Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की - Page 7 - SexBaba
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Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की

अचानक अंकित ने अपना चेहरा उठाया और रितिका की आँखों में देखने लगा....


अंकित :- आज मेने अपनी वर्जिंटी आपको दी है....कितना लकी हूँ में कि आपने मेरी विर्ग्निटी ली है...थॅंक यू सो मच रितिका थॅंक यू सो मच.....


और फिर आगे बढ़ के रितिका के होंठो को चूम लेता है..


अंकित :- थॅंक यू....(बोलता है और साइड में आके लेट जाता है और अपनी टाँगें रितिका की कमर में डाले रखता है...रितिका कुछ नही बोलती बस देखती रहती है उसको और बालों में हाथ फिराए जा रही थी..उसकी साँसे अभी भी तेज चल रही थी..)


फिर रितिका भी अपनी टाँग उठा के अंकित के कमर पे रख देती है...अंकित थोड़ा खिसकते हुए रितिका से दुबारा चिपक जाता है..रितिका के बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस जाते हैं दोनो के चेहरे एक दूसरे से बस कुछ ही दूरी पे थी...


अंकित अपने पैर से रितिका की गान्ड को सहलाने लगता है...ऐसा करने पर..अंकित का लंड खुद ब खुद खड़ा होने लगता है और पैर ऐसे रखने पर उसका लंड सीधे रितिका की चूत पे जाके ठोकर मार रहा था...मानो दरवाजा ठोक रहा हो अंदर आने के लिए.....


रितिका के चेहरे पे एक स्माइल आ जाती है.....


रितिका :- फिर से......


अंकित के चेहरे पे एक स्माइल आ जाती है..


अंकित :- क्या करूँ....मन ही नही कर रहा है हटाने का......(और अपने हाथों को रितिका की पीठ पे सहलाने

लगता है)

रितिका की आँखें मदहोशी में बंद हो जाती है..ये देख के अंकित अपने होंठ आगे बढ़ा के उसके होंठों पे रखता है और दोनो एक बेहद फ्रेंच स्मूच में घुस जाते हैं..कभी अपर लिप्स तो कभी लोवर लिप्स का मिलन हो रहा था....(अंकित के हाथ खिसकते हुए रितिका की गान्ड पर चले जाते हैं और उन्हे बड़े प्यार से दबाने लगता है और गान्ड भी फ्लफी होके अंदर बाहर होने लगती है)


रितिका के हाथ भी अंकित की पीठ पे घूम रहे थे......रितिका फिर से गर्म होने लगी थी किस नही बल्कि अंकित के खड़े लंड से जो बार बार उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था......


अचनाक... फोन की रिंग बजी....


जिसे दोनो ने किस तोड़ी....फोन रितका का था.....रितिका ने हाथ साइड ले जाके फोन देखा..


रितिका :- सर का फोन है...


अंकित :- आटेंड करना ज़रूरी है...


रितिका :- ह्म्‍म्म्म....


फिर अंकित बुझे मन से रितिका को छोड़ देता है.....रितिका के चेहरे पे एक प्यारी स्माइल आ जाती है वो अंकित के होंठों पे एक प्यारी सी किस देके कमरे में ही फोन रिसेव कर लेती है और रूम में टहलते हुए बात करने लगती है....


अंकित मन में...अच्छा हुआ फोन आ गया इसके बॉस का..नही तो ऐसा नज़ारा देखने को कहाँ मिलता...(वो अपनी कोनी को तकिये में गढ़ाए और हथेली को सर पे रख के सामने का नज़ारा देखने लगा)


रितिका रूम में नंगी फोन पे बात करते हुए टहल रही थी..जो बहुत ही कामुक नज़ारा था अंकित के लिए...या फिर किसी भी लौन्डे के लिए लड़की को ऐसे नंगा चलते हुए देखना....


अंकित का हाथ अपने आप लंड पे चला गया...और उसे हल्का हल्का दबाने लगा......


रितिका :- यस सर..डिफिनेट्ली ... आइ विल मॅनेज टूमारो बाए सर. (बोलते हुए वो मुड़ती है और उसकी नज़र अंकित पे पड़ती है जो उसे ही घूर रहा होता है..)


उसने अपने गर्दन नीचे करी और अपनी हालत को देखा....एक शानदार सेक्स के पूर्ण आनंद में डूबने के

बाद शरीर की चमक और बढ़ रही थी रितिका के..


और फिर सामने अंकित की नज़रों को देखा..जो उसके शरीर को अपनी आँखें गढ़ाए घूर रहा था.....बस

इसी एहसास ने रितिका का बुरा हाल कर दिया...उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी....और धक धक करते हुए

तेज़ी से चलने लगी...उसका चेहरा शरम से लाल हो गया उसका हाथ अपने कान पे जो फोन के साथ था वो

धीरे धीरे नीचे आ गया...


साँसे तेज़ी से लेने की वजह से उसकी जो तनी हुई चुचियाँ थी उन्होने अपने होने का प्रमाण दिया कि हम भी है यहाँ पे....

वो चुचियाँ भी बुरी तरह से उपर नीचे उपर नीचे होने लगी.....ये देख के अंकित का तो बॅंड बज गया उसका लंड उसके पेट पे ज़ोर ज़ोर से मारने लगा....और उसने अपने होंठो को गोल कर लिया मानो

बोल रहा हो वाऊऊओ.....


अंकित को ऐसा करता देख रितिका को कुछ अंदाज़ा हुआ..उसने अपनी आँखें नीचे की तो देखा तेज़ी से सांस

लेने की वजह से उसकी बेहद खूबसूरत ब्रेस्ट तेज़ी से उपर नीचे हो रही है.....वो शरम से पानी पानी

हो गयी..उसने फट से अपने हाथों को अपने उन रसीले चुचों पे रखा उन्हे ढकने के लिए लेकिन वो हाथों के पीछे कहाँ छुपने वाले थे......

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............

अंकित हल्का सा मुस्कुराया और घूर्ने लगा...रितिका को थोड़ा अच्म्बा हुआ कि वो क्या घूर रहा है.....फिर

उसने ध्यान दिया..कि उसके अलावा उसके पास एक और बेहद खूबसूरत सी चीज़ है......

उसके गाल ये सोचते ही बेहद लाल हो गये....वो बहुत ज़्यादा शर्मा गयी...(अब जब उस शरीर से जुड़ी वासना की कमी दूर हो गयी तो एक औरत का शरमाना तो लाजमी है..)


वो शरमाती हुए मूड गयी और दीवार से जाके सट गयी.....और अपना चेहरा हल्का सा दीवार से हटा के

एक बेहद प्यारी मुस्कान अपने चेहरे पे फैला देती है...जो अंकित पीछे लेटे देख पा रहा था...


अंकित तो वो नज़ारा देख के ही फ्लॅट हो जाता है...अपने मन में..


इस नज़ारे को देखने के बाद तो कोई भी आपसे प्यार कर बैठे रितिका जी...पर में...नही नही...नही कर सकता क्यूँ कि मुझे पता है उस प्यार का कोई वजूद नही रहेगा और ना ही कोई रिज़ल्ट रहेगा बचेगा तो सिर्फ़ एक दुख ... पर इस वक़्त आपसे प्यारा इस पूरी दुनिया में कोई नही होगा...यू आर दा बेस्ट फॉर मी ऑल्वेज़ हमेशा के लिए...(अपने मन में रितिका के लिए एक रेस्पेक्ट एक प्यार को बढ़ावा देता है)


अंकित के चेहरे पे एक प्यार था रेस्पेक्ट के साथ रितिका के लिए...वो बेड से खड़ा हुआ...और चलते हुए

रितिका के पास जाने लगा....रितिका अपनी तिरछी नज़रों से उसे आते हुए देख रही थी...जिससे उसके

दिल की धड़कने और ज़ोर से बीट हो रही थी.....


अंकित रितिका के पास पहुचा और उससे बस कुछ ही फीट दूरी पे खड़ा हो गया...और रितिका को उपर से लेकर नीचे तक निहारने लगा....

वो गोरी पीठ...और नीचे उसकी बाहर की तरफ निकल रही उस लाजवाब गान्ड को कैसे ना निहारे जबकि वो बिल्कुल नंगी थी.....इतनी सुंदर इतनी सॉफ्ट दिख रही थी कि किसी का भी मन ललचा जाए और उसे चबा जाए...लेकिन फिलहाल अंकित के दिल में एक प्यार उमड़ आया था चाहे हो थोड़ी देर के लिए ही क्यूँ ना हो....


अंकित ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपनी उंगलियाँ रितिका की पीठ पे रख दी और उन्हे वो बड़े ही नर्म

हाथों से सहलाता हुआ नीचे लाने लगा...


आहह अंकित.त...अब और...प्लीस.ए...हमम्म्ममममममम....रितिका का इस एहसास से शरीर में एक अजीब सी फीलिंग फैल गयी..और उसकी आँखें बंद हो गयी....


अंकित अपनी उंगलियों का कमाल दिखाता हुआ नीचे गान्ड तक आ गया.....और फिर लेग्स की पीछी से होते हुए नीचे तक चला गया...इसी बीच रितिका की सिसकियाँ निकल रही थी..


सीईईईईईईईई आहह अंकित..प्लीज़..मत करो....कुच्छ हो रहा है...


लेकिन अंकित तो यही चाहता था कि वो रितिका को जितना हो सके उतना अच्छे तरीके से प्यारा एहसास दे सके.........


फिर अंकित खड़ा हुआ और अपने हाथ ले जाके रितिका के कंधे पे रख दिए.....रितिका ने अपनी आँखें बंद कर ली और फिर अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ा की रितिका की गर्दन के नीचे रख दिए...


रितिका कसमसा सी गयी और अपनी गर्दन को हिलाने लगी......पर अंकित उसके शोल्डर को पकड़ते हुए अपने होंठ

नीचे तक लाने लगा घसीटता हुआ...और सीधे पहुच गया रितिका की गान्ड पे....

अपने हाथों से उसे हिलाने लगा....जैसा पानी से भरी थैली को नीचे सेहाथ पर हिलाते हैं....

बिल्कुल वैसे ही रितिका की उस भारी गान्ड को वो ऐसे हिलाता रहा और फिर वहाँ पे अपने हाथ रख के

चुम्म लिया..


सीईईईईई हा ओह्ह्ह्ह प्लीज़...नो.....डोंट..डू........ (थोड़ी देर वहाँ उसकी गान्ड को सहलाता रहा फिर उपर उठ गया)



रितिका के कंधो पे हाथ रख के उसे चिपक गया...और अपनी जीब बाहर निकाल के उसके कानो में घुमाने लगा.....

रितिका कसमसा सी गयी उसने अपनी गर्दन हिलानी शुरू कर दी..


रितिका :- अंकित....बस....अभी..नही...प्ली.स.स...ई.ए........


सस्स्स्स्स्स्सह अंकित बोलता हुआ उसके होंठो पे उंगली रख देता है...


अंकित :- अभी कुछ नही...बोलना..मुझे करने दो...इस वक़्त बस करने दो दिल बोल रहा है इस लड़की को जितना प्यार दे सकता है दे दे...बस वही देने की कॉसिश कर रहा हूँ...
 
रितिका के दिल में एक अजीब सा एहसास होता है अंकित की ये बात सुन के....वो कुछ नही बोलती...

अंकित तो कानो को छोड़ के रितिका की गर्दन पे चूमने चाटने लगता है..रितिका की आँखें बंद हो जाती है...


ऐसा करते हुए अंकित रितिका को घुमा के अपने सामने की तरफ कर लेता है ... रितिका ने अपने हाथों से अपनी चुचियों को ढक रखा था...

अंकित अपने हाथ से धीरे धीरे उन हाथों को उस लाजवाब चुचों के उपर से अलग करता है और उन्हे साइड हटा देता है..


रितिका का सर दीवार से लगा हुआ था आँखे बंद थी और साँसे तेज चल रही थी...जिसकी वजह से उसकी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे हो रही थी......अभी तो अंकित ने कुछ ज़्यादा नही किया था और रितिका की चूत जिसने थोड़ी देर पहले ही सैलाब निकाला था एक बार फिर से वहाँ नमी आनी शुरू हो गयी थी...


अंकित रितिका के चेहरे को देखते हुए अपने हाथों को रितिका की गर्दन पे रख के अपनी उंगलियों से उसके शरीर को सहलाते हुए नीचे आने लगता है...

नीचे आते हुए बीच में पहले उन उंगलियो को एक सख़्त पहाड़ का सामना करना पड़ा जिसपे एक कड़क बिंदु भी लगी हुई थी....फिर उसके नीचे कँपता हुआ सपाट पेट और सहलता हुआ जा पहुचा एक खड्डे में

जो कि हल्का सा गीला था यानी कि चूत पे......


आहससिईई..हल्की सी सिसकियाँ लेते हुए रितिका ने अपनी उंगली मुँह में डाल दी..और आँखें टाइट करते हुए मिच ली....


अंकित को चूत पे गीला पन सॉफ महसूस हो रहा था...उसने अपना हाथ हटाया चूत के उपर से और घुटनो के बल बैठ गया और चूत को घूर घूर के देखने लगा...

रितिका की चूत फडक रही थी उसकी चूत की फाके हिल रही थी और खुल बंद सी हो रही थी....

अंकित ने ऐसा पहली बार देखा था अपनी ज़िंदगी में ... पॉर्न तो बहुत देखी थी..लेकिन उसने आज तक ऐसा कभी कुछ नही देखा था जो आज वो देख रहा है...


ये देखने के बाद अब जो वो करने जा रहा था वो खुद ब खुद हो रहा था ... उसका चेहरा चूत की तरफ बढ़ता गया.....और चूत के बेहद करीब पहुच के उसकी साँसे तेज हो गयी


चूत पे अंकित की गरम साँसे पड़ने से रितिका के शरीर में लग रही आग को और भड़का दिया और उससे जुलसने लगी...रितिका का हाथ खुद बा खुद नीचे की तरफ बढ़ता हुआ अंकित के सर पे चला गया...


अंकित ने अपनी जीब बाहर निकाली और जीब को आगे बढ़ा के चूत के एक हिस्से को उठाने की कॉसिश करने लगा..और वहाँ अपनी जीब से चाटने की कॉसिश भी करने लगा....(बिना अपने हाथ का इस्तेमाल करे)

रितिका को ये एहसास पहली बार हुआ था अपनी लाइफ में वो खड़े खड़े ही उछल सी रही थी उसके पंजे अपने आप उपर की तरफ उसे उठा रहे थे....


अंकित उस फाँक को उठा के वहाँ अपनी जीब से चाटने की पूरी कॉसिश कर रहा था जिसकी वजह से चूत में से निकल रहा रस उसके चेहरे और नाक में घुसने की कॉसिश कर रहा था..


फिर उसने अपनी जीब वहाँ से हटा ली और अपनी उंगलियों की मदद से दोनो फांकों को अलग कर के अंदर के रेड

रेड मास पे अपनी जीब रख दी और वहाँ के अदभुत टेस्ट के मज़े लेने लगा..


आहह (इस बार रितिका के मुँह से लंबी सिसकी निकल गयी और उसके हाथ अंकित के सर पे और कड़े हो गये)


अंकित ने अपनी जीब अंदर रख कर वहाँ घुमानी शुरू कर दी....चूत का छेद अंदर से कभी बंद होता तो कभी खुल जाता..अंकित को बड़ा मज़ा आ अरहा था ऐसे चूसने में...वो उस छेद के अंदर अपनी जीब फँसा देता और गोल गोल करके घुमाने लगता...इससे रितिका का तो हाल इतना बुरा था कि वो हाल उसकी चूत बयान कर रही थी ... चूत में से पानी बहने लगा...निकला हुआ पानी आधा मुँह के अंदर और आधा नीचे गिर रहा था...


उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ससिससिईईईईईईई अंकित..त.त.त..त्त.त्त..त........आहाहहहाहहहह

ऑश बबबी......ओह मययययययययी गो..द.द.द.................आइ अम्म डइनन्नग.ग.ग.......

(रितिका ने अंकित के सर को पकड़ के अपनी चूत की ओर बढ़ाने लगे)


अंकित ने अपना सर ढीला छोड़ रखा था इसलिए वो चूत पे चिपक सा गया...

अंकित के हाथ रितिका की थाइस को सहला रहे थे और उसकी जीब चूत के अंदर सहला रही थी......

कुछ 5 मिनट तक ऐसी चटाइ के बाद अंकित ने अपना सर हटाया.....


और फिर चूत के छेद को देखने लगा..और उसपे अपने होंठ रख के उसे चूसने लगा...


अहह नूऊऊऊऊऊ...ओह उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़....अंकित.त.त.त.....आइ आमम्म्ममम

डाइयिंग...प्लीज़.ए.....ससीसीईईईईईईईईईई आहह(रितिका तेज़ तेज़ गहरी सानें लेते हुए सिसकी ले रही थी...उसके चेहरे पे अपनी चूत की इतनी शानदार चटाइ का आनंद अलग ही नज़र आ रहा था)

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


गतान्क से आगे..............

अंकित ने अपनी 2 उंगली उठाई और धीरे धीरे चूत की तरफ बढ़ता हुआ उसके छेद पे ले गया और घुसा दी अंदर...सर्र्र्र्र्र्र्ररर..करते हुए अंदर घाप स घुस गयी अंदर जाके चूत के छेद ने उसे पकड़ लिया मानो कह रही हो यहीं रह कहीं मत जा..लेकिन अंकित के ज़ोर लगाने की वजह से वो स्टूप्प्प्प्प्प पानी में भीगति हुई बाहर आ गयी.....

और फिर तो ये सिलसिला चालू हो गया.....होंठों के बीच फसा चूत का दाना और छेद में अंदर बाहर होती दो उंगलियाँ......

रितिका की तो बुरी तरह से बॅंड बज गयी...चूत में से तो आमरस बहता हुआ नीचे गिरा जा रहा था

रितिका पागलों की तरह सिसकियाँ ले रही थी...


आहह उूुुुुुुुुुउउ ओह....अंकित्त्त...यू अर्र वेरी बॅड.द...अहह ओह्ह्ह्ह उफफफ्फ़..........सीईईईईईईईईई ... आइ कॅन्न्न्ट टेक इट ममोरी....आइ आम जूसत्त.....अहह ओह्ह......(रितिका तेज़ तेज़ सिकियाँ ले रही थी उसके पैर कांप रहे थे)

ओह्ह्ह बाबाययी ईये एम्म कूम्म्मिणटज्ग्ग ...यस.स...आइ अम्म्म....जूसत्त......


इतना सुनते ही अंकित ने अपनी उंगलियाँ निकाल दी और अपना चेहरा चूत में घुसा दिया उसने और चाटने लगा...


रितिका का चेहरा पूरा लाल हो गया..और फिर

अहह फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...आइ एम्म कमिंग...येस....ऊहह येस..............आहह

हह..........


और फिर उसकी कमर ने झटके पे झटके मारे.....और अपने हाथ से अंकित का सर चूत में कस के दबा दिया...और अपने शरीर का कामरस एक बार फिर बहाने लगी......अंकित ने बिना एक बूँद नीचे गिराए सारा अपने मुँह के अंदर भर लिया......


रितिका बुरी तरह से थक गयी थी उसने अपनी कमर मोड़ ली और नीचे की तरफ झूल गयी..उसके बाल आगे आ गये जिससे अंकित का चेहरा पूरा ढक गया...

फिर अंकित वहाँ से थोड़ा पीछे हुआ तो रितिका घिसती हुई नीचे बैठ गई अंकित ने अपने हाथ रितिका के शोल्डर्स पे रख दिए...

रितिका ने अंकित की आँखों में देखा और उसके सीने से तेज़ी से आ लगी..जिससे अंकित का बॅलेन्स बिगड़ गया वो पीछे ज़मीन पे गिरा और रितिका भी उसी के उपर जा गिरी....


कुछ देर दोनो ऐसे ही पड़ी रही........


उसके बाद रितिका बोली..


रितिका :- अंकित तुमसे कुछ कहना है


अंकित :- ह्म


रितिका :- मुझे 1 हफ्ते के लिए यूएस जाना है काम से...(बोलते हुए रितिका ने अपनी गर्दन उठा के अंकित को देखा


इतना सुनते ही अंकित की आँखें बड़ी हो गयी और वो भी घूर्ने लगा रितिका को..


रितिका :- मुझे ऑफीस के काम से 1 वीक के लिए यूएस जाना है (रितिका ने अंकित की तरफ देखते हुए कहा)


अंकित उसको घूरे जा रहा था.....कुछ मिनट तक उसे ऐसे ही देखने के बाद वो बोला..


अंकित :- मतलब आपसे 1 हफ़्ता दूर रहना पड़ेगा...आपसे उफ़फ्फ़...कैसे होगा यार...(मुस्कुराते हुए बोला)


रितिका के चेहरे पे भी मुस्कान आ गयी...क्यूँ कि उसे लग रहा था कि अंकित गुस्सा हो जाएगा...लेकिन रितिका मेडम आपको क्या पता आज अंकित को इतना प्यार आ रहा है आपके उपर की आज आप कुछ और भी बोलती तो भी इसे गुस्सा नही आता...

रितिका खुशी में आगे बढ़ी और अंकित के होंठो को अपने होंठों में क़ैद करके उसे बड़ा प्यारा एहसास छोड़ दिया...


20 मिनट बाद फ्रेश होकर दोनो कपड़े पहन कर रेडी हो गये और अंकित जाने के लिए रेडी था दोनो हॉल में खड़े थे..


अंकित :- अब...7 दिन बाद मिलना पड़ेगा..ओह्ह..कितना मुश्किल है ...


रितिका :- ह्म....इतना दिल मत लगाओ अगर कभी असलियत में हमेशा के लिए अलग होना पड़ा तो बहुत दुख होगा...(रितिका ने ये बात भले ही मज़ाक में कही हो क्यूँ कि वो जानती थी कि अंकित उसे कभी वो प्यार नही करेगा...)


एक औरत अपना दिल बड़ी जल्दी दे बैठी है अगर कोई भी मर्द उसे ज़रा सा भी प्यार दे दो तो बिना उसकी उमर देखे लेकिन कभी खुद ही नही दिखाती...(सच औरत का दिल बेहद नाज़ुक और कोमल होता है कभी झाँक के असलियत देखो तो सॉफ पता चलेगा)
 
लेकिन ये बात अंकित को थोड़ी चुभि..वो भी जानता था क्यूँ पर उसे कुछ हुआ... एक अजीब सा एहसास...वो आगे बढ़ा और कस के रितिका को अपनी बाहों में जाकड़ के उसे ये दर्शाया कि ऐसा नही होना चाहिए कभी भी....रितिका का चेहरा थोड़ा सा गंभीर हो गया आँखों में पानी उभर आया पर अपने आप को उसने एक मजबूत लड़की की तरह कंट्रोल किया..और फिर मस्ती करते हुए बोली..


रितिका :- अरे छोड़ दे..अगर किसी ने देख लिया तो कहेंगे की शरम नही आती अपने स बड़ी उमर की औरत के साथ मज़े ले रहा है...


अंकित ने उसे अपने से अलग किया और वो भी हँसने लगा...


अंकित :- ह्म्म चलता हूँ... (बोलते हुए उसने माथे पे एक प्यारी सी किस दी)


और मूड के गेट खोलने ही लगा था...कि रितिका ने उसके कंधे को पकड़ के पीछे मोड़ा और फिर अपने होंठ अंकित के होंठों से जोड़ दिए और बड़े ही प्यारे तरीके से दोनो एक बार फिर उस किस में खो गये और एक दूसरे के होंठों को चूमने चाटने लगे..


रितिका :- (हान्फते हुए) मिस यू अंकित..


अंकित :- मी टू...


और फिर गेट खोल के चला जाता है और रितिका उसे गेट पे खड़ी टाटा करती है और फिर गेट बंद कर देती है...


अंकित सोचते हुए धीरे धीरे....चल रहा था..


आख़िर रितिका की उस बात पर क्यूँ मुझे ऐसा लगा कि कोई अपना डोर चला जाएगा आख़िर ऐसा क्यूँ..कहीं मुझे उससे प्यार..नही नही..ये तो पासिबल ही नही है यार..ऐसा नही हो सकता...

(बोलता हुआ पॉकेट से अपना फोन निकालता है ये सोच के कि रितिका को एक मसेज कर देगा लेकिन जब उसे दिखता है फोन में 8 मिस कॉल थी वो चोंक जाता है आज से पहले इतने मिस कॉल कभी नही आई थी उसके फोन में)


उसने फ़ोन चेक किया..


अंकित :- दिशा...इसको आज क्या हुआ जो इतने फोन कर दिए...फोन कर के पूछूँ तो सही...(वो कॉल करता है 10 सेकेंड तक रिंग बजती है और फिर फोन पिक होता है सामने से)


ओहो मिल गया टाइम मिस्टर चेकाउट को..वैसे तो मार्केट में इतनी बड़ी बातें बोल रहे थे..कि कभी कॉंटॅक्ट नही रखा ये आंड वो और अब देखो खुद रिसीव ही नही करना था फोन जब सामने से खुद मेने किया वो भी कितनी बार.....

(फोन पिक होते ही दिशा ने तो अपना शुरू कर दिया)


अंकित अपने मन में...ये लड़कियाँ इतना सब इकट्ठा करती कहाँ से हैं और कहाँ से कहाँ की बात को जोड़ के कैसे उसका एक निबंध तैयार करके सुनाने लगती है..


अब क्या में ही बोलती रहूंगी कि तू भी कुछ बोलेगा....दिशा ने फाइनली बोलते हुए यहाँ स्टॉप किया..


अंकित :- बोलूँगा तो तभी जब तू चुप होगी...बोलने का मौका तो दे...


दिशा :- यॅ यॅ वॉटेवर....अच्छा ये बता फोन क्यूँ नही पिक किया था मेरा..


अंकित :- बस थोड़ा बिज़ी था?


दिशा :- ऐसा क्या कर रहा था....(शकिया अंदाज़ में)


अंकित :- नतिंग...बस ऐसे ही फोन पे ध्यान नही गया साइलेंट पे था...(नॉर्मल वे में आन्सर देते हुए)


दिशा :- रहने दे मुझे सब पता है....


अंकित चलते चलते रुक गया दिशा की ये बात सुन के...


अंकित :- क्क्...क्या...आ..आ पत्त्त..आ..आ... है....ई.. (थोड़ा हकलाते हुए)


दिशा :- क्क्या क्या पता है..मुझे सब पता है कि लड़के अपना फोन साइलेंट पे कब रखते हैं..


अंकित :- कब रखते हैं..


दिशा :- जब वो पॉर्न देखते हैं...हाहहहहहहाः...(बोल के हँसने लगी)


अंकित भी इधर मुस्कुरा पड़ा...और सोचने लगा...सच में ग़ज़ब की लड़की है यार इसे तो कोई डर नही लगता कि क्या किसके सामने क्या बोल रही है...


अंकित :- चल हॅट ऐसा नही है..में पॉर्न नही देखता..


दिशा :- व्हाट...तू नही देखता..में तो मान ही नही सकती..


अंकित :- अरे इसमे मानने वाली बात क्या है नही देखता ... बोरियत हो गयी है..बार बार एक ही चीज़..(अब अंकित भी पूरा फ्रॅंक होके बोल रहा था अब जब लड़की ही खुलेआम बोल रही है तो लड़के को क्या शरम)


दिशा :- ओह्ह बोरियत फिर भी तुम लड़के उसी चीज़ के पीछे भागते हो..


अंकित :- ओह्ह रियली.....तो फिर तुम लड़कियाँ भागने की वजाय पास क्यूँ नही आ जाती..

(नहले पे दहला फेंकने वाली बातों में कोई इन जनाब से सीखे)

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


दिशा :- स्मार्ट हाँ....वैसे इसी की वजह से आइ लाइक यू...


अंकित :- तो फिर कब कर रहे हैं हम...


दिशा :- क्या?


अंकित :- यू सेड यू लाइक मी..तो मेने सोचा कुछ बात आगे बढ़ानी चाहिए ना..


दिशा :- हाँ हाँ जब तू बोले..


अंकित को इस जवाब की उम्मीद नही थी...वो फिर से सोच में डूब गया....ये तो लगता है इसी इन्विटेशन के इंतजार में बैठी है...बस इधर मेने दिया ये तो सब कुछ खोल के किसी खुले हुए गिफ्ट की तरह मेरे सामने पसर जाएगी...


अंकित :- हाँ बिल्कुल यार..उसमे क्या है...आइ आम ऑल्वेज़ रेडी कल ही मिलते है...(अंकित भी थोड़ा आगे बढ़ा बस ये सोच के थोड़े सा मज़ाक ही तो चल रहा है)


दिशा :- नही यार कल तो में बिज़ी हूँ..लेट नाइट तुझे चलेगा..


अंकित की फिर लग गयी...


अंकित :- ओये में तो मस्ती कर रहा था..तू सीरियस हो गयी..


दिशा :- हाहहहहहहः...बस हवा टाइट हो गयी बच्चू...मेने तुझे कहा था ना कि में किसी को भी चाहू अपने क़ब्ज़े में कर सकती हूँ..


अंकित :- हाँ वो पता चलता है...तेरी बातों से


दिशा :- क्या मतलब (थोड़ी गुस्से की टोन में)


अंकित :- ये मतलब कि अब तुझसे बाद में बात करूँगा..ओके...


दिशा :- ओके..फिर मिलने का प्लान कब है तेरा?


अंकित :- ह्म्‍म्म्म जब तू बिल्कुल फ्री हो तो मूवी का प्लान बनाते हैं


दिशा :- चल में बताती हूँ...जब भी फ्री होती हूँ आइ विल कॉल यू..


अंकित :- ओके देन..बाबयए स्वीटी..


दिशा :- बाबयए ... हॅंडसम....


(फोन कट)


अंकित अपने आप से..........उफ्फ ये लड़की तो सच में........(बोलता हुआ रुक जाता है और मुस्कुरा देता है)

अगले कुछ दिन कॉलेज नही जाना था..असल में कॉलेज ट्रिप पे गया हुआ है...लेकिन अंकित इसलिए नही गया क्यूँ कि अंकिता मॅम लीव पर थी और अपने घर गयी हुई थी..उनकी फॅमिली में किसी की तबीयत खराब थी..तो भाई साहब अंकिता मॅम नही गयी तो खुद भी नही गये...विकी ने तो बहुत बार चलने को पूछा लेकिन अंकित ने हाँ नही किया....बाकियों से अंकित की पटती कम ही थी क्लास में....लड़कियों की तरफ तो वो देखता ही नही था...


ऐसे करते करते 5 दिन गुज़र गये....


सॅटार्डे टाइम 4 के आस पास..


नोएडा सेक्ट 19 में...एक ब्लू कलर की बहुत बड़ी बिल्डिंग....उसके अंदर ऑफीस में ढेर सारे स्टाफ और अपने कॅबिन में बैठी....


रितिका....


वो कुछ काम कर रही थी कि तभी उसके सेल पे कॉल आया...वो नंबर देख के थोड़ा सरप्राइज हो गयी..उसने रिसीव किया...


रितिका :- हाउ यू नो...(वो बस इतना ही बोल पाई कि सामने से फोन पे किसी ने कहा) क्या...नो वे...कहाँ पर..नही में आ रही हूँ...बिल्कुल नही..आइ सेड ना...जस्ट वेट आइ आम देअर् इन 5 मिनट..


(फोन कट)


ओह्ह गॉड....रितिका बोलते हुए फाइल बंद करी और कॅबिन से निकल के जाने लगी....
 
उसके चेहरे पे हल्का सा टेन्षन था एक हाथ से साड़ी पकड़ी और एक हाथ को अपने माथे पे लगाया जल्दी जल्दी चल रही थी...उसने लिफ्ट ली और ग्राउंड फ्लोर पे उतरी और तेज कदमों से चलती हुई वो एक कोने मे जाके पतली सी गलेरी में से होते हुई एक जगह आके खड़ी हो जाती है...


एक तरफ मेल्स टाय्लेट और उसकी बगल में फीमेल टाय्लेट ... रितिका फीमेल टाय्लेट के गेट के बाहर खड़ी हो जाती है....उसने अपने हाथों से हॅंडल को दबाया और इधर उधर देखने लगी कि कोई देख तो नही रहा..फिर हॅंडल नीचे करके उसने दरवाजा खोला और फट से घुस गयी अंदर....


अंदर वॉशरूम काफ़ी बड़ा और स्टाइलिश था...डोर के ठीक पीछे वॉशबेसिन और मिरर थे...उसी के साइड में कॅबिन्स बने हुए थे 6 या 7 थे...उसके सामने की जगह खाली थी....काफ़ी स्टाइलिश बाथरूम बना हुआ था


रितिका अंदर घुस के अपनी गर्दन घुमाने लगी और अंदर आके डोर को बंद कर दिया..


यू देअर... वो हल्के से बड्बडायि...उसको डर लग रहा था...(वो चलती हुई कॅबिन्स के सामने आके खड़ी हो गयी)


सभी कॅबिन्स के डोर बंद थे ... उसने पहले सोचा कि उसे नॉक किया जाए..लेकिन फिर कुछ सोच के नही किया..


ओफफफूऊऊ.....(अपने माथे पे हाथ रख के धीरे से बोली और घूम गयी और सामने दीवार की तरफ देखने लगी)


फिर फोन पे कॉंटॅक्ट्स खोले और नंबर डाइयल करने लगी....


कि तभी पीछे से धीरे से बिना आवाज़ करे एक कॅबिन का डोर खुला और उसमे से निकला हाथ सीधी रितिका के मुँह पर पड़ा...रितिका की आँखें फट गयी उसका मुँह बंद था इसलिए वो चिल्ला भी नही पा रही थी...

तभी उन हाथों ने उसे कॅबिन के अंदर खीच लिया और कॅबिन का डोर बंद कर दिया...


रितिका अंदर छूटने के लिए छटपटा रही थी....उहं उंगघह छूटने के लिए दम लगा रही थी ....


कि अचानक वो हाथ रितिका के उपर से खुद ब खुद हट गया.....रितिका सीधी खड़ी होके गहरी गहरी साँसे लेने लगी...कि तभी...


हाहहहहहहाहा........रितिका के पीछे से हँसने की आवाज़ आई....रितिका गुस्से से भरा चेहरा लेके पीछे

मूडी


सामने अंकित अपने हाथों से तालियाँ बजाता हुए आँख मीच के हंस रहा था...


रितिका ने कंधे पे चमाटे लगा दिए एक के बाद एक 3 - 4..


अरे मार क्यूँ रही हो... (हँसना बंद करते हुए अपने शोल्डर्स को सहलाने लगा)


रितिका :- अच्छा...क्यूँ ना मारू..ऐसा भी कोई करता है..कितना डर गयी थी में..


ओह...गोल मुँह करके अंकित बोलता है...


रितिका :- क्या ओह्ह्ह.....एक पल के लिए मेरी जान ही निकल गयी थी..


ये बात सुन के अंकित रितिका की कमर में हाथ डाल के उसे थोड़ा अपने करीब कर लेता है..


अंकित :- ऐसे कैसे निकल जाने देता.....


रितिका :- हट..बदमाश...(थोड़ा सा पीछे होती है) अरे याद आया(अपने सर पे हाथ मारते हुए) अंकित तुम्हे यहाँ नही आना चाहिए था ये मेरा ऑफीस है और वो भी फीमेल्स वॉशरूम में आर यू मॅड...तुम्हे पता है ना..तुम जाओ यहाँ से फ़ौरन प्लीज़....अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा तुम्हे पता है..ओह्ह माइ गॉड..नो प्लीज़..तुम निकलो बाहर... (वो अंकित का हाथ खीच रही थी थोड़ी घबराई गयी थी)


अंकित :- ओफूओ....यार कितना डरते हो..कसम से...कुछ नही होगा....में तुम्हे तो कुछ नही होने दूँगा..

(उसने दोनो हाथों को पकड़ के उसे विश्वास दिलाया)


रितिका :- तुम ना....(और मुस्कुरा दी...इसी मुस्कान पे तो अंकित भाई साहब फिदा थे) लेकिन तुम्हे कैसे पता कि में आ गयी हूँ...


अंकित :- ह्म्म(अपने दोनो हाथ गले के दोनो तरफ डालते हुए) मेडम 5 दिन कैसे काटे हैं हमने..ये हम ही जानते हैं..में कैसा जानता हूँ ये छोड़ो लेकिन ये बताओ कि आपने मुझे क्यूँ नही बताया कि आप गये हो..


रितिका :- यार आज सुबह 3 ऑक्लॉक आई...और फिर सुबह ही ऑफीस चली गयी...वैसे आज ईव्निंग में तुम्हे सरप्राइज देती...लेकिन तुमने तो मुझे सरप्राइज कर दिया.... (बोलते हुए वो अपनी आँखें और चेहरा ऐसा बना रही थी जैसे वो बच्चों की तरह सच में सरप्राइज ना देने पर निराश हो)


पर उस टाइम वो इतनी भोली लग रही थी कि अंकित बस उसे ही देखे जेया रहा था कि तभी रितिका ने उसकी आँखों में देखा..

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............

रितिका :- ऐसे क्यूँ देखते हो तुम...(उसने अंकित के हाथ अपने उपर से हटाए)


शायद यही ग़लती हुई क्यूँ कि अंकित ने रितिका की कमर फिर पकड़ के उसे अपने करीब खीच लिया बेहद करीब....दोनो की साँसे एक दूसरे के उपर पड़ रही थी..


अंकित :- क्यूँ कि आज आप बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही है..(और अपने हाथ से गालों को सहलाने लगा)

(आज रितिका के चेहरे पे वैसी भी अलग निखार था ब्लू मिक्स वित रेड कलर की डेज़ाइंडर सारे स्ल्वेस ब्लाउज जो पीछे से भी पूरा खुला काफ़ी ज़्यादा उसकी पीठ दिख रही थी...बेहद खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी)


रितिका की आँखें मदहोशी में हल्की सी बंद हो गयी उसका चेहरा लाल हो गया और साँसे गहरी हो गयी...


कि तभी किसी के डोर खोलने की आवाज़ आई..दोनो चौक गये ख़ासकर रितिका वो अंकित को घूर्ने लगी..लेकिन अंकित तो मुस्कुरा दिया और होंठो पे उंगली रख के ये बोलने का इशारा किया कि चुप रहना....

तभी दोनो को आहट हुई कि बाहर कोई खड़ा है....और तभी उनके कानो में बेसुरे गुनगुनाने की आवाज़ पड़ी...


गाना कौन सा था..... अभी तो में जवान हूँ.....


ये सुन के अंकित की तो हँसी छूट पड़ी....लेकिन उसने किसी तरह से अपने आप को रौका....रितिका की भी हँसी छूट गयी..लेकिन उसने अपना चेहरा अंकित की चेस्ट में छुपा लिया जिससे उसकी हँसी की आवाज़ ना सुन पाए...


दोनो में से कोई कुछ भी नही बोल रहा था....कि तभी दोनो को आभास हुआ कि वो औरत (औरत इसलिए कि जो गाना वो गा रही थी वो कोई औरत ही गा सकती है) बगल वाले ही कॅबिन में घुस गयी.....


दोनो ऐसे ही खड़े रहे शायद उस औरत के जाने का इंतजार करने के लिए....लेकिन अभी तो शायद कुछ और होना बाकी था....


5 मिनट निकल गये कोई आवाज़ नही आई....अंकित और रितिका एक दूसरे को देखने लगी...मानो पूछ रहे हो कि ये जा क्यूँ नही रही है.... कि तभी दोनो के कानो में एक आवाज़ पड़ी....


आहह ये.स..स..स...........(ये आवाज़ सुनते ही अंकित तो फ़ौरन ही समझ गया कि बगल वाली औरत क्या कर रही है...और शायद रितिका भी समझ गयी थी क्यूँ कि उसका चेहरा शरमाते हुए और लाल हो गया था और फिर अंकित को देख के वो और शरमा गयी और अपना चेहरा उसके चेस्ट पर छिपा लिया..)


ये आवाज़ पहचाने में इतनी दिक्कत इसलिए नही हुई क्यूँ कि आवाज़ में इतनी कामुकता थी कि कोई भी पहचान जाए कि बगल में क्या चल रहा है...


औरत कमोड पे बैठी अपनी फॉर्मल पेंट को नीचे कर के अपनी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ रही है...

(हाँ पक्का यही है तभी ऐसी कामुकता भरी सिसकी उसके मुँह से निकली है) अंकित अपने मन में बोलने लगा..


कि तभी उसके दिमाग़ में एक शैतानी ख़याल आया और चेहरे पे शैतानी स्माइल....


उसने अपने हाथों का यूज़ करते हुए रितिका की पीठ को सहलाने लगा...जिससे रितिका ने अपना चेहरा हटा लिया और उसे घूर्ने लगी...अंकित भी मुस्कुराता हुआ उसकी आँखों में देखने लगा...


फिर अंकित पीठ को सहलाते हुए नीचे कमर तक पहुच गया...रितिका ना में गर्दन हिला रही थी...

लेकिन अंकित ने नही सुना...वो अपने हाथ को सहलाते हुए रितिका की गान्ड तक ले गया और वहाँ उसने थोड़े भारी हाथ से मसल डाला और सहला दिया..

जिसे रितिका की आँखें हल्की सी बंद हो गयी...लेकिन वो फिर भी ना कर रही थी..इसलिए उसने हल्का सा अंकित को धक्का दे दिया....जिससे उसका बेलेन्स बिगड़ गया..और पीछे किसी चीज़ से टकराया तो उसके मुँह से हल्की सी..

आहह..(दर्द में निकली) लेकिन उसने फ़ौरन अपने होंठ भींच लिए.........रितिका की आँखें खुल गयी उसे लगा अब गये....


रितिका घबरा गयी वो मन में सोचने लगी..अगर उस औरत ने सुन लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.......

रितिका घबरा गयी वो मन में सोचने लगी..अगर उस औरत ने सुन लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.......


पर उसकी घबराहट अंकित के चेहरे पे शैतानी मुस्कुराहट में जल्द ही बदल गयी जब उसने अपने बगल वाले कॅबिन से फिर एक बार बड़ी ही हल्की आवाज़ में सिसकती हुई आहह सुनाई दी.....

ये दोनो समझ गये कि वो औरत अपने में ही मस्त है.....


अंकित ने अपनी शैतानी मुस्कान से रितिका को देखा जिसका चेहरा पहले से ही लाल था...और फिर उसने बिना वक़्त गवाए रितिका की कमर पे हाथ रख के उसे खिचा अपनी तरफ...और फिर उसको घुमा लिया और उसकी बॅक को अपनी सीने और अपने शरीर से चिपका लिया और अपने होंठ...रितिका के शोल्डर पे रख दिए...


रितिका की आँखें मदहोशी में बंद हो गयी उसके हाथ अंकित के सर पे आ गये..और बड़ी ही धीमी आवाज़ में उसने कहा..नो यहाँ नही प्लीज़...


पर जैसे अंकित ने तो उसे बिल्कुल अनसुना सा कर दिया....उसने अपने होंठ पीछे ले जाते हुए उसकी कमर पर चूमने लगे....इससे रितिका के शरीर का रोम रोम उठ खड़ा हुआ.....


ऐसी हालत में ये सब ... खुद के ही ऑफीस में..एक तरफ तो उसे डर और ऐसे रोमांच का आनंद उसे अलग ही मज़ा दे रहा था......


अंकित के हाथ खिसकते हुए रितिका की गान्ड पे चले गये और उसने उसे साड़ी के उपर से उसे दबाना शुरू कर दिया....रितिका ने अपने होंठ दाँतों में दबा लिए जिससे कि वो आवाज़ ना निकल पाए....


रितिका के हाथ अंकित के हाथों को धक्का देने की कॉसिश कर रहे थे...लेकिन उसके हाथों में इतनी जान ही नही बची थी कि वो ऐसा कर पाए....


कुछ देर तक ऐसे चूमने के बाद और गान्ड को अपने हाथों से मसल्ने के बाद अंकित ने रितिका को घुमाया...

रितिका के चेहरे पे उसके बालों की लट आ गयी थी...अंकित ने बड़े प्यार से उन लटो को हटा के उसके चेहरे की तरफ देखा...जो इतना खूबसूरत और इतना प्यारा लग रहा था..मानो दुनिया की सारी खुबूरती इसके चेहरे पर उतर आई..और उसपे फैली लाली तो चेहरे को ऐसे सुंदर बना रहा था मानो खुशनुमा मौसम में रेनबो निकल आया हो..


अंकित के चेहरे पर इस मासूम से चेहरे को देख के एक मुस्कान फैल गयी...उसने अपने होंठ आगे बढ़ाए और रितिका के होंठों पे रख के उन्हे बड़े प्यार से उसे अपने होंठों में दबा के उसका एहसास ग्रहण करने लगा...


रितिका का हाथ खुद ब खुद उठ के उसके सर के पीछे आ गया....अंकित ने कमर पे हाथ रख के रितिका को आगे की तरफ किया जिसकी वजह से उसके वो कड़क हो रहे निपल्स वाले बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस गये जो कि अंकित बराबर महसूस कर पा रहा था...और रितिका भी अंकित के उस बाहरी उभार वाले लंड को अपनी साड़ी के उपर से सॉफ सॉफ महसूस कर पा रही थी..


दोनो एक दूसरे की किस में माशुल हो गये थे....बराबर बराबर एक दूसरे को किस कर रहे थे...

कभी वो उसके दोनो होंठो को चूमता तो कभी रितिका अंकित के...और कभी दोनो साथ होंठ चला देते...बस कुच्छ 10 मिनट तक ऐसे ही दोनो एक दूसरे के होंठों का आनंद लेते रहे...आख़िर फिर रितिका अलग हुई..

साँसे दोनो की उखड़ी हुई थी..दोनो ने एक दूसरी की आँखों में देखा और दोनो मुस्कुरा पड़े..


रितिका :- बदमाश...


रितिका ने इतना बोला...तो अंकित ने अपना हाथ आग बढ़ा के उसकी लेफ्ट चुची पे रखना चाहा लेकिन रितिका ने उसका हाथ पकड़ लिया..


रितिका :- नो नोट हियर..(बहुत हल्की आवाज़ में)


अंकित ने सर उचका के पूछा क्यूँ..


रितिका :- नो..नोट हियर..बस इतना ही..(वो थोड़ी गुस्से में बोली)


अंकित को एक पल के लिए अंदर गुस्सा आया...लेकिन फिर उसके चेहरे पे शैतानी हँसी आ गयी..


अंकित :- ओके नो प्राब्लम..


रितिका को एक पल के लिए भी विश्वास नही हुआ कि अंकित मान गया...उसने सोचा शायद अंकित बहुत बदल गया है लेकिन अगले ही पल..


अंकित :- कोई बात नही अगर आपको कोई प्राब्लम है तो पर में सोच रहा हूँ कि वैसे भी बगल वाले कॅबिन में वो लेडी खुद ही मेहनत कर रही है..में सोच रहा हूँ उसकी मदद कर दूं....उसमे मेरी भी कुछ हेल्प हो जाएगी...


रितिका तो जैसे ये सुनते ही पागल हो गयी....उसकी आँखें पूरी खुल गयी और आँखों में एक गुस्सा सॉफ अंकित को नज़र आया..


रितिका :- हाउ डेर यू सेड दट......(इतना बोल के रितिका आगे बढ़ी और अंकित की सोच से बिल्कुल ऑपोसिट)


उसने होंठों को अपने होंठों में पकड़ा और चुस्ती हुए...हाथ नीचे ले जाके जीन्स के उपर से ही अंकित के लंड पर हाथ फेर दिया...जिससे अंकित की तो हवाइयाँ उड़ गयी..उसके हाथ उसी पोज़िशन में खड़े रहकर उसकी जीन्स का बटन खोला और ज़िप नीचे कर के...जीन्स के अंदर हाथ फँसा के उसे नीचे खिसका दिया और साथ साथ में उसका कच्छा भी..जीन्स लुड़कती हुई नीचे फर्श पे गिर गयी.उसके साथ साथ उसका कच्छा भी...

अब अंकित का लंड हवा में रितिका की साड़ी को छूता हुआ झटके खा रहा था..फिर रितिका ने होंठ चूस्ते हुए जैसे ही उन्हे हटाने लगी उसने अंकित के होंठों पर अपने दाँत लगा दिए..


सीईइ अंकित क मुँह से सिसकी निकली जो रितिका के मुँह में रह गयी और उसके हाथ रितिका की कमर पर बेहद टाइट कस गये...जिससे रितिका को भी तकलीफ़ हुई होगी..


रितिका ने फेस हटाया तो अंकित के लिप्स पर खून उभरा हुआ था....

रितिका ने अपने होंठो पे जीब फिराई..और एक शैतानी मुस्कान देती हुई अंकित को देखने लगी..


अंकित समझ गया था कि आज एक बार फिर उसने एक सोती हुई बिल्ली को ऐसे यूँ उंगल करके भड़का दिया था..और उसका नतीजा ये हुआ कि उस बिल्ली ने सीधा मुँह पे पंजा दे मारा..अब आगे और कुछ किया तो पूरे शरीर पे निशान दे देगी.....

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


रितिका उसकी तरफ देखती हुई घुटनो के बल वहाँ बैठी और अंकित के लंड को अपने हाथ में ले लिया..और


उसे उपर नीचे करने लगी...आज बहुत दिन बाद अंकित को लंड के आगे पीछे होने का सुखद एहसास हो


रहा था क्यूँ कि जब से रितिका गयी थी उसने मूठ नही मारी थी......


सिई आह वो सिसका....और उधर से वो औरत आहह ओह्ह्ह हल्की आवाज़ में सिसकी.....

इधर दोनो के दिलो में और शरीर में एक अजीब और बेहद रोमांचक एहसास पैदा हो गया...रितिका ने


अंकित के आँखो में देखा..और उसके लंड को मुँह में भर लिया और पूरा ज़ड तक एक बार मुँह में


उतारा और बाहर निकाला..


अंकित तो इस एहसास से पागल ही हो गया क्यूँ कि ये फर्स्ट टाइम था जो रितिका उसके लंड को ऐसे चूस रही


थी...लंड रितिका के थूक से चमक रहा था...उसके लंड की नसें फूल के फटने को थी..जल्दी उसे गर्म पानी


की ज़रूरत थी...सुपाडा बिलकल चमक रहा था....


रितिका ने जीब आगे बधाई और सुपाडे पर फिरा दी....सिस अहह एक लंबी आहह निकल गयी अंकित के मुँह


से और उसने सहारा लेने के लिए साइड में लगा टवल स्टॅंड पकड़ लिया...


इतने से ही लंड से प्रेकुं बाहर आ गया.....अंकित काफ़ी एग्ज़ाइटेड लग रहा था....

(और हो भी क्यूँ ना एक तो ऑफीस उपर से बाथरूम और उपर से ये पता हो कि बगल में कोई और भी


है और वो पकड़ भी सकती है..इन सब का डर इस पल को और एक्सिटमेंट बना देता है)


रितिका ने फिर लंड को मुँह में लिया उसे अंकित के प्रेकुं का टॅस्टी महसूस होने लगा..वो भी बहुत ज़्यादा


एग्ज़ाइट हो गई थी..कुछ गुस्सा भी था कि अंकित ने उस औरत के पास जाने के लिए क्यूँ कहा.....

इसलिए वो सोचते हुए..अंकित के टट्टो पे उसके हाथ चले गये और वो लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी....

अंकित के हाथ रितिका के सर पे आ गये थे...उसकी आँखें बंद हो गयी थी.....उसके चेहरे से यही लग रहा


था कि आज उसको किसी जनन्त में एक परी के साथ सैर करने का मौका मिला है...


रितिका पागलों की तारह चूस रही थी..इससे अंकित का पानी उबलना शुरू हो गया...क्यूँ कि बहुत ज़्यादा एक्सआईट था


इसलिए अपने आप को रोक पाना मुश्किल था और वो ये भी जानता था कि अभी निकल गया तो गड़बड़ हो जाएगी


उसने अपने हाथ से रितिका के सर को पीछे खीचा..लेकिन वो तो हटने का नाम ही ही ले रही थी...पर जैसे


तैसे करके अंकित ने जान लगा के उसका सर पीछे खिच ही डाला...और गहरी गहरी साँसे भरने


लगा...


रितिका उसकी तरफ देखी वो भी हाँफ रही थी..पर उसको देख कर ऐसे मुस्कुराइ जैसे बोल रही हो आगे से कभी


पंगा मत लेना....


अंकित :- तो सच में शहर में रहने वाली इंसानी बिल्ली है.....(और मुस्करा पड़ा..)


रितिका खड़ी हुई और उसके करीब पहुच के.....डोंट सॉरी टू से दट अगेन..तुम मेरे साथ हो तो किसी और


के पास जाने की कोई ज़रूरत नही है..समझे..


रितिका के ये रूप अंकित पहली बार देख रहा था......उसको अंदर ही अंदर बेहद खुशी हो रही थी...


अंकित :- अभी तो तूने अपना जकवा दिखाया..अब देख ये शहर का कुत्ता कैसे अपनी बिल्ली को मारता है..

(शैतानी आवाज़ में धीरे से रितिका के कान में बोलता है और उसे घुमा देता है)


और उसकी पीठ पे हाथ से प्रेस करके उसे झुका देता है..ऑलमोस्ट डॉगी स्टाइल में आ गयी थी...

फिर अंकित साड़ी और पेटिकोट को नीचे से उठाता है...और कमर के उपर रख देता है..पीछे से वो व्हाइट


गान्ड दूध से भी ज़्यादा सफेद और किसी स्पंच की तरह सॉफ्ट उसपे ब्लू कलर की पतली सी पेंटी...अंकित उंगलियाँ


फँसा के उसे भी नीचे कर देता है......और उसके सामने आ जाती है...हल्के हल्के बालों वाली गीली चूत...


पीछे से वो दिख रही पतली सी...छेद वाली चूत पागल बना रही थी..अंकित ने अपनी एक उंगली आगे बढ़ाई और उसकी


चूत की लकीर पे हल्का सा फँसा के उसे कुरेद दिया उपर से लेकर नीचे तक....

और इस बार सिसकी लेने की बारी रितिका की थी..उसकी आँखें बंद हो गयी...उसकी टाँगें इतने में ही काँपने


लगी....

अंकित ने अपना चेहरा चूत की तरफ किया और जीब निकाल के उसकी चूत की दरार को अपने थूक से भरने की


कॉसिश करने लगा और उसपे उपर नीचे फिराने लगा..


आह्ह्ह्ह ओह नो......बहुत दबी हुई आवाज़ में रितिका सिसकी....पर अब अंकित से रहना मुश्किल हो रहा था..

वो सीधा खड़ा हुआ और रितिका की चूत पे लंड सेट किया...उसकी कमर को पकड़ा और हल्का सा पुश किया...

इस पर उसकी उम्मीद से ज़्यादा जल्दी लंड अंदर फिसलता हुआ अंदर जाने लगा...उसकी तो कोई मेहनत ही नही हुई


और वो फिसलता हुआ चूत की जड़ तक समा गया...दोनो के चेहरे एक सुख में खो गये.....


अंकित :- नाउ हियर आइ स्टार्ट.....


बोलते हुए अंकित ने कमर को झटका मारा जिससे लंड आधा बाहर आया और फिर चूत में जा घुसा..

अहह अंकित.त.त..त... हल्की वाय्स में बोलती हुई..उसने आगे दरवाजे के हॅंडल को पकड़ लिया उसके पैर कांप


रहे थे..इसलिए सहारा लेने के लिए उसे पकड़ना पड़ा...


तेज रफ़्तार धक्कों को मारने की वजह अंकित ने बाथ स्लॉवव और बहुत नेचुरल मूव्स के साथ धक्के


मारे...जैसे वो एक एक धक्के को महसूस करना चाहता हो और रितिका को भी महसूष कराना चाहता हो..


आहह ओह्ह्ह एस्स..स..स..स.ओह्ह याइ गोस्शश्...आइ म फूसीन इन माइ ओन ऑफीस टाय्लेट..ओह्ह हगोष् दिस बॉय इस


क्राज़ययी आंड गेट्ट मी क्राज़ययी आहः ओह्ह टू..


अंकित रितिका की गान्ड को सहलाते हुए धक्के मार रहा था.......आहह ऊवू र्टिटिका...येस्स.स..आहहहः..


और फिर उसकी रफ़्तार थोड़ी तेज़ हो गयी....वो इसलिए वो बिल्कुल झड़ने के करीब था...आहह ईये एम कमिंग


रितिका.आ...(हल्की आवाज़ में) आइ आम कमिंग टू ऊ यस..स.स.स...हर्दड़.ड.......फुक्कककककक मी हार्ड.द.द.

(हल्की आवाज़ में सिसकती हुई उसकी नाक एक दम लाल हो चुकी थी)


अंकित ने थोड़ी रफ़्तार बढ़ा दी......उसकी थाइस तप ट्प करते हुए रितिका की गान्ड पे बज रही थी लंड


ज़ोरों से अंदर बाहर हो रहा था..और फिर वो पल आ गया..


एस्स.स..आ.आहह दोनो एक साथ सिसके....और अपने शरीर को झटके मारने लगे...अंकित ने


अपना 5 दिन से भरा लावा रितिका की चूत की गहराइयों में बहा दिया और रितिका की चूत ने अपना पानी


बहा के एक संगम बनाते हुए बाहर निकलने लगा....


अंकित ने हान्फते हुए रितिका की पीठ पे अपना सर रख दिया....और रितिका भी सर झुकाए हाँफने लगी...


कि तभी एक डोर खुलने की आवाज़ आई..और जिस कॅबिन में दोनो थे..उसके सामने किसी की आहट सुनाई और दिखाई


पड़ी.....


क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


दोनो को बाहर खड़े किसी की आहट हुई....दोनो बिल्कुल शांति से खड़े रहे....उसके बाद जब उन्हे लगा कि वासरूम से कोई बाहर चला गया और अब कोई नही है..तो दोनो ने हरकत की...सबसे पहले तो दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए..उसके बाद अंकित कुछ कहता....उससे पहले रितिका बोल पड़ी..


रितिका :- अंकित अभी नही..कुछ नही अब...हमे यहाँ से निकलना होगा...उसके बाद बात करेंगे..


अंकित :- ठीक है तुम पहले बार निकलो...और अगर रास्ता खाली हो तो एक मिस कॉल देना


रितिका :- ओके..


(ये बोल के रितिका बाहर चल पड़ी..उसने मिरर में देख के अपने आप को ठीक किया और फिर बाथरूम के बाहर खड़ी हो गयी और जब उसे लगा कि मामला क्लियर है तो उसने अंकित को मिस कॉल दे दी...)


अंकित भी बाहर निकल आया...और फिर फट से मेल्स टाय्लेट में घुस गया...रितिका वहाँ से निकल गयी...

उसके बाद अंकित भी निकला और ऑफीस से बाहर निकल गया....


उसी दिन शाम को...अंकित बिस्तर पे पड़ा था थोड़ी देर पहले अंकिता मॅम से बात हुई थी वो अभी तक वापिस नही आई थी और कुछ परेशान भी लग रही थी इसलिए ढंग से भी बात नही करी थी उन्होने... वो इन सब बातों को सोचते हुए पड़ा था कि ....तभी रितिका का फोन देख कर खुशी से झूम उठा उसने फोन पिक किया..

अंकित :- में आपके ही फोन की वेट कर रहा था..

रितिका :- हाँ आगर आज पकड़े जाते तो बस वेट करते रहते तुम मेरा....

अंकित :- पर हुआ तो कुछ नही ना..

रितिका :- हाँ लेकिन तुम्हे वहाँ आने की क्या ज़रूरत थी और वो फीमेल वॉशरूम में.. अंकित यू आर जस्ट मॅड..

अंकित :- हाहहाहा...क्या करूँ...जब पता चला कि आप आ गये हो तो रहा नही गया इसलिए आ गया..

रितिका :- यही तो मुझे पूछना है...कि कैसे पता चला...

अंकित :- वही तो एक सीक्रेट है मेडम..

रितिका :- अंकित...(उसने थोड़ा ज़ोर देते हुए आवाज़ मारी)

अंकित :- ओके ओके..आइ विल टेल यू...वो दरअसल में मेरी फ़्रेंड है दिशा...वो अपनी आंटी की साथ रहती है..और उसकी आंटी आपकी ही कंपनी में जॉब करती है तो उन्ही से ये सब पता चला...

रितिका :- ओह्ह..व्ट्स हर नेम

अंकित :- सिमरन साक्शेणा

रितिका नाम सुन के थोड़ी देर चुप रही मानो सोच रही हो...और फिर एक दम बोल पड़ी..

रितिका :- ओह यस..वो तो मेरे ही डिपार्टमेंट मे है..शी ईज़ डूयिंग टेस्टिंग ऑफ और प्रॉडक्ट...

अंकित :- यप वो आपके अंडर में ही है..बस उन्ही से पता चला..

रितिका :- क्लेवर...यू आर..हाँ...(मुस्कुराते हुए)

अंकित :- वो तो हम है ही..तभी तो आप हो हमारे साथ..

रितिका :- ह्म्म...अच्छा वैसे मेने तुम्हे कॉल किया था कि सटर्डे नाइट को क्या आ सकते हो तुम

अंकित तो बेड से कूद पड़ा उसे बिलीव नही हो रहा था कि खुद रितिका उसे नाइट के लिए बुला रही है...

अंकित :- यॅ श्योर..इसमे कुछ पूछने की ज़रूरत थोड़ी है..

रितिका :- ह्म्म ऊहक्क्क...ज़्यादा एग्ज़ाइटेड लग रहे हो..पर..

अंकित :- पर क्या..(थोड़ी चिंता में आ गया)

रितिका :- कुछ नही....बॅस तुम नाइट में आ जाना...तब ही बाते करेंगी....

अंकित :- ओके...

रितिका :- ह्म्म ओके डन..सो फिर सटर्डे को मिलते हैं..बाबयए..

अंकित :- बाए...(फोन कट कर के....खुशी में झूम उठा...)

आख़िर कार बड़ी मुस्किलों से उसने 2 दिन निकाले..इन 2 दिनो में कोई भी नही था बात करने के लिए टाइम पास के लिए दिशा भी नही थी...वो किसी फॅशन शोज में बिज़ी थी..मेडम फॅशन डिजाइन जो कर रही थी....
शटर्डे का दिन आ गया...वो सुबह कॉलेज जाने के लिए उठा तो उसकी मम्मी चौंक गयी कि सटर्डे को उसका बेटा कॉलेज..और उसे छेड़ने लगी...तभी अंकित ने कहा कि वो आज रात विकी के घर रुकेगा क्यूँ कि आज उसके किसी कज़िन की मेरिज है तो उसे भी साथ ले जाना चाहता है..इसलिए उसे रात आने में देरी हो जाएगी तो वो वही रुक जाएगा...
पहले तो उसकी मम्मी ने ना नुकर करी लेकिन अंकित ने अपनी बातों में उलझाया फुसलाया कि उन्होने पर्मिशन दे दी...
अंकित कॉलेज गया...वहाँ से वो विकी के साथ उसके घर चला गया..शाम के 6 बजे तक दोनो मज़े करते रहे...और वहाँ पहली बार अंकित ने विकी की गर्लफ्रेंड की फोटो देखी.....

अफ क्या ग़ज़ब का माल था..पूरी तरह पता चल रहा था कि हाइ सोसाइटी की है..चेहरा एक अलग छाँटा हुआ आटीट्यूड आँखें तीखी चेहरा बिलकल अट्रॅक्टिव...और उसके बाद उसकी बॉडी शेप..बिल्कुल पर्फेक्ट कहीं से भी कोई कमी नही निकाल सकते थे.....36-28-34 उसकी फिगर...फोटो में तो पूरी कपड़े पहने हुए थे..पर अंकित ने तो फोटो में ही चेक आउट मार लिया था...

वैसे अंकित ने आज तक विकी की पर्सनल लाइफ में कभी दखल नही दिया...उसने आज तक कभी उसका नाम भी नही पूछा था...और जब नाम पूछा था तो उसे तो 100% श्योर हो गया कि किसी हाइ सोसाइटी की है...

अलीशा सिंग ... नाम से पता चल रहा था कि पंजाबन होगी..और लग भी रही थी..जहाँ तक फोटो में दिख रहा था उसके बॉल लंबे थे....

और फिर विकी ने अंकित को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बात भी करते हुए सुनाया जिसे अंकित को पूरा यकीन हो गया क्यूँ कि उसके बोलने के तरीके में बड़े मैनर्स थे..

अंकित अपने मन में सोचने लगा..साला इस लोलू फाटू चन्द को ये कैसी मिल गयी..लेकिन उसे ज़्यादा देर नही लगी समझने में..क्यूँ की वो जानता था कि विकी हाँ हुजूरी करने वाला है ....और ऐसे ही लड़कियों को चाहिए पालतू कुत्ता जो कि विकी एक दम सही था......

आख़िर कार वो घर से निकला तो 7:30 तक रितिका के गेट के बाहर खड़ा था उसके चेहरे पे एक बड़ी मुस्कान थी..उसने डोर बेल बजाई...

उसने बेल मारी काफ़ी देर तक लेकिन गेट नही खुला...वो परेशान हो गया...वो अपना फोन निकाल के मिलाने

लगा तो फोन कट कर दिया...उसने काफ़ी बार मिलाया फिर कट हो गया...उसे थोड़ी निराशा हुई....वो पीछे

मुड़ा

ओह्ह आह...(थोड़ा सहमते हुए उसने अपनी छाती पे हाथ रख लिया)
रितिका उसके बिल्कुल पीछे ही खड़ी थी..और ऐसे अचानक देख के अंकित थोड़ा घबरा गया...

रितिका मुस्कुरा पड़ी...आज दूसरों को डराने वाला खुद डर गया..

अंकित :- (अपने पीछे बालों पे हाथ फेरता हुआ) वो आप एक दम से आ गयी ना इसलिए..वैसे कहाँ गयी

थी..ना तो फ़ोन उठा रही थी.

रितिका :- यार मार्केट गयी थी..और तुम्हे तो मेने पहले ही देख लिया था इसलिए नही उठाया..देखना चाहती थी

कि तुम गुस्सा होते हो कि नही..लेकिन नही हुए वैसे भी..काफ़ी बदल गये हो..(उसने एक अजीब सी आँखों को

देखा)

जिसे अंकित देखता रह गया...वो सोच में डूब गया

रितिका :- अंदर नही आओगे..(रितिका अंदर पहुच चुकी थी)

अंकित भी अंदर चला गया.....और फिर कुछ देर बाद...दोनो के हाथ में एक मग था कॉफी का..आज ठंड

बढ़ गयी थी...शाम का टाइम था..सर्दियाँ दहलीज पे खड़ी थी..पर ऐसा लगा आज से ही आ गयी हो..आज

दोनो को थोड़ी सर्दी लग रही थी...

फिर रितिका ने बोलना शुरू किया..

रितिका :- अंकित मेने तुम्हे यहाँ क्यूँ बुलाया है जानते हो...

अंकित बेचारा कन्फ्यूज़ हो गया कि वो क्या कहे..जिसे रितिका समझ गयी..

रितिका :- इसलिए कि में ये रात तुम्हारे साथ बिता सकूँ...शायड कभी ना भूलने वाली..

पहले तो अंकित मुस्कुरा पड़ा...लेकिन फिर धीरे धीरे उसकी मुस्कान गायब हो गयी वो रितिका को देखने लगा..
उसकी आँखों में कुछ था..कुछ बाते छुपी थी..

अंकित :- क्या मतलब?

रितिका :- (गहरी साँस छोड़ते हुए) अंकित मेरा ट्रांसफर इस बार फिर से न्यू यॉर्क हो गया और इस बार में ना

नही कर सकती...

अंकित ने ये लाइन सुनी तो उसके पैरों तले ज़मीन से खिसक गयी...उसके सासें चढ़ गयी..उसके हाथ काँपने

लगे उसने कॉफी का कप टेबल पे रख दिया.....

रितिका :- मम्मी डॅडी भी वहीं है..और आर्नव भी..

तभी उसके दिमाग़ में आया कि हाँ..आर्नव काफ़ी दिन से भी नही दिखा..उसने रितिका की तरफ देखा..

अंकित :- फिर कब? (बस वो इतना ही बोल पाया)

रितिका :- शायद ही कभी आ पाउन्गी...(रितिका ने उसकी बात को समझ के उसका जवाब दिया)

अंकित को एक और ज़बरदस्त झटका लगा...और वो इस बार खड़ा होते हुए....
नही ऐसा नही हो सकता...तुम नही जा सकती...नही....मुझे क्या ये सुनाने के लिए बुलाया था...(अंकित बहुत

गुस्से में बोलता है)

रितिका भी खड़ी होती है..अंकित लिसन टू मी..(उसके कंधे पे हाथ रखते हुए) में समझती हूँ..कि तुम पर

क्या बीत रही होगी....

अंकित उसके हाथ बहुत पूरी तरह से झटक देता है..औcछ रितिका अपना हाथ पकड़ के दर्द में हल्का सा

कराहती है..लेकिन अंकित को इस वक़्त गुस्से में था.....

तुम्हे क्या पता क्या बीत रही है..अगर चिंता होती तो ऐसे हाँ नही करती ट्रान्स्फर के लिए...तुम्हे सिर्फ़ अपनी

पड़ी है...तुम्हारी नीड्स पूरी हो गयी तो तुमने लात मार दी मुझे कि जा हट अब मेरा काम हो गया

है..अब कोई ज़रूरत नही है तेरी....(फिर एक बार गुस्से में जो बोल रहा था उसे खुद नही पता था कि क्या बोल

रहा है.....रितिका बस उसे अपने मासूम से चेहरे से देखे जा रही थी)

सब बकवास है..हर औरत ही बकवास है..सबको अपनी पड़ी है...अपना काम निकाला बस..काम

ख़तम..यही सुनाने के लिए बुलाया गया था ना..बस खुश...हो गया ना अब में जा रहा हूँ..
(मूड के जाने लगता है....अंकित लिसन टू मी..प्लीज़...लिसन...रितका वहाँ खड़े खड़े चिल्लाती है)

अचानक अंकित वहाँ खड़ा हो जाता है...और फिर उसके दिमाग़ ने कुछ सोचना शुरू किया...कि ये क्या कर दिया...
क्या बोल दिया मेने अभी अभी...नो...शिट्सस...व्ट्स रॉंग..वित मी..मेने फिर वही ग़लती कर दी...ये क्या क्या बोल

डाला मेने रितिका को..उस इंसान को जिसनी मुझे एक अलग एक प्यार दिया जो आज तक किसी ने नही..ओह्ह गॉड हर बार क्यूँ ऐसी ग़लती हो जाती है मुझसे...
आख़िर क्यूँ रोक रहा हूँ में उन्हे...सिर्फ़ इस डर से कि अगर वो चली गयी तो में सेक्स किसके साथ

करूँगा....छी...इतना घटिया हो गया हूँ में ... नही...में ऐसा नही कर सकता...कहते हैं कि अगर अपनो को

खुशी खुशी विदा करो तो उसकी याद में से कभी नही निकल पाओगे..मुझे भी ऐसा ही करना है..में नही

चाहता कि रितिका मुझे नफ़रत में याद करे...आइ आम रियली सॉरी ... वेरी सॉरी..मुझसे ग़लती हो गयी मुझे

ये सब नही बोलना चाहिए...था....(वो अपने मन में सोचने लगा उसे बड़ी जल्दी रीयलाइज हुआ अपनी ग़लती का

उसकी आँखें नम थी)

क्रमशः...........................
 
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