desiaks
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“आह राजा, ओह ओ्ओ्ओ्ओह मेरे स्वामी, ओह मेरे गांड़ के रसिया।” मेरे मुंह से आनन्द के मारे सिसकारियां निकलने लगीं। हल्का हल्का मीठा मीठा दर्द जरूर हो रहा था किन्तु आनंद भी उतना ही मिल रहा था। धीरे उसने पूरा लौड़ा मेरी गांड़ में ठेल दिया।
“आह ओह ओ्ओ्ओ्ओह रानी, ओह मेरी जान, मेरी प्यारी रंडी कुतिया उफ़, मजा आ रहा है,” वह मस्ती में भर कर बोल उठा। आज मुझे आरंभ में हल्की पीड़ा हुई किंतु कुछ ही पलों में गायब हो गया और फिर कुछ भी तकलीफ का अनुभव नहीं हो रहा था, या तो उस मलहम का असर था या कामोत्तेजना का असर था, मैं अपनी गांड़ में उनके लंड के घर्षण से आनंद विभोर हो रहा था। वह पूरे जोश से घपाघप चोदे जा रहा था और करीब आधे घंटे बाद मुझे कस के जकड़ कर मेरी गांड़ में अपना मदन रस उगलने लगा। उसका गरमागरम लावा मेरी गांड़ में छर्र छर्र भरता गया और मुझे कर सराबोर कर दिया। इस दौरान उन्होंने मेरे लंड को भी मूठ मार कर मुझे झाड़ दिया था। हम दोनों ने आज चुदाई का भरपूर लुत्फ उठाया। फिर मैं सुखद अहसास के साथ उनके बनमानुषि नग्न देह से छिपकली की तरह चिपक कर निद्रा के आगोश में चला गया।
अगले दिन मुझे काफी राहत थी और चलने फिरने में भी कोई खास कष्ट नहीं हो रहा था। तीसरी रात को खाना खाने के बाद उन्होंने एक पैकेट ला कर मुझे दिया और कहा, “इसमें कुछ कपड़े हैं तुम्हारे लिए, यह लड़कियों के कपड़े हैं। मैं चाहता हूं कि आज तुम ये कपड़े पहनो और लड़कियों की तरह सज जाओ। तुम लड़कियों के कपड़ों में लड़कियों से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत दिखोगे। आज मैं तुम्हें इन्हीं कपड़ों में प्यार करूंगा।” फिर वे नीचे चले गए। मैं रोमांचित हो उठा। मैं फटाफट कपड़े निकाला तो देखा, लहंगा, चोली और चुन्नी था। अपने सारे कपड़े उतार कर जब मैं लहंगा चोली पहनने लगा तो मुझे ऐसा अहसास हो रहा था कि मैं सचमुच की लड़की हूं। कपड़े ठीक मेरी ही साईज के थे। चोली पहनने में थोड़ी दिक्कत हुई किंतु अंततः ठीक-ठाक पहनने में सफल हो गया। फिर जब मैं ने दर्पण में खुद को देखा तो शर्म के मारे पानी पानी हो उठा। सचमुच में मैं बहुत खूबसूरत लड़की में परिवर्तित हो चुका था। पैकेट में पाउडर और लिपस्टिक भी था, जिसे मैं ने बड़ी सावधानी से इस्तेमाल किया और मैं अब क़यामत ढा रहा था। उस समय हिप्पी कट लंबे बालों का प्रचलन था इसलिए घुंघराले बालों के बावजूद करीने से अपने लंबे बाल संवारने के बाद तो मैं पूरी तरह बिजली गिराने को तैयार हो गया। करीब साढ़े नौ बजे छगन अंकल ऊपर आए तो मुझे देख कर उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। उन्हें अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी खूबसूरत लड़की उनका इंतजार कर रही है। मैं किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह लजा रहा था।
धीरे धीरे वे मेरे पास आए और मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर कर कुछ पल अविश्वसनीय नजरों से देखते रहे, “ओह मेरी रानी, कितनी खूबसूरत हो। मैं कितना खुशनसीब इनसान हूं कि मुझे तुझ जैसी परी मिल गई।” फिर धीरे से अपने मोटे-मोटे होंठों से मेरी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह होठों पर अपना प्रेम चिन्ह अंकित कर दिया। मैं विभोर हो गया। मेरी पलकों पर चुम्बन अंकित किया। आहिस्ता आहिस्ता मेरी चोली को खोलने लगे और मेरी कमर के ऊपरी हिस्से को निर्वस्त्र कर दिया। फिर मेरे सीने के उभारों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगे।
“आह ओह ओ्ओ्ओ्ओह रानी, ओह मेरी जान, मेरी प्यारी रंडी कुतिया उफ़, मजा आ रहा है,” वह मस्ती में भर कर बोल उठा। आज मुझे आरंभ में हल्की पीड़ा हुई किंतु कुछ ही पलों में गायब हो गया और फिर कुछ भी तकलीफ का अनुभव नहीं हो रहा था, या तो उस मलहम का असर था या कामोत्तेजना का असर था, मैं अपनी गांड़ में उनके लंड के घर्षण से आनंद विभोर हो रहा था। वह पूरे जोश से घपाघप चोदे जा रहा था और करीब आधे घंटे बाद मुझे कस के जकड़ कर मेरी गांड़ में अपना मदन रस उगलने लगा। उसका गरमागरम लावा मेरी गांड़ में छर्र छर्र भरता गया और मुझे कर सराबोर कर दिया। इस दौरान उन्होंने मेरे लंड को भी मूठ मार कर मुझे झाड़ दिया था। हम दोनों ने आज चुदाई का भरपूर लुत्फ उठाया। फिर मैं सुखद अहसास के साथ उनके बनमानुषि नग्न देह से छिपकली की तरह चिपक कर निद्रा के आगोश में चला गया।
अगले दिन मुझे काफी राहत थी और चलने फिरने में भी कोई खास कष्ट नहीं हो रहा था। तीसरी रात को खाना खाने के बाद उन्होंने एक पैकेट ला कर मुझे दिया और कहा, “इसमें कुछ कपड़े हैं तुम्हारे लिए, यह लड़कियों के कपड़े हैं। मैं चाहता हूं कि आज तुम ये कपड़े पहनो और लड़कियों की तरह सज जाओ। तुम लड़कियों के कपड़ों में लड़कियों से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत दिखोगे। आज मैं तुम्हें इन्हीं कपड़ों में प्यार करूंगा।” फिर वे नीचे चले गए। मैं रोमांचित हो उठा। मैं फटाफट कपड़े निकाला तो देखा, लहंगा, चोली और चुन्नी था। अपने सारे कपड़े उतार कर जब मैं लहंगा चोली पहनने लगा तो मुझे ऐसा अहसास हो रहा था कि मैं सचमुच की लड़की हूं। कपड़े ठीक मेरी ही साईज के थे। चोली पहनने में थोड़ी दिक्कत हुई किंतु अंततः ठीक-ठाक पहनने में सफल हो गया। फिर जब मैं ने दर्पण में खुद को देखा तो शर्म के मारे पानी पानी हो उठा। सचमुच में मैं बहुत खूबसूरत लड़की में परिवर्तित हो चुका था। पैकेट में पाउडर और लिपस्टिक भी था, जिसे मैं ने बड़ी सावधानी से इस्तेमाल किया और मैं अब क़यामत ढा रहा था। उस समय हिप्पी कट लंबे बालों का प्रचलन था इसलिए घुंघराले बालों के बावजूद करीने से अपने लंबे बाल संवारने के बाद तो मैं पूरी तरह बिजली गिराने को तैयार हो गया। करीब साढ़े नौ बजे छगन अंकल ऊपर आए तो मुझे देख कर उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। उन्हें अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी खूबसूरत लड़की उनका इंतजार कर रही है। मैं किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह लजा रहा था।
धीरे धीरे वे मेरे पास आए और मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर कर कुछ पल अविश्वसनीय नजरों से देखते रहे, “ओह मेरी रानी, कितनी खूबसूरत हो। मैं कितना खुशनसीब इनसान हूं कि मुझे तुझ जैसी परी मिल गई।” फिर धीरे से अपने मोटे-मोटे होंठों से मेरी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह होठों पर अपना प्रेम चिन्ह अंकित कर दिया। मैं विभोर हो गया। मेरी पलकों पर चुम्बन अंकित किया। आहिस्ता आहिस्ता मेरी चोली को खोलने लगे और मेरी कमर के ऊपरी हिस्से को निर्वस्त्र कर दिया। फिर मेरे सीने के उभारों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगे।