदो को भी काउंट कर लिया था,,,

वो एक दम से मुझे देख कर चीख उठी,,लेकिन चीखते टाइम उसने अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर रख
लिए ताकि उसकी आवाज़ नीचे तक नही पहुँच जाए लेकिन मुँह पर हाथ होने के बावजूद वो काफ़ी तेज आवाज़
मे चीखी थी,,,,रूम मे उसकी चीख गूँज उठी थी,,,रूम का दरवाजा बंद नही होता तो मुँह पर हाथ
रखने के बावजूद उसकी चीख नीचे कविता को सुनाई दे जाती,,,,

मैं एक दम से डर गया उसकी चीख से और जल्दी से उसकी तरफ पीठ करके पलट गया,,,,,

कुछ देर तक रूम मे सन्नाटा रहा,,,,बस हम दोनो के दिल की धड़कन और तेज साँसों की आवाज़ गूँजती रही
रूम मे,,,,,हम दोनो डर गये थे,,,,वो मेरे से डर रही थी और मैं अपने अंदर के जानवर से जो सोनिया
को इस हालत मे देख कर कुछ भी करने को तैयार था,,

तुम य्यहहानं क्क्या कार राहही हूँ,,,उसने डरते और घबराते हुए मेरे से बोला,,,तुउम तूऊओ
ननीहक्सी त्तहेी ना,,,उसकी आवाज़ से डर और घबराहट सॉफ सॉफ झलक रही थी,,,

सूउररयी मैं उूओ ,,मैं बस तुमसे मैं वो,,,मैं भी थोड़ा डर गया था,,मैं उसकी तरफ पीठ करके
खड़ा हुआ था लेकिन डर की वजह से मैं इधर उधर देख रहा था,,तभी मेरी नज़र पड़ी मेरी लेफ्ट साइड
पड़े हुए मिरर पर ,,मैने मिरर मे देखा कि सोनिया बाथरूम से बाहर निकल कर दीवार के साथ
लग्के खड़ी हुई थी,,,,उसने अपने जिस्म पर लिपटे हुए टवल को कस कर पकड़ा हुआ था,,वो बड़ी बुरी तरह से
डरी हुई थी ,,,उसका बदन बुरी तरह से काँप रहा था,,डर और घबराहट का सॉफ सॉफ पता चल रहा था क्यूकी
उसके भीगे हुए फोरहेड पर पसीना सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था जो घबराहट की निशानी था,,,वो नहा कर
बाहर आई थी और उसके फोरहेड पर पानी भी था लेकिन उस पानी मे घबराहट की वजह से आया पसीना कुछ
अलग ही तरीके से चमक रहा था,,,मुझे अभी खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,,,

बोलो कय्या कारर राहहे हहू तुउंम यहहानं ,,उसने फिर डरते हुए पूछा,,,

मैं बस तुमसे कुछ बात करने आया था,,,मेरी हालत भी बहुत खराब थी डर की वजह से,,,,

क्या बात कररननी हाीइ,,,वो डरी जा रही थी ,उसके काँपते होंठों से लफ़्ज बड़ी मुश्किल से निकल रहे थे,,
मुझसे उसका ऐसे डर कर बात करना बर्दाश्त नही हो रहा था,,,,
 
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