सुबह उठा तो सब लोग नाश्ता कर रहे थे,,,,,,,,दाद भी आ गये थे,,,,,,,,,,
मैं--,अरे डॅड आप कब आए,,,,,
डॅड--बेटा बॅंक के काम से बाहर गया था आज ही सुबह आया हूँ 6 बजे की ट्रेन से,,,,,,
मैं-साला हरामी कितना झूठ बोल रहा है,,,,,कल बुआ की बुटीक पर था अकेला ट्रेन का एंजिन बनकर 3-3 बोगियों को संभाल रहा था,,,,,,,,,,मैने मन ही मन पता नही कितनी गालियाँ दी अपने बाप को ,,,,,,,नाश्ता कर ही रहा था तभी बाहर बेल
बजी ओर सोनिया उठकर चली गई,,,,,,,,,बाहर कविता आई थी ऑर सोनिया उसके साथ कॉलेज गई थी,,
लगता है भाई बेहन की फाइट अभी सॉल्व नही हुई,,,,,,,,,,,,,डॅड ने हस्ते हुआ बोला,,,,,,,,
मैने कुछ नही कहा ऑर नाश्ता करके कॉलेज को चला गया,,,,,,,,,आज कुछ खास नही हुआ बस बोर होता रहा पूरा दिन,,,,,,,,,,,,जब कॉलेजसे वापिस घर जा रहा था तो देखा कि कविता ऑर सोनिया बाहर गेट से कुछ आगे जाके रुके हुए थे,,,,,,,,,,मैने भी बाइक उनके पास रोक दी लेकिन मुझे देख कर सोनिया ने अपना फेस दोसरि तरफ कर लिया,,,,,,,,,,
मैं--क्या हुआ कविता,,,,,,,,,,,,
कविता-कुछ नही सन्नी ये अक्तिवा अपने आप बंद हो गई पता नही क्या हुआ इसको,,,,,,,,
मैं-मैं कुछ हेल्प कर सकता हूँ क्या,,,,,,,,,,
सोनिया--,कविता इसको जाने दो हम किसी ओर की हेल्प लेते है,,,,,,,,,,,
कविता-अरे बाबा तुम दोनोकी आपस की फाइट है इसमे अक्तिवा का या मेरा क्या कसूर ऑर वैसे भी किसी अजनबी की हेल्प लेने से बेहतर है किसी अपने की हेल्प लेना,,,सन्नी तुम इसको बोलने दो ,,,ये जब देखो गुस्सा नाक पर रखती है,,तुम प्लीज़ हेल्पकरो ना,,,,,,,,,,
,मैने बाइक को स्टॅंड पर खड़ा किया ऑर अक्तिवा को स्टार्ट करने लगा लेकिन वो स्टार्ट ही नही हो रही
थी,,,तभी मैने उसके पेट्रोल टांक मे देखा कहीं पेट्रोल तो ख़तम नही हुआ लेकिन पेट्रोल तो बहुत था उसमे
फिर मैने उसके कवर को उपर उठा कर प्लग पाना लेके उसका प्लग निकाला तो देखा उसपे बहुत सारा कार्बन
जमा हुआ था मैने प्लग सॉफ किया ऑर वापिस अक्तिवा स्टार्ट की तो वो स्टार्ट हो गई,,,,,,,,,,,,,
कविता--,थॅंक्स सन्नी,,
मैं-अरे इसमे थॅंक्स की क्या बात प्लग गंदा था मैने सॉफ कर दिया इसमे क्या बड़ी बात थी,,,,,
कविता--लेकिन फिर भी तूने हेल्प तो की ना हमारी,,,,,,,,
,हमारी नही सिर्फ़ तेरी,सोनिया गुस्से से बोली,,,,,,,,,,,
हाँ हाँ बाबा मेरी बस मेरी अम्मा ,,अब गुस्सा छोड़ ऑर बैठ घर चले,,पता नही कब तुम लोग बड़े होगे ऑर कब तुम्हारी ये
फाइट करने की आदत छूटेजी,,,,बाइ सन्नी,,,,,
मैं--,बाइ तो ठीक है लेकिन इस अक्तिवा को सर्विस के लिए भेज देना वेर्ना फिर से बंद हो जाएगी,,,,,,,,,
कविता--ठीक है सन्नी मैं भाई को बोल दूँगी,,,,,,,,,बयईईई
,मैने भी बाइ बोला ऑर वो चली गई मैने भी बाइक स्टार्ट की ऑर उनके पीछे पीछे चलने लगा क्योंकि मुझे भी उसी रास्ते जाना था लेकिन सोनिया को मेरा उनके पीछे पीछे आना अच्छा नही लग रहा था वो बार बार गुस्से से पीछे मूड कर देख रही थी,,,,तभी एक बाइक पर 2 लड़के आए ऑर उन दोनो से छेड़खानी करने लगे,,,,मैने आगे जाके सालो को मारना
चाहा लेकिन सोनिया ने खुद ही उनको भला बुरा सुना दिया ,लेकिन वो लोग ऑर ज़्यादा बत्तमीजी करने लगे तो कविता
ने अक्तिवा रोक दी ऑर सोनिया नीचे उतर कर उनको थप्पड़ मारने लगी तभी एक लड़के ने सोनिया का हाथ पकड़ लिया
ऑर दूसरे ने कविता की अक्तिवा का हॅंडल को पकड़ लिया,,,,,,,,,,,,मैं थोड़ा पीछे था ओर मैने बाइक को एक दम
रेस देके उनकी तरफ पूरी तेज़ी से भगाना शुरू किया ऑर मुझे देख कर सोनिया जल्दी से हाथ छुड़ा कर हल्के
पीछे हो गई ऑर मैने बाइक को सीधा उन लोगो के बाइक की तरफ मोड़ कर उनके पास पहुँचने से पहले ही अपनी
बाइक से जंप करके साइड मे कूद गया ऑर मेरा बाइक करीब 60 या 80 की स्पीड ये उन लोगो की बाइक से टकरा गया
हलकी हल्की सी टक्कर कविता की अक्तिवा को भी लगी लेकिन बाइक पर ज़्यादा ज़ोर से टक्कर लगी ऑर वो दोनो लड़के गिर गये बिके पर जंप करने से मेरे भी हाथ पैर पर हल्की चोट लगी थी लेकिन मैं भाग कर उन लड़को के पास
गया ऑर एक को ज़मीन से उठा कर उसके सर मूह ऑर पेट मे ज़ोर से घूँसे मारने लगा ऑर दूसरा जो अब तक
ज़मीन पेर ही गिरा हुआ था उसको वही पड़े पड़े उसके पेट ऑर कमर पर ज़ोर से टाँगे मारने लगा,,,,मैं
फाइट के मामले मे पूरा पागल था जब भी लड़ता तो ये नही देखता किसको लग रही है ऑर कितनी लग रही है मैं
पागलो की तरह उन दोनो को मार रहा था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,साले मेरी बेहन को छेड़ता है,मार डालूँगा जान
से ,,,,मैं बहुत बुरा मार रहा था उनको आस पास भीड़ भी ज़मा हो गई थी लेकिन मेरे गुस्से को देख कर
कोई बीच मे नही आ रहा था,,,कविता तो अपनी अक्तिवा से उतर कर साइड मे हो गई थी ऑर बहुत ज़्यादा डर गई
थी,,,लेकिन सोनिया वही खड़ी मुझे देख रही तो ऑर रोती हुई मुझे बोल रही थी प्ल्ज़्ज़ सन्नी छोड़ दो इनको
मर जाएगा कोई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ सन्नी माफ़ कर दो इनको मैने भी माफ़ कर दिया,,,,,,सन्नी प्लज़्ज़्ज़ लेकिन मैं उसकी
भी कोई बात नही सुन रहा था मैं तो बस पागलो की तरह उन दोनो को मार रहा था,,,एक बंदे ने उन लड़को
की तरफ से बीच बचाव करने की कोशिश की तो मैने उसको भी धक्का देके साइड कर दिया ऑर कविता भी
वहाँ भीड़ से बोलने लगी कि मैं उनका भाई हूँ ऑर इन लड़को ने हमसे बत्तमीजी की थी लेकिन साथ ही वो
सबको बोल रही थी कि मुझे रोके ,लेकिन कोई बीच मे नही आ रहा था,,,,,,,,तभी मुझे किसी ने पीछे से
पकड़ा ऑर मैने उसको कस्के मूह पर थप्पड़ मारा ऑर वो गिर गया,,,,ओह शिट ये तो सोनिया थी,,,,,उसके फेस पर
मैने गुस्से से ऑर पूरे ज़ोर से मारा था मेरी 5 फिंगर उसके मूह पे छप गई थी ऑर लिप्स से खून भी बहने
लगा था,,,,,मैने उसको हाथ से पकड़ कर उठाया ऑर उसने मेरा हाथ झटक दिया लेकिन गुस्से से मुझे नही
देखा बल्कि अजीब नज़रो से देखने लगी थी,,उसकी नज़रो मे क्या था मुझे पता नही चल रहा था,,,तभी
उसने कविता की अक्तिवा को स्टार्ट किया ऑर कविता को बैठने को बोला ऑर कविता भी बैठ गई ऑर वो दोनो वहाँ से
चली गई,,,ऑर इतनी देर मे वहाँ पोलीस आ गई ऑर उन लड़को को पकड़ लिया ऑर साथ मेमुझे भी पकड़ लिया,,,
,,मैने उनको लाख समझाया कि ग़लती इन लड़को की थी लेकिन वो नही मान रहे थे,,,भीड़ के लोगो ने
भी समझाया तो उन लोगो ने मुझे छोड़ दिया ऑर मुझे पूछा कि इन लड़को के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवानी है तो
मैने मना कर दिया क्योंकि मैं खुद ही उनको बहुत सज़ा दे चुका था,,,,,,,,जी नही सर इनको इनकी सज़ा मिल गई
है,,,,,,,,,,,पोलीस ने भी उन लड़को को वॉर्निंग देके छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,वो लोग वहाँ से चले गये ऑर भीड़
ही अपने अपने रास्ते पर निकल गई,,,,,,मैने भी बाइक स्टार्ट किया जो कि अब बहुत बुरी हालत मे था,,लेकिन फिर
भी स्टार्ट हो गया था,,,,,,,,,,,,मैं घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,,,,,रास्ते मे मैं अजीब उलझन मे रहा,,कि
आख़िर सोनिया की नज़रो मे क्या था,,वो ऐसे क्यू देख रही थी मुझको,,,,,,मैं तो उसके लिए ही फाइट कर रहा था
फिर उसको क्या हुआ,,,,,,लेकिन वो गुस्सा तो नही था जो उसकी आँखों मे था,,फिर क्या था वो,,,,
मैं घर पहुँचा तो कपड़े गंदे थे,,ऑर हल्की चोटे भी लगी हुई थी जहाँ से खून बह रहा था,,,,,,,
माँ परेशान हो गई,,,,,,,,
माँ--,हे राम ये क्या हुआ मेरे बेटे को इतनी चोट कहाँ से लग गई,,,,,क्या हुआ मेरे
बेटा,,,,तभी माँ भाग कर अपने रूम मे गई ऑर मेडिसिन वाला बॉक्स लेके आई ऑर फिर किचन मे चली गई
ऑर गर्म पानी करने के लिए गॅस पर रखा ऑर वापिस आके मेरे पास बैठ गई,,मेरे कपड़े जगह जगह से फटे
हुए थे पॅंट भी और टी-शर्ट भी,,,ऑर कयि जगह हल्की खरोन्चे लगी हुई थी जहाँ से हल्का खून बह रहा
था,,,,चल जल्दी कपड़े निकाल अपने बेटा मैं जख़्मो को सॉफ करके दवाई लगा देती हूँ,,
मैं--माँ मैं ठीक हूँ हल्की खरोंच है बस ठीक हो जाएगी
लेकिन माँ ने मेरी कोई बात नही सुनी ऑर खुद मेरे कपड़े उतारने लगी ,माँ मेरी पॅंट उतारने लगी ,,,,,,,,,,,
मैं-रूको माँ मैं उतार देता हूँ,,,,,,,,,
माँ--अरे शर्मा क्यू रहे हो पहली बार उतार रही हूँ क्या,,,,
मैं--माँ मैने नीचे अंडरवेार नही पहना,,,
माँ हँसने लगी ऑर उठकर अपने रूम मे गई ओर टवल लेके आई मैने अपनी कमर पेर टवल लपेट कर पॅंट निकाल दी ऑर टवल मे सोफे पेर बैठ गया,पहले तो पता नही चल रहा था लेकिन कपड़े उतर जाने के बाद पता चला कि कहाँ कहाँ जखम लगे थे, कई जगह पर तो पूरी स्किन उतर गई थी,,,,बड़ा हीरो बनके जंप किया था ना बाइक से अब भुग्तो,,,,,,साला पहले तो पता नही चला लेकिन अब ज़ख़्मों को देख देख कर दर्द भी होने लगा था,,,,,
माँ--तेरा ये हाल हुआ कैसे मेरे बेटे,,,आक्सिडेंट हुआ क्या,,,,,,,,,,,,
मैं--,माँ वो मेरे,,,,,,,,,,,अभी मैने बोलना शुरू ही किया तभी डोर खुला ऑर मैने पीछे मूडकर देखा तो कविता ऑर सोनिया अंदर आ रही थी,,,
सोनिया ऑर कविता हमारे पास आके खड़ी हो गई थी,,,,,,,मैं कविता से शर्मा रहा था क्योंकि वो मुझे घूर रही थी ओर हल्के से शर्मा भी रही थी,,,,,सोनिया की आँखें अभी भी थोड़ी नम थी ऑर लिप्स पेर हल्का सा खून लगा हुआ था जो मेरे थप्पड़
मारने से निकला था ,,,,,,माँ ने सोनिया के लिप्स पर खून देखा तो उसको भी पूछने लगी ,,,,,,,,,,,तेरे को क्या
हुए बेटी,,,,,,एक तो तेरे भाई को चोट लग गई इतनी अब तुझे क्या हुआ,,,,हमारे घर को तो नज़र लग गई किसी
की मेरे दोनो बच्चों को चोट लग गई,,,,,,,,माँ की आँखें भी थोड़ी नम हो गई थी,,,,,,,,,तुझे क्या हुआ सोनिया
बेटी,,,,,तेरे भाई का तो आक्सिडेंट हुआ तेरा भी कहीं,,,,,,,,,,,,
तभी सोनिया बोल पड़ी,,,,,,माँ भाई का आक्सिडेंट नही हुआ ऑर ना ही मेरा,,,,,,,,,,,माँ सोनिया के मूह की तरफ देखने लगी ओर मेरा ध्यान भी उसकी तरफ था,,,
तभी सोनिया ने मा को सब कुछ बता दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
माँ--अरे तेरे को तो खुश होना चाहिए बेटी तेरे को ऐसा भाई मिला जो तेरी हेल्प करता है,वक़्त रहते तेरे काम आता है,,,,बड़ी किस्मत वाली है तू बेटी जो तुझे ऐसा भाई मिला ऑर मुझे ऐसा बेटा,,,,,,,,,,इतना बोल कर माँ ने मुझे गले लगा लिया ऑर किचन मे चली गई गर्म पानी लेने,,,,
,सोनिया मेरे पास खड़ी हुई थी ओर उसकी आँखें नम थी लेकिन साली कविता मेरे नंगे जिस्म को बड़ा
घूर कर देख रही थी तभी माँ ने गर्म पानी वाला बर्तन सामने टेबल पर रखा ऑर एक कपड़े को पानी से
भीगो कर मेरे ज़ख़्मों को सॉफ करने लगी,,,,माँ को देख सोनिया ने भी एक कपड़ा लिया ऑर माँ की तरह मेरे
ज़ख़्मों को सॉफ करने के लिए मेरे सामने पड़े टेबल पेर बैठ गई,,ऑर मेरी टाँगों को अपने हाथ से टेबल पर
रखा ऑर मेरे टाँगों पर लगे ज़ख़्मों को सॉफ करने लगी,,माँ मेरी पीठ ऑर हाथ पर लगे ज़ख़्मों को
सॉफ कर रही थी ऑर सोनिया मेरी टाँगों पर लगे ज़ख़्मों को सॉफ करने लगी,,,,सोनिया की आँखों से आँसू निकल
कर मेरी टाँगों पर गिर रहे थे,उस मासूम की आँखों मे आँसू मुझे अच्छे नही लग रहे थे क्योंकि
मैने उस क्यूट ऑर मासूम चेहरे पर हमेशा मुस्कान ही देखी थी,,आज उस चेहरे पर उदासी ने मुझे
मेरे जख़्मो से भी ज़्यादा हर्ट किया था,,,,,,मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,क्योंकि मैने उस मासूम
के चेहरे से मुस्कान छीन कर रोने को मजबूर किया था,,,,,,,,
जखम ज़्यादा गहरे नही थे बस हल्की सी स्किन छिल गई थी,,,जिसपे माँ ने सॉफ करके दवाई लगा दी थी,,,ऑर
सोनिया मेरी टाँगों पर दवाई लगा रही थी,,मैं टवल मे था मुझे बहुत अजीब लग रहा था,,,वैसे नंगा
बैठा होता 3 लॅडीस के सामने तो लंड महाराज एक पल मे ओकात मे आ जाते लेकिन आज मेरा दिल कुछ अजीब सी
बेचैनी मे था कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,,दवाई लगते ही मैं एक दम से वहाँ से उठा ऑर अपने रूम
की तरफ जाने लगा,,,,,अभी सोनिया मेडिसिन लगा रही थी लेकिन मैं उठा ऑर दवाई बीच मे ही लगाते वहाँ से
उठ गया,,,,,,,,,,,,,,,
माँ--अरे कहाँ जा रहे हो बेटा दवाई तो ठीक से लगाने दो,,,,,,,,,
,मैं कुछ नही बोला ऑर वहाँ से सीधा अपने रूम मे चला गया ऑर अंदर से लॉक कर लिया,,,,,,,,,,,,माँ मेरे पीछे पीछे मेरे रूम तक आई ऑर बाहर से डोर पर नॉक करने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,
माँ--सन्नी बेटा दवाई तो ठीक से लगाने दो,,,,,,,,,,,
माँ--बस माँ लग गई दवाई अब मुझे आराम करने दो आप जाओ यहाँ से,,,,,,,,
फिर सोनिया की आवाज़ आई,,,,,,,,,भाई मेडिसिन लगा लो प्लज़्ज़्ज़्ज़ ,,,,,,,,,,,
लेकिन मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,,,,,कुछ देर तक दोनो डोर पर नॉक करती
रही लेकिन मैने डोर नही खोला ऑर वो लोग चली गई,,,,,,,,,,मैं चुप चाप से बेड पर बैठ गया ,,,मुझे
बड़ा अजीब फील हो रहा था कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं ऐसे उठकर क्यूँ आ गया,क्या हुआ था मुझे,
,,,,,,,,,,,,,,,कुछ 15-20 मिनिट बाद रूम के डोर पर नॉक हुआ
मैं--कौन है,,,,,,,,,,,
कविता--सन्नी मैं हूँ कविता,,,,,,,,,,,,,
मैं--क्या चाहिए तुझे,,,,,,,,,,,,
कविता--आंटी ने गर्म दूध ऑर पेन किल्लर दी है,,,,,,ये दूध पी लो ऑर मेडिसिन खा लो,,,,,,,,,,,,
मैने डोर खोला ऑर उसके हाथ से दूध ओर मेडिसिन लेने लगा ,,,,,,,,मेरा हाथ उसके हाथ से ढूढ़ का ग्लास लेने मे लगा हुआ था जबकि मेरा ध्यान उसके चेहरे की तरफ था वो बड़ी ध्यान से मेरे जिस्म को देख रही थी,देख क्या रही थी घूर रही थी,,,,उसने मुझे दूध ऑर मेडिसिन दी ऑर हँस कर वापिस नीचे चली गई,,,,,मैने भी दूध पिया ऑर मेडिसिन लेके बेड पर लेट गया,,,,,,पेन किल्लर से नींद भी आती है इसलिए बेड पर लेट-ते ही मेरी आँख लग गई,,,,,,,,अगले 2 दिन मैं अपने रूम से नही निकला एक तो मेडिसिन की वजह से कपड़े नही पहन सकता था ऑर दिल भी नही कर रहा था बाहर कहीं जाने को,,,,,,,,बस रूम मे लेटा रहा ऑर बोर होता रहा,,,,,,,,,कोई भी मिलने आता तो मैं रूम नही खोलता ऑर किसी को अंदर नही आने देता माँ भी खाना देके बाहर से ही चली जाती,,,,मेडिसिन भी खुद ही लगाता था,,,,बस एक बार डॅड को अंदर आने
दिया था क्योंकि उनको नही रोक सकता था मैं,,,वो भी बस 2 मिनिट ही मेरे पास बैठे ऑर चले गये,,,,,,
सोनिया भी 2 दिन कविता के घर पर ही रही थी,,,,,,