hotaks444
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मैं फिर भी नही रुका और उसके दूसरे हाथ को भी उसकी छाती से हटा दिया,,,उसके दोनो हाथ फिर से नीचे लटक गये
था,,,,फिर मैने हाथ को आगे बढ़ा कर उसके टवल को निकालने की कोशिश करते हुए अपने हाथ को जैसे ही उसकी छाती
पर रखा तो मेरा हाथ उसकी छाती के उपर उसके दिल के पास टच हो गया,,,,मैने अपने हाथ को उसके दिल के पास ही
रख दिया और उसके दिल की धड़कन को महसूस करने लगा,,,,उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था,,,,वो मस्ती मे थी
या डरी हुई थी ये तो पता नही था लेकिन उसके दिल की धड़कन बहुत ज़्यादा तेज थी,,,,उसके दिल की धड़कन को महसूस
करके मैने उसके एक हाथ को अपने हाथ से पकड़ा और उसके हाथ को अपनी छाती पर अपने दिल के पास रख दिया और उसको
ये बता दिया कि सिर्फ़ तू ही नही जो दिल की धड़कन को क़ाबू मे करने की कोशिश कर रही है ,,मैं भी हूँ जो
अपने दिल की धड़कनो को संभालने की कोशिश मे खुद से जूझ रहा हूँ,,,,
मेरे दिल पर उसका हाथ लगते ही मेरे दिल की धड़कन और भी ज़्यादा तेज हो गई,,,,मेरा हाथ उसके दिल पर था जबकि उसका
हाथ मेरे दिल पर,,,,अब मैने अपने हाथ को उसके हाथ से हटा दिया और उसका हाथ खुद-ब-खुद मेरी छाती पर दिल
के पास टिका हुआ था,,,,हम दोनो एक दूसरे की नज़रो मे देख रहे थे तभी मैने अपने दूसरे हाथ से उसकी ज़ुल्फो
को उसके चेहरे से हटा कर एक साइड किया और तभी उसने अपने हाथ को मेरी छाती से उठा लिया,,
मैने उसकी ज़ुल्फो को उसके चेहरे से हटा कर साइड किया और उसकी गर्दन को अपने हाथ मे पकड़ लिया और ऐसा करते ही
उसने अपने सर को उपर उठा दिया और उसकी सुराही जैसी गर्दन मेरे सामने आ गई और मैने बिना देर किए अपने लिप्स को
उसकी गर्दन पर रख दिया और अपने लिप्स से हल्की किस करदी,,,,
मेरे ऐसे करते ही उसने अपने हाथ को मेरे सर पर रखा और मेरे बालों को कस के अपनी मुट्ठी मे भरके मेरे
बालों को थोड़ा नोच दिया,,और बोली,,,,,,,,मत करो ऐसे सन्नी प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ क्यू हवस मे पागल होके अपनी ही
बेहन को रुसवा करने जा रहे हो,,,ये बात उसने थोड़ी मायूसी मे बोली तो मुझे वो टाइम याद आ गया जब मैं
जाने अंजाने ही सही रितिका के साथ किचन मे था और करण ने मुझे देख लिया था,,,उस टाइम मैने करण की बरसो
पुरानी दोस्ती को रुसवा कर दिया था और अब मैं वही ग़लती जानभूज कर करने जा रहा हूँ वो भी अपनी छोटी और
मासूम बेहन के साथ,,,,यही बात दिमाग़ मे आते ही मैं एक दम से उस से दूर हट गया,,और खुद को क़ाबू करते
हुए उसकी तरफ देखने लगा,,,,
मैने देखा कि उसकी आँखों मे आँसू थे,,,लेकिन फिर भी थोड़ी हिम्मत के साथ वो मेरी नज़रो मे नज़रे डालके
देख रही थी,,,,उसकी हिम्मत से मैं थोड़ा खुश भी हुआ और मुझे खुद पर गुस्सा भी आया,,,,क्यू मैं हर बार
अपनी इस मासूम बेहन को रुसवा करता रहता हूँ ,,,,जानता हूँ मैं इसको अपनी बाहों मे भरना चाहता हूँ
लेकिन ज़ोर ज़बरदस्ती से नही,,,प्यार से,,,,उसकी रज़ामंदी से,,,,जितनी शिद्दत से मैं उसको बाहों मे भरना चाहता
हूँ अगर वो भी उतनी ही शिद्दत से मुझे अपनी बाहों मे भरेगी तो उस मिलन का मज़ा ही कुछ और होगा,,,अगर
मैं ज़बरदस्ती करूँगा तो मज़ा मुझे ही मिलेगा वो तो रुसवा ही होगी बेचारी,,और उसको रुसवा करके मैं कभी
खुश नही रह सकता था,,,,,
मैं जल्दी से उस से दूर हट गया,,,,,कुछ देर तक फिर रूम मे सन्नाटा रहा ,,,,ना वो कुछ बोली और ना मैं,,,वो
बस नम आँखों मे हल्के आँसू लेके मुझे देख रही थी,,,,,
मुझे उस पर बड़ा तरस आ रहा था,,,,आख़िर क्यूँ वो बेचारी मेरी वासना का शिकार हो रही थी बार बार,,,क्यू मैं
उसको हर्ट कर रहा था ,,,क्यूँ उसको रुला रहा था आए दिन,,,मैं दिल से कभी ऐसा नही चाहता था कि मेरी सबसे प्यारी
बेहन की आँखों मे कभी आँसू आए लेकिन फिर भी जाने अंजाने मैं उसको रुलाता रहता था,,,इस वक़्त भी वो मासूम
मिरर के पास ऐसे खड़ी हुई थी जैसे मैं शैतान हूँ और उसकी इज़्ज़त आबरू लूटने आया हूँ,,,
हम लोग ऐसे ही खड़े हुए थे रूम मे ,,,वो मिरर के पास खड़ी हुई थी जबकि मैं उस से 2-3 कदम की दूरी
पर खड़ा हुआ था,,,,मैं चुप चाप खड़ा हुआ था जबकि वो रोती जा रही थी,,,,रोते हुए भी वो मेरी आँखों मे
देख रही थी,,,,उसकी आँखों मे एक उदासी थी और चेहरे पर एक डर था ,,एक गम था,,,
तभी मैं उसके पास जाने लगा फिर से ,,किसी ग़लत मकसद से नही,,,मैं उसकी तरफ एक कदम बड़ा ही था कि वो बोल
पड़ी,,,,,,
प्ल्ज़्ज़ नही सन्नी,,,तुझे मेरी कसम वही रुकजा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़
लेकिन इतनी देर मे मैं एक कदम और आगे बढ़ चुका था और उसके करीब चला गया था,,,,
मैं अब फिर से उसके करीब था ,,वो मेरी नज़रो मे देख रही थी,,,और मैं उस से शर्मिंदा हुआ जा रहा था,,,,
तुम यहाँ से चली जाओ सोनिया,,,,कुछ दिन के लिए कविता के घर पर रहने चली जाओ जब तक मोम डॅड वापिस नही आ
जाते,,,,,जब मोम डॅड आ गये तुम भी वापिस आ जाना,,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़ मेरी बात समझ जो भी मैं कह रहा हूँ,,
वो समझ गई मैं उसको ये सब क्यूँ बोल रहा हूँ लेकिन उसने ना मे सर हिला दिया और बोला,,,,मुझे कहीं नही जाना
सन्नी मुझे यहीं रहना है ,,इसी घर मे,,,
तू समझती क्यूँ नही मेरी भोली बहना,,,,तू बहुत मासूम है और मैं एक कमीना इंसान हूँ ,
तभी उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,तू कमीना नही है ,,तू मेरा भाई है और तू बहुत अच्छा है सन्नी,,,
इतना बोलते हुए वो फिर से आँसू बहाने लगी,,
तभी मैने उसके आँसू पोंछने के लिए उसके चेहरे पर अपना हाथ रखा और उसकी आँख से बहने वाले आँसू के एक
कतरे को सॉफ किया और अपने हाथ को घुमा कर उसकी गर्दन की तरफ ले गया और अपने हाथों की उंगलियों को खोलकर
अपने उंगलियों को उसके बालों मे घुसा दिया और अपनी उंगलियों को बंद करके उसके कुछ बाल अपनी मुट्ठी मे भर
लिए और उसके सर पर एक मजबूत पकड़ बना ली ,,,इस से उसके बाल थोड़ा खींच गये और उसको थोड़ा दर्द भी हुआ,,
अहह आराम से सन्नी तुम मुझे हर्ट कर रहे हो,,,,उसने अपने हाथों से मेरे उस हाथ को पकड़ा जिस से मैने
उसके सर को पकड़ा हुआ था और मेरे हाथ को अपने सर से दूर करने लगी,,,,
देखा,,,,,मैं जब चाहूं तुझे हर्ट कर सकता हूँ,,,मैं सच मे बहुत कमीना हूँ,,इतना बोलकर मैने उसके
सर को पकड़ कर अपने करीब किया,,,,उसके होंठ फिर से थरथराने लगे,,,,ज़ुबान कँपने लगी,,,,साँसे भारी हो गई
और चेहरे पर डर की भाव आ गये,,,
मैं बहुत बड़ा कमीना हूँ सोनिया ,,तू सोच भी नही सकती मैं तेरे साथ अभी क्या कर सकता हूँ,,,,,,कितना हर्ट
कर सकता हूँ,,,
तभी वो हिम्मत करते हुए बोली,,,,,,,,,,,,तू कमीना नही है मैं जानती हूँ ,,,तू कमीना बनने की कोशिश कर रहा
है और तू जितनी भी कोशिश करले मुझे हर्ट नही कर सकता,,,तू मेरा भाई है,,,मेरा दर्द नही देख सकता तू,,,
ये तेरी ग़लत फहमी है सोनिया,,मैं कुछ भी कर सकता हूँ,,,मेरे अंदर जो शैतान बस्ता है उसके बारे मे तुझे
कुछ नही पता अभी,,,,आज तक तूने उस शैतान को देखा नही है कभी,,,और दुआ करूँगा कि तुझे वो कभी नज़र
भी नही आए ,,,,अभी तक मैने उसको क़ाबू मे किया हुआ है,,जिसस दिन उसने मुझे अपने बस मे कर लिया उस दिन मैं
कुछ नही कर पाउन्गा तेरे लिए,,और उस दिन मुझे बड़ा अफ़सोस होगा ,,,मुझे किसी बात का अफ़सोस नही करना,,,,और ना
ही उस शैतान को खुद पर हावी होने देना है,,,,तेरी भलाई इसी मे है कि तू कविता के घर चली जा,,,
तेरा शैतान तेरे बस मे रहे या ना रहे सन्नी लेकिन मैं जानती हूँ मेरा भाई अपने बस मे रहेगा हमेशा और
मुझे कभी हर्ट नही करेगा,,,
वो मेरी बात को समझ ही नही रही थी,,तभी मैने अपने दूसरे हाथ को उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया और अपनी एक
उंगली को उसकी छाती के उपर उसकी गर्दन के पास रखा और हल्के से नीचे खिसका दिया और उंगली को उसके टवल मे
घुसा दिया जिस से उंगली उसके दोनो बूब्स के बीच की लाइन मे चली गई,,
मेरी इस हरकत से उसका मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,,,
था,,,,फिर मैने हाथ को आगे बढ़ा कर उसके टवल को निकालने की कोशिश करते हुए अपने हाथ को जैसे ही उसकी छाती
पर रखा तो मेरा हाथ उसकी छाती के उपर उसके दिल के पास टच हो गया,,,,मैने अपने हाथ को उसके दिल के पास ही
रख दिया और उसके दिल की धड़कन को महसूस करने लगा,,,,उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था,,,,वो मस्ती मे थी
या डरी हुई थी ये तो पता नही था लेकिन उसके दिल की धड़कन बहुत ज़्यादा तेज थी,,,,उसके दिल की धड़कन को महसूस
करके मैने उसके एक हाथ को अपने हाथ से पकड़ा और उसके हाथ को अपनी छाती पर अपने दिल के पास रख दिया और उसको
ये बता दिया कि सिर्फ़ तू ही नही जो दिल की धड़कन को क़ाबू मे करने की कोशिश कर रही है ,,मैं भी हूँ जो
अपने दिल की धड़कनो को संभालने की कोशिश मे खुद से जूझ रहा हूँ,,,,
मेरे दिल पर उसका हाथ लगते ही मेरे दिल की धड़कन और भी ज़्यादा तेज हो गई,,,,मेरा हाथ उसके दिल पर था जबकि उसका
हाथ मेरे दिल पर,,,,अब मैने अपने हाथ को उसके हाथ से हटा दिया और उसका हाथ खुद-ब-खुद मेरी छाती पर दिल
के पास टिका हुआ था,,,,हम दोनो एक दूसरे की नज़रो मे देख रहे थे तभी मैने अपने दूसरे हाथ से उसकी ज़ुल्फो
को उसके चेहरे से हटा कर एक साइड किया और तभी उसने अपने हाथ को मेरी छाती से उठा लिया,,
मैने उसकी ज़ुल्फो को उसके चेहरे से हटा कर साइड किया और उसकी गर्दन को अपने हाथ मे पकड़ लिया और ऐसा करते ही
उसने अपने सर को उपर उठा दिया और उसकी सुराही जैसी गर्दन मेरे सामने आ गई और मैने बिना देर किए अपने लिप्स को
उसकी गर्दन पर रख दिया और अपने लिप्स से हल्की किस करदी,,,,
मेरे ऐसे करते ही उसने अपने हाथ को मेरे सर पर रखा और मेरे बालों को कस के अपनी मुट्ठी मे भरके मेरे
बालों को थोड़ा नोच दिया,,और बोली,,,,,,,,मत करो ऐसे सन्नी प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ क्यू हवस मे पागल होके अपनी ही
बेहन को रुसवा करने जा रहे हो,,,ये बात उसने थोड़ी मायूसी मे बोली तो मुझे वो टाइम याद आ गया जब मैं
जाने अंजाने ही सही रितिका के साथ किचन मे था और करण ने मुझे देख लिया था,,,उस टाइम मैने करण की बरसो
पुरानी दोस्ती को रुसवा कर दिया था और अब मैं वही ग़लती जानभूज कर करने जा रहा हूँ वो भी अपनी छोटी और
मासूम बेहन के साथ,,,,यही बात दिमाग़ मे आते ही मैं एक दम से उस से दूर हट गया,,और खुद को क़ाबू करते
हुए उसकी तरफ देखने लगा,,,,
मैने देखा कि उसकी आँखों मे आँसू थे,,,लेकिन फिर भी थोड़ी हिम्मत के साथ वो मेरी नज़रो मे नज़रे डालके
देख रही थी,,,,उसकी हिम्मत से मैं थोड़ा खुश भी हुआ और मुझे खुद पर गुस्सा भी आया,,,,क्यू मैं हर बार
अपनी इस मासूम बेहन को रुसवा करता रहता हूँ ,,,,जानता हूँ मैं इसको अपनी बाहों मे भरना चाहता हूँ
लेकिन ज़ोर ज़बरदस्ती से नही,,,प्यार से,,,,उसकी रज़ामंदी से,,,,जितनी शिद्दत से मैं उसको बाहों मे भरना चाहता
हूँ अगर वो भी उतनी ही शिद्दत से मुझे अपनी बाहों मे भरेगी तो उस मिलन का मज़ा ही कुछ और होगा,,,अगर
मैं ज़बरदस्ती करूँगा तो मज़ा मुझे ही मिलेगा वो तो रुसवा ही होगी बेचारी,,और उसको रुसवा करके मैं कभी
खुश नही रह सकता था,,,,,
मैं जल्दी से उस से दूर हट गया,,,,,कुछ देर तक फिर रूम मे सन्नाटा रहा ,,,,ना वो कुछ बोली और ना मैं,,,वो
बस नम आँखों मे हल्के आँसू लेके मुझे देख रही थी,,,,,
मुझे उस पर बड़ा तरस आ रहा था,,,,आख़िर क्यूँ वो बेचारी मेरी वासना का शिकार हो रही थी बार बार,,,क्यू मैं
उसको हर्ट कर रहा था ,,,क्यूँ उसको रुला रहा था आए दिन,,,मैं दिल से कभी ऐसा नही चाहता था कि मेरी सबसे प्यारी
बेहन की आँखों मे कभी आँसू आए लेकिन फिर भी जाने अंजाने मैं उसको रुलाता रहता था,,,इस वक़्त भी वो मासूम
मिरर के पास ऐसे खड़ी हुई थी जैसे मैं शैतान हूँ और उसकी इज़्ज़त आबरू लूटने आया हूँ,,,
हम लोग ऐसे ही खड़े हुए थे रूम मे ,,,वो मिरर के पास खड़ी हुई थी जबकि मैं उस से 2-3 कदम की दूरी
पर खड़ा हुआ था,,,,मैं चुप चाप खड़ा हुआ था जबकि वो रोती जा रही थी,,,,रोते हुए भी वो मेरी आँखों मे
देख रही थी,,,,उसकी आँखों मे एक उदासी थी और चेहरे पर एक डर था ,,एक गम था,,,
तभी मैं उसके पास जाने लगा फिर से ,,किसी ग़लत मकसद से नही,,,मैं उसकी तरफ एक कदम बड़ा ही था कि वो बोल
पड़ी,,,,,,
प्ल्ज़्ज़ नही सन्नी,,,तुझे मेरी कसम वही रुकजा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़
लेकिन इतनी देर मे मैं एक कदम और आगे बढ़ चुका था और उसके करीब चला गया था,,,,
मैं अब फिर से उसके करीब था ,,वो मेरी नज़रो मे देख रही थी,,,और मैं उस से शर्मिंदा हुआ जा रहा था,,,,
तुम यहाँ से चली जाओ सोनिया,,,,कुछ दिन के लिए कविता के घर पर रहने चली जाओ जब तक मोम डॅड वापिस नही आ
जाते,,,,,जब मोम डॅड आ गये तुम भी वापिस आ जाना,,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़ मेरी बात समझ जो भी मैं कह रहा हूँ,,
वो समझ गई मैं उसको ये सब क्यूँ बोल रहा हूँ लेकिन उसने ना मे सर हिला दिया और बोला,,,,मुझे कहीं नही जाना
सन्नी मुझे यहीं रहना है ,,इसी घर मे,,,
तू समझती क्यूँ नही मेरी भोली बहना,,,,तू बहुत मासूम है और मैं एक कमीना इंसान हूँ ,
तभी उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,तू कमीना नही है ,,तू मेरा भाई है और तू बहुत अच्छा है सन्नी,,,
इतना बोलते हुए वो फिर से आँसू बहाने लगी,,
तभी मैने उसके आँसू पोंछने के लिए उसके चेहरे पर अपना हाथ रखा और उसकी आँख से बहने वाले आँसू के एक
कतरे को सॉफ किया और अपने हाथ को घुमा कर उसकी गर्दन की तरफ ले गया और अपने हाथों की उंगलियों को खोलकर
अपने उंगलियों को उसके बालों मे घुसा दिया और अपनी उंगलियों को बंद करके उसके कुछ बाल अपनी मुट्ठी मे भर
लिए और उसके सर पर एक मजबूत पकड़ बना ली ,,,इस से उसके बाल थोड़ा खींच गये और उसको थोड़ा दर्द भी हुआ,,
अहह आराम से सन्नी तुम मुझे हर्ट कर रहे हो,,,,उसने अपने हाथों से मेरे उस हाथ को पकड़ा जिस से मैने
उसके सर को पकड़ा हुआ था और मेरे हाथ को अपने सर से दूर करने लगी,,,,
देखा,,,,,मैं जब चाहूं तुझे हर्ट कर सकता हूँ,,,मैं सच मे बहुत कमीना हूँ,,इतना बोलकर मैने उसके
सर को पकड़ कर अपने करीब किया,,,,उसके होंठ फिर से थरथराने लगे,,,,ज़ुबान कँपने लगी,,,,साँसे भारी हो गई
और चेहरे पर डर की भाव आ गये,,,
मैं बहुत बड़ा कमीना हूँ सोनिया ,,तू सोच भी नही सकती मैं तेरे साथ अभी क्या कर सकता हूँ,,,,,,कितना हर्ट
कर सकता हूँ,,,
तभी वो हिम्मत करते हुए बोली,,,,,,,,,,,,तू कमीना नही है मैं जानती हूँ ,,,तू कमीना बनने की कोशिश कर रहा
है और तू जितनी भी कोशिश करले मुझे हर्ट नही कर सकता,,,तू मेरा भाई है,,,मेरा दर्द नही देख सकता तू,,,
ये तेरी ग़लत फहमी है सोनिया,,मैं कुछ भी कर सकता हूँ,,,मेरे अंदर जो शैतान बस्ता है उसके बारे मे तुझे
कुछ नही पता अभी,,,,आज तक तूने उस शैतान को देखा नही है कभी,,,और दुआ करूँगा कि तुझे वो कभी नज़र
भी नही आए ,,,,अभी तक मैने उसको क़ाबू मे किया हुआ है,,जिसस दिन उसने मुझे अपने बस मे कर लिया उस दिन मैं
कुछ नही कर पाउन्गा तेरे लिए,,और उस दिन मुझे बड़ा अफ़सोस होगा ,,,मुझे किसी बात का अफ़सोस नही करना,,,,और ना
ही उस शैतान को खुद पर हावी होने देना है,,,,तेरी भलाई इसी मे है कि तू कविता के घर चली जा,,,
तेरा शैतान तेरे बस मे रहे या ना रहे सन्नी लेकिन मैं जानती हूँ मेरा भाई अपने बस मे रहेगा हमेशा और
मुझे कभी हर्ट नही करेगा,,,
वो मेरी बात को समझ ही नही रही थी,,तभी मैने अपने दूसरे हाथ को उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया और अपनी एक
उंगली को उसकी छाती के उपर उसकी गर्दन के पास रखा और हल्के से नीचे खिसका दिया और उंगली को उसके टवल मे
घुसा दिया जिस से उंगली उसके दोनो बूब्स के बीच की लाइन मे चली गई,,
मेरी इस हरकत से उसका मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,,,