desiaks
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“जो भी हो, लेकिन सच्चाई यह है कि तू मेरा बेटा है।” मैं भी ढीठ ही थी।
“सच्चाई यह भी है कि तू औरत है और मैं मर्द हूं। तू नंगी है और मैं नंगा हूं। मैं चोदने को बेकरार हूं और तू भी चुदने को बेकरार है, यह और बात है कि तू मुंह से न न न न कर रही है और मैं खुलकर अपनी इच्छा व्यक्त कर रहा हूं।” वह बोलते बोलते मेरी लसीली योनि में यकायक अपनी उंगली घुसेड़ बैठा।
“उई मांआंआंआंआ।” मैं चिहुंक उठी। अपनी जांघों को सटा लिया मैंने।
“जांघें खोल।”
“नहीं।” मेरी चूत तो लंड लेने के लिए पगलाई हुई थी, किंतु मैं इतनी भी बेशरम नहीं थी कि अपने मुंह से बोल दूं, आ बेटे चोद ले।
“जांघ खोलती है कि नहीं लंडखोर। अब मुझे गुस्सा आ रहा है साली मां की लौड़ी। समझ गया, तू ऐसे खुशी खुशी चोदने देगी नहीं।” बेकरार तो था ही, वह अब खूंखार हो उठा। उसनें मेरी जांघों को जबरदस्ती अलग किया और मेरी जांघों के बीच आ गया। अब उसके लिंग का सुपाड़ा मेरी योनि के मुहांने पर आ टिका था या उसनें टिका दिया था, मैं तो गनगना उठी, इस बात को भूलकर कि इस विशालकाय लिंग से मेरी योनि की क्या दुर्दशा हो सकती है। इस पल तो बस, मेरी प्यासी गरम चूत में कोई गरमागरम लंड समा जाए, यही एकमात्र कामना उमड़ रही थी कामदेव के वशीभूत मेरे तन में। मन तो सोचने समझने की स्थिति में नहीं था। कामुक शैतान के वशीभूत, वासना की अग्नि में तपते तन की भूख के आगे मन नतमस्तक हो चुका था। जो बाहरी विरोध था वह मात्र दिखावा था।
“हरामी कहीं का।” मैं रोष दिखाती बोली।
“हां, मैं हूं हरामी, लेकिन कहीं का नहीं, घर का।” ढिठाई से बोला वह।
“कमीने इन्सान, कुत्ते।” मैं गाली ही दे सकती थी, कर तो कुछ सकती नहीं थी।
“हां मैं कमीना हूं, कुत्ता हूं। कुत्ते की तरह भी चोदता हूं और अगर चाहता तो तुझे किचन के स्लैब पर औंधा करके तुझे कुतिया की तरह चोद लेता, मगर आदमी हूं, अभी आदमी की तरह चोदुंगा। कमीना हूं, पहले कमीनापन दिखा दूं, कुत्ता बाद में बन जाऊंगा। अभी तो कमीने इन्सान की तरह ही चोदूंगा साली, गाली देती है बुरचोदी मॉम।” पूरा वहशी जानवर बन चुका था वह। दनादन दनादन अपनी उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा और मैं उत्तेजना के मारे मानो पगला ही गयी। जी तो कर रहा था कि उसका लंड ही घुसा दे मेरी चूत में, मगर अपने मुंह से कैसे कहती यह सब। अब सबकुछ मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था। एक घृणित रिश्ते का सृजन होने से अब कोई नहीं रोक सकता था। मां बेटे के पवित्र रिश्ते की पवित्रता में एक कभी न मिटने वाला बेहद बदनुमा और अमिट दाग लगाने की कागार पर हम पहुंच चुके थे।