Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की - Page 2 - SexBaba
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Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सब सोचते सोचते मैं आख़िर इस फ़ैसले पे पंहुचा की मुझे अब ज़रा सतर्क रहना चाहिए [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फरी बाजी के साथ मेरा जो रीलेशन बन चुका है बस उसी तक मसरूफ रहना चाहिए कयुँकि इसी मैं मेरी और फरी बाजी दोनो की भलाई थी इस फ़ैसले से मैं काफ़ी मुतमान हो गया और फिर सो गया[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जुब आँख खुली तो शाम होने वाली थी मैं उठा और हाथ मुँह धोया और बाहर निकला और खेतों की तरफ चल दिया जहाँ अबू और फरी भी काम से निपट हो चुके थे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब बस भेंसों का दूध निकलना ही बाकी था जो की अबू ने ही निकलना था [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे खेतों की तरफ आता देख के बाजी खुश हो गई और उनका चेहरा भी हल्का गुलाबी सा हो गया तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने कहा कयूं बाजी काम कर के ज़्यादा तक तो नहीं थक गई आप जो आपका का फेस रेड हो रहा है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन क हंस दी और बोली [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई मुझे अभी तुम्हारी तरह शहर की आदत नहीं हुयी जो मैं इतने से काम से थक जाऊं तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी अबू जो की पास ही बैठे थे बोले बेटा आज सारा दिन तुम ने चक्कर ही नही लगाया खेतों का क्या तुम्हे हमारी याद नहीं आती[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अबू की तरफ देख के मुस्कुरा दिया और बोला कैसी बात करते हो आप अबू भला मैं और आप को याद ना करूँ [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बस आज देर अम्मी की वजाह से हुयी अम्मी ने आज मुझसे से शहर की बातें करती रहीं[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक अबू और फरी बाजी से इस तरह की बातें करते हुए वक़्त गुज़ारा [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर अबू ने भेंसों का दूध निकाला तो मैं बाजी के साथ ही उठाके दूध ले के घर को चल पड़े और [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ा आगे आते ही मैने बाजी को आज होने वाली सारी बातें बता दी तो बाजी भी थोडा परेशान हो गई [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और बोली यार भाई ये क्या किया तुम ने अब अम्मी को तुम पे कहीं शक ना हो गया हो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी थोड़ा परेशान हो गया और बोला बाजी पता नहीं वो सब देख के मेरा अपने पे कण्ट्रोल नहीं रहता अब और ..मेरा लंड करा हो जाता है... मै क्याकरूँ ..कुछ समझ मै नहीं आ रहा है ...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन बाजी अम्मी को किस तरह शक हो सकता है हम पर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कौनसा किसी को बताने वाले हैं जो अम्मी को कुछ पता चलेगा बस अब ज़रा ध्यान से करना होगा जो भी करंगे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी एक ठंडी साँस भारी और बोली भाई लगता है की मेरी किस्मत मैं ज़्यादा देर तक सकून नहीं है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हारे साथ तो मैं भी हेरान हो के बोला क्या मतलब बाजी मैं समझा नहीं आपकी बात [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखा और बोली तुम्हे आज ही पता चल जाए गा [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगर मेरा शक सही हुआ था और फिर हम घर तक पहुँच गये और [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर हँसी मज़ाक क बाद मैने बाजी को ऊपर अपना बिस्तेर लगाने का बोला तो बाजी मेरे साथ ही अपना बिस्तेर भी बिछा दिया [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन जब मैं ऊपर सोने के लिए चला गया तो थोड़ी ही देर के बाद फरीदा बाजी एक और चारपाई उठा के ऊपर लाई और बिछाने लगी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं काफ़ी हेरान हुआ और बोला ये क्या आज तुम भी ऊपर ही सोने आ गई हो क्या तो फ़रीदा ने कहा नहीं भाई ये अम्मी का बिस्तेर बिछा रही हूँ आज वो ऊपर र तुम लोगों के पास ही सोएंगी क्या समझे[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रीदा बाजी की बात सुनते ही मुझे बाजी की बात याद आ गई और मैं सच मैं परेशान हो गया की कहीं अम्मी को सच मैं हम दोनो पे शक तो नहीं हो गया [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो आज अम्मी ने अपना बिस्तेर ऊपर ही लगवा लिया है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सोच बहुत ही ख़तरनाक थी और अगर इस मैं थोड़ी भी सचाई थी तो अब हमें ज़रा संभाल के चलना था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि अगर अम्मी को ज़रा सी भनक भी लग जाती तो हमारी गांड फटना तो यक़ीनी था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रीदा बाजीके जाने के थोड़ी देर बाद ही बाजी फरी ऊपर आ गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और खामोशी से अपने बिस्तेर पे लेट गई तो मैं उठ के बाजी की तरफ जाने लगा तो बाजी ने हाथ क इशारे से मुझे मना कर दिया और लेते रहने का इशारा किया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं कुछ समझा तो नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन खैर वेसे जी लेता रहा तो तभी अम्मी भी ऊपर आ गई और आते ही बोली....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]विकी क्या बात है कहीं तुम दोनो मैं कोई नाराज़गी तो नहीं हो गई.......................[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो इस तरह दोनो चुप चाप लेटे हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने जल्दी से कहा नहीं अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है बस बाजी आज सारा दिन खेतों के काम से थकी हुई है ना इस लिए मैने कोई बात नहीं की सो जाए ज़रा जल्दी से थकावट ख़तम हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बड़ा ख्याल है तुम्हे अपनी बहिन का चलो ठीक है होना भी चाहिए और इतना बोल के अपने बिस्तेर पे लेट गई सोने के लिए और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के बाद हम सब चुप लेकिन अपनी जगह , पता नहीं ,,,,,,, [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कब तक जागते रहे और जब आँख खुली तो पता चला की सुबह हो चुकी है मैं उठा और नीचे आ के फिर से सो गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोबारा आँख अम्मी के उठाने से खुली तो अम्मी ने नहा के नाश्ता करने को बोला और बोली पता नही विकी क्या होता जा रहा है तुम्हे भला कोई इतनी देर तक भी सोता है सूरज तो देखो कितना निकल आया है और तुम हो की अभी तक लंबी तान के सो रहे हो चलो जल्दी करो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अपनी आँखें मलता हुआ उठ बैठा और बोला क्या अम्मी कोई काम तो है नहीं तो मैं इतनी सुबह उठ के क्या करूँगा सोने दिया करो ना अम्मी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और ये बोलते ही मैने अपनी आँखें पूरी तरह खोल के अम्मी की तरफ देखा जो की अभी तक मेरी चारपाई के पास ही खड़ी हुयी ई थी और मेरी तरफ ही देख रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन जब थोड़ा गौर किया तो अम्मी की आँखें मुझे लगा की मेरी तरफ नहीं बल्कि मेरे फेस से थोडा नीचे कुछ देख रही .[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब मैने गौर किया तो मुझे एहसास हुआ की सोते मैं मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो की अभी तक फुल हार्ड था और अम्मी की नज़र मेरे खड़े लण्ड पे ही टिकी हुयी थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी का इस तरह मेरे लण्ड की तरफ देखना मुझे अच्छा लगा तो मैने भी मुस्कुराते हो अपने लण्ड को झटका दिया और बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयूं अम्मी क्या बनाया है नाश्ते मैं तो अम्मी ने झट से अपनी नज़र मेरे लण्ड से हटाई और मेरी तरफ देखा तो मुझे अपनी तरफ ही देखते पा कर अम्मी का फेस रेड हो गया और अम्मी ने अपनी नज़र घुमा ली और बाहर की तरफ चल पड़ी और जाते हो बोली क्या [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हे नहीं पता की सुबह नाश्ते मैं क्या बनता है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी के जाते ही मैं भी खड़ा हो गया और थोड़ी देर इधर उधर हाथ पावं धोता रहा जिस से मेरा ज़हन बात गया तो खड़ा हुआ लण्ड भी नीचे आ गया तो मैने टवल उठाया और नहाने क लिए बाहर निकला और बात रूम मैं जा घुसा नहाने क लिए. (कयुँकि हम गांव के रहने वाले हैं तो हमारे घर पे बाथरूम था यह बड़ी बात थी और अच्छी बात तो था नहीं बाहर ही नहाना होता सब ने और खड़े लण्ड के साथ मैं रूम से निकल नहीं सकता था कयुँकि अम्मी तो अब मुझ पे शक करने ही लगी थी )[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं नहा के बाहर निकला तो आज फिर फरी मुझे कहीं नज़र नहीं आयी तो मैं समझ गया की अम्मी ने बाजी को फिर से खेतों मैं भेज दिया होगा और खुद घर पे ही रहेगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं खामोशी से बाहर बरामदे मैं ही बैठ गया और अम्मी ने नाश्ता ला के दिया जिसे खाने के बाद मैं उठा और बाहर निकल गया सलीम की तरफ जो मुझे देखते ही बोला सुकर है यार की तू भी घर से निकला और तुझे मेरी याद भी आ ही गई सुना क्या चल रहा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने सलीम की तरफ देखा और बोला यार क्या चलना है बस सारा दिन घर पे पड़ा ख़ाता और सोता रहता हूँ या फिर खेतों पे चला जाता हूँ तो सुना क्या हो रहा है आज कल कोई नहीं चीज़ भी सेट की है या उन्ही पुरानी वालियों के साथ अपना टाइम पास कर रहा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सलीम थोड़ा हंस दिया मेरी बात पे और बोला बस यार क्या करें तुम्हे तो पता ही है की कोई ना कोई मिल ही जाती है अपनी चुत का रस पिलाने के लिए और फिर हमारा जाता भी क्या है 2 क़तरे पानी क बस[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सलीम की बात सुन क हम दोनो हंस दिए और फिर इधर उधर की बातें करने के बाद जब मैं वहाँ से आने लगा तो सलीम ने मुझे रोक लिया और बोला यार मिला नहीं तो कभी उसके बाद रीदा से क्या मज़ा नहीं आया तुम्हे उस क साथ या तेरी गांड फॅटती है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस देख के अभी भी मैं हंस दिया और बोला .............बस यार [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब क्या ब्ताओं तुम्हे की मुझे डर लगता है घरवालों से की अगर उन्हें पता चल गया की मैं अब ये सब भी करने लगा हूँ तो मेरा कॉलेज ख़तम समझो फिर [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सलीम हेरात से मुझे देखता हुआ बोला यार तुम तो इक्लोटे बेटे हो अपने मा बाप के वो भला तुम्हारे साथ कोई सख्ती किस तरह कर सकते हैं बस बात इतनी है की तुम हिम्मत तो करो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बड़ी बेचारगी से सलीम की तरफ देखा और फिर आअहह भरते हो बोला यार दिल तो मेरा भी बहुत करता है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन क्या करें दिल नहीं मानता कयुँकि घर मैं अम्मी अबू के इलावा मेरी बेहनैन भी मेरा बड़ा ध्यान रखती हैं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और सब इतने अच्छे हैं की मेरा दिल नहीं चाहता की मैं किसी को ज़रा भी दुख दूँ बस इसी वजाह से डरता हूँ यार और कोई बात नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सलीम भी अब की बार मुझे देखता रहा और फिर जब मैं उठ गया तो इतना बोला देख लो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यार विकी की कहीं आज जिस तरह तुम अपने मा बाप और बहनों की वजाह से फटो बने फिरते हो अपना आप मार के कहीं कल शादी के बाद कहीं तुम्हारी बीवी भी तुम्हारी इस आदत का फाइयदा ना उठाए और तुम हमेशा के लिए एक बुज़दिल और औरतों के पॅलो मैं छुपने वाले ना बन जाओ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सलीम की बात तो सच ही थी लेकिन क्या करता मेरी आदत ही कुछ ऐसी हो गई थी अब की शायद बदल ही नहीं सकती थी लेकिन मैने सलीम से और कोई बात नहीं की और गावँ से बाहर रोड पे आ गया जो की शहर की तरफ जाता था और वहाँ बैठ की अपने बारे मैं सोचने लगा की आख़िर क्या करूँ तभी मुझे शहर की तरफ जाने वाली बस आती नज़र आयी और मैने बिना सोचे उसे हाथ के इशारे से रोक लिया और बस के रुकते ही उस मैं चढ़ गया और शहर चला गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शहर आ के मुझे ख्याल आया की मैने तो घर मैं या गावँ मैं किसी को बताया भी नहीं की मैं शहर जा रहा हूँ वो परेशान होंगे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे इस तरह आने से की तभी मेरे दिमाग मैं ख्याल आया की मुझे अब कुछ दिन वापिस नहीं जाना चाहिए [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि अब मुझे ये ही एक हल नज़र आ रहा था की जिस तरह घर वाले मुझे अपने प्यार से ब्लॅकमैल करते आए थे आज तक अब मैं भी उन्हें उन्ही के अंदाज़ मैं ब्लॅक मैल करूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शायद मैं भी थोडा सर उठा की चल सकों और लड़कों की तरह घूम फिर सकों एन्जॉय कर सकों[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी लाइफ को ये ख्याल जितना परफेक्ट था उतना ही मुझे पसंद आया और मैं अपने एक दोस्त के पास चला गया और उसे जब सारी बात बताई तो वो हंस दिया और बोला चल शूकर है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुझे भी मर्द बनने का शौक हुआ और मुझे अपने साथ घर ले गया जहाँ उस ने मुझे अपनी बैठक मैं रुकवाया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और इस के साथ मेरे खाने पीने का इंतज़ाम उस ने घर से कर दिया[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं कोई 4 दिन तक अपने दोस्त के घर रहा और फिर वहाँ से घर की तरफ रवाना हो गया तो जो पैंट क़मीज़ मैने यहाँ आते हो पहनी थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे दोस्त के मशवरे के मुताबिक मैं उन्ही कपड़ों मैं ही रहा, वो अच्छी तरह से गंदे हो गए और जब मैं उन्ही गंदे और मैले कपड़ों मैं 4 दिन बाद घर आया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे देखते ही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की आँखों मैं पानी आ गया और वो रोते हो मेरी तरफ भागी और मुझे लीपेट के ज़ोर से अपने साथ भींच लिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी अपनी हालत उस वक़्त अम्मी को इस तरह रोता देख के खराब होने लगी थी की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अपने आप को ज़रा संभाला और अम्मी को खुद से अलग किया और अपने रूम की तरफ चल दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]किसी से भी बात किए बिना बाजी फरी जो की मेरे लिए मेरा सब कुछ बन चुकी थी उन की तरफ भी अपना दिल कड़ा कर की देखे बिना मैं अपने रूम मैं आया और अपने कपड़े निकल के जा के नहाया और फिर से रूम मैं जा घुसा और दरवाजा को अंदर से लॉक कर क लेट गया जो की मैं ये सब जान बुझ के ही कर रहा था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर वाले जितना मेरे वापिस आने से खुश थे वहाँ उस से भी कहीं ज़्यादा मेरे रविए पे हेरान भी थे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]की आख़िर मुझे हो क्या गया है इसी तरह थोडा वक़्त गुज़रा था की मेरे रूम के दरवाजे पे नॉक होने लगी और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब मैने ना तो दरवाजा खोला और ना ही कुछ बोला तो एक बार फिर से दरवाजा नॉक हुआ और साथ ही अबू की आवाज़ भी सुनाई दी जो की दरवाजा खोलने का बोल रहे थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू की आवाज़ सुन के [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं थोड़ा घबरा भी गया लेकिन दिल को मजबूत कर के दरवाजा खोल दिया और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब अबू पे मेरी नज़र पड़ी तो मैं जहाँ था वहीं का वहीं किसी बुत की तरह खड़ा रह गया कयुँकि अबू इन 4 दीनो मैं ही बिल्कुल बूढ़े नज़र आने लगे थे और उनके कंधे भी झुके नज़र आ रहे थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं हेरनी से अबू की ये हालत देखता हुआ सामने से हट गया[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू मेरे रूम मैं आए और मेरी तरफ देखते हो रो पड़े तो मेरी समझ मैं नहीं आया की आख़िर मैं करूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो क्या करूँ और अबू को कैसे चुप करवाऊं की तभी अम्मी और बाजी फरी रूम मैं आ गई और अबू को संभाल के चारपाई पे बैठा दिया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा विकी ये तूने ने क्या किया बेटा आख़िर कहाँ हमारे प्यार मैं तुम्हे कमी नज़र आयी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... पता नहीं उस वक़्त मेरे अंदर इतनी दलेरी कहाँ से आ गई की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अम्मी की आँखों मैं आँखें डॉल के बोला आप को तो प्यार था ही नहीं मेरे साथ तो कमी कहाँ से आ गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... हेरनी से मेरी तरफ देखते हुयी बोली [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]विकी ये तो क्या बोल रहा है बेटा मैं माँ हूँ तेरी और मैं अपनी सारी औलाद मैं तुम्हे सब से ज़्यादा प्यार भी तुम से ही करती हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... तल्ख़ लहजे मैं अम्मी से बोला की जितना प्यार आप मुझ से करती हैं उस से ज़्यादा शक भी करती हो आप [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अगर आप मुझे प्यार करती ना अम्मी तो शक कभी नहीं करती वो भी इतना घटिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू... जो की अभी तक सर झुका के बैठे हमारी बात सुन रहे थे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]झटके से सर उठा के पहले मुझे और फिर अम्मी को देखते ही बोले क्या बात है रहना [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये विकी क्या बोल रहा है किस बात का शक करती हो तुम मेरे बेटे पर की जो ये इस तरह घर से चला गया था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... जो की पहले ही काफ़ी परेशान लग रही थी अबू की बात सुन के उन का रंग फीका पड़ गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन वो कुछ बोली नहीं बस सर झुका के खड़ी रही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू... जब अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिला तो मेरी तरफ देखते हो बोले विकी तो बता मुझे बेटा की क्या बात है जिस की वजाह से तुम घर से निकल गये थे मैं तेरे साथ हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं...अम्मी की तरफ देखता हुआ जो की अभी तक सर झुका के खड़ी अपनी उंगलियाँ मरौदरही थी और उन का फेस पसीने से भीग चुका था बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू आप अम्मी से ही पूछ लेना हो सकता है की मैं कुछ ग़लत समझा हूँ और बात वो ना हो कुछ और ही हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के अबू फॉरन खड़े हो गये और अम्मी का हाथ पकड़ के बोले चलो अभी मेरे साथ बताओ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे की क्या बात है और फरी की तरफ मुड़ते हो बोले अपने भाई का ध्यान रखो ये कहीं नहीं जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी ने अबू की बात सुन के हाँ मैं सर हिलाया तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू अम्मी का हाथ पकड़े हो मेरे रूम से निकल गये तो फरी मेरे पास आयी और जब बोली तो उस की आवाज़ मैं भी आँसू घुले महसूस हो रहे थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी.... भाई तुम कहाँ चले गये थे और क़्यू क्या तुम मुझे भी नहीं बता सकते[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... बाजी अब मैं आपके और अपने दरमियाँ कोई दूरी बर्दाश्त नहीं ई कर सकता हूँ और इस के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मै आपसे बहुत प्यार करता हूँ बाजी... आप ही मेरा पहला और आखिरी सच्चा प्यार हो...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ओह मेरे बही... फरी आब्जी अवाक् रह गई .. यह सुनके ..... [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ मेरे भाई पर... पर हमरा रिश्ता.. कुछ एस्सा है जिसे हम दोनों.. संभाल के रख सकते थे.. सब से छिप के चोरी से....... सारी जिंदगी...... यहाँ तक की मेरे निकाह के बाद भी...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी... भाई तुम ने ये कोई अच्छा काम नहीं किया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम अगर प्यार से, समझ से काम लेते तो हो सकता है अम्मी हमारे दरमियाँ कोई रुकावट ना बनती केलिन......[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब तुम ने सारा काम खराब कर दिया है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... क्या मतलब बाजी मैं आप की बात नहीं समझा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... अरे पागल तुम अब यहाँ ज़्यादा नहीं रहते लेकिन मैं यहाँ ही रहती हूँ हर वक़्त और सब कुछ और सब को जानती हूँ की कौन क्या है और क्या करता फिर रहा है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस लिए अगर तुम थोडा सबर और कर लेते तो अम्मी को मैं खुद ही समझा लेती.... किस तरह से... [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन तुम ने बात अबू तक पंहुचा दी है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मुझे अम्मी के साथ अबू के बारे मैं भी सोचना पड़ेगा और यह बात बहुत महंगी पड़ेगी मेरे भाई.... अब्बू ... और अब्बू के साथ............ ..कह के ...बाजी , कुछ सोचने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी हम ये बताईं कर ही रहे थे की फ़रीदा बाजी रूम मैं आती दिखाई दी तो हम चुप हो गये और फिर फ़रीदा बाजी ने आते ही मेरी तरफ देखा और बोली भाई अबू बुला रहे हैं तुम दोनो को...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रीदा बाजी की बात सुन के मैने फरी की तरफ देखा जो की मेरी तरफ ही देख रही थी और आँखों ही आँखों मैं फरी से पूछा की अब क्या होगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने किस लिए बुलाया होगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बाजी ने हल्के से कंधे हिला दिए और रूम से बाहर की तरफ चल दी तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी अपना सर झुका के अबू के रूम की तरफ फरी के पीछे ही चल दिया [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन उस वक़्त मैं इसी सोच मैं गुम था की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आख़िर अम्मी ने अबू को ऐसा क्या बता दिया है की........,, अबू ने मेरे साथ फरी को भी बुलवा लिया है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन कुछ भी समझ मैं नहीं आया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं तक़दीर मै जो होगा देखनेग..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू की रूम मैं फरी की साथ चला गया जहाँ अबू अम्मी के साथ ही पलंग पे बैठे थे और सामने की चारपाई खाली पड़ी थी जिस पे बैठने के लिए अबू ने हम दोनो को बोला तो हम चुप वहाँ जा बैठे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू... थोड़ी देर हम दोनो की तरफ देखते रहे और फिर फरी की तरफ अपना फेस घुमा लिया और बोले [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी तुम्हारी अम्मी का कहना है की उसे तुम्हारा विकी क साथ ज़्यादा रहना शक मैं डॉल रहा है जिस की वजाह से वो तुम दोनो पे नज़र रखने लगी तो विकी नाराज़ हो गया क्या ये सच है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे साथ साथ फरी भी एस बात पे चोंक गए...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी... हेरनी से अबू की तरफ देखते हो बोली अबू विकी मेरा एक ही तो भाई है जो की अब हमारे साथ नही रहता यहाँ गावँ मैं शहर मैं रहता है और अब जब की वो छुट्टियों पे गावँ आया हुआ है तो क्या मैं अपने ही छोटे भाई के साथ हंस बोल भी नहीं सकती[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... देखो फरी जिस तरह तुम विकी की बहिन हो वेसे ही फ़रीदा और फ़रज़ाना भी तो विकी की बहन हैं क्या वो भी तुम्हारी तरह विकी क साथ चिपकी रहती हैं और ख़ुसर फुसर करती हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... अम्मी मुझे लग रहा है की अब मेरा इस घर मैं कोई काम नहीं रहा और मुझे यहाँ से अब हमेशा के लिए चले जाना ही बहेतर है नेमे कुछ शक्त लहजे मै कहा....मेरे आवाज.. कुछ ज्यादा भारी होने लगी थी.. जिसे अब्बू अम्मी और फरी बाजी ने भी महसूस किया... बाजी ने आखंसे इशार किया .. तो मै थोड़े नरम लहजे मै फिर बोला..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि जहाँ मेरी माँ ही मुझ पे मेरी बहिन से तालुकात का गंदा इल्ज़ाम लगा दे तो फिर अब मेरे पास बाकी कुछ नहीं बचता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू... देखो बेटा तुम बैठो और जो भी बात है वो हम यहाँ बैठ की ख़तम कर सकते हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... (गुस्से की आक्टिंग करता हुआ खड़ा हो गया लेकिन मैं ये भी समझ रहा था की अगर घर छोड़ेगा तो दर बदर हो जायेगा कोई असरा नहीं बनता मेरा ) नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू अब कोई बात नहीं बची प्लीज अब मुझे यहाँ से जाने से मत रोकिएगा और रूम से निकालने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने भाग के मेरा हाथ पकड़ लिया और रोते हो बोले ठीक है बेटा मैं समझ रहा हूँ की..........[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हारे साथ ज़्यादती हुयी है जिस के लिए तुम्हारी मा जिम्मेदार है[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी वो भी तुम से माफ़ी मांग ले गी लेकिन पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज बेटा तुम घर छोड़ के नहीं जाओगे बल्कि कल से तुम मेरे साथ खेतों मैं रहा करोगे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं अबू मुझ किसी से माफ़ी मंगवाने की कोई ज़रूरत नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि अम्मी का बेवजह शक ने मुझे अपनी और फरी बाजी की नज़रों मैं गिरा दिया है तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मेरे पास बस 2 ही रास्ते हैं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]एक ये की मैं घर से इतनी दूर चला जाओं की किसी की नज़र मैं भी ना आऊँ ज़िंदगी भर और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरा ये है क मैं अपनी जान ख़तम कर दूँ और अब कोई चारा नहीं बचा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif](ये मुझे बाद मैं पता चला क ये सारी हराम ज़दगी फ़रीदा ने ही की थी अम्मी को बताने वाली और शक मैं डालने वाली और बाकी की कसर मैने अम्मी की साथ हल्की फुल्की, अपने रविये से पूरी कर डाली थी)[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी जो की अब तक चुप चाप थी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अचानक.... उठी और मेरे पैरों मैं गिर गई और रोते हुए मुझसे माफ़ी माँगने लगी तो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जेसे मेरा दिल ही फटने लगा हो और मैने जल्दी से अम्मी को कंधों से पकड़ के उठा दिया और बोला नहीं अम्मी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये आप क्या कर रही हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी रो रही थी और बोलती जा रही थी नहीं बेटा अब तो कहीं नहीं जाएगा अपनी मा को छोड़ के बेटा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं तुम्हे कभी कुछ नहीं कहूँगी पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बेटा अपनी मा को माफ़ कर दे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी को अपने सीने से लगा लिया और बोला नहीं अम्मी मैं कहीं नहीं जाऊंगा आप को छोड़ के भला मैं खुश रह पाउँगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कहीं इस दुनिया मैं मर ही ना जाओंगा जो आप को और अबू को छोड़ के कहीं जाऊं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के अबू का फीका पड़ा चेहरा भी खुशी से चमक उठा और अम्मी भी खुश हो गईं तो बोली की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तू ठहर मैं ज़रा इस फ़रीदा की बची की खबर लेती हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस की बातों मैं आके मैं अपने बच्चे को खोने जा रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की बात से मेरे साथ अबू और फरी भी चौंक गये [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर अबू ने ही अम्मी से पूछ क्या मतलब फ़रीदा ने ऐसा क्या बोला था जो तुम मेरे बचों के खिलाफ हो गई थी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी ने हमे फ़रीदा ने जो उस दिन अबू और अम्मी के शहर जाने के बाद मैं और बाजी खेतों मैं गये थे तो फ़रीदा जब खाना ले के आयी तो बाजी को बिना दुपते और क़मीज़ के नीचे बिना ब्रा के बड़े अजीब अंदाज़ मैं लेता देख लिया था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस वो शक मैं आ गई और अम्मी को भी बोल दिया था जिस की वजाह से ये सारा हुंगमा खड़ा हुआ था हमारे घर[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की बात सुन के मेरे साथ बाजी भी हेरान हुयी लेकिन शर्मिंदा भी , [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैने अम्मी को मना कर दिया की वो फ़रीदा से कुछ ना कहे उस ने भी आप को जानबुझ के थोडा ही भड़काया होगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर इस तरह हम एक दूसरे से बात करते और अपने दिल का दर्द निकलते रहे तो फिर अबू ने कहा विकी बेटा तो जा अभी आराम कर देख ज़रा क्या हालत बन गई है तेरी चलो जाओ शाबाश[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं और फरी जब अबू के रूम से निकले तो फरी ने धीमी आवाज़ मैं कहा भाई अब कुछ तो करना ही होगा वरना काम खराब हो जाएगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने कहा क्या करना होगा तो फरी ने कहा थोड़ा सबर करो भाई बताउंगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ज़रा मुझे सोच लेने दो तो उस के बाद फरी अपने रूम की तरफ चली गई और मैं अपने रूम की तरफ[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाकी का दिन ऐसे ही गुज़र गया और बस सिवाए फ़रीदा के जो मुझे या फरी को जब भी देखती बहुत गुस्से मैं घूरती और कोई खास बात नहीं हुयी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सब कुछ नॉर्मल हो गया तो रात अम्मी भी हुमारे पास ऊपर सोने नहीं आयी लेकिन फिर भी हमने कोई रिस्क नहीं लिया और सो गये[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगली सुबह जब सो के उठा तो देखा की फरी आज भी घर पे नहीं है और अम्मी घर पे ही हैं तो मैं समझ गया की फरी अबू के साथ खेतों मैं ही गई होगी जिस वजाह से अम्मी घर पे हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उठा और नहाने चला गया जब नहा के बहार आया तो अम्मी खुद मेरा नाश्ता लायी मेरे रूम मैं ही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं नहा की सीधा अपने रूम मैं आ गया था तो अम्मी ने नाश्ता मेरे सामने रख़् दिया और खुद भी करीब ही बैठ गई तो मैं खामोशी से नाश्ता अपनी तरफ खिसका के खाने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी ने मेरे बलों मैं अपनी उंगलियाँ घुमाते कहा कि ओं बेटा क्या अभी तक तो अपनी अम्मी के साथ नाराज़ है की बात भी नहीं कर रहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की तरफ देखा और बोला ......[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं अम्मी ऐसी कोई बात नहीं अब जो होना था हो गया और अब तो बात भी ख़तम हो गई अब भला मैं आप से कयूं नाराज़ होने लगा भला[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात से अम्मी के फेस पे मुझे सकून की लहर दौड़ती हुयी महसूस हुयी और फिर जब मैने नाश्ता ख़तम किया तो अम्मी उठी और मेरे सर पे प्यार से किस कर के बर्तन उठा के निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी के जाने क बाद मैं थोड़ी देर लेटा रहा और फिर उठ के खेतों की तरफ चल दिया ये सोच कर के चलो अगर कोई मोका मिला तो बाजी की फुददी ही मार लूंगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू काम से इधर उधर के साथ वालों खेतों पे भी चले जाया करते थे तो मोका बन सकता था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं जब खेतों मैं गया तो अबू उस वक़्त चारा काट रहे थे कयुँकि बाद मैं गर्मी ज़्यादा हो जाती तो चारा नहीं कटा जाता भेंसों के लिए और बाजी इधर उधर से कटा हुआ चारा एक जगह जमा कर रही थी और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खास बात जो मैने देखी वो ये थी फरी उस वक़्त बिना दुपते और बारीक कपड़ों मैं थी और कयुँकि हवा भी चल रही थी तो काम करने की वजाह से उसके कपड़े भी भीगे हुयी थे लेकिन वो बिना शरम किया काम मैं लगी थी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये नज़ारा देख के मुझे पता नहीं कयूं ऐसा लगा की बाजी ये सब (यानी बिना दुपते और बारीक कपड़ों के साथ पसीने मैं भीगी अबू के इधर उधर झुक के चारा जमा करती ये सब वो जान बुझ के कर रही है)[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे आता हुआ अबू और बाजी दोनो ही देख चुके थे लेकिन बाजी ने अपने काम मैं बड़ी मस्ती से लगी होई थी और अबू भी चुप छाप चारा काट रहे थे जिसे बाजी जमा करती जा रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी जा के करीब ही खेतों मैं निशानी के लिए पगडंडी पे जा के बैठ गया तो अबू ने कहा बेटा घर पे दिल नही लगा जो इतनी सवेरे ही यहाँ चले आए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बस अबू घर पे बौर हो रहा था तो सोचा की चलो खेतों से ही हो आता हूँ इस लिए आ गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो अबू ने भी चलो अच्छा किया बेटा ऐसा करो तुम चलो वहाँ रूम के पास दरखतों के नीचे बैठो यहाँ तो काफ़ी तेज़ धूप हो रही है गर्मी लगेगी हम भी बस अभी आ जाते हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिना कोई बात किए उठा और रूम के सामने ही जा के बैठ गया और बाजी और अबू को काम करता देखता रहा फिर अबू ने चारा काटना बंद किया और जमा किया हुआ चारा उठाने लगे जिस मैं बाजी भी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू की मदद कर रही थी जिस के लिए बाजी अबू के सामने पूरी तरह से झुक जाती[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे इतनी देर से इतना तो ठीक से पता नही चल रहा था की ये सब देख के अबू पे क्या बीत रही होगी या फिर अबू बाजी के सीने मैं तने मम्मो को देख भी रहे हैं या नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर के बाद अबू और बाजी चारा उठा के क रूम के पास लगी मशीन के पास आ गये और मशीन चला के चारा कटा और फिर बाजी रूम मैं चली गई और अबू साइड मैं लगे ट्यूब वेल को चलाने लगे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ट्यूब वेल के चलते ही अबू ने कहा आ जा बेटा नहा ले ठंडा पानी है मज़ा आ जाएगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैने अबू को मना कर दिया क मेरे पास कोई लूँगी नही है तो अबू जो की अब खुद भी लूँगी मैं ही आ चुके थे बोले यार कोई भी कपड़ा बाँध लो की तभी बाजी रूम से निकल आयी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अभी तक बिना दुपते के ही थी और बोली अबू बड़ी गर्मी लग रही है क्या मैं भी नहा लूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने बाजी की तरफ देखे बिना ही हाँ हाँ बेटी आ जा तू भी नहा ले बोल दिया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मुझे आँख का इशारा करते हुए अबू की तरफ चल दी नहाने के लिए और मैं बाजी को पूरा मोका देने क लिए रूम मैं जा घुसा जहाँ मैं एक कपड़ा ढूंड के लूँगी बंधी और रूम के दरवाजे के पास आ के बाहर झाँकने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ बाजी अब पूरी तरह भीगी हुयी खड़ी थी अबू के साथ और मुझे ये देख के बड़ी हैरानी हुयी की बाजी यह सब काया कर रही हैं मेरी कीच समझ मै नहीं आ रहा था. पर मुझे बाजी पे भरोसा की वो जो भी करेंगी सोच समझ के ही.....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पर फरी बाजी की हिमत पे रश्क भी आया कि वो की बाजी के कपड़े भीगते ही उस का सारा बदन जैसे बिल्कुल नंगा नज़र आने लगा था और अब ज़रा ध्यान से देखा तो पता चला की बाजी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुयी थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अबू की आँखें जो की बाजी की तरफ तो नहीं थी लेकिन वो छोड नज़रों से अपनी बड़ी बेटी की जवानी को ही निहारे जा रहे थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सब देख के मैने सोचा की यार ज़रा बाजी को थोडा टाइम और मिलना चाहिए पता नहीं उनके दिमाग मै काया चाल रहा है और बहार नहीं निकला तो बाजी जो की एक बार फिर से पानी के नीचे सर दे के उठी तो अबू की तरफ देख के बोली क्या हुआ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू आप नहीं नहा रहे[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने फरी की तरफ देखा और बोले नहीं बेटी पहले तुम नहा लो मैं बाद मैं नहा लूंगा और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर दूसरी तरफ देखने लगे तो बाजी साइड से सोप उठा के अपने जिस्म पे रगड़ने लगी कपड़ों के ऊपर से ही(जैसा की अक्सर गावँ मैं होता है) और साथ अबू की तरफ देखे बिना अपने मम्मो , जाँघों और गले दरमियाँ अच्छी तरह से हाथ घुमाती रही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो अबू की हालत देखने वाली हो जाती अब अबू से ज़्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो वहीं साइड मैं पानी के अंदर ही बैठ गये[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी ने अच्छी तरह नहाने के बाद अबू की तरफ देखा जो की तिरछी नज़रों से फरी को ही देख रहे थे तो फरी ने कहा अबू मैने तो अच्छी तरह नहा लिया अब आप भी नहा लो जल्दी से[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी इतना बोलते ही बाहर निकल गयी तो अबू पानी के नीचे आ गये और पानी अबू के सर पे गिरने लगा तभी मैं भी रूम से निकला तो मुझे देख के फरी ने हल्की सी इस्माइल दी और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू की तरफ आँख से इशारा कर के आँख दबा दी तो मैं भी फरी की बात समझ के हल्का सा मुस्कुरा दिया और पानी मैं उतार गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक मैं अबू क साथ मिल के नहाता रहा और फरी अब भी बिना दुपट्टे के रूम से बाहर पड़ी चारपाई पे अपने पावं लटका के बैठी हुमारी तरफ ही देख रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनो नहा के बाहर निकले तो अबू ने ट्यूब वेल बंद कर दिया और अपने क़मीज़ उठा के पहन ली तो मैं भी रूम मैं गया और अपने कपड़े पहन के बाहर आ गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तब तक अबू कहीं खेतों की तरफ जा चुके थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं फरी के पास बैठ गया और बोला यार कयूं अबू को परेसान कर रही हो और यह क्या चाल रहा है आपके दिमाग मै.....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हो तो फरी ने कहा भाई अब मेरे अंदर इतनी बर्दाश्त नहीं रही है की मैं ज़्यादा बर्दाश्त करूँ कयुँकि जब तक मैने पूरा मज़ा नहीं लिया था किसी ना किसी तरह बर्दाश्त कर रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन अब नहीं कर सकती और इस के लिए तुम्हारे साथ के लिए , तुम्हारे प्यार के लिए मुझे जो कुछ भी करना पड़ेगा करुँगी और तुम्हे मेरा साथ देना होगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं फरी की तरफ देखता रहा और फिर एक आह भर के हाँ मैं सर हिला दिया[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब अबू को गये हो काफ़ी देर हो गई और वो वापिस नहीं आए तो मैं थोडा परेशान हो गया और बाजी से बोला यार बाजी अबू अभी तक कयूं नहीं आए [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन के हंस पड़ी और बोली अरे मेरे भोले भाई आज अबू ने जो कुछ और जितना भी देखा है वो अबू को कहीं आराम से थोडा ही बैठने दे रहा होगा ज़रा सबर करो अभी खुद ही आ जायेंगे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात तो काफ़ी हद तक ठीक ही थी कयुँकि अगर फरी की जगह कोई और लड़की होती और अबू के सामने इस तरह अपने आप दिखती तो मुझे यक़ीन था की अबू अब तक बिना कुछ सोचे समझे और बिना किसी की परवा किए अब तक 2 3 बार उसकी फुददी मार चुके होते [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मसाला फरी का था जो की उनकी की सग़ी और बड़ी बेटी थी जिस की उन्हें समझ आ भी रही थी और नहीं भी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे इन सोचों मैं गुम देख के बाजी ने कहा क्या बात है भाई कहाँ गुम हो तो मैं बाजी की बात सुन के चौंक सा गया और फिर बाजी की तरफ देख के मुस्कुराने लगा और बोला कुछ नहीं बाजी भला मैं अब क्या सोचोंगा अब आप ही बता दो की आगे क्या सोचा है अपने [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पता नहीं भाई यह अच्छा जी या बुरा .. पर अब मेने सोच लिया है.. तुम्हारे और हमारे रिश्ते को कायम रखना है... कल जो तुमने कहा था ... की तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो... [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हाँ भाई मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ ... और इसकी लिए.. इसको कायम रखने के लिए मुझे ..चाहे.. बाजारू औरत भी बनना पड़े तो बनुगी... [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हरी कल की बातें मेरे दिल को छु गयी भाई जान..... बस तुम मुझे गलत मत समझ ना.. और इसी तरह प्यार करते रहना .... [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेने बाजी की आखों मै एक अजीब से कसक देखी........[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हाँ बाजी... मै सच मै आपसे भुत प्यार करता हूँ... और तुम्हरी लिये..अपनी जान भी दे सकता हूँ...[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने कहा जो कुछ मैने सोचा है उस मैं तुम्हारा कोई काम नही है.. बस तुम जो मै कहूँ वो करो...[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि अगर तुम यहाँ खेतों मैं रोज़ाना आने लग गये और सारा सारा दिन यहाँ ही गुज़रोगे तो बात नहीं बनेगी इस लिए अब तुम्हे चाहिए की 2 3 दिन तक घर मैं ही रही यहाँ मत आया करो ओक[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने हाँ मैं सर हिला दिया और बोला ठीक है बाजी मैं यहाँ नहीं आया करूँगा लेकिन घर पे अकेला पड़ा बौर हो जाओंगा दिल ही नही लगेगा मेरा कयुँकि अब आप भी घर पे नहीं होती हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन के हंस दी और बोली भाई आप ऐसा करो की किसी ना किसी तरह 2 3 दिन गुज़ारा करो तब तक मुझे उमीद है की मैं अबू को सेट कर लुंगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर तुम भी यहाँ हमारे साथ ही रहा करना [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बुरा सा मुह बनाया और ओक बाजी बोलता हुआ घर की तरफ चल दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि बाजी की बात भी ठीक ही थीकी अगर हमें मज़ा करना है तो उसके लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा ना घर पंहुचा तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दुपेहर के 11 बज रहे थे और अम्मी सामने बरामदे मैं हीबैठी थी जो की मुझे देखते ही मुस्कुरा दी और बोली आ गया मेरा लाल कहाँ गया था तो इतनी सुबह[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की बात सुन के ज़रा खुश्क लहजे मैं ही जवाब दिया खेतों मैं गया था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और इतना बोलते ही अपने रूम मैं जा घुसा इस से पहले की अम्मी कोई और बात शरू करती मैं रूम में आ गया और अपनी चारपाई पे लेट गया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी भी मेरे पीछे ही मेरे रूम मैं आ गई और आते ही मेरे पास खड़ी हो के मेरी तरफ घूरने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही घूरने के बाद अम्मी ने कहा विकी बेटा लगता है तो ने अभी तक अपनी मा को दिल से माफ़ नहीं किया है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी अम्मी की आँखों मैं झाँका और बोला अम्मी आप को ऐसा कयूं लगता है की मैं आप से नाराज़ हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी जो की अभी तक खड़ी हुयी थी मेरे साथ ही चारपाई पे बैठ गई और अपना एक हाथ मेरे बलों मैं घूमने लगी और बोली [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]देख बेटा ग़लती इंसान से ही होती है और मैं भी तो इंसान ही हूँ तेरी मा हूँ तो क्या हुआ लेकिन अगर तू मुझे कोई सज़ा देना चाहता है तो बेटा मैं उस क लिए भी तैयार हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन बस तो अपनी मा के साथ अब अपनी नाराज़गी ख़तम कर दे मैं अब तुझे अपने साथ नाराज़ नहीं देख सकती[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की बात सुन क अचानक मेरे दिमाग मैं ख्याल आया की अम्मी तो मेरे साथ सिर्फ़ इस बात से ही नाराज़ हैं ना की , फ़रीदा ने मेरे और बाजी के बारे शक मैं डाला था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस लिए तो नहीं की मैने उन के साथ भी मस्ती की कोशिश की थी ये सोच आते ही मेरे जिस्म मैं झुनझुनाहट सी होने लगी की अम्मी सिर्फ़ मेरे और फरी बाजी क बारे सुन के नाराज़ होई थी और ये सारा तमाशा हुआ था बाकी जो मस्ती मैने अम्मी क साथ की थी उन्होंने उस बारे मैं कोई बात नहीं की थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे सोच मैं डूबा देख के अम्मी मेरे ऊपर झुकी और मेरे माथे पे किस कर के फिर सीधी बैठ गई और बोली क्या सोच रहा है मेरा बच्चा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुरा दिया और साथ ही अम्मी की तरफ करवट ली और अपना एक हाथ अम्मी की साइड से निकल के रनो पे रख के हल्का सा सहला दिया और बोला नहीं [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी भला मैं आप से किस तरह नाराज़ हो सकता हूँ वो तो आप ही मेरे साथ नाराज़ हो गई थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना बोलते ही मैने अपने हाथ से अम्मी को रान को भी दबा दिया तो अम्मी ने एक बार मेरी तरफ और फिर मेरे हाथ की तरफ जो के उनकी राणो पे था देखा और मुस्कुराने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की तरफ से कोई गुस्सा ना देख के मेरा होसला भी बढ़ गया और मैं अपने हाथ को अम्मी की राणो पे ऊपर नीचे आहिस्ता से घूमते हो बोला अम्मी आप बहुत खूबसूरत हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी...विक्की बेटा हर बेटा अपनी मा को दुनिया की सब से खूबसूरत औरत समझता है ये कोई नयी बात तो नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... नहीं अम्मी मैं सच बोल रहा हूँ की आप बहुत ज़्यादा प्यारी हो और ऊपर से इतना प्यार भी करती हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... मेरे हाथों की हरकत जो की उन्हें अब सॉफ बता रही थी की मैं अपनी मा को किस नज़र से देख रहा हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]देखो बेटा हम मा बेटा हैं और हर मा अपने बेटे को ऐसे ही प्यार करती है लेकिन उस की कोई लिमेट भी होती है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये नहीं की अगर मा बेटे से प्यार करती है तो बेटा जिस तरह मर्ज़ी अपनी मा से फाइयदा उठाने की सोचे या अपनी मा को बिना वजह तंग करे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं....अम्मी के क इस तरह समझने से समझ गया की अम्मी को मेरा इस तरह उनके साथ करना अच्छा नहीं लग रहा था तो मैने अपना हाथ हटा लिया और थोडा रौखे लहजे मैं बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन अम्मी मैं तो समझा था की जब आप किसी से प्यार का दावा करते हैं तो उस की हर जायज नाजायज बात को भी मानते हैं[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि प्यार तो क़ुर्बानी माँगता है जो हर कोई नहीं दे सकता (मेने सोचा..मेरी फरी बाजी दे रही हैं अपने जिस्म की कुर्बानी )[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी...हाँ बेटा तुम्हारी बात ठीक है लेकिन जिस प्यार की तुम बात कर रहे हो वो प्यार एक मा बेटे और बहिन भाई मैं नही हो सकता कयुँकि हमरा समाज इस बात की इजाज़त नहीं देता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... लेकिन अम्मी ये मसवरा या बिरदरी कौन सा हमारे साथ हमारे घर मैं हर वक़्त रहती है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो उन्हें कोई तकलीफ़ होगी हमारे प्यार बहारे घर की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... हेरनी से मेरी तरफ देखते हो बोली देखो बेटा मैं नहीं जानती की क तुम क्या चाहते हो और कयुँकि लेकिन एक बात जो मैं जानती हूँ और जहाँ तक समझ सकती हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो ये है की बेटा अब तुम कोई बचे नहीं रहे बड़े हो गये हो और अब तो गावँ से निकल के बड़े शहरों मैं जाते हो पढ़ने के लिए तुम्हे तो हम से ज़्यादा इस बात का पता होना चाहिए . [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये दुनिया किसी को भी अपनी मर्ज़ी और आज़ादी से जीने नहीं डटी है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बड़ी ज़ालिम है ये दुनिया बेटा और इतना बोल के खड़ी हो गई और इस से पहले की मैं कुछ बोलता रूम से निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी के जाने के बाद मैं अम्मी से हुयी बातों को सोचने लगा और पता नहीं कयूं मेरा दिल गवाही देने लगा की अगर मैं थोड़ी सी हिम्मत करूँगा तो अम्मी के साथ जो मर्ज़ी कर लूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो मुझे मना नहीं करेगी और ये सोच ऐसी थी की मेरा पूरा जिस्म अंजनी सी ख़ुशी और मज़े से लर्ज़ उठा और मैने फ़ैसला कर लिया क चाहे कुछ हो जाए मैं कोशिश ज़रूर करूँगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं इन ख्यालों मैं ही गुम था की फ़रीदा बाजी मेरे रूम मैं आ गई खाना ले कर लेकिन बाजी का सर झुका हुआ था और वो मेरी तरफ नहीं रही थी और मैं था की बाजी को ऊपर से नीचे तक घूर रहा था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर बाजी खाना हाथ मैं पकड़े खड़ी रही और फिर फंसी हुयी से आवाज़ मैं बाजी बोली ,,[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो भाई खाना खा लो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बड़े रूखे से अंदाज़ मैं कहा की खाना लाई हो मेरे लिए [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आप को तो मेरे लिए कोई ज़हर लाना चाहिए था की जिसे खाके मैं मर सकूँ कयुँकि जो इल्ज़ाम अपने मुझ पर और अपनी बड़ी बहिन लगाया है उसके बाद तो हमारा ज़िंदा रहना भी जायज़ नहीं रहा .[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रीदा बाजी ने अपना झुका हुआ सर उठाया तो मैने देखा की उनके होंठ लहरा रहे थे और आँखें थी की खुदा की पनाह पता नहीं बाजी को कितनी मुश्किल हो रही थी अपने आँसू रोकने मैं और बाजी की आँखों से लग रहा था की पता नहीं कब से रोती रही हैं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कयुँकि बाजी की आँखें लाल हो रही थी उस वक़्त , बाजी की ये हालत देख के मेरा दिल पासीज गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और मैं जल्दी से चारपाई से नीचे उतार के बाजी के पास खड़ा हो गया और उनके हाथ से खाना ले के चारपाई पे रखा और बाजी से कहा बाजी आप जाओ और हाथ मुँह धो लो, [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]देखो तो क्या हालत बना रखी है अपने अपनी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने एक बार फिर से मेरी तरफ देखा और फिर कुछ बोले बिना ही तेज़ी क साथ रूम से निकल गई तो मैं फिर से चारपाई पे बैठ गया और खाना खाने लगा और साथ ही फ़रीदा बाजी की हालत पे ध्यान देने लगा तो मुझे एहसास हुआ की फ़रीदा अपने किए पे इतनी शर्मिंदा है की बेचारी मैं अब इतना होसला भी ना बचा क वो किसी क सामने आँख उठा के बात भी कर सके[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर मैने खाना ख़तम किया ही था की फ़रज़ाना रूम मैं आ घुसी और आते ही बोली [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई अपने ने क्या बोला मेरी इतनी प्यारी सी बाजी को . वो रात को भी रोती रही हैं और अभी आप के रूम से भी रोती हुयी निकली हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फ़रज़ाना की तरफ देखा जो की सीना ताने मेरे सामने खड़ी थी और उस का ये अंदाज़ , मेरे अंदर के शैतान को जगाने लगा तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने जल्दी से कहा ज़्यादा बताईं नहीं करो और ये बर्तन उठा के ले जाओ और जा के अपनी बाजी फ़रीदा से खुद ही पूछ लेना की मैने उन्हें कुछ कहा है या नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना मुझे बुरी तरह घुरती हुयी बर्तन उठा के चल दी और दरवाजे मैं जा के खड़ी हो गई और बोली देख लेना भाई अगर आप ने बाजी को कुछ बोला होगा ना तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं आप को छोडूंगी नहीं [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी उस को देखते ही मज़ाक मैं कहा यार तुम ऐसा करो की मुझे अभी पकड़ लो बाद मैं अपनी बाजी से पूछ के भी तो मुझे ही पकड़ोगी ना और तो कहीं ज़ोर चलता नहीं है न तुम्हारा बस एक मै ही हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना मुझे घूरती हुयी बर्तन ले के चली गई तो मैं अपने आप पे लानत करने लगा की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आख़िर मुझे ये होता क्या जा रहा है की मैं अपनी बड़ी बहिन के साथ तो जो कर ही चुका था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मना की ग़लत था लेकिन वो हो चुका था और अब मैं अपनी अम्मी और बहनों को भी अपनी गंदी नज़रों से देखने लगा था जिस क लिए मेरा मुर्दा ज़मीर मुझे लानत करने लगा[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर 2 3 दिन इसी तरह अम्मी के साथ ही हल्का फूलका मज़ाक करते हो गुज़र गये जिस ,मैं मैं कभी बैठ हुयी हो अम्मी के साथ चिपक के बैठ जाता और कभी उनके जांघों पे सर रख के बातें करने लगता और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कभी मोका मिलता तो उनकी की गांड को भी टच करने की कोशिश करता और जब मैं ये सब करने की कोशिश करता तो मेरा लण्ड मेरे कंट्रोल मैं नहीं रहता और खड़ा हो जाता [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिसे मैं अब छुपाने की कोशिश भी नहीं करता रात को मैं ऊपर चला जाता सोने की लिए तो बाजी भी ऊपर ही सोने आती [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ थोड़ी देर गप सप के बाद हम सो जाते इसी तरह 4 दिन गुज़र गये और 5वेन दिन जब शाम को बाजी घर आयी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बड़ी खुश नज़र आ रही थी और मुझे लग रहा था की जेसे बाजी के पावं खुशी के मारे ज़मीन पे ना लग रहे हैं [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर रात को जब बाजी सोने क लिए ऊपर आयीं तो मैं .आँखें बंद किए लेटा हुआ था बाजी ने आते ही मुझे हिला दिया और जेसे ही मैने अपनी आँखें खोली तो बाजी ने मुझे एक किस करी और फिर बाजी ने कहा भाई जान तुम ने कल खेतों पे आना है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी की तरफ देखा और ज़रा नाराज़गी का इज़हार करते हुए बाजी को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की कयुँकि बाजी मेरे ऊपर ही गिरी हई लेट गई थी और बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा वहाँ क्या काम बाजी ने हंसते हो कहा ये तो जब तुम आओगे तब ही बताउंगी की मुझे क्या काम है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हारे साथ खेतों मैं और मेने अपना प्यार के लिये तुम्हें पाने के लिये... बो सब कुछ कर दिया भाई जान... फिर से एक किस करने के बाद अपनी चारपाई पे जा के लेट गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो की अब मेरी चारपाई से ज़रा फ़ासले पे बिछा करती थी और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी के जाते ही हैरान होक सोचने लगा की आख़िर ऐसी क्या बात है जो बाजी अभी नहीं बता रही है और खेतों मैं आने को बोल रही है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बड़ी मुश्किल से रात गुज़री और सुबह किसी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली तो देखा की बाजी ही थी जो मुझे उठा रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने जल्दी से अपनी आँखें खोली और बाकी की तरफ देखा तो बाजी ने आहिस्ता से कहा की 9 बजे के बाद ही आना खेतों मैं कहीं ये ना हो की अभी भागते निकल पडो. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात को समझ तो गया लेकिन पूरी तरह नहीं लेकिन फिर भी मैने हाँ मैं सर हिला दिया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने कहा की अभी मेरे जाने के बाद तुम भी नीचे आ जाना और अपने रूम मैं सो लेना जितना सोना है और इतना बोल के मेरी गालों पे किस किया और नीचे चली गई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के जाने के कोई 7 8 मिनट के बाद ही मैं भी उठा और नीचे की तरफ चल दिया और अपने रूम मैं आ के लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन अब नींद नहीं आ रही थी तो मैं ऐसे ही इधर उधर करवट बदलता रहा लेकिन उठा नहीं जब तक अम्मी ने मुझे उठ के नाश्ता करने क लिए बोला नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उठा और बाहर बने गुसलखाने मैं नहाने चला गया और अच्छी तरह नहा के वापिस आया तो अम्मी ने मुझे कहा बेटा तुम ऐसा करो की रूम मैं ही बैठो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अभी थोड़ी देर मैं नाश्ता लाती हूँ तो मैं भी बिना कुछ बोले रूम मैं आ के बैठ गया और नाश्ते का इंतजार करने लगा जो की अम्मी ही लाई और मेरे सामने रख दिया तो मैने अच्छी तरह पराठों के साथ रात की बची हुयी सब्ज़ी और साथ मै ताजे मख़्कन का जा झूब जम के नाश्ता किया और फिर लस्सी पी के बर्तन साइड मैं कर दिए तो अम्मी ने कहा बेटा आज क्या बात है तुम बस खामोशी से नाश्ता ही करते रहे कोई बात नहीं की मेरे साथ सब ठीक तो है ना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की तरफ देखा और मुस्कुरा के बोला जी अम्मी सब ठीक है बस भूख बड़े ज़ोरों की लग रही थी जिस वजाह से नाश्ते मैं मगन होके[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आप से कोई भी बात नहीं कर सका[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी खुश हो गई और बोली क्या और बनाऊं नाश्ता तेरे लिए अगर भूख अभी भी लग रही हो तो , मैने इनकार मैं सर हिला दिया और बोला नहीं अम्मी अब गुज़ारा हो गया और वेसे भी अभी खेतों की तरफ निकलूंगा तो तरबूज़ खा लूंगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के लिए भी तो थोड़ी जगाह बचा के रखनी है की नहीं तो अम्मी मेरी बात सुन के हंस दी और बोली विकी तू ना अब दिन बे दिन शैतान होता जा रहा है पहले तो ऐसा नहीं था क्या बात है हूउऊउन्न्ं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ नहीं अम्मी बस अब पहले से ज़रा ज़्यादा बड़ा हो गया हूँ ना तो अब बताईं और काम भी बड़े करने को दिल चाहता है इस लिए आप को लग रहा है की मैं बदल गया हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी मुझे अजीब नज़रों से देखती हुयी बर्तन ले क चली गई तो मैं भी वापिस लेट गया और 9 बजने का इंतज़ार करने लगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस मैं अभी इतना भी टाइम नहीं बचा था और तब तक मैं बाजी की बातों पे जो रात हुयी थी गौर करता रहा और सोचता रहा की आख़िर बाजी ने मुझे खेतों मैं कयूं बुलाया है की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी मेरे दिमाग मैं बिजली की तरह एक ख्याल आया की कहीं बाजी ने अबू के साथ भी अपना काम कर तो नहीं लिया क्यंकि बाजी कह रही थी तुम्हें पाने की लिये.. मेने वो कर लिया ...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये ख्याल बड़ा ही फरहत अंगीज़ था मेरे लिए कयुँकि इस से अबू की हममे कोई पेशानी नहीं रहती और मेरा जब भी दिल करता मैं बाजी के पास खेतों मैं जा सकता था और बाजी के साथ जी भर के मज़े कर सकता था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर 9 बाज ही गये और मैं उठ के घर से निकल पड़ा खेतों की तरफ और जब मैं खेतों मैं पहुंच तो देखा की अबू और फरी बाजी एक साथ ट्यूब वेल मैं नहा रहे थे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और एक दूसरे पे पानी भी उछाल रहे थे और जब अबू की नज़र मेरे ऊपर पड़ी तो वो जेसे ख़ासिया से गये और फरी से थोड़ा हटके नहाने लगे तो बाजी ने मेरी तरफ्र देखते हो कहा भाई तुम भी आ जाओ ना देखो कितना मज़ा आ रहा है नहाने मैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने हाँ मैं सर हिलाया और रूम की तरफ चल दिया जहाँ से मैने फरी का दुपटा उठाया तो देखा की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसमें उसकी काली ब्रा भी दुपते के साथ ही चारपाई पे पड़ी हुयी है तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं समझ गया की फरी अभी अबू के साथ बिना ब्रा के ही पानी मैं नहा रही है तो मैने भी कपड़े उतार दिए और फरी बाजी के दुपट्टे की लूँगी बाँध ली और बहार आ के पानी मैं घुस गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक अबू मेरे साथ नज़र नहीं मिला पा रहे थे लेकिन मैने उन की तरफ ना तो तंज़िया निगाहों से देखा और ना ही कुछ ऐसा शो किया की जैसे मैं उन्हें अजीब सी निगाहों से देख रहा हूँ बस नॉर्मल जेसे रूटीन मैं बात करते हैं हम बाप [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बेटा वैसे ही बातें और हँसी मज़ाक करते और एक साथ नहाते रहे तो अचानक मैने देखा की अबू को फरी ने कुछ इशारा किया तो अबू जल्दी से बोले [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हाँ विकी याद आया तुम लोग नहाओ मुझे ज़रा साथ के खेतों मैं काम है मैं वहाँ से हो के अभी आता हूँ और बहार निकल कर अपनी क़मीज़ उठाई और पहन के चले गये [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बाजी ने मेरी तरफ देखा और बोली की भाई रूम मैं बैठ के बातें करते हैं या फिर यहीं इरादा है बातों का[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी फरी बाजी की तरफ देखा और फिर उन का हाथ पकड़ लिया और बोला रूम मैं ही चलते हैं और बाजी के साथ पानी से निकल के ट्यूब वेल को बंद किया और रूम की तरफ चल पड़ा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रूम मैं आया तो बाजी खड़ी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी तो मैं भी बाजी के पास गया और बोला बाजी अबू को आप ने कहाँ भेजा है तो बाजी ने कहा की भाई अबू के सामने ही करना था क्या[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुन के मैं हंस दिया और बोला नहीं यार बाजी ये बात तो नहीं है बस वेसे ही पूछ रहा था की कहीं हम मज़ा कर रहे हूँ तो अबू ही ना आ . हमारी गांड फाड़ने को[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी भी हंस दी और बोली ज़्यादा बात नहीं करो बस इतना याद रखो की[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगर अबू आ भी गये तो वो बाहर ही रहंगे रूम मैं नहीं आएंगे जब तक हम बाहर नहीं निकलेंगे अब आयी बात समझ मैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात को मैं पूरी तरह समझ गया और इसके साथ ही बाजी को पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा और साथ ही अपने हाथों से बाजी की क़मीज़ को पकड़ के ऊपर करने लगा तो बाजी किस करना छोड़ के पीछे हटी और अपनी पानी से भीगी क़मीज़ उतार के साइड पे रख दी और फिर से [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे साथ चिपक गई और किस करने लगी तो मैं भी अब बाजी को किस करते हो उनके बूबस को भी अपने हाथों से प्रेस करने लगा और सहलाने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे जैसे मैं बाजी फरी के बूबस को मसलता वेसे ही बाजी को किस करने मैं दिक्कत आती जा रही थी और वो मेरी ज़ुबान को अपने मुँह मैं भर के बड़ी शिदत से चूसने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और मुझे अपनी तरफ भींचने लगी थोड़ी देर तक हम दोनो बहिन भाई एक दोसरे से लिपटे किस करते रहे और बूबस को मसलता रहा और फिर [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी को अपने से अलग किया और अपनी लूँगी जो की बाजी का ही दुपटा था खोल दिया और अपनी बहिन के सामने नंगा हो गया तो फरी मेरे फुल हार्ड लण्ड को थोड़ी देर तक देखती रही और फिर आगे बढ़ के मेरे क़दमों मैं बैठ गई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और मेरा लण्ड अपने हाथ मैं पकड़ के मेरी तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी और फिर बाजी ने अपना मुँह मेरे लण्ड के नज़दीक किया और आहिस्ता से अपने लिप्स को खोला और मेरे लण्ड के कॅप पे एक किस कर डाली [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के इस अंदाज़ से जैसे मेरा सारा जिस्म काँप सा गया और मैं आअहह बाजिीइईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या कर रही हो अच्छे से करो ना तड़पाव नहीं पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ तो बाजी हल्का सा मुस्कुरई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर से अपना मुँह खोला और मेरे लण्ड के सुपडे को मुँह मैं भर के आहिस्ता से चूस (जैसे क हम कोई कुलफी या आइस क्रीम को चूस्ते हैं) और मेरी तरफ देखने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मैं क्या बोलता कनकी उस वक़्त मुझे इतना मज़ा आ रहा था की बता नहीं सकता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक बाजी मेरे लण्ड और गोलियों को बरी बरी चुस्ती और अपने हाथों से सहलाती रही और मैं आअहह बाजिीइईईई चूसो अपने भाई का लण्ड पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बाजी मज़ा आ रहा है बाजिीइईईईई ऊऊहह [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या मज़ा है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी जान उनम्म्मह की आवाज़ करते करते मेरा जिस्म अकड़ने लगा तो मैं समझ गया की अब मेरा पानी निकालने वाला है की तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ की मैने अपने दोनो हाथों से बाजी का सर पकड़ लिया और अपने लण्ड को अपनी बड़ी बहिन के मुँह मैं अंदर बहार करने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बाजी अपने आप को मुझ से छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी और तभी मैं 6 7 झटकों मैं ही अपनी बड़ी बहिन के कोमल मुँह मैं ही अपना पानी छोड़ के शांत हो गया और लण्ड बाजी के मुँह से बाहर निकल लिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब जब मैं शांत हो गया और बाजी की तरफ देखा तो वो बड़े गुस्से से मेरी तरफ देख रही थी मेरा पानी जो की सारा उनके हलाक़ मैं ही गिरा था लेकिन कुछ बाहर उनके होठों और नाक पे भी लगा हुआ था तो मैं बाजी के पास नीचे ही बैठ गया और अपनी फिंगर से उन की नाक और होंठ पे लगे पानी को सॉफ कर के अपनी फिंगर बाजी के मुँह मैं डाल दी जिसे बाजी चूस के सॉफ कर दी और जब मैं अपनी फिंगर निकालने लगा तो बाजी ने मेरी फिंगर पे काट लिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सस्सीईईईई की आवाज़ के साथ जब मैने अपनी फिंगर बाजी के मुँह से बाहर निकली तो बाजी हंस पड़ी और बोली की भाई मज़ा आया अब पता चला की किसी के साथ ज़्यादती नहीं करनी चाहिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी की तरफ देखा और बोला चलो कोई बात नही आप ने ने काट लिया अब मेरी बारी लेकिन मैं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ काटूंगा वहाँ आप को बहुत जियादा दर्द होगा सोच लो तो बाजी ने जल्दी से कहा नहीं भाई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सॉरी यार मैं अब दोबारा ऐसा नहीं करुँगी तो मैं हंस दिया और बोला बाजी बस इतना ही होसला था क्या तो बाजी ने कहा भाई तुम बड़े कामीने हो जीतने भोले बनते हो उतने हो नही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी को खड़ा किया और उनकी सलवार उतार के चारपाई पे लेटने के लिए बोला तो बाजी खड़ी हो गई और अपनी सलवार जो की गीली होने की वजाह से अब मिटी से गंदी भी हो चुकी की थी उतार के चारपाई पे लेट गई और मेरी तरफ देख के मुस्कुरई और अपनी टांगों खोल दी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जेसे ही बाजी ने अपनी टाँगों को खोला तो बाजी की दोनो जांघों क दरमियाँ छूट का पिंक सोराख देख के मेरा लण्ड जो की अब बैठ चुका था फिर से झटके ख़ाता हुए खड़ा होने लगा तो मैं मुस्कुराता हुआ बाजी के चूत के पास जाके नीचे बैठ गया और अपने दोनो हाथों से बाजी की दोनो पैरों को फैला दिया अच्छी तरहऔर फिर अपना बाजी की चूत के पास ले जा के अपनी ज़ुबान बाहर निकली और आहिस्ता से बाजी की चूत के लीपस मैं घूमने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही मेरी ज़ुबान बाजी की चूत पे टच हुयी तो बाजी का पूरा जिस्म जैसे हिल सा गया और बाजी के मुह से सस्स्सिईईईईईईईईई आअहह की हल्की सी आवाज़ निकल गई और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने अपनी गांड को भी थोड़ा सा सेट किया जिस से बाजी की चूत मेरे सामने पूरी तरह ओपन हो गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के इस तरह चूत सेट करते ही मैने अपनी ज़ुबान को बाजी की चूत मैं किसी हल की तरह चलाने लगा और अंदर घुसने की कोशिश करने लगा तो बाजी मचलने लगी और मेरा सर पकड़ के अपनी चुत पे दबाने लगी और साथ ही आअहह विकिईईईईईई उनम्म्ममह मेरिइईईईईई जान खा जाओ अपनी बहिन की चुत कूऊऊऊऊऊऊ ऊऊओह विकी मेरे भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या जादू है तेरी ज़ुबान मैं मेरे भाई नममह ऊऊहह भाईईईईईईईईईईईईईईईईई पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ थोडा अपनी ज़ुबान को अंदर घुसा क चतो भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई आअहह मैं गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई की गरम और सेक्सी आवाज़ैईन करने और मेरा सर अपनी चूत पे दबाने लगी की तभी फरी बाजी के जिस्म को हल्के झटके लगना चालू हो गये और बाजी की चूत ने हल्का गरम और नमकीन गढ़ा पानी निकलना शरू कर दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिसे मैने अच्छे से चाट क सॉफ का दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के फारिघ् होने के बाद मैं उठा और बाजी को भी उठा दिया और खुद बाजी की जगह चारपाई पे सीधा हो के लेट गया और बाजी की तरफ देखते हो बोला बाजी क्या आज अपने भाई के लण्ड की सवारी नहीं करोगी[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन के हंस पड़ी और बोली कयूं नहीं भाई और चारपाई पे चढ़ के अपनी दोनो टाँगों को मेरे दोनो तरफ करके और फेस मेरी तरफ करके नीचे झुकी और मेरा लण्ड अपने हाथ से पकड़ के अपनी चूत के सोराख पे सेट किया और आहिस्ता से अपनी चूत को नीचे की तरफ दबाने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे जैसे बाजी नीचे बैठती जा रही थी मेरा लण्ड मेरी बड़ी बहिन की चूत मैं गायब होता जा रहा था जिस का मुझे बहुत मज़ा आ रहा था अब बाजी जब आराम से मेरे लण्ड को पूरा अपनी चूत मैं घुसा के बैठ गई तो हल्का सा आगे पीछे अपनी चूत को हिलने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस से मेरा लण्ड मुझे ऐसे मदहोश हो रहा था के बाजी की चूत की और गहराइयों मैं जाना चाह रहा हो लेकिन उस के बस मैं ना हो जिस की वजाह से मेरा लण्ड मज़े से तड़पने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे बेचैन होता देखके बाजी हल्का सा मुस्कुरई और बोली कि भाई क्या हुआ बर्दाश्त नहीं हो रहा क्या तो भी बाजी से मज़ाक करते हो बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हाँ साली कुत्तिया जिस की तेरे जैसी गश्ती बहिन हो उस का भला और होगा भी क्या तो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन के पता नहीं , लेकिन मुझे लगा की मज़े से सिसकी हो और अपनी गांड को अब हल्का सा ऊपर उठा के फिर से नीचे बैठने लगी तो साथ ही हल्का सा अपनी चूत को ज़ोर से मेरे लण्ड पे घिसती भी जाती[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई 3 4 मिनट तक हम दोनो ऐसे ही मस्ती करते रहे तो बाजी मेरे लंड से खड़ी हो गई तो मेरा लूँ,द बाजी की चुत से पूकक्चहाआक्कककककक की आवाज़ क साथ बाहर निकल आया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने कहा भाई अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा तुम ऊपर आ जाओ मैं तुम्हारी जगह लेट जाती हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात मान के उठ गया और बाजी के लेटते ही बाजी की टाँगों को पूरा खोल के ऊपर की तरफ उठा दिया और एक ही झटके से अपना लंड बाजी की चुत मैं उतार दिया और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही लंड घुसा बाजी के मुह से सस्स्स्सिईईईईईईईईईईईईईईई उंन्नमममह की हल्की आवाज़ निकली तो मैने अपना लंड बाजी की चुत से पूरा कॅप तक बाहर खींच के फिर से झटका लगाया तो बाजी आअहह विकिईईईईईईईईईईई मेरे भाईईईईईईईईईईईईईईई हाआंन्ननणणन् इसी तरह चोदो पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बहुत मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उनम्म्मह [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]विकी मेरे भाई फाड़ डालो अपनी बहिन की चुत को पूरा घुसा के चोदो मेरिइईईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ करने लगी और साथ ही अपनी गांड को भी पूरा उछाल के मेरे लंड पे मरने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की इन सेक्स और मज़े से भारी आवाज़ों ने मुझे जोश मैं भर दिया और मैं अपनी पूरी ताक़त से अपनी बड़ी बहिन की चुत मैं अपना मोटा लंड किसी डंडे की तरह चलाने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बाजी भी पूरी जान से काँपने लगी और मुझे लीपेटने की कोशिश करने लगी और आअहह भाईईईईईईईईईईईईईईई मेरा होने वाला हाईईईईईईईईईईई मेर जान और तेज़ चोदो भाईईईईईईईईईईईईईईई फाड़ डालो अपनी बहिन की चुत को उनम्म्मह की आवाज़ के साथ मुझे तेज़ चुदाई के लिए उकसाने लगी और फिर जुब मैं भी अपने माल गिराने के नज़दीक आया तो अचानक बाजी के मुह से ऊऊहह भाईईईईईईईईईईईईईई की तेज़ आवाज़ निकली और फिर बाजी क जिस्म को हल्का झटका लगा और बाजी का जिस्म अकड़ सा गया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी बाजी की चुत मैं घुसे मेरे लंड पे मुझे बाजी का गरम गरम पानी गिरता महसूसहुआ तो जैसे मेरी सारी जान ही निकल गई और मैं भी हंपते हो ऊऊहह बाजिीइईईईई मैं भी गया ग्याआआआ की आवाज़ के साथ ही बाजी के बाद बाजी की चुत मैं फारिघ् हो के बाजी के ऊपर ही गिर गया और लंबी साँसाइन लेने लगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक जब हम इसी तरह एक दूसरे के ऊपर पड़े हंपते रहे तो बाजी ने मेरा सर जो की बाजी के कंधों पे टीका हुआ था ऊपर उठाया और[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी आँखों मैं झँकते हुए एक किस की मेरे होठों,पे की और और फिर बोली विकी ई लोवे योउ सारी ज़िंदगी बस ऐसे ही अपनी बहन को प्यार करते रहना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी बाजी की तरफ देखते हो कहा बाजी आप ही तो वो हस्ती हो मेरी ज़िंदगी मैं जिस ने सही से मुझे जीना सिखाया है भला मैं आप को किस तरह अपने से दूर कर सकता हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस के बाद बाजी ने मुझे कहा चलो अब उठो और जा के ट्यूब वाले चलाओ मैं अभी कपड़े पहाँ के आती हूँ फिर अबू के आने से पहले हम नहाने से भी फारिघ् हो ही जायं तो अच्छा ही है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने हंसते हो बाजी की तरफ देखा और बोला क्यूं बाजी आप तो बोल रही थी की अबू की टेन्सन नहीं लो लेकिन अब खुद ही घबरा भी रही हो क्या अबू के साथ अभी पूरी तरह सेटिंग नहीं हुयी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मुझे अपने ऊपर से धक्का दे के हटती हुयी बोली विकी तुम बहुत ज़्यादा बदमाश होते जा रहे हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यार कुछ शरम भी होती है इंसान मैं और किसी का लिहाज़ भी रखना पड़ता है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जाओ अब तुम यहाँ से और ट्यूब वाले चलो तब तक मैं भी आती हूँ नहाने के लिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबकी बार मैं उठा और बाजी बही दुपट्टे की ही लुगी बँधी और और बाहर निकल आया और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ट्यूब वाले चला के अभी पानी मैं घुसा ही था की अबू भी आ गये जिन्हें देखते ही मेरी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नज़र शरम से झुक गई और मैने अपना मूह दूसरी तरफ घुमा लिया और नहाने लगा की तभी बाजी भी अपने गीले और माटी से लिपटे कपड़े पहाँ के बाहर आ गई और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू को देखते ही बोली अरे अबू आप कब आए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने फरी को छोड निगाहों से ऊपर से नीचे तक देखा और बोले बस बेटी अभी आया हूँ क्यूं की अभी तुम्हारी अम्मी या फ़रीदा भी हो सकता है की आ जायं दोपहर का खाना ले कर इस लिए मैं खुद ही आ गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी अबू की बात सुनके मुस्कुरा दी और बोली चलो ठीक है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू मैं भी ज़रा नहा लूं और फिर कपड़े भी बदली कर लेती हूँ ये तो काफ़ी गंदे हो गये हैं और हहहे करती मेरे साथ ही पानी मैं आ घुसी और नहाने लगी तो साथ ही अबू के सामने जो की अब बाहर पड़ी चारपाई पे बैठे हुमारी तरफ ही देख रहे थे छेड़ने लगती जिस से मैं शरम से पानी पानी होने लगता लेकिन फरी थी क उसे तो जैसे किसी बात की जैसे परवा ही नहीं थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं जल्दी से नहा के बाहर निकला और अबू से नज़र चुरता हुआ रूम मैं जा घुसा जहाँ मैने अपने कपड़े पहाँ के बाजी का दुपटा उतार दिया और वहीं चारपाई पे लेट गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर के बाद बाजी भी रूम मैं आ गई और मेरी तरफ देख के मुस्कुराते हुए अपने कपड़े बदली करने लगी तो मैने कहा यार बाजी थोड़ी तो शरम कर लो अबू भी बाहर बैठे हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुनके के बाजी ने कहा अगर तुम भी शरमाना छोड दो तो अच्छा है क्यूं की अब [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हुमारे और अबू के बीच कोई परदा नहीं बचा है की जिस से हम शरमाते फिरें क्या समझे भाई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने हाँ मैं सर हिला दिया और कुछ नहीं बोला तो फिर बाजी कपड़े तब्दील कर के मुझे चूमा देती हुयी बाहर चली गई और जाते हो बोली भाई बाहर ही आ जाओ कब तक यूँ परदादार बिबीयों की तरह अबू से चुप के रूम मैं ही बैठे रहोगे ये कोई अच्छी बात तो नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं कुछ नहीं बोला और सर झुका के बैठा रहा तो बाजी बाहर निकल गई रूम से तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं रूम मैं अकेला ही बैठा ये सोचता रहा की क्या मुझे बाहर जाना चाहिए[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू के सामने या फिर अभी मैं अपना मूह छुपा के यहाँ से खिसक लूं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था की तभी बाहर से अबू की आवाज़ आयी जो मुझे बुला रहे थे की खाना आ गया है चलो आ जाओ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब मैं रूम से बाहर आया तो मेरे सामने जो नज़ारा था वो कुछ यूँ था मेरी नज़र फ़रीदा पे पड़ी जो की बकरियों क पीछे भाग रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू और फरी भी मेरी नज़र को फ़रीदा के बूबस पे टीका महसोस कर रहे थे और इस से पहले की फ़रीदा मुझे इस तरह अपनी तरफ घूरता देखती अबू ने कहा चलो यार अब आ भी जाओ खाना नहीं खाना है क्या [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अबू की आवाज़ से चौंक उठा और जब बाजी फरी और अबू की तरफ देखा जो की हल्का सा मुस्कुरा भी रहे थे तो शर्मिंदा सा हो गया और अबू के सामने चारपाई पे जा बैठा तो उस की बाद हम तीनो ने मिल के खाना खाया और खाने के बाद मैने जब [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रीदा क साथ ही घर जाने का बोला तो अबू ने कहा यार ज़रा ठहरो बात करनी है मैने तुम्हारे साथ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अबू की बात सुनके के वहीं रुक गया तो फ़रीदा बर्तन उठा के वापिस घर को चल दी तो अबू ने बाजी की तरफ देख के कुछ इशारा किया तो बाजी ने कहा विकी ज़रा मेरे साथ तो आना [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिना कुछ बोले बाजी के साथ चल दिया तो अबू से ज़रा फ़ासले पे आ के बाजी ने मुझे घूरते हो कहा विकी तुम्हें क्या हो गया था फ़रीदा को देख के अगर उसे पता चल जाता तो वो तमाशा बना देती पता है ना पहले भी उसी ने हमें ज़लील करने की कोशिश की थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुनके के मैं चुप हो गया और कुछ नहीं बोला तो बाजी ने कहा देखो भाई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं ये नहीं कहती के तुम सिर्फ़ मेरे साथ ही बँधे रहो ये तुम्हारी अपनी ज़िंदगी है जिस तरह मुझे अपनी पसंद के मुताबिक़ लाइफ मैं एंजाय का हक़ है तुम भी लाइफ एंजाय करो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन ज़रा देख भाल के मेरे भाई कहीं अपने साथ साथ सात तुम मुझे और अबू को भी ना मरवा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]देना समझे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने हाँ मैं सर हिला दिया और बोला ठीक है बाजी आप लोगों तक कोई बात नहीं आएगी लेकिन जिस ने मुझे ज़लील करने की कोशिश की थी मैं उसे भूल नहीं सकता मैं बदला तो ज़रूर लूंगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने कहा देखो भाई अच्छा तो ये है की तुम सब कुछ भूल के मज़े करो जो होना था हो गया और अब तो अबू की भी कोई फिकर नहीं है हमें [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो दफ़ा करो उसे अब क्या रखा है इन बातों मैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की तरफ देख के हंस दिया और बोला ठीक है बाजी मैं भला आप की बात किस तरह मना कर सकता हूँ आपे मुसे बहुत प्यार है ....(लेकिन दिल से मैने पूरा इरादा कर लिया था की अगर मोका मिला तो फ़रीदा से बदला ज़रूर लूंगा)[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुनके के बाजी भी खुश हो गई और बोली चल ठीक है तो अब अगर तुम ने घर जाना है तो जाओ लेकिन कल से रोज़ाना आ जाया करना ओक तो मैं भी हंस दिया और बोला ठीक है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मैं आ जाया करूँगा, अब खुश और हंसता हुआ घर की तरफ चल दिया[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर आ के मैं आराम करने के लिए अपने रूम मैं जा घुसा तो देखा की वहाँ फ़रज़ाना अपनी सहेली बिल्लो के साथ बैठी गप्पे हांक रही थी और मुझे देखते ही खड़ी हो गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और बोली वो भाई आप यहाँ थे नहीं तो हम यहाँ आप के रूम मैं आ के बैठ गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो को इशारा करते हो बोली चल बिल्लो हम साथ वाले रूम मैं बैठ जाते हैं यहाँ अब भाई आ गया है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो मेरी तरफ देख क हल्का सा मुस्कुरई और बोली क्यूं विकी जी आप को हुमारे यहाँ बैठने से कोई मसाला तो नही है ना[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो की तरफ देख के हल्का सा मुस्कुरा दिया और फ़रज़ाना की तरफ देख के बोला यार ,यहाँ ही बैठ जाओ अगर तुम इसे यहाँ से ले गई तो कहीं तुम्हारी ये सहेली नाराज़ ही ना हो जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो मेरी बात से थोडा हेरान हुयी और बोली लगता है की हुमारे विकी साहब को भी शहर का पानी लग गया है फ़रज़ाना देख तो ज़रा कल तक जो किसी से बात करते हो भी घबराता था आज किस तरह बातें कर रहा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना .तो तुम क्या समझी थी की मेरा भाई अब सारी ज़िंदगी ऐसे ही भोला और बुज़दिल ही रहता[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो.... अरे नहीं मेरी जान मैं तो खुश हूँ की अब तुम्हारा भाई भी दुनिया मैं आ गया है लेकिन अब देखना ये है के विकी साहब अभी कहाँ तक इस दुनिया को समझ सके हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... बिल्लो एक बात तुम समझ लो के मैं अब तुम से ज्यादा दुनिया को समझने लगा हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो... लगता है फ़रज़ाना अब हुमारी विकी के साथ खूब बनेगी क्यूं की विकी अब लगता है की [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सब कुछ समझ जा रहा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना.... चल छोड ना यार किन बातों मैं उलझ रही हैऔर भाई आप ये बताओ की पानी लाएं आप के लिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... हाँ ले ही आऊ लेकिन ज़रा ठंडा लाना ये ना हो की पानी पिया ही ना जाए फ़रज़ाना के पानी के लिए जाते ही बिल्लो जो की अभी तक मेरी तरफ ही देख रही थी बोल पड़ी अच्छा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो विकी और सूनाओ वहाँ शहर मैं कोई दोस्ती भी किसी के साथ या युही सुखी पढ़ाई ही करते रहे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... अब हुमारी इतनी किस्मत कहाँ की कोई हुमारे साथ दोस्ती करे बस घूमना फिरना और पढ़ाई मैं ही टाइम निकलता है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो...(शरारत से) तुम्हें देख के लगता तो नहीं की तुम्हें ये सब किसी ने सिखाया ही ना हो जो नज़र आ रहा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... मुस्कुराते हो क्या नज़र आ रहा है ज़रा मुझे भी तो पता चले[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो... तुम्हें बताउंगी फिर कभी बाद मैं अभी फ़रज़ाना आने वाली होगी और उसके बाद इधर उधर की बातें करने लगी और फ़रज़ाना के आने के बाद थोड़ी देर और बैठी तो फिर ये कहती हुयी उठ खड़ी हुयी की अच्छा फ़रज़ाना अब मैं चलती हूँ घर पे भी कुछ काम है और निकल गई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो के साथ ही फ़रज़ाना भी चली गई लेकिन बिल्लो अपनी बातों और आँखों से ये एहसास ज़रूर दिला गई थी की अगर मैं हिम्मत करू तो मुझे एक और फुददी मिल सकती है और ये सोच मुझे और मेरे लंड को खुश कर गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाकी का दिन इसी तरह इधर उधर की बातों और आराम करने मैं गुज़र गया और रात को मैं ऊपर चला गया खाना खा के तो बाजी भी मेरे कोई 30,, मिनट के बाद ऊपर आ गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अपने बिस्तेर पे लेट गई तो मैने बाजी की तरफ करवट ली और बोला क्या बात है बाजी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आज बड़ी चुप हो आप बाजी मेरी तरफ देख के बोली क्यूं भाई क्या मुज़रा करवाना है अपनी बहन से और हल्के हंस दी तो मैने कहा यार बाजी अगर मेरा बस चलता ना तो आप की फुददी मैं डंडा घुसा के मुजरा करवाता [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी तरफ देख के बोली अच्छा जी तो ये इरादा है मेरे जान से प्यारे भाई का चलो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सुबह होने दो फिर देखोंगी की कितनी हिमत है मेरे भाई मैं और सीधी हो के लेट गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं समझ गया की बाजी मेरे आने के बाद अबू से भी चुदी होगी तो अब काफ़ी थकी हुयी है इस लिए सोना चाहती है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी अब बाजी को और ज़्यादा तंग नहीं किया और खुद भी सो गया क्यूं क मेरा इरादा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सुबह के लिए कुछ और ही था[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगली सुबह जब मैं सो के उठा तो देखा की बाजी जा चुकी है तो मैं भी रोज़ाना की तरह नीचे रूम मैं चला गया और सोने के लिए लेट गया तो मुझे नींद नहीं और मैं फिर से उठा और बाहर बरामदे मैं जा के चारपाई पे लेट गया और अम्मी फ़रीदा और फ़रज़ाना को नाश्ता और सफाई सुथराई के काम मैं लगा हुआ देखने लगा की[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी अचानक मेरी नज़र फ़रीदा की तरफ गई जो की अपनी क़मीज़ को आगे की तरफ बाँध के किचन के कामों मैं लगी हुयी थी की तभी फ़रीदा थोडा सा अपनी गांड को झुका के सेल्फ की सफाई करने लगी तो उस के इस तरह होने से उस की सलवार जिस मैं वो नाडा नहीं बाँधती थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बल्कि अभी तक एलस्टिक लगाती थी थोड़ी नीचे को झुक गई जिस से उस की टाइट सलवार मैं फँसी सेक्स गांड मुझे अजीब नशा देने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये नज़र देख क मेरा लंड खड़ा होने लगा और दिल मैं आया की क्यूं ना किसी तरह फ़रीदा के साथ भी अगर सेटिंग हो जाए तो मज़ा ही आ जाए [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन अभी ऐसा होना मुमकिन नज़र नहीं आता था तो मैं एक ठंडी आअहह भर क रह गया की तभी अम्मी ने कहा विकी बेटा क्या बात है अभी तक तुम नाहे नहीं कब से उठ क नीचे आ चुके हो तुम[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अम्मी की आवाज़ सुनके के उठा और बात रूम मैं जा घुसा और फ्रेश हो के आया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी ने ही मुझे नाश्ता दिया और बोली तो बेटा आज कल अपने अबू के पास खेतों मैं ही रहने लगे हो ज़्यादा टाइम क्या घर पे दिल नहीं लगता [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अम्मी की तरफ देख हंस दिया और बोला क्यूं अम्मी कल दोपहर तक मैं खेतों से आ गया था और अभी तक कहीं भी नहीं गया इस तरह तो ज़्यादा वक़्त मैं घर पे रुकता हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी मेरी बात सुनके के हंस दी और बोली चलो अच्छा है बेटा अगर तुम खेती शीख ही लो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो क्यूं की हुमारे बाद ये सब तुम्हारा ही तो है और तुम्हें ही संभालना है हम कब तक तुम्हारे साथ रहंगे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की तरफ देखते हो कहा क्यूं अम्मी आप कहाँ जा रही हो अभी तो मैने आप को पूरी तरह ज़िंदगी का मज़ा भी देना है और आप हो की जाने की बात कर रही हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी मेरी बात से चौंक गई और बोली क्या मतलब बेटा मै समझी नहीं की तुम मुझे कों सा मज़ा देना चाहते हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं ज़रा संभालते हुए बोला अम्मी मैं ये बोल रहा था की अभी आप की उमर ही क्या है आप ने पूरी दुनिया घुमनी है मेरे और अबू के साथ फिर और भी बहुत से काम हैं आप के करने वाले तो फिर मैं भला आप को इतनी आसानी से कहीं जाने थोडा ही दूँगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी हंस पड़ी और बोली अरे पगले मैं भी इतनी आसानी से तुम्हें छोड के जाने वाली नहीं हूँ और साथ ही मेरे सर पे किस कर दिया (इन बातों के दोरान मैं नाश्ता भी करता रहा था और फिर जब मैने नाश्ता ख़तम किया तो अम्मी बर्तन उठा के ले गई तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी उठ खड़ा हुआ खेतों मैं जाने के लिए मैं घर से निकला और जल्दी से खेतों की तरफ चल दिया और जब मैं खेतों मैं पहुँचा तो अबू और बाजी आज चारा काट चुके थे जल्दी ही और अब नहाने की तैयारी कर रहे थे ( क्यूं क चारा काटने और कुतरने के दौरान बदन मट्टी से लस जाता है )[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे आता देख के बाजी मुस्कुराती हुयी अबू से बोली लो अबू देख लो आप का बेटा आज कितने टाइम से आ गया है खेतों पे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने कहा क्यूं नज़र लगा रही है मेरे बच्चे को और मेरे उन के पास पहुंचते ही अबू ने कहा चल बेटा आ जा तो भी नहा ले हुमारे साथ ही[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अबू को मना कर दिया की नहीं अबू मैं अभी घर से ही नहा के आ रहा हूँ आप लोग नहा लो मैं वहाँ चारपाई पे बैठा हुआ हूँ तो बाजी अबू से बोली चलो अबू आप ट्यूब वाले चलाओ मैं ज़रा कपड़ों का कुछ कर के आती हूँ और रूम की तरफ चल दी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी जब रूम से बाहर आयी तो उस ने अपने कपड़े उतार के अपना एक बड़ा सा दुपटा अपने जिस्म पे लपेट रखा था और आते ही मुझे देख के आँख मारती हुयी अबू के पास चली गई और पानी के नीचे घुस गई और नहाने लगी क्यूं की पानी काफ़ी ताक़त से गिर रहा था तो जब बाजी पानी के नीचे से निकालने लगी तो बाजी के जिस्म पे जो दुपटा बाजी ने बाँध रखा था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने बूबस के पास असल मैं बाजी ने बँधा नहीं था बस फँसाया हुआ था जो की पानी की स्पीड और ताक़त से खुल गया और नीचे पानी मैं गिर गया जिस से बाजी एक दम हम दोनो बाप बेटे के सामने नंगी हो गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चादर खुलते ही अबू बाजी को नंगा देख के हंस दिए और बोले बेटी जरा मजबूती से बँधा करो कपड़े को पानी मैं काफ़ी ताक़त होती है तो बाजी ने जो की अपनी चादर उठा चुकी थी अब की बार बड़े आराम से बँधी और फिर से नहाने लगी और मैं बाहर बैठा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू के साथ नहाती अपनी बड़ी बहन को देखता रहा और अपना लंड सहलाता रहा जो फुल हार्ड हो चुका था[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक अच्छी तरह नहाने और अबू के साथ हल्की फुल्की बातों के बाद बाजी पानी से निकल के रूम की तरफ चल पड़ी और जैसे ही मेरे करीब आयी तो मुझे आँख के इशारे से रूम मैं आने को बोला[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी तो इशारा कर के रूम मैं चली गई लेकिन अबू अभी तक पानी मैं ही थे तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे समझ नहीं आ रही थी की मैं किस तरह फरी बाजी के पास जाओं रूम मैं लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था और ऊपर से अबू से शरम भी आ रही थी तो तभी बाजी की आवाज़ मेरे कनों मैं पड़ी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी रूम के दरवाजे से सिर्फ़ अपना सर बाहर निकल के झाँक रही थी और मुझे रूम मैं बुला रही थी तो मैं उठा और रूम की तरफ चल दिया और जब मैं रूम मैं इन हुआ तो बाजी वहाँ बिल्कुल नंगी खड़ी थी मेरी तरफ अपनी गांड कर के [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं आगे बढ़ा और बाजी को पीछे से ही जा के चिपक गया और बाजी की गर्दन पे हल्की सी ज़ुबान घमते हो बोला जी बाजी क्यूं बुला रही थी आप मुझे तो बाजी ने कहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]विकी मेरी जान अब इतने भोले भी नहीं बना करो क्या तुम्हें नहीं पता है की मैने क्यूं बुलाया है कुंकी मै तेरे बिन अब नहीं रह सकती.. तबी तो यह सब कर रही हूँ...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुनके के हंस दिया और बोला नहीं बाजी मैं भोला नहीं बन रहा लेकिन आप खुद ही सोचो की अबू भी अभी यहाँ ही हैं बाहर और कहीं गये भी नहीं हैं तो फिर भला मैं किस तरह जान सकता हूँ की आप ने मुझे क्यूं बुलाया है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरे हाथों को खोल के घूमी और मेरी तरफ मूडी और मुझे अपने सीने से लगाते हुयी बोली भाई मैने कल भी तुम्हें बताया था की अबू से नहीं डरा करो अबू हमें कुछ नहीं बोलेंगे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन बाजी फिर भी मुझे शरम आती है की अबू भला क्या सोचते होंगे की मैं कितना बेघरत हूँ की अपनी बहन को उन के खेतों पे होते हो भी चोद रहा हूँ नहीं बाजी पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़ ये मुझ से नहीं हो सकेगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी अब की बार कुछ नहीं बोली और मेरी क़मीज़ को निकल दिया और साथ ही मेरी सलवार के[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नाडे पे हाथ डाला और झट्के से नडा भी खोल दिया जिस के खुलते ही मेरी सलवार नीचे जा गिरी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा लंड झट्के ख़ाता हुआ बाहर निकल आया बाजी ने अब मुझे चारपाई पे लिटा दिया और बिना कुछ बोले मेरी तरफ देखते हो मेरा लंड हाथ मैं पकड़ लिया और फिर सर झुकाके अपना मूह खोला और आहिस्ता से मेरे लंड पे किस करने लगी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी का ये अंदाज़ मेरी जान निकालने लगा और मेरे मूह से आअहह बाजिीइईईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये क्या कर रही हो अप्प्प ठीक से चूसूऊऊऊऊ ना उनम्म्ममह बाजिीइईईई[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये क्या कर रही हो अप्प्प ठीक से चूसूऊऊऊऊ ना उनम्म्ममह बाजिीइईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पूरा मूह मैं ले के चूसूऊऊऊओ पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ की आवाजें करने लगा तो बाजी ने मेरी तरफ देखते हो अपना मूह खोला और आहिस्ता से मेरे लंड की कॅप को अपने मूह मैं भर के इन आउट करने लगी तो मैं और भी मज़े से बहाल होने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और सस्स्सीईईईई बाजिीइईईईईईईईई ऊऊहह बाजी हाँ इसी तरह चूसो अपने भाई का लंड,द उंनमममह बाजी क्या लंड को चुस्ती हो आप आअहह बाजी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लगता है किसी गश्ती से चुस्वा रहा हूँ ऊऊहह मैं गया बाजिीइईईई की आवाज़ के साथ ही मेरे लंड ने पानी छोड दिया लेकिन बाजी ने तब भी मेरा लंड मूह से नहीं निकाला और पानी को चट गई मेरे लंड का सारा पानी चाटने क बाद बाजी ने मेरा लंड छोड दिया और सर उठा के मेरी तरफ देखने लगी और बोली क्यूं भाई मज़ा आया या नहीं तो मैं बाजी की बात सुनके के [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन की तरफ देखा और हंस के बोला बाजी सच पूछो तो बहुत मज़ा आया क्या चुस्ती हो आप[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात पे हंस पड़ी और बोली अब तुम्हारा पता भी चल जाता है के तुम अपनी बहन से इतना मज़ा लेने के बाद मुझे कितना मज़ा देते हो और इतना बोल के मुझे उठा दिया और खुद मेरी जगा लेट गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अपने घुटने ज़मीन पे टीका के बाजी चुत पे झुक गया और अपना मूह बाजी की चुत के पास ले जा कर अपनी ज़ुबान बाहर निकली और बाजी की चुत पे रख के चाटने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी ज़ुबान जैसे ही बाजी की चुत से लगी बाजी का पूरा जिस्म काँप सा गया और बाजी आअहह विकी उन्म्मह अपनी ज़ुबान को मेरी चूयः मैं पूरा घुसा के चाटो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हाआअन्न्नननननननणणन् भाई अब अच्छा लग रहा हाईईईईईईईईईईईईई ऊऊहह भाई ऊपर से नीचे तक अपनी ज़ुबान को ज़रा दबा के चाटो पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई बड़ा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईई तेरी बहन को ऊऊहह भाई क्या जादू है आप की ज़ुबान [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं हाँ भाईईईईईईईईईईईईईईईई खा जाओ आज अपनी बहन की चुत को भीईीईईईईईईईईईईईईईई ऊऊहह [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाईईईईईईईईईई की आवाज़ करने लगी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं भी बाजी की चुत जो के पहले ही गीली हो चुकी थगी अपने ही पानी से उसे अपनी ज़ुबान घुमा के और घुसा के चाटने लगा अपनी बहन की चुत को जिस मैं मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई 3 मिनट तक ही मैने बाजी की चुत को चटा होगा के बाजी के मूह से आअहह विकिईईईईईईईईईई मेरे भाई खा जाओ मेरी चुत को ऊऊहह भाई मेरा निकालने वाला हाईईईईईईईईईईईईईईई उन्म्मह भाईईईईईईईईईईईईईईईई मैं गैिईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ के साथ ही फरी बाजी ने मेरा सर पकड़ के अपनी चुत पे दबा दिया और साथ ही बाजी का जिस्म एक बार अकड़ के ढीला पड़ा तो बाजी की चुत से गरम गरम और गढ़ा नमकीन पानी मेरे मूह मैं गिरने लगा जिसे मैं मज़े से चाट गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी को फारिघ् कर के मैं उठा और बाजी के साथ ही चारपाई पे लेट गया और बाजी के बूबस को चूसने और मसालने लगा तो थोड़ी ही देर मैं मेरा लंड जो के अब हार्ड होना शरू हो चुका था फुल हार्ड हो गया तो बाजी ने मुझे इसी तरह लेता रहने दिया और खुद उठ के मेरे दोनो तरफ अपने पावं कर के मेरे पैरों की तरफ अपना फेस कर के खड़ी हो गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर पूरी तरह झुक के मेरे लंड को अपनी चुत पे सेट किया और नीचे बैठ गई जिस से मेरा लंड भी जैसे जैसे बाजी मेरे ऊपर बैठ जाती लंड भी मेरी बड़ी बहन की चुत मैं घुसता जाता बाजी पता नहीं किस से इस तरह के न्यू न्यू स्टाइल सिख रही थी और मेरे ऊपर आज़मा के मुझे पागल किए जा रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी चुत का इस तरह बाजी जब मेरे लंड को अपनी चुत से कॅप तक निकल के फिर से अपनी चुत मैं घुसती तो मेरा लंड ऐसे जैसे किसी मखमली सी चीज़ से रग़ाद ख़ाता हुआ मेरी बड़ी बहन की चुत मैं जाने लगता तो मेरे मूह से आअहह बाजिीइईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल जाती क्यूं के इस तरह जो मज़ा आ रहा था लफ़्ज़ों मैं ब्यान करना मुमकिन नहीं है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर बाजी अचानक मेरे लंड से उठ के खड़ी हो गई और अपना फेस मेरी तरफ घुमा के फिर से बैठ गई मेरे लंड को अपनी चुत मैं ले के और मेरे ऊपर जैसे लेट सी गई और मुझे किस करने लगी और साथ ही अपनी चुत को भी हिलने लगी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे जैसे मुझे किस करने के साथ अपनी चुत को भी आगे पीछे हिलती तो जैसे मेरे लंड की जान ही निकालने लगती और मेरे मूह से बे सखता ये आवाज़ निकल गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आअहह बाजिीइईईईईईईईईई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ऐसा मत करो नहीं तो मेरा पानी निकल जाएगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुनके के बाजी ने मुझे किस करना बंद किया और बोली क्यूं रे बस इतनी ही जान थी तेरे अंदर तुम तो बड़े जवान बने फिरते थे बस ज़रा से झट्के से जान बोल गई मेरे भाई की हाँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अब और कुछ नहीं बोला तो बाजी अब की बार मुझे उठा के बिताते हो खुद घोड़ी बन गई तो मैं भी उठ के खड़ा हो गया और अपने लंड को अपनी बड़ी बहन की चुत पे सेट कर के अंदर घुसने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही मैने झतका दिया और अपना लंड पूरा घुसाया बाजी के मूह से बस सस्स्सिईईई की हल्की सी आवाज़ निकली और फिर जैसे जैसे मैं झट्के तेज़ करता गया बाजी भी आहह ईईईईईईई और तेज़ छोड़ो भाईईईईईईईईईईईईई अपनी बहन की चुत फाड़ के रख दो आज मेरिइई जान भोसड़ा बना दे मेरी चुत का ऊऊहह विकिईईईईईईईईईईई सच मैं कितना मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईईईई उनम्म्मह और तेज़ भाई पूरा घुसा के झट्के मार.[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई उनम्म्मह कितना मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईई मेरी जानं आआहह मैं गई ईईईईईईईईईईईईईईई मेरा निकालने वाला हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ के साथ अपनी गांड को भी पीछे की तरफ जब मैं अपने लंड को झट्के से बाजी की चुत मैं घुसता तो बाजी भी अपनी गांड पीछे की तरफ दबा देती जिस से रूम मैं ताआप्प्प्प्प्प्प ताआप्प्प की आवाज़ भी गूंजने लगती[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्यूं के मैं खुद मज़े से पागल हो रहा था इस लिए अब बाजी की भी कोई बात नहीं सुनके रहा था और जब मेरा पानी फरी बाजी की चुत मैं निकला तो उसी वक़्त बाजी की चुत ने भी पानी छोड दिया तो उस के बाद हम दोनो बहन भाई अलग हो के साथ ही लेट गये और किस करने लगे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक किस करने के बाद बाजी ने मुझे अलग किया और बोली चलो उठो अब जा के नहा लो और कपड़े पहाँ लो तो मैं उठ क बैठ गया और बाजी की चुत की तरफ देखा मुझे अपनी चुत की तरफ देखते पाके बाजी हंस पड़ी और फिर बोली क्या देख रहे हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई तो मैने कहा कुछ नहीं बाजी बस आप की चुत पे लगा हम दोनो का मिक्स्ड जुस देख रहा था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी भी हंस पड़ी और बोली अच्छा अब चलो उठो यहाँ से और मेरी चादर लपेट के अपने कपड़े उठाओ और निकलो यहाँ से तो मैं उठा और बोला क्या बाजी आप भी ना बस मुझे अपने पास नहीं रुकने देती हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी हेरनी से मेरी तरफ देख के बोली विकी तुम कितने बड़े कामीने हो अपना सब कुछ तो मैने तुम्हारे हवाले कर दिया है लेकिन तुम अभी भी ना . ही हो तो मैं बाजी की बात पे हंस पड़ा और बोला अच्छा बाजी सच ब्ताना क्या आप का अबू क साथ भी हो चुका है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी तरफ देख के बोली भाई अगर तुम्हारा साथ पाने के लिए मुझे सारी दुनिया के मर्दों से भी चुदवाना पड़ा तो मैं चुदवा लूंगी समझे ये तो फिर भी अबू से ही किया है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पर भाई जो मज़ा तुम्हारे साथ है वो अब्बू के साथ नहीं... बस वो एक समझोता है.. अपने और तुम्हारे ,,,,[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात ने मुझे पूरी तरह सिहर दिया तो मैं फिर से बैठ के बाजी को किस करने लगा तो बाजी ने मुझे धक्का दिया जिस से मैं साइड मैं हट गया तो बाजी अपने बाज़ू मूह पे रख क लेट गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के इस तरह करने से शरमाने से मैं हंस दिया और बाजी का दुपटा उठा के अपने आप को लपेट लिया और कपड़े उठा के बाहर निकल गया तो देखा की अबू सामने ही बैठे मेरी तरफ ही देख रहे थे और हल्का सा मुस्कुरा भी रहे थे जिस से मुझे शरम आने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू को इस तरह अपनी तरफ देखता पाके मैने शर्मिंदगी से अपना सर झुका लिया और ट्यूबवेल की तरफ चल दिया और ट्यूबवेल चला के नहाने लगा तो अबू कुछ देर बैठे रहने के बाद उठे और रूम की तरफ चल दिए तो अबू को रूम मैं बाजी के पास जाता देख के मुझे अबू से जलन सी होने लगी लेकिन मैं बोला कुछ नहीं और नहा के घर की तरफ चल दिया[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो और फरजाना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर पहुचने तक मैं अबू और बाजी के बारे मैं ही सोचता रहा की वो अभी क्या कर रहे होंगे लेकिन सिर्फ़ सोच ही सकता था कर कुछ नहीं सकता था और इन्ही सोचों मैं घर पहुँच गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर आते ही मैं सीधा रूम मैं जा लेता उस के बाद दोपहर का खाना भी रूम मैं ही खाया और फिर से लेट गया अपनी आखें बंद किए और अपनी लाइफ मैं आने वाली तब्दीली के बारे मैं सोचने लगा की मैं क्या से क्या बन गया हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी मुझे अपने रूम मैं हल्की सी आहत महसूस हुयी तो मैं झट से अपनी आँखों को खोल के देखा तो फ़रीदा बाजी नज़र आईईईईई जो की मेरे बिलकुल पास ही अपना सर झुका के खड़ी अपनी फिंगरस को मरोड़ रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं फ़रीदा बाजी को इस तरह अपने पास खड़ा देख के जल्दी से उठ बैठा और बोला बाजी आप यहा इस वक़्त खैर तो है ना बाजी....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपना सर उठा के मेरी तरफ देखा और भीगी आवाज़ मैं बोली पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई मुझे माफ कर दो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... क्यूं बाजी आप किस बात के लिए माफ़ी माँग रही हो भला आप ने कोई ग़लती थोडा ही की है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी.... पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई जो कुछ मैने उस दिन देखा था मुझे उस से शक़ हुआ तो मैने अम्मी को बोल दिया जो की मुझे नहीं बोलना चाहिए था मैं.. नहीं बाजी आप ने बहुत अच्छा किया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो अम्मी को ये बोल दिया की मेरा अपनी ही बड़ी बहन के साथ चक्कर है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... मेरी बातों से रोने लगी और फिर मेरे पैरों की तरफ चारपाई पे बैठकर अपने हाथ मेरे पैरों पे रख दिए और बोली पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई मुझ से ग़लती हो गई मुझे माफ कर दो मैं आज के बाद ऐसी कोई ग़लती नहीं करुँगी बस भाई एक बार माफ कर दो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं....बाजी के हाथ अपने पैरों से हटा ते हए बाजी से बोला पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बाजी आप ये क्या कर रही हो छोडो मेरे पैरों को मैने आप को माफ कर दिया है और मैं आप से गुस्सा भी नहीं हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी.... मेरी बात सुनके के सर उठा के मेरी तरफ देखते हो बोली सच भाई तुम अब मेरे साथ गुस्सा नहीं हो और तुम ने मुझे माफ भी कर दिया है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं.... हाँ मैं सर हिलाते हो बोला जी बाजी अब मैं आप से नाराज़ नहीं हूँ लेकिन दोबारा अगर कोई बात आप को नज़र आती है तो आप मुझे एक बार बात ज़रूर कर लेना कहीं ये ना हो की बिना किसी बात के फिर से बतंगद बन जाए और हल्का सा हँसने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुनके के बाजी का फेस खुशी से चमक उठा और फिर बाजी अचानक ही मेरी तरफ खिसकी और फिर मेरे सीने से लग गई जिस से बाजी के बूबस मेरे सीने से प्रेस होने लगे और बाजी के बूबस को महसूस करते ही मेरा लंड भी सलवार के अंदर झट्के ख़ाता हुआ खड़ा होने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब जहाँ बाजी के बूबस का मेरे सीने से रग़ाद खाना मुझे मज़ा दे रहा था और ऊपर से बाजी जो मेरे गालों और सर पे किस भी कर रही थी और साथ ही ओह मेरा सोहना भाई कितना अच्छा है वहीं मेरे लंड के खड़ा होने से भी मुझे परेशानी हो रही थी की अगर बाजी को इस अगर मेरे लंड के खड़ा होने का एहसास हो गया तो बाजी को कितना बुरा लगेगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर थोड़ी देर मुझे लीपेट के प्यार करने के बाद बाजी मुझ से अलग हो गई और फिर खड़ी हो के मेरी तरफ देख के मुस्कुराते हो रूम से निकल गई तो मेरी रुकी हुयी साँस बहाल हुयी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के बाद बाकी सारा दिन और रात कोई ख़ास्स बात नहीं हुयी और हम लोग रात का खाना खा के अपनी अपनी जगह पे जा क सोने क लिए लेट गये सुबह मेरी आँख खुली तो अबू शहर जाने की तैयारी कर रहे थे और वहीँ फरी की भी तबीयत कुछ खराब थी तो फ़रज़ाना फ़रीदा के साथ खतों मैं चली गई क्यूं की भेंसों का चारा तो अबू बना के रख आए थे लेकिन उन को चारा डालना और पानी पीलना भी था [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी घर पे ही रुकी थी घर के कामो के लिए मैं भी उठ के नहा धो के नाश्ते से फारिघ् हुआ तो तब तक अबू भी शहर क लिए निकल चुके थे तो मैं बाजी के पास चला गया और बाजी के पास बैठ क बोला क्या हुआ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी आप को तबीयत क्यूं खराब हो रही है बाजी मेरी बात पे हल्का सा हंस पड़ी और बोली कामीने कल तुम्हारे बाद अबू ने भी तो एक बार किया था ना इसी लिए मेरा जिस्म काफ़ी थका हुआ है तो सोचा की क्यूं ना आज घर पे ही आराम किया जाए[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुनके के थोडा मुह बनाते हो बोला तो लगता है आज का कुछ नहीं होने वाला है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने कहा हाँ भाई आज सच मैं दिल नहीं कर रहा किसी भी काम के लिए तो मैने बाजी के सर पे हल्की सी किस कर उठा और अपने रूम मैं आ गया और एक नॉवाले निकल के पढ़ने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई 10.30 पे पारीदा बाजी घर आ गई तो मैने कहा क्यूं बाजी क्या बात है आप इतनी जल्दी घर क्यूं आ गई तो फ़रीदा बाजी ने कहा भाई वो काम तो ख़तम हो गया है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने सोचा की चलो खाना ही ले आती हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने कहा बाजी आप ऐसा करो आप घर पे ही रहो खाना मैं ले जाओंगा आप 5 6 बजे तक आराम कर के खेतों मैं आ जाना तो बाजी ने हाँ मैं सर हिला दिया और बोली चलो ठीक है भाई वैसे तो वहाँ अब कोई काम नहीं है और अगर हुआ भी तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना है ना वहाँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके बाद कोई 11.30 पे मैं घर से खाना ले के निकला और खेतों की तरफ चल दिया तो जब मैं खेतों के करीब पहुँचा तो मुझे ट्यूबवेल के चलने की आवाज़ सुनाई देने लगी तो मुझे बड़ी हेरनी हुयी की ये कों ट्यूबवेल चला के बैठा है तो अचानक मेरे दिमाग मैं आया की हो ना हो ये फ़रज़ाना ही होगी जो की नहा रही होगी और ये सोच आते ही मेरे पुरे जिस्म मैं सनसनाहट सी होने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं तेज़ तेज़ चलने लगा और जब मैं ट्यूब वाले के पास पहुँचा तो वहाँ जो नज़ारा था उसे देखते ही मेरा लंड झट्के से खड़ा हो गया क्यूं की वहाँ फ़रज़ाना अपनी सहेली बिल्लो के साथ सिर्फ़ ब्रा और पनटी मैं नहा रही थी और मस्ती कर रही थी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं वहीं खड़ा होके उन दोनो की जवानी भर मस्त आधे नंगे जिस्मों को घूरने लगा तो तभी फ़रज़ाना की नज़र भी मुझ पे पड़ी और उस का फेस सफ़ेद पड़ गया और वो झट पानी से निकल के रूम की तरफ भागी और मैं उस के हिलते चुत्तडों को देख के अपने लंड को मसालने लगा तो तभी मुझे बिल्लो की आक्ख़्हू ओउन्न्ं की आवाज़ आयी जो की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस ने मुझे अपनी तरफ तवजू दिलाने के लिए किया था मैने बिल्लो की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख क हल्का सा मुस्कुरा रही थी जिस से मुझे काफ़ी शरम भी आयी तो मैं वहाँ से वापिस मौड़ने ही लगा था की बिल्लो ने मुझे आवाज़ दी और बोली विक्की भाई क्या मैं आप को अच्छी नहीं लगी जो आप नज़र चुरा के जा रहे हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने उस की तरफ देखे बिना ही कहा...वो तुम कपड़े पहाँ लो मैं फिर आ जाता हूँ तो बिल्लो ने कहा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्यूं विक्की भाई क्या हुआ इतना क्यूं शर्मा रहे हो अभी आप फ़रज़ाना को तो बड़ा घूरते देख रहे थे मैं बिल्लो की बात सुनके के झट्के से सर उठा की बिल्लो की तरफ देखते हो बोला न...नहीं.. वो तो बस ऐसे ही कोई ख़ास नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी मैने इतना ही बोला था की फ़रज़ाना कपड़े वहाँ से बाहर निकल आयी और बिल्लो की तरफ देखते हो बोली जाओ कपड़े बदल लो तब तक मैं भेंसों को देख के आती हूँ और दूसरी तरफ निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना के जाते ही बिल्लो बड़ी अदा से पानी से निकली और रूम की तरफ चल दी और रूम के दरवाजे मैं खड़ी हो के मेरी तरफ पलटी और मुझे देख के मुस्कुराती हुयी रूम मैं चली गई लेकिन दरवाजे पूरा खुला ही रहने दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो की तरफ से इतने इशारो के बाद मैने थोड़ी हिम्मत की और रूम से ज़रा फ़ासले पर ही लेकिन ऐसी जगह पे जा के खड़ा हो गया की मुझे बिल्लो रूम मैं खड़ी अपनी ब्रा खोलती सॉफ नज़र आने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो ने ब्रा उतार के मेरी तरफ देखा और कुछ ऐसे खड़ी हो गई जैसा की मुझे अपने पूरे बूबस अच्छी तरह दिखना चाहती हो , [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर मुझे अपने बूबस दिखाने के बाद अपनी पनटी की तरफ मुतवाजे हुयी और उसे भी निकल के फैंक दिया और मेरी तरफ देख के मुस्कुराने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो को इस तरह खड़ा देख के मेरा लंड फटने तक आ गया था की तभी मुझे फ़रज़ाना की आवाज़ सुनाई दी जो की बिल्लो को ही आवाज़ लगाते हुयी हुमारी तरफ चली आ रही थी तो मैं जल्दी से वहाँ से हटा और ट्यूबवेल के पास जा खड़ा हुआ और बिल्लो ने भी फ़रज़ाना की आवाज़ क्यूं की सुनके ली थी तो उस ने भी जल्दी से आगे बढ़ के दरवाजे बंद कर दिया और तभी फ़रज़ाना भी वहाँ आ गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना के आने और बिल्लो के कपड़े बदल के आने के बाद हम ने मिल के खाना खाया और तो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो फ़रज़ाना की तरफ देख के बोली अच्छा यार मैं तो अब चलती हूँ और घर की तरफ निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो के जाने के बाद मैं अब इस सोच मैं पड़ गया की आख़िर किस तरह बिल्लो को अपने नीचे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लाया जाय[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बैठा बिल्लो के बारे मैं ही सोच रहा था की तभी मुझे अखुऊन्णन की आवाज़ सुनाई दी और मैने जब चौंक के देखा तो वो फ़रज़ाना ही थी जो मेरे सामने ही चारपाई पे बैठी मेरी तरफ देख के मुस्कुरा रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... हाँ क्या बात है इस तरह दाँत क्यूं निकल रही हो फ़रज़ाना ... [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं भाई बस मैने ये पूछ ना था आप से की अगर आप यहाँ रूकोगे तो मैं घर चली जाती हूँ मैं... थोडा सोचते हो बोला हाँ ठीक है तुम जाओ [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन घर जा के बाजी फरी को भेज देना क्यूं की शाम को भेंसों का दूध भी निकलना है मुझ से तो निकाला नहीं जाता तो बाजी को ही भेज देना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़रज़ाना... चारपाई से उतार गई और बर्तन उठा के घर की तरफ चल पड़ी और थोडा आगे जा के [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी तरफ मुड़ी और एक सेक्सी स्माइले देते हो बोली भाई अगर आप कहो तो बिल्लो को ही भेज दूँ वो दूध ठीक से निकल देगी और हहेहेहहे कर के भाग गई[/font]
 
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