Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - Page 11 - SexBaba
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Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

,,,माँ ने मेरे
हाथ को बेंगन के उपर से पकड़ा ऑर तेज़ी से आगे पीछे करने लगी ऑर मैं लंड को हल्की स्पीड मे गान्ड मे
पेलने लगा करीब 2-3 मिनिट बाद माँ ने अपने सर को हिला कर मुझे बता दिया कि अब वो भी झड़ने वाली
है तो मैने वापिस लंड की स्पीड को गान्ड मे तेज कर दिया ,,,माँ भी तेज तेज सिसकियाँ लेने लगी ऑर मैं भी
वैसे ही तेज तेज आहह भरने लगा ऑर तभी एक दम से मेरे बदन ने झटके मारने शुरू कर दिए मैने
मैने देखा कि माँ की टाँग जो मेरे शोल्डर पर रखी थी वो भी तेज़ी से झटके खा रही थी ,,तभी मेरे
लंड ने पिचकारी मारना शुरू कर दिया ऑर माँ की चूत ने भी पानी का एक तेज बहाव बहाना शुरू कर दिया
जो बेंगन की साइड से तेज़ी से निकलते हुए मेरी टाँगो पर गिरने लगा ऑर हल्की आवाज़ होने लगी जैसे चूत मे
से पेशाब निकलते टाइम होती थी ,,,,,

मैने भी अपने पानी से माँ की गान्ड को भर दिया लेकिन जब तक मेरा
सारा पानी गान्ड मे नही निकल गया मैने हिलना नही छोड़ा ऑर स्लो स्पीड मे लंड को अंदर बाहर करता
रहा माँ ने भी एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा हुआ था जिसमे बेन्गन था ऑर उसको धीरे धीरे आगे पीछे
कर रही थी,,,,फिर माँ ने आने हाथ को पीछे कर लिया ऑर खुद भी शेल्व पर पीछे की तरफ गिर गई ऑर तेज़ी से
साँसे लेने लगी मैने भी अपना लंड माँ की गान्ड से निकाल लिया ऑर किचन के फ्लोर पर नीचे लेट गया ऑर तेज़ी
से साँसे लेते हुए माँ की गान्ड को देखने लगा ,,,मेरा पानी माँ की गान्ड से निकल रहा था ऑर माँ की चूत
से निकलने वाले पानी के साथ मिलकर शेल्व से होते हुए किचन के फ्लोर पर ऑर कुछ मेरी टाँगो पर गिरने
लगा था,,,,,,,,,,,,,

उसके बाद जब हालत ठीक हुई माँ शेल्व से उतर कर नीचे मेरे पास किचन के फ्लोर पर आके लेट गई ऑर मेरे
लिप्स को बड़े प्यार से हल्के से किस किया ,,,,,,,,,,,,,,,

माँ--,मेरा बेटा कितना मज़ा देता है अपनी माँ को कितना ख्याल रखता है अपनी माँ का,,,,,,,,,तुझे भी मज़ा आया ना बेटा माँ की गान्ड मारने मे,,,,,,,,,,,,

मैं--हाँ माँ बहुत मज़ा आया,,,,,तो फिर क्या बोलता है एक बार ऑर मारेगा अपनी माँ की गान्ड

मैं कुछ नही बोला ऑर तभी माँ ने अपने सर को नीचे की तरफ किया ऑर मेरे लंड को ऐसे ही मूह मे भर लिया जो अभी सो रहा था ऑर मेरे स्पर्म ऑर आयिल से भीगा हुआ था,,माँ ने 2 मिनिट मे उसको सॉफ कर दिया ऑर फिर से खड़ा कर दिया, उसके बाद मैने फिर से माँ की गान्ड मारी ऑर चूत को बेंगन से चोदा तो कभी बेन्गन को गान्ड मे ऑर अपने
मूसल को माँ की चूत मे डालके 2 बार ऑर चोदा,,,,,,,, फिर मैने ऑर माँ ने मिलकर किसी के आने से पहले
किचन की सफाई की ऑर एक साथ नंगे होके माँ के बाथरूम मे नहाए भी ऑर हल्की मस्ती भी की लेकिन हमने
बाथरूम मे चुदाई नही की,,,,फिर मैं अपने रूम मे जाके लेट गया ऑर माँ भी बोली कि थोड़ी देर आराम
करके उनको खाना बनाना है,,,,,,,
 
अपने रूम मे लेटा हुआ था ओर मेरी आँख लग गई ऑर मेरे सर पर किस के हल्के से अहसास से नही नींद
खुली तो देखा बुआ मेरे बेड पर बैठ कर बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ घुमा रही थी,,,,,,,,

बुआ--उठज़ा मेरे प्यारे बेटा सन्नी,,,,
मैं भी आँखें मलते हुआ बेड पर उठकर बैठ गया,,,,,,,,,
बुआ--सॉरी सन्नी बेटा वो तेरी बड़ी पार्टी नही दे सकी मैं लेकिन आज पक्का दूँगी प्रोमिसस इतना बोल कर बुआ ने अपने पर्स से एक चाबी निकाली ऑर मुझे देते हुए बोली,,,,,,बेटा ये बुटीक के पीछे वाले गेट की चाबी है रात को खुद ही पीछे
वाले गेट से आ जाना क्योंकि सामने वाले गेट का काँच लगा हुआ है मैं नीचे आई तो कोई देख लेगा क्योंकि
मेरी हालत ठीक नही होगी क्योंकि तेरे लिए पार्टी का बंदोबस्त भी तो मुझे ही करना है,,,,,,,,,,

मैं--लेकिन बुआ बड़ी पार्टी है क्या,,,,,,,,,
बुआ--ये तो सर्प्राइज़ है बेटा वहाँ आना ऑर खुद ही देख लेना ,,,,,ठीक है अब मैं चली
तुम ठीक 9 बजे के करीब वहाँ आ जाना,,,इतना बोल कर बुआ वहाँ से चली गई,,ऑर मैं मन ही मन खुश
होने लगा क्योंकि जहाँ तक मेरा ख्याल था बड़ी पार्टी पूजा ही हो सकती थी ,,मैं बड़ा खुश था क्योंकि
काफ़ी टाइम से मैने पूजा की चुदाई नही की थी,,,,,,,,यह सोच कर मैं खुशी के मारे पागल होने लगा,,,,ऑर
तभी मेरी खुशी टेन्षन मे बदल गई,,,,,,मुझे मेरे दोस्त करण का फोन आया,,,,,जो बहुत गुस्से मे था
मैने पूछा कि क्या हुआ तो उसने कुछ नही बताय बस मुझे अपने घर पर बुलाया ,,,,,,,,,मुझे भी उसके
गुस्से से बहुत ज़्यादा टेन्षन होने लगी थी मैं जल्दी से तैयार हुआ ऑर बाइक लेके उसके घर की तरफ चल पड़ा
एक तो मुझे करण की टेन्षन थी क्योंकि वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था ऑर दूसरा हल्की हल्की बारिश भी हो रही
थी मैं किसी के घर भीगे बदन नही जाना चाहता था इसलिए बाइक को उड़ाता हुआ करण के घर पहुच
गया,,,,,,,,,,,,मैने बेल बजाई तो करण की माँ बाहर आई उसकी माँ को देखते ही मुझे मस्ती चढ़ने लगी थी
क्योंकि जबसे माँ ऑर बुआ को चोदा था मुझे ज़्यादा उमर की लॅडीस मे भी दिलचस्पी पैदा होने लगी थी ऑर
कुछ ज़्यादा ही,,,,,,,,,,,,,,

मैं-नमस्ते आंटी ,,,,,,,,,,,,
आंटी--नमस्ते बेटा ,,,,,,हाउ आर यू बेटा,,,,,,,

मैं-आइम आंटी हाउ आर यू,,
आंटी -आइम ऑल्सो फाइन बेटा,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--आंटी करण कहाँ है
आंटी--वो अपने रूम मे है बेटा आज कॉलेज भी नही गया ऑर
सुबह से अपने रूम से भी नही निकला हैमैने पूछा तो कुछ बता भी नही रहा है लेकिन कुछ परेशान
सा लग रहा है,,,तुम उसके दोस्त हो बेटा तुम ही पूछो शायद कुछ बता दे,,,,,,,

मैं--ठीक है आंटी मैं देखता हूँ क्या प्राब्लम है उसको ,,,,,,,मैं आंटी के पीछे पीछे अंदर चला गया ,,,,आंटी आगे चल रही थी ऑर मैं पीछे से उनकी बड़ी सी गान्ड को मटकते हुए देख रहा था एक दम मेरी माँ जैसी गान्ड थी इनकी भी
दिल कर रहा था अभी साली की सलवार उतार कर लंड पेल दूं,,,,,करण का नाम करण अरोरा था ,,,पंजाबी
था वो ऑर उसकी माँ तो एक दम मस्त थी,,,,,आपको तो पता ही है पंजाबी लॅडीस कितनी गोरी चिट्टी ऑर मस्त भरे
हुए बदन की मालकिन होती है,,,करण की माँ भी बिल्कुल वैसी ही थी एक दम मस्त गोरी चिट्टी बड़े बड़े बूब्स
ऑर बड़ी मोटी मस्त गान्ड ,,,,,,,,,,,

आंटी--तुम उसके रूम मे चलो बेटा मैं तुम्हारे लिए कुछ चाइ कॉफी लेके आती हूँ,,,,,,,,,,,,,,
मैं--नही आंटी इसकी कोई ज़रूरत नही मैं ठीक हूँ ,,,,,,,,,,

आंटी--अरे ऐसे कैसे बेटा इतने दिनो बाद तुम आए हो ऑर बिना चाय के कैसे जाने दूँगी तुमको,,,,,,अब जाओ करण के रूम मे मैं अभी तुम दोनो के लिए कुछ लेके आती हूँ,,,,,,,,,,,,,,आंटी किचन की तरफ चली गई ऑर मैं उसके किचन के अंदर तक जाते पीछे से उनकी गान्ड देखता रहा जब वो अंदर चली गई तो मैं भी करण के रूम मे चला गया,,,,,,करण
बेड पर लेटा हुआ था ऑर उसकी आँखों मे हल्के हल्के आँसू थे,,,,,,,,,,,मुझे देख कर वो जल्दी से मेरे
गले लग गया ओर किसी छोटे बच्चे की तरह रोने लगा,,,,,,,,,,,,,,,

मैं--अरे करण क्या हुआ दोस्त ऐसे रो क्यू रहा है,मैं उसको दिलासा देते हुए बोला

करण-सन्नी मैं बहुत दुखी हूँ यार ,,,,मुझे बहुत बड़ी टेन्षन है,,,,,,

मैं-क्या टेन्षन है करण मुझे बता मैं तेरा दोस्त हूँ,,,,,,,,तेरी टेन्षन मेरी टेन्षन,,,,,,,ऑर वैसे भी
दुख दर्द बाँटने से कम होता है,,,,,,,

करण--मुझे एक रिवॉल्वर चाहिए सन्नी,,,,,,,,,,,,,,,,उसने गुस्से मे रोते हुए बोला

मैं-र रिवॉल्वर ,,,,,,,,लेकिन किस लिए कारण ,,,आख़िर बात क्या है,,,,,,,,क्या ज़रूरत पड़ गई तेरे को रिवॉल्वर की

करण-मुझे किसी का खून करना है सन्नी,,,,,,,तू बता मुझे रिवॉल्वर दिला सकता है कहीं से ,प्लीज़ मेरे दोस्त
मेरा इतना काम कर दे,,,,,,,,

मैं--हाँ करण रिवॉल्वर तो दिला सकता हूँ लेकिन ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गई तेरे को,,,,,,,,


करण-मुझे किसी को गोली मारनी है सन्नी,,,,,,,,वो पूरे गुस्से मे बोल रहा था,,,,

मैं--अच्छा तू ज़रा ठंडे दिमाग़ से बैठ कर मेरे से बात कर ऑर पहले बच्चों की तरह रोना बंद कर,,,,,बच्चों
की तरह रोता है तू गोली क्या मारेगा किसी को,,,,,,

करण--सन्नी तू बोल बस मुझे रिवॉल्वर लेके दे सकता है या नही,,,मैं उस हरामजादे को गोली मार दूँगा
 
मैं--किसकी बात कर रहा है तू करण ज़रा खुले बता यार बात क्या है,,,,,तेरी किसी से फाइट हुई है तो बता ,,,

करण--किसी से कोई फाइट नही हुई सन्नी बस किसी पे बहुत गुस्सा है उस हरामजादे को देखता हूँ तो खून खौल
उठता है,,,,,,,जान से मारने को दिल करता है उसको,,,,,,,,

मैं--करण पहेलियाँ मत भुजा यार बात बता प्लक्ष्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ किसी ने तुझे कुछ कहा है तो अभी बता साले को घर
से निकाल कर मारते है अभी इसी टाइम,,,,,,,,,

करण--नही सन्नी उसको तू नही उसको मैं मारूँगा,,,,,,,तू बस मुझे कहीं से रिवॉल्वर लाकर दे बस मेरे भाई

मैं--वो भी ला दूँगा करण पहले तू बात तो बता यार,,,,,,,,,तूने किसको गोली मारनी है ऑर क्यू मारनी है,,,,,

करण--उस हरामजादे अमित को,,,,,,,,,

मैं--अमित,,,,,,,,,,,,कॉन अमित,,,,,,,,,,,

करण--वही अपने कॉलेज का बिगड़ा हुआ कमीना,,,,,,,,,,,,,,साले को जान से मार दूँगा मैं,,,,,,,,

मैं--लेकिन बात क्या है बता तो सही ,,,,,,फिर मैं तेरे को अभी घर से अपने बाप की रिवॉल्वर लाकर देता हूँ,,
पहले पूरी बात बता मुझे जल्दी से,,,,,,

करण--सन्नी यार वो अमित,,,,,,,,,,,अभी उसने बोलना शुरू ही किया था दरवाजा खुला ऑर करण की माँ,,,अलका आंटी
कॉफी लेके अंदर आ गई ऑर करण एक दम से चुप कर गया,,,आंटी ने स्माइल देके मेरी तरफ देखा ऑर करण
को अजीब नज़रो से देखते हुए सामने टेबल पर कॉफी ट्रे रखी,,,,,

आंटी--,लगता है कोई ज़रूरी बात चल रही है दोस्तो मे,,,इतना बोल कर आंटी कॉफी रखके वापिस चली गई,,,,,,,,,,,,

मैं--अब बता क्या बात है,,,,,,
करण उठा ऑर दरवाजे के पास गया ऑर दरवाजे के बाहर अपनी मोम को देखा जब
उसको लगा कि उसकी मोम अपने रूम मे चली गई है तो उसने दरवाजा बंद किया ऑर वापिस आके वहीं बैठ
गया,,,,,,,,,,,,,,सन्नी तुझे तो पता है ना कि अमित हमारे कॉलेज का सबसे बिगड़ा हुआ लड़का है,,पता नही'
कितनी लड़कियों को अपने जाल मे फसा कर उनकी ज़िंदगी खराब कर चुका है,,,,,,,

मैं--,हाँ जानता हूँ अब किसकी जिंदगी खराब कर रहा है वो,,,,,,,,,,

करण कुछ देर चुप रहा ,,,,,,,,,,

मैं--करण बोल ना यार ,मैं तेरा दोस्त हूँ मेरे से क्यू छुपाता है,,,,,,जो भी है दिल मे खुलके बता ,,,,,,

करण--शिखा दीदी की,,,,,,,,,इतना बोल कर वो फिर से रोने लगा ऑर अमित को माँ बेहन की एक से एक बढ़ कर गालियाँ देने लगा,,,,,,,,,,,,

मैं--शिखा दीदी की,,,,,,,,तुझे किसने बोला,,,,,,,,लेकिन शिखा दीदी अमित को कैसे जानती है,ऑर अमित तो हमारा सीनियर
है,,,,,,ऑर शिखा दीदी को तो कॉलेज छोड़े 1 साल से उपर होने वाला है,,,,,,,,,,,

करण-हां सन्नी,,,,,,,,,,शिखा दीदी अपनी शादी से पहले ही कॉलेज छोड़ चुकी थी ,लेकिन अमित को वो पहले से
थोड़ा बहुत जानती थी,,,,,,,लेकिन आज कल उसके साथ बाइक पर ऑर कभी उसकी कार मे घूमती है,,,,,मैने कयि
बार देखा उनको ऑर मना भी किया कि अमित के साथ नही घुमा करे,,वो अच्छा लड़का नही है लेकिन शिखा
दीदी पर अमित के प्यार का भूत सवार है,,,,,,जब मैं उसको अमित की घटिया कर्तूते बताने लगता हूँ तो
वो बोलती है कि अमित ऐसा नही है,,,,,,,,,,,,ऑर उपर से अमित दीदी को बोलता है कि उसने मुझे कॉलेज की बास्केट
बॉल टीम मे नही लिया था इसलिए मैं उसको बदनाम कर रहा हूँ,ऑर मेरी बेहन मेरा नही उस हरामी
अमित का यकीन कर रही है,,,,,,,,,दीदी को समझा कर मैं थक गया हूँ अभी 2 महीने से दीदी ऑर अमित
का लफडा शुरू है ,,,,मैने कयि बार दीदी को समझाया बूत वो नही मानती,,,,वो तो अमित को बहुत अच्छा लड़का
समझती है मेरी किसी बात का यकीन ही नही करती,,,,,,,,,अब एक ही तरीका है दीदी को उसकी चंगुल से आज़ाद
करवाने का,,,,,उस साले अमित को ही रास्ते से हटा देता हूँ,,,,,,,,,,,,,जब तक उसके दिल पे गोली नही मारता
मुझे चैन नही मिलना,,,,,,,,,,,,

मैं--तू ठंडे दिमाग़ से काम ले मेरे भाई,,,,,,ऑर सबसे पहले अपने घर वालो को सब कुछ बता दे ,,दीदी ऑर
अमित के बारे मे,,,,,,,,,,,,,फिर अमित की सच्चाई भी बता देना अपने मोम-डॅड को,,,,,,,

करण--नही सन्नी मैं घर वालो को कुछ नही बता सकता,,,,,तू तो जानता है कि 6 महीने पहले ही दीदी की शादी
हुई थी ऑर शादी के 1 महीने बाद ही तलाक़ हो गया था,,,,,,,,एक तो मेरे घर वाले अब तक उसी बात को भूल
नही सके उपर से दीदी ऑर अमित के बारे मे पता चलेगा तो पता नही क्या करेंगे वो लोग,,,,,,ऑर डॅड तो कुछ
दिन पहले ही ऑफीस की तरफ से 4 साल के लिए गये अमेरिका,,,,अब उनको सब पता चला तो मुश्किल हो जानी है,,
वैसे भी अमित के लिए मैं अकेला ही काफ़ी हूँ,,,,,,,,,तू बस मुझे रिवॉल्वर लाके दे कहीं से भी,,,,,,,,

मैं--लेकिन तेरी दीदी शादी के बाद कैसे मिली अमित को,,,जब वो 1 साल पहले ही कॉलेज छोड़ चुकी थी,,,,,,,,,

तुझे पता है ना मेरी सिस अमित की सिस की अच्छी दोस्त थी,,,,,,बस उसके घर आना जाना था दीदी का ऑर पता नही
कब वो अमित की चुंगल मे फस गई,,,,,,,,,,अमित की तो पहले से ही दीदी पर नज़र थी ये मैं जानता था,
 
मैने सोचा क्यूँ ना साले को अपने दिल की बात बता दूं कि औरत तभी मूह मारने बाहर जाती है जब चूत की
खुजली बढ़ जाती है,ऑर इसकी दीदी तो थी भी कमाल की मस्त माल,,,,,,,,,,बड़े बूब्स ,,,,,,गोरा रंग,,,लंबा
कद ,,,,,,काले बाल जो गान्ड से भी नीचे तक आते थे,,,,,,साली की शादी हो गई थी फिर चाहे अपने पति के
घर 1 महीना ही रही थी फिर भी उसके पति ने एक महीना तो जम कर चुदाई की होगी उसकी,,,,ऑर उसको अब तक
कोई लंड नही मिला होगा इसलिए ज़्यादा खुजली होने लगी होगी तभी तो बड़ी आसानी से अमित के चक्कर मे फस
गई,,,,,,,,,अमित साला था भी कमीना पता नही कितनी लड़कियों की ज़िंदगी खराब कर चुका था,,,,,बड़े बाप
का बेटा था इसलिए पोलीस भी कुछ नही कर सकती थी,,,,,,कॉलेज की 2 लड़कियों ने तो उसकी वजह से ख़ुदकुशी
भी की थी क्योंकि साले ने उनका एमएमएस बना कर सब दोस्तो को सेंड कर दिया था ऑर सब दोस्त भी उन लड़कियों को
अपनी हवस का शिकार बनाना चाहते थे,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यू ना साले को बता दूँ कि तू खुद अपनी बेहन की
चुदाई करनी शुरू कर्दे क्योंकि एक महीना अपने पति से चुदने के बाद अब उसको खुजली होने लगी है चूत मे
तू खुद उसकी चूत की खुजली दूर कर देगा तो उसको बाहर जाने की ज़रूरत ही नही पड़नी,,,,,,लेकिन साला पता
नही मेरी बात समझेगा या नही,,,,,,,,,,,

मैं-देख करण मेरे भाई,,,,,तू अमित से बदला लेना चाहता है तो गोली इसका एलाज़ नही है,,ऑर आज तू अमित को मार
देगा तो कल कोई ऑर आ जाएगा तेरी दीदी की लाइफ मे फिर तू क्या करेगा,,,,,,क्या उसको भी गोली मारेगा,,,,,,

करण-तो मैं क्या करू सन्नी तू ही बता,,,,वो साला मेरी बेहन की ज़िंदगी करब कर देगा,,,,ऑर मेरी बेहन मेरी
कोई बात नही सुनती,,,,,,

मैं-देख गोली इसका इलाज नही है,,,,,,,,,,,,जैसा मैं बोलता हूँ तू वैसा कर,,,,अगर मेरे पे यकीन है तो,,,
सबसे पहले तू अपनी दीदी को बोल कि अमित से शादी के लिए बात करे,,,,,फिर उसके बाद वो कम से कम उसको पूरे
15 दिन मिलें नही,,,,,,,,

करण--लेकिन सन्नी वो मेरी बात नही सुनेगी मैं जानता हूँ,,,,,,,,,

मैं--तू पूरी बात तू सुन यार,,,,,,,,,,,,दीदी को बोल कि उससे अपनी ऑर अमित की शादी की बात करे फिर,,कम से कम 15
दिन तक नही मिले,,,,,,,,,,ऑर बोल उसको कि 15 दिन मे तू उनको अमित के खिलाफ कोई पक्का सबूत लाके देगा
तभी वो तेरा यकीन करेगी,,,,,,,,,,ऑर अगर तू 15 दिन मे अमित क खिलाफ कोई सबूत लाने मे नाकाम रहा
तो फिर वो जो मर्ज़ी करे तू उसके बीच नही आएगा,,,,,,,,,,,,बस तू एक बार दीदी को इतना बोल ऑर बाकी सब मेरे
पर छोड़ दे,,,,,,,,,,

कारण-फिर तू क्या करेगा सन्नी..........ओर अगर दीदी नही मानी तो,,,,,,,,,,

मैं--मैं कुछ भी करूँ तेरे को अमित से छुटकारा दिला दूँगा बस,,,,,,,,,,ऑर दीदी को मनाना तेरा काम है,,,ये
तू कैसे करेगा ये तू देख,,,,,,,ऑर ये बात ज़ोर ज़बरदस्ती ऑर गुस्से से नही,,प्यार ऑर अपने पन से करना जैसे
तू उनका छोटा नही बड़ा भाई हाँ,ऑर प्यार से अपनी लिट्ल सिस को समझ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,बाकी सब मैं खुद
संभाल लूँगा,,,,,,,,,ठीक है

करण-ठीक है सन्नी मैं कोशिश करता हूँ,,,,,,,,

मैं--कोशिश नही तुझे दीदी को मनाना ही होगा तभी मैं कुछ कर सकता हूँ,,,,,,

करण-ठीक है ,,,,मैं दीदी को मना लूँगा ,,,,वो भी प्यार से,,,,,,,,,,,

मैं-चल अब कॉफी पे ठंडी हो गई है,,,,,,,,ऑर टेन्षन भूल जा सारी अब ये तेरी टेन्षन मेरी टेन्षन है,,,,,

हम दोनो कॉफी पीने लगे,,,,अब करण के चेहरे पर टेन्षन नही थी,,,,वो मेरे को सब बता कर कुछ
राहत महसूस कर रहा था ऑर मैने जो उसको वादा किया था कि मैं अमित का कुछ ना कुछ एलाज़ कर दूँगा
वो भी पक्के तरीके से,,उसको इस बात से भी कुछ खुशी थी,,,,हम दोनो ने कॉफी ख़तम की ऑर मैं
उसको माल मे ले गया घुमाने के लिए ताकि वो कुछ मस्ती करे ऑर टेन्षन को पूरी तरह भूल जाए ऑर मैं
खुद भी उस टेन्षन को दिमाग़ से निकाल देना चाहता था क्योंकि मुझे रात को बड़ी पार्टी लेने बुआ के पास
जो जाना था,,,,,,,,काफ़ी टाइम हम लोग घूमते रहे ,,,,,,,,,,अभी हम लोग घर की तरफ जा रहे थे तभी बुआ का
फोन आ गया ,,,,,,,,,

बुआ-हेलो सन्नी,,,,,,,,,,आइ,म सॉरी बेटा आज भी तेरी बड़ी पार्टी नही हो सकती कुछ प्राब्लम हो गई है,,,,,,प्ल्ज़्ज़ आज तुम मत आना ,,,,,,,,,,,कल पक्का मैं कैसे भी करके तुझे बड़ी पार्टी ज़रूर दूँगी,
प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बेटा,इतना बोलकर बुआ ने फोन काट दिया

मुझे कुछ बोलने का मोका ही नही दिया,,,,

करण-किसका फोन था सन्नी,,,,,,,,,,,,,,,

मैं--,कुछ नही यार घर से फोन था खाने पर बुला रहे है,,,,,,,,,मैने करण को उसको
घर छोड़ा ऑर खुद अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,,,मुझे घर दूसरे रास्ते से जाना था लेकिन मैने जान
भूज कर बुआ के बुटीक के रास्ते से जाने का सोचा आख़िर पता तो चले कि बड़ी पार्टी हर बार कॅन्सल क्यूँ
हो रही थी,,,,,,,,बुआ के बुटीक के पास गया तो देखा कि शॉप की तरफ का दरवाजा बंद था तो मैं पीछे
के रास्ते की तरफ गया ,,,,,बाइक साइड पर लगाके मेन गेट की एक साइड से देखा तो बुआ की कार अंदर ही थी,,ऑर
एक अक्तिवा भी था अंदर ये शोभा दीदी का नही था शायद पूजा का हो सकता था,,,,,वैसे भी पूजा ऑर उसकी
सिस अब बुटीक के उपर वाले फ्लॅट मे रहने लगी थी ऑर अगर पूजा अपनी सिस के सामने बुआ के साथ खेल सकती है
तो पक्का वो खुद भी शामिल होती होगी उनके खेल मे,,,ऑर अगर काम ही कर रही थी तो बुआ ने वहाँ रुक कर
क्या करना था ,,,,काम तो पूजा ऑर मनीषा ने ही करना था,,,,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था ,,,फिर
सोचा कि टेन्षन क्यू लेनी चलो घर चलते है,,मैने पॉकेट मे हाथ डाला बाइक की चाबी निकालने के लिए लेकिन
मेरे हाथ मे वो चाबी आ गई जो बुआ ने मुझे दी थी,,,,,बुटीक के पीछे वाले गेट की चाबी,,वही जिसपे अभी
मैं खड़ा हुआ था,,,मैने सोचा क्यूँ ना एक बार देख लिया जाए कि आख़िर हो क्या रहा है,,,,,अगर खेल चल
रहा है तो मैं भी खेलना शुरू कर दूँगा,,,,,,,,,,ऑर अगर वो लोग काम कर रही होंगी तो बोल दूँगा कि मैं
पास मे ही था तो सोचा एक बार मिलके चला जाता हूँ,,,,,,,,,
 
काम बना तो ठीक वर्ना यहाँ भी चाइ पीते है ऑर घर चलते है,,,,,मैने बड़े आराम से गेट खोला ताकि शोर ना हो,,लेकिन पहली बार ये गेट खोल रहा था इसलिए लाख कोशिश के बाद भी हल्का सा शोर हो ही गया,,,फिर अंदर गया ऑर सीडियाँ चढ़कर उपर चला गया,,,,,उपर वाला डोर भी लॉक था लेकिन उसकी चाबी भी थी मेरे पास,,,,,उसको आराम से बिना कोई आवाज़ किए खोलने मे कामयाब हो गया मैं ऑर बड़े आराम से हल्के कदमो से अंदर चला गया,,,,अंदर किचन की लाइट बंद थी ,,,,,, दोनो रूम के डोर भी बंद थे,,लेकिन एक रूम मे लाइट जल रही थी जिसकी हल्की रोशनी दरवाजे से बाहर आ रही थी,,मैं उस दरवाजे के पास गया तो अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी,,,,,,,,,,,अहह उूुुुुुुउऊहह
सिसकियों की आवाज़,,,,,,,,,मैने दरवाजे को खोलना चाहा तो वो अंदर से बंद था ,,,लॉक था या वैसे ही बंद
था पता नही,लेकिन अगर मैं खोलता तो आवाज़ हो जानी थी इसलिए मैने खोला नही,,,,,तभी मुझे अंदर से
दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई ऑर मैं भाग कर किचन मे छुप गया,,,,तभी मैने वहाँ से चुपके बाहर
की तरफ देखा तो उस रूम से एक औरत बाहर निकली ऑर बातरूम मे चली गई,,,उसके बूब्स छोटे छोटे थे
ये बुआ तो नही थी पक्का क्योंकि ये हाइट मे बुआ से छोटी थी,,ऑर पूजा या शोभा दीदी भी नही थी क्योंकि
इसके बूब्स उनसे छोटे थे,,,,,मुझे लगा कि ये पूजा की सिस मनीषा तो नही,,,,ऑर मेरा शक सही निकला,जब
वो बाथरूम से बाहर आई तो बाथरूम की लाइट जलती छोड़ कर बाहर आ गई थी ऑर उसकी रोशनी मे मैने
उसके फेस को देख लिया था,,,,फेस क्या बहुत कुछ देख लिया था,,,,,,,,,,,,एक मर्द की आँखें होती ही एक्स-रे से तेज
है,,,,जो एक झलक मे सर से पैर तक देख लेता है,,,ऑर जब सामने खूबसूरत ऑर जवान लड़की हो तो एक्स-रे
करने का मज़ा ही कुछ ऑर होता है,,,,,वो वापिस रूम मे जाने के लिए उसी तरफ बढ़ने लगी ऑर मैं वापिस छुप
गया,,,,तभी उसके अंदर जाते ही कोई ऑर रूम से निकला ऑर बाथरूम की तरफ जाने लगा,,,,,लेकिन ये कोई औरत '
नही थी कोई मर्द था,,,,लेकिन कॉन था ये इस से पहले कि मैं बाहर निकल कर देखता वो बाथरूम मे घुस
चुका था,,,मैं बाहर से चुपके उसको देखने लगा कि कब वो बाहर आए ऑर मैं उसका चेहरा देखु,,,लेकिन
कोई फ़ायदा नही हुआ जब वो बाहर आया तो पहले से बाथरूम की लाइट बंद करके ही बाहर निकला था,,,मुझे
कुछ नज़र ही नही आया,,फिर वो रूम मे चला गया,,उसके अंदर जाते ही मैं भी रूम के दरवाजे की तरफ
आया ऑर देखने लगा,,उसने रूम के दरवाजे को अभी बंद नही किया था,,मैने हल्के से खुले दरवाजे से
अंदर देखा तो बुआ ऑर पूजा नंगे ही बेड पर थे ऑर किस कर रहे थे,,,ऑर पूजा की छोटी सिस मनीषा बेड
से टाँगे नीचे करके एक साइड पर बैठी हुई थी ,,तभी वो मर्द मनीषा के पास गया ऑर मनीषा ने उसके लंड
को मूह मे भर लिया ,,,बाहर बहुत अंधेरा था कोई मुझे नही देख सकता था लेकिन अंदर लाइट जल रही थी
ऑर मुझे सब कुछ नज़र आ रहा था सिर्फ़ उस मर्द का चेहरा नही,,,,,तभी वो मर्द बोला,,,,,,,गीता ज़रा डोर
तो लॉक करो,,,,,,ओह म्म्म्मडममममममय्यययी गगगगगगूद्द्द्द्दद्ड ,ये तो डॅड की आवाज़ थी,,,,मेरी तो
गान्ड ही फॅट गई थी,,,,,,,,ये क्या हो गया,,,,,,,,,साला जिसको घर मे सबसे शरीफ ऑर लाचार समझता था ऑर
सोचता था कि मेरा बाप कैसा है जो कुछ भी नही जानता मेरी माँ के बारे मे ऑर माँ अपने भाई ऑर बेटे से
चुदवा रही थी,,मेरे बाप को धोखा दे रही थी,,लेकिन मेरा बाप तो खुद सबसे बड़ा हरामी निकला जो
अपनी बेहन ऑर उसकी बुटीक मे काम करने वाली लड़कियों के साथ है,,,वो भी नंगा ऑर बाकी सब भी नंगे
है,,,,,,इस से पहले मैं कुछ ऑर देख पता बुआ ने डोर अंदर से बंद कर दिया,,,,,,,,,,,,

बुआ-क्या भाई यहाँ कॉन आने वाला है,,,,,गेट भी लॉक है ऑर सामने का डोर भी लॉक है,,,अब कॉन उपर आ सकता है,,,,,

पापा--कोई आए या ना आए बहना लेकिन तुझे पता है मैं हमेशा सावधानी बर्त-ता हूँ,,,

बुआ-ठीक है भाई अब कर दिया डोर लॉक अब तो टेन्षन फ्री हो जाओ,,,,,,,,फिर उसके बाद कोई आवाज़ नही आई बस हल्की हल्की सिसकियाँ गूँजती रही,,,,,,

मैं ज़्यादा देर नही रुका ऑर वापिस बाहर चला गया ऑर गेट लॉक करके बाइक लेके घर आ गया,

रास्ते भर मैं यही सोचता रहा कि मेरी फॅमिली तो साली रंडियों ऑर दल्लो की फॅमिली है,,,,,,,साला हर कोई
किसी ना किसी को चोद रहा है,,,,,,,,,,,,,माँ भाई ऑर विशाल एक साथ एक बेड पर होते है लेकिन किसी को नही
पता,,,,,,,,ऑर अब मैं भी उसके साथ होता हूँ,,,,,,,,,,,,,,इधर बुआ ऑर शोभा एक साथ,,ऑर अब मैं भी
उनके साथ हूँ,ये भी किसी को नही पता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑर आज मेरा बाप बुआ पूजा ऑर मनीषा एक साथ
ये मेरे को पता है लेकिन किसी ऑर को नही पता,,,,,,,,,,,,ये साला हो क्या रहा है मेरे घर मे,,,इसका पता
तो लगाना ही पड़ेगा,,,,ऑर जवाब सबके पास है,,लेकिन मैं किस से पूछ सकता हूँ इसके बारे मे,,,,यही
सोचता हुआ मैं घर आ गया,,,,,,,,बेल बजाई ऑर कुछ देर बाद माँ बिखरे बाल लिए बाहर आ गई,,

माँ--अरे तुम तो आज करण के घर रहने वाले थे ना,,,,,,,,,,,,

मैं--हाँ माँ उसके घर वाले वापिस आ गये तो मैं भी आ गया,,,
मैं फिर अंदर चला गया,,,,,,मैने देखा कि मामा माँ के रूम मे लेटा हुआ था,,,,,मेरे अंदर देखते
ही माँ ने मेरी तरफ हँसके देखा,,,,,,

माँ--तू भी आएगा क्या मेरे बेटा,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं--नही माँ मैं सोने जा रहा हूँ कुछ थक गया हूँ,,,,,,,,,,,,,,मैं अपने रूम मे चला गया,,,रूम का डोर खोला तो सोनिया अपने बेड पर लॅपटॉप पर कुछ कर रही थी,,नोट्स बना रही होगी ऑर इसने क्या करना ,,,,,मुझे आते देख उसने लॅपटॉप बंद किया ओर मेरी तरफ पीठ करके चद्दर लेके लेट गई,,,मैने भी बाथरूम मे जाके शवर लिया ऑर अपने बेड पर आके लेट गया,,,साला सर फटा जा रहा था टेन्षन से,,,,कुछ समझ नही आ रहा था सोने से पहले शवर लिया ताकि नींद अच्छी आए ,,,लेकिन नींद तो आँखों से कोसों दूर थी,,,,लेकिन फिर भी मैं सो गया,,,,,,,,कब सोया कब आँख लगी पता नही चला,,,,,,,,,
 
सुबह उठा तो सब लोग नाश्ता कर रहे थे,,,,,,,,दाद भी आ गये थे,,,,,,,,,,
मैं--,अरे डॅड आप कब आए,,,,,

डॅड--बेटा बॅंक के काम से बाहर गया था आज ही सुबह आया हूँ 6 बजे की ट्रेन से,,,,,,

मैं-साला हरामी कितना झूठ बोल रहा है,,,,,कल बुआ की बुटीक पर था अकेला ट्रेन का एंजिन बनकर 3-3 बोगियों को संभाल रहा था,,,,,,,,,,मैने मन ही मन पता नही कितनी गालियाँ दी अपने बाप को ,,,,,,,नाश्ता कर ही रहा था तभी बाहर बेल
बजी ओर सोनिया उठकर चली गई,,,,,,,,,बाहर कविता आई थी ऑर सोनिया उसके साथ कॉलेज गई थी,,

लगता है भाई बेहन की फाइट अभी सॉल्व नही हुई,,,,,,,,,,,,,डॅड ने हस्ते हुआ बोला,,,,,,,,

मैने कुछ नही कहा ऑर नाश्ता करके कॉलेज को चला गया,,,,,,,,,आज कुछ खास नही हुआ बस बोर होता रहा पूरा दिन,,,,,,,,,,,,जब कॉलेजसे वापिस घर जा रहा था तो देखा कि कविता ऑर सोनिया बाहर गेट से कुछ आगे जाके रुके हुए थे,,,,,,,,,,मैने भी बाइक उनके पास रोक दी लेकिन मुझे देख कर सोनिया ने अपना फेस दोसरि तरफ कर लिया,,,,,,,,,,

मैं--क्या हुआ कविता,,,,,,,,,,,,
कविता-कुछ नही सन्नी ये अक्तिवा अपने आप बंद हो गई पता नही क्या हुआ इसको,,,,,,,,
मैं-मैं कुछ हेल्प कर सकता हूँ क्या,,,,,,,,,,
सोनिया--,कविता इसको जाने दो हम किसी ओर की हेल्प लेते है,,,,,,,,,,,
कविता-अरे बाबा तुम दोनोकी आपस की फाइट है इसमे अक्तिवा का या मेरा क्या कसूर ऑर वैसे भी किसी अजनबी की हेल्प लेने से बेहतर है किसी अपने की हेल्प लेना,,,सन्नी तुम इसको बोलने दो ,,,ये जब देखो गुस्सा नाक पर रखती है,,तुम प्लीज़ हेल्पकरो ना,,,,,,,,,,

,मैने बाइक को स्टॅंड पर खड़ा किया ऑर अक्तिवा को स्टार्ट करने लगा लेकिन वो स्टार्ट ही नही हो रही
थी,,,तभी मैने उसके पेट्रोल टांक मे देखा कहीं पेट्रोल तो ख़तम नही हुआ लेकिन पेट्रोल तो बहुत था उसमे
फिर मैने उसके कवर को उपर उठा कर प्लग पाना लेके उसका प्लग निकाला तो देखा उसपे बहुत सारा कार्बन
जमा हुआ था मैने प्लग सॉफ किया ऑर वापिस अक्तिवा स्टार्ट की तो वो स्टार्ट हो गई,,,,,,,,,,,,,

कविता--,थॅंक्स सन्नी,,
मैं-अरे इसमे थॅंक्स की क्या बात प्लग गंदा था मैने सॉफ कर दिया इसमे क्या बड़ी बात थी,,,,,
कविता--लेकिन फिर भी तूने हेल्प तो की ना हमारी,,,,,,,,

,हमारी नही सिर्फ़ तेरी,सोनिया गुस्से से बोली,,,,,,,,,,,

हाँ हाँ बाबा मेरी बस मेरी अम्मा ,,अब गुस्सा छोड़ ऑर बैठ घर चले,,पता नही कब तुम लोग बड़े होगे ऑर कब तुम्हारी ये
फाइट करने की आदत छूटेजी,,,,बाइ सन्नी,,,,,

मैं--,बाइ तो ठीक है लेकिन इस अक्तिवा को सर्विस के लिए भेज देना वेर्ना फिर से बंद हो जाएगी,,,,,,,,,

कविता--ठीक है सन्नी मैं भाई को बोल दूँगी,,,,,,,,,बयईईई

,मैने भी बाइ बोला ऑर वो चली गई मैने भी बाइक स्टार्ट की ऑर उनके पीछे पीछे चलने लगा क्योंकि मुझे भी उसी रास्ते जाना था लेकिन सोनिया को मेरा उनके पीछे पीछे आना अच्छा नही लग रहा था वो बार बार गुस्से से पीछे मूड कर देख रही थी,,,,तभी एक बाइक पर 2 लड़के आए ऑर उन दोनो से छेड़खानी करने लगे,,,,मैने आगे जाके सालो को मारना
चाहा लेकिन सोनिया ने खुद ही उनको भला बुरा सुना दिया ,लेकिन वो लोग ऑर ज़्यादा बत्तमीजी करने लगे तो कविता
ने अक्तिवा रोक दी ऑर सोनिया नीचे उतर कर उनको थप्पड़ मारने लगी तभी एक लड़के ने सोनिया का हाथ पकड़ लिया
ऑर दूसरे ने कविता की अक्तिवा का हॅंडल को पकड़ लिया,,,,,,,,,,,,मैं थोड़ा पीछे था ओर मैने बाइक को एक दम
रेस देके उनकी तरफ पूरी तेज़ी से भगाना शुरू किया ऑर मुझे देख कर सोनिया जल्दी से हाथ छुड़ा कर हल्के
पीछे हो गई ऑर मैने बाइक को सीधा उन लोगो के बाइक की तरफ मोड़ कर उनके पास पहुँचने से पहले ही अपनी
बाइक से जंप करके साइड मे कूद गया ऑर मेरा बाइक करीब 60 या 80 की स्पीड ये उन लोगो की बाइक से टकरा गया
हलकी हल्की सी टक्कर कविता की अक्तिवा को भी लगी लेकिन बाइक पर ज़्यादा ज़ोर से टक्कर लगी ऑर वो दोनो लड़के गिर गये बिके पर जंप करने से मेरे भी हाथ पैर पर हल्की चोट लगी थी लेकिन मैं भाग कर उन लड़को के पास
गया ऑर एक को ज़मीन से उठा कर उसके सर मूह ऑर पेट मे ज़ोर से घूँसे मारने लगा ऑर दूसरा जो अब तक
ज़मीन पेर ही गिरा हुआ था उसको वही पड़े पड़े उसके पेट ऑर कमर पर ज़ोर से टाँगे मारने लगा,,,,मैं
फाइट के मामले मे पूरा पागल था जब भी लड़ता तो ये नही देखता किसको लग रही है ऑर कितनी लग रही है मैं
पागलो की तरह उन दोनो को मार रहा था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,साले मेरी बेहन को छेड़ता है,मार डालूँगा जान
से ,,,,मैं बहुत बुरा मार रहा था उनको आस पास भीड़ भी ज़मा हो गई थी लेकिन मेरे गुस्से को देख कर
कोई बीच मे नही आ रहा था,,,कविता तो अपनी अक्तिवा से उतर कर साइड मे हो गई थी ऑर बहुत ज़्यादा डर गई
थी,,,लेकिन सोनिया वही खड़ी मुझे देख रही तो ऑर रोती हुई मुझे बोल रही थी प्ल्ज़्ज़ सन्नी छोड़ दो इनको
मर जाएगा कोई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ सन्नी माफ़ कर दो इनको मैने भी माफ़ कर दिया,,,,,,सन्नी प्लज़्ज़्ज़ लेकिन मैं उसकी
भी कोई बात नही सुन रहा था मैं तो बस पागलो की तरह उन दोनो को मार रहा था,,,एक बंदे ने उन लड़को
की तरफ से बीच बचाव करने की कोशिश की तो मैने उसको भी धक्का देके साइड कर दिया ऑर कविता भी
वहाँ भीड़ से बोलने लगी कि मैं उनका भाई हूँ ऑर इन लड़को ने हमसे बत्तमीजी की थी लेकिन साथ ही वो
सबको बोल रही थी कि मुझे रोके ,लेकिन कोई बीच मे नही आ रहा था,,,,,,,,तभी मुझे किसी ने पीछे से
पकड़ा ऑर मैने उसको कस्के मूह पर थप्पड़ मारा ऑर वो गिर गया,,,,ओह शिट ये तो सोनिया थी,,,,,उसके फेस पर
मैने गुस्से से ऑर पूरे ज़ोर से मारा था मेरी 5 फिंगर उसके मूह पे छप गई थी ऑर लिप्स से खून भी बहने
लगा था,,,,,मैने उसको हाथ से पकड़ कर उठाया ऑर उसने मेरा हाथ झटक दिया लेकिन गुस्से से मुझे नही
देखा बल्कि अजीब नज़रो से देखने लगी थी,,उसकी नज़रो मे क्या था मुझे पता नही चल रहा था,,,तभी
उसने कविता की अक्तिवा को स्टार्ट किया ऑर कविता को बैठने को बोला ऑर कविता भी बैठ गई ऑर वो दोनो वहाँ से
चली गई,,,ऑर इतनी देर मे वहाँ पोलीस आ गई ऑर उन लड़को को पकड़ लिया ऑर साथ मेमुझे भी पकड़ लिया,,,

,,मैने उनको लाख समझाया कि ग़लती इन लड़को की थी लेकिन वो नही मान रहे थे,,,भीड़ के लोगो ने
भी समझाया तो उन लोगो ने मुझे छोड़ दिया ऑर मुझे पूछा कि इन लड़को के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवानी है तो
मैने मना कर दिया क्योंकि मैं खुद ही उनको बहुत सज़ा दे चुका था,,,,,,,,जी नही सर इनको इनकी सज़ा मिल गई
है,,,,,,,,,,,पोलीस ने भी उन लड़को को वॉर्निंग देके छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,वो लोग वहाँ से चले गये ऑर भीड़
ही अपने अपने रास्ते पर निकल गई,,,,,,मैने भी बाइक स्टार्ट किया जो कि अब बहुत बुरी हालत मे था,,लेकिन फिर
भी स्टार्ट हो गया था,,,,,,,,,,,,मैं घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,,,,,रास्ते मे मैं अजीब उलझन मे रहा,,कि
आख़िर सोनिया की नज़रो मे क्या था,,वो ऐसे क्यू देख रही थी मुझको,,,,,,मैं तो उसके लिए ही फाइट कर रहा था
फिर उसको क्या हुआ,,,,,,लेकिन वो गुस्सा तो नही था जो उसकी आँखों मे था,,फिर क्या था वो,,,,

मैं घर पहुँचा तो कपड़े गंदे थे,,ऑर हल्की चोटे भी लगी हुई थी जहाँ से खून बह रहा था,,,,,,,
माँ परेशान हो गई,,,,,,,,

माँ--,हे राम ये क्या हुआ मेरे बेटे को इतनी चोट कहाँ से लग गई,,,,,क्या हुआ मेरे
बेटा,,,,तभी माँ भाग कर अपने रूम मे गई ऑर मेडिसिन वाला बॉक्स लेके आई ऑर फिर किचन मे चली गई
ऑर गर्म पानी करने के लिए गॅस पर रखा ऑर वापिस आके मेरे पास बैठ गई,,मेरे कपड़े जगह जगह से फटे
हुए थे पॅंट भी और टी-शर्ट भी,,,ऑर कयि जगह हल्की खरोन्चे लगी हुई थी जहाँ से हल्का खून बह रहा
था,,,,चल जल्दी कपड़े निकाल अपने बेटा मैं जख़्मो को सॉफ करके दवाई लगा देती हूँ,,

मैं--माँ मैं ठीक हूँ हल्की खरोंच है बस ठीक हो जाएगी

लेकिन माँ ने मेरी कोई बात नही सुनी ऑर खुद मेरे कपड़े उतारने लगी ,माँ मेरी पॅंट उतारने लगी ,,,,,,,,,,,

मैं-रूको माँ मैं उतार देता हूँ,,,,,,,,,

माँ--अरे शर्मा क्यू रहे हो पहली बार उतार रही हूँ क्या,,,,

मैं--माँ मैने नीचे अंडरवेार नही पहना,,,

माँ हँसने लगी ऑर उठकर अपने रूम मे गई ओर टवल लेके आई मैने अपनी कमर पेर टवल लपेट कर पॅंट निकाल दी ऑर टवल मे सोफे पेर बैठ गया,पहले तो पता नही चल रहा था लेकिन कपड़े उतर जाने के बाद पता चला कि कहाँ कहाँ जखम लगे थे, कई जगह पर तो पूरी स्किन उतर गई थी,,,,बड़ा हीरो बनके जंप किया था ना बाइक से अब भुग्तो,,,,,,साला पहले तो पता नही चला लेकिन अब ज़ख़्मों को देख देख कर दर्द भी होने लगा था,,,,,

माँ--तेरा ये हाल हुआ कैसे मेरे बेटे,,,आक्सिडेंट हुआ क्या,,,,,,,,,,,,

मैं--,माँ वो मेरे,,,,,,,,,,,अभी मैने बोलना शुरू ही किया तभी डोर खुला ऑर मैने पीछे मूडकर देखा तो कविता ऑर सोनिया अंदर आ रही थी,,,

सोनिया ऑर कविता हमारे पास आके खड़ी हो गई थी,,,,,,,मैं कविता से शर्मा रहा था क्योंकि वो मुझे घूर रही थी ओर हल्के से शर्मा भी रही थी,,,,,सोनिया की आँखें अभी भी थोड़ी नम थी ऑर लिप्स पेर हल्का सा खून लगा हुआ था जो मेरे थप्पड़
मारने से निकला था ,,,,,,माँ ने सोनिया के लिप्स पर खून देखा तो उसको भी पूछने लगी ,,,,,,,,,,,तेरे को क्या
हुए बेटी,,,,,,एक तो तेरे भाई को चोट लग गई इतनी अब तुझे क्या हुआ,,,,हमारे घर को तो नज़र लग गई किसी
की मेरे दोनो बच्चों को चोट लग गई,,,,,,,,माँ की आँखें भी थोड़ी नम हो गई थी,,,,,,,,,तुझे क्या हुआ सोनिया
बेटी,,,,,तेरे भाई का तो आक्सिडेंट हुआ तेरा भी कहीं,,,,,,,,,,,,

तभी सोनिया बोल पड़ी,,,,,,माँ भाई का आक्सिडेंट नही हुआ ऑर ना ही मेरा,,,,,,,,,,,माँ सोनिया के मूह की तरफ देखने लगी ओर मेरा ध्यान भी उसकी तरफ था,,,

तभी सोनिया ने मा को सब कुछ बता दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

माँ--अरे तेरे को तो खुश होना चाहिए बेटी तेरे को ऐसा भाई मिला जो तेरी हेल्प करता है,वक़्त रहते तेरे काम आता है,,,,बड़ी किस्मत वाली है तू बेटी जो तुझे ऐसा भाई मिला ऑर मुझे ऐसा बेटा,,,,,,,,,,इतना बोल कर माँ ने मुझे गले लगा लिया ऑर किचन मे चली गई गर्म पानी लेने,,,,

,सोनिया मेरे पास खड़ी हुई थी ओर उसकी आँखें नम थी लेकिन साली कविता मेरे नंगे जिस्म को बड़ा
घूर कर देख रही थी तभी माँ ने गर्म पानी वाला बर्तन सामने टेबल पर रखा ऑर एक कपड़े को पानी से
भीगो कर मेरे ज़ख़्मों को सॉफ करने लगी,,,,माँ को देख सोनिया ने भी एक कपड़ा लिया ऑर माँ की तरह मेरे
ज़ख़्मों को सॉफ करने के लिए मेरे सामने पड़े टेबल पेर बैठ गई,,ऑर मेरी टाँगों को अपने हाथ से टेबल पर
रखा ऑर मेरे टाँगों पर लगे ज़ख़्मों को सॉफ करने लगी,,माँ मेरी पीठ ऑर हाथ पर लगे ज़ख़्मों को
सॉफ कर रही थी ऑर सोनिया मेरी टाँगों पर लगे ज़ख़्मों को सॉफ करने लगी,,,,सोनिया की आँखों से आँसू निकल
कर मेरी टाँगों पर गिर रहे थे,उस मासूम की आँखों मे आँसू मुझे अच्छे नही लग रहे थे क्योंकि
मैने उस क्यूट ऑर मासूम चेहरे पर हमेशा मुस्कान ही देखी थी,,आज उस चेहरे पर उदासी ने मुझे
मेरे जख़्मो से भी ज़्यादा हर्ट किया था,,,,,,मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,क्योंकि मैने उस मासूम
के चेहरे से मुस्कान छीन कर रोने को मजबूर किया था,,,,,,,,

जखम ज़्यादा गहरे नही थे बस हल्की सी स्किन छिल गई थी,,,जिसपे माँ ने सॉफ करके दवाई लगा दी थी,,,ऑर
सोनिया मेरी टाँगों पर दवाई लगा रही थी,,मैं टवल मे था मुझे बहुत अजीब लग रहा था,,,वैसे नंगा
बैठा होता 3 लॅडीस के सामने तो लंड महाराज एक पल मे ओकात मे आ जाते लेकिन आज मेरा दिल कुछ अजीब सी
बेचैनी मे था कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,,दवाई लगते ही मैं एक दम से वहाँ से उठा ऑर अपने रूम
की तरफ जाने लगा,,,,,अभी सोनिया मेडिसिन लगा रही थी लेकिन मैं उठा ऑर दवाई बीच मे ही लगाते वहाँ से
उठ गया,,,,,,,,,,,,,,,

माँ--अरे कहाँ जा रहे हो बेटा दवाई तो ठीक से लगाने दो,,,,,,,,,

,मैं कुछ नही बोला ऑर वहाँ से सीधा अपने रूम मे चला गया ऑर अंदर से लॉक कर लिया,,,,,,,,,,,,माँ मेरे पीछे पीछे मेरे रूम तक आई ऑर बाहर से डोर पर नॉक करने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,

माँ--सन्नी बेटा दवाई तो ठीक से लगाने दो,,,,,,,,,,,

माँ--बस माँ लग गई दवाई अब मुझे आराम करने दो आप जाओ यहाँ से,,,,,,,,

फिर सोनिया की आवाज़ आई,,,,,,,,,भाई मेडिसिन लगा लो प्लज़्ज़्ज़्ज़ ,,,,,,,,,,,

लेकिन मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,,,,,कुछ देर तक दोनो डोर पर नॉक करती
रही लेकिन मैने डोर नही खोला ऑर वो लोग चली गई,,,,,,,,,,मैं चुप चाप से बेड पर बैठ गया ,,,मुझे
बड़ा अजीब फील हो रहा था कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं ऐसे उठकर क्यूँ आ गया,क्या हुआ था मुझे,
,,,,,,,,,,,,,,,कुछ 15-20 मिनिट बाद रूम के डोर पर नॉक हुआ

मैं--कौन है,,,,,,,,,,,

कविता--सन्नी मैं हूँ कविता,,,,,,,,,,,,,

मैं--क्या चाहिए तुझे,,,,,,,,,,,,

कविता--आंटी ने गर्म दूध ऑर पेन किल्लर दी है,,,,,,ये दूध पी लो ऑर मेडिसिन खा लो,,,,,,,,,,,,

मैने डोर खोला ऑर उसके हाथ से दूध ओर मेडिसिन लेने लगा ,,,,,,,,मेरा हाथ उसके हाथ से ढूढ़ का ग्लास लेने मे लगा हुआ था जबकि मेरा ध्यान उसके चेहरे की तरफ था वो बड़ी ध्यान से मेरे जिस्म को देख रही थी,देख क्या रही थी घूर रही थी,,,,उसने मुझे दूध ऑर मेडिसिन दी ऑर हँस कर वापिस नीचे चली गई,,,,,मैने भी दूध पिया ऑर मेडिसिन लेके बेड पर लेट गया,,,,,,पेन किल्लर से नींद भी आती है इसलिए बेड पर लेट-ते ही मेरी आँख लग गई,,,,,,,,अगले 2 दिन मैं अपने रूम से नही निकला एक तो मेडिसिन की वजह से कपड़े नही पहन सकता था ऑर दिल भी नही कर रहा था बाहर कहीं जाने को,,,,,,,,बस रूम मे लेटा रहा ऑर बोर होता रहा,,,,,,,,,कोई भी मिलने आता तो मैं रूम नही खोलता ऑर किसी को अंदर नही आने देता माँ भी खाना देके बाहर से ही चली जाती,,,,मेडिसिन भी खुद ही लगाता था,,,,बस एक बार डॅड को अंदर आने
दिया था क्योंकि उनको नही रोक सकता था मैं,,,वो भी बस 2 मिनिट ही मेरे पास बैठे ऑर चले गये,,,,,,
सोनिया भी 2 दिन कविता के घर पर ही रही थी,,,,,,
 
2 दिन बाद जख्म ठीक हो गये पूरी तरह से नही लेकिन काफ़ी हद तक ठीक हो गये थे,,,,सुबह उठा बाथ लेके
तैयार होके नीचे चला गया ज़ख़्मों की वजह से 2 दिन नहाया भी नही था,,,,,,नीचे सब नाश्ता कर रहे थे
माँ,मामा ,,,,डॅड,,,,शोभा ऑर बुआ जा चुकी थी सोनिया कविता के घर पर ही थी,,,,,,,,मेरे आते ही माँ ने
मुझे बड़े प्यार से नाश्ता करवाया ,मैने भी नाश्ता किया ऑर कॉलेज चला गया,,,तब तक डॅड ने बाइक भी
ठीक करवा दिया था,,,,,,,कॉलेज के रास्ते मे ही था तभी बुआ का फोन आ गया,,,,,,,,,,,

बुआ-हेलो सन्नी कहाँ हो,,,,,,,,,,
मैं-हेलो बुआ ,,मैं कॉलेज जा रहा हूँ,,,,,
बुआ-तबीयत कैसी है अब,,,,,,,,,,,,
मैं--ठीक हूँ बुआ,,,,,
बुआ-ठीक या बिल्कुल ठीक,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-क्या मतलब बुआ,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-अरे बुद्धू ठीक हो तो पार्टी नही हो सकती ऑर अगर बिल्कुल ठीक हो तो बड़ी पार्टी भी हो सकती है,,अगर तुम चाहो तो,,,,,,,,,,,,

मैं तो खुश हो गया,,,कॉन पागल बंदा होगा जो चुदाई के लिए मना करेगा,,,,,,,,
मैं-कब बुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ- अभी इसी टाइम बेटा,,,,,,,,,,,,
मैं-अभी बुआ लेकिन अभी तो कॉलेज जा रहा था,,,,,,,,,,,,,
बुआ-तो मत जाओ,,,,,,,,,,,,,,
मैं-ठीक है बुआ मैं अभी आया 5 मिनिट मे,,,,,,वैसे भी मैं बुटीक के पास ही था,,,,,,जल्दी से बुआ के बुटीक पर पहुँच गया,,,,,,,,,,डोर क्लोज़ था तो मैं वही पीछे वाले गेट की तरफ़ चला गया,,,,,,,,,शिट ,,गेट की चाबी तो घर पर रह गई थी,चलो बेल बजा देता हूँ,,,,,,,,बेल बजाई तो पूजा नीचे आई उसने एक नाइटी पहनी हुई थी ब्लॅक कलर की ,,देखने से सॉफ पता चल
रहा था कि उसने नीचे ब्रा नही पहना हुआ था क्योंकि जब वो हल्के से भाग कर मुस्कुराती हुई गेट की तरफ आ
रही थी तब उसके बूब्स बहुत ज़्यादा उछल रहे थे,,,,उसने गेट खोला मुझे हँसके ही बोला ऑर गेट वापिस लॉक
करके मेरा हाथ पकड़ा ऑर मुझे उपर की तरफ़ ले जाने लगी,,,अभी हम उपर जा रहे थे तभी उसने मुझे
सीडियों मे ही किस करना शुरू कर दिया ,,,,,,

पूजा-तुम्हे नही पता सन्नी मैं कब्से तुम्हारा वेट कर रही थी

मेडम ने तो 2-3 दिन पहले भी मुझे बोला था कि तुम आने वाले हो लेकिन तब कोई काम आ गया था इसलिए सब
प्रोग्राम कॅन्सल करना पड़ा ,,,,,,,,,,,

मैं-कोई बात नही अब तो मैं आ गया हूँ ना अब पूरा मज़ा लेना प्रोग्राम का ,,,,,,इतना बोलकर मैने वापिस उसको किस करना शुरू कर दिया ऑर ऐसे ही हम सीढ़ियाँ भी चढ़ते रहे उपर पहुँच कर हमने उपर वाला डोर लॉक किया ऑर रूम की तरफ़ चलने लगे,,,,,,तभी बुआ पूरी नंगी ही बाहर आ गई रूम से ओर मेरी पास आ गई,,,,,,,,,,,,,,

बुआ-सॉरी बेटा तुझे बड़ी पार्टी देने मे थोड़ा लेट हो गई,,,,बुआ ने मेरा हाथ पकड़ा ,,,,,,,,,,,
मैं-इट्स ओके बुआ आज तो मैं बड़ी ऑर छोटी पार्टी दोनो का लुफ्त उठाउंगा,,,,,

बुआ मुझे रूम मे ले गई,,,,,,रूम मे जाके पूजा भी जल्दी से नाइटी उतार कर नंगी हो गई ,,,,,,
मैं-वैसे बुआ ये बड़ी पार्टी बहुत मस्त है,,,,,,,,,,,,,,
बुआ ऑर पूजा हँसने लगी,,,,,,,,
बुआ-अरे बुद्धू ये बड़ी पार्टी नही है ये तो मेरी तरह छोटी सी पार्टी है बड़ी पार्टी तो साथ वाले रूम मे है,तू रुक मैं अभी लेके आती हूँ,,,,,,,,,,

बुआ बाहर गई ऑर इतने मे पूजा ने मुझे किस करते हुए मेरे कपड़े खोलने शुरू कर दिए,,,बुआ के आने से पहले ही मैं नंगा हो चुका था ऑर तभी बुआ भी रूम मे आ गई,,,,,,,,ओह्ह्ह माइ गॉड बुआ तो नंगी थी ही ऑर बुआ के साथ थी मनीषा वो भी बिल्कुल नंगी,,,,मैं उसको देखता ही रह गया,,,,,अभी अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा था ,,,,छोटे छोटे बूब्स लेकिन इतने छोटे भी नही,,,,ऑर वैसे भी जवानी की दहलीज पर वो मेरे बाप ऑर बुआ के साथ काफ़ी सीढ़ियाँ चढ़ चुकी थी,,,,,,,,
बुआ-तो कैसी लगी ये पार्टी,,,,,,,

मैं--ये तो बहुत मस्त पार्टी है बुआ ,मैं मनीषा को घूर कर खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था ऑर वो चेहरा झुका कर शरमा रही थी,,,,,,

बुआ ने उसको मेरी तरफ़ किया ऑर पूजा का हाथ पकड़ कर बाहर ले जाने लगी,,,,,,,,,
बुआ-ये लो बेटा तुम आज इस बड़ी पार्टी का मज़ा लो तब तक मैं ऑर पूजा अपनी मस्ती करते है,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-बुआ आप लोग भी मस्ती करो ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-हाँ बेटा हम भी मस्ती करेंगे बट आज तू इसके साथ अकेला मस्ती कर हम दोनो साथ वाले
रूम मे है,,,,,,
मैं-नही बुआ आप भी रूको सब साथ मे मस्ती करते है,,,ऑर वैसे भी मैं हर पार्टी का मज़ा लेना चाहता हूँ वो छोटी हो या बड़ी,,,,,,तभी बुआ ने मेरे पास आके मुझे किस किया ऑर जल्दी से बेड पर ले गई,,,,,
 
मैने बुआ के लिप्स को अपने लिप्स मे हल्के से जकड़ा ऑर चूमने लगा तभी बुआ एक दम से पीछे हट गई ऑर
मनीषा को मेरे सामने कर दिया ऑर खुद पूजा को किस करने लगी,,,,,,मैने भी मनीषा को उसकी कमर से
पकड़ा ऑर हल्के से अपने करीब खीच लिया वो मेरे से शरमा रही थी उसकी नज़रे नीची थी,,,हालाकी वो उमर
मे पूजा से छोटी थी लेकिन मेरे से बड़ी थी फिर भी शरमा रही थी ,,मैने उसकी कमर को अभी अपने हल्के
हाथ से टच किया था तभी उसका पूरा बदन एक हल्की सी लहर से सिहर उठा ऑर वो अपने सर को झुका कर नीचे
नज़रे करके खड़ी रही मैने उसके हल्के से अपने पास किया ऑर उसके चेहरे को उसकी चिन से पकड़ कर उपर किया
लेकिन वो हल्का ज़ोर लगा रही थी,,ऑर यही बात मुझे अच्छी लग रही थी मज़ा तो सेक्स का तभी आता है जब सामने
वाला भी टक्कर का होता है लेकिन सामने वाला एक दम से मान जाए तो मज़ा थोड़ा फीका रह जाता है असली मज़ा
तो तब है जब लड़की को हल्का सा तडपा कर उसको धीरे धीरे सेक्स के लिए उत्तेजित किया जाए,,,,,कयि लोगो के लिए
सेक्स बस लंड को चूत मे डालके आगे पीछे करने से ज़्यादा कुछ नही होता ऑर ऐसे लोग होते है एक ही वाइफ के
साथ पूरी ज़िंदगी बिताने वाले,,,,,,,सॉरी,,,,,,,,लेकिन हमे तो तभी मज़ा आता है जब लड़की को सर से लेके पैर
तक चूमा ऑर चाटा जाए फिर बूब्स ऑर छूट को तब तक सहलाया जाए जब तक लड़की खुद तड़प कर आपसे लंड
को चूत मे डालने की मिन्नते ना करने लग जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैने मनीषा को कमर से पकड़ा ऑर हल्के से अपनी तरफ खेंचा तो वो बस शर्माके नीचे देखती रही जब मैने उसको चिन से पकड़ कर उसका फेस उपर करने की कोशिश की तब भी वो हल्का ज़ोर लगा कर सर को नीचे किए खड़ी रही,,तभी मैने उसको शोल्डर से पकड़ा ऑर हल्के से ज़ोर लगा कर बेड पर नीचे की तरफ कर दिया जिससे वो घुटनो के बल बेड पर
बैठ गई ओर उसके साथ साथ मैं भी नीचे बेड पर बैठ गया ,,,अभी भी वो नीचे ही देख रही थी ,,मैने बेड पर पीछे की तरफ झुका दिया ऑर वो भी पीछे झुकती चली गई ,,बुआ ऑर पूजा उसके पीछे थे तभी बुआ
ने मुझे देखा और पूजा का हाथ पकड़ कर बेड से उठी ऑर बाहर ले गई,शायद वो समझ गई थी कि मैं अब
पूरे मूड मे हूँ ऑर वो चाहती थी कि मैं आराम से इस बड़ी पार्टी का लुफ्ट उठा सकूँ,,इसलिए वो पूजा को लेके
साथ वाले रूम मे चली गई,,,,बुआ ऑर पूजा के उठने से मनीषा के पीछे की तरफ का बेड खाली हो गया ऑर
उसके लेटने को जगह बन गई ऑर मैने बड़े प्यार से उसको बेड पर लेटा दिया फिर उसकी टाँगो को पकड़ कर सीधा
कर दिया लेकिन तभी उसने मेरी तरफ देखा ऑर मैं उसकी चूत को देख रहा था उसने जल्दी से अपनी टाँगों को
आपस मे जाकड़ लिया ऑर चूत को पर्दे मे छुपा लिया,,मुझे उसकी यही अदा अच्छी लग रही थी,,उसके ऐसा करने
से मस्ती ऑर भी ज़्यादा हो रही थी ओर मैं बस उसको चोदने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तड़प का भी अपना ही
मज़ा था,मुझे पता था कि वो भी तड़प रही है ऑर उसकी तड़प मेरी तड़प को ओर ज़्यादा बढ़ा रही थी ऑर मेरे
जिस्म के रोम रोम मे एक मस्ती की लहर सर से पैरो तक फिर पैरो तक बार बार उठती जा रही थी,,मेरी मस्ती
सिर्फ़ उसको ऐसे हल्के शरमाते देख कर ही बढ़ती जा रही थी,,,मुझे कुछ जल्दी नही थी मैं तो इस हसीन ऑर
जवान जिस्म का सर से पैरो तक दीदार करके पहले आँखें गर्म करना चाहता था,,,

फिर मैं उसके पास बैठ गया ऑर एक हाथ की एक उंगली को उसके पेट पर बेल्ली बटन के पास रखा ऑर हल्के से
बेल्ली बटन के चारो ओर उंगली को हल्के से घुमाने लगा,,वो बस अपनी आँखें बंद करके लेटी रही लेकिन उसके
फेस पर एक अजीब सी कशिश एक अजीब सी मस्ती सॉफ नज़र आ रही थी,,,मैने उंगली को उसकी बेल्ली बटन मे
घुसा दिया ऑर हल्के से घुमाने लगा फिर उंगली की बेल्ली बटन से निकाल कर सीधा उपर की तरफ सहलाते हुए
आगे बढ़ने लगा ,,,फिर उसके बूब्स के ज़रा से नीचे से वापिस पलट गया ऑर उंगली को फिर से बेल्ली बटन के पास
से सहलाते हुए नीचे चूत तक जाने लगा लेकिन चूत को उसने अपनी टाँगो मे दबा रखा था लेकिन मैं अभी
इतनी जल्दी चूत तक नही जाना चाहता था,,मैं तो उसको अभी तड़पाना चाहता था,,,,,मैने उंगली को चूत के
3 इंच उपर से ही वापिस उपर की तरफ मोड़ दिया ऑर फिर बूब्स की तरफ बढ़ने लगा,,,,,वो बस आँखें बंद किए
लेटी रही,,लेकिन उसकी हार्टबीट तेज हो गई थी ऑर उसकी कमर मेरी उंगली सहलाने के साथ साथ तेज़ी से उपर नीचे
होने लगी थी,,,
 
उसको कमर ऑर पेट हल्के से काँप रहे थे ऑर उसने अपने हाथों को बेड पर फेला दिया था
ऑर हाथों की उंगलियों को आपस मे जाकड़ कर ज़ोर से मुट्ठी बंद करली थी,,,ये देख मेरे चेहरे पर एक हल्की सी
शरारती ऑर वासना भरी मुस्कान आ गई थी,,,,,,फिर कुछ देर बाद मैने उंगली को उसके बूब्स की लाइन से उपर
करके उसको गर्दन ऑर शोल्डर के पास कान की नीचे तक ले जाना शुरू कर लिया,,वो अपने सर को हल्के से इधर
उधर हिला रही थी,,,,मैं जानता था वो तड़प रही थी कि मैं जल्दी से कुछ करूँ लेकिन मैं जल्दी नही करना
चाहता था,,,,,,,,,,,,,मैने फिर एक हाथ को नीचे उसके पेट की तरफ़ ले गया ऑर एक हाथ से उसकी गर्दन ऑर बूब्स की
लाइन को सहलाने लगा लेकिन एक बार भी बूब को टच नही किया,,,,,,,,ऑर साथ ही दूसरे हाथ को पेट कमर ऑर
चूत के 2-3 इंच करीब तक ले जाता ऑर आराम से बड़े प्यार से सहलाता रहता,,,,फिर मैने अपने हाथ को जो उपर
की तरफ था उसकी एक उंगली को उसके फॉर हेड पर सहलाया ऑर वहाँ से नाक से सहलाते हुए उंगली को नीचे उसके
लिप्स तक ले आया ऑर फिर लिप्स के पास आते ही उसने लिप्स को हल्के से खोला लेकिन मैने उंगली को लिप्स पर नही रखा ऑर वहाँ से सीधा उसकी गरदन पर आ गया,,,,,,,,

तभी उसने आँखें खोल कर मुझे देखा ,,,,,,उसकी नज़रे मुझ से पूछ रही थी कि मैं उसको क्यू तड़पा रहा हूँ ऑर मैं एक शरारती मुस्कान से उसको जवाब दे रहा था,,,,,,वो बस ऐसे ही मचल कर मुझे देखती जा रही थी ऑर मैने हाथ को उसकी गर्दन पर सहलाना जारी रखा ,,,उसका गला सूख रहा था ऑर गले की हड्डी उपर नीचे हो रही थी,,,,वो बहुत ज़्यादा बेचैन होने लगी थी,,,

अब मैं भी ज़्यादा देर नही करना चाहता था मैने अपने सर को नीचे किया ऑर उसके लिप्स पर अपने लिप्स
रखने लगा तभी उसने अपने सर को दूसरी तरफ पलट लिया,,,,मैं हँस कर वापिस सीधा होके बैठ गया,,मेरे
सर उठाते ही उसने भी अपने सर को सीधा कर लिया,,,,,,,ऑर मेरी तरफ देखने लगी,,,,,मानो मुझे बोल रही थी
कि तुम मुझे तडपा रहे हो तो मैं क्यू पीछे रहूं,,,,,ऑर मैं बस हँस कर उसको देखता जा रहा था लेकिन मेरे
हाथ अपने काम मे लगे हुए थे,,,,,,फिर मैने अपने हाथ को जो उपर की तरफ था उसको गर्दन से सहलाते
हुए उसके लिप्स के पास ले गया ऑर 2 उंगलिया उसके लोवर लिप्स पर रख दी फिर दोनो उंगलियों से उसके लिप्स को पहले अच्छी तरह से सहलाया ऑर फिर दोनो उंगलियों मे दबा कर हल्के से मसल दिया,,,वो बस मुझे देखती जा रही
थी ऑर मैं भी अपनी नज़रो को उसकी नज़रो मे समा चुका था,,,फिर मैने एक उंगली उसके दाँतों पर रखी ऑर
तभी उसने हल्के से मूह खोल दिया ऑर मैने भी उंगली को मूह मे घुसा दिया,,,,,,,

ओह्ह शिट्ट क्कीिट्त्न्ना गार्रम्म त्तहा उउस्स्क्के म्मूउः उउन्नड़दीर्र स्सी,,,,उसस्कीी ज्जुउब्बंन बहीी भ्हुत्त गर्र्म्म त्तहीी ऑर ज्जुउबान
प्पीरर ल्लग्गा त्ूक तो क्खौउल्लटटी ग्घी ज्जाससा त्तहा,,,,,,,,,,कोई सोच भी नही सकता था कि इतने सॉफ्ट
लिप्स के पीछे इतनी गर्मी हो सकती है,,,,,उसने मेरी उंगली को मूह मे लिया ऑर चूसने लगी ऑर अपनी आँखें वापिस
बंद करली,,,वो बड़े प्यार से उंगली को चूस रही थी मेरे से अब ओर बर्दाश्त नही हुआ मैने जल्दी से झुक कर
अपने लिप्स को उसके लिप्स पर रख दिया ऑर उंगली के साथ साथ अपने ज़ुबान उसके मूह मे घुसा दी,,,,वो एक दम से
चौंक गई ऑर उसकी आँखें बड़ी बड़ी हो गई,,,,मैने उंगली को बाहर किया ऑर ज़ुबान को उसके मूह मे डालके
खुद उसके अपर लिप्स को मूह मे भर लिया,,,उसने भी मेरी ज़ुबान को हल्के से चूसना शुरू कर दिया,,क्या सॉफ्ट
लिप्स थे उसके जैसे हल्का सा मेल्ट बटर ,,,,,मेरे मूह मे जाते ही जैसे उसके लिप्स घुलने लगे थे ऑर मैं
उस घुलते बटर को पीने लगा था,,,तभी मेरा हाथ जो अभी तक उसके पेट पर था वो खुद-ब-खुद उसके लेफ्ट
बूब पर आ गया था ऑर हल्के से सहलाने लगा था,,उसका बूब्स छोटा था लेकिन इतना छोटा भी नही,,मेरे एक
हाथ मे एक बूब आराम से आ गया था लेकिन तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा ऑर हटा दिया,,,मैने फिर से हाथ को
बूब पर रखा उसने फिर से हटा दिया ,,मैने दोबारा से नही रखा ऑर पेट को सहलाने लगा ऑर लिप्स को चूसने
लगा,,फिर मैने उसके मूह में अपनी ज़ुबान से उसकी ज़ुबान को लड़ाने लगा वो भी इसमे मेरा हल्का सा साथ देने
लगी,,,,जब उसने मेरा साथ देना शुरू किया तो मैने हाथ को फिर से उसके बूब पर रखा ऑर सहलाने लगा इस
बार उसने मुझे नही रोका ओर मैने बूब को हाथ मे भर लिया ऑर हल्के से दबाने लगा ऑर सहलाने लगा ,,,
 
तभी मुझे भी एक शरारत सूझी मैने उसके बूब से हाथ हटा लिया ऑर लिप्स को लिप्स से अलग कर लिया ,,तभी उसकी
आँखें मुझे अजीब सा घूर्ने लगी ,,,,,मैने उसको इग्नोर किया ऑर खुद बेड पर पीठ के बल लेट गया,,ऑर
उसकी तरफ ना देखते हुए उपर छत की तरफ देखने लगा,,करीब 2 मिनिट तक मैं ऐसे ही लेटा रहा ऑर वो भी
,,फिर वो उठी ऑर बैठ गई,,उसके बैठते ही मैने उसकी तरफ देखा तो वो सवालिया नज़रो से मुझे देखते हुए
पूछने लगी क्या हुआ सन्नी,तुम रुक क्यू गये,,,मैने उसकी बात के जवाब मे उसका हाथ पकड़ा ऑर अपनी चेस्ट
पर रख दिया,,,उसने हाथ हटा लिया,,मैने फिर से हाथ पकड़ा ऑर अपनी चेस्ट पर रख दिया,,उसने फिर से हाथ
हटा लिया,,मैने फिर से उसका हाथ पकड़ा ऑर अपने हाथ मे पकड़ कर अपनी चेस्ट पर घुमाने लगा,,वो मेरी
तरफ़ देख रही थी ऑर मैं उसकी तरफ,,कुछ देर बाद मैने उसके हाथ को छोड़ दिया ऑर उसने अपने हाथ को नही
हटाया ऑर मेरी चेस्ट को सहलाने लगी,,,,मैं भी समझ गया कि अब वो तैयार है मैने उसके हाथ से पकड़ा ऑर
अपने उपर खींच लिया ऑर उसके लिप्स को अपने लिप्स के भरके चूसने लगा ,,उसके नंगे बूब्स मेरी नंगी चेस्ट
पर दब गये थे ऑर मैने उसको ऑर ज़्यादा दबाने के लिए अपने हाथ उसकी पीठ पर रखके उसको पूरी तरह से
अपने साथ सटा लिया था ऑर उसके लिप्स को चूस्ते हुए उसकी पीठ को सहलाने लगा था,,,,क्या मक्खन जैसी गोरी
ऑर चिकनी पीठ थी साला हाथ फिसलता ही जा रहा था,,,,मैने उसके लिप्स को चूस्ते हुए हाथ पीठ से ले जाके
उसकी गान्ड पर रखा ऑर उसको उठा कर पूरा अपने उपर लेटा लिया ऑर हाथ को गान्ड से लेके उसकी पीठ
पर सहलाते हुए गर्दन तक लेके जाने लगा,,उसकी दोनो टाँगें मेरे उपर आने की वजह से खुल गई थी ऑर उसकी
चूत मेरे हार्ड लंड की टोपी से टच करने लगी थी,,उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी जिसका अहसास मुझे अपने
लंड की टोपी पर होने लगा था,,,,तभी मैने अपने हाथ को उसकी चूत के पास ले जाके लंड को हाथ से पकड़ा
ऑर चूत से सटा दिया ,,उसको एक झटका सा लगा ऑर वो मेरे उपर से उतर गई,,,,लेकिन मैं अब पागल हो चुका
था मैने उसके उठते ही उसको पकड़ा ऑर बेड पर लिटा दिया ऑर खुद उसके उपर हो गया ऑर हाथ को उसकी चूत पर
ले गया लेकिन उसने जल्दी से टाँगो को आपस मे जाकड़ लिया ऑर मेरे हाथ को चूत तक जाने से रोक दिया,,साला अब
तो कुछ करना ही होगा इसको तड़पने के चक्कर मे खुद ही तड़प रहा था मैं,,,,मैने जल्दी से अपने फेस
को उसके पेट पर रख दिया ऑर किस करने लगा ऑर धीरे धीरे उपर बूब्स की तरफ बढ़ने लगा लेकिन जैसे ही
मैं बूब्स तक अपने लिप्स को लेके गया उसने मेरा सर पकड़ कर मुझे रोक दिया लेकिन मैने भी उसके हाथ
पकड़े ऑर बेड से कस्के दबा दिए ऑर उसके बूब्स की लाइन को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा,,,,ऑर कुछ ही देर मे
एक बूब की डुँड़ी को लिप्स मे भर लिया,,लिप्स की डुँड़ी को कुछ कुछ हार्ड हो चुकी थी मेरे लिप्स मे आते ही ऑर हार्ड
हो गई ऑर साथ मे उसकी बेचैनी भी,,,मैने बूब की डुँड़ी को हल्के से लिप्स मे दबा कर चूसा फिर दाँत से
थोड़ा ज़ोर से काट दिया,,,,,उसकी दर्द भरी हल्की अहह निकल गई ऑर मैने बूब को ऑर ज़्यादा मूह मे भर
लिया तो उसकी आअहह ऑर लंबी हो गई,,,,,,मैने भी मोका देखा ऑर दूसरे बूब को भी ऐसे ही मूह मे
भरके चूसा ऑर हल्का सा काट भी दिया,,,,फिर मैने उसके हाथों को छोड़ दिया ऑर बूब्स पर रख दिया ऑर
हाथों से दबा दबा कर बारी बारी से दोनो बूब्स को चूसने लगा ऑर हल्के से काटने भी लगा,,,अब उसने मुझे
रोका नही बल्कि अपने हाथों को मेरे सर पर रख के सहलाने लगी ऑर हल्की हल्की अह्ह्ह्ह भरने लगी,,



फिर मैने एक हाथ को उसकी चूत की तरफ ले जाना शुरू किया लेकिन उसने अपनी टाँगो को हल्के से जकड़ा हुआ था
फिर भी मेरी एक उंगली उसकी चूत के करीब तक जाने मे सफल हो गई थी ऑर मैने उंगली से उसकी चूत के उपरी
हिस्से को हल्के से सहलाना शुरू कर दिया था,,उंगली उसकी चूत के हल्के से हिस्से को ही टच कर रही थी लेकिन
इतने से हिस्से से कि उसको हल्की मस्ती चढ़नी शुरू हो गई ऑर उसका अपनी टाँगो पर कोई ज़ोर नही रहा ऑर टाँगो
की पकड़ ऑर ढीली हो गई इस बात का अहसास होते ही मैने हाथ को चूत के ऑर अंदर कर दिया जिस से मेरी
उंगली भी चूत के उपर तक पहुँच गई ,,मेरी उंगली उसकी चूत की लाइन के उपर फिसलनी शुरू हो गई थी क्योंकि
उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था जिस से उंगली चिकनी हो गई थी ऑर उसकी चिकनी चमेली पर फिसलती जा रही थी,
ऑर साथ ही उसके बूब पर मेरे लिप्स ऑर ज़ुबान का कमाल का टच हो रहा था ऑर दूसरे बूब पर मेरे हाथ का
हल्का दबाव उसको पागल करने लगा था उसका हाथ मेरे सर पर थोड़ा तेज़ी से फिरने लगा था उसकी उंगलियाँ
मेरे बालों मे घुमाने लगी थी ऑर मेरे सर को बूब्स पर दबाने लगी थी ,,मैं भी उसके लगभग पूरे बूब
को मूह मे भरने की कोशिश मे था जो कोशिश काफ़ी हद तक कामयाब भी हो रही थी ऑर दूसरे हाथ मे भी
उसका पूरा बूब पकड़ा हुआ था ऑर हल्के ज़ोर से ऑर कभी ज़्यादा ज़ोर से दबा रहा था,,,मेरी उंगली चूत के पानी
से काफ़ी चिकनी हो गई थी ऑर चूत पर बड़े आराम से फिसल रही थी साथ ही मैं उसके बूब को बदल बदल कर
बारी बारी से चूस रहा था ऑर दूसरे को दाब रहा था,,,,चूत पर उंगली की फिसलन ऑर बूब्स पर लिप्स ऑर हाथ
की पकड़ उसको ऑर ज़्यादा उत्तेजित करने लगी हुई थी,उसकी सिसकिया निकलनी शुरू हो गई थी ऑर उसके हाथों ने मेरे
सर के बालों को खींचना शुरू कर दिया था ,फिर उसके मेरे सर के बालों को ज़ोर से खींचा मुझे हल्का सा
दर्द भी हुआ तभी उसने मुझे खींच कर अपने सर की तरफ उपर किया ऑर जल्दी से मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे
जाकड़ लिया ऑर थोड़ा ज़्यादा ज़ोर से मस्ती मे मुझे किस करने लगी ,,,,लेकिन मेरा इरादा कुछ ऑर था मैने उसके
लिप्स को छोड़ दिया ऑर नीचे बढ़ने लगा तभी उसने वापिस मेरे सर को पकड़ा ऑर उपर की तरफ खींच लिया ऑर
पागलो की तरह मुझे चूमने लगी
 
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