hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
अचानक अंकित ने अपना चेहरा उठाया और रितिका की आँखों में देखने लगा....
अंकित :- आज मेने अपनी वर्जिंटी आपको दी है....कितना लकी हूँ में कि आपने मेरी विर्ग्निटी ली है...थॅंक यू सो मच रितिका थॅंक यू सो मच.....
और फिर आगे बढ़ के रितिका के होंठो को चूम लेता है..
अंकित :- थॅंक यू....(बोलता है और साइड में आके लेट जाता है और अपनी टाँगें रितिका की कमर में डाले रखता है...रितिका कुछ नही बोलती बस देखती रहती है उसको और बालों में हाथ फिराए जा रही थी..उसकी साँसे अभी भी तेज चल रही थी..)
फिर रितिका भी अपनी टाँग उठा के अंकित के कमर पे रख देती है...अंकित थोड़ा खिसकते हुए रितिका से दुबारा चिपक जाता है..रितिका के बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस जाते हैं दोनो के चेहरे एक दूसरे से बस कुछ ही दूरी पे थी...
अंकित अपने पैर से रितिका की गान्ड को सहलाने लगता है...ऐसा करने पर..अंकित का लंड खुद ब खुद खड़ा होने लगता है और पैर ऐसे रखने पर उसका लंड सीधे रितिका की चूत पे जाके ठोकर मार रहा था...मानो दरवाजा ठोक रहा हो अंदर आने के लिए.....
रितिका के चेहरे पे एक स्माइल आ जाती है.....
रितिका :- फिर से......
अंकित के चेहरे पे एक स्माइल आ जाती है..
अंकित :- क्या करूँ....मन ही नही कर रहा है हटाने का......(और अपने हाथों को रितिका की पीठ पे सहलाने
लगता है)
रितिका की आँखें मदहोशी में बंद हो जाती है..ये देख के अंकित अपने होंठ आगे बढ़ा के उसके होंठों पे रखता है और दोनो एक बेहद फ्रेंच स्मूच में घुस जाते हैं..कभी अपर लिप्स तो कभी लोवर लिप्स का मिलन हो रहा था....(अंकित के हाथ खिसकते हुए रितिका की गान्ड पर चले जाते हैं और उन्हे बड़े प्यार से दबाने लगता है और गान्ड भी फ्लफी होके अंदर बाहर होने लगती है)
रितिका के हाथ भी अंकित की पीठ पे घूम रहे थे......रितिका फिर से गर्म होने लगी थी किस नही बल्कि अंकित के खड़े लंड से जो बार बार उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था......
अचनाक... फोन की रिंग बजी....
जिसे दोनो ने किस तोड़ी....फोन रितका का था.....रितिका ने हाथ साइड ले जाके फोन देखा..
रितिका :- सर का फोन है...
अंकित :- आटेंड करना ज़रूरी है...
रितिका :- ह्म्म्म्म....
फिर अंकित बुझे मन से रितिका को छोड़ देता है.....रितिका के चेहरे पे एक प्यारी स्माइल आ जाती है वो अंकित के होंठों पे एक प्यारी सी किस देके कमरे में ही फोन रिसेव कर लेती है और रूम में टहलते हुए बात करने लगती है....
अंकित मन में...अच्छा हुआ फोन आ गया इसके बॉस का..नही तो ऐसा नज़ारा देखने को कहाँ मिलता...(वो अपनी कोनी को तकिये में गढ़ाए और हथेली को सर पे रख के सामने का नज़ारा देखने लगा)
रितिका रूम में नंगी फोन पे बात करते हुए टहल रही थी..जो बहुत ही कामुक नज़ारा था अंकित के लिए...या फिर किसी भी लौन्डे के लिए लड़की को ऐसे नंगा चलते हुए देखना....
अंकित का हाथ अपने आप लंड पे चला गया...और उसे हल्का हल्का दबाने लगा......
रितिका :- यस सर..डिफिनेट्ली ... आइ विल मॅनेज टूमारो बाए सर. (बोलते हुए वो मुड़ती है और उसकी नज़र अंकित पे पड़ती है जो उसे ही घूर रहा होता है..)
उसने अपने गर्दन नीचे करी और अपनी हालत को देखा....एक शानदार सेक्स के पूर्ण आनंद में डूबने के
बाद शरीर की चमक और बढ़ रही थी रितिका के..
और फिर सामने अंकित की नज़रों को देखा..जो उसके शरीर को अपनी आँखें गढ़ाए घूर रहा था.....बस
इसी एहसास ने रितिका का बुरा हाल कर दिया...उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी....और धक धक करते हुए
तेज़ी से चलने लगी...उसका चेहरा शरम से लाल हो गया उसका हाथ अपने कान पे जो फोन के साथ था वो
धीरे धीरे नीचे आ गया...
साँसे तेज़ी से लेने की वजह से उसकी जो तनी हुई चुचियाँ थी उन्होने अपने होने का प्रमाण दिया कि हम भी है यहाँ पे....
वो चुचियाँ भी बुरी तरह से उपर नीचे उपर नीचे होने लगी.....ये देख के अंकित का तो बॅंड बज गया उसका लंड उसके पेट पे ज़ोर ज़ोर से मारने लगा....और उसने अपने होंठो को गोल कर लिया मानो
बोल रहा हो वाऊऊओ.....
अंकित को ऐसा करता देख रितिका को कुछ अंदाज़ा हुआ..उसने अपनी आँखें नीचे की तो देखा तेज़ी से सांस
लेने की वजह से उसकी बेहद खूबसूरत ब्रेस्ट तेज़ी से उपर नीचे हो रही है.....वो शरम से पानी पानी
हो गयी..उसने फट से अपने हाथों को अपने उन रसीले चुचों पे रखा उन्हे ढकने के लिए लेकिन वो हाथों के पीछे कहाँ छुपने वाले थे......
क्रमशः...........................
अंकित :- आज मेने अपनी वर्जिंटी आपको दी है....कितना लकी हूँ में कि आपने मेरी विर्ग्निटी ली है...थॅंक यू सो मच रितिका थॅंक यू सो मच.....
और फिर आगे बढ़ के रितिका के होंठो को चूम लेता है..
अंकित :- थॅंक यू....(बोलता है और साइड में आके लेट जाता है और अपनी टाँगें रितिका की कमर में डाले रखता है...रितिका कुछ नही बोलती बस देखती रहती है उसको और बालों में हाथ फिराए जा रही थी..उसकी साँसे अभी भी तेज चल रही थी..)
फिर रितिका भी अपनी टाँग उठा के अंकित के कमर पे रख देती है...अंकित थोड़ा खिसकते हुए रितिका से दुबारा चिपक जाता है..रितिका के बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस जाते हैं दोनो के चेहरे एक दूसरे से बस कुछ ही दूरी पे थी...
अंकित अपने पैर से रितिका की गान्ड को सहलाने लगता है...ऐसा करने पर..अंकित का लंड खुद ब खुद खड़ा होने लगता है और पैर ऐसे रखने पर उसका लंड सीधे रितिका की चूत पे जाके ठोकर मार रहा था...मानो दरवाजा ठोक रहा हो अंदर आने के लिए.....
रितिका के चेहरे पे एक स्माइल आ जाती है.....
रितिका :- फिर से......
अंकित के चेहरे पे एक स्माइल आ जाती है..
अंकित :- क्या करूँ....मन ही नही कर रहा है हटाने का......(और अपने हाथों को रितिका की पीठ पे सहलाने
लगता है)
रितिका की आँखें मदहोशी में बंद हो जाती है..ये देख के अंकित अपने होंठ आगे बढ़ा के उसके होंठों पे रखता है और दोनो एक बेहद फ्रेंच स्मूच में घुस जाते हैं..कभी अपर लिप्स तो कभी लोवर लिप्स का मिलन हो रहा था....(अंकित के हाथ खिसकते हुए रितिका की गान्ड पर चले जाते हैं और उन्हे बड़े प्यार से दबाने लगता है और गान्ड भी फ्लफी होके अंदर बाहर होने लगती है)
रितिका के हाथ भी अंकित की पीठ पे घूम रहे थे......रितिका फिर से गर्म होने लगी थी किस नही बल्कि अंकित के खड़े लंड से जो बार बार उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था......
अचनाक... फोन की रिंग बजी....
जिसे दोनो ने किस तोड़ी....फोन रितका का था.....रितिका ने हाथ साइड ले जाके फोन देखा..
रितिका :- सर का फोन है...
अंकित :- आटेंड करना ज़रूरी है...
रितिका :- ह्म्म्म्म....
फिर अंकित बुझे मन से रितिका को छोड़ देता है.....रितिका के चेहरे पे एक प्यारी स्माइल आ जाती है वो अंकित के होंठों पे एक प्यारी सी किस देके कमरे में ही फोन रिसेव कर लेती है और रूम में टहलते हुए बात करने लगती है....
अंकित मन में...अच्छा हुआ फोन आ गया इसके बॉस का..नही तो ऐसा नज़ारा देखने को कहाँ मिलता...(वो अपनी कोनी को तकिये में गढ़ाए और हथेली को सर पे रख के सामने का नज़ारा देखने लगा)
रितिका रूम में नंगी फोन पे बात करते हुए टहल रही थी..जो बहुत ही कामुक नज़ारा था अंकित के लिए...या फिर किसी भी लौन्डे के लिए लड़की को ऐसे नंगा चलते हुए देखना....
अंकित का हाथ अपने आप लंड पे चला गया...और उसे हल्का हल्का दबाने लगा......
रितिका :- यस सर..डिफिनेट्ली ... आइ विल मॅनेज टूमारो बाए सर. (बोलते हुए वो मुड़ती है और उसकी नज़र अंकित पे पड़ती है जो उसे ही घूर रहा होता है..)
उसने अपने गर्दन नीचे करी और अपनी हालत को देखा....एक शानदार सेक्स के पूर्ण आनंद में डूबने के
बाद शरीर की चमक और बढ़ रही थी रितिका के..
और फिर सामने अंकित की नज़रों को देखा..जो उसके शरीर को अपनी आँखें गढ़ाए घूर रहा था.....बस
इसी एहसास ने रितिका का बुरा हाल कर दिया...उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी....और धक धक करते हुए
तेज़ी से चलने लगी...उसका चेहरा शरम से लाल हो गया उसका हाथ अपने कान पे जो फोन के साथ था वो
धीरे धीरे नीचे आ गया...
साँसे तेज़ी से लेने की वजह से उसकी जो तनी हुई चुचियाँ थी उन्होने अपने होने का प्रमाण दिया कि हम भी है यहाँ पे....
वो चुचियाँ भी बुरी तरह से उपर नीचे उपर नीचे होने लगी.....ये देख के अंकित का तो बॅंड बज गया उसका लंड उसके पेट पे ज़ोर ज़ोर से मारने लगा....और उसने अपने होंठो को गोल कर लिया मानो
बोल रहा हो वाऊऊओ.....
अंकित को ऐसा करता देख रितिका को कुछ अंदाज़ा हुआ..उसने अपनी आँखें नीचे की तो देखा तेज़ी से सांस
लेने की वजह से उसकी बेहद खूबसूरत ब्रेस्ट तेज़ी से उपर नीचे हो रही है.....वो शरम से पानी पानी
हो गयी..उसने फट से अपने हाथों को अपने उन रसीले चुचों पे रखा उन्हे ढकने के लिए लेकिन वो हाथों के पीछे कहाँ छुपने वाले थे......
क्रमशः...........................